karma-Dharma-shiv-bhagvan-puja राम की पुजा करने से अच्छा तो शिव को सत्य का प्रतीक मानकर पुजा किया जाय

राम की पुजा करने से अच्छा तो शिव को सत्य का प्रतीक मानकर पुजा किया जाय
khoj123,वेद पुराण सत्य भगवान पुजा


रामराज को अपना आदर्श मानने वाले ने ही गाँधी को गोली मारा था | जिस तरह के राम भक्त आजकल रास्ते में बंदुक पकड़कर गोली मारो सालो को कहते हुए उन लोगो को डरा धमका रहे हैं , जो भेदभाव द्वारा बनाया गया नियम कानून CAA का विरोध कर रहे हैं | जो लोग लंका रक्षको को मानव भक्षी राक्षस राक्षणी कहते हैं | 

जबकि यदि वे मानव भक्षी होते तो उन्होने जितने भी देवो को कैद किये या युद्ध में हराये उनकी बिरयानी बनाकर खा जाते
राक्षस,दानव,असुर देव संग्राम
न कि अहिंसावादी मार्ग अपनाकर उन्हे माफ करके छोड़ देते | बल्कि राम भक्त  हनुमान को भी तो लंका के रक्षको ने बंदी बनाकर छोड़ दिया था | जिस हनुमान को सबसे शक्तीशाली कहा जाता है | लेकिन वह लंका में कथित मक्खी बनकर प्रवेश इसलिए किया ताकि लंका के रक्षक कहीं उसे पकड़ न लें | जो पकड़ा भी गया था , जिसके बाद सजा के तौर पर सिर्फ उसकी पिछवाड़े में आग लगाकर छोड़ दिया गया था | पिछवाड़ा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि बतलाया जाता है कि उसके पिच्छे की पुंछ में आग लगाया गया था | पर चूँकि जिस तरह राम का पुँछ नही था उसी तरह हनुमान का भी पुँछ नही होगा | क्योंकि राम इंसान तो हनुमान भी इंसान होना चाहिए | जिस हनुमान ने भी लंका को भष्म करके जान माल का भारी नुकसान करके इतनी खुनी हिंसा किया कि भष्म लंका में अनगिनत बच्चे बुढ़े और जवान नर नारी सभी जिते जी भष्म हो गए होंगे यदि लंका वाकई में भष्म हुआ होगा | जिस लंका में सीता भी जेड सुरक्षा से भी ज्यादे मजबुत सुरक्षा के बिच मौजुद थी | जो जिते जी अग्नि परीक्षा देने से पहले ही भष्म लंका की अग्नि में बचा ली गयी थी लंका रक्षको द्वारा | पर वह रावण राज से लौटकर रामराज में भी इतनी दुःखी हुई की जिते जी धरती में समा गयी | जिस रामराज को अपना आदर्श मानने वालो में कुदको अहिंसावादी बतलाने वाला हाथ में डंडा लिाया गाँधी भी एक था | 

गाँधी गोरो के शासन में पेशे से काला सुट धारन करने वाला वकिल था , भले बुढ़ापा जिवन उसकी सफेद धोती धारन करके बीती | 

शहरी काला सुट,ग्रामीण सफेद धोती

जिससे पहले काला सुट धारन करते समय गाँधी को यकिन था कि गोरे जज बनकर देश गुलाम करके न्याय करेंगे | हलांकि गाँधी उस राम का सबसे बड़ा भक्त था , जिसने जंगलो में इतना खतरनाक हिंसा से न्याय करने की पढ़ाई किया था कि उसके नेतृत्व में पुरी लंका का ही हिंसक विनाश हो गया था | जिसने लंका के राजा रावण की हत्या समेत अनेको उन नर नारियों की हत्या किया जो लंका की रक्षा में तैनात थे | बल्कि राम ने तो वनो में युद्ध कला सिखते समय भी कई क्षेत्र रक्षक नर नारियों की हत्या किया था , जिसे राक्षस राक्षनी कहा जाता है | जाहिर है चूँकि गाँधी राम भक्त था , इसलिए राम के द्वारा किये गए हिंसा की तारिफ ही करते हुए हे राम कहकर गाँधी की भी मौत हिंसा से ही हुई थी |  जिस गाँधी द्वारा आदर्श माने जानेवाले राम का भव्य मंदिर बन रहा है | जिस मंदिर का पुजारी वैसे तो मनुवादी ही रहेंगे पर चूँकि इस समय शोषित पिड़ित के द्वारा रचे गए संविधान लागू है , इसलिए दिखावा के लिए दलित आदिवासी पिछड़ी के बिच से एकात को भी नाम मात्र का पुजारी बनाया जा रहा है | जो भी नही बनना चाहिए था उन शोषित पिड़ितो को जिनके साथ आज भी आये दिन भेदभाव शोषण अत्याचार होता रहता है | खासकर उस राम का मंदिर का पुजारी जिसने खुदको क्षत्रिय और इस देश के मुलनिवासी को शुद्र अच्छुत मानकर भेदभाव करते हुए शंभुक की हत्या किया था | इसलिए भी यदि शंभुक प्रजा राम को क्षत्रिय नही मानते हैं तो ही राम मंदिर में पुजा करने जाएं | मैं तो यदि राम को क्षत्रिय न मानकर शुद्र भी मानता तो भी उसकी पुजा इसलिए नही करता , क्योंकि राम ने रामराज में न तो अपनी पत्नी सीता के साथ न्याय किया और न ही प्रजा शंभुक के साथ न्याय किया | सीता तो रामराज में इतनी दुःखी हुई की रोते विलखते जीते जी धरती में समा गयी | रामराज में न तो सीता और लव कुश के साथ न्याय हुआ और न ही प्रजा शंभुक के साथ न्याय हुआ | बल्कि मैं तो यह मानता हूँ कि राम ने खुदके साथ भी न्याय नही किया और बिना न्याय किये जिते जी सरयू नदी में डुबकर रामलीला समाप्त हो गयी | जिस राम की पुजा करने से अच्छा तो शिव को सत्य का प्रतीक मानकर पुजा किया जाय | क्योंकि छुवा छुत करने वाले मनुवादी लोग जिस देव को अपना पुर्वज मानने हैं उन देवो को यक्ष द्वारा किया गया यक्ष यज्ञ में तो बुलाया गया था , पर शिव को भेदभाव करके नही बुलाया गया था | जैसे कि यज्ञ में मुलनिवासियों को शुद्र अच्छुत कहकर नही बुलाया जाता था | 

इसलिए देव को यदि मनुवादि अपना पुर्वज मानते हैं तो इस देश के मुलनिवासी शिव को अपना पुर्वज मान सकते हैं |


 और अपनी आस्था और विश्वाश के साथ उसकी पुजा भी कर सकते हैं | क्योंकि यदि भगवान बुद्ध कहकर किसी इंसान की मौत होने के बाद भी उसकी पुजा की जा सकती है तो शिव को अपने पुर्वज मानकर उसकी पुजा क्यों नही की जा सकती है | जिसकी पुजा के लिए किसी भव्य मंदिर जाने की जरुरत भी नही है | क्योंकि मन यदि साफ हो तो सत्य शिव पत्थर के रुप में भी साक्षात प्राकृति के कण कण में मौजुद हैं | जो पत्थर भी यदि न रहे तो पृथ्वी का जिवन प्रमाणित तौर पर समाप्त हो जायगा | जिस पत्थर को घर में भी रखकर उसे शिव का प्रतिक मानकर पुजा की जा सकती है | जैसे कि मंदिर मस्जिद चर्च वगैरा में प्रतिक के सामने ही तो माथा टेककर पुजा की जाती है | न कि वहाँ पर साक्षात दर्शण होता है | 

जाहिर है सभी भक्त पुजा करते समय आँख मुंदकर अँधेरे में तीर मारते हैं कि सबको रचने वाला उसे देख सुन रहा है | 


खैर इस देश के मुलनिवासी यदि इस बात को सत्य मानते हैं कि राम क्षत्रिय नही होते तो ब्रह्मण उसकी पुजा करने के लिए राम मंदिर का पुजारी कभी नही बनते तो यह भी सत्य स्वीकार करें कि जिस क्षत्रिय राम ने रामराज में इस देश के मुलनिवासी शंभुक की हत्या सिर्फ इसलिए किया था , क्योंकि रामराज में वेद पुराण का ज्ञान लेना इस देश के मुलनिवासियों के लिए वर्जित किया गया था | जिसके बावजुद भी शंभुक ने वेद पुराण का ज्ञान हासिल कर लिया था | जैसे कि एकलव्य द्वारा युद्ध कला गुरु के बिना हासिल कर लिया था | जिस एकलव्य का तो सिर्फ अँगुठा कटा था , पर रामराज में तो शंभुक की हत्या कर दिया गया था | जिस तरह के अन्याय अत्याचार करने वालो की पुजा करना मतलब गुलाम करने वालो की पुजा करना है | इस देश के मुलनिवासी इस समय गुलाम ही तो है ब्रह्मण क्षत्रीय वैश्य के नेतृत्व में उस शासन का जिसे इस समय मनुवादी शासन कहा जाता है | 

क्योंकि मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना इस देश के मुलनिवासी अंबेडकर द्वारा किये जाने और संविधान लागू होने के बावजुद भी इस देश में मुलनिवासियों का शासन नही बल्कि मनुवादियों का राज कायम है |

 जिसे लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियों द्वारा किया गया भेदभाव के बारे में भी जानकर यकिन किया जा सकता है कि इस देश में अभी भी किस तरह से मनुवादी राज कायम है | चारो प्रमुख स्तंभो में से सिर्फ एक स्तंभ न्यायालय में भेदभाव कायम कैसा है , इसकी झांकी देखकर बाकि स्तंभो के बारे में भी जाना समझा जा सकता है कि मनुवादि राज कैसे कायम है | 
पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई०
जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC  के 35 जज ,SC  के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं!

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