प्रचार

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

Today 2021 AD will end and tomorrow 2022 will be welcomed by starving crores of people of people

 

आज 2021 ई० समाप्त होगा और कल 2022 ई० का स्वागत क्या करोड़ो लोगो को भुखा रखकर जस्न होगा

poor india,Khoj, गरिबी भुखमरी


क्या सरकार के पास खाना नही है किसी भुखे को भुख से मरने न देने के लिए ? 


और अगर है तो फिर क्यों गरिबी हटाओ कहकर सत्ता प्राप्त करके हर रोज गरिबो को ही हमेशा के लिए हटाया जा रहा है | जबकि सत्ता में बैठकर जिन मंत्रियो को संविधान द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त है , वे मंत्री बनने से पहले क्यों न कितना गरिबी भुखमरी जिवन यापन कर रहे हो , वे एक भी गरिबी भुखमरी से कभी क्यों नही मरते हैं | क्यों इस देश में कोई मंत्री बनते ही चाहे वह पहले कितना ही गरिब हो , उसे मानो सारी जिवन अमिरी में बिताने की लॉटरी लग जाती है ! जैसे की कथित खुदको एक गरिब के घर में पैदा लेनेवाला बतलाने के बाद यदि वह गरिब जनता की वोट से मंत्री बन जाता है तो वह मानो रातो रात अमिर हो जाता है | पर जिस गरिब जनता को मालिक कहकर वह उससे वोट मांगकर मंत्री बनता है , वह जनता मालिक किसी गरिब को अमिर बनाने वाली सरकार बार बार चुनकर भी गरिब का गरिब बना रहता है | जिस अमिर सरकार को बार बार चुनकर गणतंत्र और आजादी दिवस के दिन भी आधी आबादी भुखे पेट सो जाती है |बहुसंख्यक आबादी ऐसी है , जो कि यदि आजादी के लिए पुरी तरह से कुद पड़ने के बाद मेहनत मजदुरी न कर तो उनकी पुरी जिन्दगी किसी अमिर की तरह खाते पिते कटना तो दुर एकदिन भी यदि वह काम पर न जाए तो उनकी और उनके परिवार दोनो की ही जिवन भुखा पेट सोकर दुबारा कभी आँख न खुले ऐसी खतरे में पड़ जाएगी | जिस बात को सरकार चलाने वाले अच्छी तरह से जानते हैं | तभी तो वे चुनाव में मौका का फायदा उठाकर वोट के लिए कंबल भोजन वगैरा बांटते हैं | जो चुनाव समाप्त होते ही सरकार बनने के बाद अपने किए हुए निवेश को सुध समेत वसुली करना सुरु कर देते हैं | सत्ता में बैठने के बाद उन्हे गरिबी भुखमरी से कोई खास लेना देना नही रहता है | जिसके चलते ही तो वे खुद तो सारी अमिरी सुख सुविधा पर खास ध्यान देते हैं , पर गरिबी भुखमरी में खास ध्यान नही देते हैं | नही तो फिर इस देश में अन्न धन की कमी न होते हुए भी हर साल लाखो लोग गरिबी भुखमरी से क्यों मारे जा रहे हैं ! जबकि इस देश के बहुसंख्यक आबादी को संविधान में खास अधिकार भी प्राप्त है | बल्कि जिने का अधिकार तो संविधान में सबको प्राप्त है | पर फिर भी हर साल लाखो लोग गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं | 

poor india, गरिबी भुखमरी Khoj123

कांग्रेस भाजपा दोनो की ही सोच गरिबी को हटाने की नही है 

1947 ई० से लेकर अबतक इस देश में भाजपा और कांग्रेस दोनो ने ही सबसे अधिक समय और सबसे अधिक राज्यो में शासन किया है | आज 2021 ई० समाप्त होगा और कल 2022 ई० का स्वागत क्या करोड़ो लोगो को भुखा रखकर जस्न होगा | जिस तरह के बुरे हालात के लिए मुख्य जिम्मेवार वे लोग और उनके द्वारा स्थापित वह भ्रष्ट शासन है , जो सिर्फ चुनाव में गरिबी हटाओ और बेटी बचाओ की बाते करके लंबे समय तक शासक बनने के बाद गरिब बीपीएल भारत बसाकर बेटियो को पेट के लिए वैश्या तक बनने के लिए मजबुर करते आ रहे हैं |  इनके साशन में सड़क से लेकर पाँच सितारा होटल तक वैश्यावृति का धँधा बड़ते ही जा रही है | ये लोग नारी सुरक्षा के नाम से नारी का वोट लेकर सत्ता में बैठकर हर साल हजारो लाखो नारियो का बलात्कार होते नही रोक पा रहे हैं | सिर्फ अपनी सुरक्षा को खास ध्यान देकर इस देश के जवानो को नारी की इज्जत बचाने में कम लगा रहे हैं और अपनी सुरक्षा में ज्यादे लगाने में ध्यान देकर अपनी सुरक्षा में करोड़ो खर्च भी करते आ रहे हैं | जो लोग बेटी बचाओ नही खुदको बचाओ कहकर चौबीस घंटे देश की सबसे महंगी खास सुरक्षा से घिरे रहते हैं | गरिबी हटाओ नही गरिबो को हटाने में लगे रहते हैं | जैसे कि मुठीभर आबादी को खास सुख सुविधा प्रदान करने के लिए कभी गरिबो का घरबार उजाड़ देते हैं , तो कभी अपने खास करिबियो को खुश करने के लिए गरिबो को विस्थापित करके उनके हक अधिकारो में कब्जा करवा देते हैं | मुमकिन है ये नोएडा में जिस एयरपोर्ट का शिलान्यास करके उसे बनाने जा रहे हैं , वह भी गरिबो के हक अधिकारो को लुटकर बनेगा | जिसके बनने के बाद दस बीस हजार को भी सरकारी नौकरी मिलेगी की नही मिलेगी पर लाखो लोगो का जिवन अपने हक अधिकारो के छिने जाने से जरुर अभी से और अधिक खराब हो जाएगा | जैसे कि जहाँ जहाँ भी स्मार्ट सिटि बन रही है , वहाँ भी मुठीभर लोगो को खास सुख सुविधा प्रदान करने के लिए ज्यादेतर लोगो की जिवन को बर्बाद किया जा रहा है | कांग्रेस ये कुकर्म कई दसक तक करते आ रही थी | जिसे भाजपा आगे बड़ा रही है | क्योंकि ये लोग मानो श्रापित लोग हैं , जो जिधर भी जाते हैं विकाश नही वनाश करते हैं | कोई राज्य इनसे अछुता नही है | क्योंकु कांग्रेस भाजपा का सबसे अधिक राज्यो में भी सरकार है | जो दोनो ही पार्टी हम सत्ता में आकर विकाश करा देंगे कहकर वोट मांगकर चुनाव जितकर विकाश के नाम से जिधर भी अपना हाथ पाँव लगाते हैं , उधर मानवता और पर्यावरण का बर्बादी सुरु हो जाता है | 


ये विकाश नही विनाश करने वाले लोग हैं | जो एकदिन खुदका भी विनाश खुद ही कर लेंगे | जैसे की कौरव पांडवो ने खुद ही खुदका विनाश कर लिया था | बल्कि रामराज कायम करने वालो ने भी खुद ही खुदका विनाश कर लिया था | ये पांडवराज और रामराज को अपना आदर्श मानने वाले भी एकदिन अपना खुद ही विनाश कर लेंगे | बजाय इसके की ये आजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद दुसरो का भी विकाश करते और अपनी भी बेहत्तर विकाश करते | पर नही इन्हे तो बस अपनी झुठी शान को बरकरार रखने के लिए दुसरो के भी हक अधिकारो को छिनकर मुठीभर लोगो को मानो इतना अधिक खिलाते रहना है कि उनका विनाश अति खा खाकर पेट फटने की वजह हो जाय | ये भाजपा कांग्रेस के खास करिबी भी अति खाने में ही दिन रात लगे हुए हैं | जिनकी मदत से ये प्रत्येक चुनाव में सबसे अधिक धन खर्च करने वाली पार्टी भी कहलाती है | 


उत्तर प्रदेश चुनाव में भी ये दोनो पार्टी चुनाव से पहले ही सबसे अधिक धन खर्च करना सुरु भी कर दी है | एक एक रैली में लाखो करोड़ो खर्च किए जा रहे हैं | इनके द्वारा खर्च किए जा रहे पैसे को देखकर लाखो गरिब बीपीएल इनसे चुनाव प्रचार के दौरान कंबल खाना वगैरा की भी उम्मीद करके भिड़ लगा रही है | क्योंकि उन्हे पता है कि चुनाव के बाद ये सरकार बनकर उन्हे कुछ नही देने वाले हैं |


 जिसके चलते ये चुनाव प्रचार में कंबल खाना वगैरा की उम्मीद करके भिड़ लगाते हैं | ऐसी हालात बरकरार है कांग्रेस के द्वारा पचास साठ साल शासन करने और भाजपा द्वारा दस साल से भी अधिक समय तक शासन करने के बावजुद भी | क्योंकि इनके शासन में जो धन्ना कुबेरो को कई कई लाख करोड़ का विशेष लाभ पहुँचाया जाता रहा है , वह इनका मानो सत्ता पाने के लिए एक प्रकार का निवेश अथवा फिक्स डिपोजिट ही तो होता है | यू ही नही इनके खास खास करिबी सिर्फ एक साल में ही अमिर से और अति अमिर होते चले जाते हैं कि कोई सबसे अधिक तनख्वा पाकर सरकारी नौकरी करने वाला व्यक्ती भी यदि अपनी सारी जिवन की कमाई को जोड़कर इनकी एक महिने की अमिरी से भी यदि तुलना करे तो सबसे अधिक तनख्वा में सरकारी नौकरी करने वाले भी उनके सामने भ्रष्ट सरकार की विशेष कृपा से सारी जिन्दगी कमाया गया धन के मामले में छोटे ही नजर आते हैं | रही बात भ्रष्ट शासको की तो वे तो सिर्फ अपनी एक विदेश यात्रा में ही देश के खजाने से सिर्फ मात्र खाने पिने में ही इतने खर्च मिल जुलकर कर देते हैं कि यदि उस खर्च से किसी गरिब का पेट भरा जाय तो इतने गरिबो का पेट भर सकता है , जितना कि इनकी सबसे अधिक भीड़ वाली रैलियो में भी भीड़ इकठा कभी नही होती होगी | जितने लोगो के पेट में लात मारकर ये विदेश यात्रा करके सिर्फ खाने पिने में ही खर्च करते रहते हैं | क्या इन्हे रोजमरा जिवन में बहुसंख्यक आबादी द्वारा खाये जानेवाला घरेलु खाना हजम नही होता है ? कांग्रेस शासन के दौरान आठ दस हजार रुपया प्रति प्लेट भी खाई जा रही थी जो बड़कर भाजपा शासन में कितना होगा यह तो भाजपा शासन के दौरान बड़ी महंगाई के बारे में ही जानकार अनुमान लगाया जा सकता है | जितना महंगा खाने की जरुरत क्या है जब यह देश गरिबी भुखमरी से जुझ रहा है | ये लोग किसी मजदुर को न्यनतम मजदुरी और विकलांग , वृद्ध और विधवा वगैरा को सरकारी पेंशन और सरकारी राशन महिना में जितना नही देते हैं , उससे कहीं ज्यादा तो सिर्फ अपने लिए चाय नास्ता में ही धन्ना कुबेरो के साथ बैठकर खर्च करते हैं | जो लोग इंद्रदेव और कुबेर की तरह झुठे शान के इतने भुखड़ लोग होते हैं कि इनके गलत संगत में यदि कोई व्यक्ती आकर इनकी पसंद का पार्टी खाना यदि वह भी सुरु कर देता है तो पुरी संभावना हो जाता है कि उसे भी झुठी शान का भुखड़पन आ जाएगा और वह भी मुठीभर खास लोगो के साथ ही उठना बैठना सुरु करके उसे भी तृप्ती मिलना मुश्किल हो जाता है | जैसे कि किसी धन्ना की पार्टी में जाकर गणेष को भी इतना भुखड़पन सवार हो गया था कि यदि गणेष की माँ उसे अपने हाथो से चावल बनाकर नही खिलाती तो गणेष अपनी भुख को शांत करने के लिए धन्ना को भी खा जाता | जिस तरह का भुखड़पन इनकी जिवन में तब से मौजुद है , जबसे ये दुसरो के हक अधिकारो को छिन और कब्जा करके इस देश को गरिबी भुखमरी देकर शासन करते आ रहे हैं | जो भुखड़पन सायद इनकी तब समाप्त होगी जब इनके द्वारा कब्जा किया हुआ इस देश का शासन इनके हाथो से हमेशा हमेशा के लिए चली जाएगी | जो कि तब जाएगा जब इस देश को पुरी आजादी मिलेगी |


गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

Hindustan Hinduism Hindu Veda Purana Hindu Festivals and Nature Science



हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान


हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान
हिंदुस्तान हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण हिंदू पर्व त्योहार और प्रकृति विज्ञान



Hindustan Hinduism Hindu Veda Purana Hindu Festivals and Nature Science




hindustaan hindoo dharm hindoo ved puraan hindoo parv tyohaar aur prakrti vigyaan


इस कृषि प्रधान देश भारत जिसे हिन्दुस्तान भी कहा जाता है वहाँ पर जब मनुवादि हजारो साल पहले बाहर से प्रवेश किया था तो वह संभवता कपड़ा पहनना भी नही जानता था तो वह क्या इतने सारे वेद पुराण और हजारो जातियाँ बनाएगा | इस देश में प्रवेश से पहले उसे तो अपने परिवार समाज के बारे में भी पता नही था कि वह इस देश में आने से पहले किस परिवार समाज में जन्म लिया था | क्योंकि मनुवादियो के परिवार समाज के बारे में अबतक पता ही नही चला है कि कहाँ पर उसे मनुवादियो ने छोड़कर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आकर वापस अपने परिवार समाज के पास कभी लौटे ही नही | इस देश में मौजुद मनुवादियो का वंशवृक्ष तो इसी देश की नारियो से मनुवादियो द्वारा पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बड़ाया गया है | जो कि DNA रिपोर्ट से साबित भी हो गया है | जिससे पहले के परिवार समाज के बारे में तो मनुवादियो को कुछ पता ही नही है | और जब उन्हे अपने परिवार के बारे में पता ही नही तो वे क्या धोबी नाई चमार बढ़ई महली वगैरा हजारो विकसित हुनरो के बारे में जानते होंगे | जिसे आज के समय में गिनती में छः हजार से ज्यादे हुनरो की जानकारी हजारो जाति के नाम से दर्ज है | जिन हजारो हुनरो को दरसल हमलोगो ने खुद विकसित किया है | न कि इसे मनुवादियो ने विकसित अथवा बनाकर सभी हजारो जातियो में धोबी नाई चमार महली वगैरा हुनर सिखाकर सबको काम पर लगाया है | क्योंकि जब खुद मनुवादि इस देश में पेट के वास्ते घुमकड़ भुखड़ लंगटा लुचा जिवन व्यक्तीत करते हुए प्रवेश किया था तब के समय में भी यह देश विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके हजारो हुनरो के साथ विकसित गणतंत्र जिवन व्यक्तीत कर रहा था | हजारो विकसित हुनर तब भी मौजुद थी , जिसके जरिये इस देश में विकसित कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण हुआ है | जिसमे वेद पुराणो की रचना भी शामिल है | न कि वेद पुराण और हजारो हुनरो जैसे जानकारियो का सागर उन लंगटा लुचा मनुवादियो द्वारा रचे गए हैं , जिन्हे इस देश में प्रवेश करने से पहले संभवता कपड़ा पहनना भी नही आता था | क्या वे तब जानते होंगे कपड़ा बनाना कपड़ा पहनना और कपड़ा धोना ! जिन्हे तो अपने परिवार समाज और इतिहास के बारे में भी नही पता | जो कुछ वे जानते हैं वह सब इस देश के लोगो के द्वारा जुटाई और खोजी गई जानकारी है | न कि लंगटा लुचा मनुवादियो ने इतनी सारी जानकारियो का वेद पुराण हुनर सागर और इस देश का इतिहास हमे प्रदान किया है | बल्कि हमने वेद पुराणो की रचना करके मनुवादियो को उनका इतिहास और परिवार समाज के बारे में जानकारि उपलब्ध कराया है | और भविष्य में इस देश के लोग ही मनुवादियो को उनके उस लापता गुमनाम परिवार के बारे में जानकारी जुटाकर उनसे मिलाने का प्रयाश भी करेंगे जिनके बारे में मनुवादियो को कुछ नही पता है कि इस देश में आने से पहले वे कहाँ पर पैदा होकर बड़ा होने तक अपनी जिवन व्यक्तीत कर रहे थे | क्योंकि मनुवादि किसी लावारिस बच्चे की तरह रोते विलखते माँ पिताजी करते हुए तो इस देश में प्रवेश नही किए होंगे | जिसके बारे में सबसे प्राचिन ऋंग्वेद में भी जिक्र है कि मनुवादि इस देश में प्रवेश करते समय दुध पिता बच्चा नही था | बल्कि बड़ा होकर उन्होने इस देश में प्रवेश किए और इस देश को घर के भेदियो की सहायता से गुलाम करके यहीं पर अपने गुलामो के साथ पारिवारिक रिस्ता जोड़कर बस गए | जिसके बाद उन्होने घर के भेदियो की ही सहायता से इस देश की भाषा को सिखा फिर इस देश की वेद पुराणो में अपनी लाभ के अनुसार मिलावट और छेड़छाड़ करके अपनी लाभ के अनुसार गुलाम भारत का संविधान मनुस्मृति रचना किया और उसे लागू करके अपने गुलामो को शूद्र घोषित करके हजारो हुनर से जुड़े हजारो पेशा को हजारो जाति घोषित कर दिया | अथवा हजारो पेशे को करने वाले इस देश के मुलनिवासियो को मनुवादियो ने शूद्र घोषित करके हजारो हुनर को हजारो जाति बना दिया है | 


