इस कृषि प्रधान देश में किसे पुरी अजादी चाहिए

इस कृषि प्रधान देश में किसे पुरी अजादी चाहिए

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धर्म के नाम से कृषि प्रधान देश का बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान बंग्लादेश में मुस्लिमो को सत्ता मिली , और श्रीलंका में बौद्धो को व भारत में मनुवादियों को , पर sc,st,obc हिन्दू को कहाँ की सत्ता मिली ? जाहिर है चूँकि मनुवादी डीएनए के आधार पर यहूदि हैं , इसलिए भारत में इस समय मुलनिवासियों का शासन नही बल्कि विदेशी मुल के मनुवादियों का राज कायम है | जैसे कि इस देश में कभी विदेशी मुल के गोरे राज कर रहे थे | जिन्हे विदेशी भारत छोड़ो कहकर उनसे देश को अजाद किया गया तो दुसरा विदेशी मौका मिलते ही सत्ता में बैठ गया है | जिन मनुवादीयों द्वारा देश की सत्ता पर बैठकर सत्ता शक्ती का गलत उपयोग करके भेदभाव बहाली द्वारा लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम है | जिसकी झांकि पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में जानकर पता किया जा सकता है कि इस कृषि प्रधान देश में बाहर से आए कबिलई मनुवादी किस तरह का भेदभाव शोषण अत्याचार शासन गोरो के बाद चला रहे हैं ! जिसके बारे में पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय |

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं |

जिन आंकड़ो को देख जानकर कोई भी शोषित पीड़ित तुरंत बता सकता है कि मनुवादी अपनी मनुस्मृति भेदभाव टैलेंट से इस देश के मुलनिवासियों के साथ भारी भेदभाव बहाली किस तरह से करते आ रहे हैं | न की न्यायपुर्ण बहाली हो रहा है | जो भेदभाव तबतक समाप्त नही होगा जबतक की मनुवादी अपनी मनुस्मृति टैलेंट से इस देश की सत्ता में हिन्दू नकाब लगाकर बने रहेंगे | जिन्हे हिन्दू मानकर इस देश के बहुसंख्यक मुल हिन्दू अपना शासक मनुवादियों को हिन्दूओं का शासक चुनते रहेंगे | जबकि पुरी दुनियाँ की ज्यादेतर अबादी और मैं भी यह मानता हूँ कि मुल हिन्दू दरसल इस देश का मुलनिवासी sc,st,obc ही हैं जिन्हे इस देश का शासक बनना चाहिए था | जो होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार बारह माह मनाते हैं | न कि होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे हिन्दू पर्व त्योहार युरेशिया से आए मनुवादीयों ने लाया है | मनुवादियों ने तो अपने साथ अपना परिवार भी नही लाया है | क्योंकि डीएनए रिपोर्ट से यह साबित हो चुका है कि मनुवादियों के परिवार में मौजुद महिलाओं का मदर डीएनए उनसे मिलता है जिन्हे मनुवादी शुद्र अच्छुत कहकर भेदभाव करते हैं  | अथवा मनुवादियों ने ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहते हुए अपना वंशवृक्ष भी इसी देश की महिलाओं से बड़ाया है | गोरे देश छोड़कर अपने पुर्वजो के पास चले गए पर मनुवादी अपने ससुराल में रहकर छुवा छुत राज कायम करके एक प्रकार से जिस थाली में हजारो सालो तक खाया उसी में छेद करके आज भी खुदको हिन्दू बताकर हिन्दूओं से ही छुवा छुत करते आ रहे हैं | हलांकि मनुवादी दरसल सिर्फ हिन्दू का नकाब लगाया हुआ है , ताकि बहुसंख्यक हिन्दूओं का वोट लेकर हिन्दू शासक बना रहे | जबकि डीएनए प्रयोग से भी साबित हो चुका है कि मनुवादि दरसल डीएनए के आधार पर यहूदि हैं | क्योंकि यहूदि और मनुवादियों का डीएनए एक है | और जैसा कि हमे पता है कि पुरी दुनियाँ के सबसे बड़े चार धर्म में हिन्दू धर्म भी एक है | जिन हिन्दूओं की अबादी पुरी दुनियाँ में तीसरे स्थान पर है | क्योंकि हिन्दू धर्म को हजारो सालो से मानने वाले इस कृषि प्रधान देश के बहुसंख्यक sc,st,obc हैंं | जिस बहुसंख्यक sc,st,obc के साथ अल्पसंख्यक मनुवादी हजारो सालो से छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार करते आ रहे हैं | क्योंकि वे एक तो मुल हिन्दू भी नही हैं फिर भी हिन्दू धर्म का पुजारी बनकर ठिकेदारी कर रहे हैं , उपर से बहुत से मुलनिवासियों को अब भी ये गलतफेमी है कि मनुवादि हिन्दू हैं | जिसके चलते बहुत से शोषित पीड़ित हिन्दू इस गलतफेमी में अपना धर्म परिवर्तन करते आ रहे हैं कि हिन्दू धर्म में छुवा छुत होता हैं | जबकि छुवा छुत करने वाले मनुवादियों का डीएनए यहूदियों से मिलता है | जिस यहूदि धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते मनुवादीयों द्वारा इस देश के मुलनिवासियों के साथ भेदभाव करना स्वभाविक भी है | इतिहास गवाह है कि मनुवादियो ने हिन्दू परिवार में जन्मे उस अंबेडकर के साथ भी छुवा छुत किया जिन्होने देश विदेश में तीस से ज्यादे डिग्री लेकर अजाद भारत का संविधान और हिन्दू कोड बिल की रचना भी किया है | हिन्दू कोड बिल की रचना अंबेडकर ने खुदको हिन्दू मानकर किया था न कि उन्होने हिन्दू कोड बिल बौद्ध मुस्लिम और बाकि दुसरे धर्मो के लिए रचना किया था | जिस बिल से मनुवादी को इसलिए एतराज था , क्योंकि हिन्दू कोड बिल हिन्दू सभ्यता संस्कृति और परंपराओं को देखते हुए बनाया गया था | जिन्होने हिन्दू रहते मनुस्मृति का विरोध करके उसे जलाने के बावजुद भी हिन्दू धर्म इसलिए  नही छोड़ा , क्योंकि उन्हे भी पता था कि मुल हिन्दू छुवा छुत करने वाले मनुवादी नही हैं | और न ही मुल हिन्दू मनुवादियों के पुर्वजो अथवा देवताओं की पुजा करते थे | सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में देवता मंदिर नही मिले हैं | इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर मनुस्मृति लागु करने के बाद वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ करके भगवान पुजा के साथ साथ साथ देवता पुजा करने की सुरुवात किया गया है |इस देश में देवता पुजा की सुरुवात मनुवादियों ने जब किया उस समय देवता मंदिर में इस देश के मुलनिवासियों का प्रवेश मना था | और साथ साथ वेद पुराणो की ज्ञान लेना भी मना था | जिसके चलते रामराज में शंभुक की हत्या राम द्वारा इसलिए कर दीया गया था , क्योंकि रामराज में शुद्र अच्छुतो के लिए वेद पुराण ज्ञान लेना मना रहने के बावजुद भी शंभुक ने वेद पुराण ज्ञान हासिल कर लिया था | जैसे की युद्ध कला ज्ञान हासिल करना मना रहने के बावजुद भी एकलव्य ने अर्जून से भी बेहत्तर युद्ध कला बिना गुरु के हासिल कर लिया था | जिसे द्रोणाचार्य ने खुदको उच्च जाति और एकलव्य को शुद्र अच्छुत मानकर युद्ध कला ज्ञान देने से इंकार कर दिया था | जिसके बाद एकलव्य बिना गुरु के युद्ध कला हासिल किया था | जिसके बावजुद भी द्रोणाचार्य ने अपनी बेशर्मी इतिहास रचते हुए एकलव्य को बिना ज्ञान दिये ही अँगुलीमार डागू की तरह एकलव्य से गुरु दक्षिणा में उँगली माँग लीया था | और भोला भाला एकलव्य ने अपनी उँगली दे भी दीया था |  जैसे की अबतक के मनुवादी शासन स्थापित में इस देश के मुलनिवासी भेदभाव का शिकार होने के बावजुद भी मनुवादीयों की पार्टी को वोट देकर मनुवादि सरकार चुनते आ रहे हैं | जबकि इस देश के मुलनिवासी चाहते तो गोरो से अजादी मिलने के बाद सुरुवाती चुनाव में ही अपनी खुदकी सरकार चुन सकते थे मनुवादियों की पार्टी को वोट न देकर उस पार्टी को देकर जो की मनुवादियों द्वारा न बनी हो भले निर्दलीय हो | हलांकि तब इस देश के मुलनिवासियों के लिए ज्यादे विकल्प मौजुद नही थी , पर अब तो बहुत सारे विकल्प उपलब्ध है मनुवादी शासन का अंत करने के लिए किसी मुलनिवासियों द्वारा स्थापित पार्टी को वोट डालकर अपनी मुलनिवासी सरकार बनाने की ! 

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