india शब्द विदेशियों ने दिए हैं इसलिए india इस देश के मुलनिवासियों का नही हैं कहना क्या सही होगा

india  शब्द विदेशियों ने दिए हैं इसलिए india इस देश के मुलनिवासियों का नही हैं कहना क्या सही होगा
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बहुत से लोगो का यह तर्क है कि हिन्दू शब्द विदेशियों ने दिए हैं , इसलिए इस देश के मुलनिवासी हिन्दू नही हैं | जो क्या यह भी मानते हैं कि india  शब्द विदेशियों ने दिया है , इसलिए india इस देश के मुलनिवासियों का नही हैं | दरसल इस तरह के तर्क करने वाले यदि बुढ़े लोग हैं तो वे सारी जिवन जिस तरह यहूदि डीएनए का मनुवादि हिन्दू नही हैं यह बात उच्च शिक्षा डिग्री हासिल करके भी नही जान सके , उसी तरह सायद मरते दम तक यह भी नही जान पायेंगे कि india और हिन्दुस्तान शब्द बल्कि हिन्दू शब्द भी विदेशियों ने ही अपने अपने अलग अलग भाषा बोली अनुसार दिया है | जैसे कि अंग्रेजो के लिए अंग्रेज शब्द किसी और ने दिया है | जिन अंग्रेजो ने और फारस अरब के लोगो ने सिन्धु नदी के किनारे सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृती का निर्माण करने वाले मुलनिवासियों की पहचान को अपनी भाषा बोली से जाना समझा है | जैसे कि पानी को पुरी दुनियाँ के लोग अपनी अलग अलग भाषा बोली से कोई पानी कहता है तो कोई water कहता है | इसका मतलब यह नही कि पानी और water का मतलब अलग अलग होता है | उसी तरह अलग अलग भाषा बोली अनुसार विदेशियों ने इस कृषि प्रधान देश को हिन्दुस्तान और india कहा है | जिसका मतलब यह नही कि हिन्दुस्तान और india दो अलग अलग देश है | उसी तरह विदेशियों ने होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार मनाते हुए भगवान पुजा करने वालो को हिन्दू कहा है , न कि यहूदि डीएनए के मनुवादियों को हिन्दू कहा गया है | और रही बात हिन्दू मतलब मनुवादियों का गुलाम होता है ऐसा क्यों कहा जाता है तो किसने कहा कि ईसाई या मुस्लिम मनुवादियों के गुलाम हैं | क्योंकि मनुवादियों के गुलाम इस देश के मुलनिवासी हिन्दू हैं ये पुरी दुनियाँ जानती है | हाँ यदि अपने पुर्वजो का हिन्दू धर्म को छोड़कर अंबेडकर की तरह जो हिन्दू दुसरे धर्मो को अपनाकर खुदको अजाद मान लिये हैं , उन्हे तो मनुवादियों से अजादी का नारा लगाते हुए संघर्ष करने के बजाय मनुवादियों की तरह ही खुदको अजाद देश का शासक महसुश करनी चाहिए | जैसे की मनुवादी पार्टी कांग्रेस भाजपा से सांसद बनने वाले मुलनिवासी मंत्री और प्रधानमंत्री बनकर अजाद महसुश करते हैं | जो पुर्ण अजादी इस देश के मुल हिन्दू तबतक महसुश नही कर सकते जबतक की इस कृषि प्रधान देश में कबिलई मनुवादी राज कायम है | बल्कि मनुवादी खुदको गोरो से पुर्ण रुप से अजाद जरुर कर लिया है | मुस्लिम भी अपना मुस्लिम राज पाकिस्तान बंग्लादेश में कायम करके खुदको पुर्ण रुप से अजाद कर लिया है | गुलाम तो सिर्फ हिन्दू है जो आजतक अपनी शासन स्थापित नही किया है | क्योंकि इस देश के हिन्दूओं को  मनुवादीयों से पुर्ण अजादी अबतक नही मिली है | जिसके चलते मनुवादी राज कायम है न कि हिन्दू राज कायम है | जिन्हे धर्म परिवर्तन करने