जैसे की यदि आज के समय में भी मौजुद हजारो हुनर को जानने वाले हजारो पेशा को करने वालो को शूद्र घोषित कर दिया जाता तो आज तो पहले से भी अधिक जातियाँ बना दी जाती | क्योंकि आज के समय में इंसानो ने पहले से कहीं अधिक हुनर को सिखकर उसे अपना पेशा बनाकर उससे जुड़े हुए लाखो करोड़ो लोग अपना घर परिवार चला रहे हैं | जैसे की आज के समय में एक खास उदाहरन के तौर पर इंटरनेट मौजुद होने की वजह से इंटरनेट से जुड़े हुए Youtube , blogger वगैरा से जुड़कर हजारो हुनर के माध्यम से हजारो पेशे के रुप में परिवर्तित होकर उससे जुड़कर लाखो लोगो की रोजी रोटी चल रही है | जिससे जुड़े सभी लोगो को यदि पुरी दुनियाँ को मनुवादियो द्वारा गुलाम बनाकर शूद्र घोषित कर दिया जाय तो ये सभी इंटरनेट से जुड़े अलग अलग हुनर से जुड़े पेशे भी हजारो जाति बन जाएगी | जिसके बाद भविष्य में क्या यह गलत जानकारी दी जाएगी की इंटरनेट और इंटरनेट से जुड़े हुए हजारो हुनरो को मनुवादियो ने बनाए हैं ? वैसे भी मनुवादि खोज से ज्यादे पहले से ही खोजी गई जानकारियो में छेड़छाड़ और मिलावट करने की हुनर में ज्यादे महारत हासिल किया हुआ है | जिसका सबसे बड़ा उदाहरन इस देश के लोगो द्वारा रचे वेद पुराण और इस देश का हिंदू धर्म में मनुवादियो द्वारा मिलावट और छेड़छाड़ है | जिसे मनुवादि अपना घोषित करके उसके साथ छेड़छाड़ और मिलावट करके पुरी दुनियाँ को अबतक यह बतलाते आ रहा है कि असली हिंदू वह है , और हिंदू वेद पुराण उसी के द्वारा रचे गए हैं | वह तो इस देश को भी इसे हमने बनाया है और इस देश का मूल मालिक हम हैं बताने की सोच से लंबे समय से खुदको कट्टर हिंदू और खुदको जन्म से हिंदू धर्म का ठिकेदार बना रखा है | जबकि उसे भी पता है कि हिंदू धर्म हिंदू वेद पुराण और होली दीवाली मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार यूरेशिया से नही आए हैं | जिसे मनाने के लिए छुवाछूत की जरुरत भी नही पड़ती है | बल्कि छुवाछूत करने वाले तो खुदको कट्टर हिंदू कहकर भी इन पर्व त्योहारो को बिना छुवाछूत छोड़े मना भी नही सकते | जो पर्व त्योहार मुलता प्रकृति पर आधारित है | और हिंदू धर्म भी मूलता प्रकृति विज्ञान की प्रमाणित जानकारियो पर आधारित है | जिसमे मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति सूर्य को सूर्यदेव , प्रकृति हवा को पवनदेव , प्रकृति आग को अग्निदेव पूजा वगैरा मिलावट और छेड़छाड़ करके प्रकृति विज्ञान को ढोंग पाखंड परिभाषित करने की कोशिष किया है | पर चूँकि एक झूठ को हजार बार सत्य बताकर सत्य को लंबे समय तक दबाया तो जा सकता है , पर हमेशा के लिए छिपाया नही जा सकता | इसलिए हिंदू धर्म वेद पुराणो और हिंदू पर्व त्योहारो की सच्चाई धिरे धिरे एकदिन पुरी दुनियाँ को समझ में आ जाएगी कि यह मनुवादियो के द्वारा बनाए गए ढोंग पाखंड नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियो के द्वारा बनाए गए प्रकृति विज्ञान पर आधारित ज्ञान का सागर है | जिसकी नींव मनुवादियो के आने से कहीं पहले ही रखी जा चूकि थी |


बुधवार, 22 दिसंबर 2021

Even now many countries are slaves even after being freedom


 Even now many countries are slaves even after being freedom

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं ,khoj123

आजादी के बाद भी आज भी कई देश गुलाम हैं


aajaadee ke baad bhee aaj bhee kaee desh gulaam hain


जिस देश में भी गरिबी भुखमरी मौजुद है वह देश किसी गरिब की नजर से पुरी तरह से आजाद तभी कहलाएगा जब वहाँ की सरकार उसकी गरिबी को सिर्फ अपने एक ही कार्यकाल में दुर कर देगा | और यदि दुर नही किया तो समझो वह देश पुरी तरह से आजाद नही है |

बेघर लोग,khoj123
                                     

                                        homeless citizens

 क्योंकि सरकार बनाने वाले यदि सरकार बनते ही अपनी कार्यकाल पुरा होने से पहले ही अपनी गरिबी भुखमरी दुर कर सकते हैं तो फिर वे सरकारी सेवक बनकर जनता की गरिबी भुखमरी को पुरा कार्यकाल समाप्ती तक क्यों नही दुर कर सकते हैं | क्यों वे विदेशी और विदेशी कंपनियो को स्थापित करने वालो को तो  अमिर से और अधिक अमिर बनने में विशेष सहायता करते रहते हैं पर अपनी जमिन से जुड़े मुलनिवासियो की गरिबी भुखमरी दुर करने में असमर्थ महसुश करते हैं | ऐसा क्यों , क्योंकि असल में गुलाम बनाने वाले अब भी उस देश को लुटकर गरिबी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा अब भी मौजुद है | जैसे कि अफ्रीका और भारत में भी गुलाम करके लुटपाट करने वाले अब भी मौजुद हैं | जो कि इस देश को गरिबी भुखमरी मुक्त होने नही दे रहे हैं | जबकि अफ्रीका और भारत दोनो ही प्राकृति धन संपदा से अमिर देश हैं | जिसकी ही तो लुटपाट करने के लिए गुलाम करने वाले लुटेरे अबतक भी इन क्षेत्रो में किसी न किसी माध्यम से लुटपाट जारी रखे हुए हैं | जो लुटपाट जबतक जारी रहेगा तबतक गरिबी भुखमरी भी जारी रहेगा | क्योंकि लुटेरा अपनी गरिबी दुर करने के लिए लुटपाट सुरु किया है | जो लुटपाट को छोड़कर अमिर बने ज्यादे समय तक अमिर बने नही रह सकता | क्योंकि अमिरी उसकी प्रकृति नही है | जिसके चलते वह प्राकृति खनिज संपदा से अमिर क्षेत्रो में ही लुटपाट का मुख्य धँधा चलाता है | गुलाम करके लुटपाट करना भी अमिर बनने का धँधा है | जो धँधा मुलता वे लोग करते आ रहे हैं जो उन क्षेत्रो के मुलनिवासि हैं , जहाँ पर प्राकृति धन संपदा का अभाव है | अथवा वहाँ के मुलनिवासि प्राकृति तौर पर अमिर नही हैं | जिन्हे असली अमिर बनाना है तो उनके क्षेत्रो को प्राकृति रुप से अमिर करने की कोशिष पुरी दुनियाँ को मिलकर करनी चाहिए | प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी अमिरी को लुटाकर लंबे समय से अपनी जान की कुर्बानी गरिबी भुखमरी से मरकर देते आ रहे हैं | जिनकी मौत गरिबी भुखमरी से कभी नही होती यदि प्राकृति रुप से गरिब क्षेत्रो के मुलनिवासि अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर उनकी अमिरी को लुटकर खुद अमिर न होते ! जैसे की अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने के लिए कबिलई गोरे पुरे विश्व के कई ऐसे देशो को लुटे , जो की प्राकृति रुप से अमिर देश हैं | जिनकी अमिरी को लुटकर वे मानो उधार की अमिरी लेकर आज के समय में विकसित देश कहलाते हैं | जो लुटपाट दरसल प्राकृति में घटी कोई बड़ी घटना की वजह से पुरी दुनियाँ का नक्सा बिगड़ने के बाद से सुरु हो गया है | हाँ सुरुवात में जब इंसानो ने कोई अपना क्षेत्र अथवा अपना देश जहाँ के वे मुलनिवासि कहलाते हैं , वह नही बनाया होगा तबतक जानवर ही एक प्राकृति गरिब क्षेत्र से दुसरे प्राकृति अमिर क्षेत्र में जाकर लुटपाट करते होंगे | जैसे की अब भी जानवर करते हैं | जो की अपने क्षेत्र में उन्हे भोजन का अभाव महसुश होता है तो वे दुसरे के क्षोत्रो में जाकर भोजन करते हैं | जो की इंसान भी लंबे समय से करते आ रहे हैं | क्योंकि जिस प्राकृति क्षेत्र में कोई बड़ी घटना होने की वजह से वहाँ की प्राकृति अमिरी चली गई है , अथवा वहाँ पर प्राकृति खनिज संपदा या फिर पानी उपजाउ जमिन वगैरा की घोर कमी हो गई है , वहाँ के मुलनिवासि अपनी प्राकृति गरिबी से छुटकारा पाने के लिए प्राकृति अमिर क्षेत्रो में लुटपाट करना सुरु कर दिया है | जो जड़ से समाप्त तबतक नही होगा जबतक की या तो पुरी दुनियाँ मिलकर जिन जिन क्षेत्रो में प्राकृति गरिबि मौजुद है उसे दुर करने का उपाय करे वहाँ पर पानी वगैरा पहुँचाने और खेती भरपुर मात्रा में सुरु करने की | जबकि अभी देखा जाय तो पुरी दुनियाँ दरसल असल गरिबी जो जड़ में मौजुद है , उसे दुर न करके उस गरिबी को दुर करने में ही लगा हुआ है जो कि असल में जड़ से गरिब नही बल्कि गरिब बनाया गया है | क्योंकि वह क्षेत्र प्राकृति रुप से अमिर है | जैसे की अफ्रीका और भारत वगैरा जड़ से प्राकृति रुप से अमिर क्षेत्र है | जहाँ पर यदि बाहरी कबिलई लुटेरे जो की अब भी खुदको अपडेट करके इन क्षेत्रो में लुटपाट जारी रखे हुए हैं , वे यदि अपनी लुटपाट धँधा बंद कर दे तो इन क्षेत्रो में अमिरी लौट आएगी | जिस अमिरी को ज्यादेतर विदेशी कबिलई लुटेरे लुट लुटकर अब भी अपनी गरिबी भुखमरी दुर करने में ही लगे हुए हैं | यू ही नही कहा जाता की अमिर लोग पहले से और अधिक अमिर होते जा रहे हैं और गरिब लोग पहले से और अधिक गरिब होते जा रहे हैं | क्योंकि लुटपाट से अमिर बनने वाले मुलता विदेशी कबिलई लुटेरो के वंशज लोग प्राकृति रुप से जड़ से गरिब लोग हैं | जिसके चलते यदि वे अपनी लुटपाट से धन संपदा भर भी लेते हैं , तो भी उन्हे भितर से अपनी गरिबी उन्हे और अधिक अमिर बनने के लिए उनसे लुटपाट करवाती रहती है | क्योंकि गरिबी उनकि प्रकृति है |

Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue

 

Why is there similarity between Buddha statue and Shiva statue?


बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है,khoj123

बुद्ध प्रतिमा और शिव प्रतिमा में समानता क्यों है?


शिव को जट्टाधारी माना जाता है | और बुद्ध को भी मूर्ति वगैरा में जट्टाधारी देखा जा सकता है | बल्कि कई विवाद भी है कि शिव को ही बुद्ध बताकर बौद्ध धर्म का जन्म हुआ है | वहीं बौद्ध धर्म वाले भी अपनी तरफ से यह कहते रहते हैं कि हिंदू धर्म में मौजुद शिव प्रतिमा बुद्ध का ही प्रतिमा है | वैसे बौद्ध धर्म में चूँकि बिना बाल के बौद्ध पुजारी दिखते हैं , इसलिए कहा जा सकता है कि वे चूँकि बुद्ध जैसा जट्टाधारी नही हैं , इसलिए मुमकिन है बुद्ध भी जट्टाधारी शिव को ही बताया जाता है | क्योंकि बुद्ध के समय में भी ढोंग पाखंड मौजुद था | अथवा मनुवादि लोग तब भी मौजुद थे | जिस ढोंग पाखंड के बिच में बुद्ध का जन्म हुआ | अथवा बुद्ध भी ढोंगी पाखंडियो के परिवार में ही पैदा लिए थे | जिसके कारन उसे ढोंग पाखंड को त्यागकर अपने ढोंगी पाखंडी परिवार से दुर जाकर उस प्राकृति ज्ञान विज्ञान सत्य को प्राप्त करना पड़ा , जिसे ढोंगी पाखंडी परिवार अपने बच्चो को नही देते हैं | क्योंकि वे अपने बच्चो को ढोंग पाखंड अप्राकृति चमत्कार असत्य और भोग विलाश सिखलाते हैं , जो कि बुद्ध को भी महलो के अंदर प्राप्त था  | जिससे बाहर की असल दुनियाँ से बुद्ध का परिवार बुद्ध को इसलिए दुर रखे हुए था , क्योंकि बुद्ध का परिवार को सिर्फ अपनी झुठी शान से मतलब था | जिस शान को बुद्ध भी अपनाकर भोग विलाश में डुबे रहे , इसलिए उसे बाहरी दुनियाँ से दुर रखा गया था | बुद्ध भी बचपन से लेकर जवानी और फिर विवाह करके बाप बनने तक झुठी शान की महलो वाली भोग विलास जिवन यापन किया था | जिसे त्यागकर ही वह सत्य बुद्धी को प्राप्त किया | जिससे पहले उसके पास जो भी ज्ञान की डिग्री थी , उसके आधार पर बुद्ध को ज्ञानी नही कहा जाता है | तभी तो यह कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ती पीपल पेड़ के निचे हुआ था | वह भी बिना गुरु का ही हुआ था | जिससे पहले महलो के भितर मनुवादि गुरु ब्राह्मणो द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान को महत्व नही दिया जाता है | क्योंकि वह सब ज्ञान ढोंग पाखंड अथवा असत्य को बढ़ावा देता है | जिस ढोंग पाखंड का सरदार मनुवादियो को माना जाता है | जिस मनुवादि परिवार में ही बुद्ध का भी जन्म हुआ था | तभी तो उसे वेद पुरान का भी ज्ञान प्राप्त था | जो कि इस देश के मुलनिवासियो को शूद्र निच कहकर उस समय वेद ज्ञान प्राप्त करना मना था | जो पाबंदी बुद्ध को नही था , क्योंकि वह भी उच्च क्षत्रिय जाति परिवार में पैदा हुआ था | जिस क्षत्रिय के साथ छुवाछूत जैसे भेदभाव नही होता है | जैसा कि बुद्ध के साथ भी नही होता था , और उसे वेद ज्ञान देने वाले ब्राह्मण उसके महल में आते जाते थे | न कि बुद्ध शूद्र था जिसके साथ भी मनुवादि छुवाछूत करते थे | छुवाछूत करते तो फिर बुद्ध के महलो में उसे ज्ञान देने नही जाते | 


