सरायकेला हिंसक घटना के बारे में मेरी अपनी राय

लंका दहन के समय हनुमान ने बहुत से बच्चे बुढ़े जवान नर नारी सभी को जिंदा जला दिया था | बल्कि बहुत से पशु पक्षी और पेड़ पौधे भी लंका दहन में जल गए होंगे |जितनी बड़ी आतंक और हिंसा की घटना जिसमे निंद में ही बहुत से जगे हुए आतंकित बच्चे बुढ़े नर नारी जिनमे से कुछ तो निंद में ही जलकर खाक हो गए होंगे | बल्कि यदि सीता को लंका के रक्षको ने नही बचाया होता तो सायद सीता भी जिते जी अग्नी परीक्षा से पहले ही लंका दहन आग के हवाले हो जाती | क्योंकि सीता भी भष्म लंका में मौजुद थी | राम भक्त हनुमान तो अपनी पुंछ को बुझाकर चुपके से निकल लिया था | जिस हनुमान द्वारा लंका दहन करने की इतनी बड़ी हिंसक घटना की याद में हर साल जस्न मनाई जाती है | और राम द्वारा भी न जाने कितने नर ( मनुवादियो के कथन अनुसार राक्षस) नारी ( मनुवादियो के कथन अनुसार राक्षसनी ) की हत्या करके कितना हिंसक खुन बहाया है ये तो खुद रामायण सुनाने लिखने और दिखाने वाले मनुवादि और उनके भक्त रचनाकार अभी भी प्रचारित प्रसारित करते रहते हैं | जिन दोनो की हिंसा पर जस्न मनाने वाले राम और हनुमान भक्त बनाकर कितने ब्रेनवाश किये गए हैं , यह सरायकेला जैसी अनगिनत घटना से प्रमाणित हो जाता है कि रामभक्तो में राम और हनुमान के द्वारा किया गया हिंसा का क्या असर है | जिनकी हिंसा को सेंसर बोर्ड भी मानो जस्न मनाकर पास कर देती है | क्योंकि सेंसर बोर्ट में भी मनुवादियो का कब्जा है | तभी तो राम और हनुमान के द्वारा किये गये भारी हिंसा और आतंक को कई धारावाहिक फिल्म और न जाने कितने माध्यम से प्रचारित प्रसारित करके इस देश के मुलनिवासियो को इतना ज्यादे ब्रेनवाश किया गया है कि ब्रेनवाश हुए लोगो की बुद्धी में सत्य झुठ को परखने की ताकत इतनी कमजोर हो चुकि है कि वे पिड़ि दर पिड़ि किसी अनुवांसिक ब्रेनवाश भक्त बनते चले आ रहे हैं | जिनमे वही लोग सबसे पहले ब्रेनवाश किये जा रहे हैं , जो रामायण को ढोंगी पाखंडियो की नजरिये से ही जान समझकर अँधभक्त बने हुए हैं | जो राम को सबसे उत्तम पुरुष और रामराज को उत्तम राज मानकर राम ने शंभुक प्रजा के अलावे अपनो तक के साथ भी कितने अन्याय अत्याचार और हिंसक अपराध किया है , उसे कभी जानने की कोशिष ही नही किये हैं | जिनके ब्रेनवाश के बाद उनसे हनुमान और राम के नाम से सरायकेला जैसी हिंसा करने की मांसिकता आना स्वभाविक है | क्योंकि जिस हनुमान और राम ने हिंसा से मानो खुन की नदियाँ बहायी हो उसके भक्तो के लिए तो हिंसक रामायण के तुलना में दो चार हत्या समान्य बात कहलायेगी | जिस बारे में विश्वभर के विद्वान विचार करे कि हनुमान और राम पर हिंसा करने के कितने अपराधिक मामले दर्ज होते यदि राम हनुमान के उपर भी केश करने का नियम कानून होता | और हनुमान द्वारा भी लंका दहन में कितने सारे हिंसा और नुकसान हुआ होगा | जिसके अपराधिक मामले की न्याय फैशले में बिना भेदभाव न्याय पर न जाने कितने  सजा होते | राम को तो अपने विरोधियो के साथ साथ अपने सबसे करिबियो से भी अपराधिक मामले दर्ज होते | जाहिर है राम हनुमान ने इतने सारे हिंसा किए हैं कि उसके भक्तो को हिंसा करते समय लंका दहन