प्रचार

सोमवार, 28 अगस्त 2017

भ्रष्टाचार और भस्मासुर

कालाधन का पाप अंबार अबतक बड़ते बड़ते इतना जमा हो गया है कि उनकी अगर जब्ती करके देश के सारे गरिब लोगो को बराबर बराबर हिस्से में बांट दिया जाय, तो जैसा कि इस देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कभी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनावी भाषन में कहा था,कि "इस देश की जनता मालिक के खातो से इतना सारा धन की चोरी हुई है,कि यदि उसकी जब्ती किया जाय तो सब गरिब के खाते में पंद्रह से बीस लाख यू ही मुफत में आ जायेंगे|"जो मुफ्त की क्यों उनके हक अधिकार का धन हैं|जिसे चोर लुटेरो ने चुराकर लुटकर गुप्त खातो में जमा करके छिपा रखा है|जो बात इस समय की विश्व आर्थिक विकाश की आंकड़ो में एक गरिब देश कहलाने वाले जड़ से समृद्ध देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कहा है|जिसे जुमला कहकर मुख्यमंत्री से तरकी करके प्रधानमंत्री बनाया गया है|जाहिर है देश के लोकसभा चुनाव में किसी प्रधानमंत्री उम्मिदवार द्वारा इतनी बड़ी बात करके उसे बाद में जुमला करार देना,वह भी सबसे बड़ी अंतर से हार जीत का चुनाव जितकर,जो की जनता मालिक की वोट कृपा से अजादी के सत्तर सालो में दुसरी बार किसी पार्टी को इतनी भारी बहुमत से जिताकर मानो तीन सीट की जमिनी बाईक से सिधे 282 सीट वाली आसमानी विमान में बिठा देना वह भी महंगी पंद्रह बिस लाख के सुट बुट पहनने की नसीब प्रदान करके हवा हवाई सफर पुरी दुनियाँ की महंगी सैर कराकर हर महिने करोड़ो रुपये विदेशी यात्रा पर खर्च, ये किसी जादुई आर्कषन से कम नही है किसी ऐसे बुरे हालात में जब देश में चालीस करोड़ बीपीएल भारत पल पल एक एक एक रुपये किलो की सरकारी सब्सिडी वाली अन्न के लिए भी तरस रहा हो और हर रोज अनगिनत गरिब बीपीएल की भुखमरी कुपोषन से मौत भी हो रहा हो|दुसरी तरफ हर साल एक एक धन्ना कुबेर को मानो किसी एक छोटी मोटी राज्य की बजट जितनी हजारो करोड़ की बड़ी राशि हर साल छुट और माफी के रुप में दी जा रही हो|तो ऐसे भारी भेदभाव हालात में किसी जनता के प्रति किसी ऐसे प्रधानमंत्री उम्मीदवार को जिताना जो पहले जवानी से डॉलर के बराबर का बुढ़ापा उम्र तक उसी जनता के बिच भाजपा रथ पर सवार होकर एकबार भी लोकसभा चुनाव में इतनी वोट भाजपा के लिए न बटोरी हो,तो निश्चित ही 2014 का चुनाव सभी गरिबो के लिए उम्मिदो भरा था| जब अच्छे दिन लाने की बाते जोर सोर से हुई थी|क्योंकि ऐसे बुरे हालात में मुफत में सब गरिब के खाते में पंद्रह से बिस लाख आ जाय तो कौन गरिब नही चाहेगा की ऐसी सरकार आए जो सचमुच की गरिबी भुखमरी एक झटके में साठ साल बनाम साठ महिने में ही हटा दे इस देश से, जो कि कांग्रेस सरकार गरिबी हटाओ की नारा देकर भी साठ साल तक केन्द्र सत्ता के साथ चिपककर भी गरिबी भुखमरी मिटा नही सकी, उल्टे अजादी के समय जितनी जनसंख्या पुरे देश की थी, उतनी अभी चालीस करोड़ आधुनिक बीपीएल से डीजिटल इंडिया हो गयी है|वह भी उस देश में जहाँ की सोने की चिड़ियाँ सुख शांती और समृद्धी चोरी होकर ही तो चालीस करोड़ बीपीएल भारत दाग लगा दिया गया है उन चोर लुटेरो द्वारा जिनकी बुद्धी बड़ी बड़ी उच्च डिग्री लेकर भी भ्रष्ट हो गयी है|क्योंकि जितने भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी का पनामा नहर से भी बड़ी देश की बदनामी लिस्ट आया है,जो कि अभी साबित होना बाकि है,जिसमे से जो भी असली सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारी साबित होंगे वे कम से कम अनपड़ और खुले में रेल पटरी और पेड़ के निचे झाड़ के पिच्छे शौच करने वालो में से तो नही होंगे इसकी पुरी संभावना है| जिसके चलते इस देश में गरिबो को धन और उन पढ़े लिखे भष्मासुरो को सत्य बुद्धी की जरुरत है,जो ज्ञान का वरदान पाकर बड़ी बड़ी तनख्वा पाकर और अन्य अच्छे तरिके से अच्छी खासी कमाई करके भी किसी गरिब बीपीएल से भी ज्यादे बड़ा कंगाली भितर से महसुस करके उनकी बुद्धी भ्रष्ट हो जाती है, और वे धन होते हुए भी भ्रष्टाचार करके गरिब बीपीएल का भी पैसे की चोरी कर रहे हैं, इतने बड़े कंगाल खुदको मांसिक रुप से घोषित कर लिए हैं|इतना बड़ा लंगटा लुचा सोच कि उनको बिना गरिब बीपीएल का हिस्से का धन खाये सायद पेट नही भरता है, तभी तो एक और प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के बारे में कभी ये कहा था कि सरकारी फंड से जो कुछ भी हक अधिकार जाता है वह गरिबो तक पहुँचते पहुँचते एक रुपया से पंद्रह पैसा बच जाता है|यानी उपर से लेकर निचे तक बैठे सरकारी सेवको में ही सबसे बड़ा मांसिक रुप से कंगाल सेवक की खाल ओड़े वैसे चोर लुटेरे छुपे बैठे हैं, जो ज्ञान वरदान पाकर भ्रस्मासुर बनकर देश में गरिबी भुखमरी को आगे भी जारी रहने देकर हर रोज गरिबी और भुखमरी से हजारो लोगो को मरते और चिता में भष्म होते हुए देखना चाहते हैं|जिनकी बुद्धी भ्रष्ट हो चुकी है ज्ञान वरदान पाकर|इसलिए ऐसे लोगो को तो पकड़कर उन्हे सजा देने के साथ साथ उनकी ज्ञान डिग्री की मान्यता को भी किसी मनुस्मृती की तरह भष्म कर देनी चाहिए|जैसा की बाबा अंबेडकर ने अजाद भारत का संविधान रचना करने से पहले छुवा छुत उच्च निच का भेदभाव खत्म करने के लिए मनुस्मृती सुझ बुझ को भष्म