शिव और बुद्ध दोनो ही प्राकृति के बिच नजर आते हैं


जिसके बारे में तो यह भी मुमकिन है कि जट्टाधारी बुद्ध प्रतिमा दरसल शिव प्रतिमा का ही कॉपी है | कॉपी करके मनुवादियो ने मनुवादी ढोंग पाखंड का एक और नया ब्रांच खोलने की मकसद से बौद्ध धर्म को जन्म देकर बौद्ध धर्म में भी ढोंग पाखंड का धँधा सुरु कर दिया है | जैसे की कांग्रेस पार्टी के बाद भाजपा पार्टी एक नया ब्रांच पार्टी है मनुवादियो का | क्योंकि मनुवादीयो की दबदबा हिंदू धर्म में भी है और बौद्ध धर्म में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव करते दिख जाते हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव करते मिल जाते हैं | उसी तरह मनुवादियो की दबदबा कांग्रेस पार्टी में भी है , और भाजपा पार्टी में भी है | मनुवादि हिंदू मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं , और बौद्ध मंदिरो में भी भेदभाव कायम किए हुए हैं | उसी तरह मनुवादि कांग्रेस भाजपा दोनो ही पार्टी में अपनी दबदबा कायम किए हुए हैं | बल्कि मनुवादियो की दबदबा इस देश में ही कायम है | जिनके सामने इस देश के मुलनिवासियो की हालत कैसी है , यह तो इसी बात से ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वर्तमान के समय में  इस देश के मुलनिवासि खंड खंड हुए किसी भी देश का न तो मूल शासक हैं , और न ही किसी भी धर्म के मूल धर्मगुरु हैं | हलांकि यह देश और इस देश का मुल धर्म और धर्म ग्रंथ इस देश के मुलनिवासियो द्वारा ही रचा या बनाया गया है | जिसमे कब्जा करके गुलाम करने वालो ने उसे अपना खास बना लिया है , देश का खास शासक बनकर और धर्म का खास धर्मगुरु बनकर | जो इस देश के मुलनिवासि खास हिंदू या बौद्ध नही माने जाते | और न ही इस देश के मुलनिवासियो को इस देश की सत्ता में खास माना जाता हैं | क्योंकि वे अभी भी गुलाम हैं | जिन्हे न तो हिंदू धर्मगुरु माना जाता और न ही बौद्ध धर्मगुरु माना जाता | बुद्ध को तो बौद्ध धर्मगुरु या फिर बुद्ध भगवान माना जाता है | बल्कि यह भी माना जाता है कि बुद्ध क्षत्रिय परिवार में जन्मे और विष्णु अवतार थे | भले बौद्ध धर्म वाले और हिंदू धर्म के ठिकेदार एक दुसरे को दिन रात गाली देते रहते हैं , पर वे हमेशा बौद्ध बनने के लिए इस देश के मुलनिवासियो को ही कहते हैं | क्योंकि उन्हे पता है कि हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनो में ही जिन मनुवादियो का छुवाछूत कब्जा है , वे दोनो इस देश के मुलनिवासियो को ही गुलाम बना सकते हैं | नही तो फिर जो मनुवादि बुद्ध को क्षत्रिय और विष्णु देव का अवतार कहता है , वह मुलता खुद बौद्ध बनकर बौद्ध धर्म को क्यों नही अपना लेता है | क्योंकि उन्हे पता है कि मूल रुप से एक मनुवादि दुसरे मनुवादि को गुलाम भक्त कभी नही बना सकता , बल्कि एक दुसरे के गुलाम भक्तो को धर्म परिवर्तन कराकर आपस में बांट जरुर सकता है | उन गुलाम भक्तो को जिसे ये मनुवादि चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर बौद्ध धर्म में , उन्हे कभी भी मुल धर्मगुरु नही बनाते हैं | हाँ धर्म भक्त जरुर बनाते हैं | क्योंकि उनसे उन्हे विशेष लाभ मिलता रहता है | जिसमे यदि सच्चाई नही है तो स्वीकार करो की असली हिंदू धर्मगुरु इस देश का मुलनिवासि हैं , और असली बौद्ध धर्मगुरु भी इस देश के मुलनिवासि ही हैं | जो कि नही स्वीकार कर सकते , क्योंकि स्वीकारे तो गुलामी समाप्त हो जाएगी और मनुवादियो का ढोंग पाखंड धँधा भी समाप्त हो जाएगा | जिसके बगैर मनुवादि अपनी झुठी शान की जिवन नही जी सकते | जिस झुठी शान के लिए ही तो वे हिंदू धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं , और बौद्ध धर्म में भी रहकर छुवाछूत करते हैं | दिन रात असली हिंदू कहकर मनुवादि रट्टा मारकर मनुवादियो को हिंदू बताया जाता है | यह जानते हुए कि बिना इस देश के मुलवासियो के हिंदू रहते हिंदू धर्म सिर्फ मनुवादियो की अल्पसंख्यक आबादी को गिनकर दुनियाँ का तीसरा बड़ा धर्म का स्थान प्राप्त नही कर सकता | बल्कि मनुवादि चूँकि वे मिल जुलकर होली दीवाली और मकर संक्रांती जैसे हिंदू पर्व त्योहार भी अपनी मनुवादि सोच अनुसार नही मना सकते हैं , इसलिए यदि वे अपनी मनुस्मृति को अपना सबसे खास धर्म ग्रंथ मानकर जिसमे लिखे सारी बातो को खास पालन करना जरुरी मानकर यदि हिंदू धर्म से अलग होकर अपना खास मनुसृति धर्म बनाकर अपने मनुस्मृति को पवित्र धर्मग्रंथ घोषित करके खुदको भौगोलिक पहचान के हिसाब से हिंदू के बजाय यूरेशियन नाम का कोई अलग विदेशी पहचान से नाम रख भी देंगे तो भी हिंदू धर्म दुनियाँ के पाँच सबसे बड़े धर्मो में जरुर गिना जाएगा | लेकिन भी बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले बार बार मनुवादियो की तरह भ्रमित करके जो कि वे मनुवादि हैं भी , यही कहते रहते हैं कि इस देश के मुलनिवासि हिंदू नही हैं | जबकि बौद्ध धर्म में मौजुद छुवाछूत करने वाले और हिंदू धर्म में  भी मौजुद छुवाछूत करने वाले दोनो का  ही DNA जाँच हो तो ये निश्चित तौर पर एक ही DNA के मनुवादि ही निकलेंगे , जो न असल हिंदू हैं और न ही असल बौद्ध हैं | जिनसे ही तो यह देश सबसे अधिक लंबे समय से गुलाम है | जिन गुलाम करने वालो की दबदबा हिंदू और बौद्ध धर्म दोनो में ही मौजुद है | जिसकी वजह से ही तो हिंदू और बौद्ध दोनो धर्मो के वे लोग मनुवादियो से निचे माने जाते हैं , जिनके रगो में मुलनिवासियो का DNA मौजुद है | जो कि लंबे समय से भेदभाव का शिकार होते आ रहे हैं | जो लोग चाहे हिंदू धर्म में मौजुद हो या फिर अपना हिंदू धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बने हो उनको कभी भी मुल धर्मगुरु नही माना जाता है | कहीं न कहीं उन्हे बौद्ध धर्म में जाकर वहाँ भी मनुवादि गुलामी महशुस होता है | बाकि विदेशो में जन्म लेकर इस देश में आनेवाले धर्म तो वैसे भी अपने धर्म का मूल धर्मगुरु इस देश के मुलनिवासियो को क्यों नही बना सकते इसमे आश्चर्य होनेवाली कोई बात नही है | हाँ यदि मनुवादि यूरेशिया से निकलकर इस देश को यदि गुलाम नही बनाए होते तो यह मुमकिन है कि मनुवादियो द्वारा यदि यूरेशिया गुलाम होता तो फिर मनुवादि अपनी छुवाछूत सोच से विदेशी धर्मो में भी जरुर अपनी दबदबा कायम किए होते | हलांकि विदेशो में जन्मे यहूदि ईसाई और मुस्लिम धर्म के बारे में भी यह माना और देखा जाता है कि इन धर्मो में भी भारी भेदभाव मौजुद है | क्योंकि इन धर्मो में भी भारी अबादी भेदभाव शोषण अत्याचार का शिकार है | जो बात यदि सत्य नही होती तो इन धर्मो को मानने वाले कोई भी व्यक्ती गरिबी भुखमरी या फिर अन्याय अत्याचार का शिकार नही होता | क्योंकि हक अधिकार लुटने वाले अन्याय अत्याचार करने वाले देश विदेश दोनो ही जगह मौजुद हैं | जो की सभी धर्मो में मौजुद हैं | जिन्हे कोई भी धर्म अपनी ज्ञान की ताकत से अबतक इतना बुद्धी नही दे पाए हैं कि वे लुटपाट करना अन्याय अत्याचार करना छोड़ सके | जो यदि लुटपाट अन्याय अत्याचार नही होता तो आज कहीं भी गरिबी भुखमरी मौजुद नही होती | पुरी दुनियाँ में सबसे अधिक लुटपाट और अन्याय अत्याचार गुलाम करने वालो ने किया है | और गुलाम करने वालो से ही तो आजाद होने के लिए आज भी पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक आबादी संघर्ष कर रहा है | इतिहास गवाह है कि गुलामी से आजादी पाने के लिए आजादी संघर्ष करते करते कई धर्मो का भी जन्म हुआ है | 

शनिवार, 18 दिसंबर 2021

what is meaning of Digital India

 


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डीजिटल इंडिया की तस्वीर क्या ऐसी दुसरे की चुराई हुई होनी चाहिए ?


किसी के मुँह से सुना था कि " चीन का माल चला तो चाँद तक और नही चला तो शाम तक " पर भाजपा तो दो साल पुराना चीन का बनाया एयरपोर्ट को भी भविष्य का सबसे बड़ा डीजिटल एयरपोर्ट बताकर चाँद तक ले जाने की बात करके एशिया का न० 1 एयरपोर्ट घोषित कर दिया है | भाजपा द्वारा चीन के एयरपोर्ट को उत्तर प्रदेश नोएडा का जेवर एयरपोर्ट बताया गया | जबकि चीन के शेन शिवाई ने बताया कि " जिस तस्वीर को जेवर एयरपोर्ट बतलाया जा रहा है , वह दरसल बीजिंग में दो साल पहले ही सुरु हुआ एयरपोर्ट है " यानी भाजपा पार्टी डीजिटल विकाश करने के लिए किसी की पुरानी तस्वीरो की भी चोरी करके उसे अपने विकाश की तस्वीर बताती है |

विकाश के दौड़ में बहुत आगे निकल चुके देशो से भी बहुत आगे निकलने का डीजिटल विकाश का दावा भाजपा द्वारा इसी तरह का ही झुठ परोसकर वोट लिए जा रहे हैं हैं | 



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आधुनिक भारत



कांग्रेस भी यही कर रही थी,  जिसके झुठ को भाजपा आगे बड़ा रही है | दोनो ही पार्टी झुठ बोलकर डीजिटल विकाश के नाम से वोट बटोरकर सत्ता में आती रही है | कांग्रेस गरिबी हटाओ और आधुनिक भारत का नारा देकर कई दशक तक वोट बटोरती थी तो भाजपा शाईनिंग इंडिया,  डीजिटल इंडिया का नारा देकर वोट बटोरती आ रही है | जिन दोनो के शासन में न तो गरिबी भुखमरी हटी , और न ही बेरजगारी व महंगाई दुर होने का नाम ले रही है | जबकि दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से सरकार बनाने का मौका मिला है | लेकिन कांग्रेस यदि 55-60 सालो तक सत्ता में रही तो भाजपा भी दस साल से अधिक समय तक सत्ता में रही है | 2014 ई० में तो भाजपा यह झुठ बोलकर आई थी कि कांग्रेस को 60 साल मौका दिया गया,  भाजपा को सिर्फ साठ महिना दिजिए ! जबकि इससे पहले भी भाजपा शाईनिंग इंडिया का नारा देकर साठ महिना साशन कर चुकी थी | और अब तो भाजपा को साठ महिना तो क्या दो दो बार भारी बहुमत का भी मौका मिल चुका है | लेकिन भी ये अब चुनाव भाषण देकर झुठ में झुठ बोलकर फिर से मौका मांगेंगे !  क्या इनको प्राकृति भी जब बुढ़ा करके अब समय समाप्त हो गया कहेगी तो उससे भी यह फिर से जवान होकर बुढ़ा होने का मौका मांगेंगे ? जबकि सबको पता है कि भले जनता फिर से सरकार को पाँच साल या फिर उससे भी अधिक बार सरकार का समय समाप्त होकर भी मौका देती है,  पर बुढ़ा होने के बाद समय समाप्त होने पर प्राकृति दुबारा जवान होकर बुढ़ा होने का मौका नही देती है | जो बात को सरकार चुनते समय वोट देनेवाले और वोट लेनेवाले दोनो को ही जरुर सोचना चाहिए ! खैर बातो बातो में मैने यह छोटा सा पोस्ट लिख डाला , जो यदि जानकारी युक्त लगा हो तो इसे जरुर शेयर करें ! धन्यवाद! 


चीन एयरपोर्ट की तस्वीर वायरल

http://fumacrom.com/3F0Bw


गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

अप्राकृतिक संबंध से जन्मा Omicron Variant



अप्राकृतिक संबंध से जन्मा 

Omicron Variant




कोरोना वायरस को अपडेट करके OMICRON VARIANT के रुप में कुछ पढ़े लिखे भस्मासुरो ने फिर ला दिया है  


यह खबर तेजी से पुरी दुनियाँ में वायरल हो रहा है कि कोरोना का नया अपडेट OMICRON VARIANT महामारी फैलाने आ गया है | कोरोना का नया अपडेट करने के लिए इसबार भस्मासुरो ने दक्षिन अफ्रीका को चुनकर वहाँ पर सबसे पहले OMICRON VARIANT का प्रयोग किया है | जिसके बाद वे OMICRON VARIANT को धिरे धिरे पुरी दुनियाँ में फैलाकर पहले से मौजुद कोरोना महामारी को और अधिक अपडेट रुप से फैलाने की तैयारी कर रहे हैं | 


काश की भगवान कोरोना वायरस से पहले इन पढ़े लिखे भस्मासुरो का नसबंदी करके इनकी शैतानी हरकतो को हमेशा के लिए नशबंदी लगा देते !


 क्योंकि जबतक भगवान इनके बुरे इरादो में नशबंदी हमेशा के लिए नही लगाएंगे तबतक ये अपने जैसा और कई भस्मासुरो को जन्म देते रहेंगे | जिनके पिच्छे किमती समय की बर्बादी होता रहेगा पुरी दुनियाँ का ! जैसे कि कभी इतिहास में गुलाम करने वाले लुटेरो ने पुरी दुनियाँ का लंबा समय बर्बाद करवाया है | जिस तरह की बर्बादी ये  OMICRON VARIANT अपडेट करने वाले पढ़े लिखे भस्मासुर अब 21वीं सदी का भी काफी किमती समय बर्बाद करवा रहे हैं | सौ प्रतिशत यह सत्य है कि कोरोना वायरस को अपनी लैब में अपडेट करने  वाले भस्मासुर अनपढ़ जाहिल लोग तो नही होंगे | और न ही ये जंगली लोगो की तरह नंगे होकर अपने प्रयोगशाला में  OMICRON VARIANT जैसे अपडेट करते रहते हैं | जिस तरह के पढ़े लिखे लोग किसी जाहिल से भी ज्यादा विनाशकारी भस्मासुर तब बन जाते हैं , जब वे ज्ञान वरदान का गलत उपयोग करके अपने ही जैसे प्राणी इंसानो के साथ साथ पुरे पर्यावरण का भी विनाश करने में सबसे खास भूमिका अदा करने लगते हैं | 


बुद्धी भ्रष्ठ करके वे अपनी झुठी शान में डुबकर यह सोचना भुल जाते हैं कि एकदिन उनका भी खात्मा होगा 


क्योंकि ऐसा प्रयोग करके दक्षिण अफ्रीका समेत दुनियाँ के सारे खनिज संपदा से भरपुर देशो समेत अन्य प्राकृति खनिज संपदा से समृद्ध देशो के साथ साथ चाहे वे दुनियाँ का सारा धन दौलत को इकठा कर ले या फिर सारे इंसानो का ज्ञान को इकठा कर ले , और फिर उस दौलत और ज्ञान का चाहे जितना उपयोग कर ले खुदको बचाने की , उम्र ढलते ही उसकी भी मौत सौ प्रतिशत निश्चित है | 


फिर उसके बाद उसकी सारी झुठी शान उसके मुर्दे में परिवर्तित हो जायेगी 


 जिसे उसकी झुठी शान को सर में चड़ाने वाले लोग अपने कंधो में धरकर शमशान या कब्रिस्तान छोड़ आएंगे | जहाँ पर प्राकृति मानो उससे गिन गिनकर बदला लेते हुए उसके मुर्दा शरिर में भी यदि झुठी शान बची रहेगी तो उसे भी तोड़ तोड़कर चुर करके अपने में विलिन कर लेगी | जिस तरह का विलिन वैसे तो सभी को जन्म लेकर कभी न कभी होना सौ प्रतिशत निश्चित है , लेकिन प्राकृति जिनसे खास नाराज रहती है , उन्हे अपने में विलिन करके मानो उनकी इस घमंड को भी चकनाचुर कर देती है , जिसके चलते वे सारी जिवन अपने द्वारा किए गए बड़ी बड़ी गलतियो को स्वीकारने के बजाय भस्मासुर बनकर जानबुझकर गलती में गलती किए जाते हैं | यह सोचकर की वे जो विनाशकारी कार्य मानवता और पर्यावरण को भारी नुकसान पहुचाने के लिए खास भूमिका अदा कर रहे हैं , उससे उनके जिवन में हमेशा के लिए उच्च शान कायम हो जाएगा | जैसे की अपनी झुठी उच्च शान कायम करने के लिए कुछ लोगो की विनाशकारी गैंग जो कि किसी आतंकवादी और लुटेरा गैंग से भी खतरनाक गैंग होती है , वे अपनी ज्ञान का गलत उपयोग करके कोरोना और फिर उसका नया अपडेट OMICRON VARIANT तैयार करके अपने ही इंसान जाति का विनाश करने में लग जाते हैं | जिन भस्मासुरो पर नशबंदी दुनियाँ के सारे विकसित और विकाशसील देश मिलकर भी नही कर पाते हैं | क्योंकि आज के समय में दुनियाँ के सबसे शक्तीशाली देश कहलाने वाले भले हजारो परमाणु बम बनाकर अपने पास रखकर उससे डराकर अपने खास दुश्मनो को दुर रखते हो , पर ये पढ़े लिखे भस्मासुरो का गैंग उनसे भी नही डरते हैं | क्योंकि इनकी शैतानी शक्ती इतनी विनाशकारी होती है कि इनके द्वारा फैलाई गई महामारी से शक्तीशाली देश भी डरे सहमे रहते हैं कि कब वे भी इन भस्मासुरो की चपेट में आ जाए | जैसे की जैसे जैसे OMICRON VARIANT की खबरे पुरी दुनियाँ में फैल रही है वैसे वैसे तेजी से कई देश अपना दरवाजा विदेश से आने वाले लोगो के लिए बंद कर रहे हैं | क्योंकि उनको यह विशेष चिंता कायम हो गया है कि भस्मासुरो द्वारा तैयार किया OMICRON VARIANT किसी बाहर से आने वाले इंसानो के भितर प्रवेश करके उस देश में प्रवेश कर जाएगा | जिसके बाद उस देश के नागरिको का विनाश करने लगेगा | बल्कि ये भस्मासुर तो खुद जिस देश को अपना मुल स्थान मानते हैं उस देश के लिए भी विनाशकारी साबित होते हैं | क्योंकि भस्मासुर खुदका भी विनाश करते हैं | जाहिर है इनके अपने तो बाद में आते हैं | जिन भस्मासुरो का नशबंदी प्राकृति ही करती है उनको बुढ़ा करके ! जिसके बाद वे हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं | पर जबतक वे जिवित रहते हैं बहुतो को समाप्त करने का प्लान करते रहते हैं | जैसे कि सत्य शिव तक को भी भस्म करने की मकसद से उसके पिच्छे पड़ने वाला भस्मासुर जबतक समाप्त नही हुआ था तबतक सबके लिए विनाशकारी बना हुआ था | और मुझे पुरा यकिन है कि कोरोना के जरिये पुरी दुनियाँ में महामारी फैलाकर आतंक खौफ पैदा करने वाले गैंग का मास्टरमाईंड कोई बुढ़ा व्यक्ती ही होगा जो अपनी ढलती उम्र को स्वीकार करने के बजाय अपने साथ साथ सबको मौत की निंद में सुलाने की गंदी मांसिकता रखकर यह गंदी विनाशकारी हरकत कर रहा है | बजाय इसके की उसे अपने अंतिम क्षणो में शांती प्रेम से दुनियाँ को अलविदा लेना चाहिए था |


सोमवार, 29 नवंबर 2021

feku ringtone 2013

 feku ringtone 2013


feku ringtone 2013


यह ऑडियो 2013 ई० का है जब वर्तमान प्रधानमंत्री ने 2014 ई० में होने वाले चुनाव से पहले भाषण दिया था | जो कि वर्तमान के समय में सुनने पर ऐसा लगता है जैसे वर्तमान का प्रधानमंत्री खुदके द्वारा आकाशवाणी में कही जानेवाली मन की बात को लेकर खुदको ही लताड़ रहे हो !

ऑडियो

शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

टी०वी० अखबार की तरह सोशल मीडिया में भी अब गोदी मीडिया



टी०वी० अखबार की तरह सोशल मीडिया में भी अब गोदी मीडिया

godi मीडिया और poor idia


टी० वी० अखबार की तरह सोशल मीडिया में भी अब गोदी मीडिया अपना पाँव पसार रहा है | जिसके लिए कांग्रेस और भाजपा के बिच समझौता हो गया है | भाजपा टी० वी० अखबार मीडिया और कांग्रेसी सोशल मीडिया में पाँव पसारकर चुनाव को भाजपा कांग्रेस खबरे चल रहा है |  भाजपा शासन में भाजपा के गोदी मीडिया टी०वी० अखबार में चाटुकारिता करते रहेंगे और कांग्रेस के सोशल मीडिया में चाटुकारिता करते रहेंगे | जिसे समझे खासकर वे लोग जो कांग्रेस और भाजपा दोनो का भ्रष्ट शासन को देख चुके हैं | मुझे तो अब चुनाव से इस देश के मुलनिवासियो को सत्ता मिल जाएगी इसपर विश्वास ही नही रहा | क्योंकि यदि यह देश मनुवादियो द्वारा गुलाम है , जो कि बहुत से मुलनिवासि भी मानते हैं , और खुद आजाद भारत का संविधान लिखने वाले अंबेडकर ने भी कहा है कि एक गुलाम करने वाले से आजादी मिला तो दुसरे गुलाम करने वाले की हाथ में इस देश की सत्ता चला गया है | जिन्होने यह भी कहा कि जब आर्थिक और समाजिक हक अधिकारो को प्राप्त करने के लिए कोई संवैधानिक उपाय न बचा हो तब असंवैधानिक रास्ता उचित लगता है | जो कि गुलामी हालात में फिट बैठता है | और यदि पुरी आजादी मनुवादि साशन में संवैधानिक तरिके से हो रहे चुनाव से मुमकिन कभी सचमुच में मिल पाया , तो इसके लिए इतिहास मुझे माफ करे ! लेकिन यदि इस देश का इतिहास में मनुवादि शासन में चुनाव से इस देश के मुलनिवासियो को पुरी आजादी प्राप्त कभी नही हुआ तो मुलनिवासियो द्वारा आजादी आंदोलन में कम और चुनाव तैयारी में ज्यादे ध्यान देने की इतिहास को मैं कभी माफ नही कर सकूँगा | क्योंकि चुनाव में विश्वास करके गुलामी से पुरी आजादी पाने में किमती समय बर्बाद किया जा रहा है | वह भी यह सबकुछ जानते हुए कि अल्पसंख्यक मनुवादि बहुसंख्यक मुलनिवासियो के हक अधिकारो को छिनकर लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी बहुसंख्यक दबदबा कायम किए हुए हैं | जो कि संवैधानिक तरिके से लोकतंत्र के चारो स्तंभो में 90% बहाल हो ही नही सकते | और यदि किसी मुलनिवासि को लगता है कि मनुवादि शासन में यह सबकुछ पुर्ण रुप से संवैधानिक तरिके से हो रहा है , अथवा मनुवादि वाकई में इन सभी क्षेत्रो में सबसे अधिक काबिल होने की वजह से कायम हैं तो मैं इसके बारे में अपनी राय दुँगा कि मनुवादियो की उसी सबसे बड़ी टालेंट से मनुस्मृति लागु करके कभी मनुवादियो के पूर्वज शासन करते थे | जिनके वंसज आज आजाद भारत की रक्षा करने वाली पदो में भी 99% विराजमान हैं | जिसकी झांकी यह देख लिया जाय ! पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के अनुसार पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे

ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(2) पटना में कुल जज 32

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )

(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )

(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )

(7) केरल में कुल जज 24

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )

(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )

(10) कर्णाटक में कुल जज 34

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )

(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )

(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(15) राजस्थान में कुल जज 24

जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(17) सिक्किम में कुल जज 2

जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,

ओबीसी - 0 जज ,

SC- 0 जज ,ST- 0 जज )

(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )

कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं ! यह सब यदि गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादि शासन कायम नही होता तो क्या मुमकिन हो पाता ?बजाय इसके कि मनुवादियो से पुरी आजादी पाने के लिए सिधे आजादी आंदोलन करने की तैयारी सबसे अधिक किया जाय ! जिसके लिए तैयारी मैं जितना हो सके अपनी तरफ से अपने विचार इस ब्लॉगर साइट के जरिए भी बांटकर कर रहा हूँ ! पर क्या करे मुझे इंटरनेट के बारे में इतना कुछ पता नही है कि अपने ब्लॉगर साइट को बेहत्तर से बेहत्तर बनाकर वहाँ तक ज्यादे से ज्यादे मुलनिवासियो को लाकर समझाने में कामयाबी हासिल कर सकू | जहाँ पर मैने तीन चार सौ पोस्ट तो लिखे हैं , पर उसे पढ़ने के लिए तीन चार मुलनिवासि भी रोज नही आ पा रहे हैं ! हो सकता है मेरे द्वारा लिखी बाते पसंद न आए पर एकबार तो सभी मुलनिवासि जिन्हे इंटरनेट चलाना आता हो वह मेरा ब्लॉगर के बारे में जाने तो सही ! जिसके लिए khoj123 सर्च करे सायद मेरा ब्लॉगर पता को जान जाए ! मैं यह विनती मुख्यता पैसा कमाने के लिए नही कर रहा हूँ , बल्कि अपने विचारो को ज्यादे से ज्यादे मुलनिवासियो को पढ़ाने के लिए कर रहा हूँ | क्योंकि मुझे विश्वास है कि मेरे द्वारा लिखे पोस्ट जो भी मुलनिवासि पुरा पढ़ लेगा उसे कम से कम यह तो पता जरुर चल जाएगा की मेरा विश्वास अब चुनाव से क्यों उठ गया है | पैसा तो मैं अबतक तीन चार सौ पोस्ट लिखकर उससे एक डॉलर भी नही कमा सका हूँ | जिसकी मुझे शिकायत नही , क्योंकि मेरा पोस्ट कोई पढ़ेगा ही नही तो मुझे पैसा गुगल क्यों देगा ? शिकायत तो मुझे सायद खुदसे है कि मैं दरसल गुगल को ठीक से अबतक समझ ही नही सका हूँ !

गुरुवार, 13 मई 2021

अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए सिर्फ उन्हे गरिब ही लापरवाह लोग दिखते हैं

 

अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए सिर्फ उन्हे गरिब ही लापरवाह लोग दिखते हैं