हिंसा के जस्न मनाने जैसा राम हनुमान के नाम से सरायकेला जैसी हिंसा की घटना तो रामभक्तो के लिए समान्य बात लगती होगी | जिस घटना के बाद हिन्दु मुस्लिम के नाम से यदि दंगा भी भड़क जाय और लंका दहन कि तरह बहुत सारे घरो का दहन होना सुरु हो जाय तो इसमे आश्चर्य नही करनी चाहिए | क्योंकि कहीं पर खबर पढ़ रहा था कि अजादी से लेकर अबतक पचास हजार से अधिक दंगे हो चुके हैं | बल्कि मुझे तो सबसे आश्चर्य उन मुलनिवासियो पर होता है जो इतने ब्रेनवाश हो चुके हैं कि उस राम के नाम से मरने मारने पर उतर आते हैं , जिस राम ने भारी भेदभाव करते हुए वेद ज्ञान लेने पर मुलनिवासियो के ही वंशज शंभुक की हत्या करने के साथ साथ वर्तमान समय में भी आए दिन उच्च निच भेदभाव करके अनेको और भी हत्यायें करके हिंसा से खुन की नदियाँ बहाया है | जिन ब्रेनवाश मुलनिवासियो को कोई अबतक ये क्यों नही समझा पाया  है कि न तो राम से उनका सबसे अधिक भला हुआ है और न ही राम उनके पुर्वज हैं | खासकर जब उच्च निच भेदभाव करके शोषित पिड़ितो के घर और शोषित पिड़ित भी जिंदा जला दिए जाते हैं , उस समय क्या ये बात समझ में प्रयोगिग तौर पर समझ में नही आती है कि राम मनुवादियो के पुर्वज है, जिन्हे मनुस्मृति में उच्च जाति और शंभुक को निच जाति कहा गया है | राम ने भी तो निच जाति को वेद ज्ञान लेना मना है कहकर शंभुक की हत्या किया था | बल्कि धर्म परिवर्तन किये हुए लोग भी मुलनिवासियो के ही डीएनए के हैं  , न कि राम के डीएनए हैं | हो सकता है धर्म परिवर्तन करने वालो में न के बराबर कुछ राम डीएनए के भी हो | पर लगभग सभी धर्म परिवर्तन करने वाले इस देश के मुलनिवासियो का ही डीएनए के एक ही पुर्वजो के वंशज हैं | जिनके साथ मनुवादियो ने आपस में फूट डालकर और एक दुसरे को लड़ाकर और खुनी हिंसा करवाकर खुन की नदियाँ बहवाया है | क्योंकि राम द्वारा पिठ पिच्छे वार करके जिस बालि की हत्या हुई थी उसकी वानर सेना का भी डीएनए राम का डीएनए नही था | जिसे राम ने बाद में खुनी हिंसा के लिए उनके परिवार को छोड़वाकर दूर ले जाकर जमकर इस्तेमाल किया था | जो चाहे तो मूल रुप से मनुस्मृती को मानने वाले कथित उच्च जाति के उन ढोंगी पाखंडियो से भी पुच्छ लो जो आज भी आरएसएस जैसी संगठन बनाकर मानो उसमे अपडेट वानर सेना बहाली करके जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं | जिस आरएसएस में अबतक लगातार चुने जा रहे अध्यक्षो के पूर्वज और इस देश के मुलनिवासियो का पुर्वज एक हैं क्या ? जिसपर भी यदि शक हो रहा हो तो एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट की खबर एक अंग्रेजी अखबार टाईम्स ऑफ इंडिया में 21 मई 2001 को छपी थी , उसके बारे में भी जरुर जान लें | जिस रिपोर्ट में इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए और कथित उच्च  जाति के कहलाने वालो का डीएनए अलग है | जिसके बारे में पता करके अच्छी तरह से सोच समझकर अपने भितर जरुर झांके ब्रेनवाश हुए वे सभी मुलनिवासी जो राम के नाम से मानो अपडेट वानर सेना बनकर मरने मारने के लिए उछल कुद करते रहते हैं ! बल्कि मैं तो कहूँगा वे शांत मन से अपने पुर्वजो का इतिहास को सबसे पहले अच्छी तरह से जाने और