मुस्लिम शासन में जजिया कर न देने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादि , आखिर कब अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दु बने ?

मुस्लिम शासन में जजिया कर न देने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादि , आखिर कब अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दु बने ?

हिन्दु धर्म परिवर्तन करने और हिन्दु धर्म परिवर्तन करने पर विचार कर रहे मुलनिवासी इसे एकबार जरुर पढ़ें | और साथ साथ इस ज्ञान को बांटकर उन गलतफेमियों को दुर करें , जिनकी वजह से यहूदि डीएनए के मनुवादियो को असली हिन्दु कहा जाता है | जिन मनुवादियो से जजिया कर भी नही लिया जाता था | जो कि मुस्लिम शासन में हिन्दुओ से लिया जाता था | दरसल यहूदि डीएनए के मनुवादि , हजारो साल पहले इस सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति अथवा कृषि प्रधान देश में प्रवेश किए , और गोरो की तरह छल कपट फुट डालो राज करने की नीति अपनाकर , और साथ साथ घर के भेदियो की सहायता से , इस देश की सत्ता हासिल करके धिरे धिरे सिंधु से जुड़ा हिन्दु धर्म को भी कब्जा किए | जिसके बाद ही यहूदि डीएनए के मनुवादियो ने हिन्दु वेद पुराणो में मनुस्मृति सोच की मिलावट और छेड़छाड़ किया है | ताकि मुलता कबिलई मनुवादि इस कृषि प्रधान देश में अपनी ढोंग पाखंड का व्यापार को नशे का व्यापार की तरह ही चला सके | साथ साथ इस देश की कृषी सभ्यता संस्कृति और इतिहास के साथ भी लंबे समय से छेड़छाड़ और मिलावट करके अपनी ढोंगी पाखंडी मनुस्मृती सोच का अपडेट करना जारी रख सके | जैसे कि गोरो के द्वारा भी इस देश में प्रवेश करके देश को गुलाम बनाने के बाद लंबे समय तक अपनी सत्ता कायम रखने के लिए इस देश की सभ्यता संस्कृति और इतिहास के साथ बहुत सी छेड़छाड़ किया गया है | क्योंकि लिखित इतिहास के साथ साथ हिन्दु वेद पुराणो में भी प्रकृति भगवान पुजा समेत इस देश की सभ्यता संस्कृति , प्रकृति भुगोल , परिवार समाज , गणतंत्र और इस देश के मुलनिवासियो के बारे में बल्कि बाहर से आने वाले मनुवादियो के बारे में भी बहुत सी जानकारी मौजुद है | जो जानकारी बाहर से आने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादियो द्वारा हासिल नही की गई है , बल्कि इस देश के मुलनिवासियो द्वारा हजारो सालो की अपनी खुदके द्वारा इकठा की गई है | क्योंकि जो मनुवादि अपने पुर्वजो की मुल भुमि जहाँ से वे आए थे , उसके बारे में हजारो साल बाद भी अबतक कोई खास जानकारी बता नही सके हैं , वे हजारो साल पहले हिन्दु वेद पुराणो में मौजुद इस देश और प्रकृति भगवान , बल्कि सृष्ठी के बारे में जो ज्ञान मौजुद है , उसके बारे में हजारो साल पहले कृषि से भी अनजान रहने वाले मनुवादि कैसे जान सकते हैं ! वह भी तब जब मनुवादियो के बारे में यह भी संभावना व्यक्त की जाती है कि मनुवादि जब हजारो साल पहले इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किए थे उस समय वे संभवता कपड़ा पहनना भी नही जानते थे | और न ही परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में उन्हे ज्ञान मौजुद था | जो इस देश में प्रवेश करने के बाद इस देश की नारी के साथ रिस्ता जोड़कर देव दासी बनाकर संभवता पहली बार परिवार समाज के बारे में जाना समझा है | जिससे पहले वे किस परिवार समाज में पैदा होकर इस देश में आए और अपने से अलग डीएनए के लोगो से रिस्ता बनाये , इसके बारे में वेद पुराणो में भी जानकारी सायद ही मौजुद है | हाँ वेद पुराणो में मनुवादियो के बारे में यह जानकारी जरुर मौजुद है कि मनुवादि इस देश में बाहर से आकर इस देश के मुलनिवासियो से लड़ाई लड़कर छल कपट और घर के भेदियो की सहायता से सत्ता पर कब्जा किया है | जैसे की कभी गोरो ने भी अपना पेट पालने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश में पहले तो कुछ कमाई करने के लिए व्यापार करने के नाम से ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जगह मांगा , उसके बाद मानो भुखे प्यासे गोरो को पेट भरने के लिए जिस थाली में खाने को