क्यों


प्रजा सुरक्षा के नाम से पिट पिटकर लहु लुहान करने वाले भक्षको को अगर इतना ही सबकी सुरक्षा की चिंता है , तो जिस तरह मंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और उच्च अधिकारियो को सरकारी ढाल कवच सुरक्षा मिलती है , जिसमे डॉक्टर और आपातकाल वाहन भी हर समय उनके द्वारा बाहर आते जाते समय भी मौजुद रहती है , वैसी सुरक्षा लहु लुहान होने वाले प्रजा को भी दिया जाय , फिर कभी यह सिकायत करना की कोरोना से होनेवाली मौते सिर्फ लापरवाही से हो रही है | क्योंकि कहीं पर पढ़ रहा था कि लापरवाह लोग कोरोना से मारे जाएंगे और मास्क लगाने , लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करने वाले लोग बच जाएंगे कहकर कई लोगो की खुन भरी पिटाई हो रही है | मानो कोरोना के नाम से गुलामी की ऐसी झांकी देखने को मिल रही है , जिसमे गुलाम करने वाले कोरोना जैसे लोग जो कि पहले किसी महामारी से भी खतरनाक गुलामी देकर अपनी प्रजा की सुरक्षा करने के लिए कोर्ट कचहरी न्याय और रक्षक प्रणाली बनाकर उनके जरिये प्रजा की पिटाई करके सेवा सुरक्षा और न्याय करने का कार्य कर रहे थे | उसी तरह की विकृत मांसिकता को अपडेट करने वाले लोग जैसे मानो किसी की रक्षा करने की जिम्मेवारी उठाकर भक्षक बनकर ही सिर्फ सबसे बड़ा रक्षक बनने की हुनर सिखे होते हैं ! जैसे की कोरोना के पास भी ऐसे ही भक्षक संस्कार है , जो इंसान के भितर जाकर शरिर की रक्षा करेंगे ऐसी गलतफेमी शरिर की सुरक्षा तंत्र के भितर बैठाकर रक्षा प्रणाली में शामिल होकर शरिर को नुकसान पहुँचाते पहुँचाते किसी की हत्या कर देता है | उसी तरह रक्षा करने की बाते करके जो लोग भी रक्षा तंत्र में शामिल होकर लोगो को शारिरिक मांसिक चोट देकर अप्रत्यक्ष रुप से उनकी जान ले रहें है , वे भी दरसल कोरोना की तरह ही रक्षा करने की ढोंग रचकर उनकी हत्या कर रहे हैं | कोरोना से बचने के लिए तो मास्क जरुरी है , पर गुलामी , दुसरो के हक अधिकारो की छिना झपटी और शोषण अन्याय अत्याचार से बचने के लिए कौन सा मास्क लोग पहने जिसकी वजह से हजारो सालो से अनगिनत लोगो की जान गई और अब भी जा रही है | क्या ये लोग लापरवाही की वजह से गुलाम होकर मरे और लापरवाही की वजह से शोषण अत्याचार का शिकार होकर अब भी मारे जा रहे हैं ? जिन्हे भी क्या यह कहकर हत्या करने वाले कोरोना जैसे हानिकारक लोगो से ध्यान हटा लिया जाय कि हमे सिर्फ उनसे बचने का पालन करते रहना है , उन्हे दंडित करने के बारे में नही सोचना है , जिनके भितर कोरोना की ही तरह दुसरो की हत्या करने की भ्रष्ट संस्कार मौजुद है | जिसकी वजह से ये लोग अनगिनत लोगो के मौत का कारन बनते रहे हैं | क्योंकि ऐसे भ्रष्ट लोग जहाँ भी जाते हैं , वहाँ गुलाम शोषण अत्याचार देते हुए कोरोना कि तरह ही मौत देना सुरु कर देते हैं | जिनके भ्रष्ट संस्कारो को नजरअंदाज करके सिर्फ उनसे और कोरोना से बचने के उपायो को पुरी तरह से पालन न कर पाने वालो को यह कहकर दोषी घोषित करते रहना कि उनसे बचने के लिए अपना मास्क अथवा ढाल कवच नही लगाने वाले लोग लापरवाही की वजह से मारे जाएंगे यह बाते करके कड़ाई से पालन कराने वालो को जिवन सुरक्षा के बारे क्या सिर्फ यही ज्ञान मिला है कि सिर्फ बिमारी से बचने का उपाय कड़ाई से करते रहना है ? क्योंकि उनको सिर्फ कोरोना से लोगो को बचाने की जिम्मेवारी नही मिलती है , बल्कि गुलामी शोषण अन्याय अत्याचार , गरिबी भुख और अभाव से भी कोई प्रजा न मरे इसकी भी जिम्मेवारी मिलती है | जैसे कि शरिर में रक्षा प्रणाली को सिर्फ कोरोना से लड़ने की जिम्मेवारी नही मिलती है ! बल्कि किसी के शरिर में मौजुद रक्षा तंत्र को तो सिर्फ उस एक शरिर की रक्षा जिम्मेवारी मिलती है , पर प्रजा और खासकर इस देश की रक्षा करने की जिम्मेवारी लाखो रुपये तनख्वा के साथ साथ किमती किमती गाड़ी बंगला वगैरा सारी सुख सुविधा और सुरक्षा देकर जिसे मिलता है , उसे तो इस देश में अभी के समय में सावा अरब से भी अधिक मानव शरिर की रक्षा करने की जिम्मेवारी मिलती है | जिसके साथ साथ देश और देश में मौजुद और भी बहुत कुछ की सुरक्षा करने की जिम्मेवारी उन्हे मोटी तनख्वा और किमती सारी सुख सुविधा गाड़ी बंगला सुरक्षा वगैरा देकर मिलती है | सिर्फ क्या कोरोना से ही मौते लोगो की हो रही है ? जबकि देश के तमाम सुरक्षा जिम्मेवारी को ठीक से न निभा पाने से मरने वालो की भी तादार इतनी ज्यादे है कि उसे यदि महामारी से तुलना किया जाय तो उससे भी ज्यादे खतरनाक साबित होता रहा है | जो न हो तो कितने लोग गुलामी शोषण अन्याय अत्याचार गरिबी भुख अभाव बदहाली से बाहर निकलकर कोरोना से मर रहे हैं , उसकी भी आंकड़ा जुटाया जाय | जिन अमिर लोगो की भी पिटाई होती है क्या मास्क नही लगाने या भिड़ जुटाने लॉकडाउन में बाहर निकलने पर ? क्या गरिब शोषित पिड़ितो की पिटाई करने वाले किसी की रक्षा करने के लिए बिना कोई बड़ी शारिरिक और मांसिक तकलिफ  दिए रक्षा करने की हुनर नही सिख सकते हैं ? क्योंकि जो लोग हर रोज गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी जैसे और भी कई ऐसी समस्या से संघर्ष कर रहे हैं , जिनसे भी हर रोज अनेको मौते हो रही है , उन्हे मार पिटकर क्या साबित करना चाहते हैं ये लोग जो अमिरो को पिटते समय मानो पैंट में मुतते हैं , इसलिए लापरवाह लोग सिर्फ उन्हे गरिब ही दिखता है , जिसके कारन ऐसे लोग गरिबो को ही मानो यह कहते दिखते हैं कि जितने लोग कोरोना से मर रहे हैं वे लापरवाह लोग थे , इसलिए मरे इसलिए वे गुनेहगार थे ! और यदि यही कहना चाहते हैं की विदेश से आया कोरोना से मरने वाले सभी लोग लापरवाह थे , फिर तो सायद उनकी नजर में विदेश से आए चोर लुटेरो गुलाम करने वाले लोगो से अबतक इस देश में जितने लोग मरे हैं वे भी लापरवाह लोग थे इसलिए मारे गए ! लापरवाही से तो कोरोना से होनेवाली बिमारी ही नही बल्कि बहुत सी और भी खतरनाक बिमारी लापरवाह से ही होती है , जिसका इलाज करते करते कोई गरिब ही नही बल्कि उद्योगपति , बड़े नेता , फिल्म दुनियाँ के चर्चित लोग ,खिलाड़ी , इंजिनियर , डॉक्टर , वैज्ञानिक वगैरा तमाम खास क्षेत्र के लोग बड़ी बड़ी बिमारी और अन्य खतरनाक वजह से ग्रस्त होकर मरे और मारे जा रहे हैं ! क्या ये सभी लापरवाह लोग थे इसलिए मरे या मर रहे हैं कहकर यह मान लिया जाय कि ऐसी लापरवाह लोगो की तरह किसी भी इंसान को लापरवाही नही करनी चाहिए , इसलिए इनकी तरह लापरवाह जिवन नही जिनी चाहिए ! क्योंकि इनमे से कई लोग लापरवाही कि वजह से अति खा खाकर मरे , कई लोग अति मिठा खा खाकर सुगर कि बिमारी से मरे , कई लोग तो अति पीपीकर मरे चाहे चाय हो या फिर दारु , उन्हे कहा गया था चाय मत पीना दारु मत पीना फिर भी पीना नही छोड़े , कई लोग तो सारी जिवन खुश रहने के बजाय लापरवाह होकर अति तनाव में दिनो रात डुबकर मरे , कई लोग तो सेक्स की वजह से मरे , कई लोग तो हवा में जहाज वगैरा से उड़ते उड़ते या सागर में पानी जहाज वगैरा तैरते तैरते कोई लापरवाही की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होकर मरे , जिस तरह की न जाने कितनी लापरवाही हर रोज हर पल गरिब ही नही अमिर से भी अति अमिर लोग लापरवाही करते रहते हैं | जिसकी वजह से यदि वे कभी मर गए तो क्या उन्हे यह कहते रहना होगा कि ये लोग लापरवाही से मरे जिस तरह की लापरवाही यदि न हो तो कोई नही मरेगा ! जैसे की गाँधी यदि लापरवाही नही करते तो वे बच जाते ,  अंबेडकर यदि लापरवाही नही करते तो वे बच जाते , अटल यदि लापरवाही नही करते तो वे भी बच जाते , उसी तरह तमाम तरह के क्षेत्रो से जुड़े हुए खास लोग चाहे राजनिती समाजिक खेल फिल्मी व्यापार मीडिया वगैरा से जितने भी लोग कोई न कोई लापरवाही कि वजह से मरे , उन सभी के बारे में भी सिर्फ यह दोहराते रहना चाहिए कि ये लोग लापरवाह लोग थे , जिसकी वजह से इनकी जान गई , जिनकी भी क्या पिटाई हो रही थी लापरवाही से बचने के लिए , जैसे की कोरोना से बचने के लिए जो मास्क लगाना और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की खुन भरी पिटाई भी हो रही है , यह बताकर कि मरने वाले लोगो की जान लापरवाही कि वजह से जा रही है ! सिर्फ यही कहकर उनकी खुन भरी पिटाई करके सारी बात समाप्त हो जाती है | जिवन रक्षक क्या सिर्फ मास्क है कि अन्न जल रोटी कपड़ा मकान वगैरा भी है ? सभी लोग इतने अमिर तो नही हैं कि लंबे समय तक घर में बैठकर या फिर जहाजो में हवा हवाई या फिर समुन्द्र के रास्ते पानी जहाजो में विदेशो की सैर सपाटा करते हुए अन्न जल रोटी कपड़ा मकान वगैरा कि खास चिंता किए बगैर जिवन व्यक्तीत करे ! जिवन की चिंता में कोई गरिब यदि भोजन की भी व्यवस्था करने जाता है तो उसकी लहु लुहान पिटाई हो रही है ! साथ साथ भोजन की सामग्री बेचने वालो की भी लहु लुहान पिटाई हो रही है ! क्या सिर्फ बिमारी दुर करने वाली दवाई ही जिवन रक्षक होता है , भोजन नही ? लोग बिना भोजन किए सिर्फ दवा खाकर अपनी जिवन व्क्तीत करें ? जिस सवाल का जवाब जिन्हे ठीक से नही आ रहा हो उन्हे हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही बल्कि संसद वगैरा में भी जहाँ कि कोई लहु लुहान गरिब बिना अमिर बने विरले ही अपने गरिब बीपीएल कार्ड लिए दिखता है , वहाँ पर भी कम से कम एक सप्ताह बिना कोई भोजन दिए सिर्फ दवाई के जरिये बंद कमरे में समय कटवाया जाय , पता चल जाएगा कि जिन्दा रहने के लिए सिर्फ मास्क लगाना और लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करना जरुरी है कि भोजन वगैरा भी जरुरी है ! जिनको गरिबी और भुख के बारे में जबतक कम से कम एक सप्ताह तक बिना भोजन दिए लॉकडाउन है कहकर बंद कमरो में नही रखा जाएगा तबतक ये लहु लुहान पिटाई यह कहकर करवाते रहेंगे की लापरवाही नही करनी है , इसलिए लहु लुहान पिटाई की जाती है !  जो पिटाई क्या उनकी भी होनी चाहिए जिसे एक सप्ताह तक हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही संसद वगैरा में बिना भोजन के चिकित्सा की खास सुविधा देकर रखा जाएगा ? ऐसा लॉकडाउन का कैसा नजारा होगा जब कोई अमिर हवाई जहाज और पानी जहाज ही नही संसद में भी एक सप्ताह तक भुखा रहकर भुख के मारे तड़पते हुए मास्क और लॉकडाउन की प्रवाह न करते हुए बिना मास्क लगाए वहाँ मौजुद  बहुत से लोग भिड़ लगाकर भोजन या भोजन की सामग्री खोजते हुए कोरोना से संक्रमित होने या फिर पकड़े जाने के बाद लहु लुहान पिटाई का सामना करने के बाद भुख और दर्दभरी पिटाई दोनो से तड़पने लगेंगे | जिस तड़पन से यदि उनमे से कई की मौत इलाज के दौरान ऑक्सिजन वगैरा की कमी से हो जाएगी तो क्या उसे भी लापरवाही से इनकी मौत कोरोना से हुई कहकर बाकि वजहो को नजरअंदाज कर दिया जाएगा ? बल्कि क्या उन्हे भी मरने के बाद दफनाने या जलाने के लिए भी ऐसा सामना करना पड़ेगा जैसे की अनगिनत गरिबो को करना पड़ रहा है ? जिसे नजरअंदाज करके गरिबो की लहु लुहान पिटाई करने और कराने वाले लोगो की लहु लुहान पिटाई तो कभी होगी नही पर कभी तो उनकी भी मौत जरुर होगी , उस समय उनके मरने का कारनो में यदि कोई लापरवाही का पता चले तो ऐसे लोगो के बारे में खासकर उनकी नई पिड़ी यदि इस पोस्ट को गलती से पढ़ लिए हो तो इसे याद करके उस समय तो कम से कम खुदको ऐसे भ्रष्ट संस्कारो से मुक्त कर लेना , जिसमे की गरिबो की लहु लुहान पिटाई और अमिरो को पिटने के बारे में सोचकर भी मानो पैंट में पेशाब हो जाता है ! हलांकि निजि तौर पर मैं मास्क न लगाने या फिर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की लहु लुहान पिटाई हो इसका समर्थन नही करता हूँ , पर समर्थन करने वालो को एक बात जरुर कहना चाहुँगा कि यदि मास्क न लगाने या फिर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन न करने वालो की लहु लुहान पिटाई करनी और करवानी ही है , तो फिर भिड़ लगाकर बड़ी बड़ी रैली करने और सम्हारोह , स्टेडियम खेल वगैरा में जो लापरवाही हो रही है , वहाँ के प्रमुख संचालक समेत खास खास लोगो की भी लहु लुहान पिटाई करे और साबित करे कि लापरवाही में क्या अमिर क्या गरिब सबकी लहु लुहान पिटाई होगी ! तब भेदभाव मुक्त पिटाई भी होगी और भिड़ इकठा करके मंच में बिना मास्क लगाये भाषण देते नेता की भी लहु लुहान पिटाई होगी और स्टेडियम या कोई जगह बड़ी सम्हारोह में भिड़ इकठा करके खेलने वाले खास खिलाड़ी और खास अभिनेता अभिनेत्रियो वगैरा की भी लहु लुहान पिटाई होगी !

शनिवार, 1 मई 2021

निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है


निच जाति की नारी से संभोग करते समय छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है 

शरिर से छुवाछूत


इस देश के समाज परिवार में मनुवादि सिर्फ अपनी झुठी शान कायम करने के लिए मुलनिवासियो के साथ छुवाछूत करते हैं | क्योंकि उन्होने इस देश को गुलाम बनाकर हजारो सालो तक मनुवादि शासन कायम किया है | जैसे कि गोरो ने दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम बनाकर शासन किया है | दोनो ही विदेशी मुल के थे , और दोनो का ही भेदभाव इतिहास दर्ज है | गोरे अंग्रेज गेट के बाहर बोर्ड में यह लिखते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है , और मनुवादि यह लिखते आ रहे हैं कि अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | हलांकि जैसा कि सुरु में ही बतलाया कि निच जाति की नारी से संभोग करते समय उनका छुवाछूत उनके पिछवाड़े में घुस जाता है | क्योंकि शरिर से छुवाछूत करने वाले मनुवादि शरिर से लिपटकर संभोग करते समय छुवाछूत नही करते हैं | अगर संभोग करते समय छुवाछूत करते तो वे कभी भी इस देश के मुलनिवासि नारी से संभोग नही करते | फिर तो इस देश में मनुवादियो का वंशवृक्ष आगे बड़ता ही नही और डायनासोर की तरह लुप्त हो जाते | पर चूँकि उन्होने इस देश की नारी से संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया है , इसलिए मनुवादियो की आबादी भी आज इस देश में करोड़ो की संख्या में मौजुद है | जो आबादी इस देश की नारी से ही जन्म लेकर बड़ रहा है | क्योंकि DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चूका है कि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष को जिन नारियो ने जन्म दिया है , उसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जाहिर है मनुवादि कथित निच जाति के नारियो से संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | जिसके चलते वे भले यूरेशिया से आए हैं , पर वे इस देश को अपनी मातृभूमि मानकर भारत माता भारत माता भी कहते रहते हैं | क्योंकि उनको पता है कि भले उनके पूर्वज विदेशी नारी से जन्म लेकर पुरुष झुंड बनाकर इस देश में आये थे , न कि वे इस देश के पुरुषो द्वारा जन्माये गए थे , पर उनके द्वारा इस देश में प्रवेश करने के बाद जो दोगला वंशवृक्ष जन्मा है , वह इसी देश की नारी से ही जन्मा है | बल्कि आगे भी जन्म लेना जारी है , भले मनुवादि परिवार में पुरुष विदेशी मूल के हैं , पर उनके घर परिवार में मौजुद नारी देशी मूल की है | जिसके साथ संभोग करके मनुवादि अपना वंशवृक्ष आगे बड़ा रहे हैं | क्योंकि मनुवादि सिर्फ झुठी शान के लिए दिखावे में छुवाछूत करते हैं | संभोग करते समय वे छुवाछूत नही करते हैं | वेद पुराण काल में भी मनुवादियो के पूर्वज देव सिर्फ दिखावे के लिए झुठी शान में असुर दानवो को शैतान कहते थे , पर उन्ही शैतानो के कन्याओ से संभोग करके अपना वंशवृक्ष भी बड़ाते थे | जैसे की देवो का राजा इन्द्रदेव ने असुरराज पुलोमा की पुत्री शचि के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है | जिन देवो को मनुवादि अपना पूर्वज मानते हैं | देवो ने दानव असुर कन्याओ के साथ संभोग करके अपना वंशवृक्ष बड़ाया इस तरह के उदाहरन वेद पुराण में भरे पड़े हैं | क्योंकि सच्चाई यही है कि मनुवादि अपना दोगला वंशवृक्ष पैदा करके कभी भी यह पूर्ण सत्य साबित नही कर सकते कि वे और उनके पूर्वज देवो ने कथित निच जाति की कन्या और असुर दानव कन्या से संभोग नही किया | क्योंकि मनुवादि निच जाति के नारियो के शरिर को सिर्फ छुवा ही नही है , बल्कि उसके साथ लिपटकर संभोग भी किया है | बल्कि अब भी वे करते हैं | जिसके लिए मनुवादि अपने शरिर के उपर चाहे जितना गंगाजल का छिड़काव करने की ढोंग पाखंड करे , निच जाति का खुन उसके भितर मौजुद है | क्योंकि वर्तमान में मौजुद मनुवादि वंशवृक्ष उस नारी के खुन से ही अपना शरिर विकसित करके जन्म लिया और ले रहा  है जिसका M DNA और कथित निच जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA एक है | जिस नारी से ही इस देश के मुलनिवासि भी जन्म लिए और ले रहे हैं | क्योंकि एक ही भारत माता अथवा मदर इंडिया उच्च निच दोनो जातियो को जन्म दे रही है | जिसे मनुवादि भी अपना माँ मानते हैं , और इस देश के मुलनिवासि भी अपना माँ मानते हैं |  न कि इस देश में दो भारत माता है | क्योंकि जैसा कि बतलाया कि उच्च निच दोनो जातियो के परिवार में मौजुद नारियो का M DNA एक है | जबकि उच्च निच जाति कहलाने वाले पुरुषो का DNA अलग अलग है | क्योंकि मनुवादि के वंसज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर यूरेशिया से आये हैं | उनके साथ कोई नारी मौजुद नही थी | जिसके चलते कथित उच्च जाति का पुरुष DNA से यूरेशिया के पुरुषो का DNA मिलता है , पर उच्च जाति परिवार में मौजुद नारी का M DNA से यूरेशियन नारी के बजाय इस देश की नारी का M DNA से मिलता है | जो की स्वभाविक भी है , क्योंकि जैसा की बतलाया कि मनुवादियो के पूर्वज इस देश में सिर्फ पुरुष झुंड बनाकर आए थे | और समझदार लोगो को पता रहता है कि किसी का वंश नर नारी दोनो के अंश से आगे बड़ता है | जिसके चलते नर नारी आपस में संभोग करके एक दुसरे की सहयोग से किसी बच्चे का जन्म होता है | क्योंकि पुरुष शुक्राणु के बगैर कोई नारी बच्चा पैदा नही कर सकती | बच्चा पैदा करती तो वह हस्तमैथुन करके माँ बन जाती | जैसे की सायद पुरुष ब्रह्मा ने हस्तमैथुन करके अप्राकृतिक गर्भ धारन करते हुए ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शुद्र को जन्म दिया था | हलांकि पुरुष ब्रह्मा द्वारा अपने मुँह छाती जंघा और चरणो से गर्भ धारन करके बच्चे को जन्म दिया था इस बात को सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले सौ प्रतिशत मांसिक तौर पर विकृत लोग होते हैं | जैसे कि हिन्दु धर्म में प्राकृति सूर्य पृथ्वी अग्नि जल वगैरा के रुप में मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा होती है , इस बात को भी सत्य मानने और प्रचार प्रसार करने वाले लोग सौ प्रतिशत मांसिक विकृत लोग होते हैं | जिन्हे अपनी विकृत बुद्धी को ठीक करने के लिए हिन्दु वेद पुराणो को प्राकृतिक प्रमाणित मान्यताओ पर अधारित सत्य को ध्यान में रखकर पढ़ना सुनना और देखना चाहिए | न कि विकृत मनुवादियो की विकृत मांसिकता से हिन्दु वेद पुराण में जो छेड़छाड़ और मिलावट किया गया है , उसे पुर्ण सत्य मानकर खुद मनुवादियो के ढोंग पाखंड से संक्रमित होकर यह प्रचार प्रसार करना चाहिए कि हिन्दु धर्म में सुरु से ढोंग पाखंड मौजुद है | बल्कि हिन्दु वेद पुराणो में ढोंग पाखंड का संक्रमण मनुवादियो ने दिया है | जिसे हटाने पर हिन्दु वेद पुराण प्राकृति प्रमाणित सत्य ज्ञान पर आधारित है | जैसे की यह सौ प्रतिशत सत्य है कि प्राकृति भगवान की कृपा से ही सभी जिव निर्जिवो का वजूद कायम है | और जिससे सबका वजुद कायम है , यह जब विज्ञान द्वारा भी प्रमाणित है , उस प्राकृति भगवान की पूजा करने में क्या ढोंग पाखंड नजर आता है ? बल्कि मनुवादियो के द्वारा ढोंग पाखंड का यह संक्रमण फैलाया जाता है कि हिन्दु धर्म में चमत्कारी देवी देवताओ की पूजा होता है | जबकि सच्चाई यह है कि हिन्दु धर्म में साक्षात प्रमाणित मौजुद प्राकृति भगवान का पूजा होता है | क्योंकि हिन्दु मान्यता अनुसार भगवान साक्षात प्राकृति रुप में चारो तरफ मौजुद है | जिस प्राकृति की कृपा से ही सभी इंसानो का जन्म मरन जुड़ा हुआ है | जिस प्राकृति की कृपा से ही देव दानव का भी जन्म हुआ था , जो अब मर चुके हैं | न कि वे अब भी इस धरती पर जिवित विचरण करते हैं | बल्कि साक्षात प्राकृति भगवान पहले भी मौजुद था और अब भी विभिन्न रुपो में मौजुद है | जिससे सारी दुनिया कायम है | जैसे की इंसानो का जिवन प्राकृति प्राण वायु जल अग्नि वगैरा से कायम है | जिस प्रमाणित सत्य को जानते हुए प्राकृति सूर्य हवा पानी वगैरा की पूजा उसकी कृपा के बदले करने में हर्ज क्या है ? क्योंकि प्राकृति की कृपा के बगैर न तो कोई इंसान जन्म ले सकता है , और न ही जन्म लेकर जिवित रह सकता है | जिसके बारे में सोच समझकर हिन्दु धर्म में सूर्य अग्नि हवा पानी वगैरा के रुप में प्राकृति भगवान की पूजा होता आ रहा है | और हिन्दु कलैंडर जो की प्राकृति पर अधारित है , उसके अनुसार ही बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार भी मनाई जाती है | जिसे मनुवादियो के पूर्वज देवी देवताओ की पूजा बताने वाले लोग मांशिक विकृत लोग होते हैं | क्योंकि उनको बिना मांशिक विकृति के सूर्य अग्नि पृथ्वी पेड़ पौधा पहाड़ पर्वत देवी देवता नजर आ ही नही सकता , खासकर यदि वे भूगोल और प्राकृति विज्ञान पढ़े लिखे हैं | जिसकी पढ़ाई विद्यालय में करते समय क्या वे सूर्य के बारे में परीक्षा में यह लिखकर पास होते रहे हैं कि प्रकाश देनेवाला सूर्य कर्ण का पिता है ? हवा के बारे में यह लिखकर पास हुए हैं कि हम जो प्राण वायु लेते हैं वह भीम और हनुमान का पीता है ? ये तो सिर्फ एक दो उदाहरन है , मनुवादियो ने तो वेद पुराण में मौजुद प्राकृति प्रतिको के नाम से अपने पूर्वजो का नाम जोड़कर यह तक साबित करने की कोशिष किया है कि उनके पूर्वज देवी देवताओ द्वारा पुरी सृष्टी का सृजन और संचालन भी हो रहा है | पवनदेव के द्वारा हवा बहाया जा रहा है , इंद्रदेव द्वारा वर्षा कराया जा रहा है , और सूर्यदेव द्वारा प्रकाश फैलाया जा रहा है | इस तरह की प्रचार प्रसार करके मनुवादि अपने पूर्वजो को भगवान बतलाकर हिन्दु धर्म का पुजारी बनकर दरसल वे सिर्फ अपने पूर्वजो की पूजा करते आ रहे हैं | हलांकि हिन्दु मान्यताओ में अपने माता पिता की पूजा को भी गलत नही माना जाता है , पर हिन्दु वेद पुराण यह कभी नही बतलाता कि मनुवादियो के पूर्वज देवी देवता ही सब इंसानो के माता पिता हैं | वह भी तब जबकि मनुवादि भी खुद यह बतलाते आ रहे हैं कि देवी देवता उनके पूर्वज हैं , न कि जिन्हे वे निच जाति घोषित किए हुए हैं , उनके भी पूर्वज हैं | जबकि मनुवादि और इस देश के मुलनिवासियो का पूर्वज एक होते तो कभी भी वे छुवाछूत नही करते | और DNA रिपोर्ट से भी तो प्रमाणित हो चूका है कि मनुवादियो का DNA और इस देश के मुलनिवासियो का DNA अलग अलग है | जो रिपोर्ट आने से हजारो साल पहले भी मनुवादि खुद भी जानते थे कि वे चूँकि इस देश में बाहर से आए हैं , इसलिए इस देश के मुलनिवासि उनके खानदान के हो ही नही सकते | जिसके चलते ही तो वे अपने पूर्वज देवी देवताओ की पूजा मंदिरो के बाहर यह बोर्ड लगाकर खुद मात्र पुजारी बनकर करते रहे हैं कि मंदिर के अंदर निच जाति का प्रवेश मना है | क्योंकि मनुवादियो को भी छुवाछूत करते समय पता रहता है कि उनके माता पिता वह प्राकृति भगवान नही है , जिसकी पूजा हिन्दु धर्म में होती है | जिस प्राकृति ने जिव निर्जिव सभी को जन्म दिया है | जिसके चलते यह कहना गलत नही होगा कि यदि प्राकृति की कृपा न हो तो चाहे कोई  इंसान हो या फिर दुसरा प्राणी , उसका जन्म मुमकिन ही नही है | जिसके बगैर न तो कोई माता पिता का जन्म होगा और न ही कोई माता पिता किसी बच्चे को जन्म दे पायेंगे | बल्कि किसी इंसान का जन्म के लिए प्राकृति भगवान ने नर नारी दोनो को एक दुसरे का पूरक बनाकर लिंग योनी प्रदान किया हैं | दोनो ही एक दुसरे. की सहायता से माता पिता बनते हैं | न कि वे हस्तमैथुन करके अकेले अकेले माता पिता बनते हैं | जिसे प्राकृति प्रमाणित मान्यताओ पर यकिन न आए वे चाहे तो हस्तमैथुन करके प्रयोगिक पता कर सकते हैं कि वे क्या बिना किसी दुसरे का अंश से अपना वंश बड़ाने के लिए माता पिता बन सकते हैं ? 