किये थे|जिसकी तुलना वे रोमराज से किये थे|उसी तरह ही छुवा छुत तो अबतक भले हजारो सालो के बाद भी नही मिटी है,पर भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये ये कड़ी कदम उठाना भी इन बुरे हालातो में मेरे विचार से बहुत ही जरुरी हो गया है|ताकि सेवा ज्ञान की विश्वनियता भी कायम रहे और अच्छे लोग भी बदनामी से बचे रहे|जिनको भी भ्रष्ट संक्रमण का खतरा दिन रात बना रहता है|न कि लुका छिपी का खेल खेलकर और शिक्षा को व्यापार बनाकर फर्जी सेवा की भ्रष्ट संक्रमण धारा बहती रहे|जिस तरह की फर्जी सोच वाले जबतक भ्रष्टाचार की सजा पुरी तरह जेल में काटकर जनता मालिक और न्यायालय को ये विश्वास नही दिला देते की अब कोई सरकारी पद और ज्ञान डिग्री वरदान का गलत इस्तेमाल करके कभी भी भ्रष्टाचार नही करेंगे, तब ही उन्हे फिर से ज्ञान डिग्री लिखित एग्रीमेंट के साथ एकबार के लिए चेतावनी के तौर पर मौका देनी चाहिए फिर से ज्ञान वरदान पाकर किसी सरकारी पदो पर बहाल होने की|जिसके बाद भी यदि दुबारा से वे कुत्ते की दुम की तरह टेड़े ही रहे,और फिर से रंगे हाथ भ्रष्टाचार करते हुए पकड़े गए,अथवा उसी अपराध को दुबारा से करने वाला पेशेवर अपराधी साबित भी हो गए, तो उसके बाद तो उनको कभी भी सरकारी सेवक बनने के लिए ज्ञान डिग्री नही मिल सकती इस बात के लिए नियम कानून बनाकर उनकी तमाम तरह की ज्ञान डिग्री में दाग लगाकर ये मान्यता दे देनी चाहिए की ये शिक्षित व्यक्ती प्रजा सेवा के काबिल नही है मांसिक तौर पर,जैसे कि कोई उच्च डिग्री वाला व्यक्ती को भी पागल कहलाने का मान्यता मिल जाती है जब उसका पागलखाना में इलाज चल रहा होता है प्रयोगिक रुप से पागल घोषित होकर|क्योंकि जनता मालिक की सेवा करने वाली पदो पर बैठकर ऐसे पढ़े लिखे भ्रष्टाचारी दुसरो के साथ साथ खुदको भी भष्म करने वाले भष्मासुर साबित हो चुके हैं|जिनकी भ्रष्ट बुद्धी को भष्म करके सत्य बुद्धी देने के लिए खुद सत्य शिव भी नही आने वाले हैं ऐसे पढ़े लिखे अपडेट भष्मासुरो के वास्ते, क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि भष्मासुर से सत्य शिव भी पिछा छुड़ाकर अपने प्रजा गणो की नजरो से भी ओझल होकर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो जाते हैं उस समय तक जबतक की कोई मोहिनी बनकर मोहित करने के बाद खुशी के मारे नचा नचाकर भष्मासुर को खुद उसके द्वारा ही खुदको ही उस वरदान शक्ती से भष्म न करा दे,जिसे प्राप्त करके भष्मासुर प्रजा गणो के साथ साथ सत्य शिव के पिच्छे भी पड़ा रहता है|जैसे की ऐ पढ़े लिखे भ्रष्टाचारी  दुसरो के साथ अपनी भी बुद्धी को भ्रष्ट करते रहते हैं भ्रष्टाचार करके|क्योंकि हम सबको पता है कि घुस लेना देना दोनो ही अपराध है| जिसकी सुरुवात किसी भ्रष्ट बुद्धी वाले भष्मासुर से ही होता है|और यदि अपडेट भ्रष्ट लेन देन दोनो तरफ से हो रहा है,तब तो समझो अब और अधिक भष्मासुर की क्लोंनिंग बनकर भ्रष्टाचार वैसे रक्त दानव रुप ले चुका है जिसकी भ्रष्ट बुंदे जहाँ जहाँ भी पड़ेगी वहाँ वहाँ बड़े बड़े भ्रष्टाचार की क्लोंनिंग होकर छोटे छोटे भ्रष्टाचारी की छोटी छोटी दारु की भठी लग जायेगी,जहाँ से बड़े बड़े भ्रष्टाचार के वैसे शराब उद्योग लगेंगे जो न जाने कितने और भी माल्या पैदा करेंगे|जो देशी कर्ज लेकर हजारो करोड़ की राशि माफी लेकर विदेशी घी पियेंगे विदेशो में सरन लेकर|जिससे पहले की बहुत देर हो जाय और मानवता लुप्त डायनासोर बन जाय जिसकी भ्रष्ट कंकाल खोदकर आनेवाली नई पिड़ि ये पता करे कि कभी मानवता नाम की उच्चारण भी होती थी सेवा पदो में बैठे लोगो की सेवा देखकर वह अब सेवक के जगह पढ़े लिखे भष्मासुर और रक्त दानव भ्रष्टाचारी बैठकर प्रजा के दिलो में शासन करने के बजाय उनकी शोषन करते हैं|जैसे की कभी गोरे करते थे जिनसे अजादी मिली तो उनकी ही तरह का शोषन करने की क्लोनिंग बनाकर कुछ पढ़े लिखे भष्मासुर और रक्त दानव पैदा हो गए हैं,जिनकी तादार बड़ते ही जा रही है|जिसका प्रमाण कालाधन का अंबार है जो बड़ते ही जा रही है|जिसका ड्रग्स करते हैं ये भ्रष्टाचारी,जिसे पैदा करने के लिए ये दिन रात भ्रष्टाचार करते रहते हैं|जो ड्रक्स यदि इनकी जब्ती कर ली जाय तो सायद हो सकता है इनकी भ्रष्ट बुद्धी में सत्य बुद्धी की लौ जल उठे और उनकी भ्रष्ट बुद्धी भष्म हो जाय|क्योंकि उनका जो जमा किया हुआ कालाधन है वह दरसल सफेद धन है,जो किसी के हाथो से चोरी होते ही काला हो जाता है,जिसके बाद चोरी करने वाले को भ्रष्टाचारी श्राप होने का श्राप लग जाता है|जो भ्रष्टाचारी द्वारा सजा काटने के बाद श्राप मुक्त हो जाता है|और कालाधन के सरकारी खजाना में वापस आते ही सफेद हो जाता है|जिसकी जब्ती होने और सरकारी खजाना में आकर सफेद होने के बाद प्रजा तक पहुँचने के बाद ही इस देश में सुख शांती और समृद्धी आयेगी और गरिबी भुखमरी भी जड़ से मिटेगी|जो सब होने के लिये किसी सक्षम नेतृत्व का होना जरुरी है|जो ये सब कर सके अपनी नेतृत्व क्षमता के जरिये|जो क्षमता जिसमे नही है,तो फिर मेरे ख्याल से उन्हे इस देश का नेतृत्व करने की जिम्मेवारी कभी नही लेनी चाहिए,और अगर लिया है तो फेल होने से पहले ही इस्तीफा देकर सक्षम नेतृत्व को मौका देना चाहिए| ताकि समय की बर्बादी न हो और जल्दी से गरिबी भुखमरी मिटने और कालाधन की जब्ती होने में भी कोई दिक्कत न हो|क्योंकि हर रोज इस देश में इस समय गरिबी भुखमरी से इतने लोगो की मौत हो रही है|जितनी की सांसद और मंत्री और उच्च अधिकारी भी नही हैं इस देश में|सांसद और मंत्रियो समेत उच्च अधिकारी की तो मानो प्रजा की कृपा ही है जो आजतक अजादी से लेकर अबतक एक की भी मौत गरिबी भुखमरी से नही हुई है|नही तो फिर बिन चुनावी मौसम के भी किसी पतझड़ की तरह शपथ के साथ सरकारे बनती और गिरती नजर आती|अगर सांसद मंत्री उच्च अधिकारियो की भी मौत उतनी ही तदार में गरिबी भुखमरी से होती जितनी की गरिब बीपीएल की हर रोज ही हो रही है|जो कब रुकेगी इसकी चिंता हर चुनाव में तो होती है पर गरिबी भुखमरी वही के वही रह जाती है पाँच सालो के बाद भी|जैसे की ये भाजपा सरकार भी साठ साल बनाम साठ महिने में अच्छे दिन लाने की बाते करके इसके तीन साल जीत की जस्न मनाते मनाते ही गुजर चुके हैं|वैसे तो साठ महिना साईनिंग इंडिया भाजपा सरकार पहले भी फेल हो चुकी है,इसलिए इसबार भी गरिबी भुखमरी वही के वही रह जायेगी इसमे किसी को आश्चर्य नही होनी चाहिए|क्योंकि ये डीजिटल इंडिया की सरकार कोई काल्पनिक मिस्टर इंडिया की चमत्कारी सरकार तो नही है कि साठ महिने साईनिंग इंडिया और जवानी से लेकर बुढ़ापा तक एक दर्जन से अधिक वर्षो तक गुजरात मॉडल मुख्यमंत्री बनकर भाजपा रथ पर सवार होकर जनता के बिच रहकर भी अच्छे दिन लाने वाला चमत्कारी मिस्टर इंडिया गायब रहे और अचानक से 2014 में सबको विकाश की चस्मे से दिख गये|जैसे की मिस्टर इंडिया भी किसी खास चस्मे से दिखता था काल्पनिक फिल्म में|पर ये डीजिटल इंडिया तो न तब असल चुनाव और राज्य सरकार से गायब ही था और न ही अभी मीडिया की नजर से गायब है|जिसकी पुरी रिकार्डिंग और लिखित इतिहास दर्ज हो रही है कि गरिबी भुखमरी दुर करने के मामले में न तो ये पहले भी साईनिंग इंडिया थी और न ही आज डीजिटल इंडिया बन पाई है गरिबी भुखमरी समाप्त करने के वादो और इरादो से|हाँ गरिब हर रोज जरुर समाप्त हो रहा है,जिसकी कोई फिलहाल डीजिटल आंकड़े भी पुरी तरह से दर्ज नही हो पा रही है|और न ही गरिबी की रेखा बिना कोई विवाद के निश्चित तय हो पा रही है|हाँ हर साल धन्ना कुबेरो को कई कई लाख करोड़ रुपये की छुट और माफी मिलना जरुर तय है|ताकि कोई धन्ना कुबेर की यदि दिवाला भी निकल जाय तो वह देशी कर्ज लेकर हजारो करोड़ की सरकारी माफी और छुट के सहारे विदेशी घी पी सके विदेशो में जाकर|जबकि दस से भी अधिक बड़ी बड़ी नदियो का देश में गरिब को ठीक से पानी भी नसीब न हो सके ऐसी विकसित इंतजाम है इस सरकार की गरिब सेवा पाकर|हाँ अगर बाढ़ में पानी के जगह तेल होती तो बाढ़ में भी सारे तेलो का सफाया हो जाता और सुखा घोषित हो जाती,अथवा तब भी तेल महंगे ही मिलते इसकी पुरी संभावना जरुर होती है, इस कृषि के बजाय कुछ और ही सोच की सरकार की मुठीभर लोगो की विकाश झांकी देखकर|फिलहाल यदि आपलोगो को मेरी सोच की पोस्ट अच्छी लगी हो तो इसे जरुर लाईक किजियेगा और अपने करिबियो को भी इसे बांटना मत भुलियेगा,क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ती है और छुपाने से घटती है|और यदि जिनको पसंद न आयी हो तो भी वे इसे डिसलाईक करके दुबारा से मेरा कोई भी आने वाली नई पोस्ट मत पढ़े,क्योंकि आगे भी मैं अब इसी तरह का ही कुछ लिखने वाला हुँ|क्योंकि मुझे पता चल चुका है कि अब इस सरकार के बाकि बचे खुचे समय में भी किसी भी गरिब के अच्छे दिन नही आने वाले हैं|कम से कम गरिबो और किसानो के प्रति सरकार की फर्जी विकाश की सोच से तो नही आनेवाले हैं|बल्कि आगे भी इसी तरह ही हर रोज मर जवान मर किसान के बुरे हालात को बदलने की बाते करके सबके अच्छे दिन लाने की बाते करने वाली है ये भाजपा सरकार |जो आगे भी 2019 तक इसी तरह ही सिर्फ अच्छे दिन आने वाले हैं,कहते कहते अब चुनाव आने वाले हैं,इसबार भी भाजपा को ही वोट दिजियेगा कहकर पिछले साठ महिने की डीजिटल 4G नही फर्जी तस्वीर ही पेश की जायेगी, गरिबी भुखमरी को बड़ी बड़ी चुनावी बैनरो से छिपाकर| फिलहाल इतना ही इन सब के बारे में,आगे जल्द ही किसी इसी तरह के मुद्दे पर नई पोस्ट लेकर आउँगा,खासकर उन पाठको के लिये जिन्हे मेरी ये पोस्ट अच्छी या कुछ अलग तरह की जानकारी देनेवाली लगी,जिन्हे फिर से मैं गुजारिस करुँगा कि वे लाईक करना और इस जानकारी को बांटना न भुले,क्योंकि इसके जरिये ही मैं आगे की पोस्ट लिखने के लिए आपलोगो से प्रेरित हो पाउँगा,अन्यथा इसी तरह मेरा इस पते को विरान छोड़कर किसी और जगह लगा रहुँगा या लग जाउँगा,जिसके बारे में फिलहाल आपको सायद जानकारी न हो|जिसके बारे में भी जल्द ही पोस्ट लिखुंगा|फिलहाल अंत तक आपलोग मेरा पोस्ट पढ़े इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद!आपका दिन और रात दोनो ही शुभ हो||

शनिवार, 26 अगस्त 2017

भ्रष्टाचारी को बंद करो तो बिमारी बंद

शौचालय के नाम से और योग के नाम से उछल कुद और शौच सफाई प्रचार यैसा कराया जा रहा है, जैसे इससे पहले ग्रामीण भारत में रहने वाले हमारे पुर्वज योग को करते ही नही थे| और प्राकृतिक जड़ी बुटियो से जुड़कर सेहतमंद रहना और साफ सफाई से हगना मुतना जानते ही नही थे|जबकि इस देश की हजारो साल पुरानी प्राचिन सभ्यता कृषि संस्कृति के खंडहर में भी, योग मुद्रा में बैठे लोग ऐतिहासिक चिन्हो में मिल जाते हैं| और तब भी इस देश में शौचालय की इतनी बेहत्तर इंतजाम थी की आज की इंजिनियर भी आश्चर्य करते हैं उस समय की साफ सफाई निर्माण को देखकर| जब पश्चिम के लोग सायद दरवाजा बंद करके नहाना और हगना मुतना भी नही जानते थे |जिस आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की सुख शांती और समृद्धी जिवन की कृषि योग को बाद में भंग करके कबिलई लुटपाट और गुलामी बिमारी देकर, दरवाजा बंद करके लुटपाट शोषन अत्याचार और गुलाम करके आज योग और शौच कराकर ये कहलवाया जा रहा है ,कि सब प्रकार का रोग ठीक किया जा सकता है योग करके और दरवाजा बंद करके शौच करके|भुखमरी कुपोषन से मर रहे नागरिको के लिए तो मानो पश्चिम के दरवाजे से घुसे चोर लुटेरो से हमे पुरी अजादी मिली ही नही है, और दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद प्रचार करके विकसित सेवा और साफ सफाई करने के नाम से, भुखा पेट ही शौच और उछल कुद योग दोनो ही कराया जा रहा है|वह भी करोड़ो लोगो के पास अधुरी अजादी और हकमारी,भ्रष्टाचारी की वजह से अपना रहने को छत नही, और उनके लिये फुटपाथ से लेकर सड़क चौक चौराहो पर भी शौचालय बनाया जा रहा है | करोड़ो को तो बाहर सुलाकर दरवाजा बंद करके अंदर शौच कराया जा रहा है|जबकि होना तो ये चाहिए था कि पहले कृषि को बाहरी कबिलई भेदभाव सोच से पुर्ण अजादी दिलाकर गरिबी भुखमरी और कुपोषन दुर की जाती, उसके बाद जमकर उछल कुद पुरे देश दुनियाँ में करायी जाती,ताकि सबके पास रहने को छत मौजुद हो जाती,और परिवार समाज में विकसित सुख शांती और समृद्धी वापस लौट आती| जिसमे की सभी अपने अपने घरो में पेटभर खाकर अपने अपने दरवाजा बंद करके, सोने के बाद ही सुबह शाम दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहते हुए खुदकी बंद शौचालय भी जाते, और खुले आसमान के निचे फुटपाथो में भी नही सोते|जिससे की सबसे बड़ी देश परिवार समाज की इज्जत भी बची रहती बिना छुवा छुत के और बिना सर में मैला ढोये|क्योंकि बिना भेदभाव की जिवन उस इज्जत से भी बड़ी होती है जो खुले आसमान के निचे शौच करके नही जाती है अपना पिछवाड़ा दिखाकर|पिछवाड़ा तो हर कोई दिखलाता है जन्म लेते ही,कोई सुटबुट लगाकर और रुप श्रृंगार करके अपनी माँ की कोख से जन्म नही लेता है कि ये कह दे कि सिर्फ रेल पटरी या खेत में पिछवाड़ा दिखलाने से देश की इज्जत चली जाती है|जो यदि इज्जत लुटने की बात हो रही है तो सबसे ज्यादा इज्जत लुटेरो द्वारा दरवाजा बंद करके लुटी जाती है और गांव से ज्यादा विकशित शहरो में लुटी जाती है, जिसकी विकसित खंडहर भरे पड़े हैं इतिहास में और वर्तमान में भी, ये बात हम सबको पता होनी चाहिए|क्योंकि बड़े बड़े लुटेरे सबसे अधिक लुटपाट खजाने की दरवाजा बंद अमिरी को ही देखकर करते रहे हैं ये इतिहास भी दर्ज है|यकिन न आये तो झांकी के रुप में सिर्फ गोरो की ही लुटपाट की इतिहास के बारे में पता कर लेनी चाहिए कि वे कहाँ कहाँ अपनी गंदी नजर रखकर दरवाजा बंद करके गेट में कुत्तो और इंडियनो का अंदर आना मना है बोर्ड टांगकर डेरा डाले हुए थे|बल्कि आज के भी सबसे बड़े बड़े लुटेरे शहरो में ही ज्यादे डेरा डाले हुए हैं कि गांवो में?और यदि शहरो में डाले हुए हैं तो किसकी इज्जत ज्यादे जा रही है शहर कि ग्राम की?जिस इज्जत को लुटने वाले किन लोगो की आस पास में उनके जैसे ही दरवाजा बंद करके रहते हैं,जिनसे सबसे अधिक खतरा है देश और प्रजा को?जिनके लिये सबसे अधिक पुलिस प्रशासन भी सबसे अधिक लगाई गयी है,चाहे तो पता करके जान लिया जाय कि पुलिस और जवानो को सबसे अधिक तैनाती दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद शहरो में ज्यादे की गयी है कि ग्राम पेड़ के निचे झाड़ के पिच्छे शौच करने वालो की सुरक्षा में पुलिस और जवान सबसे अधिक तैनात है|जो बात अबतक भी जिन्हे समझ में न आयी हो तो आगे जिसे भी दुसरो के साथ साथ अपनी भी पिछवाड़ा खुले में न देखनी हो तो वह अपनी पैंट पहने या खोले दरवाजा बंद करके बंद घर में ही हगे मुते नहाये धोये कुछ भी करे पर ग्रामीण भारत को ये कहकर बदनाम न करे कि खुले में शौच करने वाले लोग देश को बदनाम कर रहे हैं|क्योंकि सबसे अधिक बदनामी देश को भ्रष्टाचारी अथवा विदेशी बैंको में गुप्त खाता खोलकर कालाधन जमा करने वाली लिस्टो, जैसे कि देश विदेश में जो पनामा लिस्ट,स्वीज,जर्मन लिस्ट,और देश में कथित आकाश पाताल जमिन अंतरिक्ष सब जगह घोटाला करने वालो की लिस्टो में जो नाम देश के बड़े बड़े कथित महानायको का भी नाम पनामा लिस्टो में आने से सबसे बड़ी बदनामी होती है |जिनमे से सायद ही कोई खुले में शौच करता हो रेल पटरी या फिर खेतो में|जाहिर है इन लिस्टो में जो भी सचमुच का बड़ा भ्रष्टाचारी है वह कम से कम रेल पटरी या खेतो में तो शौच नही करता है, बल्कि दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर विकाश की खाल ओड़े शहरी और ग्रामिन दोनो को ही सबसे बड़ी बदनामी दे रहा है गुप्त दरवाजा बंद करके कालाधन का सबसे बड़ा अंबार लगाकर |जिसका नकाब या खाल जिसदिन भी उतर जायेगी पुरी तरह से उसदिन सारे बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे और उनका सारा चोरी और लुट का धन भी जब्ती होगी|उसके बाद दरवाजा बंद नही सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारी को बंद करो तो सबसे बड़ी बिमारी बंद कहते हुए जन्म से लेकर मरन तक उसकी साफ सुथरी कपड़ा कभी उतरे ही न यैसी चमत्कारी सर्जरी कर दी जाय कुछ लंगटा राजा वाली कहानी की तरह|या फिर वह लंगटा राजा जहाँ कहीं से भी अपनी लुटपाट का नेतृत्व कर रहा है, वह अपनी आँख में ही ऐसा चमत्कारी चस्मा लगा ले कि उसे कोई नंगी चीज दिखाई ही न दे जैसे की लंगटा राजा को भी दिखाई ही नही दे रही थी की वह खुद नंगा होकर प्रजा के बिच सिना ताने घुम रहा है|जिसे सब चीजे ढकी ढकी दिखाई दे रही थी,और प्रजा राजा का सबकुछ देखकर भी अनदेखा करके मानो खुशी के मारे नाच गा रही थी|लेकिन तभी एक बच्चे ने उस लंगटा राजा को भिड़ के बिच टोक दिया कि उसने कुछ भी नही पहना है|जो काल्पनिक कहानी अब भले कभी भी मुमकिन नही है,पर इस कहानी से हमे सबक जरुर लेते रहनी चाहिए रोजमरा की जिवन में आस पास घट रही चीजो को सत्य की तराजू में तौलकर|जिस तरह बिना तौले मेरी बात जिनको भी समझ में न आ रहा हो वे जब कभी भी देश या विदेश कहीं भी अपने घर से बाहर जाये कुछ दिन के लिये तो वे जिस जगह भी खाना पीना हगना मुतना नहाना धोना और सोना करे वे अपने मन से खुद ही प्रयोगिक रुप से ये सोचकर अपने लिये चयन करे कि अभी की सेवा में उनको मुलता दो प्रकार की सुविधा मिली है मान ली जाय, जिसमे से किसी एक को उन्हे अपने लिये चुन लेनी है|एक तो दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद शौचालय और दुसरा उसे दरवाजा बंद करके सो जाने के लिए घर दी गयी है|जिन दोनो में एक को चुनना है|उसी तरह दुसरी सुविधा और सेहतमंद सहायता के लिए उससे पुछा जा रहा है कि एक तरफ योग की सारी व्यवस्था है और दुसरी तरफ खाने पिने की सारी व्यवस्था है|जिसमे से आपको योग या खाना पीना में से किसी एक को चुनना है,या तो रोज भोजन कोरो या फिर रोज भुखे पेट योग करो|क्योंकि दुसरा उपाय आपको खुद इंतजाम करनी है खाली जेब गरिबी भुखमरी में जिकर|क्योंकि अजादी के सत्तर साल बाद भी अब भी इस देश में चालीस करोड़ बीपीएल भारत भुखे पेट सोने को भी मजबूर है और करोड़ो तो खुले आसमान में भी सोने को मजबूर है|यानि या तो दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद सुनकर वहीं पर खाकर वहीं पर सो जाओ या फिर खा पीकर घर में बिना योग किये ही सो जाओ खुदकी रोजमरा जिवन की मेहनत मजदुरी किसान काम धंधा भागदौड़ वगैरा करके|जैसे कि करोड़ो गरिब लोग बिना रामदेव के साथ उछल कुद योग किये भी मेरे ख्याल से रोज जितना कम में गुजारा कर लेते हैं उस बजट के अनुसार उनसे ज्यादा सेहतमंद भी रहते हैं भुखे पेट या आधा पेट खाकर भी|जिनकी पुरी दिनचर्या ही कठिन मेहनत मजदुरी करके मानो योग में बितती है|जो यदि जमिन में सोते हैं और उनके खाता में बैलेंस नही है कहते हैं तो उन्हे बीपीएल कार्ड की मान्यता भी मिलती है, और उनकी सारी जिवन बिना हवाई सफर,बुलेट ट्रेन सफर और महंगी वाहन सफर के बिना ही कटती रही है|चाहे तो रामदेव अपनी रोज की निजि बजट से उनकी बजट से तुलना करके देख ले|रही बात उनके लिये इन बुरे दिन और बुरे हालातो में शौचालय या घर दोनो में से किसी एक को चुनने की तो इस देश की सभ्यता संस्कृति कृषि प्रधान रही है,जिसमे पशु पक्षी और बाकि जिव जंतुओ के साथ साथ इंसान द्वारा भी खेत में शौच करके कृषि हरियाली पैदा की जाती है,और इसके बाद भी सम्मान पुर्वक बिना किसी सिकंदर की तरह बाहर घुम घुमकर दुसरो की झांके बगैर घर में या गर्मियो के दिनो में प्राकृतिक एसी का अनंद लेने के लिए किसी घर आंगन पेड़ के निचे ही सोकर परिवार समाज बसाने को ज्यादा महत्व दी जाती है, न कि स्थिर कृषि घर आंगन ही न हो और पुरी दुनियाँ घुम घुमकर घर की नीव और पेड़ के बजाय टेंट गाड़ते फिरो, मानो चिड़ियाघर वाली पिंजरे की तरह अस्थाई शौचालय बनाते फिरो ,जिसमे सोना खाना पीना हगना मुतना सब करो पर कृषि घर और समाज मत बनाओ |जिन पिंजरो और टेंटो का कोई स्थिर ठिकाना नही की कब उसकी विस्थापन का समय आ जाय|जिस तरह की कबिलई घुमकड़ टेंट सोच वाली सरकार की वजह से ही तो इस स्थिर कृषि प्रधान देश में भी करोड़ो लोग आज इधर से उधर और उधर से उधर भटकते हुए फुटपातो में भी सोने को मजबूर हैं गोरे कबिलई घुमकड़ लुटेरो से अजादी के सत्तर साल बाद भी|क्योंकि पुरी अजादी नही मिली है इस कृषि प्रधान देश को|जिसके चलते मर जवान मर किसान बुरे हालात को बदलकर सबके अच्छे दिन लाने की बाते करने वाली ये झुठी भाजपा सरकार भी चूँकि कांग्रेस युक्त पहले से ही है भितर भितर ,इसलिये ये भी उसी कबिलई सोच की परंपरा को ही मानो नया अपडेट करके आगे बड़ा रही है|जिन दोनो ही पार्टी की दबदबा में अथवा इनकी कबिलई सोच की केन्द्र में सरकार रहते बल्कि इन दोनो के द्वारा प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष की भुमिका निभाते हुए भी कभी ये कृषि प्रधान देश वापस सोने की चिड़ियाँ अपडेड होकर विकाश की न०1 उड़ान नही भर सकती|क्योंकि इन दोनो ही पार्टी की भितरी सोच कृषि प्रधान मुल रुप से कभी नही रही है | जिसके चलते एक तो आधुनिक भारत करके मुठिभर के लिये आधुनिक कृषि प्रधान देश की सारी सुख