सतीश चंद्र मिश्रा के आने से पहले बसपा मजबूत थी की अब है ?

सतीश चंद्र मिश्रा के आने से पहले बसपा मजबूत थी की अब है ?

तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जुते चार का नारा देते समय बसपा मजबुत थी कि तिलक सतीश चंद्र मिश्रा को शामिल करके उच्च पद देकर मजबुत हुई है ?
दरसल ब्रह्मण सतीश चंद्र मिश्रा को बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बिच आई दरार के लिए मुख्य कारन बतलाया जा रहा है | जो बहस तेज हो गयी है कि सतीश चंद्र मिश्रा को खास महत्व देकर बसपा कमजोर हुई है | और बहुत सारी दरारे भी आ रही है | जिस सत्य बात का मैं समर्थन करता हूँ | बल्कि ज्यादेतर  मुलनिवासी समर्थन करेंगे इस बात में कि बसपा में बहुत सारे गलत फैसले सतीश चंद्र मिश्रा जैसे ब्रह्मणो को पार्टी में उच्च पद या टिकट देने की वजह से ही लिये जा रहे हैं | हो सकता है बसपा को मनुवादियो की खाल ओड़ाने की भितर भितर तैयारी चल रही हो , बल्कि तैयारी हो चूकि है | जिससे कि मुलनिवासियो के बिच एकता में दरार पैदा हो रही है | साथ साथ मनुवादियो के खिलाफ चल रही मुमेन्ट में भी कमजोरी और दरार पैदा हो रही है | जिसका फायदा उठाकर मनुवादि खुद तो बड़े बड़े पाप और अपराध करके बच निकलने में कामयाब हो रहे हैं , पर मनुवादियो द्वारा सत्ता पावर का गलत उपयोग करके मुलनिवासियो को कमजोर कहकर दबाये जा रहे हैं | बल्कि मुझे तो इस बात पर भी पुरा यकिन है कि बसपा और सपा समेत और भी कई पार्टी जिनका गठन किसी मुलनिवासी द्वारा हुआ है , उसके खास माने जाने वाले नेताओ को भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो का गलत उपयोग करके और खासकर संविधान की रक्षा करने और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है , वहाँ पर भी मनुवादियो की दबदबा कायम करके और न्यायालय के उच्च पदो का गलत उपयोग करके , उन्हे सजा होने की बाते करके दबाया या धमकाया जा रहा है | और धमकाने वाले लोग निश्चित तौर पर मनुवादि या फिर उनके समर्थक ही होंगे | जिस धमकी से भितर से डरने वाले संघर्ष कर रहे मुलनिवासी नेताओ को तो मैं यही कहना चाहूँगा कि कभी संघर्ष कर रहे ऐतिहासिक वीर क्रांतीकारी मंडेला को भी लंबे समय तक जेल में डाला गया था , पर आज के दिन में जेल जानेवाले मंडेला इतिहास में वीर क्रांतीकारी नायक हैं कि जेल में डालने वाले नायक कहलाते हैं ? क्योंकि इतिहास में शोषन अत्याचार करने वाले नायक नही ऐसे नालायक लोग माने जाते हैं , जो दुसरो का हक अधिकारो को छिनकर और कब्जा जमाकर किसी परजिवी की तरह दुसरो के हक अधिकारो पर हराम का पल रहे होते हैं | जिनके उपर बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने , छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव करने , यहाँ तक की खुन खराबा आतंक फैलाने का भी कई कई केश दर्ज होते हैं , पर उन्हे सायद ही कभी सजा मिलती है | क्योंकि लोकतंत्र के चारो स्तंभो में उनके ही लोगो का  कब्जा रहता है | चाहे तो बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने वालो और खुन खराबा आतंक फैलाने वालो का लिस्ट देख लिया जाय कितनो को जेल हुई है ? और विदेश से भी आए बड़े बड़े अंतराष्ट्रीय भ्रष्टाचारियो का लिस्ट निकालकर पता कर लिया जाय कि उनमे से कितने लोग जेल गए हैं | एक पोकेटमार को तुरंत सजा हो जाती है , पर इन्हे अबतक जेल क्यों नही हो रही है ? क्योंकि उनमे से सायद ही कोई गिने चुने मुलनिवासियो का नाम होगा , और जैसा कि मैने बतलाया कि न्यायालय में जिन मनुवादियो का दबदबा है , ज्यादेतर तो वे अपनी मनुस्मृती सोच से ही भेदभाव फैशले ले रहे हैं | न्याय करते समय उच्च जाती का कौन और निच जाती का कौन इसका फैशला मनुस्मृती को साक्षी मानकर पहले किया जाता है | बल्कि जज बनाते समय भी भेदभाव किया जाता है इसकी झांकि पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में जानकर मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे भेदभाव के बारे में जाना समझा जा सकता है | बल्कि दुनियाँ में कोई भी इंसान जिसे भेदभाव के बारे में प्रयोगिक अनुभव हो , वह यह अच्छी तरह से जान सकता है कि मनुवादि इस देश में इस देश के मुलनिवासियो के साथ जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके साथ भेदभाव कर रहे हैं कि नही कर रहे हैं ? जिस भेदभाव बहाली की रिपोर्ट में सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय !
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
जिस रिपोर्ट के बारे में ही नही बल्कि इससे पहले भी मनुवादियो द्वारा भारी भेदभाव बहाली करने का ऐतिहासिक रिपोर्ट भरे पड़े हैं | जैसे कि हजारो सालो से मनुवादी किस तरह का भेदभाव करते आ रहे हैं इसकी रिपोर्ट इतिहासो में दर्ज है  | जो लोग हजारो सालो बाद भी आजतक भेदभाव मांसिकता से बाहर नही निकल पाये हैं | जिसकी झांकी ये रिपोर्ट भी बतलाती है कि मनुवादि अपनी मनुस्मृती टैलेंट से किस तरह से इस देश के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को छल कपट से छिनकर  लोकतंत्र के चारो स्तंभो में कब्जा जमाये हुए हैं | जिस बारे में  पुरे विश्व के वे तमाम लोग जिनके पुर्वज या खुद भी कभी भेदभाव का शिकार हुए हैं , वे सभी भी जरुर जान रहे होंगे कि मनुवादि आज भी इस देश के मुलनिवासियो के साथ न्यायालय तक में भी भारी भेदभाव कर रहे हैं | बल्कि इतिहास इस बात के लिए भी गवाह बन गया है कि बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो का जो राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय लिस्ट तैयार होकर दर्ज हुआ है , उनमे भी मनुवादियो का ही नाम कुकूरमुतो की तरह भरे पड़े हैं | जिनमे से कितनो को सजा मिली और कितने निर्दोश शोषित पिड़ित या छोटे अपराध करने वाले जेल में सजा काट रहे हैं , इसका भी इतिहास दर्ज हो चूका है | और जेल में सबसे अधिक किन्हे रखा गया है यह बात भी किसी से नही छिपी है | हलांकि थोड़े बहुत मुलनिवासी भी मनुवादियो के गलत संगत में आकर या अति शोषन अत्याचार का शिकार होकर हो सकता है लोहा लोहा को काटता है इसका गलत प्रयोग करके खुद भी बहुत बड़े बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त हो गए हो , पर इसपर भी मैं कह सकता हूँ वे मास्टरमाईंड निश्चित तौर पर नही होंगे | अथवा वे ही सबसे पहले ये नही कहे होंगे कि चलो मिलकर सैकड़ो हजारो करोड़ का भ्रष्टाचार करते हैं | बल्कि उन्हे मानो किसी मनुवादि ने ही भ्रष्टाचार करने का सुपारी जरुर दिया होगा यह कहकर कि हमारी तरह बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके  तुम भी हमारे जैसा उच्च जिवन जिने लगोगे | तुम्हे भी उच्च का उस मनुस्मृती वाला दर्जा मिल जायेगा जिसे जलाकर अजाद भारत का संविधान लिखा गया है | जो मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के हक अधिकारो को किसी परजिवी की तरह हजारो सालो से पिड़ी दर पिड़ी हराम का चुस रहे हैं | जिन हक अधिकारो को चुसने वाले मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषन अन्याय अत्याचार से अजादी पाने का बहुत बड़े बदलाव अथवा क्रांती का दौर चल रहा है | जिस तरह के दौर में मुलता दो प्रकार के लोग शामिल हैं , एक मनुवादियो के पक्ष में फैशले लेकर इस देश के मुलनिवासियो को लंबे समय तक शोषन अत्याचार करने में मदत करने वाले , और दुसरे वे लोग हैं जो मनुवादियो के द्वारा इस देश की सत्ता समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जो कब्जा बनाकर उसका गलत उपयोग करके शोषन अन्याय अत्याचार करना जारी है , उससे अजादी दिलाने के लिए मदत करने के साथ साथ खुद भी संघर्ष कर रहे