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है

 

आखिर क्यों कोरोना बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सबको अपना शिकार बना रहा है ?



पुरी दुनियाँ में कोरोना फैलने से पहले पुरी दुनियाँ से पाप का सम्राज्य समाप्त करने की भिड़ जुटने का दौर इतना तेजी से फैल रहा था कि यदि और कुछ समय उसी तरह एकजुटता देखने को मिलती तो निश्चित तौर पर पहले तो इस देश से पाप का सम्राज्य को किसी खरपतवार की तरह उखाड़कर फैंका जाता , उसके बाद इस देश में पुर्ण आजादी न्याय कायम होने के बाद पुरी दुनियाँ में भी बाकि देशो के उन लोगो को पुर्ण आजादी न्याय मिलने सुरु हो जाते जिन्हे भी अबतक पुर्ण आजादी जिवन जिने का अवसर नही मिल पाया है , और आज भी वे धन संपदाओ से संपन्न देश का मुलनिवासि होते हुए भी गरिबी भुखमरी जिवन जिने को मजबूर हैं | क्योंकि उनके देशो में भी गुलाम करने वाले पापियो का गैंग अब भी जोंक की तरह चिपककर उनका खुन चुसने में लगा हुआ है | और खुन चुसने का ये भ्रष्ट संस्कार हजारो सालो से उन लोगो के परिवारो में बांटा जाता रहा है , जिनके लिए विकाश का मतलब मुठीभर आबादी के पास सारी धन संपदा हो , और बहुसंख्यक आबादी सिर्फ किसी तरह जिन्दा रहे ताकि मुठीभर आबादी की गुलामी कर सके | जो विकृत सोच अबतक कबिलई लुटेरो के नए वंसजो के भितर से पुरी तरह समाप्त नही हुआ है | बल्कि अपडेट होकर किसी बेहरुबिया की तरह नया नया रुप बदलता रहा है | क्योंकि उनसे पुरी दुनियाँ को मुक्त किया जा सके यह तैयारी और नेतृत्व बाकि देश नही कर सकते , चाहे वे जितना शक्तीशाली और विकसित देश कहलाते हो ! कर पाते तो पुरी दुनियाँ में अब भी अधुरी आजादी लेकर बहुसंख्यक आबादी अपने खनिज संपदा से भरपुर देश में भी गरिबी भुखमरी जिवन नही जी रहे होते , बल्कि पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी कबका समाप्त हो चुका होता | जो न होकर आज अँधेर नगरी चौपट राजा शासन में अँधी विकाश से सिर्फ मुठिभर लोगो के पास धन दौलत इतना अधिक जमा हो गया है कि दुनियाँ की सिर्फ एक प्रतिशत आबादी के पास इतना धन दौलत जमा है जितना की 99% के पास भी नही है | जिसके चलते बहुसंख्यक आबादी गरिबी भुखमरी से तो पहले से ही अधुरी आजादी पाकर मर रही है , पर इस कोरोना काल में अब दवा और ऑक्सिजन के आभाव में भी वही सबसे अधिक मर रहा है | जबकि एक प्रतिशत आबादी इस कोरोना काल में भी  कई कई सालो तक बिना बाहर निकले घर में बैठकर छप्पन भोग खा पी सकता है | जैसा की इस समय इस देश में जिनके पास आपार दौलत है वे लोग इस देश में लॉकडाउन लगने पर भी घर बैठे छप्पन भोग खा पीकर सिर्फ कोरोना से मरने वालो की आँकड़ो और खबरो को देखते रहते हैं | जिन्हे गरिबी भुखमरी से हो रहे मौत के आँकड़ो से कोई मतलब नही है , क्योंकि वह खुद गरिब रहते तब तो वे उसी गरिबी भुखमरी से संघर्ष करने वाली आबादी में खुदको भी जोड़कर  उससे जुड़ी खबर देखते सुनते और पढ़ते | पर चूँकि कोरोना से तो क्या गरिब क्या अमिर दोनो मर रहे हैं , इसलिए कोरोना से ही मरने वालो की आँकड़ो में उसकी नजर घर बैठे रह रही है | हलांकि चूँकि कोरोना से भी गरिब ही सबसे अधिक मर रहा है , इसलिए ऐसे लोगो को न चाहते हुए भी कोरोना की खबरो में किसी न किसी रुप में गरिबो की पीड़ा वाली खबर मिल ही जाती है | क्योंकि कोरोना से भी मरने वालो में गरिब की ही संख्या ज्यादे है | जो गरिब न चाहकर भी भिड़ में शामिल होकर कोरोना से पिड़ित होकर उसका ईलाज समय से पहले नही हो पा रहा है | और न ही उसे दवा और ऑक्सीजन ठीक से मिल पा रहा है | जिसे दवाई भी मिलता और ऑक्सिजन भी मिलता यदि वह इतना अमिर होता की नोटबंदी में भी बिना लाईन में लगे घर बैठे उसके सारे पुराने नोट बैंक और सरकार द्वारा बदलवा दिए जाते | क्योंकि अभी जो अधुरी आजादी मिलकर जो बुरे हालात मौजुद है , उसमे गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो की हालत सबसे खराब है | जिसे सुधारने वाला कोई भी देश नही है , क्योंकि उनके पास पुरी आजादी दिलाने के लिए नेतृत्व करने की सोच नही है | और न ही गुलाम बनाने वालो को जड़ से उखाड़ फैकने की ताकत है | और इस देश के पास है भी तो चूँकि यह देश खुद पुर्ण आजाद नही है , इसलिए पुर्ण आजादी प्राप्त किए अभी तो पुरी दुनियाँ में इसी तरह का ही खतरनाक स्थिति कायम रहेगी | लेकिन चूँकि अब गुलाम बनाने वाला कबिलई लुटेरी गैंग का कोई भी बेहरुबिया रुप को पकड़ना मुश्किल नही रह गया है , इसलिए धिरे धिरे इस गुलामी हालत में भी उसके खिलाफ सड़को में भिड़ जुटने की रफ्तार इतनी तेजी से बड़ने लगी थी कि और ज्यादे दिन उसका पाप का सम्राज्य कायम नही रह पाता | जिसके चलते उसने मौका का फायदा उठाते हुए कोरोना को अपना ऐसा हथियार बना लिया है कि जबतक कोरोना का दौर चलता रहेगा वह कोरोना को अपनी ढाल बनाकर अपना पाप का सम्राज्य को सुरक्षित रखते हुए चारो तरफ मौत का आलम में भी झुठी शान की जिवन जिता रहेगा | क्योंकि उसने आँखो में धुल झौंकने की तरह पुरी आजादी के लिए सड़को में उतरने वालो पर कोरोना झौंक दिया है | हलांकि भगवान ने यदि उसका पाप का सम्राज्य का खात्मा इसी दौर में तय करके रखा है तो वह चाहे जितना शैतान बुद्धी खर्च कर ले , अगर उसका जाना तय है तो निश्चित तौर पर जाएगा ही ! और फिर उसकी भ्रष्ट परंपरा का आचानक से किसी पागल कुत्ते की तरह हो जाना यही बतलाता है कि पाप का सम्राज्य का अंत बहुत जल्द होनेवाला है | क्योंकि जिस तरह कोई पागल कुत्ता पगलाकर मरने से पहले मौत से डरते हुए घुम घुमकर निर्दोश लोगो को काटता फिरता है , उसी तरह वर्तमान के समय में भी कोरोना का दौर किसी पागल इंसानो द्वारा पगलाकर मरने से पहले घुम घुमकर अनगिनत लोगो को काटने का चल रहा है | जो दौर तब खत्म होगा जब वह पागल कुत्तो का गैंग खत्म होगा | पर अफसोस उससे पहले वे न जाने कितनो को काटकर कोरोना देकर मार चुके होंगे | जैसे कि कोई पागल कुत्ता मरने से पहले पगलाकर न जाने कितनो को काटकर मरता है | क्योंकि पगलाने के बाद वह मौत का डर को अपने भितर इतना अधिक आतंकित महसुश करता है कि किसी बच्चे से भी उसे डर भय आतंक लगने लगता है कि वह भी उसे मार सकता है | जिसके चलते वह बच्चे को भी बिना कोई गलती के काटता फिरता है | क्योंकि उसे लगता है कि अगर वह अपनी बचाव में उस बच्चे को नही काटेगा तो वह बच्चा उसे मार डालेगा | जिस तरह पागल कुत्ता कि तरह पगलाये हुए लोग सारी जिवन मौत से डर डरकर ही तो ज्यादेतर अपराध करते हैं | जैसे कि इस समय मौत से डरकर ही तो कोरोना की आड़ में बड़े बड़े आतंकवादियो की गैंग निश्चित तौर पर कोरोना झौंक करके बच्चे बुढ़े नर नारी सभी में मौत बांटने और मौत का आतंक फैलाने में लगे हुए होंगे | और एक पागल कुत्ता जब पुरे गली मोहल्ले बल्कि कई गली मोहल्ले  के लोगो को आतंकित किए रहता है तो पागल कुत्तो की पूरी गैंग तो निश्चित तौर पर कोरोना वायरस का लहर पुरी दुनियाँ में फैलायेगा ही | हलांकि चूँकि जिस तरह बुढ़ापा में ही ज्यादेतर कुत्ता पगलाते हैं , क्योंकि बुढ़ापा में उनके भितर बिमारियो से लड़ने की क्षमता बहुत कम हो जाती है , इसलिए निश्चित तौर पर इस समय कोई अगर पगलाकर कोरोना झौंकवा रहा है तो वह भी कोई बुढ़ा व्यक्ती के द्वारा ही निर्देश दिया जा रहा है | जिसके चलते उसकी प्राकृति मौत भी बुढ़ापा की वजह से धिरे धिरे आगे बड़ रही है | जिससे डरकर ही तो वह पगलाकर मरने की बुरे हालात में खुद जुझ रहा है | जिन सब बुरे हालातो से बचने के लिए ही तो बुढ़ापा में समझदार इंसान मौत से बिना डरे खुदको रोजमरा जिवन में मानो बहुत कुछ त्यागकर जिवन का लौ बुझने से पहले अंतिम बार वापस बच्चा बनकर अपने बच्चो या अपने करिबियो से लालन पालन करवाकर बच्चो की तरह छोटी मोटी शैतानी हरकते करने लगते हैं | जैसे की खाने पिने में फुटानी करना , छोटी मोटी बातो पर लड़ना झगड़ना वगैरा ! न की पगलाकर पागल कुत्ता की तरह ऐसी बड़ी शैतानी हरकत करते हैं , जिससे कई निर्दोशो की जान जाती है |

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है


भारत माता शेर में सवार होकर शेर से अपने बच्चो की सुरक्षा करा रही है कि भक्षण करा रही है ?

