अन्याय अत्याचार का इतिहास को भुल जाय वैसे लोगो को कभी भी अपनी सेवा सुरक्षा में नही लगाना चाहिए

अन्याय अत्याचार का इतिहास को भुल जाय वैसे लोगो को कभी भी अपनी सेवा सुरक्षा में नही लगाना चाहिए

यदि सत्य झुठ का पलड़ा में रखते हुए सत्य मान भी लिया जाय कि लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की कब्जा हालत में भी चुनाव इमानदारी से हो रहे हैं या इसबार भी हुए हैं , जिसका चुनाव परिणाम दुध का धुला हुआ है , तो भी यह साबित होता है कि दरसल इस देश के ज्यादेतर मुलनिवासी वोटर अपने सर में मैला तक ढोकर अबतक मनुवादियो के ही सर में सत्ता ताज उनकी गुलामी की वजह से सौंपते आ रहे हैं | जो सत्य झुठ के पलड़े में तौलकर तो कहीं से भी सही फैशला नही लगता है | क्योंकि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से छुटकारा पाने के लिए इस देश के शोषित पिड़ित मुलनिवासी अपनी शासन न लाकर बार बार मनुवादी शासन को ही स्वीकारे ये तो और बुरे दिन दर्शाता है | क्योंकि हमारे अपने ही डीएनए के लोगो द्वारा बार बार मनुवादि सत्ता को चुनकर मानो शोषन अत्याचार करने के लिए बड़ावा देना दरसल इस देश के अपने ही डीएनए के उन संघर्ष कर रहे मुलनिवासियो के साथ भारी अन्याय करना है जिन्हे इस बात पर पुरा विश्वास है कि इस देश और उनकी जिवन में सुख शांती और समृद्धी तब आयेगी जब इस देश से मनुवादी सत्ता जायेगी | जिस मनुवादी शासन को समाप्त होने में हमारे अपने ही डीएनए के लोग विरोध में वोट डाल रहे हैं तो निश्चित तौर पर हम ये कह सकते हैं कि हमे तो अपनो ने लुटवाया है , गैरो में कहाँ दम है कि वे अपने मुठीभर वोट से भारी बहुमत की मनुवादी सत्ता ला सके , हमारी सत्ता की किस्ती डुबी है वहाँ , जहाँ पानी ही कम है | क्योंकि सच्चाई तो यही है कि  इस देश के मुलनिवासियो का वोट संख्या इतना है कि मनुवादी कभी चुनाव ही नही जितते यदि सभी मुलनिवासी सिर्फ अपने ही डीएनए के लोगो द्वारा बनाई गयी उस पार्टी को ही वोट देते जिसमे मनुवादियो की दबदबा कायम न होती | जबकि हो रहा है उल्टा क्योंकि जिस भाजपा कांग्रेस को मनुवादियो की पार्टी के रुप में जाना जाता है , उसका बार बार बल्कि चार बार तो भारी बहुमत से भी जिताना मतलब अपने ही पाँव में कुल्हाड़ी मारकर मनुवादियो की शासन फले फुले इसके लिए मनुवादियो की ही पार्टी को वोट करना है | जो और भी ज्यादे शर्मनाक खासकर तब मानी जायेगी जबकि इस कृषि प्रधान देश के लोकसभा में कथित दबे कुचले कमजोर कहलाने वाले ही आरक्षण कोटा से भी और जी हुजूरी करके भी मनुवादी पार्टी भाजपा कांग्रेस में ही शामिल होकर और चुनाव लड़कर सबसे अधिक मौजुदगी संसद में दर्ज करने के बावजुद भी मनुवादियो की जी हुजूरी करते रहते हैं | क्योंकि वे उन मनुवादियो की पार्टी से चुनकर गए हैं , जिस पार्टी में कम संख्या में चुनाकर आए कथित ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य के पुर्वजो ने ही कभी इस देश के मुलनिवासियो को निच घोषित करके और सत्ता से वंचित करके मनुस्मृती रचना करके खुदको जन्म से ही उच्च घोषित किये हुए हैं | इसलिए मनुवादियो की पार्टी में कथित उच्च जाती के कहलाने वालो की सांसद संख्या कम रहने के बावजुद भी