छुवा छुत करने वाले असली हिन्दु हैं कि मिल जुलकर बारह माह प्रकृति पर्व त्योहार मनाते हुए छुवा छुत का शिकार होने वाले असली हिन्दु हैं ?

छुवा छुत करने वाले असली हिन्दु हैं कि मिल जुलकर बारह माह प्रकृति पर्व त्योहार मनाते हुए छुवा छुत का शिकार होने वाले असली हिन्दु हैं ? 

इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासी आज भी लाखो करोड़ो की संख्या में हर रोज कबिलई मनुवादियो के द्वारा शोषन अत्याचार का शिकार होकर धर्म परिवर्तन के लिए आखिर मजबूर क्यों किए जा रहे हैं | जिनको हिन्दु वेद पुराण का मतलब मनुस्मृती और मुल हिन्दु का मतलब मनुवादि क्यों रटाया जा रहा है | जैसे कि यहूदि का मतलब यीशु को सुली पर चड़ाने वाले और मुस्लिम का मतलब आतंकवादी और ईसाई का मतलब कई देशो को गुलाम करके लुटपाट करने वाले रटाया जाता | जिस तरह के रटा मारने वालो के लिए तो मानो सारे हिन्दु वेद पुराण और बारह माह मनाये जाने वाले हिन्दु पर्व त्योहार हमारे पूर्वजो की रचना नही है | बल्कि उन मनुवादियो की रचना है जिन्होने छुवा छुत मनुस्मृती की रचना की है , जिनके रगो में यहूदियो का डीएनए दौड़ रहा है | यानी उनकी नजर में असली हिन्दु वह है जो छुवा छुत ढोंग पाखंड करता है | और बाकि लोग मनुवादियो द्वारा गुलाम और दास दासी बनाये जाने के लिए बाद में हिन्दु बनाए गए हैं | जिससे पहले मानो वे कोई पुजा पाठ ही नही करते थे | जबकि सच्चाई ये है कि यहूदि डीएनए के मनुवादि इस देश में प्रवेश करने के बाद खुदको हिन्दु घोषित किए हुए हैं | जिसके बाद हिन्दु धर्म को कब्जा करके और मनुस्मृति लागू करके इस देश के मुल हिन्दुओ को हिन्दु वेद पुराण ज्ञान से वंचित करने का सिलसिला सुरु हुआ हैं | जिन मनुवादियो के ढोंग पाखंड और छुवा छुत से हिन्दु धर्म को मुक्त कराना चाहिए , न कि अपने धर्म को छोड़कर दुसरे धर्मो में यह सोचकर चले जाना चाहिए कि हिन्दु धर्म छुवा छुत ढोंग पाखंड करने वाले मनुवादियो का मुल धर्म है | क्योंकि हमे यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि यहूदि डीएनए के मनुवादि बाहर से आकर हिन्दु बने हैं | जिनका डीएनए यहूदियो से मिलता है | इसका मतलब साफ है कि मनुवादि विज्ञान द्वारा भी विदेशी मुल के प्रमाणित हो चुके हैं | जाहिर है चूँकि मनुवादियो का डीएनए इस देश के उन मुलनिवासियो से नही मिलता है , जिनके द्वारा प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती का निर्माण किया गया है | जो कि हजारो सालो से बारह माह मिल जुलकर खुशियो का मेला लगाते हुए प्रकृति पर्व त्योहार मनाते आ रहे हैं | जिन्हे हिन्दु पर्व त्योहार कहा जाता है | न कि मनुवादियो के द्वारा रचित मनुस्मृती में मौजुद छुवा छुत और ढोंग पाखंड को हिन्दु पर्व त्योहार कहा जाता है | बल्कि विज्ञान द्वारा यह भी प्रमाणित हो गया है कि मनुवादि इस देश के न तो मुलनिवासी हैं , और न ही मुल हिन्दु हैं  | क्योंकि सिंधु नदी से सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति और सिंधु से हि हिन्दु शब्द आया है | जिस सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति की खुदाई में मनुवादियो के पुर्वज देवताओ के मंदिर नही मिले हैं | क्योंकि इस कृषि प्रधान देश में हजारो साल पहले भी मुलता बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार और प्रकृति भगवान की