से अजादी मिल जायेगी इस तरह के तर्क करने वाले वामन मेश्राम जैसे लोगो को भी 43 साल का अजादी संघर्ष करते हुए भी अबतक आखिर कैसे पता नही चला है कि ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य हिन्दू नही हैं | जबकि अपने भाषण प्रवचन में वे बार बार ये कहते रहते हैं कि ब्रह्मणो का DNA यहूदि है | और यहूदि कैसे हिन्दू हो सकते हैं ? जैसे कि वामन मेश्राम का डीएनए अंबेडकर है तो वे ब्रह्मण मोहन भागवत नही हो सकते हैं | और कोई दुसरे धर्म का कैसे कहला सकता है जबतक कि वे अपना धर्म परिवर्तन नही कर लेते | जैसे कि हिन्दू परिवार में जन्मे अंबेडकर ने अपना धर्म परिवर्तन किया तभी तो वे बौद्ध बने | जिसके द्वारा बौद्ध बनने से यदि मनुवादियों से अजादी मिल गयी होती तो बौद्ध बने शोषित पिड़ित sc,st,obc हिन्दूओं के साथ मिलकर मनुवादियों के खिलाफ संघर्ष नही कर रहे होते | बिना धर्म परिवर्तन किये मनुवादि सिर्फ यहूदि कहला सकते हैं | जैसे कि यहूदि कबिला को स्थाई जगह देने के लिए जब इजराइल को यहूदियों का देश तय किया गया तो उस जगह में एकजुट होने वाले दुनियाँ के कोने कोने में बिखरे हुए यहूदि कबिला एकजुट हुए थे | जिन्हे धर्म परिवर्तन करने की जरुरत नही थी | क्योंकि वे यहूदि कबिला में भले बंटे हुए थे , पर अपना धर्म और पुर्वजो को नही भुले थे | जिस समय मनुवादि कबिला तो अपने ही डीएनए के बिछड़े पुर्वजो के पास सायद इसलिए घर वापसी नही कर सके , क्योंकि उन्हे पता ही नही था कि यहूदियों से उनका डीएनए मिलता है | पर अब तो उन्हे डीएनए प्रयोग से पता हो गया है कि मनुवादियों के पुर्वज यहूदि हैं | इसलिए अब तो उन्हे खुदको यहूदि स्वीकार कर लेनी चाहिए , न कि खुदको हिन्दू कहकर मुल हिन्दूओं के प्रति विवाद खड़ा करते रहना चाहिए कि मुल हिन्दू कौन हैं ? क्योंकि वैसे भी यहूदियों का दो प्राचिन कबिला था , जिसमे से यदि एक कबिला इजराईल में बस चुका है , और दुसरा यहूदि कबिला जो पुरब की ओर आया था वह लापता है , तो निश्चित तौर पर वह लापता कबिला पुरब की ओर आनेवाला और कोई नही बल्कि मनुवादि कबिला हैं | जो सायद कुंभ के मेले में बिछड़े दो भाईयो की तरह बिछड़कर एक दुसरे से अलग अलग दिशा में जाकर बिछड़ गए हों | जिनका डीएनए प्रयोग से अब मिलान हो गया है | इसलिए मनुवादियों को अब अपने बिछड़े पुर्वजो के धर्म में घर वापसी कर लेनी चाहिए | न कि खुदको मुल हिन्दू कहकर मुल हिन्दूओं के साथ छुवा छुत करते हुए उन्हे गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करते रहना चाहिए | क्योंकि मनुवादि भी यदि मुसा के द्वारा चलाई गई अजादी संघर्ष को मानते हैं तो मनुवादि अब तो छुवा छुत करके गुलाम बनाना छोड़ दे इस देश के मुलनिवासियों को | और नही मानते हैं तो जबरजस्ती गुलाम बनाकर भले वे शोषण अत्याचार करते रहें , पर याद रखें इतिहास गवाह है कि गुलामी हमेशा कायम नही रहती है | इसलिए निश्चित तौर पर जिस तरह गोरो से अजादी इतिहास दर्ज हुई , उसी तरह मनुवादियों से भी एकदिन इस देश के मुलनिवासियों को अजादी मिलेगी | और जिसदिन मिलेगी उसदिन निश्चित रुप से इस देश में यूरेशिया से आनेवाले मनुवादियों का शासन नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियों का शासन इतिहास अपडेट होगा | और साथ में अभी तक जिन्हे समझ में नही आ रहा है कि यहूदि डीएनए के मनुवादि हिन्दू नही हैं , उन्हे भी पता चल जायेगा कि हिन्दू दरसल और कोई नही बल्कि इस देश के मुलनिवासी हैं | जिन्होने सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का भी निर्माण किया है और वेद पुराण का भी रचना किया | और साथ साथ हिन्दू कलैंडर और हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे  प्राकृति पर्व त्योहार का भी रचना किया है | जिसकी रचना इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासी ही कर सकते हैं | जिसमे मनुवादियों ने सिर्फ अपनी कबिलई मनुवादि सोच से मिलावट किया है | जैसे की गोरो ने भी गुलाम करके इस देश का इतिहास और कृषि सभ्यता संस्कृति में मिलावट करने का प्रयाश किया है | जिन गोरो से देश अजाद होने के बाद धर्म के नाम से किसे क्या क्या मिला चर्चा करनी ही है , तो गोरो से अजादी मिलने के बाद धर्म के आधार पर ब्रह्मणो द्वारा स्थापित मनुवादि पार्टी कांग्रेस ने तो मुस्लिमो को शासन करने के लिए पाकिस्तान बंग्लादेश दे दिया , पर इस देश के मुल हिन्दू SC,ST,OBC मुलनिवासियों को क्या दिया गया है ? क्योंकि  होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृतिक पर्व त्योहार और हिन्दू कलैंडर सहित वेद पुराणो का जनक यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए का विदेशी अल्पसंख्यक मनुवादि नही हैं कि वे यूरेशिया से हिन्दू धर्म और हिन्दू वेद पुराण और इस कृषि प्रधान देश के पर्व त्योहारो को लाकर बहुसंख्यक sc,st,obc को उससे जोड़ा और हिन्दू बनाया है | क्योंकि डीएनए के अनुसार भी साबित हो गया है कि मनुवादि हिन्दू नही हैं | और हमे यह भी पता है कि यहूदियों ने वेद पुराण नही रचे हैं , और न ही इस कृषि प्रधान देश में बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृति पर्व त्योहार होली दिवाली मकर संक्राति यहूदियों की देन है | और न ही यहूदियों ने हिन्दू कलैंडर वगैरा रचे हैं | भले चूँकि मनुवादि डीएनए के आधार पर यहूदि हैं , इसलिए धर्म के नाम से इस देश बंटवारा के बाद इस देश में डीएनए के अनुसार हिन्दूराज नही बल्कि यहूदिराज कायम है | जैसे कि धर्म के अनुसार अरब पाकिस्तान बंग्लादेश में मुस्लिमराज कायम है | क्योंकि यहूदि डीएनए का मनुवादि हिन्दू कब बने इसका कोई इतिहास नही है | बल्कि यदि यह सत्य है कि बुद्ध क्षत्रिय थे इसलिए उन्हे ज्ञान प्रदान करने के लिए महलो में छुवा छुत करने वाले ब्रह्मणो की लाईन लगी रहती थी , क्योंकि वे अच्छुत नही क्षत्रिय थे , इसलिए मनुवादि बुद्ध को राम अवतार के बाद का अवतार मानते हैं , तो निश्चित तौर पर इस देश से अलग हुए श्रीलंका में भी क्षत्रिय बुद्ध के नाम से जन्मा बौद्ध धर्म का राज है |  ये सभी धर्म डीएनए अनुसार गोरो की तरह विदेशी मुल के लोगो द्वारा पैदा किया गया है | जिस धर्म से जुड़े हुए मुलनिवासी उन धर्मो का प्रमुख नही हैं | इसलिए यह  समझना मुश्किल नही है कि धर्म के नाम से देश बंटवारा होने के बाद कौन लोग भारत पाकिस्तान का शासक बने हुए हैं ? क्योंकि जिस तरह कांग्रेस भाजपा को ब्रह्मणो ने बनाया और ब्रह्मणो का दबदबा है इसलिए उस पार्टी में मुलनिवासी सांसद विधायक चुने जाने के बावजुद भी ब्रह्मणो की पार्टी कहलाती है , उसी तरह जिस धर्म को विदेशी मुल के लोगो ने बनाया वह मुल रुप से विदेशियों के द्वारा स्थापित धर्म कहलाता है | बाकि सभी तो अपने पुर्वजो का धर्म परिवर्तन करके उससे जुड़े हैं | क्योंकि सभी के पुर्वज कोई न कोई पुजा पाठ पद्धती को धारन किये हुए थे | जैसे कि इस देश में भी कई धर्मो के प्रवेश करने से पहले इस देश के मुलनिवासी अपने प्राकृति सुर्य अन्न जल धरती वगैरा की पुजा पाठ पद्धती धारन किये हुए हैं | जिसमे अपनी ढोंग पाखंड की मिलावट करके मनुवादियों ने उसे सुर्यदेव वायुदेव कामदेव वगैरा नामकरण करके दरसल मनुवादियों ने हिन्दूओं को गुलाम करके हिन्दू धर्म का नकाब पहना है | जैसे की गोरो ने इंडिया को गुलाम करके इंडियन का नकाब पहनकर दो सौ सालो तक इंडिया में राज किया | जिसके बाद इंडिया के धन संपदा को अपना बाप का माल समझकर लंबे समय तक लुटते रहे | जाहिर है इस देश के मुलनिवासियों के द्वारा स्थापित हिन्दू धर्म में इकठा हो रहा दान राशि भी यूरेशियन मुल के मनुवादियों के पास ही जमा हो रहा है | क्योंकि इस देश में प्रवेश करके यहूदि डीएनए का मनुवादि हिन्दू नकाब लगाकर हिन्दू धर्म की ठिकेदारी कर रहे हैं | जो हिन्दू धर्म के नाम से जमा हो रहा दान राशि में कुंडली मारकर हजारो सालो से बैठे हुए हैं | जो यदि आज यहूदि धर्म में घर वापसी कर लें तो उनकी राज कल समाप्त हो सकती है | जैसे कि गोरो से अजादी जब इस देश को मिला था उस समय भी यदि मनुवादि यहूदि धर्म में घर वापसी करते तो उन्हे इस देश की सत्ता कभी नही मिलती | हलांकि मनुवादियों ने आखिर हिन्दू धर्म को अपनाया ही कब है जो वे यहूदि धर्म में घर वापसी करेंगे | उन्होने तो हिन्दू धर्म का सिर्फ नकाब लगाये हुए है | ताकि उन्हे हिन्दू मानकर इस देश के मुलनिवासी अपना हिन्दू पुजारी और अपना हिन्दू शासक भी बना सके | जैसे की वामन मेश्राम जैसे उच्च शिक्षा लेने वाले कुछ मुलनिवासी भी मनुवादियों को हिन्दू मानकर हिन्दुस्तान मनुवादियों का देश है साबित करने में मनुवादियों का एक प्रकार से अनजाने में मदत करते रहते हैं | बजाय इसके की वामन मेश्राम जैसे लोगो को परिवर्तन यात्रा में इस देश के sc,st,obc हिन्दूओं के बिच जाकर बिना भ्रम फैलाये ये प्रचार प्रसार करनी चाहिए था कि मनुवादि हिन्दू नही बल्कि यहूदि हैं | जो न करके अपनी परिवर्तन यात्रा में बार बार यह झुठ फैला रहे हैं कि sc,st,obc हिन्दू नही हैं | मानो sc,st,obc मुलनिवासी होली दिवाली मकर संक्रांति जैसे हिन्दू पर्व त्योहार मनाते ही नही हैं | सायद वामन मेश्राम को निचे जो आंकड़ा दिया गया है उसे देख पढ़कर समझ में आ जाय कि यदि इस देश के बहुसंख्यक sc,st,obc हिन्दू नही रहते तो फिर पुरे विश्व के चार सबसे बड़े धर्म में हिन्दू धर्म का नाम नही आता |

इस आँकड़े में हिन्दू धर्म का स्थान विश्व में तीसरा है 

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