गोरो की गुलामी के समय भी चुनाव और न्यायालय होते थे , पर अजादी चुनने का वोट अधिकार नही था
गोरो की गुलामी के समय भी प्रजा सेवक चुनने का चुनाव होते थे , पर उस समय न्यायालय में देश गुलाम करने का न्याय भी होते थे |
पिछला पोस्ट में मैने इस देश की प्रकृत धन संपदा की लूट और चोरी कितनी हो सकती है , इसका अंदाजा लगाने के लिए ये बताया था कि एक सागौन अथवा सागवान का पेड़ करीब 15 लाख की होती है | जो की सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में ही करोड़ो में मौजुद है | जबकि सागवान से भी ज्यादे किमती चंदन का वृक्ष भी इस प्रकृत समृद्ध देश में भरपुर मात्रा में मौजुद है | जिसकी तस्करी करने वाले बड़े बड़े विरप्पन जैसे भ्रष्टाचारी जो देश या देश के बाहर बैठकर एक एक सागौन पेड़ कि किमत करीब 15 लाख होती है , उस पेड़ को चुराने लुटने की सुपारी देते हैं | अभी तक तो मैं उन अनगिनत विदेशी घुमकड़ कबिलई चोर लुटेरो की बात नहीं किया है | जिनका डीएनए से इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए नही मिलता है | जो किमती पेड़ और खनिज संपदा ही नही पुरे देश को ही लुटने के लिए सैकड़ो हजारो सालो तक इस सोने की चिड़ियाँ में आते जाते रहे हैं , जिनमे से तो कई इस विशाल सागर कृषी प्रधान देश में नदी नाले की तरह कई घुमकड़ कबिला अपना पेट पालने के लिए इस प्रकृत समृद्ध कृषी प्रधान देश में प्रवेश करके समाते भी रहे हैं | अथवा वे अपना मूल देश को छोड़कर यहीं पर भी बसते चले गए हैं | जिनका डीएनए से इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए नही मिलता है | जिसमे से ही एक कबिला कथित खुदको आर्य कबिला भी कहता आ रहा है | वह भी हजारो साल पहले इस सिंध सागर देश में प्रवेश करके समा चुकि है | जिस तरह के न जाने कितने गोरो की तरह लुटेरे कबिलई इस समृद्ध देश को सैकड़ो हजारों सालो तक लूटा है | और इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अत्याचार करके इस देश की धन संपदा को भी बारी बारी से लुटा है | जो लुटने के साथ साथ इस धरती पर अपना जीवन यापन भी सैकड़ो हजारों साल तक किया है | जिनमे से सिर्फ गोरे कबिलई से अजादी मिलने से पुर्ण अजादी नही मिल जायेगी इस देश के मुलनिवासियो को जो कि वर्तमान में किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं | क्योंकि हमे ये बात कभी भी नही भुलनी चाहिए कि अब भी विदेशी डीएनए के मनुवादी इस देश में छुवा छुत राज कर रहे हैं | जिनके पास सबसे अधिक धन मौजुद है जैसे की गोरो के पास मौजुद थी | जिसके बारे में पता करनी हो तो इस देश के सबसे अमिर धन्ना कुबेरो कि लिस्ट बनाकर पता कर लिया जाय किसके पास सबसे अधिक धन दौलत मौजुद है | जो स्वभाविक है | क्योंकि ये देश पुरी तरह से अभी अजाद नही हुआ है | नही तो फिर आज इस देश को सैकड़ो सालो तक लुटने वाले गोरो का देश अमिर और सैकड़ो हजारो सालो तक धन संपदा लुटवाने वाला सोने की चिड़ियां कहलाने वाला यह देश गरिब देश नही कहलाता |
बल्कि यह देश और इस देश के वासी सभी अमिर कहलाते
जिनकी अमिरी से अपनी गरिबी को रिचार्ज करने के लिए फिर से गोरो और अन्य कबिलई द्वारा होड़ चलती कि कौन सबसे अधिक अमिरी रिचार्ज करेगा मोबाईल बैट्री रिचार्ज करने की तरह फिर से अमिरी रिचार्ज करने की घोड़े में सवार लुटपाट नये तरिके से अपडेट होती | जिसे अपडेट करने की जरुरत ही नही है , क्योंकि भारी लुटपाट तो अब भी जारी है | क्योंकि देश पुरी तरह से अजाद और इस देश के मुलनिवासियो की सत्ता कायम होती तब तो देश में भारी लुटपाट समाप्त होती | जिसे पुरा अजाद कराने के लिए इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , सभी