जिस तरह हिन्दू शब्द विदेशी है , उसी तरह india शब्द भी विदेशी है , इसका मतलब ये नही कि यहूदि DNA का यूरेशियन हिन्दू है
जिस तरह हिन्दू शब्द विदेशी है , उसी तरह india शब्द भी विदेशी है , इसका मतलब ये नही कि यहूदि DNA का यूरेशियन हिन्दू है
बार बार दलित आदिवासी पिछड़ी को जाहिल कहकर खुदको जन्म से विद्वान पंडित कहने वाले मनुवादियों की तरह बार बार मैं मैं सिर्फ मैं विद्वान करने की कोशिष करनेवाले वामन मेश्राम खुद अनजान हैं इस बात से कि हिन्दू sc,st,obc का जाती प्रमाण पत्र बनता है | जिनको पहले पता करनी चाहिए फिर ये झुठ बड़बड़ाना चाहिए कि हिन्दूओं का जाती प्रमान पत्र नही बनता है ! वामन मेश्राम के पास अपार बुद्धी है बात सत्य है पर सबसे अधिक बुद्धी है यह बिल्कुल गलत है | बल्कि वामन मेश्राम ही क्यों कोई भी व्यक्ती यदि sc,st,obc को जाहिल कहता है तो वह जितनी बार जाहिल कहेगा उतनी बार मुझ जैसे मुलनिवासीयों की नजर में उससे कई गुणा जाहिल खुदको बनाता चला जायेगा | अफसोस होता है कि खुद एक मुलनिवासी होते हुए और खुद अपने मुँह से मनुवादियों को यहूदि स्वीकारते हुए भी बार बार यह दोहराता रहता है कि जो भी मुलनिवासी हिन्दू धर्म को मानता है वह जाहिल है | जबकि हिन्दू शब्द जिस सिन्धु से आया है वह युरेशिया में नही है यह बात भी वामन मेश्राम को अच्छी तरह से पता है | और साथ साथ यह भी पता है कि अरब और फारस के लोगो के द्वारा हिन्दू कहकर इस देश को हिन्दुस्तान क्यों कहा गया है | साथ साथ यह भी पता है कि संविधान में लिखा देश का नाम india शब्द कहाँ से आया और किन लोगो ने दिया है | और अगर मालुम न हो तो पता होना चाहिए कि जिस तरह हिन्दू शब्द विदेशी है उसी तरह india शब्द भी विदेशी है | जिसका उच्चारण गोरे विदेशियो ने सिन्धु नदी जिसे वे इंडस नदी के नाम से जानते थे , उसी नदी के नाम से ही india शब्द का उच्चारण अपनी भाषा बोली में किया है | जिसके बारे में वामन मेश्राम को पहले हिन्दू और india शब्द को विदेशियों ने किस आधार पर कहा है इसे ठीक से जानकारी ले लेनी चाहिये फिर पुरी आत्मविश्वास के साथ अपने भाषण प्रवचन में यह बड़बड़ानी चाहिए कि india और हिन्दुस्तान का मतलब एक नही है | और रही बात अनपढ़ और जाहिल दुनियाँ में कौन है तो अगर सिर्फ ज्ञान डिग्री होने से बुद्धी हो जाती तो बुद्ध को बिना पढ़ाई के अनपढ़ गंवारो के बिच पीपल पेढ़ के निचे नही बल्कि खुदको जन्म से विद्वान पंडित मानने वाले कई ब्रह्मणो के पढ़ाये जाने से महलो में ही सत्यबुद्धी की प्राप्ति हो जाती ! जिनसे छुवा छुत ब्रह्मण क्यों नही करते थे इसकी भी जानकारी वामन मेश्राम को जरुर लेनी चाहिए फिर इस देश के sc,st,obc हिन्दूओं को जाहिल कहना चाहिए | क्योंकि sc अंबेडकर ने जाहिल बनकर नही बल्कि देश विदेश में तीस से अधिक उच्च डिग्री लेकर अजाद देश का संविधान और हिन्दू कोड बिल की भी रचना किया था | जिसके बाद उन्होने अपने जिवन में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करके