पर्यावरण Environment और इंसानियत humanity को भेदभाव से खतरा और हानि

भेदभाव करना धर्म और इंसानियत बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होता है
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हिन्दू राष्ट्र की तरह यहूदि राष्ट्र , मुस्लिम राष्ट्र , ईसाई राष्ट्र , बौद्ध राष्ट्र का विरोध क्यों नही ? क्या इन राष्ट्रो में दुसरे धर्मो के लोग नही रहते हैं ! सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला यह कृषि प्रधान देश आजतक कभी भी खुदको हिन्दू राष्ट्र घोषित नही किया है | क्योंकि इस देश के मुलनिवासियों ने कभी भी धर्म के नाम से पुरी दुनियाँ में झंडा गाड़ने की अभियान नही चलाया है | बल्कि अभियान चलाने वाले बहुत बाद में इस कृषि प्रधान सागर देश को छोटे छोटे टुकड़ो में बांटकर धर्म के नाम से झंडा गाड़ते जा रहे हैं | जिसके लिए तेज गति से हिन्दू धर्म के बारे में यह गलत प्रचार पसार किया जा रहा है कि मनुवादी मुल हिन्दू हैं | ताकि मुल हिन्दू छुवा छुत करता है और मनुस्मृति हिन्दू धर्म का धार्मिक पुस्तक है , यह झुठ फैलाकर हिन्दू धर्म के प्रति हिन भावना उत्पन्न किया जा सके | जिस तरह की प्रक्रिया के बारे में जानकर तो यही लगता है कि विदेशो में जन्मे धर्म के साथ मिलकर इस देश के मनुवादी ही दरसल हिन्दू राष्ट्र का विरोध आग लगाकर मुल हिन्दूओं के भितर हिन्दू धर्म के प्रति हिन भावना उत्पन्न करके और मनुवादियों द्वारा अबतक भी भेदभाव लगातार जारी रखके इस कृषि प्रधान देश के बहुसंख्यक sc,st,obc हिन्दूओं को धिरे धिरे धर्म परिवर्तन कराकर उनके नाम से इस देश का टुकड़ा टुकड़ा आगे भी करके कई मुस्लिम ईसाई बौद्ध राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया मंद गति से चल रही है | हिन्दू राष्ट्र का विरोध करना तो बहाना है , असल में तो दुसरे धर्मो के नाम से राष्ट्र बनाना निशाना अथवा मुल लक्ष है | जो लक्ष पुरा तभी हो सकता है जब धिरे धिरे सभी sc,st,obc हिन्दूओं को धर्म परिवर्तन कराने के लिए हिन्दू धर्म के प्रति हिन भावना मनुवादीयों द्वारा मिल जुलकर उत्पन्न किया जा सके | जिससे मनुवादियों को भी खास गुप्त फायदा जुड़ा हुआ है | क्योंकि हिन्दू नकाब लगाकर मनुवादी जिस हिन्दू धर्म की ठिकेदारी करके हिन्दू धर्म के नाम से खुब सारा जमा दान और बहुत सारे अन्य लाभ ले रहे हैं , उस लाभ का सिंघाशन भी मुल हिन्दूओं के एकजुट होने से डोल रहा है | क्योंकि मुल हिन्दू sc,st,obc ही तो हिन्दू धर्म , हिन्दू वेद पुराण और होली दिवाली मकर संक्रांति जैसे हिन्दू पर्व त्योहार के जनक हैं , न कि यहूदि डीएनए का मनुवादी मुल हिन्दू हैं | दरसल हिन्दू धर्म में ढोंग पाखंड का मिलावट करके हिन्दू नकाब लगाकर कबिलई यहूदि डीएनए का कबिलई मनुवादियों ने इस कृषि प्रधान देश के हिन्दू धर्म की ठिकेदारी ले रखा है |  जिस ठिकेदारी को बचाने के लिए भी मिल जुलकर मुल हिन्दूओं के मन में हिन्दू धर्म के प्रति हिन भावना उत्पन्न करने के लिए मनुवादियों द्वारा अबतक भी भेदभाव शोषण अत्याचार करना जारी है | ताकि हिन्दू सभ्यता संस्कृति की विरासत को आगे ले जानेवाले दुसरे धर्मो में चले जाय और मनुवादी