एकजुट होकर अपकीबार मनुवादी भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को हराकर इस देश की सत्ता पर किसी ऐसी पार्टी को नेतृत्व दिया जाय जिसका गठन ही मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने और मुलनिवासियो की सत्ता कायम करके सबको उनका हक अधिकार वापस दिलवाने का लक्ष है | जो अभी हक अधिकार छिन जाने के कारन सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश गरिब बीपीएल भारत बना हुआ है | जो गरिबी भुखमरी मनुवादी भाजपा कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में कभी समाप्त हो ही नही सकती | क्योंकि ये दोनो पार्टी भितर से उन मनुवादियो की पार्टी है , जिन्होने इस देश में हजारो सालो तक छुवा छुत बिमारी दिया है | जो छुवा छुत मनुस्मृती लागू हालात गोरो की गुलामी से भी ज्यादे खतरनाक है | जिसे यदि सिर्फ मन में ही गोरो की गुलामी और मनुवादियो की मनुस्मृती लागू शासन के बारे में कल्पना करके देख लिया जाय पता चल जायेगा कि शुद्र प्रजा कथित उच्च जाती के शासक द्वारा छुवा छुत सेवा वेद सुनने पर कान में गर्म पीघला लोहा शीसा और वेद बोलने पर जीभ कटवाकर कैसी सेवा पाते थे और गले में थुक हांडी व कमर में झाड़ू टांगकर घुमते थे | जो मनुवादी अजाद भारत का संविधान लागू हो जाने के बावजूद भी इतने शोषन अत्याचार और छुवा छुत करने के साथ साथ लोकतंत्र के चारो स्तंभो में भी इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकारो को छिनकर अपनी दबदबा बनाये हुए हैं तो जरा मनुस्मृती लागू के समय की उस दबदबा के बारे में कल्पना किया जाय जब इस देश के मुलनिवासियो को ज्ञान मंदिरो में प्रवेश वर्जित था | लेकिन भी किसी तरह गुलामी में भी ज्ञान का दीपक और वीर रक्षक हुनर को इस देश के एकलव्य जैसे मुलनिवासियो ने बिना गुरु के भी जलाये रखा इसपर अपने ऐसे पुर्वजो पर गर्व है | बाबा अंबेडकर ने भी तो गुलामी के समय ही ज्ञान का दीपक को जलाये रखकर अवसर मिलने पर अजाद भारत का संविधान रचणा किया है | जिस संविधान की रचना करने से पहले उन्होने मनुस्मृती को जलाया था उसके बाद ही अजाद भारत का संविधान रचना किया गया था | पर मनुस्मृती का भष्म भूत मनुवादियो में सवार होकर अजाद भारत का संविधान को जला रहा है और बाबा अंबेडकर की मुर्ति को तोड़ रहा है | जिस भूत को मनुवादियो के उपर से उतारने के लिए जो की मेरा मंथन कहता है कि जो संवर्ण छुवा छुत छोड़ चूके हैं उनके लिए भी भष्म मनुस्मृती का भूत खतरनाक है | इसलिए इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता आना जरुरी है जिसकी चाभी 85 % उन मुलनिवासियो के पास वोट के रुप में मौजुद है जो किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं | क्योंकि धर्म बदलने से न तो मुलनिवासी डीएनए बदलता है और न ही मनुवादियो के द्वारा राज कर रहा देश बदलता है | क्योंकि मनुवादि जबतक इस देश में राज करते रहेंगे तबतक मुलनिवासी चाहे जितनी बार अपना धर्म बदलकर जिस धर्म में जाय उनका देश नही बदल सकता | क्योंकि देश कोई फल सब्जी तो नही कि बाहरी संक्रमण द्वारा उसके खराब हो जाने पर उसे बदलकर ताजा फल सब्जी बदल दिया जाय | बल्कि देश बदलने के बजाय इस देश का नेतृत्व करने वाले मनुवादी शासक को बदलकर मुलनिवासी शासक लाया जाय | क्योंकि यदि धर्म बदलने से ही अजादी मिलती तो गोरो की गुलामी करते समय अपना धर्म बदलने वाले सभी अजाद हो गए होते | सभी धर्मो के लोग मिलकर अजादी लड़ाई लड़ने की कभी जरुरत ही नही पड़ती और सिर्फ अपना धर्म बदलकर अजाद हो गए होते |
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें