आखिर देश की जनता मालिक को वोट देकर अपनी पसंद का सेवक और पार्टी चुनने का अधिकार क्यों दिया गया है?क्या सिर्फ गरिबी भुखमरी कुपोषन और तंगहाली जिवन जिने के लिए वोट का अधिकार दिया गया है?मैं ये सवाल उन लोगो से नही कर रहा हुँ जो अबतक की चुनी गई सरकार को दुबारा कभी नही चुने हैं,बल्कि उनसे कर रहा हुँ,जो एक ही पार्टी को कई बार देश का सेवक चुन रहे हैं,और भुगतना सबको पड़ रहा है!जैसे कि किसी परिवार में कुछ सदस्यो द्वारा सेवक चुनकर घर में बेहत्तर सेवा करने के लिए लगाया जाता है और वह सेवक बार बार खराब निकल जाता है|जिससे कि पुरा घर परिवार को भुगतना पड़ता है|खासकर गरिब बीपीएल सदस्य जिनमे से कई तो हर रोज भुखमरी कुपोषन से मर रहे हैं|जिनकी हालत को वे लोग क्या जाने जिन्होने कभी ये सोचा ही नही है कि उनकी गरिबी भुखमरी किसी और को चुनने से दुर भी हो सकती है|फिर भी क्यों सिर्फ एक दो तीन को ही अपनी खास पसंद मानकर अजादी से लेकर अबतक सबकी पसंद चुने ही जा रहे हैं!जो घटना बार बार दोहराते हुए देख देखकर ऐसा लगता है बाकियो के साथ मानो ऐसा भेदभाव हो रहा है जैसे इस देश में एक दो तीन जाती द्वारा खुदको उच्च घोषित करके बाकि सबको शुद्र बतलाकर हजारो सालो से छुवा छुत भेदभाव किया जा रहा है|जो लोग अजादी से लेकर अबतक लोकतंत्र के चारो स्तंभो में उच्च दबदबा बनाये हुए हैं|और बाकि बहुसंख्यको को चुनाव के समय में कहा जाता है,ये लोग जात पात की राजनिति कर रहे हैं इसलिये मानो नही चुना रहे हैं|जात पात की राजनिति कौन कर रहा है अबतक एक भी प्रधानमंत्री दलित आदिवासी को नही बनाकर ये तो अजादी से लेकर अबतक की भारी बहुमत से चुनी गई सरकारो की नेतृत्व देखकर पता चलता है|बल्कि जिस दिन इस देश की बहुसंख्यक अबादी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो धर्म परिवर्तन करके,जिससे उनके पुर्वजो का डीएनए नही बदला है|जो अगर सभी मिलकर ये तय कर लें कि हमारे पुर्वजो के साथ लंबे समय से छुवा छुत होते आया है जिन जातियो के जरिये उन जातो को अब वोट नही करनी है,और सिर्फ जो उच्च जाती नही कहलाते हैं उन्हे वोट करनी है,तो कभी भी मेरे ख्याल से इस देश की सत्ता ही नही बल्कि लोकतंत्र के चारो स्तंभो में भी आजतक खुदको जन्म से उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रिय और धन्ना वैश्य कहकर भी छुवा छुत आदत को नही छोड़ने वालो की दबदबा दुबारा कायम नही हो पायेगी!पर चुँकि इस देश में लंबे समय से अपने सर का ताज को भी गवाकर सर में मैला तक ढोने को तैयार होने वाले भोले भाले लोग कभी भी मन में ये सोचे ही नही कि सब एकजुट होकर छुवा छुत करने वालो को वोट ही नही दिया जाय|क्योंकि बाबा अंबेडकर द्वारा छुवा छुत नियम कानून मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके सबको बराबर का अधिकार दिया गया है|पर अफसोस आज भी अजाद भारत का संविधान लागू होते हुए भी छुवा छुत जारी है|और छुवा छुत जिनके साथ भी हो रही है,वे सभी लोग तमाम क्षेत्रो में आपस में बंटकर अपने बहुसंख्यक वोट को भी बिना जात पात की राजनिति करते हुए खुदको अठनी चवनी में हमेशा बांटते रहे हैं|जबकि मेरी और बाकि भी उन नागरिको जिनको भी लगता है की अजादी से लेकर अबतक कांग्रेस भाजपा दोनो कि आपस में भितर भितर गले मिलकर भेदभाव की राजनिति मुल रुप से कर रहे हैं,बाकियो को देश की सत्ता में कभी भी न आने देने के लिए|जिन दोनो ही पार्टियो को भारी बहुमत से हराकर मेरी पसंद की सरकार और प्रधान सेवक चुनने की वोट यदि अबतक काम कर गई होती इन्ही लोगो की दबदबा की सत्ता चुनकर जिनको की बार बार दलित आदिवासी और पिछड़ी जात पात की राजनिती करने का आरोप भाजपा कांग्रेस दोनो ही समय समय पर हमेशा लगाते रहे हैं|जो आरोप यदि सचमुच में सच साबित हो जाता तो कबका वर्तमान और इससे पहले की भी भाजपा और कांग्रेस की सरकार एकबार चुनकर दुबारा कभी चुनी ही नही जाती,जबतक कि कतार लगाए सेवक बहाली में भाग लेनेवाली बाकि क्षेत्रीय पार्टियो और क्षेत्रीय नेताओ को बारी बारी से मौका देकर उन सबकी भी सेवा हुनर को कम से कम एक एक बार देखी नही जाती केन्द्र स्तर पर!पर अफसोश मेरी पसंद की वह सुबह ही अबतक नही आई है,जिसमे की मेरी पसंद की सरकार कम से कम एकबार भी सारे बहुसंख्यक होकर भी अठनी चवनी बंटे हुए वोट को एक जगह करके भारी बहुमत से भाजपा कांग्रेस दोनो को ही हराकर चुनी जायेगी|बल्कि भाजपा कांग्रेस को भी जो शोषित पिड़ित कांग्रेस भाजपा छुवा छुत और जात पात की राजनिती कभी नही करती है ये दोनो पार्टी इस बात को न मानकर भाजपा कांग्रेस को कम से कम एकबार भी भारी भेदभाव की राजनिती करने वाली पार्टी मानकर भारी बहुमत से हराने के लिए उसका साथ छोड़कर मेरी पसंद की सरकार भारी बहुमत से चुने,तो मैं समझता हुँ उसी असल भारी बदलाव चुनाव के बाद से सबकी विकाश का असल छुवा छुत मुक्त शासन सही पटरी पर आ जायेगी!
In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
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