अपना ढोंग पाखंड छुवा छुत सभ्यता संस्कृति को हिन्दू सभ्यता संस्कृती में पुरी तरह से मिलाकर खुदको बचा हुआ मुल हिन्दू घोषित कर सके | जिन मनुवादियों का सहयोग करने के लिए दुसरे धर्मो में मौजुद झुठे लोगो के द्वारा यह झुठ फैलाना भी जारी है कि मुल हिन्दू मनुवादी हैं | जो सारी प्रक्रिया मिल जुलकर उन लोगो द्वारा चलाया जा रहा है जिनके जैसे झुठे लोग लंबे समय से इस कृषि प्रधान देश के मुल हिन्दू sc,st,obc को तोड़ने की कोशिष मनुवादीयों से मिल जुलकर करते आ रहे हैं | जो आज भी तोड़ने के लिए ही तो यह झुठ फैला रहे हैं कि मुल हिन्दू मनुवादी है | जिस तरह की झुठ फैलाने वाले मनुवादी से मिले हुए हैं | जो बात यदि सत्य नही होती तो पाकिस्तान बंग्लादेश और श्रीलंका का भी जमकर विरोध होता रहता उसके द्वारा धर्म के नाम से राष्ट्र स्थापित होने पर | क्योंकि ये अखंड सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला कृषि प्रधान देश कोई अरब के कबिलई राष्ट्र नही हैं कि यहाँ पर हिन्दूओं द्वारा शासक बनने का अधिकार छिन लिया जाय और धर्म के नाम से पाकिस्तान बंग्लादेश श्रीलंका अलग करके उसे किसी खास धर्म का राष्ट्र बना दिया जाय | वह भी उन अल्पसंख्यक विदेशी मुल के लोगो की धार्मिक गुलामी कॉपी करने के लिए जो संविधान का राज नही बल्कि अपनी धर्म पुस्तको का राज कायम पुरे विश्व के कई देशो में धर्म के नाम से देश का बंटवारा करके किये हुए हैं | जिनके द्वारा इस कृषि प्रधान देश में भी उन कबिलई देशो की तरह टुकड़ा टुकड़ा करके धर्म के नाम से राज करने का लक्ष है , जहाँ पर किसी एक धर्म का राज चलता है | तभी तो वे अपनी सत्ता जहाँ भी कायम करते जा रहे हैं , वहाँ पर उस एक धर्म के आधार पर राष्ट्र घोषित करते जा रहे हैं | जहाँ पर दुसरे धर्मो के लोगो की सत्ता कायम नही हो सकती | जिस तरह की धर्म के नाम से राष्ट्र इस देश को भी तो बांटकर पाकिस्तान बंग्लादेश और श्रीलंका बनाया गया है | जहाँ पर दुसरे धर्मो के लोग शासक बनना तो दुर नागरिकता लेकर समान्य जिवन भी नही जी रहे हैं , ऐसी शिकायत मिलती रहती है | जिन्हे अपने ही पुर्वजो का देश में नागरिकता लेने के लिए आज CAA की आग क्यों लगी हुई है यह बताने की आवश्यकता नही है | क्योंकि खंड खंड करके इस देश में भी यहूदि डीएनए का मनुवादी हिन्दू नकाब लगाकर धर्म के नाम से मुलनिवासियों को आपस में लड़ाकर अपने मनुस्मृति राज कायम करना चाहता है | हो सकता है मनुवादी द्वारा इस देश से और एक टुकड़ा अलग करने के लिए उत्तर पूर्व क्षेत्र असम में NRC चिंगारी लगाया गया हो | जो पुरे देश में धर्म के नाम से विक्राल रुप धारन करे और मनुवादी उसके बहाने एक और देश बनाने की मांग सुरु करवा दे उन झुठे लोगो के साथ मिलकर जिन्हे भी मनुवादीयों की तरह सिर्फ झुठी शान की चिंता ज्यादे है | जाहिर है यदि इस देश का बंटवारा धर्म के आधार पर मुस्लिम राष्ट्र बौद्ध राष्ट्र नही होता तो न तो कश्मिर समस्या पैदा होकर अरब में लगी यहूदि मुस्लिम नफरत आग की तरह लगती और न ही CAA आग लगती | जो आग लगाने वाला मनुवादी दरसल डीएनए से यहूदि है , जो बात इस देश के मुलनिवासियों को नही भुलनी चाहिए , चाहे अभी जिस धर्म