मनुवादियो की खास हुनर ही भेदभाव करना छुवा छुत करना शोषन अत्याचार करना है

मनुवादियो की खास हुनर ही भेदभाव करना छुवा छुत करना शोषन अत्याचार करना है |

सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस कृषि प्रधान देश को गोरो की गुलामी से अजादी मिलने के बाद आई शासन में लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च पदो में जिन लोगो को इस देश और इस देश के नागरिको की सेवा सुरक्षा करने के लिए खास जिम्मेवारी दी जाती रही है , उन खास पदो में ज्यादेतर वही मनुवादी लोग बैठे हुए हैं , जिनके पूर्वजो ने इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अत्याचार गोरो के आने से भी हजारो साल पहले से ही पिड़ी दर पिड़ी  करते आ रहे हैं | जिनके पास भेदभाव करने का खास हुनर उपलब्ध है | भले उस खास हुनर का मानो ढोंगी पाखंडी उच्च डिग्री मनुस्मृती को जलाकर अजाद भारत का संविधान लिखा जा चुका है | जिस संविधान की सुरक्षा और उसे अच्छे से लागु करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को सौंपा गया है वहाँ पर भी किन लोगो का कब्जा है यह जग जाहिर है | जाहिर है भ्रष्ट सोच की मनुवादी सरकार आज भी कायम है | जिसके चलते मनुवादी सरकार सिर्फ मुठीभर लोगो की ही सुख सुविधाओ को ध्यान में रखते हुए भेदभाव विकाश का दौड़ लगाना जारी रखे हुए हैं | क्योंकि वही उनकी सबसे बड़ी हुनर है जिसका उन्हे हजारो सालो का अनुभव है | सिर्फ कहने को यह कह दिया जाता है कि मनुवादियो ने अब भेदभाव करना छोड़ दिया है | जो यदि छुटा होता तो आज लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकार को भेदभाव करके नही छिना जाता | मनुवादि अपनी झुठी शान के लिए जिस तरह बेशर्मी की सारी हदे पार करके कभी बिना ज्ञान दिए भी एकलव्य का अंगुठा गुरु दक्षिणा में मांगकर अपनी मनुवादी सोच का परिचय दिया था , उसी तरह गोरो के जाने के बाद फिर से आई मनुवादियो की शासन में इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकार छिने जाने की घटना फिर से अपडेट हुई है | जो कि स्वभाविक भी है | क्योंकि मनुवादियो की खास हुनर ही भेदभाव करना छुवा छुत करना शोषन अत्याचार करना है | जिसमे वे पुरे विश्व में खास चर्चित हैं | जिसके चलते गोरो के जाने के बाद इस देश की सत्ता आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया  का नारा देनेवाली मनुवादी सरकार के नेतृत्व में छुवा छुत जैसे खास हुनर नया अपडेट होकर वापस आ गयी है |मनुवादी फिर से अपनी भष्म मनुस्मृती का भुत को ही इस देश और इस देश के मुलनिवासियो की सेवा सुरक्षा में लगा दीये है | जिस मनुवादि शासन में ही तो इस देश के मुलनिवासी निच घोषित करके लंबे समय तक छुवा छुत जैसे शोषन अत्याचार किये जाते रहे हैं | छुवा छुत करने वालो ने वर्तमान में भी भारी भेदभाव के जरिये इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कब्जा जमाये हुए हैं | भारी भेदभाव के जरिये चयन प्रक्रिया करके खुदको सबसे टैलेंटेड दिखलाया जा रहा है | जिस तरह की टैलेंट मनुस्मृती रचना करके भी दिखलाई गई थी | जो मनुवादि गोरो से अजादी मिलने के बाद से लेकर अबतक अजाद भारत का संविधान लागू के बाद भी एक इंसान का औसतन उम्र के लगभग शासन कर चुके हैं | जिसके बावजुद भी अपनी मनुवादी मांसिकता से बाहर नही निकल पाये हैं | जो कभी निकलेंगे भी नही , क्योंकि जो मनुवादि हजारो साल बाद भी अबतक छुवा छुत और ढोंग पाखंड को नही छोड़ पाये हो , वे गोरो के जाने के बांद सौ साल से भी कम समय में कैसे निकलेंगे | बल्कि इस देश के मुलनिवासियो को ही मनुवादियो के हाथो से अपने हक अधिकार को वापस छिनकर लेना होगा | जैसे की गोरो से अजादी छिनकर लिया गया था |  जिस तरह की गुलामी और छुवा छुत करने वाले विदेशी डीएनए के लोगो ने ही तो इस सोने की चिड़िसाँ कहलाने वाला समृद्ध देश को पुरी दुनियाँ में गरिब और भ्रष्ट देशो की गिनती में ला खड़ा कर दिया है | जिस दाग को मिटाने का सिर्फ और सिर्फ एक ही रास्ता है कि इस देश के मुलनिवासी चाहे जिस धर्म से जुड़े हुए हो , सभी मिलकर संघर्ष आंदोलन करते हुए मनुवादियो के शासन से इस देश को अजाद कराना होगा | जो सौ प्रतिशत मुमकिन भी है , और यही होगा भी , न कि चुनाव से मनुवादि सत्ता कभी समाप्त होनेवाली है | जैसे की चुनाव से गोरो की दबदबावाली सत्ता समाप्त नही हुई थी | इस देश के मुलनिवासियो की अबादी मनुवादियो की अबादी के मुकाबले इतनी अधिक है कि सभी मिलकर यदि मनुवादियो के खिलाफ खड़े हो जाय तो मनुवादी अपने आप ही घुटने टेककर गोरो की तरह ही इस देश का शासन को इस देश के मुलनिवासियो के हाथो सौंप देंगे | अन्यथा चुनाव के जरिये मनुवादियो को हराकर इस देश में मुलनिवासियो की सरकार आयेगी इस झुठी उम्मीद में वर्तमान की भी नई पिड़ी मनुवादियो की शासन को देखते देखते बुढ़ा होकर आँख मुँदेगी | जैसे की ज्यादेतर पुरानी पिड़ी कई चुनाव में आधुनिक भारत ,गरिबी हटाओ भाषन अश्वाशन सुनते देखते आँख मुँद चुकि है | और जो बचे हैं वे भी शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया देखते सुनते मनुवादियो की शासन में ही आँख मुँद लेगी यदि मनुवादियो का शासन को चुनाव में हराकर समाप्त करने की झुठे सपने फिर से देखने का सिलसिला जारी रहा | क्योंकि जिस तरह गोरे जज के सामने केश लड़कर गोरो से अजादी फैशला का उम्मीद करके बेकार में अजादी का केश लड़ना है , उसी तरह  मनुवादी चुनाव आयोग समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के सामने चुनाव लड़कर मनुवादियो का शासन समाप्त करने की सिर्फ झुठी उम्मीद करते रहना है |

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