हैं | जिन वीरो को मनुवादियो के द्वारा दी जाने वाली जेल की धमकी से कभी भी नही डरना चाहिए , और न हि उन्हे किसी मनुवादि को अपने संघर्ष कर रहे संगठन में उच्च पद देनी चाहिए | बल्कि मैं तो कहूँगा कि यदि किसी मनुवादि का ही डीएनए का व्यक्ती गरिब बीपीएल या मनुवादियो का विरोधी भी क्यों न हो तो भी उन्हे संघर्ष कर रहे संगठन में उच्च पद नही देनी चाहिए | जैसे की गोरो की गुलामी से अजादी पाने का संघर्ष करते समय किसी गरिब बीपीएल गोरा या गोरो की गुलामी का विरोध करने वाले किसी गोरे को भी अजादी संघर्ष में खास पद नही देनी चाहिए | मनुवादि के खिलाफ चल रहे संघर्ष में भी कथित किसी उच्च जाती कहलाने वालो को उच्च पद नही देनी चाहिए | सतीश चंद्र मिश्रा तो न गरिब बीपीएल है , और न ही मेरे ख्याल से मनुवादियो के बहुत बड़े विरोधी है | जिनके बारे में एक रिपोर्ट पढ़ रहा था कि 2010 ई० में मिश्रा के पास 24 करोड़ थी जो 2016 ई० में बड़कर 193 करोड़ हो गई थी | यानि मिश्रा तब भी करोड़पति और आज भी करोड़पति बल्कि अब तो सायद अरबपति है | जिस करोड़पति मिश्रा द्वारा बसपा पार्टी के खास नेताओ को जेल से बचाने में बहुत बड़ी भुमिका हैं , इसलिए उसे बसपा में अबतक खास पदो में रखकर खास महत्व दिया जा रहा है ऐसी भी बाते कही जा रही है | इतना खास की कहीं पर एक और रिपोर्ट पढ़ रहा था कि बसपा प्रमुख से सिर्फ दो लोग बिना चेकिंग के मिलने जा सकते हैं एक मिश्रा है और दुसरा मिश्रा का दमाद | यानी दोनो ब्रह्मणो को इतना ज्यादे महत्व दिया जा रहा है जितना कि मुलनिवासी को नही दिया जा रहा है | जिसके बारे में तो यही कहना चाहुँगा कि यदि बसपा पार्टी मिश्रा को अबतक सिर्फ बसपा प्रमुख को जेल न हो इसके लिए उच्च पद देकर पार्टी में खास महत्व देकर रखे हुए है तो मैं एक बात यहाँ पर जरुर जानना चाहूँगा कि क्या मिश्रा से भी अच्छे वकिल या फिर पार्टी के महासचिव जैसे उच्च पद सम्हालने वाले नेता करोड़ो मुलनिवासियो में एक भी नही मिले हैं बसपा को जो ब्रह्मण मिश्रा को ये जिम्मेवारी दिया गया है | और यदि मिश्रा उच्च जाती के हैं इसलिए सजा से बचाने में उन्हे खास सुविधा उपलब्ध है न्यायालय में यह सोचकर सजा की डर से पार्टी में मिश्रा को खास बनाकर रखा गया है तो यह बात कभी नही भुलनी चाहिए कि जेल से भी बड़ी सजा किसी ब्रह्मण को अपनी संघर्ष कर रही पार्टी में शामिल करके उसके साथ में खड़े होकर मनुवादियो की शासन से मुलनिवासियो को पिड़ित होते हुए देखना है | जिसके लिए कोई ब्रह्मण केश लड़कर मनुवादियो से छुटकारा दिलवाने नही आनेवाला है | बल्कि मुलनिवासियो को ही एकजुट होकर मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाना है | क्योंकि मनुवादि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा जमाकर इस देश में शासन करके इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अन्याय अत्याचार कर रहे हैं , इससे बड़ी सजा क्या हो सकती है | जिन मनुवादियो के अन्याय अत्याचार से अजाद कराने के लिए ही तो बसपा में तिलक तराजू और तलवार इनको मारो जुते चार जैसे नारे देकर बसपा देश की न० तीन की पार्टी बनी है , जो अब मिश्रा के आने के बाद टुटने के कागार