को अपनाये हुए हो | जो आग इस देश में न लगे इसके लिए धर्म के नाम से बांटो और राज करो का नीति का विरोध देश बंटवारा के समय अपना धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम और बौद्ध बने मुलनिवासियों को करना चाहिए था | क्योंकि सारे धर्मो के लोग इस कृषि प्रधान देश में अब भी मिल जुलकर जब रह रहे हैं तो मुस्लिम और बौद्धो को अलग से देश मांगने की क्या जरुरत थी | पाकिस्तान से अधिक मुस्लिम इस देश में अब भी मौजुद हैं | जो भी निश्चित रुप से धर्म के नाम से देश का बंटवारा कभी नही करना चाहते थे | बिना खास वजह धर्म के नाम से देश मांगा गया | दरसल मांगा नही बल्कि धर्म परिवर्तन कराकर उन लोगो से मंगवाया जाता है , जिन्हे लगता है कि धर्म के नाम से राष्ट्र घोषित करने से अमन प्रेम सुख शांती समृद्धी कायम हो जाता है | जो बात यदि सत्य होती तो आज जितने भी धर्म के आधार पर राष्ट्र बने हुए हैं , उन सभी देशो में खासकर अरब यूरोप देशो में इतनी अमन प्रेम सुख शांती समृद्धी कायम कबका हो गया रहता कि अरब यूरोप यूरेशिया के कबिलई देशो से विदेशी मुल के लोग गुलाम करने और लुटपाट करने कभी भी इस कृषि प्रधान देश में नही आते | जिन क्षेत्रो के अशांत रहने की वजह से ही तो यह सागर जैसा स्थिर कृषि प्रधान देश भी गुलाम होकर और अपनी सुख शांती बल्कि बहुत सारे धन संपदा खोकर आज उस अशांती को भुगत रहा है जो भी बाहर से उन अरब यूरोप यूरेशिया से आये मनुवादियों गोरो और बाहर से आए मुस्लिम शासको द्वारा लाया गया है | जिन सबका डीएनए विदेशी डीएनए था | जैसे कि मनुवादियों का डीएनए और कबिलई यहूदियों का डीएनए एक है | जाहिर है इस कृषि प्रधान देश में भी विदेशी मुल के कबिलई द्वारा ही प्रवेश करके अशांती कायम किया गया है | चाहे धर्म परिवर्तन कराके देश मंगवाने के बाद अशांती अपडेट हुआ हो , या फिर धर्म के नाम से मनुवादियों द्वारा वोट मंगवाकर अशांती अपडेट होता आ रहा हो ! आजतक भी विदेशी मुल के मनुवादीयों द्वारा sc,st,obc मुल हिन्दूओं को हिन्दू धर्म के नाम से वोट मंगवाकर चुनाव जीता जाता है | इतने समय तक इस कृषि प्रधान देश में कबिलई मनुवादी अशांती राज इसलिए कायम है , क्योंकि यहूदि DNA का मनुवादि हिन्दू नकाब लगाकर हिन्दू धर्म की ठिकेदारी करते हुए , बहुसंख्यक हिन्दूओं की वोट को हासिल करके लगातार लोकसभा चुनाव जितते आ रहा हैं | जिन मनुवादियों को दुसरे धर्मो के धर्म प्रचारक भी मुल हिन्दू मनुवादि हैं , और sc,st,obc मुल हिन्दू नही हैं , यह झुठ बांटकर दरसल झुठे लोग मनुवादियों का विशेष साथ दे रहे हैं | क्योंकि सत्य बात तो यही है कि मुल हिन्दू sc,st,obc हैं | जो न तो छुवा छुत करता है , और न ही धर्म के नाम से देश मांगने की बात करता है | लेकिन भी हिन्दू धर्म के प्रति ऐसी हिन भावना उत्पन्न किया जा रहा है , जैसे सभी हिन्दू छुवा छुत करने वाले होते हैं | जबकि यदि मनुवादियों को हिन्दू न माना जाय तो हिन्दू धर्म में छुवा छुत नही होता है भले बाकि धर्मो में होता है | क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि sc,st,obc जो कि मुल हिन्दू हैं , वे छुवा छुत नही करते हैं | जो अपना धर्म परिवर्तन करने के बावजुद