हम इस सत्य को ही जानते और मानते हैं कि भले उच्च जाती के कहलाने वाले सांसद कम चुना रहे हो पर शासन में दबदबा तो उच्च जाती का ही है | जिसके चलते ही तो यह कहा जाता है कि इस देश में मनुवादियो का शासन चल रहा है , भले संसद में सबसे अधिक संख्या इस देश के दलित आदिवासी और पिछड़ी जाति कहलाने वाले मुलनिवासियो का है | बल्कि इस देश में जिन दलित आदिवासि और पिछड़ी जाती ने अपना धर्म परिवर्तन किया है , वे भी बहुसंख्यक डीएनए के होते हुए भी अल्पसंख्यक क्यों कहे जाते हैं | जबकि असल में इस देश में दरसल मनुवादी अल्पसंख्यक हैं , जैसे की गोरे अल्पसंख्यक थे | लेकिन भी वे इस देश के बहुसंख्यको पर राज कर रहे थे | जैसे कि गोरो के जाने के बाद अल्पसंख्यक मनुवादी बहुसंख्यक दबे कुचले कमजोर कहे जाने वाले मुलनिवासियो पर राज कर रहे हैं | जिनके राज करने पर खास मदत करने वाले घर के भेदियो और जी हुजूरी करने वालो का इतिहास उसी तरह भविष्य में दर्ज हो रहा है जैसे कि गोरो से अजादी मिलने के बाद आरएसएस का दर्ज हुआ है | जिसमे खास अंतर यह होगा कि मनुवादियो का विशेष साथ देनेवालो का दिखावटी सच्चाई का भांडाफोड़ होकर भविष्य में उनसे दिखावटी शान को छिन ली जायेगी | अभी तो मनुवादियो की सत्ता है इसलिए चूँकि वे अपना आका मनुवादियो को मानते हैं , इसलिए मनुवादियो की तरह  झुठी शान में डुबे रहेंगे कि उनके द्वारा बहुत बड़ी क्रांतीकारी कार्य किये जा रहे हैं | जैसे की गोरो की गुलामी समय गोरो का साथ देने वालो द्वारा बहुत बड़े क्रांतीकारी कार्य किये जा रहे थे | वैसे घर के भेदि इसी तरह के मनुवादि सत्ता को बहुत विकसित सोच मानते हैं | जहाँ सिर्फ मुठिभर लोगो के जिवन में सारी सुख सुविधा उपलब्ध होती है , और भारी तादार में चारो तरफ शोषन अत्याचार गरिबी भुखमरी और बदहाली छाई हुई रहती है | ज्यादेतर नागरिको की जिवन गरिबी और बदहाली में सुरु होती है और गरिबी में ही खत्म हो जाती है | सिर्फ नाम मात्र के लिए जनता मालिक होते हैं , असल जिवन में तो खुदको जनता का नौकर कहने वाले मंत्री और प्रधान सेवक के नौकरो से भी बुरा हाल रहता है | क्योंकि शोषन अत्याचार करने वाले और उनका साथ देने वाले खोटे सिक्के घर के भेदियो में वह हुनर ही मौजुद नही होती है कि मौका मिलने पर वे महान क्रांतीकारी बन सके | जिन्हे सिर्फ ढोंगी पाखंडी और मांसिक विकृत लोग ही महान उपाधि देकर कभी कभी तो उनकी आरती तक उतारते हैं | जो सारी बाते भविष्य में तब साबित हो जायेगी जब मनुवादियो का शासन गोरो का शासन की तरह समाप्त होने के बाद इस देश के मुलनिवासियो का शासन वापस आ जायेगी | जिसके लिए ही तो लंबे समय से संघर्ष की जा रही है उन लोगो द्वारा जिन्होने अपने पुर्वजो के साथ हुए मनुवादियो द्वारा अन्याय अत्याचार , बल्कि वर्तमान में भी जो अन्याय अत्याचार हो रहे हैं उसे कभी नही भुले हैं | और न ही कभी इतिहास भी भुला पायेगी कि मनुवादियो ने इस देश के मुलनिवासियो के साथ क्या क्या जुल्म किये हैं ! जिसे जो भुल जाय वैसे लोगो को कभी भी अपनी सेवा सुरक्षा में नही लगाना चाहिए |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है

गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है