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रविवार, 23 जून 2019

इस देश के मुलनिवासियो की वोट संख्या मनुवादियो की वोट संख्या से ज्यादे है , फिर भी मनुवादियो का शासन अबतक कायम क्यों है ?

इस देश के मुलनिवासियो की वोट संख्या मनुवादियो की वोट संख्या से ज्यादे है , फिर भी मनुवादियो का शासन अबतक कायम क्यों है ?
इस कृषि प्रधान देश में गोरो का शासन समाप्त होने के बाद आई मनुवादियो की शासन में किसकी वोट संख्या हर बार के चुनाव परिणाम में सबसे अधिक शामिल हो रहे हैं ? जाहिर है इस ताकतवर देश के दबे कुचले कमजोर कहे जाने वाले मुलनिवासियो का ही वोट चूँकि सबसे अधिक है , इसलिए निश्चित तौर पर सिर्फ कथित उच्च जाती का वोट से तो मनुवादी सरकार बार बार जितकर नही आ रही होगी | और यदि इस देश में वाकई में भारी भेदभाव करने वाले मनुवादियो को ही बार बार चुनाव जितवाकर इस देश के दबे कुचले कमजोर कहे जाने वाले मुलनिवासियो के द्वारा ही भारी तादार में वोट करके मनुवादियो का शासन को दोहराया जा रहा है , फिर तो जरुर सवाल उठता है कि दबे कुचले कमजोर लोगो में कौन लोग मनुवादियो की पार्टियो को अपना किमती वोट देकर भारी बहुमत से अबतक चुनाव जिताते आ रहे हैं ? क्योंकि गोरो के जाने के बाद अजाद भारत का संविधान में वोट देने का अधिकार मिलने के बाद क्या वाकई में इस देश के मुलनिवासी अपने सर में मैला तक ढोकर मनुवादियो के ही सर में सत्ता ताज लगातार सौंपते आ रहे हैं ? मेरे ख्याल से तो मनुवादि इस देश के मुलनिवासी और उनके वोट शक्ती के साथ भारी भेदभाव करके चुनाव जित रहे हैं | क्योंकि हमे ये नही भुलना चाहिए कि संविधान में एक मैला ढोनेवाला और मैला ढुलवानेवाला दोनो का ही वोट मोल एक बराबर माना गया है | और इस देश के दबे कुचले कमजोर कहलाने वाले मुलनिवासियो की वोट संख्या इस देश में कथित उच्च जाती के कहलाने वाले मनुवादियो की वोट संख्या से ज्यादा है | अथवा दोनो की वोट संख्या में बहुत बड़ा अंतर है | मनुवादि यदि जाति से खुदको उच्च समझते हैं , तो इस देश के मुलनिवासी वोट संख्या के मामले से मनुवादियो से उपर हैं | और जैसा कि जाहिर है कि इस देश के मुलनिवासियो की वोट संख्या कथित उच्च जाति के वोटो के अपेक्षा जितनी है , उस अंतर से तो मनुवादी कभी भी इस देश में  भारी बहुमत से चुनाव जितना तो दुर एक सीट भी नही जित सकते | खासकर यदि इस देश के मुलनिवासी यह मानकर चले कि हजारो सालो से उच्च निच भेदभाव शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादियो की पार्टी को चुनाव नही जिताना है | जो वाकई में भी मनुवादियो की पार्टी को ज्यादेतर मुलनिवासी वोट नही कर रहे होंगे | या तो फिर लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कथित उच्च जातियो का कब्जा किये हुए इस मनुवादि शासन में उन्हे विश्वास ही नही हो पा रहा है की ऐसे भारी भेदभाव हालात में ईमानदारी से चुनाव होंगे और उस चुनाव से मनुवादियो के द्वारा दिए गए जख्म भर जायेंगे , जिससे की उनकी जिवन में भारी बदलाव आ जायेगी | जिसके चलते मतदान के दिन वे कभी वोट ही नही कर रहे होंगे | जाहिर है ऐसे में बहुत सारे मुलनिवासि वोटरो की वोट चुनाव में कभी शामिल ही नही हो पा रही होगी | और शामिल न होने के बाद उनके वोट शक्ती का लाभ हानि में बदल रहा होगा | जैसे कि इस कृषि प्रधान देश में सबसे अधिक जमिन मुलनिवासियो के नाम से मौजुद है लेकिन उसका सबसे अधिक लाभ किन लोगो को मिल रहा है और किन लोगो के कब्जे में है ? जिस तरह ही सबसे अधिक वोट मुलनिवासियो का है फिर भी वोट पर भी कब्जा किसी और का है | जिसके चलते  बिना किसी के द्वारा वोट मारे भी उनके वोट से फर्जी वोट संख्या जोड़कर ये मनुवादी सरकार चुनकर आ रही होगी | जैसे कि  भ्रष्ट लोग फर्जी तरिके से परीक्षा पास करके या टॉपर बनकर उच्च ज्ञान की डिग्री को हासिल कर लेते हैं | उसके बाद उसका गलत उपयोग करके झुठी शान दिखाने के लिए , और फर्जी पास होने में जो खर्च हुआ रहता है , उसे ब्याज समेत वापस करने के लिए बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके जाहिर है देश और प्रजा के लिए भष्मासुर हि साबित होते हैं | क्योंकि उच्च ज्ञान की डिग्री वरदान लेकर उच्च पदो में बैठकर वे ऐसी कोई भी कार्य करके नही दिखला पाते हैं , जिसकी हुनर डिग्री वे फर्जी तरिके से लिए हुए रहते हैं | जो कि स्वभाविक है , क्योंकि वे उस कार्य के लिए निपुन नही रहते हैं | जिसकी वे फर्जी तरिके से उच्च डिग्री लिए हुए रहते हैं | जैसे की भष्मासुर बुराई को भष्म करने के लिए निपुन नही था | बल्कि सत्य को भी भष्म करने में निपुन नही था , जिसके चलते वह सत्य को भष्म करते समय खुशी से नाच नाचकर खुद ही भष्म हो गया | इस कृषि प्रधान देश में सबसे अधिक जमिन इस देश के मुलनिवासियो के नाम है , लेकिन ज्यादेतर पर कब्जा भ्रष्ट तरिके से जिन लोगो का है , उनके भितर भी चूँकि मूल रुप से कृषी नही बल्कि कुछ और ही हुनर मुल रुप से निपुन होकर मौजुद है , इसलिए फिलहाल यह कृषि प्रधान देश कृषी सोच के बजाय किसी और सोच से चलकर किसानो की जमिन भी बंजर और उनकी जिवन भी बंजर होता जा रहा है |

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