समझे | जिसे जो नही जान सका वह चाहे कितना ही बड़ा कागजी डिग्री ज्ञान पाया हो , असल में जो लोग अपने पुर्वजो बल्कि अपने मुल देश का इतिहास को ठीक से नही जानते उन्ही को ही सबसे असानी से ढोंगी पाखंडि ब्रेनवाश करके अपने इस्तेमाल के लायक बनाते हैं | जिसके बाद सरायकेला घटना की तरह और भी न जाने कितने हिंसा की घटना राम के नाम से होना स्वभाविक है | जिसे रोकने के लिए इस देश की शंभुक प्रजा को अपने पुर्वजो की उस इतिहास को जानना जरुरी है कि किस तरह से कथित उच्च जाति कहलाने वालो द्वारा मनुस्मृति रचना करके इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से अन्याय अत्याचार होता आ रहा है | जिस मनुस्मृति को जलाकर अजाद भारत का संविधान रचना किया गया तो भी उच्च निच्च भेदभाव के बाद धर्म के नाम से भी ब्रेनवाश करके एक ही डीएनए के इस देश के मुलनिवासियो का ही खुन आपस में लड़ाकर बहाया जा रहा है | जिसके बारे में ताजा उदाहरन सरायकेला घटना है , जिसमे इस देश के मुलनिवासी ही उच्च जाति के पुर्वज राम के नाम से एक दुसरे को मारकर खुन की नदियाँ बहाने के लिए उतारु हैं | जिससे बचने का सबसे आसान और हलांकि सबसे मुश्किल भी रास्ता है कि इस देश के मुलनिवासियो के सभी परिवारो में सभी सदस्य न सही पर कम से कम एक दो सदस्य मांसाहारी जिवन को त्यागकर शाकाहारी बने | जैसा कि मेरे परिवार में मैने बहुत सी समस्याओ का समाधान किशोर अवस्था में ही शकाहारी बनकर अपने आप निकाल लिया था | शकाहारी बनने से शराबियो की शराबी जिवन भी समाप्त होगी और जो लोग शबाब के पिच्छे भागते हैं वे भी शकाहारी बनकर निश्चित तौर पर अपने जिवन में इतनी भारी बदलाव बिना दवा और दुवा  के भी खुदकी सिर्फ आत्मविश्वाश के जरिये इतना ज्यादे महसुश करेंगे कि सारी जिवन दुसरो के लिए भी खास हो जायेंगे | जिसके बाद उनका ब्रेनवाश होना भी रुक जायेगा और हिंसा भी रुक जायेगा | जबतक घर के भेदि पैदा होते रहेंगे तबतक आपसी विवाद में थोड़ी बहुत हिंसा तो वैसे कभी भी नही रुकेगी पर आज जो ब्रेनवाश होकर और मांसाहारी शराबी शबाबी जिवन की वजह से भी जितनी सारी हिंसा रोजमरा जिवन में हो रही है वह निश्चित तौर पर समाप्त जरुर हो जायेगी | मैं शाकाहारी बनने का मतलब वैसे ढोंगी पाखंडी बनने नही कह रहा हुँ जो खुदको शाकाहारी बनाकर भी धर्म के नाम से सबसे अधिक हिंसा करवाने की सुपारी देते रहते हो | क्योंकि ऐसे लोगो को पशु हत्या से भी ज्यादा आसान किसी शोषित पिड़ित निर्दोश की हत्या उच्च निच और धर्म के नाम से कराना लगता है | जैसे की सरायकेला में एक निर्दोश की हत्या हुई नही बल्कि कराई गई होगी ब्रेनवाश करने वालो द्वारा | जो ब्रेनवाश नही होते यदि वे मांस मदिरा का सेवन त्याग देते | यकिन न आए तो पता करके देख लेना घटना में शामिल राम हनुमान बोलवाने वाले मांस मदिरा का सेवन करते हैं कि नही ? हलांकि शराब शबाब और कबाब से दुरी बनाना सबकी वश की बात नही है ! जिनमे से मेरी जिवन में वैसे तो शराब शबाब पहले से ही दुर था पर कबाब अथवा मांसाहारी जिवन से दुरी किशोर अवस्था में हुआ | जिसके बाद से लेकर अबतक मेरे जिवन में इतने सारे भारी बदलाव आए हैं कि मेरी रोजमरा जिवन से प्रभावित होकर कई