सुविधा साठ सालो तक प्रदान कराती रही थी मर जवान मर किसान बुरे हालात पैदा कराकर,बजाय इसके की इस कृषि प्रधान देश में सुख शांती और समृद्धी जिवन हरियाली पैदा कराती|जो न करके मुठिभर को हर साल एक एक को एक छोटी मोटी राज्य की बजट जितनी बड़ी राशि छुट और माफी के रुप देकर बहुसंख्यक अबादी के बिच भारी गरिबी भुखमरी पैदा करती रही है|क्योंकि टेंट गाड़ने वाली सोच एक छोटे से दायरे तक ही सारी सुख सुविधा प्रदान करने की होती है,इसलिए वे मुठिभर लोगो की ही फायदे के लिए ज्यादेतर सोचते रहते हैं अपनी कबिलई सोच से|जो सोच जो लोग मजबुरी की वजह से टेंट गाड़ रहे हैं उनके लिए मैं ये टेंटवाली बात नही लिख रहा हुँ|जो लोग तो अभी मेरे लिए मानो इस सागर कृषि प्रधान देश को मिली अधुरी अजादी की वजह से विस्थापित या बंजारा बनकर भटकने को मजबुर किये गये हैं, उन्हे मैं नही कह रहा हुँ ,जिन्हे तो ये कबिलई सोच की सरकार अजादी से अबतक मजबुर करती आ रही है|बल्कि उन्हे कह रहा हुँ जिनकी भितर में ही मुठिभर बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की झुंड को लेकर बोरिया बिस्तर और टेंट धरे बस इधर उधर घुम घुमकर और फिर कृषि समृद्धी को चुसकरके अपनी कालाधन पोटली भरने की सोच अब भी रही है,जो कि कृषि प्रधान देश में भी अबतक रहकर नही गयी है|जो सायद अब तबतक जायेगी भी नही जबतक की वापस अब जो उन्हे कृषि प्रधान देश के मुलवासियो ने मानो अपनी कृषि सभ्यता संस्कृति की सत्ता ताज पहनाकर अपने सर में हजारो सालो से मैला तक भी ढोने को मजबुर हैं,वे अब वापस अपना कृषि प्रधान सत्ता ताज लेकर उन्हे अपनी पुरानी असली रुप प्रदान करके अथवा सोने की चिड़ियाँ वापस अपनी कृषि प्रधान ताज पहनकर अपडेट करे|क्योंकि कबिलई सोच को बदलने की कृषि ज्ञान  देते देते मानो विश्वगुरु कबिलई द्वारा ही कैद होकर रह गया है ,और अबतक कैद से पुरी तरह अजाद भी नही हो पा रहा है कबिलई की कैद से|जिसे पुर्ण अजाद होना जरुरी है,तभी ये कृषि प्रधान देश फिर से विश्वगुरु की उपाधि को प्रयोगिक पुर्ण  रुप से वापस ले पायेगा,और उसके बाद ही पुरी दुनियाँ से भी गरिबी भुखमरी मिटाने की ज्ञान पुर्ण अजाद विश्वगुरु पुर्ण रुप से ज्ञान बांटकर पुरे विश्व में सुख शांती और समृद्धी कायम होगी,जिससे की मानवता और पर्यावरण में भी स्थिर कृषि संतुलन आ जायेगी|जिस बात को यदि पुरी दुनियाँ यदि और भी अच्छी तरह से प्रयोगिक रुप से जानना चाह रही हो,खासकर योग से सब रोग खत्म की जा सकती है कहने वाले,जिसमे रामदेव बाबा भी एक है जो अगली विश्व योग दिवस आने से पहले इसबार एक सप्ताह भुखा जरुर रहे,जिसकी थाली में कई सारे विटामिन होते हैं | मैं उन्हे कोई भुख हड़ताल करने के लिये नही कह रहा हुँ,जैसा की भ्रष्टाचार और अन्य कई बड़ी बड़ी अपराध के खिलाफ चलाई गयी आंदोलन में रामदेव और अन्ना हजारे के अलावे भी कई अन्य लोग कई कई बार भुख हड़ताल कर चुके हैं|बल्कि मैं उस तरह की भुखा रहने के लिये कह रहा हुँ जैसा की इस देश में अजादी के सत्तर साल बाद भी आजतक लाखो करोड़ो नागरिक हर रोज गरिबी की वजह से भुखे पेट ही सोने को मजबूर  हैं| बल्कि अगली सुबह भी उन्हे मालूम नही रहती की उसदिन भी भरपेट भोजन खाने को मिलेगी भी की नही मिलेगी? कहीं फिर से दुसरे दिन भी पैसे न रहने और काम न मिलने की वजह से उन्हे भुखा पेट तो नही सोना पड़ेगा घर का दरवाजा बंद करके|वह भी अगर घर है तो कम से कम भुखा पेट दरवाजा बंद करके पुटपाथ की डेंजर और अपमानित हालातो में तो सोने से बच जायेगा|नही तो कोई डीजिटल गाड़ी कुचल देगी और बदले में एक अपनी अलग ही सुर में  ये कह देगा कि फुटपाथ में कुत्ते की मौत मारा गया|जिस तरह की डेंजर और अपमान भरी बुरे हालात से तो कम से कम बचेगा,भले उसके अच्छे दिन न आये भुखा पेट के बजाय भरपेट खाकर दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद वाली प्रचार देख सुनकर शौचालय जाने की|हलांकि कुत्ते की मौत मारा गया कहने वाले को अपने भितर की इंसानियत से एकबार जरुर पुछनी चाहिए की वह जिसकी रोटी खाता है सुर गुनगुनाकर सुनाकर उस लिस्ट में जिसे वह कुत्ता कहा है उसकी भी तो नाम नही है शामिल उसकी सुर सुननेवालो के लिस्ट में?और अगर शामिल है तो फिर वह रोज किसकी रोटी खाता है अपनी अलग ही भाषा में?क्योंकि मेरे ख्याल से तो गरिब ही सबसे अधिक मनोरंजन के लिये फिल्म भी देखता है और गाना भी सुनता है,भले भुखा पेट सोता है|चाहे तो पता कर लिया जाय सबसे अधिक मनोरंजन करने वाले दर्शक अमिर होते हैं कि गरिब?जो यदि फुटपाथ पर सो रहे गरिब बेघर नागरिको के उपर किसी अभिनेता की गाड़ी चड़ने पर हुई मौत को,और फिर  एक गायक द्वारा कुत्ते की मौत बताकर अपमानित करने की विरोध में, फिल्म देखना और संगीत सुनना यदि बंद कर दे, तो फिल्म दिखाकर और संगीत सुनाकर अन्न रोटी खाने वालो की एक भी फिल्म न देखकर, और एक भी संगीत न सुनकर क्या हाल हो जायेगी मनोरंजन उद्योग की?मेरे ख्याल से तो सायद फिल्म और संगीत उद्योग ही नही बल्कि पुरे देश में ही तनाव छा जायेगी इस बात को लेकर|वैसे भी कुछ दिनो के लिए भी जितना कुछ तनाव छाया था फुटपाथ पर सोनेवालो को कुत्ते की मौत मारा गया कहने पर ये क्या कम थी|बल्कि मैं तो कहता हुँ इस तरह की विचार मन में रखकर मनोरंजन कराने वालो की जिवन में बहुतो के साथ फुटपाथ में भी सोने की नौबत आ जायेगी यदि गरिब मनोरंजन करनाऔर गाना सुनना बंद कर दे उनकी ये कभी नही भुलनी चाहिए कुत्ते की मौत मारा गया कहने वाले को|जिस तरह की बुरे हालातो में भी कैसे शांत मुद्रा में मर रहा है और निंद में भी कितनी बेदर्दी से मारा जा रहा है,ये तो वही जान सकता है जिसके परिवार में गरिबी भुखमरी से मौते हुई हो|जिस तरह की मौत को रामदेव को भी बेहत्तर तरिके से एक सप्ताह भुखा रहकर उछल कुद योग करने के बाद आगे भी कई कई दिनो तक बिना कुछ खास प्रकार की फल फुल और सब्जी वगैरा खाये कुपोषित होकर योग दिवस के दिन कपाल भाती और बाकि आसन, देश के उन करोड़ो कुपोषित बुढ़े जवान नर नारी,खासकर भुखमरी का शिकार बच्चो को कपाल भाती और उछल कुद रोज कराकर, उनकी भुखमरी से होनेवाली समस्या और बिमारी को भी ये कहकर दुर करने की प्रयाश करे, कि योग से भुखमरी और गरिबी कुपोषन भी दुर होगी और सबकी आर्थिक स्थिती भी ठीक होगी|और खुदकी उदाहरन देते समय सबको ऐ भी अश्वासन दे कि देखो मैं कुछ नही खाता पर किस तरह से सेहतमंद हुँ,और रोज घंटो उछल कुद करता रहता हुँ|मेरी तरह तुम भी रोज बिन खाये उछल कुद करने लगोगे अगर भुखमरी और गरिबी का शिकार होकर भी मेरे साथ खाली पेट सुबह शाम योग करोगे|जिस तरह की प्रवचन देनेवाले रामदेव बाबा को तमाम कुपोषित और गरिबी भुखमरी का शिकार लोगो की ओर से रामदेव और उनके उन तमाम संर्थको को,जो भी ऐ कहते हैं की योग से सब ठीक हो जायेगा,गरिबी और भुखमरी भी दुर होगी,तो उनको मैं भी अपनी तरफ से सुझाव और राय देता हुँ कि राजयोग के जरिये अच्छे दिन लाने की सरकार का तीन साल तो हो गया,जो कभी अजादी के समय पुरे देश की जब चालीस करोड़ जनसंख्या थी, उस समय कांग्रेस के नेतृत्व में आधुनिक भारत और बाद में गरिबी हटाओ का नारा देकर, वर्तमान में अब भाजपा नेतृत्व में भी साठ महिने साईनिंग इंडिया के बाद तीन साल डीजिटल इंडिया का नारा देते देते, देश और जनता के अच्छे दिन लाते लाते ,अजादी के समय पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ से अब चालीस करोड़ बीपीएल भारत विकाश सफर तय करते हुए अपडेट गरिबी भुखमरी डीजिटल बीपीएल कार्ड  हो गई है,जिसके डीजिटल बीपीएल कार्डो का सुख दुःख में शामिल होकर रामदेव और तमाम मंत्रीगण और उच्च अधिकारी कम से कम एक महिना आधा पेट खाना उन्ही कार्डो से मिली राशन पानी खाकर और बिच बिच में भुखे पेट भी सोकर बिताने के बाद कुपोषित होकर उछल कुद और कपालभाती योग करके गरिबी और भुखमरी को दुर करने का प्रयाश करके देख ले उनके अच्छे दिन|क्योंकि तीन साल में कुछ नही हुआ तो अब दो साल में मर जवान मर किसान बुरे हालात को बदलकर सबके लिए अच्छे दिन लाने की जो भाषन अश्वासन रामदेव के भी मंच से हुई थी, वह सब वादे भी पुरे नही होने वाले हैं,और न ही रामदेव जो दुनियाँ की सबसे भ्रष्ट पार्टी कांग्रेस है कहकर कांग्रेस के भ्रष्ट नेतृत्व को भाजपा सरकार आने के बाद शीर्ष आसन कराकर जेल में डलवायेंगे कहकर बड़ी बड़ी बाते भाजपा के साथ मंच साझा करके मीडिया और प्रजा दोनो के सामने लाईव कही गयी थी दोहरा दोहराकर,उसे यदी प्राण जाय पर वचन न जाय अब कहकर भी रामदेव और भाजपा पार्टी सारे वादो और बातो को पुरा करनी भी चाहे तो भी अब उनकी बातो और वचनो पर कम से कम मैं तो कतई भी विश्वास नही करुँगा और यही कहुँगा कि अब बचा समय में चाहे जितना रामदेव योग करा ले पुरी सरकार को भी अपने योग मंच पर लाकर और चाहे जितनी जड़ी बुटी और पतंजली की पोषन युक्त दवा दे खुदको और सारे मंत्री और उच्च अधिकारियो को|कपालभाती करे या भांती भांती का अपनी तर्क दे मीडिया या कोई अन्य माध्यम से कि दो साल और बचे हैं इस सरकार की जरुर अच्छे दिन आयेंगे, और कालाधन जब्ती के साथ सारे भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे, और पनामा व स्वीज बैंक लिस्ट का फाईनल फैसला भी आऐगी|सच्चाई तो यही है कि कांग्रेस की तरह भाजपा सरकार भी फेल हो चुकी है|और रामदेव भी फेल हो चुका हैं अपने वादे और सलवार सुट पहनने को मजबुर करनेवाली कांग्रेस को जवाब देने की इरादो पर| जिस कांग्रेस के कई नेता और मंत्री भाजपा युक्त हो चुके हैं|जो यदि पहले कांग्रेस में रहकर दुध दही खाये होंगे तो अब भाजपा युक्त होकर मखन मलाई खा रहे होंगे|वैसे तो भाजपा के साठ महिने की साईनिंग सरकार पहले भी केन्द्र में शासन कर चुकि है इसलिये इसबार की भी चुनी गयी साठ साल बनाम साठ महिने की सरकार फिर से कोई खास बदलाव नही ला पायी गरिबी भुखमरी और मर जवान मर किसान के बुरे हालात मामले में,इस बात पर तो जरुर आश्चर्य नही होनी चाहिए उन लोगो को जिन्होने भाजपा को कभी भी अपनी पसंद माना ही नही है देश और प्रजा की अच्छे दिन लानेवाली पार्टी के रुप में|बल्कि जिन्होने भाजपा को वोट दिया है उनके सामने ही तो वापस वोट मांगने जाने के लिये भाजपा अब 2019 में होनेवाली लोकसभा चुनाव से पहले अपनी गलतियो की समीक्षा करेगी |जिसमे तो निश्चित तौर पर यही नतिजा मेरी तरफ से आयेगी कि ये सरकार अपने इसबार की शासन के दौरान झुठ बोलने में भी रिकार्ड तोड़ भाषन दी है|जो बिच बिच में आयी बाकि भी चुनाव प्रचार या जब भी ऐसी जुमलाबाजी करने का मौका मिली है,जिसमे