पुजा की जाती थी | जिसे यदि विदेशियो द्वारा इस देश में प्रवेश करने के बाद प्रकृति भगवान पुजा को सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति की पहचान से जोड़कर हिन्दु धर्म नाम दिया गया है तो इसका मतलब ये तो नही की बाहर से आए विदेशी मुल के मनुवादि असली हिन्दु हैं | हिन्दु धर्म के बारह माह मनाये जाने वाले प्रकृतिक पर्व त्योहार बाहर से आने वाले मनुवादियो का है कि इस देश के मुलनिवासियो का है , इस बारे में विचार करना खासकर इस देश के मुलनिवासियो के लिए अति जरुरी इसलिए हो गया है | क्योंकि हिन्दु धर्म को मनुवादियो का धर्म मानकर करोड़ो मुलनिवासि अपना धर्म परिवर्तन करके अपनी हिन्दु पहचान को मिटाकर दुसरे की पहचान से खुदको जोड़ने के लिए अपने पुर्वजो की रचना वेद पुराणो को भी मनुवादियो की रचना बतला रहे हैं | दरसल विदेशी मुल के लोगो द्वारा इस देश के मुलनिवासियो को विभिन्न धर्म जातियो में बांटकर आपस में लड़ाये जा रहे हैं | जिसपर गंभीरता से इस देश के मुलनिवासियो को विचार करने के बजाय आपस में ही लड़ मर रहे हैं | जबकि उन्हे पता है कि सिंधु से जुड़ा हिन्दु शब्द और हिन्दुस्तान में बारह माह मनाये जाने वाला प्राकृतिक पर्व त्योहार विदेशी मुल के मनुवादियो की देन नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियो का देन है | जिसके बारे में सोच विचार करके आपस में ही लड़ने मरने वाले इस देश के मुलनिवासियो को सिधी सी बात अबतक समझ जानी चाहिए थी कि मनुवादि जब विदेशी मुल के हैं , अथवा सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति के मुलनिवासी नही हैं , वे मुल हिन्दु कैसे हो सकते हैं | अथवा जिस सिंधु से हिन्दु शब्द आया है , वह हिन्दु मनुवादि कैसे हो सकते हैं | जैसे कि यदि कोई गोरा इस देश में प्रवेश करके हिन्दु बनेगा या बना होगा तो वह मुल हिन्दु कैसे कहलायेगा ? बल्कि धर्म परिवर्तन करके हिन्दु बना हिन्दु कहलायेगा | जिस धर्म परिवर्तन करके हिन्दु बनने वाले का हिन्दु वेद पुराण रचना कैसे हो जायेगी | निश्चित तौर पर मनुवादि चूँकि मुल हिन्दु नही है , इसलिए हिन्दु वेद पुराण भी मनुवादियो द्वारा नही बल्कि इस देश के मुल हिन्दु अथवा इस देश के मुलनिवासियो द्वारा  रचि गयी है | बल्कि हिन्दु धर्म के वेद पुराणो में मौजुद बहुत सी सत्य जानकारी इसी देश में जन्मे बौद्ध और जैन दोनो धर्मो में भी मौजुद है | जो कि स्वभाविक है , क्योंकि उन दोनो धर्मो को जन्म देने वाले भी हिन्दु थे | जिन्हे भी हिन्दु वेद पुराणो का ज्ञान निश्चित तौर पर होगी ही | जैसे की बौद्ध धर्म और जैन धर्म उदय होने से पहले बुद्ध और महावीर को भी हिन्दु वेद पुराणो और बारह माह मनाई जानेवाली हिन्दु पर्व त्योहारो के बारे में जानकारी जरुर होगी | जिस वेद पुराणो में कब्जा करके मनुवादियो द्वारा उसपर मिलावट और छेड़छाड़ किया गया है | जैसे की गोरो ने इस देश में कब्जा करके इस देश की सभ्यता संस्कृति और इतिहास के साथ भी छेड़छाड़ करने का प्रयाश किया है | क्योंकि हमे यह कभी नही भुलनी चाहिए की यह देश अब भी गोरो के द्वारा बनाई गई हजारो नियम कानून और मनुवादियो के द्वारा बनाये गए छुवा छुत और ढोंग पाखंड से पुरी तरह से अजाद नही हुआ है | इसलिए जाहिर सी बात है कि चूँकि हिन्दु धर्म के वेद पुराणो में जिन मनुवादियो द्वारा ढोंग पाखंड की मिलावट की गई है , वे अपनी पकड़ बौद्ध और जैन धर्म में भी बनाये हुए हैं , इसलिए बौद्ध और जैन धर्म में भी मनुवादियो का छुवा छुत और ढोंग पाखंड प्रभाव मौजुद है | जिस तरह की समस्या और धार्मिक वाद विवाद इस देश में प्रवेश करने से पहले इस देश ही नही बल्कि उन सभी देशो में भी मौजुद नही थी जहाँ के मुलनिवासी सबसे पहले मुलता प्राकृतिक पुजा ही करते थे | जिस समय हिन्दु धर्म समेत कोई भी धर्म किसी के भी जुबान में मौजुद नही थी | सबके लिए एक ही प्राकृति भगवान की पुजा बिना वाद विवाद के की जाती थी | क्योंकि सभी इंसानो के लिए विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित एक सुर्य की रौशनी और जिवन की सुरुवात के लिए हवा पानी मिट्टी वगैरा एक है | भले उसे अलग अलग भाषाओ में अलग अलग नाम से जाना जाता हो , पर सबके लिए साक्षात प्रकृति भगवान द्वारा निर्मित हवा पानी वगैरा का मतलब एक है | जिस साक्षात एक प्राकृतिक की पुजा बिना कोई वाद विवाद दंगा फसाद के मिल जुलकर सुख शांती से किये जाते थे | जैसे कि इस देश के मुलनिवासी आज भी बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार और पुजा पाठ करके आपस में मिल जुलकर मनाते हैं | जो पहले भी खुशियो का मेला लगाकर सुखी से रह रहे थे | जिस प्राकृतिक पर्व त्योहार में भी मनुवादियो और बाहर से आने वाले अन्य विदेशि मुल के ढोंगी पाखंडियो के द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ करने की कोशिष हो रही है | दरसल मनुवादियो द्वारा हिन्दु धर्म में ढोंग पाखंड की मिलावट अपने फायदे के लिए किया गया है | जिन मनुवादियो ने ही अपने फायदे के लिए अपने पुर्वज गुमनाम और लापता कथित स्वर्ग के वासी देवताओ की पुजा को हिन्दु पुजा में मिलाया है | जो नही करते तो मनुवादि खुदको जन्म से हिन्दु पुजारी आरक्षित नही कर पाते | ये सब दरसल अपने फायदे के लिए ही ढोंग पाखंड का व्यापार को किसी नशे की व्यापार की तरह चलाने के लिए की गई है | जिस ढोंग पाखंड को हिन्दु धर्म से निकाल बाहर करनी चाहिए | न कि हिन्दु धर्म से खुदको ही निकाल बाहर करनी चाहिए | जो न होने से मनुवादियो को फायदा ही फायदा और इस देश के मुलनिवासियो को लगातार हानि ही हो रहा है | जैसे कि यदि हम गोरो को देश से बाहर करने के बजाय खुदको ही देश से बाहर कर देते तो सबसे अधिक लाभ गोरो को होता न कि इस देश के लोगो को होता ? उसी तरह यदि गोरो से अजादी मिलने के बाद यह देश अब फिर से मनुवादियो द्वारा गुलाम हो गया है , तो क्या हमे गुलाम करने वालो से खुदको अजाद करने के लिए अपना देश छोड़ देनी चाहिए | यह कहकर कि इस देश में गुलाम करने और दास दासी बनाने , छुवा छुत ढोंग पाखंड की मिलावट करने वाले लोग रहते हैं | जिन्हे इस देश की  सत्ता और अपने मूल सभ्यता संस्कृति बल्कि पुरा देश को सौंपकर क्या दुसरे देशो में विस्थापित हो जानी चाहिए ? जैसे कि इस देश के लाखो करोड़ो मुलनिवासी हिन्दु धर्म छोड़कर दुसरे धर्मो में चले गए हैं | जिनको अपने पुर्वजो का धर्म को छोड़ने से पहले मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड और छुवा छुत शोषन अत्याचार किए जाने की वजह से मन में जरुर ये ख्याल आया होगा कि जिस धर्म के पुजारी मनुस्मृती रचना करने वाले हो वह हिन्दु धर्म इस देश के मुलनिवासियो का हो ही नही सकता है ! बल्कि इस देश में बाहर से प्रवेश करने वाले मनुवादियो का ही हो सकता है | जबकि सच्चाई ये है कि मनुवादि खुदको इस देश में प्रवेश करने के बाद ही गर्व से हिन्दु कहने लगे हैं | जैसे कि अन्य भी विदेशी मुल के लोग जिनके पुर्वज इस देश में बाहर से आए थे , वे भी यदि इस समय इस देश में मौजुद होंगे तो खुदको गर्व से हिन्दुस्तानी कहना ही पसंद करेंगे | रही बात हिन्दु धर्म में बहुत सारे ढोंग पाखंड और छुवा छुत क्यों मौजुद है , तो वह तो मनुवादियो द्वारा छेड़छाड़ और मिलावट ढोंग पाखंड और छुवा छुत की मौजुदगी है , न कि इस देश के मुल हिन्दुओ द्वारा छुवा छुत किया जाता है | जिसके बारे में बहुत सी जानकारी मनुवादियो द्वारा छिपाया जाता रहा है | जैसे कि यहूदि डीएनए के मनुवादि अपना धर्म परिवर्तन करके कट्टर हिन्दू कब बने इस जानकारी को भी मनुवादियो ने अबतक छिपाकर रखने की कोशिष कीया है | जिसके लिए मनुवादि मीडिया में कभी भी यह चर्चा नही होती है कि यहूदि डीएनए के मनुवादि हिन्दु कब बने और मुस्लिम शासक द्वारा उनसे जजिया कर किसलिए नही लिया जाता था | जो जजिया कर इस देश के मुल हिन्दुओ से लिया जाता था जो कि मनुवादि नही हैं | क्योंकि हिन्दु शब्द सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति से आया है | जिसका निर्माण इस देश के उन मुलनिवासियो ने किया है , जिनका डीएनए मनुवादियो से नही मिलता है | बल्कि मनुवादियो के परिवार में मौजुद नारी का भी डीएनए इस देश के मुलनिवासियो से मिलता है | जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित भी हो चुका है | जिसके बारे में 21 मई 2001 को The Times of india अंग्रेजी अखबार में खबर छापी गयी थी | जिस जानकारी को भी छुपाने के लिए मनुवादियो ने इस देश की राष्ट्रीय भाषा हिन्दी और इस देश के किसी भी क्षेत्रीय भाषा में इस जानकारी को नही छापी गयी थी , ताकि इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो से इस खास जानकारी को छुपाया जा सके | जो ज्ञान छुपाने की हुनर मनुवादियो में कुट कुटकर भरी हुई है | जिसके चलते ही तो उन्होने हिन्दु धर्म के वेद पुराणो पर कब्जा जमाकर पहले तो उन्होने वेद पुराण ज्ञान पर पाबंदी लगाया , उसके बाद भी जो मुलनिवासी अपने पुर्वजो के द्वारा हासिल किए गए वेद पुराणो की ज्ञान को हासिल किया उसके साथ मनुवादियो ने क्रुरता पुर्वक सजा देने का अमानवीय अपराध किया | जिसके बारे में जानकारी रामराज के बारे में भी जानने पर मिलता है जब राम ने शंभुक की हत्या सिर्फ इसलिये कर दिया था क्योंकि उसने रोक के बावजुद भी वेद ज्ञान प्राप्त कर लिया था | क्योंकि मनुस्मृति लागू करके वेद सुनने बोलने पर रोक लगाकर मनुवादियो ने यह नियम कानून बनाया था कि इस देश के मुलनिवासी वेद सुने तो कान में गर्म लोहा पिघलाकर डाला जाय , और वेद बोले तो उसका जीभ काटा जाय , जिस तरह के अनगिनत क्रुर नियम कानून मनुवादियो ने मनुवादी राजा बनकर अपने मनुस्मृती संविधान को लागू करके शंभुक प्रजा का शोषन अत्याचार के जरिये  अपनी सेवा और आरती उतरवाने की ढोंग पाखंड इस देश में सुरु किया है | जिसके बाद ढोंग पाखंड छुवा छुत को मानने वाला हिन्दू धर्म है ये साबित करने के लिए उन्होने घर के भेदियो की सहायता से वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ करने की कुकर्म भी सुरु किया है | जो आज भी जारी है , क्योंकि आज भी इस देश में मनुवादि सत्ता घर के भेदियो की वजह से ही कायम होकर घर के भेदियो के ही समर्थन से वेद पुराणो के साथ साथ अजाद भारत का संविधान में भी मिलावट और छेड़छाड़ होना निश्चित होकर जारी है | जो कार्य अल्पसंख्यक मनुवादि बहुसंख्यक मुलनिवासी जो विभिन्न धर्मो में बंटे हुए हैं , उनके बिच मौजुद घर के भेदियो की सहायता के बिना कर ही नही सकते | जैसे कि यदि आज मुलनिवासि एकजुट हो जाय और घर के भेदि भी मुलनिवासियो का साथ देना छोड़कर अपने घर को बचाने में जुट जाय तो मनुवादि सत्ता ईवीएम मशिन छेड़छाड़ करके भी किसी भी किमत पर कायम नही हो पायेगी | क्योंकि सिर्फ आरक्षित सिटो पर ही तो इतने सांसद इस देश के मुलनिवासी चुनकर आते हैं , कि आरक्षण के रहते हुए ईवीएम मशिन से भि छेड़छाड़ करके मनुवादि सत्ता कभी कायम नही हो सकती | लेकिन भी यह सब कुछ जानते हुए मनुवीदी दबदबा कायम पार्टी को ही सबसे अधिक वोट क्यों पड़ती है ? हलांकि मेरा मानना है कि गोरो का शासन समाप्त होने के बाद आई मनुवादी शासन में अबतक जितने भी लोकसभा चुनाव हुए हैं , वह इमानदारी से नही बल्कि मनुवादियो द्वारा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का नेतृत्व करते हुए बेईमानी से हुए हैं | जैसे की 2019 ई० का लोकसभा चुनाव भी बेईमानी से हुए हैं | क्योंकि मनुवादी कभी नही चाहते कि उनका देवराज शासन समाप्त हो जाय और इस देश के मुलनिवासि बलि दानव का शासन फिर से स्थापित हो जाय | जिसमे मनुवादियो को फिर से अपनी मनुवादी शासन बेईमानी से लाने और इस देश के मुलनिवासियो को छल कपट से वापस बंधक बनाने के लिए कटोरा धरकर बलिराज दानव से दान पुण्य के रुप में भिख मांगनी पड़े | और भिख मिलने पर मौका देखकर छल कपट से वापस बंधक बनाकर इस देश की धन संपदा से मानो लंगटा लुचा कुबेर सबसे उच्चा धन्ना बनकर झुठी शान की उच्च जिवन वापस चल पड़े | जैसे की गोरो का शासन समाप्त होने के बाद गाँधी के नेतृत्व में भी मानो गाँधी ने नये युग का वामन बनकर अंबेडकर के आगे हाथ फैलाकर मनुवादियो को सबसे उच्चा बनाने के लिए वापस मनुवादियो की शासन स्थापित कर दिया है | वैसे गाँधी के बाद कथित उच्च जातियो की दबदबा वाली मनुवादि पार्टी भी इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासियो से मानो हाथ में कटोरा लिए वोट की भिख ही तो मांगती आ रही हैं | बाकि पार्टियाँ तो अपने मुलनिवासी वोटरो से खुदकी शासन वापस स्थापित करने के लिए वोट मांग रही है | जिन्हे न चुनकर मनुवादि पार्टी को ही बार बार सबसे अधिक वोट देकर छल कपट की मनुवादि सरकार बनाकर आधुनिक भारत शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया झुठी उच्च शान की जिवन कायम होती चली गई है | जिस तरह की परिस्थिती अथवा मनुवादियो की झुठी शान की उच्च जिवन फिलहाल तबतक रहेगी जबतक की इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता वापस स्थापित नही हो जाती | तबतक मनुवादियो की शासन को आनेवाली इस देश की नई पिड़ी अँधकारयुग ही मानेगी | जिस युग में सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला कृषि प्रधान देश में आधी अबादी बीपीएल और आधी अबादी अशिक्षित जिवन जिने को मजबूर है | और यदि वाकई में मनुवादि सबसे बेहत्तर शासन चला रहे हैं यह सोचकर इस देश के मुलनिवासियो द्वारा ही मनुवादियो का शासन को दोहराने में बार बार भारी तादार में वोट दिया जा रहा है