पर है | इसलिए जाहिर है मिश्रा के बारे में मुलनिवासियो की राय ज्यादेतर तो बसपा को कमजोर करने वाले ब्रह्मण के  रुप में ही  इतिहास दर्ज हो रही है | जिस ब्रह्मण मिश्रा से मिलकर और उन्हे उच्च पद देकर मनुवादियो के खिलाफ मजबुती से संघर्ष नही की जा सकती है , बल्कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ मिलकर और उन्हे उच्च पद देकर मनुवादियो को मजबूती से जवाब भी दिया जा सकता है | जिन्हे जवाब देते समय यदि मिश्रा जैसे ब्रह्मण नेता अपने ही पार्टी में उच्च पद लेकर साथ में हो तो मुझे नही लगता मनुवादियो को उतनी मजबुती से जवाब किसी पार्टी द्वारा मिल पायेगी | साफ बात मनुवादियो से लड़ने के लिए उच्च जाती कहलाने वाले ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्यो को एकजुट करके संघर्ष करने के बजाय मुलनिवासी जिन्हे ये कथित उच्च जाति के लोग निच कहकर हजारो सालो से भेदभाव करते आ रहे हैं , उन हजारो सालो से शोषन अत्याचार का शिकार हुए लोगो को उच्च पदो में भी बिठानी चाहिए और टिकट भी उन्ही को ही देनी चाहिए | हलांकि जबतक इस देश में मनुवादियो की सत्ता कायम रहेगी अथवा उनके द्वारा खास पदो पर बैठकर भेदभाव बहाली करके देखरेख करते हुए जबतक सरकार का चुनाव होगी तबतक चुनाव का मतलब मेरे लिए तो मनुवादियो की दो पार्टि में किसे पसंद करते हैं मुलनिवासी ऐसी मनुवादी चुनाव परिणाम ही बार बार आना है | क्योंकि वोट चाहे जिसे करो शासन तो मनुवादियो को ही तय करना है | क्योंकि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में उन्ही का कब्जा है , जैसे की चुनाव आयोग में भी कब्जा है | इसलिए चुनाव में ध्यान देने के बजाय पिड़ित वीर नायक नाईकाओ को एकजुट करके संघर्ष करने में ज्यादे जल्दी मनुवादियो की भेदभाव सत्ता से छुटकारा पाया जा सकता है | जैसे की गोरो की गुलामी से छुटकारा चुनाव से नही बल्कि गोरो के खिलाफ अजादी का आंदोलन और संघर्ष करके पाया गया था | न कि जेल जाने की डर से संघर्ष कर रहे वीर नायक नाईकाओ के बिच दरार पैदा करके उनमे भितर से कमजोरी पैदा करनी चाहिए | और यदि संघर्ष करते करते जेल में भी डाले जाते हैं तो उन्हे इतिहास वीर अजादी के नायक नाईकाओ में दर्ज करेगा | बल्कि जेल में भी वे संघर्ष कर रहे नायक नाईका ही कहलायेंगे और पिड़ितो द्वारा पहले से भी ज्यादे सम्मानित नजर से देखे जायेंगे | क्योंकि यदि मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करते हुए वे जेल भी जायेंगे तो मनुवादियो के विरोध में खासकर युवाओ में और अधिक संघर्ष की ज्वालामुखी फट पड़ेगी | क्योंकि यह बात कभी नही भुलनी चाहिए कि जेल में सजा काट रहे कैदी से भी खराब सजा जेल से बाहर करोड़ो शोषित पिड़ित हर रोज भेदभाव द्वारा अपमानित होकर सजा ही तो काट रहे हैं | जिन शोषित पिड़ितो का खास जेलर मनुवादि बनकर दिन रात यातना दे रहें हैं | और साथ साथ इस मनुवादियो की गुलामी के चलते करोड़ो मुलनिवासी अपने जमिन जायदाद जैसे हक अधिकारो को लुटवाकर गरिबी भुखमरी से भी तो संघर्ष करते मर भी रहे हैं | जिन्हे मैं अजादी संघर्ष करते हुए शहिद वीर जवान मानता हूँ |

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