भी मिल जुलकर गोरे के खिलाफ अजादी की लड़ाई लड़ते रहे हैं | जो अजादी संघर्ष करते समय न तो धर्म के नाम से देश मांगने के बारे में कभी सोचते थे , और न ही धर्म के आधार पर सरकार चुनने की बाते सोचते थे | लेकिन इसके बावजुद भी भारत पाकिस्तान बंटवारा धर्म के आधार पर किन लोगो की आपसी बातचीत और समझौता करके किया गया है ? जिसके बारे में किसी को बतलाने की जरुरत नही है कि धर्म के नाम से देश को बांटकर राज करने का फैशला किन विदेशी मुल के लोगो ने खास नेतृत्व करके दुसरे विदेशी गोरो को बिचौलिया बनाकर किया है | जो सब मिले हुए हैं इस कृषि प्रधान देश को बांटकर विवाद पैदा करने में | क्योंकि देश का बंटवारा इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी कभी करना ही नही चाह रहे थे , चाहे वे क्यों न लंबे समय से उन मनुवादियों की शोषण अत्याचार से अजादी पाने के लिए अपने पुर्वजो का धर्म को बदल लिये हो | दरसल धर्म बदलने से मनुवादियों से अजादी मिल जायेगी इस गलतफेमी में ज्यादेतर मुलनिवासियों ने समय समय पर अपना धर्म बदला है | जिसके बावजुद भी वे चाहे जिस भी धर्म को अपना लिये हो , उन्होने धर्म के नाम से देश बंटवारा करने का समर्थन नही बल्कि विरोध करते आए हैं | जो गोरो से अजादी मिलते समय भी ना किसी ऐसी राजनैतिक पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे जिसकी सत्ता देश में कायम होनेवाला था और न ही वे अजादी के समय धर्म के नाम से देश बंटवारा का नेतृत्व कर रहे थे | जो बंटवारा होनी भी नही चाहिए था , खासकर इस कृषि प्रधान देश में जहाँ पर अब भी सभी धर्मो के लोग मिल जुलकर रहते हैं | क्योंकि यह देश आजतक धर्म के नाम से हिन्दू राष्ट्र न तो उस समय घोषित किया गया था ,  जब इस देश में विदेशो में जन्मे धर्मो का प्रवेश भी नही हुआ था , और न ही आज भी हिन्दूओं की अबादी सबसे अधिक होते हुए भी हिन्दू राष्ट्र घोषित किया गया है | भले भारी तादार में हिन्दूओं के द्वारा अपना धर्म परिवर्तन करने की वजह से उनकी अबादी को दिखाकर मुस्लिम और बौद्ध राष्ट्र इसी देश से अलग हुए पाकिस्तान बंग्लादेश और श्रीलंका बन गए हैं | पर श्रीलंका और पाकिस्तान बंग्लादेश का विरोध कभी नही उस तरह से होता है जैसा कि हिन्दू राष्ट्र न होते हुए भी हिन्दू राष्ट्र का विरोध प्रदर्शन होता आ रहा है | ऐसा विरोध प्रदर्शन उसी देश में हो सकता है जिसे धर्म के आधार पर राष्ट्र घोषित नही किया गया है | जिस तरह का विरोध प्रदर्शन धर्म के नाम से पाकिस्तान श्रीलंका और बंग्लादेश का बंटवारा करते समय भी होना चाहिए था | यह कहते हुए कि इस कृषि प्रधान देश में दुनियाँ के सभी धर्मो के लोग मिल जुलकर रहते हैं | हमे नही चाहिए धर्म के नाम से मुस्लिम और बौद्ध राष्ट्र !  