तो निश्चित तौर पर उन्हे भी भविष्य में इस बात पर पुरा यकिन हो जायेगा कि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा कायम रहने की वजह से ही इस कृषी प्रधान देश को गोरो से अजादी मिलने के बाद भी घोर बदहाली का दिन देखना पड़ रहा है | जिस बदहाली को स्वीकार न किए जाने की वजह से ही तो वर्तमान में मनुवादि शासन को बार बार चुनकर दरसल इस देश के उन मुलनिवासियो द्वारा अपने ही पाँव में बार बार कुल्हाड़ी मारा जा रहा है जो कि मनुवादि सरकार को वोच कर रहे हैं | जिससे मनुवादियो के जिवन में खुशहाली और इस देश के मुलनिवासियो के जिवन में सबसे अधिक गरिबी और भुखमरी के साथ साथ शोषन अत्याचार और असुरक्षा मौजुद है | हलांकि वर्तमान में मनुवादियो के जिवन में भी असली खुशियाली मौजुद है कि नही यह तो उनकी आनेवाली नई पिड़ी तय करेगी | जैसे की अभी गोरो की नई पिड़ी तय कर रही है कि गोरो द्वारा कई देशो को गुलाम करके और करोड़ो लोगो का शोषन अत्याचार करके खुशहाली जिवन थी की वर्तमान में खुशहाली जिवन है | जिन गोरो से अजादी तो कई दशक पहले ही मिल चुकी है पर मनुवादियो के शोषन अत्याचार से अजादी आखिर कब मिलेगी ? वह भी तब जबकि इतने सारे लोकसभा सीट अजाद भारत का संविधान द्वारा आरक्षित है कि एक झटके में मनुवादियो की शासन से अजादी मिल सकती है | बल्कि मुलनिवासी सत्ता कायम होने के बाद जिस तरह सरकारी नौकरी में पिछड़ो को भी आरक्षण दिया गया , उसी तरह आरक्षण कोटा को बड़ाकर संसद में भी पिछड़ो को आरक्षण मिलनी चाहिए | बल्कि उससे भी बड़कर आरक्षण इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , जिनके मूल पुर्वज मनुवादियो के शोषण अत्याचार से हजारो सालो से छुटकारा पाने के लिए संघर्ष किए हैं , उन सभी को आरक्षण मिलने का अधिकार प्राप्त होनी चाहिए | क्योंकि इस देश के मुलनिवासी जो चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हैं , सभी के पुर्वज और डीएनए एक हैं | जो मनुवादियो के द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले देवताओ की पुजा नही बल्कि बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाकर सृष्टी के कण कण में मौजुद उस साक्षात प्राकृतिक की पुजा करते थे , जिससे सारे धर्मो के भक्तो की जिवन मरन साक्षात प्रमाणित तौर पर जुड़े रहने के साथ साथ सारी सृष्टी प्रमाणित तौर पर कायम है | जो प्राकृतिक पुजा परंपरा आज भी इस कृषि प्रधान देश में कायम है | जिसे बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार के रुप में देखा जा सकता है | बस हिन्दु धर्म को पुरी तरह से मनुवादि धर्म बनाने के लिए हिन्दु धर्म में मौजुद बारह माह मनाई जाने वाली प्राकृतिक पर्व त्योहारो में भी मनुवादियो के द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ किया जाना जारी है | क्योंकि जैसा कि इससे पहले बताया कि मनुवादियो ने अपने पुर्वज लापता या स्वर्गवासी देवो की पुजा करने की परंपरा और छुवा छुत तो मनुस्मृती रचना करके वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ करके जोर जबरजस्ती सुरु किया है | जो जोर जबरजस्ती परंपरा मनुवादियो की सत्ता रहने तक चलेगी | जो मनुवादि सत्ता समाप्ती के बाद सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का हिन्दु धर्म क्या है , पुरी दुनियाँ ठीक से समझ पायेगी | जिससे पहले हिन्दु धर्म इसी तरह मनुवादियो को कट्टर हिन्दु कहकर बदनाम होता रहेगा जैसा कि हजारो सालो से बदनाम होता आ रहा है | क्योंकि हजारो सालो से अबतक मनुवादियो की सत्ता से पुरी अजादी नही मिली है | पर बदनाम करने वाले यह बात हमेशा याद रखे कि अंबेडकर भी हिन्दु थे , और हिन्दु रहकर ही मनुवादियो के शोषन अत्याचार जड़ को सबसे अधिक उखाड़ फैंकने  की कोशिष मजबुती से किये थे | जिन्होने सारे वेद पुराण भी पढ़े थे , और वेद पुराण ज्ञान मंदिरो में प्रवेश कराने का संघर्ष भी किये थे | जहाँ पर मनुवादियो ने खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित घोषित करके कब्जा जमाया हुआ है | जिनको करारा जवाब अंबेडकर ने वेद पुराणो का ज्ञान हासिल करने के साथ साथ हिन्दु रहकर ही देश विदेश में मनुवादियो से भी ज्यादा उच्च ज्ञान डिग्री हासिल करके दिये | और बाद में हिन्दु रहते भारत का संविधान रचना भी किया | न की अपना हिन्दु धर्म बदलकर उन्होने ये सारी कामयाबी हासिल किये थे | जिन्हे मेरे विचार से अपने मुलनिवासि पुर्वजो के हिन्दु धर्म से निकलने के बजाय अंतिम तक डटे रहकर मनुवादियो के द्वारा मिलावट किये गए वेद पुराणो में मौजुद मनुवादियो के ढोंग पाखंड छुवा छुत को निकाल बाहर करना चाहिए था | जैसा कि उन्होने हिन्दु रहते मनुस्मृती को जलाकर छुवा छुत और ढोंग पाखंड मिटाने का प्रयाश किया था | न कि सारे वेद पुराणो को जलाया था | जिसमे मनुस्मृति सोच की मिलावट की गयी है | क्योंकि ढोंग पाखंड और छुवा छुत करना हिन्दु धर्म के वेद पुराण नही सिखलाता है | बल्कि ढोंग पाखंड और छुवा छुत करना मनुस्मृती सिखलाता है | जिस मनुस्मृति में मौजुद ढोंग पाखंड और छुवा छुत की मिलावट हिन्दु वेद पुराणो में भी की गई है | जिस मनुस्मृती को अंबेडकर ने जलाकर भारत का संविधान रचना हिन्दु धर्म में रहते हुए किया है | अंबेडकर हिन्दु रहते कभी नही छुवा छुत ढोंग पाखंड किये | क्योंकि ढोंग पाखंड छुवा छुत मनुवादि करते हैं , जो असली हिन्दु नही हैं | जिनका डीएनए यहूदियो से मिलता है |  हम कह सकते हैं  असली हिन्दु अंबेडकर ने भारत का संविधान रचना किया है | जो दुसरे धर्म में रहते तो सायद भारत का संविधान रचना नही कर पाते | और न ही मनुवादियो को इतना झटका दे पाते | जैसे की अंबेडकर ने हिन्दु रहते छुवा छुत ढोंग पाखंड के खिलाफ आंदोलन चलाते हुए मनुस्मृति को जलाकर भारत का रचना किये | जिस भारत का संविधान रचना करने वाले अंबेडकर कभी भी ढोंग पाखंड और छुवा छुत किये थे क्या ? बल्कि अंबेडकर ने तो सारे वेद पुराण का ज्ञान लेते हुए देश और विदेश में भी उच्च डिग्री भी हासिल किया है | जाहिर है इस देश के मुलनिवासियो को हजारो साल पहले दास दासी बनाकर और खुदको कट्टर हिन्दु कहकर मनुवादियो ने वेद पुराणो में अपनी मनुस्मृती सोच की मिलावट किया है | इसलिए हिन्दु धर्म ढोंग पाखंड से भरा लगता है | जो ढोंग पाखंड और छुवा छुत बाहर से आए मनुवादियो द्वारा रची गई है | जैसे की इस देश की कृषि में भी बहुत सी खराबी बाहरी मिलावट की वजह से आ गई है | जिस बाहरी मिलावट से क्या हम यह मान लेंगे की इस कृषि प्रधान देश में कृषी उन बाहरी कबिलई लोगो की देन है , जिन्होने इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम और दास दासी बनाकर शोषन अत्याचार किया है ?

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