सिर्फ एक सागौन अथवा सागवान का पेड़़ 15 लाख का होता है

सिर्फ एक सागौन अथवा सागवान का पेड़़ 15 लाख का होता है | 
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इस समय जो कई राज्यो में विधानसभा चुनाव जो हो रहा है उनमे एक राज्य सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही करोड़ों सागवान का पेड़ मौजुद है | जो पेड़ पुरे देश के कई राज्यो में न जाने कितने करोड़ या अरब सागवान का पेड़ मौजुद हैं | जिन पेड़ों में से ही सिर्फ हर एक नागरिक को एक एक पेड़ दे दिया जाए तो सभी सावा सौ करोड़ नागरिक लखपति बन सकते हैं | जिसे भ्रष्टाचारियों द्वारा काटकर अब तक न जाने कितने करोड़ या अरब सागवान और अन्य किमती पेड़ों को काट या कटवाकर चोरी छिपे बेचा जा चुका है | जिसमें सागवान से भी बहुत ज्यादे कई गुणा किमती चंदन के अनगिनत पेड़ भी मौजुद हैं | जिसका सिर्फ एक डाल भी किसी सागवान पेड़ से भी ज्यादे किमती होता है | जिसे चुराने वाले चंदन तस्करी करने वाला वीरप्पन जैसे भ्रष्टाचारी अब भी देश विदेश में मौजुद हैं | जिनके आदेश से चोरी छिपे किमती पेड़ो की तस्करी जारी है | जो पेड़ तो मात्र एक सोने की चिड़ियाँ का अमिरी झांकी है | पुरे सोने की चिड़ियाँ का लुट पाट इतिहास तो अभी बाकी है | जिसके बारे में अभी अपना धन संपदा लुटवाकर गरिब हुए सभी नागरिक के खाते में 15 लाख काला धन आने की सिर्फ बात होती है | जिसपर भी देश का शासक द्वारा ही कह दिया जाता है कि लुटेरो द्वारा कितना कालाधन जमा किया गया है हमे नही पता | जो मनुवादी सत्ता में कालाधन कितना है पता भी नही चलेगी यदि सुरु से विदेशियो द्वारा चुराकर या लुटकर बाहर ले जाने वाला लुटपाट इतिहास की अलग अलग प्रकार की गणना मनुवादी दबदबा सत्ता में ही किया जाय कि किसने किसने कितना लुटा है | क्योंकि यहां तो 15 लाख की किमत तो सिर्फ एक एक पेड़ में ही है | जो सबके जीवन को एक एक सागवान का और एक एक पेड़ सबके नाम से लगाकर उसे सुरक्षित रखने कि जिम्मेवारी ठीक से निभाकर एक एक तैयार पेड़ सबको देकर लखपति बना सकती है | इतने सारे कीमती प्राकृतिक धन संपदा हमारे सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में मौजुद है | लेकिन भी हमारा देश अब तक गरीब बीपीएल भारत क्यों बना हुआ है ? जबकि अभी तो मैंने इस देश में मौजूद कीमती खनिज संपदा की बात और देश को गुलाम करके कोहिनूर हीरा जैसे कीमती वस्तु लुटकर चुराकर इस देश से बाहर ले गए खजाने की बात ही नही किया है इस पोस्ट में |सागवान पेड़ तो सिर्फ इस देश के प्रकृत समृद्ध होने की झांकी है | सोने की चिड़ियाँ की प्रकृत खनिज संपदा पुर्ण समृद्धी तो बाकि है | जिसे रेल डब्बा में भरकर लुटने के लिए गोरो ने पहली बार कोयले से चलने वाली रेल पटरी खनिज संपदा वाले क्षत्रो में खासतौर पर बिछाई थी जो अब देश पुर्ण रुप से बिना अजाद हुए बुलेट ट्रेन चलने वाली पटरी बिछाने की बात हो रही है , इसपर हमे कतई भी आश्चर्य नही होनी चाहिए | बल्कि अभी तो डीजिटल हावा हवाई यात्रा करके तेज गति से उड़ने वाली लड़ाकू हवाई जहाज में भी लुट करने की खुब सारी चर्चा जोरो पर है | जिनसे छुटकारा पाने का सबसे मजबुत लक्ष छुवा छुत करने वालो की सत्ता से पुर्ण अजादी होनी चाहिए | जिस सत्ता की चाभी एक एक वोट के रुप में अजाद भारत का संविधान लागू करके दिया गया है | जिसका इस्तेमाल आजतक इस देश के मुलनिवासियो ने अठनी चवनी की तरह आपस में वोट फूट होकर किया है | या तो फिर जितने वोट से भारी बहुमत की सत्ता स्थापित होती है , उससे भी कहीं ज्यादे वोटर हर चूनाव में वोट करने जाते ही नही हैं | जो या तो वे पेट के खातिर काम में जाने से अपना किमती वोट का इस्तेमाल नही कर पा रहे हैं , या फिर उन्हे किसी न किसी फंदा में फंसाकर वोट करने नही दिया जा रहा है | जो यदि पेट के लिए काम पर निकलकर वोट नही कर पा रहे हैं तो उनसे गुजारिश है कि वोट के दिन और चुनाव परिणाम के दिन भी भले आधा पेट या भुखा पेट ही क्यों न सोना पड़े लेकिन पुरी अजादी पाने के लिए एकलव्य लक्ष रखकर वोट करने जरुर जाएं और साथ साथ चुनाव परिणाम के दिन भी एकजुट होकर नजर रखें | क्योंकि वैसे भी हर रोज करोड़ो अबादी भुखे पेट सोती है जिनमे से दो दिन और सही | मैं खुद चार दिनो तक भुखा रह चुका हूँ , इसलिए मुझे प्रयोगिक पता है भुख जैसा दुःख क्या होती है | जिस भुख से भी बड़ा दुःख मैं यदि किसी को मान सकता हूँ तो वह मनुवादियो की सत्ता को मानता हूँ जिससे अजादी लक्ष प्रत्येक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद है जरुर होनी चाहिए | जिसके लिए भुखा रहकर भी वोट करना एकलव्य लक्ष जरुर होनी चाहिए | और चुनाव परिणाम के दिन भी खास नजर रखने की लक्ष जरुर रहनी चाहिए | क्योंकि एकलव्य का अँगुठा दान में लेने की तरह वोट मतदान को भी चुनाव घोटाला करके लोकतंत्र को काटा जा रहा है , इसकी भी आंदोलन जोर सोर से चल रही है | जो मुमकिन है क्योंकि एकलव्य का अँगुठा काटने वाले लोकतंत्र के चारो स्तंभो में हावी है | और मैने एक जगह कहीं पर पढ़ा था कि आजतक चुनाव आयोग का प्रमुख अपना अँगुठा कटवाने वाल एकलव्यो को एकबार भी नही बनाया गया है | उसी तरह लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा कितनी है , इसकी झांकी भी अजाद भारत का संविधान को ठीक से लागू  करने और रक्षा करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है |

 जो न्यायालय  आरक्षण मुक्त है 




वहाँ पर जज बहाली स्थिती कैसी है जाती के आधार पर उसके बारे में भी एक रिपोर्ट जानकर छुवा छुत शासन की स्थिती को जाना समझा जा सकता है | जो पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा जी की 2000 ई. की हाईकोर्ट जजो कि उपस्थिती जाती के अधार पर रिपोर्ट है | जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!

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