poor india



इस देश की मातृभूमि शेर पर नही बल्कि नंदी पर सवार होकर खुदको कृषि प्रधान देश घोषित किया है | जिस मातृभूमि की रक्षक और सेवक कबिलई शिकारी शेर को बनाने का परंपरा तब से सुरु हुआ है , जबसे इस देश में कबिलई हमलावरो का प्रवेश होकर इस मातृभूमि में कबिलई लुटेरो का भी वंशृक्ष बड़ना सुरु हुआ है | जिनमे सबसे पहला कबिलई हमलावर मनुवादि का वंशवृक्ष सबसे प्रमुख है | जिसके द्वारा इस देश में सत्ता कायम करने के बाद ही इस कृषि प्रधान देश में शेर को राजा और रक्षक बनाने की परंपरा सुरु किया गया है | जबकि शिकारी शेर दुसरो की बोटी नोचकर पलनेवाला वह प्राणी है , जिसे सेवक राजा बनाना तो दूर कोई अपना रक्षक भी नही बनाएगा , बजाय इसके कि यदि शेर किसी ग्राम मोहल्ला या शहर में गलती से भी यदि आ जाय तो उसे शेर राजा आया है , उसकी चरण धोकर गद्दी में बैठाओ कहने के बजाय उसे मार पीटकर भगाओ कहना ज्यादे पसंद करेंगे | न कि शेर जंगल का राजा है जो जंगल की प्रजा की सेवा करता है सिर्फ इस गलतफेमी में रहकर लोग शेर का स्वागत करेंगे | क्योंकि असल जिवन में शिकारी शेर न तो जंगल का राजा बनने का काबिल है , और न ही रक्षक बनने का काबिल है | क्योंकि राजा और रक्षक उसी को बनाया जाना बुद्धीमानी है जो कि प्रजा की सेवा करना और रक्षा करना दोनो अच्छी तरह से जानता है | जबकि शिकारी शेर तो प्रजा की भक्षण करके अपना पेट भरना जानता है | जिसे राजा बनाना मानो प्रजा को खुनी पंजो से दबोचवाकर खुंखार जबड़ो के जरिये किसी शिकारी की पेट में सुरक्षा कराना है | जिस तरह की सेवा और सुरक्षा जिसे करानी है वह अपना राजा शेर को बनाकर अपनी जान को खतरे में तो डालता ही है पर अपने परिवार और समाज को भी खतरे में डालता है | जैसे कि मनुवादियो को शासक बनाकर इस देश के मुलनिवासि खुदको और खुदके परिवार समाज को खतरे में डाले हुए हैं , यदि वाकई में वे मनुवादियो को शासक अपनी मर्जी से बनाये हैं | क्योंकि मनुवादि भी किसी शिकारी जानवर की तरह ही शिकार करके पलनेवाला प्राणी है | जिसके चलते जब भी उसकी सत्ता कायम होती है तो वह प्रजा की सेवा और सुरक्षा के बजाय उसका शोषण अत्याचार करने में ही लगा रहता है | जैसे की गोरो से आजादी मिलने के बाद मनुवादियो की सत्ता वापस कायम होने के बाद मनुवादि फिर से इस देश के मुलनिवासियो का शोषण अत्याचार करने में लग गया हैं | क्योंकि शोषण अत्याचार करने वाला प्राणी विकाश प्रक्रिया में सबसे कमजोर और बुजदिल होता है | जिसके चलते वह लंबे समय तक ज्ञान का भारी बस्ता ढोकर भी विकसित इंसान बनने के बजाय अविकसित बुद्धीवाला विकृत हैवान बनने में ही लगा रहता है | लेकिन भी जिस तरह जंगल का राजा बताकर शिकारी शेर को सबसे ताकतवर प्रचारित किया जाता है , उसी तरह इस देश के मुलनिवासियो को कमजोर बताकर यह प्रचारित किया जाता है कि मनुवादि सबसे ताकतवर प्राणी है | जबकि मनुवादि दुसरो के टुकड़ो में पलनेवाला वह परजिवी है , जो यदि इस देश को छोड़ दे तो उसे अपना वह ठिकाना भी नही मिलेगा जहाँ पर उसे अपने पूर्वजो की खुदकी अपनी खास वसियत मिल जाएगी | क्योंकि उनके पूर्वज जब इस देश में आए थे उस समय उनके पास पहनने के लिए कपड़ा तक नही था तो वे अपने पूर्वजो कि खुदकी वसियत में क्या धन संपदा हासिल करेंगे | उनके पास तो कपड़ा भी इस देश में आने के बाद प्राप्त हुआ है | बल्कि मनुवादियो को तो परिवार समाज का ज्ञान भी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके हुआ है | जिन सब जानकारियो को सबसे पुराना ऋंग्वेद से हासिल किया जा सकता है | जिसमे भी मनुवादियो ने मिलावट और छेड़छाड़ किया है , जैसे कि गोरो ने इतिहास में छेड़छाड़ किया है | पर चूँकि छेड़छाड़ और मिलावट करके सत्य को मिटाया नही जा सकता है , इसलिए वेद पुराणो में भी भले मनुवादियो ने छेड़छाड़ और मिलावट किया है , पर उसमे जो सत्य है उसे नही मिटा पाया है | जिसे वेद पुराणो में वही व्यक्ती तलाश सकता है जो कि सत्य प्रमाणित बातो को समझ बुझ सकता है | जिसे समझना कठिन नही है , बस वेद पुराणो को प्राकृतिक प्रमाणित सत्य से जोड़कर जाना समझा जाय , न कि उसे मनुवादियो की भ्रष्ट बुद्धी द्वारा रचे अप्राकृति ढोंग पाखंड की नजरिये से जाना समझा जाय | क्योंकि ढोंग पाखंड की नजरिये से वेद पुराणो को समझने से सबसे ताकतवर भगवान मनुवादियो के पूर्वज देवो को समझने में देर नही लगती है | जबकि मनुवादियो के पूर्वजो ने इस देश के मुलनिवासियों के साथ जो जुल्म सितम किए हैं , उससे मनुवादि विकाश प्रक्रिया में ताकतवर नही बल्कि सबसे बुजदिल और कमजोर साबित होते हैं | क्योंकि विकाश प्रक्रिया में वे लोग सबसे बुजदिल कमजोर और डरपोक होते हैं , जो बदहाल शोषित पिड़ितो को मौत बांटते फिरते हैं | जिनमे खासकर वे लोग होते हैं , जो खुद बदहाली और शोषण अत्याचार के लिए जिम्मेवार होते हैं | जो विरले ही खुद अपनी गुनाह कबूल करते हैं कि उनकी वजह से बदहाली कायम हुई है , और उनकी वजह से शोषण अत्याचार हो रहे हैं | भले ही उनके परिवार समाज में मौजुद उनके बहुत से करिबी उनको गुनेहगार मानते हुए उसे सारी जिवन शोषण अत्याचार बंद करके सुधरने के लिए कहते रहते हैं | पर वे दुसरो की तो दुर अपनो की भी बात नही मानते और अपनी भ्रष्ट बुद्धी को अपडेट करके पाप कुकर्मो में ही लगे रहते हैं | जैसे कि जिन मनुवादियो ने आजतक कबूल ही नही किया कि उनके द्वारा मनुवादि शासन स्थापित होने के बाद इस देश के मुलनिवासियो के साथ लगातार शोषण अत्याचार होता रहा है , और शोषित पिड़ितो के जिवन में बदहाली भी कायम होता आ रहा है | जिस बदहाली और शोषण अत्याचार को दुर करने के बजाय अपडेट होता आ रहा है | क्योंकि बदहाली और शोषण अत्याचार के लिए सबसे अधिक जिम्मेवार लोगो को दिन रात यह डर सताता रहता है कि जिन लोगो को उनकी वजह से बदहाली और शोषण अत्याचार का सामना करना पड़ता है , उन लोगो के जिवन में जिसदिन भी हालात सुधरेंगे उनको ईट का जवाब पत्थर लोहा सबसे मिलेगा | जिसके चलते वे बदहाल शोषित पिड़ित जिवन जी रहे निर्दोश लोगो की जिवन में सुधार होने देने से पहले ही उन्हे गरिबी भुखमरी हालात पैदा करके भी और शोषण अत्याचार करके भी दबाने बल्कि मारने का पापी सोच लंबे समय से अपडेट होता चला आ रहा है | भेदभाव शोषण अत्याचार जैसी अपराधी सोच मनुवादियो के भ्रष्ट बुद्धी में अपडेट होता चला आ रहा है | जिस तरह की अपराधी सोच उन कमजोर और बुजदिल लोगो की होती है , जिन्हे दुनियाँ का सबसे कमजोर इंसान कहा जा सकता है | जो अपनी शक्तियो का उपयोग रक्षा करने के बजाय शोषण अत्याचार करने में करते हैं | अथवा रक्षक वीर जवान के बजाय भक्षक हैवान बनने में ही उन्हे मानो गर्व महसुश होता है | जिसके चलते वे गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करने जैसे पापो में गर्व से लिप्त होते रहे हैं | पर गर्व वे जिस पाप कुकर्मो को करते हैं , उस पाप कुकर्मो को ही करके भितर से वे इतना कमजोर और बुजदिल हो जाते हैं कि अपने द्वारा किये और करवाये गए पाप कुकर्मो को कबूल कभी विरले ही कर पाते हैं | बल्कि अपने पाप कुकर्मो का सबूत मिटाने या छिपाने के लिए वे सबसे अधिक समय बर्बाद करते रहते हैं | जैसे की मनुवादियो ने वेद पुराणो में भी छेड़छाड़ और मिलावट करके अपने पूर्वजो के पाप कुकर्मो को छिपाने और मिटाने की कोशिष किया है | क्योंकि उनके द्वारा किये गए पाप कुकर्मो का लिस्ट इतनी लंबी रहती है कि यदि नर्क में भी आदालती कारवाई की तरह ही कारवाई होकर उन्हे सजा मिलता होगा तो वहाँ भी सायद उनके द्वारा किये गए पाप कुकर्मो की जानकारी को जमा करते करते वे नर्क में भी सजा काटने से पहले फिर से मर जाते होंगे | जैसे की इस देश में जो मनुवादि शासन में आदालती कारवाई हो रही है , उसमे बड़े बड़े पाप कुकर्म करने वालो की लिस्ट इतनी लंबी है कि उसको जमा करते करते पापी सजा काटने से पहले ही अपनी जिवन जिकर बुढ़ा होकर मरता जा रहा है | बल्कि सजा देनेवाला जज भी बुढ़ा होकर मरते जा रहे हैं | पर पाप कुकर्मो की लंबी लिस्टो पर सायद ही किसी पापी को सजा मिल पा रहा है | जो लिस्ट नर्क में ट्रांसफर होने के बाद सायद वहाँ भी आदालती कारवाई की तरह पापियो को सजा नही मिल पा रहा है | जिसके चलते पापियो की गैंग मरने के बाद अपनी पापी जिवन को बदलकर नया जिवन जिने के बजाय दुसरा जन्म में भी वही पुराना पाप कुकर्मो की पोटली लेकर फिर से पाप कुकर्मो में पिड़ि दर पिड़ी मोक्ष प्राप्ति के लिए लगे रहते हैं | जो उन्हे अपने द्वारा किये गए पाप कुकर्मो को खुद कबूल करके सजा काटे बगैर प्राप्त कभी भी नही होनेवाला है | क्योंकि जिन पापियो को बिना अपराध को छिपाये या किसी पाप को दुबारा किए बगैर एकदिन के लिए भी जिवित रह पाने में हर रोज मानो साँस लेने में भी दिक्कत होती रहती है , वे आखिर कैसे मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं | बल्कि मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी मानो वे अपराध में अपराध करते रहते हैं | जो अपनी जिवन में मौत का डर को सबसे अधिक दिन रात झेलते हैं | क्योंकि उन्हे मानो कई जन्मो से सजा न मिल पाने की वजह से अपने पाप कुकर्मो की पोटली को अपने पिठ में लादे उसके बोझ तले एक साथ उसे सारे पाप कुकर्मो की सजा छपर फाड़कर मिलेगा इस डर से भी डर डरकर जिवन जिते रहते हैं | जिसके लिये मोक्ष मिलना तो मानो किसी कोरोना को किसी इंसान के द्वारा विवाह रिस्ता के लिए प्रस्ताव मिलने जैसा लगता है | जिसके चलते हर जन्म में वे जन्म लेकर सारी जिवन पाप कुकर्मो की पोटली लिये कोरोना की तरह दुसरो को भय आतंक देकर खुद भी मौत से भयभीत और आतंकित रहते हैं | जिस आतंक को कम करने के लिए जिस तरह बहुत से अँधविश्वासी लोग जब कोई उपाय नही सुझता है तो ढोंगी पाखंडी ठग वगैरा की चंगुल में फंसकर अपनी समस्याओ का सामाधान खोजते फिरते हैं , उसी तरह ये मनुवादि भी अपने ही रचे ढोंग पाखंड का सहारा लेकर मोक्ष प्राप्त करने की कोशिष में लगे रहते हैं , बजाय इसके कि उन्हे अपनी गलती स्वीकार करके अपने और अपने पूर्वजो के पाप कुकर्मो को किसी मल मूत्र की तरह त्याग देना चाहिए था | न कि उसे अपडेट करते रहना चाहिए यह बताकर कि उनके पूर्वजो ने बुराई का विनाश किया था | क्योंकि बुराई यदि वे इस देश के मुलनिवासियो के पूर्वजो को बतलाकर खुदके पूर्वजो को अच्छाई का प्रतिक समझते हैं , तो वे खुद ही अपने पाप कुकर्मो को और अधिक बड़ाने में अपनी नई पिड़ी को भी गलत जानकारी देकर उनके द्वारा पापी बनने में मदत करते आ रहे हैं | जिसके चलते मनुवादि आजतक भी भेदभाव शोषण अत्याचार को पुरी तरह से नही छोड़ पाया है | और पिड़ि दर पिड़ि अपने पाप कुकर्मो को अपडेट करने में ही लगा रहा है |

बहुत से लोग अधुरी बात कर रहे हैं की वर्तमान का प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है

 


बहुत से लोग अधुरी बात कर रहे हैं की वर्तमान का प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है

बहुत से लोग अधुरी बात कर रहे हैं की वर्तमान का प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है