इस कृषि प्रधान देश को कबिलई देशो की तरह धर्म के नाम से टुकड़ो टुकड़ो में बांटकर धर्म के नाम से लंबे समय तक चलनेवाला खुन खराबा का आग नही लगाया जाय | पर ऐसा नही हुआ और भारत पाकिस्तान का बंटवारा गोरो की तरह विदेशी मुल का मुस्लिम जिन्ना और यहूदि डीएनए का ब्रह्मण नेहरु के बिच हो गया | तुमलोग उधर शासन करो हमलोग इधर शासन करेंगे | धर्म के नाम से भारत पाकिस्तान बंटवारा करके इस देश के मुलनिवासी sc,st,obc को ठेंगा पकड़ा देंगे ! जो ठेंगा नही पकड़ते यदि अपना धर्म परिवर्तन किये मुलनिवासी मिल जुलकर धर्म के नाम से देश का बंटवारा का विरोध प्रदर्श करते हुए नेहरु और जिन्ना के खिलाफ मोर्चा निकालते | जैसे कि आज पहले से ही मनुवादी शासन रहते हुए भी मनुस्मृति लागु कर दिया जायगा इसकी संभावना व्यक्त करते हुए अक्सर ये नारा लगाते रहते हैं कि हमे धर्म के आधार पर हिन्दू राष्ट्र नही चाहिए | बल्कि sc,st,obc हिन्दूओं द्वारा भी यह विरोध प्रदर्श होता रहता है कि हमे नही चाहिए हिन्दू राष्ट्र ! जबकि हमे नही चाहिए हिन्दू राष्ट्र का नारा लगाने वाले दुसरे धर्मो के नागरिक यदि यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए के मनुवादियों को मुल हिन्दू मानते हैं तो उन्हे पता होना चाहिए कि इस राष्ट्र में अभी मनुवादियों का ही तो सत्ता कायम है | क्योंकि असल में अब भी इस देश में मुल हिन्दू sc,st,obc का शासन नही है | और न ही मनुस्मृति को मुल हिन्दूओं ने रचा है | बल्कि मुल हिन्दू ने अजाद भारत का संविधान रचना किया है | क्योंकि अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले अंबेडकर द्वारा हिन्दू परिवार में जन्म लेकर ही तो तीस से अधिक उच्च डिग्री देश विदेश में प्राप्त करके हिन्दू कोड बिल की भी रचना किया गया है | न कि मुल हिन्दूओं ने उस मनुस्मृति की रचना किया है जिसे अंबेडकर ने इसलिए जलाया था , क्योंकि उसमे मनुवादियों द्वारा रचे गए ऐसे ऐसे भेदभाव शोषण अत्याचार नियम कानून मौजुद हैं , जिसे यदि पुरी दुनियाँ में लागु कर दिया जाय तो मनुवादी द्वारा पुरी दुनियाँ के लोग भेदभाव किये जायेंगे | जिस मनुस्मृति में sc,st,obc को शुद्र और अच्छुत निच घोषित किया गया है , जैसे कि कभी गोरे इस देश के नागरिको को गुलाम घोषित करके राज कर रहे थे | न कि इस देश के नागरिको ने खुदको गुलाम घोषित किया हुआ था | मनुवादियों ने भी शुद्र अच्छुत घोषित किया है न कि इस देश के मुलनिवासियों ने खुदको शुद्र और अच्छुत घोषित किया हुआ है | भेदभाव और गुलाम करने वाले गुनेहगार हैं न कि गुलाम होनेवाले गुनेहगार हैं कि मनुवादियों का गुलाम और गोरो का गुलाम का यह कहकर मजाक उड़ाया जाय कि हिन्दू धर्म की ठिकेदारी करने वाला मनुवादी का गुलामी करना नही छोड़ेंगे ये हिन्दू लोग ! जिस तरह का मजाक उड़ाने वाले गुलाम भारत में शासन करने वाले गोरो का गुलामी करना कभी नही छोड़ेंगे ये हिन्दू लोग कहकर भी मजाक उड़ाते होंगे | बल्कि गोरो ने तो शुद्र अच्छुत बनाने वाले मनुवादियों को भी गुलाम बनाया था | क्योंकि गोरो द्वारा देश गुलाम के समय वे भी इस देश के नागरिक थे | जिसके चलते मनुस्मृति अनुसार उच्च जाति में जन्मे गाँधी के साथ भी गोरो ने भेदभाव करते हुए रेल यात्रा करते समय गाँधी को भी काला इंडियन कहकर रेल डब्बे से बाहर उस समय फैंक दिया गया था जब गाँधी द्वारा यह सोचकर गोरो की तरह सुटबुट लगाकर गोरो के साथ रेल सफर किया जा रहा था कि गोरे सायद गाँधी के साथ भेदभाव नही करेंगे | जैसे कि किसी भी देव मंदिर में प्रवेश करते समय गाँधी के साथ भेदभाव नही होता था | क्योंकि गाँधी उस उच्च जाति परिवार में पैदा लिया था जो खुदको देव के वंशज कहते हैं | जिस उच्च जाति परिवार में जन्म लेनेवाले लोग मनुस्मृति अनुसार शुद्र अच्छुत नही माने जाते हैं | बल्कि शुद्र अच्छुत इस देश के मुलनिवासी माने जाते हैं | जिस तरह के नियम कानुन बनाकर इस देश के मुलनिवासियों के साथ छुवा छुत करने वाले वाले लोग गुनेहगार हैं जो मुल हिन्दू नही हैं | बल्कि मुल हिन्दू वे लोग हैं जो छुवा छुत नही करते हैं | जो बात अबतक बहुत से लोगो को समझ में आखिर क्यों नही आ रहा है कि हजारो साल पहले मनुस्मृति लागु करने वाला मनुवादी असल में हिन्दू ही नही है | जो दरसल हिन्दू नकाब लगाकर फिर से मनुस्मृति लागु करके पुरी तरह से मनुवादी राष्ट्र बनाना चाहता है | न कि हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है | हलांकि अभी भी तो इस राष्ट्र में मनुवादीयों का शासन कायम है | पर साथ साथ चूँकि मुल हिन्दू द्वारा रचे संविधान भी लागु है इसलिए मनुवादी न चाहते हुए भी संसद में इस देश के मुलनिवासियों को प्रवेश करने से नही रोक सकते | पर फिर भी मनुवादी इस देश के मुलनिवासियों के ही बिच मौजुद घर के भेदियों की सहायता से अजाद भारत का संविधान लागु होते हुए भी मनुवादी राज कर रहे हैं | क्योंकि मनुवादी भेदियों की सहायता से अपनी मन मुताबिक CAA जैसे नियम कानुन भी पास करते जा रहे हैं | और उसका गलत उपयोग करके खासकर संविधान की रक्षा और उसे लागु करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को मिला है , वहाँ पर भी अपनी दबदबा कायम करके निडर होकर संविधान के विरोध में जाकर शोषण अत्याचार भी कर रहे हैं | हलांकि यदि मनुवादियों द्वारा हजारो सालो तक इस देश के मुलनिवासियों का शोषण अत्याचार करने के बाद उनमे जरा सी भी बेशर्मी होती तो वे अबतक इस देश की सत्ता इस देश के मुलनिवासियों को सौंप दिये होते | जैसे की गोरो ने बेशर्मी दिखाते हुए सौंपा था | हलांकि उन्होने सौंपा नही बल्कि उनसे अजादी संघर्ष लड़कर लिया गया था | जिस तरह का अजादी संघर्ष मनुवादी सत्ता के खिलाफ भी नारा बुलंद करके होनी चाहिए | क्योंकि मनुवादी शासन में इस देश और इस देश के मुलनिवासियों का भला कभी हो ही नही सकता | हलांकि मनुवादियों के खिलाफ अजादी संघर्ष गोरो की गुलामी से भी पहले से मंद गति से चल रही है | जिस तरह की संघर्ष मुलनिवासियों को मिल जुलकर तेज गति से लड़नी चाहिए , न कि सिर्फ भेदभाव का शिकार होकर निराश हताश होकर  धर्म बदलने से ही मनुवादियों से अजादी मिल जायेगी इस गलतफेमी में तेज गति से अपना धर्म बदलते रहना चाहिए | क्योंकि हमे यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे अरब यूरेशिया के मुलनिवासी नही हैं कि उनसे मनुवादी भेदभाव करना छोड़ देंगे | और न उनके धर्म परिवर्तन करने से अरब यूरेशिया के मुलनिवासी या फिर उच्च जाति कभी माने जायेंगे चाहे जितना बड़ा धार्मिक गुरु खुदको बना लें या अंबेडकर की तरह देश विदेश से कई उच्च डिग्री हासिल कर लें ! अगर माने जाते तो गोरो की गुलामी करते समय ईसाई बनकर ही अजादी मिल जाती और बौद्ध धर्म अपनाते ही मनुवादियों से भी अजादी मिल जाती | फिर मुस्लिम और बौद्ध बने मुलनिवासियों को मनुवादियों के खिलाफ संघर्ष करने की क्या आवश्यकता पड़ती , वे भी अरब यूरोप के लोगो की तरह मनुवादियों से संघर्ष कभी नही करते | इस देश के मुलनिवासी चाहे जितने उच्च डिग्री हासिल करें और जितनी बार अलग अलग धर्म बदल लें , वे जिस तरह ईसाई बनकर भी बिना संघर्ष किये गोरो से अजाद नही हो सकते थे , उसी तरह धर्म बदलकर मनुवादियों की गुलामी से भी अजाद नही होंगे | मनुवादियों की नजर में शुद्र और अच्छुत ही बने रहेंगे | क्योंकि यदि धर्म बदलने से ही यदि वाकई में अजादी मिल जाती तो ईसाई और बौद्ध मुस्लिम बने हिन्दू कभी भी मनुवादियों के खिलाफ आवाज नही उठा रहे होते | बल्कि खुदको पुर्ण अजाद घोषित करके इस देश में शासन कर रहे होते | उच्च निच गोरा काला भेदभाव करने वाले पुरी दुनियाँ में मौजुद हैं | जिनसे अजादी धर्म बदलने से नही मिलने वाली है | जैसे की ड्रक्स नशेड़ियों से धर्म बदलकर या देश बदलकर छुटकारा नही मिलने वाली है | भेदभाव करना भी तो एक प्रकार का ड्रक्स नशा कि तरह इंसान को ऐसी बुरी लत डाल देता है , जिससे बचने के लिए पुजा स्थल के बाहर शुद्रो अच्छुतो का प्रवेश मना है बोर्ड नही बल्कि जिस तरह बिड़ी सिगरेट वगैरा नशे की पदार्थो की पैकेट में धुम्रपान करना सेहत के लिए हानिकारक है लिखा रहता है , उसी तरह भेदभाव करना धर्म और इंसानियत बल्कि पर्यावरण के लिए भी हानिकारक होता है बोर्ड लगना चाहिए | क्योंकि भेदभाव नशा तो महंगी ड्रक्स नशा से भी अनगिनत गुणा खतरनाक होता है | जिसका रोकथाम धर्म या देश बदलना नही है | इसलिए धर्म बदलने से तो अच्छा इस देश की सत्ता बदल लिया जाय मनुवादियों की हाथो से अपने हाथो में लेके | ताकि भेदभाव नशे से ग्रस्त मनुवादियों को यह सत्य बुद्धी बांटा जा सके कि उनकी भेदभाव नशा कैसे जड़ से समाप्त किया जा सकता है | जिससे कि उनके भितर भी वह इंसानियत कायम हो सके जो कि गुलाम और दास बनाने वाले लोगो में नही होती है | जैसे की मनुवादी सत्ता में मौजुद नही है | इसलिए कबिलई मनुवादीयों के हाथो से इस कृषि प्रधान देश की सत्ता का स्टेरिंग जितनी जल्दी इस देश के मुलनिवासियों के हाथो आयेगी उतनी जल्दी इंसानियत कायम होगी | जो सत्ता न तो मुस्लिम बनकर हासिल हो सकती है और न ही बौद्ध बनकर हासिल हो जायेगी | बल्कि मुलनिवासियों द्वारा जो चाहे जिस धर्म को अपनाये हुए हैं , वे यदि मनुवादियों की पार्टी से चुनाव लड़ना और मनुवादी पार्टी को वोट देना बंद कर दें तो मनुवादी चुनाव घोटाला करके भी फिर से सरकार नही बना पायेगा और मनुवादी सत्ता का समाप्ती हो जायेगा | उसके बाद मुलनिसियों की सत्ता कायम होते ही लोकतंत्र के बाकि भी प्रमुख स्तंभो से मनुवादीयों का भेदभाव बहाली दबदबा समाप्त होना सुरु हो जायेगा उसके बाद मुलनिवासियों को उनका हक अधिकार मिलकर इंसानियत कायम हो जायेगा | जो भेदभाव नशा करके हक अधिकार छिनने वालो से कभी भी इंसानियत कायम नही होनेवाला है | मनुवादियों के शासन में इसी तरह शोषण अत्याचार अपडेट आगे भी होनेवाला है यदि इस ज्ञान को गलत मानकर मनुवादी शासन को सही मानकर मनुवादी सरकार बनता रहा और मनुवादी को मुल हिन्दू माना जाना आगे भी जारी रहा |

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