अजादी के इतने सालो बाद भी Poor india जनता मालिक और Digital india प्रधान सेवक के बिच ये कैसा Modern India,Freedom india और Shining india,अच्छे दिन वाली रिस्ता निभाई जा रही है


अजादी से लेकर अबतक देश में करोड़ो नागरिको के ऐसे
बुरे दिन चल रहे हैं,जैसे कि मानो जब किसी नौकर को सेवा कराने के लिए उसकी हुनर के बारे में सुन या परखकर कोई मालिक उसे बड़ी उम्मीद से अपना सेवक चुनता है,और फिर भी देखने सुनने और परखने के आधार पर खुदको सबसे बेहत्तर सेवक बतलाने वाला कोई सेवक अपने मालिक की सेवा ठीक से नही कर पाता है,और न ही ठीक से वह अपने मालिक को कुछ बेहत्तर पोषन ही खिला पिला पाता है,और घर में सारा इंतजाम होते हुए भी उसका मालिक रोजमरा जिवन में भुखमरी कुपोषन से होकर गुजरता है,जबकि उसका नौकर खा खाकर अति खाने से प्रतिदिन मोटापा का शिकार होता जाता है,जिसकी पेट खा खाकर अति फुलते रहती है,जो मानो किसी गर्भवती महिला की तरह बच्चे को जन्म देने की तैयारी कर रहा होता है,तो समझो ऐसा नौकर भी गलत रास्ता चुना गया कहलायेगा और मालिक भी गलत कहलायेगा मालिक नौकर के बेहत्तर रिस्ते की मापदंड को लेकर|क्योंकि ऐसे बुरे हालत में नौकर को भी अपने मालिक की बेहत्तर सेवा करना ठीक से नही आ रहा होता है,बस मुँह बनाकर नाम के लिए नौकर बन गया है,और उसके उस मालिक को भी अपना बेहत्तर सेवक चुनने नही आता है,जो कि ऐसा नौकर बार बार चुनकर सिर्फ सबसे बेहत्तर सेवा की झुठी उम्मीद करते रहता है|बजाय इसके की उस मुँह बनाकर सिर्फ अपने मुँह में ठुसते रहने वाला नौकर को तुरंत हटाकर बेहत्तर सेवा देनेवाला नौकर रख लेना चाहिए|खासकर सेवा करने कि पिछली सेवा रिपोर्ट बिना जाँच पड़ताल किए उसे अपना सेवक नही बनानी चाहिए!और यदि गलती से बना भी दिए गए हो तो उसे दुबारा चुनने की भुल नही करनी चाहिए!जिस तरह की बदलाव प्रक्रिया मालिक और नौकर के बिच न होने तक न तो अपने पिछले नौकर से मालिक को बेहत्तर सेवा की उम्मीद करनी चाहिए और न ही ऐसे नौकर को इस झुठी सोच में रहना चाहिए कि उसकी सेवा देखकर उसे सभी के द्वारा अपना नौकर बनाया जा रहा है|अथवा कोई ऐसा नौकर अपने मालिक की बेहत्तर सेवा कर सकता है,जो कि खुद खा खाकर मोटा होते हुए अपने मुँह में अमिरी भोग विलाश ठुसकर अपने मालिक को गरिबी भुख और कुपोषन से संघर्ष करता हुआ बस देखता रहता है|जिस तरह के बुरे हालात जिस परिवार में भी मौजुद है,उस परिवार में जो लोग भी उस नौकर को खराब मानते हैं,वे भी गरिबी भुखमरी का शिकार हो रहे हैं|और जिसने उसे चुना है वह भी गरिबी भुखमरी का शिकार हो रहा हैं|और नौकर खा खाकर मोटा होता जाता है|बल्कि अपने खास साथियो को भी घर के अंदर और बाहर भी खास इंतजाम करवाकर मुठीभर लोगो को खिला पिलाकर अपनी खास तरह की सेवा कि रहिसी दिखला रहा है|जबकि दुसरी तरफ भारी तादार में जनता मालिक भुखमरी कुपोषन का शिकार होकर घर में सारा इंतजाम होते हुए भी भुखमरी कुपोषन का शिकार हो रहा है|जो घर में रखे खाने पिने की सामानो को खुद बनाकर या लेकर कुछ भी नही खा सकता है, भले क्यों न वह अन्नाज और दुसरे खाने पिने की सामान पड़े पड़े सड़ता रहे|क्योंकि खाने पिने की सारे समानो की चाभी नौकर के पास सौंपी गयी है|जिसके बिना मालिक और परिवार के कोई भी सदस्य कुछ नही खा सकते!सिर्फ नौकर अपने लिए सारे इंतजाम कर ले ये उसके लिए आसान बना रहता है|और मलिक यदि भुखमरी और कुपोषन से तड़प तड़पकर मरने लगे,जिससे पहले वह ताला तोड़कर भुखमरी से बचने के लिए अपना कुछ खाने की कोशिष भी करे तो उल्टे नौकर ही उस मालिक को जेल में डलवा दे सकता है|क्योंकि घर में नौकर द्वारा बेहत्तर सेवा देने की अश्वाशन देकर ऐसा नियम कानून बनाया गया है कि चाहे घर का मालिक ही क्यों न हो कोई भी सदस्य बिना नौकर के हाथो खाये अपना पेट नही भर सकता|ऐसी विकाश की उल्टी गंगा बह रही है|और यदि खुद पेट भरना ही है,तो घर के खाने पिने के सामानो को जिसका चाभी नौकर के पास है,उसे छोड़कर कहीं दुसरा इंतजाम करके खाओ पियो,नही तो भुख कुपोषन से मर जाओ!जिस तरह के बुरे हालात इस समय देश में चल रही है|जिसमे सोने की चिड़ियाँ का जनता मालिक होते हुए भी इस देश में करोड़ो लोग गरिबी रेखा से निचे की भी जिवन जिने को मजबुर हैं|और उनमे से कई तो हर रोज भुख और गरिबी से मर भी रहे हैं|जबकि कथित खुदको नौकर बतलाने वाली सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी किमती किमती गाड़ी बंगला जेड सुरक्षा जैसे सुख संसाधन इस प्राकृत और ऐतिहासिक समृद्ध देश से जुटाकर अपने लिए खास इंतजाम किए हुए हैं|जिनमे से कई तो हर रोज अपने जनता मालिक को भुख और कुपोषन का शिकार होकर बस मरते हुए टी०वी० वगैरा में देख रहे हैं|क्योंकि उनको अपने मरते हुए मालिक के पास अन्न जल भी ठीक से पहुँच जाय इसकी या तो फुरसत नही है,या फिर ठीक हुनर ही नही है अपने मालिक की बेहत्तर सेवा करने की!सिर्फ उल्टे जनता मालिक को हुनर सिखलाने की योजना चल रही है|क्योंकि नौकर कहलाकर खुदकी खास सेवा सुरक्षा इंतजाम कराके जनता मालिक की बेहत्तर सेवा सुरक्षा करने की सिर्फ ज्यादेतर तो ढोंग रची जा रही है!क्योंकि जनता मालिक के साथ हर रोज इस देश परिवार में भुख और कुपोषन समेत अनगिनत निर्दोश नागरिको की हत्या बलात्कार और अन्य कई तरह की शोषन अत्याचार हो रहे हैं|जो हत्या बलात्कार और भुखमरी कुपोषन से मरने की घटना कितने मंत्रियो और उच्च अधिकारियो के रोजमरा जिवन में दर्ज हर रोज हो रही है?जो खुद को जनता मालिक का नौकर बतलाकर खुदकी सेवा सुरक्षा ही बेहत्तर करने में लगे हुए हैं!जिन मंत्री और उच्च अधिकारियो में खुदको जनता मालिक का नौकर बतलाकर और मालिक को भुखो मरने के लिए छोड़कर अपने सेवा कार्यकाल में खुद खा खाकर पेट फटने तक बस खाये ही जा रहे हैं|बल्कि कई तो अपने सेवा कार्यकाल में ही इतने अतिरिक्त अमिरी चर्बी जमा कर लेते हैं,कि सेवा कार्यकाल समाप्त होकर भी सारी जिवन अच्छा खासा खाते पिते गुजरते हैं|बजाय इसके कि जो जनता मालिक भुख और गरिबी से गुजर रहे हैं,उनके लिए भी कम से कम इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश परिवार की समृद्धी से भुखो मरने के बजाय उनके पोषन युक्त खाने पिने और आय चाभी की इंतजाम करके उसकी रोजमरा जिवन की गरिबी भुखमरी और कुपोषन दुर की जाती|सिर्फ सेवा करने की उत्सुकता दिखाकर चुनाव आने पर भांग खाये बंदर की तरह उछल कुद करके करोड़ो रुपये तो चिर्फ पंडाल वगैरा में खर्च करके 3डी प्रचार करके भी चुनाव में बहाया जा रहा है!जिस तरह की खर्च करके बाद में भारी वोट से जितने से भी कुछ नही होने वाला है|जबतक कि जनता मालिक की सेवा बेहत्तर करने की प्रयोगिक हुनर दिख नही जाती उन सेवको में जो इस अहंकार के नशे में चुर हैं कि बेहत्तर सेवा किये और कर रहे हैं ,इसलिए वे बार बार शासन कर रहे हैं|जो बेहत्तर सेवा और शासन फिलहाल तो कहीं नही जमिनी स्तर पर औसतन भी दिखलाई दे रही है|सिवाय मुठीभर लोगो को खास सेवा दी जा रही है|जो कि सारी सुख सुविधा प्राप्त कर रहे हैं,और विशेष छुट और लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं|जिस तरह की लाभ हानि तो देश गुलाम के समय भी मुठीभर लोगो को खास सेवा मिल रही थी,अँग्रेजो द्वारा प्रजा और देश सेवा नेतृत्व में|क्योंकि मुठीभर लोग गोरो के साथ उनके खास वाहन और देश गुलाम करके लुटा गया धन से बनाया यान में भी चलते फिरते और निजि रिस्ते जोड़ते रहते थे,और गोरो के साथ ही मिलकर देश गुलाम करके इस देश के बहुसंख्यक अबादी के साथ शोषन अत्याचार भी कर रहे होते थे|कहीं उसी तरह का ही तो अपटेट शोषन अत्याचार अभी भी देश में अजादी की खाल ओड़े मौजुद नही है|जिसके कारन ही तो आजतक भी शोषन अत्याचार देश में जारी है?क्योंकि अभी भी भारी अबादी के साथ शोषन अत्याचार जारी है|और सिर्फ मुठीभर लोग ही सरकार से सबसे अधिक सुख सुविधा प्राप्त कर रहे हैं|और भारी अबादी गरिबी भुखमरी से लेकर बहुत तरह का शोषन अत्याचार का शिकार हर रोज हो रही हैं|जिसके चलते कभी कभी तो अजादी के समय में आधुनिक भारत का सफर जवानी में या जन्म लेकर बचपन से बुढ़ा तक का सफर करते हुए बीपीएल भारत में गरिबी भुखमरी और तंगहाली बदहाली जिवन जिते हुए जिवित बचे बुढ़ा बुजुर्ग द्वारा ये भी कहा जाता है कि दरसल अभी भी इस देश को पुरी अजादी नही मिली है!अंग्रेज चले गए उसके चमचे और सायद गुप्त रिस्ते बनाकर बहुत से नाजायज औलाद छोड़ गए हैं|जो कि अपने पुर्वजो कि खास विरासत समझकर शोषन अत्याचार को हर रोज अपडेट किये ही जा रहे रहे हैं|जो देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में सेवा की खाल ओड़े दिन रात सिर्फ भोग विलाश में ही डुबे हुए हैं|जिसके बारे में जाननी हो तो जितने भी महंगी महंगी जस्न और सम्हारोह होते हैं, जिनमे करोड़ो अरबो रुपये खर्च की जाती है मुठीभर लोगो को उस जस्न और पार्टी में डुबोकर खुश करने के लिए,बल्कि वह तमाम ऐसी इंतजाम जिसमे की करोड़ो रुपये खर्च करके सिर्फ मुठीभर लोग भोग विलाश कर रहे होते हैं,उन जगहो में वैसे ही लोग तो ज्यादेतर खाल ओड़े मौजुद होते हैं,जो गोरो को अपना आदर्श मानकर उनके ही जैसा रहन सहन को अपनाकर उनके ही जैसा दिखावा जिवन जिना पसंद करते हैं,जिनको इस देश की बहुसंख्यक अबादी से कोई खास लेना देना नही रहता है|देश की बहुसंख्यक अबादी हर रोज गरिबी भुखमरी या महामारी से मरे या तड़पता रहे उन्हे तो बस जबतक जवानी से लेकर बुढ़ापा तक शरिर का सारा मांश बुढ़ापा से झुलते हुए वे अति बुढ़ापा से शरिर दिखलाने की काबिल न रह जाय तबतक उन्हे तो बस भांग खाये बंदर की तरह महंगी महंगी जस्न मनाकर खुशियो से उछलते रहना है|जैसे की गोरे भी जस्न मनाते थे,उस समय भी देश में चारो तरफ भारी अबादी भुखमरी और गरिबी के साथ साथ बाढ़ अकाल महामारी से संघर्ष करते हुए लाखो गुलाम लोग मर रहे थे,और गुलाम करने वाले गोरे देश के सारे सुख संसाधनो का उपयोग करके अपने खास मेकप किया हुआ महारानी का स्वागत करके उनके खास मुठिभर चमचे बेलचे जस्न मनाने में डुबे हुए रहते थे|जैसे की अभी भी मुठीभर लोगो की विशेष स्वागत इंतजाम गरिबी झुगी झोपड़ियो वगैरा को डीजिटल पोस्टर से ढककर,डीजिटल सरकार द्वारा महंगी महंगी खास लाईव छप्पन भोग सेवा भी होती रहती है,और फिर उसके बाद महंगी महंगी जस्न भी हर रोज करोड़ो खर्च करके होती रहती है|ऐसी जस्न जिसमे कभी कभी तो इतने महंगे महंगे खान पान और टिकटे खरिदी बेची जाती है कि उतने में कोई गरिब सालोभर पेटभर खा पीकर अपनी भुखमरी कुपोषन से छुटकारा पा ले,जितने को भोग विलाशी लोग सिर्फ एक शाम की नैन या फिर शारिरिक सुख प्राप्त करने में ही खर्च कर देते हैं|जिनकी जस्न में देश का गरिब बीपीएल कितना दिखता है?बल्कि इस देश में अभी क्रिकेट स्टेडियम में भी कितने गरिब बीपीएल खेल को सामने से देखते हुए टी०वी०वगैरा में भी दिखाई देते हैं?सिर्फ मुठीभर लोग महंगी महंगी टिकट खरिदकर आँख में चस्मा लगाकर पुरा दिन जस्न में डुबे रहते हैं,और देश गरिबी भुखमरी में डुबा रहता है|जिस तरह का महंगे महंगे इंतजाम चाहे क्रिकेट खेल हो या फिर छप्पन भोग खाना खजाना दोनो ही सिर्फ टी०वी० में दिखाया जा रहा है|जिसका इंतजाम देश की मिट्टी अन्न जल का ही इस्तेमाल होता है|क्रिकेट खेल में तो गर्मियो में भी इतना पानी बर्बाद कर दिया जाता है, जितने को यदि बचा लिया जाय तो हजारो नागरिक कई दिनो या महिनो तक पानी के लिए कई कई किलोमिटर पैदल चलकर पानी लाने कभी न जाय|जो सारा कुछ इस कृषी प्रधान देश में जान बुझकर चल रहा है|क्योंकि ऐसी बदहाली को बेहत्तर विकाश बतलाने वालो को पता है कि गुलाम देश में भी करोड़ो लोग भुखे सोते थे,इसलिये उनके समय की विकाश को ही भितर से आदर्श मानकर अजाद देश में भी हर रोज करोड़ो लोग भुखे सोते रहे हमेशा ऐसी विकाश जानबुझकर की जा रही हैं|और उन गरिबो में से कई तो सुबह अपनी आँख भी नही खोल पाते हैं,क्योंकि भुख से लंबे समय तक संघर्ष करते हुए अगले दिन भी कुछ खाने की इंतजाम करने की सोचकर हर रोज की तरह पेट धरकर अक्सर सोया जाता है,और किसी दिन अंतिम सुबह लेकर आती है,और फिर निंद में ही उनकी मौत हो चुकि रहती है!अपने डीजिटल नौकरो से डीजिटल सेवा करा कराकर|जिनमे से ज्यादेतर महिला और बच्चे होते हैं,फिर भी शर्म को मानो अपना मुत बनाकर पी ली जाती है|जिस तरह कि इंसानियत कायम की जा रही है|जिस तरह के हालात को तो मैं भी ये मानने के लिए बिल्कुल तैयार नही हुँ कि यह देश पुरी तरह से अजाद हो गया है,और देश में कानून का राज है|क्योंकि नियम कानून का राज तो गोरो के समय भी मौजुद थी, जिन अंग्रेजो के द्वारा बनाये गए हजारो नियम कानून आज भी देश में लागू है,और अँग्रेजो के द्वारा बनाये गए अदालत जिसमे की जज बनकर अँग्रेज गुलाम करने का फैशला हर रोज सुनाते रहते थे,वह अँग्रेजो के द्वारा बनाई गई अदालत आज भी इस देश में मौजुद है,जिसमे अँग्रेजो के ही बनाये गए बहुत से नियम कानून से आज भी न्याय करना जारी है|क्रमशः

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