दरसल मैं बहुत दिनो के बाद आज यह पोस्ट एक गाना youtube में देखकर लिख रहा हूँ | वैसे तो हर समय कुछ न कुछ लिखता रहता हूँ , पर उसे मैं सभी को नही डालता हूँ , क्योंकि जो पहले से ही डला हुआ है , उसे ही पढ़ने वालो का इंतजार है तो बाकि को डालकर क्या गूगल को पढ़ाता रहूँगा , जिसके पास पहले से ही दुनियाँ की सबसे अधिक लेखन मौजुद है | लेकिन आज का लिखा पोस्ट को डाल इसलिए रहा हूँ , क्योंकि अली बाबा चलीस चोर की पुरी गैंग चोरी और लुट में दिन रात लगी हुई है , और चोरी के बारे में यह प्रचार प्रसार किया जा रहा है कि सिर्फ एक चोर पुरे देश को बेच रहा है | हलांकि जिस तरह किसी विद्वान ने बहुत सोच समझकर भी यह अधुरी बात कही है कि " जिस देश का राजा हो व्यापारी ( विक्रेता ) वहाँ की प्रजा हो जाती है भिखारी ! " उसी तरह आज भी बहुत से लोग सोच समझकर ही यह अधुरी बात कह रहे हैं की वर्तमान का चाय बेचनेवाला प्रधानमंत्री देश को बेच रहा है | क्योंकि सिर्फ एक व्यक्ती इस समय पुरा देश बेचकर मालामाल हो रहा है , यह कहना वैसा हि है जैसे कि सरकार में मौजुद प्रधानमंत्री छोड़कर बाकि सब मांसिक तौर पर इतने विकृत हैं कि उन्हे समझ ही नही आ रहा है कि क्या बुरा हो रहा है , और उस बुरा को रोकने के लिए उस एक व्यक्ती के खिलाफ सब एकजुट होकर ऐसी कौन सी कदम उठानी चाहिए कि वह व्यक्ती देश बेचना तो दुर बिना बाकियो के मर्जी के चाय भी बेच नही पायेगा ! क्योंकि संविधान की शपथ क्या उस एक व्यक्ती ने लेकर खुदको शक्ती प्रदान किया है कि सरकार में मौजुद सभी शपथ लेने वालो को खास शक्ती मिला हुआ है ? क्योंकि संविधान सभी शपथ लेने वालो को विशेष शक्ती और अधिकार देता है | लेकिन सिर्फ एक व्यक्ती को बिलेन बनाकर ऐसा पेश किया जा रहा है , जैसे बाकि सब सरकार में शपथ लेकर नंगे होकर चूपचाप लेटे हुए हैं , और वह एक व्यक्ती अकेला चुपचाप देश बेचकर मोटामाल बटोरता जा रहा है | और अकेला जो धन इकठा कर रहा है वह मरने के बाद किसके लिए छोड़कर जाएगा ? क्योंकि न तो उसकी माँ से वह साथ में रह रहा है , और न ही अपनी पत्नी के साथ रह रहा है , जिन्हे उससे कुछ धन चाहिए भी नही ! और सबसे बड़ी बात इन सबकी उम्र इतनी अधिक हो चूकी है की यदि इस देश के नागरिको की औसतन उम्र 70 को सही मानकर चला जाय तो फिर तो ये सभी उस उम्र को पार कर चुके हैं | पर चूँकि गरिबी भुखमरी में भी इनकी आर्थिक स्थिति उतनी खराब नही थी की ये कुपोषित होकर समय से पहले मर सकते थे , और अभी तो इनकी स्थिति क्या है , पुरी दुनियाँ को पता है , खासकर देश विक्रेता जिसे कहा जा रहा है , उसके लिए तो सारी सुख सुविधा और सुरक्षा इतना खास इंतजाम मौजुद है कि जबतक उसका शरिर सुटबूट लगाकर चल फिर रहा है , तबतक हर रोज भले देश की बहुत से सरकारी क्षेत्र को बेचने से बहुत से जवान किसान और जवान रक्षक भी दवाई और भोजन की अभाव में मरेंगे या मर भी रहे हैं यह इतिहास भी दर्ज होता रहेगा पर बुढ़े प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति और कोई मंत्री सांसद भी दवाई और भोजन की अभाव से मर गए जिसके लिए देश की संसद में दो मिनट का मौन रखा जाएगा यह घटना कभी घटित हो ही नही सकती | न देश बेचकर और न ही बिना बेचे भी | और यदि होती तो फिर अबतक के संसद इतिहास में एक भी उदाहरन खोजकर बताया जाय कि किसी प्रधानमंत्री राष्ट्रपति मंत्री सांसद की मौत दवाई और भोजन की अभाव में हुआ जिसके चलते मौन रखा गया था ! क्योंकि इतिहास गवाह है कि गोरो से आजादी मिलने के बाद से लेकर अबतक जितने भी संसद सत्र चले हैं , एक में भी ऐसी मौन वर्त नही रखा गया है | क्योंकि संसदीय चुनाव प्रक्रिया का स्वरुप और शासन ही चौपट है | जिसमे प्रजा भले हर रोज दवाई और भोजन के अभाव में अनगिनत संख्या में मर सकती है , पर देश के सरकार में मौजुद प्रधानमंत्री राष्ट्रपति मंत्री सांसद कभी दवाई और भोजन के अभाव में मर ही नही सकते , क्योंकि उनके लिए आर्थिक से लेकर सेहत तक खास इंतजाम संसदीय चुनाव प्रक्रिया पुरी करके सरकार बनने के बाद रहता है | वह भी तब खास तौर पर और भी अधिक रहेगा जब देश आजादी मिलने के बाद उन लोगो के हाथो ही लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में प्रमुखता से दबदबा कायम है , जिनका हजारो सालो का इतिहास इस देश में गुलाम बनाने छुवाछूत शोषण अत्याचार करने का रहा है | जिनकी दबदबा में इस देश की हालत तो वैसे भी हजारो सालो से गुलामी से आजादी पाने के लिए संघर्ष करने से कम नही है | और गुलामी हालत में देश की प्रजा के लिए सुरक्षा पहले किमती सरकारी सुख सुविधा बाद में सोच सरकार का है ये तो वही हुआ जैसे की गुलामी के समय गुलाम करने वाले खुदको भुखा प्यासा रखकर अपनी प्रजा को पेटभर खिलायेंगे | हलांकि न तो सरकार को भुखो मरना चाहिए और न ही प्रजा को भुखो मरना चाहिए | बल्कि दुसरो का खुन चुसकर कालाधन का भंडार इकठा करने वाले परजिवि सोच रखने वालो को भुखो मरना चाहिए | क्योंकि वे पाप करके इकठा किए कालाधन से खा खाकर मर रहे हैं , इससे अच्छा तो भुखो मरकर कम से कम पुरी दुनियाँ की नजर में ही नही बल्कि इतिहास में वे भी निर्दोश लोगो में गिने जाते ! पर अभी तो वे अपना जिस तरह का पाप इतिहास दर्ज कर रहे हैं , उसे तो भविष्य में कतई नही यह कहा जाएगा कि इस समय जो अँधा विकाश का दौर चल रहा है , उसमे एक भी व्यक्ती सौ प्रतिशत साफ सुथरा कमाई से धन्ना बन रहा है |क्योंकि जितने भी लोग धन्ना बन रहे हैं , सभी इस अँधी विकाश का दौर में न चाहकर भी भ्रष्टाचार में किसी न किसी रुप में शामिल होकर ही धन्ना बन रहे हैं | जिसके बाद उल्टा सिधा खा पीकर मर रहे हैं | सायद ही कोई अमिर होगा जिसके उपर भ्रष्टाचार करने का आरोप नही है | और भ्रष्टाचार के सारे आरोप जिसका लंबी लिस्ट देश विदेश दोनो जगह मौजुद है वह सभी फर्जी आरोप है इसपर विश्वास विरले लोग करेंगे | क्योंकि कड़वा सत्य यही है कि ज्यादेतर तो यही इतिहास दर्ज हो रहा है कि इस समय का दौर में कालाधन को छिपाकर कौन कितना बड़ा इमानदार धन्ना बनेगा यह प्रतियोगिता चल रहा है | जिस प्रतियोगिता में शामिल कोई भी व्यक्ती गरिबी भुखमरी से कभी मर ही नही सकता | जैसे की इस कोरोनाकाल में भी मौत किसी प्रधानमंत्री राष्ट्रपति मंत्री सांसद का काल बनकर नही आ सकता , भले अनगिनत नागरिको के लिए कब्र और चिता के लिए भी जगह नही मिल रहा हो ! हलांकि फिर भी मौत तो एकदिन सुर्य चाँद तारो की भी निश्चित होती है , जो प्राकृति का नियम कानून है , जिसे दुनियाँ की कोई भी नियम कानून नही बदल सकती ! इसलिए देश विक्रेता जिसे कहा जा रहा है , उसकी भी मौत एकदिन निश्चित समय आने पर होगी ही , और उसके लिए भी मौन व्रत जरुर रखे जाएँगे , भले हर रोज अनगिनत संख्या में मरने वाले नागरिको की मौत पर संसद में मौन व्रत सायद ही विरले कभी होता है | जिनके लिए मौन व्रत न रखने वाले प्रधानमंत्री राष्ट्रपति मंत्री सांसद के लिए कब रखा जाएगा यह तो वह भगवान जाने जिसकी मर्जी से सबको जिवन मिलता है , और जिसकी मर्जी से साँसे भी चलता है | और वैसे पिछले कई सालो से जिस तरह बुड़े बुजुर्गो की मौते तेजी से हो रही है चाहे जिस क्षेत्र से हो , उसे जानकर तो यही लगता है कि प्राकृति पुरानी पिड़ी को अब बहुत जल्द समाप्त करके नई पिड़ी के हाथ में मानवता और पर्यावरण सुधार का नेतृत्व सौपना चाहती है | ताकि जो सुधार पिछली पिड़ी जवानी से बुढ़ापा तक नही कर सकी या नही कर पा रही है , उसे नई पिड़ी कर सके ! जैसे कि अबतक जितनी भी पिछली पिड़ी आई किसी ने भी गरिबी भुखमरी दुर करना तो दुर जो लोग गरिबी भुखमरी जिवन से बाहर हैं , उनके लिए भी इतनी बदहाली जिवन मौजुद है कि वे गरिबी भुखमरी से तो नही मर रहे हैं पर उल्टा सिधा या फिर ज्यादे खा खाकर मर रहे हैं | क्योंकि उनके नेतृत्व में गरिब अमिर के बिच इतना खराब असामानता मौजुद है कि इसका अनुमान इसी बात को जानकर लगाया जा सकता है कि सिर्फ एक प्रतिशत नागरिक के पास 75-80% धन दौलत मौजुद है | यानि सौ व्यक्तियो को यदि सौ रोटी देकर आपस में बांटकर खाने के लिए दिया जाय तो 99 लोग 15-20 रोटी को छोटा छोटा टुकड़ा टुकड़ा करके आपस में बांटकर किसी तरह जिवन यापन कर रहे हैं , और बाकि 1 व्यक्ती 75-80 रोटी को अकेला खाने के लिए धरे हुए है | पर चूँकि वह भी इंसान ही है , इसलिए वह इतना रोटी अकेला पुरा नही खा सकता , जिसके चलते उसका ज्यादेतर रोटी पड़ा का पड़ा हुआ है | बल्कि उसकी रोटी में और अधिक बड़ौतरी हो रही है | जिसे कहा जाता है अमिर और अधिक अमिर बनता जा रहा है , और गरिब और अधिक गरिब बनता जा रहा है | क्योंकि अमिर का धन से जो ब्याज अपनेआप बड़ रहा है , उससे उसका धन अपने आप दोगुना होता जा रहा है | इसलिए यदि वह कुछ कमाई न भी करे तो भी उसको इतना ब्याज धन मिलता रहेगा कि उसकी नई पिड़ी भी बिना कुछ किये कम से कम गरिबी भुखमरी से तो कभी नही मरेगा | हाँ यदि इसी तरह एक व्यक्ती 75-80 रोटी धरकर खाता रहा तो गरिबी भुखमरी से तो नही पर उल्टा सिधा खा खाकर जरुर मरता रहेगा | इसलिए मानवता और पर्यावरण को यदि संतुलित करना है तो गरिब अमिर के बिच में असंतुलित असामानता पैदा करने वाली संसदीय चुनाव प्रणाली को अपडेट करके ऐसी विकसित प्रणाली विकसित करना चाहिए जिसमे सरकार का चुनाव होने के बाद सरकार और प्रजा दोनो को कम से कम इतनी तो सुख सुविधा और सुरक्षा में समानता मिले की कोई नागरिक की न तो गरिबी भुखमरी से मौत हो और न ही अँधी विकाश से उल्टा सिधा खा पीकर मरने जैसे बुरे हालात पैदा हो सके | जो संतुलित मानवता और पर्यावरण इस समय की बुरे दौर में फिलहाल तो चाहकर भी नहीं होंगे | हाँ पुराणी पिड़ियो के जाने के बाद सायद नई पिड़ि अपना तालमेल अपडेट करके सुधार करके अँधी विकाश के जगह आँख खोलकर विकाश करेगा और सायद किसी नागरिक की गरिबी भुखमरी से मौत होने से पहले ही उसके पास दवाई और भोजन वैसा ही पहुँच जाएगा जैसे कि किसी घर में कोई सदस्य बिमार होने पर यदि घर में सक्षम अभिभावक हो तो उसे दवाई ही नही विटामिन युक्त खास खाना पिना व्यवस्था करना सुरु कर देता है | जो इस समय इस देश का अभिभावक बने सरकार खुद छोड़कर बाकि नागरिको के लिए खासकर मध्यम और गरिब परिवारो के लिए क्या ऐसी व्यवस्था बनाकर रखी हुई है कि किसी कि मौत गरिबी भुखमरी और बदहाली से न हो ? एक सरकार आकर गरिबी हटाओ और दुसरी सरकार अच्छे दिन आनेवाले हैं , अश्वासन भाषण देकर इतिहास दर्ज हो रहा है कि कोरोनाकाल जैसे बुरे दिन भी देखने पड़े इस समय मौजुद नागरिक और सरकार को भी ! जिन बुरे दिनो के लिए प्रमुखता से कबिलई सोच से प्रजा सेवा करने की प्रणाली स्थापित हो गई है | और कबिलई सोच के लिए इतिहास गवाह है कि कबिलई सोच सेवा के लिए नही ज्यादेतर लुटमार गुलाम बनाने के लिए मशहुर है | जो कबिलई सोच इस कृषि प्रधान देश में भी कायम हो गया है | क्योंकि इस कृषि प्रधान देश को पुरी आजादी अबतक नही मिला है | और इसे जबतक पुरी आजादी नही मिल जाती तबतक इसमे कोई शक नही कि पुरी दुनियाँ में भयावह स्थिति और अधिक कायम होती रहेगी | क्योंकि इस कृषि प्रधान देश को विश्वगुरु यू ही नही कहा जाता है | जिस विश्वगुरु को ही कैद करके मनुस्मृति सोच वाली दबदबा अब विश्वगुरु बनना चाह रहा है तो जाहिर है पुरे विश्व में तो भयावह स्थिति रहेगी ही | जैसे की भष्मासुर खास वरदान पाकर सत्य शिव बनने की सोचकर जब अपने मिले खास वरदान शक्ती का गलत इस्तेमाल करने लगा तो भयावह नजारा चारो ओर मौजुद था | जिसके खुदके द्वारा भष्म होने तक जितने भी निर्दोश लोग मारे गए वे तो खुशियाँ कभी मना नही सके पर जो बचे होंगे वे निश्चित तौर पर इतना खुश हुए होंगे कि मानो सारी दुःखो का पहाड़ सिर्फ एक खबर सुनकर चकनाचूर हो गया होगा कि भष्मासुर भी खुद अपनी वरदान शक्ती से भष्म हो गया ! जिससे पहले उनकी जिवन में क्या होली क्या दीवाली क्या क्रिसमस ईद और बाकि भी ऐसे पर्व त्योहार जिसे मनाते समय सभी मिल जुलकर सबसे अधिक खुशीयाँ मनाते हए आपस में खुशी बांटते हैं | इस देश में तो खुशी बांटने की इतने सारे पर्व त्योहार मौजुद है कि दुःख देने वाले लोग यदि मौजुद न हो तो उन पर्व त्योहारो को मनाने वाले सभी लोग पुरी जिवन ही खुशीयाँ बांटते हुए बितायेंगे | क्योंकि एक पर्व त्योहार समाप्त हुआ नही कि दुसरा पर्व त्योहार खुशी लेकर आ जाती है | जो मुलता हिन्दु कलैंडर जो की प्राकृति पर अधारित है उसके अनुसार ही मनाई जाती है | क्योंकि ये सारे पर्व त्योहार मुलता प्राकृति पर ही अधारित होता है | हर बदलते ऋतु और महिना पर पर्व त्योहार मौजुद है | जिन पर्व त्योहारो में गिने चुने कुछ इतने खास हैं , जिसके आने पर खास छुटियाँ मनाई जाती है | बाकि सब मानो खुशियों की झांकी अथवा ट्रेलर है | जो चंद सेकेंट दिखकर पुरी फिल्म के बारे में मानो प्रचार प्रसार करती रहती है | जो सारे पर्व त्योहार तब अपनी सही रुप में पुरी दुनियाँ को ठीक से दिखेगी जब यह देश पुर्ण रुप से आजाद होगा | जिससे पहले तो मानो इन तमाम पर्व त्योहारो में किसी भष्मासुर द्वारा भय आतंक माहौल बना रहता है | सिर्फ नाम मात्र का खुशी दिखती है , ज्यादेतर तो चारो तरफ दुःख पसरी हुई रहती है | इसलिए मैं अब जबसे यह जाना हूँ कि यह देश पुर्ण रुप से आजाद नही हुआ है , तब से पर्व त्योहार विरले ही मनाता हूँ | हलांकि बाकि लोग भी न मनाये यह मैं कतई नही चाहता , क्योंकि दुःख में भी यह कभी नही भुलनी चाहिए कि पुर्ण आजादी के समय आखिर हमारे पुरखे किस तरह आपस में मिल जुलकर बिना भेदभाव किए खुशियाँ मनाते थे ? तब सभी की जिवन पर्व त्योहारो को मनाने के लिए आर्थिक रुप से भी सक्षम थी | और पूर्ण आजाद हालात में मांसिक रुप से भी पुरी तरह खुश रहते थे | अभी तो चूँकि गुलामी हालात मौजुद है , इसलिए गुलामी झेल रहे दुःखी पिड़ित लोग आर्थिक और मांसिक तौर पर पर्व त्योहार मनाते समय भी पूर्ण रुप से खुश नही रह सकते | जिसके लिए विश्वगुरु को आजाद करना होगा उन कबिलई सोच से जिनकी मन मर्जी से गुलामी कायम है |

खैर यह पोस्ट पढ़ने वालो में जिसे भी ज्ञानयुक्त लगा हो , वे इसे बांटकर मुमकिन हो तो मेरा बाकि पोस्ट भी जरुर पढ़े और बांटे | क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है , और छिपाने से घटता है | मैने तो जो ज्ञान बांटा है , उसे सौ लोग भी नही पढ़ते हैं | क्योंकि वर्तमान का दौर जैसा कि बतलाया जिस अँधी विकाश का दौर चल रहा है , उसमे यदि सेक्स के बारे में या तड़क भड़क झुट और ठगी वाला लेख मिर्च मसाला डालकर लिखो तो भिड़ लग जाती है , नही तो मेरा पोस्ट जैसा ही हाल होता है , जिसे पढ़कर सायद कोई अपना वह किमती समय बर्बाद नही करना चाहता है , जिससे उसे भी अँधी विकाश दौड़ में शामिल होना है | भले उनके पास अपने माता पिता और बच्चो वगैरा के लिए समय नही है , पर अँधी विकाश का दौड़ में वह रात में भी भोग विलाश पार्टी वगैरा में हजारो लाखो फिजूल खर्च करके भी शामिल समय से पहले हो जाता है |

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...