दिया गया उसी में छेद करके ईस्ट इंडिया कंपनी को लुट इंडिया कंपनी के रुप में अपडेट करके देश को गुलाम बनाया | जिसके बारे में इतिहास मौजुद है कि मुठीभर गोरो ने किस तरह से इस देश को गुलाम बनाया ! जैसे कि मनुवादियो के पुर्वज भी इस देश में कब्जा करते समय मुठीभर ही मौजुद थे | जो अपना वंशवृक्ष को बड़ा इस देश की नारियो से रिस्ता जोड़कर  देव दासी बनाकर किया है | बल्कि वेद पुराणो में तो मनुवादियो के पुर्वज देवो के बारे में ज्यादेतर बार बार असुर दानव राक्षसो से युद्ध हारने के बारे में ही चर्चा मौजुद है | एकबार तो रहने का जगह वगैरा के लिए हाथ में कटोरा लेकर देवो के अवतार माने जाने वाले वामन देवता को बलि दानव सम्राट के सामने भिख मांगते हुए बतलाया गया है | जिस वामन को भी दानव राज बलि सम्राट ने जिस थाली में खाने को दिया गोरो की ही तरह उसने भी उसी में छेद करके देवो ने बलि सम्राट को उनके ही जेल में कैद करके सत्ता पर कब्जा कर लिया | जाहिर है यदि इस देश के मुलनिवासि द्वारा रचे गए वेद पुराणो से मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड की मिलावट और छेड़छाड़ को हटा दिया जाय , और उसे उसका असली रुप में वापस लाया जाय तो उसमे साक्षात प्रकृति भगवान के बारे में , और इस देश की कृषी सभ्यता संस्कृति और इतिहास के बारे में विस्तार पुर्वक ज्ञान मौजुद है | जो पिड़ी दर पिड़ी वेद पुराण ज्ञान के रुप में इकठा होते  गई है | क्योंकि तब कोई लिखाई पढ़ाई की सुरुवात नही हुई थी , बल्कि सिर्फ वेद अथवा बोल सुनकर पुराण अथवा देख दिखाकर ज्ञान ली और बांटी जाति थी | जैसे की वर्तमान में भी बहुत सी प्रकृति विज्ञान खोज और बहुत सी अन्य जरुरी जानकारी बोल सुनकर बल्कि अब तो लिखकर भी इकठा होते जा रही है | जो इतिहास में अब लिखित और ऑडियो विडियो रिकॉर्ड में भी दर्ज होते जा रही है , और आगे भी होगी | जिस तरह की ही जानकारियो के साथ छेड़छाड़ और ढोंग पाखंड नशे की मिलावट की गयी है | जिसके बारे में सारांश में बात की जाय तो वेद पुराणो में छेड़छाड़ करके मनुवादियो ने प्रकृतिक भगवान पुजा को अपने पुर्वज देव की पुजा साबित करने के लिए अपने पुर्वजो को सृष्टी का रचनाकार और पालनहार बतलाकर पुज्यनीय और इस देश के मुलनिवासियो के पुर्वजो को दानव राक्षस असुर के रुप में बिलेन बनाने का प्रयाश किया है | क्योंकि गुलाम और दास दासी बनाकर शोषन अत्याचार करने वालो की नजरो में गुलाम और दास दासी बनने वाले बिलेन ही होते हैं | तभि तो वे उनके साथ बर्बता पुर्वक जुल्म अत्याचार करते हैं | जैसे कि मनुवादियो ने इस देश के मुलनिवासियो के साथ किया है | जो कि आजतक भी गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी ददबदबा कायम रखकर मिली शक्तियो का गलत उपयोग करके भेदभाव शोषन अत्याचार कर रहे हैं | जिस तरह के पापो को छुपाने और अपने कुकर्मो को सही साबित करने के लिए ही तो बार बार ढोंग पाखंड मिलावट की जाती है | ताकि अपने किए कुकर्म और पापो को छुपाकर अपनी पुजा कराने और इस देश के मुलनिवासियो पर राज करने के बाद आई झुठी शान को बरकरार रखा जा सके | जिसके लिए शोषन अत्याचार करने वाले थोड़ी बहुत भलाई का भी कार्य करते रहते हैं , जैसे की देश को गुलाम करने वाले गोरे भी कर रहे थे | हलांकि चूँकि सत्य को भले छल कपट ढोंग पाखंड का सहारा लेकर कुछ समय के लिए छुपाया जा सकता है , पर उसे मिटाया नही जा सकता , इसलिए मिलावट और छेड़छाड़ के बाद भी वेद पुराण और इतिहास में मनुवादियो और उनके पुर्वज देवताओ के द्वारा किये गए बलात्कार और भेदभाव जैसे कुकर्मो की जानकारी भरे पड़े हैं | बल्कि मनुवादियो के द्वारा रचे गए मनुस्मृति में भी मनुवादियों के पापो के बारे में जानकारी भरे पड़े हैं कि किस तरह  मनुवादियो द्वारा खुदको उच्च जाति घोषित करके , हजारो सालो से छुवा छुत ढोंग पाखंड शोषन अत्याचार , इस देश के मुलनिवासियो के साथ क्रुर तरिके से किया गया है | बल्कि अभी भी कथित देव के वंसज मनुवादियो द्वारा पिड़ी दर पिड़ी शोषन अत्याचार का सिलसिला जारी है | आज भी कई जगह ये बोर्ड