और ने भी शकाहारी जिवन को अपना लिया है | जिस शाकाहारी जिवन से एक बहुत बड़ा फायदा किसी के परिवार में किस तरह से हो सकता है , इसका एक खास उदाहरन एक घटना की चर्चा मैं अक्सर करता रहता हूँ | जिस घटना में एक पति ने अपनी पत्नी की हत्या कुल्हाड़ी से काटकर सिर्फ इसलिए कर दिया था कि उसकी पत्नी ने खुद ज्यादे मांस खाकर अपने पति के लिए कटोरा में कम मांस रख दिया था | वैसे मांस के लिए इतिहास में भी पशु लुटपाट की घटना और हिंसा कितने हुए हैं यह भी कभी हो सके तो जरुर जान लेना | खैर मैं मांस के बारे में भी इतने ज्यादे चर्चा क्यों किया हूँ इस पोस्ट में यह सवाल किसी के मन में हो तो बता दूँ कि सरायकेला की घटना के जड़ में कहीं न कहीं पशु मांस से भी जुड़ा हुआ मामला लगता है | वैसे ब्रेनवाश किये हुए सभी मुलनिवासी निश्चित तौर पर मांशाहारी ही होंगे यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ | किसी शाकाहारी का इतना ज्यादे ब्रेनवाश तभी हो सकता है जब उसे मांस के अलावे किसी और चीज का लत हो | जिन ब्रेनवाश हुए मुलनिवासियो के ही डिएनए के लोगो को जब निच कहकर जिन्दा जला दिए जाते हैं या उनके घरो को जला दिया जाता है , नंगा करके मारा पीटा जाता है , विवाह के समय घोड़ी पर नही चहड़ने दिया जाता है , बहुत से जगहो में प्रवेश वर्जित किया जाता है , उनके साथ बहुत से जगहो में शादी विवाह वगैरा में खाने पिने में भी भेदभाव किया जाता है , यह सब जानकर भी ब्रेनवाश होकर राम के नाम से खुनी हिंसा करके गर्व करने वालो को तो इतिहास में अपडेट वानर सेना के रुप में ही दर्ज करनी चाहिए | जिस वानर सेना में शामिल होने का मतलब उपर जिस शोषन अत्याचार  के बारे में उदाहरन दिए गए हैं , उसको नजर अंदाज करना है | जिसे नजर अंदाज करने वाले मुलनिवासियो की वजह से ही आजतक इस देश में मनुवादियो का शासन कायम होकर शोषन अत्याचार जारी है | साथ साथ ब्रेनवाश किए गए अपडेट वानर सेनाओ द्वारा राम के नाम से सरायकेला जैसी खुनी हिंसा भी जारी है | जिसका मैं पुर्ण रुप से विरोध करता हूँ | बल्कि सरायकेला घटना में जिसकी हत्या राम हनुमान का गुणगान जबरजस्ती करवाकर की गयी है , वह आरोपी व्यक्ति यदि सचमुच का चोर साबित भी हुआ तो क्या वही ब्रेनवाश किये हुए लोगो में इतनी हिम्मत और एकता मौजुद है कि हजारो लाखो करोड़ की चोरी करके विदेश भागने वालो और बड़े बड़े पनामा नदी जैसा भ्रष्टाचार का देशी विदेशी में लिस्ट में शामिल लोगो को भी उसी तरह बांधकर उनसे राम हनुमान बोलवाकर मारने कि हिम्मत और एकता ब्रेनवाश किए लोगो में हैं ? मुझे पता है ये ब्रेनवाश किए हुए लोग ऐसा कभी कर ही नही सकते | और करना भी नही चाहिए बल्कि सारा पोल खोलकर अथवा गलती कबूल कराकर उसके भितर सुधार करने की कोशिष होनी चाहिए | जैसे की मनुवादियो को सुधारने की कोशिष हजारो सालो से इस देश में हो रही है | पर मानो गोरे किसी को गुलाम करके जज बनकर न्याय करना सही नही है यह बात जानकर बहुत हद तक सुधर गए , पर ये मनुवादि आजतक भी नही सुधरे हैं | जो आज भी भारी भेदभाव शोषन अत्याचार के साथ साथ ब्रेनवाश करना भी जारी रखे हुए हैं |

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