हिन्दू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया था | जो कब हिन्दू से बौद्ध बने इसका ऐतिहासिक प्रमाण दिन के साथ मौजुद है | जिस हिन्दू परिवार में जन्मे अंबेडकर को वामन मेश्राम बाप मानता है फिर भी अपने बाप का जन्म जिस धर्म में हुआ था उसे बार बार भुलने का कारन आखिर क्या हो सकता है ? जबकि बाप ने जिस बौद्ध धर्म को अपनाया उस धर्म के पुज्यनीय भगवान कहे जानेवाले बुद्ध के साथ कोई छुवा छुत क्यों नही होता था और क्षत्रिय सिद्धार्थ ने कब बौद्ध धर्म अपनाया था इसका प्रमाणित जवाब मौजुद नही है | बल्कि मैं तो ये मानता हूँ बुद्ध को मुल हिन्दू धर्म की ही प्राकृति पुजा के बारे में जिवन मरन का ज्ञान प्राप्त हुआ था | जिसे बुद्धी प्राप्त होना इसलिये कहा गया क्योंकि उससे पहले बुद्ध को हिन्दू धर्म के बारे में ब्रह्मण ढोंगी पाखंडियों ने गलत बुद्धी दिया था | और चूँकि उस समय बौद्ध धर्म ही नही था इसलिए क्षत्रिय सिद्धार्थ द्वारा बौद्ध धर्म धारन करने का जिक्र इतिहास में मौजुद नही है | क्योंकि बाद में बुद्ध के नाम से बौद्ध धर्म को जन्माया गया है | जिस बौद्ध धर्म से जोड़ने के लिए ही परिवर्तन यात्रा की आड़ लेकर हिन्दू दलित आदिवासियों को जाहिल बताकर उनके भितर हिन भावना उत्पन्न करके धर्म परिवर्तन यात्रा वामन मेश्राम की आड़ में चलाया जा रहा है | क्योंकि वामन मेश्राम किस धर्म से आते हैं ये तो मुझे नही पता पर हिन्दू धर्म परिवर्तन कर लिये हैं या करनेवाले हैं पुरी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ | नही तो वामन मेश्राम हिन्दू धर्म के sc,st,obc को बार बार जाहिल नही कहते उनकी धर्म की चर्चा करते समय | और तो और हिन्दूस्तान शब्द से कोई एतराज न करके sc,st,obc हिन्दू मुस्लिम के बिच भाईचारा कायम करने वाले मुस्लिमो को यह भी कहते रहते हैं कि ये जाहिल लोग हिन्दू बन गए तो मुसलमानो के लिए खतरा बनेंगे | जिनको पता होना चाहिए कि sc,st,obc हिन्दू न होते तो इस देश में हिन्दूओं की बहुसंख्यक अबादी नही कहलाती | बल्कि यदि यहूदि डीएनए के यूरेशिया से आए मनुवादि हिन्दू होते तो हिन्दू अल्पसंख्यक कहलाते ! असल में यहूदि डीएनए का मनुवादि हिन्दू नकाब लगाकर मुल हिन्दू sc,st,obc के हक अधिकारो में कब्जा करके राज कर रहा है | जिसे यदि देश अजाद होते समय हिन्दू न मानकर इस देश की सत्ता इस देश के मुल हिन्दूओं को अंबेडकर के नेतृत्व में सौंपी जाती तो आज यह देश पुर्ण अजाद होता और मुलनिवासीयों का राज कायम होता | तब सायद अंबेडकर को धर्म बदलने की भी आवश्यकता नही पढ़ती | क्योंकि हिन्दू धर्म से यदि मनुवादियों के द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ की गई ढोंग पाखंड और छुवाछुत को हटा दिया जाय तो हिन्दू धर्म विज्ञान अधारित साक्षात प्राकृति को सत्य मानता है | और उसकी पुजा करता है | इसलिए हिन्दू धर्म पुरे विश्व में ऐसा धर्म है जिससे किसी भी धर्म के लोगो को लड़ने भिड़ने की कभी जरुरत ही महसुश नही होगी यदि मनुवादि को हिन्दू धर्म की ठिकेदारी से मुक्ती दिलाकर जिन यहूदियों से उनका डीएनए मिलता है घर वापसी हो जाय | हलांकि मेरे विचार से छुवा छुत ढोंग पाखंड को छोड़े बिना यहूदि भी अब मनुवादियों को घर वापसी स्वीकार नही करेंगे | हाँ ढोंग पाखंड और छुवाछुत न करने वाले कथित उच्च जाति के लोगो की घर वापसी से किसी को दिक्कत नही है , और न उनके द्वारा हिन्दू धर्म में रहने से दिकत है | पर यदि वे अपने पुर्वजो के द्वारा मनुस्मृति रचना को मानते हुए ढोंग पाखंड छुवा छुत मानते रहे तो इस देश के मुलनिवासी हिन्दू को मनुवादियों के द्वारा खुदको हिन्दू धर्म का पुजारी कहने से एतराज है | क्योंकि हिन्दू धर्म छुवाछुत को नही मानता जैसे कि हिन्दू अंबेडकर कभी भी छुवाछुत नही किये ! बल्कि मनुवादियों ने उनसे छुवाछुत किये | वैसे छुवाछुत करने वाले बौद्ध धर्म में भी मौजुद हैं | जिस बात को वामन मेश्राम ने भी अपने भाषण प्रवचन में माना है | बल्कि भेदभाव करने वाले अमेरिका जापान में भी मौजुद हैं | यकिन न आए तो फिर से जानकारी इकठा कर लें !
सारांश में मेरा यही कहना है कि चाहे जिस धर्म में sc,st,obc मौजुद हों उनको धर्म के आधार पर जाहिल न समझा जाय | जैसे कि धर्म के आधार पर नागरिकता caa नही होनी चाहिए |
और न यह बार बार दोहराया जाय कि मनुवादि मुल हिन्दू है | क्योंकि झुठ को चाहे जितनीबार दोहराया जाय प्रमाणित सत्य यही है कि यहूदि DNA का मनुवादि मुल हिन्दू नही है | और सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण , गणतंत्र का निर्माण , कृषि प्रधान देश का निर्माण करने वाला मुलनिवासी जाहिल नही है | कड़वा सत्य को कबूल करो दुनियाँ की कोई ताकत झुठ बोलने के लिए मजबुर नही कर सकता | और न ही झुठ बोलवाने वाला कभी इतना ताकतवर लगेगा कि उसके सामने सर झुका दो | क्योंकि सत्य को कबूल न करने वाले ही अक्सर अपनी झुठी शान को बरकरार रखने के लिए झुठ बोलवाने वालो के सामने सर झुकाकर उनसे हार मान जाते हैं | जैसे की मनुवादियों ने मनुस्मृती रचना करने वालो से हार मानकर उनकी रची छुवा छुत ढोंग पाखंड को अबतक अपनाये हुए हैं | और जिन मनुवादियों ने सत्य को कबूल कर लिया है वे छुवा छुत ढोंग पाखंड को नही मानते हैं | और सत्य यही है कि छुवाछुत करने वाला मुल हिन्दू नही है | जिसे वामन मेश्राम को भी मान लेनी चाहिए कि यहूदि dna का मनुवादि हिन्दू नही बल्कि मुल हिन्दू मुलनिवासी अंबेडकर के dna के तमाम मुलनिवासी हैं | बल्कि मनुवादि परिवार में मौजुद महिला भी मुल हिन्दू है | जिस मुलनिवासी महिला के पुर्वजो से सत्ता हथियाकर महिलाओ को दासी बनाकर मनुवादियों ने अपना वंशवृक्ष बड़ाया है | जिसके चलते उन्होने ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहते हुए नारी को भी ताड़ा है |
जिसने भी इस कहानी को प्रस्तुत किया वह व्यक्ति किसी मानसिक दिवालियेपन का शिकारी लग रहा है, इतिहास पढ़ वो परन्तु ढंग से नहीं। उस व्यक्ति को ये नही पता कि मनु और मनुवादी म् अंतर् क्या है??
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