लगा मिल जायेंगे जहाँ पर ये लिखा रहता है कि अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है | जिस तरह की छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वालो की पुजा हिन्दु धर्म में कतई नही होती है | जैसे की देश गुलाम करके गेट में कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है लिखने वाले गोरो की पुजा नही होती है | बल्कि हिन्दु धर्म में सृष्टी के कण कण में साक्षात प्रकृति भगवान की पुजा होती है | जिसे पेड़ पौधा पहाड़ पर्वत नदी हवा पानी वगैरा रुप में पुजा जाता है | जिस प्रकृति भगवान से सभी धर्मो के भक्तो समेत सभी नास्तिको की भी जिवन जुड़ी हुई है | जैसे कि हवा पानी बंद होने के बाद किसी भी धर्म के भक्तो के जिवन में जिन्दगी का सफर करना नामुमकिन है , चाहे वे जितनी बार मंदिर मस्जिद और चर्च वगैरा में जाकर दुवा कर ले ! जिस प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में होती है | जिससे जुड़े बारह माह मनाई जाने वाली पर्व त्योहारो के बारे में बेहत्तर तरिके से जानकर बल्कि खुदके अंदर भी प्रयोगिक रुप से समझा जा सकता है कि हिन्दु धर्म में मनुवादियो के पुर्वज देवो की पुजा होती है कि प्रकृति भगवान की पुजा होती है | जिस प्रकृति भगवान के बारे में गलत जानकारी देकर अथवा मनुवादियो के पुर्वज देवो की पुजा के रुप में दरसल ढोंग पाखंड नशे का मिलावट करके धिरे धिरे हिन्दु धर्म में कब्जा किया गया है | जिसके बाद ही मनुस्मृती रचना करके और उसे लागू करके मनुवादियो द्वारा इस देश के मुलनिवासियो के साथ शोषन अत्याचार का सिलसिला सुरु हुआ है | जाहिर है यहूदि डीएनए के मनुवादियो के द्वारा शोषन अत्याचार का शिकार होने वाले इस देश के करोड़ो मुलनिवासियो ने अपने पुर्वजो का हिन्दु धर्म को यू ही नही बदला है | जिन मुलनिवासियो ने मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषन अत्याचार के चलते अपने पुर्वजो के हिन्दु धर्म को मनुवादियो का धर्म बतलाकर अपना धर्म परिवर्तन किए हैं | दरसल मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड करके शोषन अत्याचार करने की वजह से मुल हिन्दु अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं | मनुवादियो के शोषन अत्याचारो से छुटकारा अपना धर्म परिवर्तन करके मिल जायेगा यह सोचकर अपने हिन्दु धर्म परिवर्तन करके दुसरे धर्मो में जाने का सिलसिला अबतक भी जारी है | जैसे कि कब्जा धारियो द्वारा किसी स्थानिय मुलनिवासी के उपजाउ जमिन पर कब्जा होने के बाद , स्थानिय मुलनिवासियो द्वारा विस्थापित होने का सिलसिला सुरु हो जाती है | जिस कब्जा हुई उपजाउ जमिन पर यदि कोई कब्जाधारी दारु का भट्ठी खोलकर दारु का व्यापार करने लगे तो उस उपजाउ जमिन को यह कहकर नही छोड़ देना चाहिए कि वह जमिन कब्जाधारियो की है | बल्कि उपजाउ जमिन को कब्जाधारियो से मुक्त करके , और दारु का भट्ठी बंद करके वापस हरियाली लानी चाहिए | जो हरियाली ही इस देश और इस देश के मुलनिवासियो के लिए ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ के लिये खुशियो की हरियाली लायेगी | जिसे लाने के लिए चाहे क्यों न अनगिनत बार अपनी पुरी जिवन इंसानो द्वारा बनाया अलग अलग कई धर्म परिवर्तन करते रहो , दुनियाँ में कोई धर्म आजतक ऐसा नही बना है जो खुदको ये साबित कर दे की उसी धर्म को एलियन भी अपनाए हुए हैं | हाँ एलियन को भी प्रकृति भगवान के महत्व और जरुरत के बारे में जरुर पता होगा | बल्कि सौ प्रतिशत जरुर पता होगा कि बिना प्रकृति के वे जहाँ भी हैं एक पल भी टिक नही सकते |  जो इस पृथ्वी पर मौजुद इंसानो द्वारा बनाया गया अलग अलग कई धर्मो को बिना अपनाये संभवता इंसानो से भी पहले से ही इस सृष्टी में ही कहीं पर प्रकृति की गोद में जिवन यापन कर रहे हो | हलांकि क्या पता इंसान ही पुरी सृष्टी में एकलौता ऐसा चिराग हो जो एकदिन प्लास्टिक और परमाणु बमो की ढेर में खुदको ही बुझाने के बाद डायनासोर की तरह बहुत सारी रहस्यमय राख छोड़कर लुप्त हो जायेगा |  

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