की जनता को खुश करने और वोट बटोरने के लिए बाते की गई है,तो भाजपा की सरकार मानो चुनाव जितने की जस्न और फिर से वोट बटोरने की कुटनिति मोड में ही हमेशा भितर से रही है|जिसके कारन शासन के दौरान प्रजा की सेवा होने के बजाय शोषन अत्याचार ज्यादा हुए हैं|जिसका सबसे बड़ा प्रमाण तो मैं अपनी निजि अनुभव के हिसाब से खुदकी जिवन में ही पिछलीबार के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने जिस तरह अपनी शासन के दौरान शोषन के रुप में दुःखो का पहाड़ दिया था,और मैने अपने दोस्त रिस्तेदारो और घर के सारे सदस्यो को भी ऐ कहा था कि जिस तरह की दुःख इस परिवार को कांग्रेस सरकार ने दी है, उससे उसको इसबार अपनी कुकर्मो की सजा या प्राश्चित के लिए जाना निश्चित हो गया है|जो मेरी बात को नही माने थे भले चाहे जितने कांग्रेस विरोधी थे,जो अब मेरी जानते हुए भाजपा में चले गये हैं, जो कि स्वभाविक था,जिसके लिये मैं आश्चर्य कभी नही करता,क्योंकि मैं कांग्रेस भाजपा दोनो को ही एक ही सिक्के के दो अलग अलग ब्रांच पार्टी भी मानता हुँ,जिसका मोल एक का ही देता हुँ| वैसे भाजपा और कांग्रेस के भी ज्यादेतर समर्थक इन दोनो ही पार्टियो को मानो ब्राच पार्टी मानकर ही कभी कांग्रेस तो कभी भाजपा को ही वोट करते हैं|जिसकी चुनाव विश्लेषन में भी ये बात सामने आती है कि भाजपा के वोट कांग्रेस में गयी इसलिए वह चुनाव भारी बहुमत से जीत गयी या फिर कांग्रेस का वोट भाजपा में गयीइसलिए वह भारी बहुमत से चुनाव जीत गयी जैसा की 2014 के भी लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से भाजपा चुनाव जीती थी कांग्रेस का वोट लेकर|खैर पिछलीबार की कांग्रेस सरकार की तरह इसबार भी चुँकि मैं और मेरा परिवार भाजपा सरकार से दुःखो का हिमालय झेलें है,जो की स्वभाविक था ,क्योंकि भाजपा कांग्रेस का ही दुसरा रुप है जैसा की मैने पहले बतलाया|जिसके कारन जाहिर है कांग्रेस सरकार के समय दिए गए जख्मो वाली बुरे दिन में भाजपा की सरकार जख्मो में नमक छिड़कर बुरे दिन दिए हैं | इसलिए निजि तौर पर कह सकता हुँ कि इसबार भाजपा भी 2019 में कांग्रेस से भी बुरी हार का सामना करेगी यदि मेरी तरह इसबार भी बहुसंख्यक जनता अपने और अपने देश के जख्मो में नमक छिड़का महसुस कर रही होगी|पर दिए गए जख्मो में उम्मिदो का मलहम लगाने के लिये इसबार इन दोनो ही भाजपा और कांग्रेस पार्टी को सजा और प्राश्चित दिलवाने के साथ साथ ऐ सिख देना भी जरुरी हो गयी है कि सिर्फ कथनी भर कह देने से गरिबी नही हटती और न ही अच्छे दिन आते हैं|बल्कि सत्ता पावर मिलने के बाद उस कथनी को करनी में भी परिवर्तित करनी पड़ती है| तब जाकर गरिबी भी मिटेगी और सचमुच में देश और प्रजा की अच्छे दिन भी आयेंगे|सिर्फ प्रजा की कृपा से मंत्री पद की शपथ लेकर गाड़ी बंगला से लेकर सारी सुख सुविधा अपने लिए प्राप्त करने के अलावे अब तो पंद्रह से बिस लाख का सुटबुट भी पहन लेने से सबके अच्छे दिन नही आयेंगे,बल्कि सबके अच्छे दिन तब आयेंगे जब प्रजा ने जो भारी बहुमत वोट कृपा कि है उसे सेवा वापसी में सरकार की तरफ से भी सेवा और कृपा बरसाई जाय जिससे की गरिबी और भुखमरी भी मिटे और मर जवान मर किसान बुरे दिन भी जाकर सबके अच्छे दिन भी आए|जैसे कि यदि मुझे कोई मेरे ही बातो को वापस करके मुझसे यदि कहता कि मैं भी केन्द्र सत्ता में रहता तो यही करता तो उन लोगो को मैं अभी भी प्रयोगिक रुप से शपथ लेकर बतला सकता हूँ कि मुझे यदि यैसा कुछ मौका मिलता तो मैं गरिबी भुखमरी दुर करने के लिये अनगिनत नियम कानून बनाने के बजाय शपथ लेकर सबसे पहले प्रजा को जिस तरह क्या धन्ना क्या गरिब दोनो को ही एक एक वोट देने का अधिकार प्राप्त है,उसी तरह अभी जो भेदभाव बजट बनाकर एक तरफ तो एक एक धन्ना को एक छोटी मोटी राज्य के बजट जितनी बड़ी राशि छुट और माफी के रुप में दी जाती है जबकि बाकियो को नाम मात्र हजार बजार रुपये की सब्सिडी के नाम से छुट और माफी दी जाती है,उस भेदभाव निति को समाप्त करके सभी नागरिक को हर साल हजारो करोड़ न सही पर कम से कम एकबार तो एक एक लाख रुपया सबके खातो में जो की आधार कार्ड से लिंक रहती उसमे डालने जा रहा हुँ सार्वजनिक घोषना करके डाल भी देता और जिनका खाता आधार कार्ड से लिंक नही है या फिर बैंक खाता ही नही है उसे जल्द खोलने के लिये किसी जनगनणा की तरह घर घर विशेष पहुँच सुविधा प्रदान करता,ताकि उनको भी एक एक लाख मिल सके न कि सिर्फ धन्ना कुबेरो को ही हर साल एक एक को हजारो करोड़ की बड़ी राशि छुट और माफी के रुप में मिले|बल्कि हर साल धन्ना कुबेरो को जो कई कई लाख करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च करती है सरकार,उसे न करके उन धन्ना कुबेरो को भी और गरिब मध्यम सबको एक समान राशि उनके खातो में डालता उनके हक अधिकार की हिस्से की राशि के रुप में|खैर बिना खुद सरकार बने इस तरह की बाते करना प्रजा को फिल्मो में ही मुमकिन लगती है इसलिए फिलहाल तो बाकि क्या करता विकाश के नाम से ये तो खुद प्रजा पता करे मेरे विचारो को जानकर और खुदकी विचारो को भी जानकर कि वे क्या करते यदि सरकार होते?मेरे लिये तो सबसे पहले गरिबी भुखमरी दुर करके उस सोने की चिड़ियाँ को अपडेट करना है, जो पहले से ही जड़ से अमिर है पर चालीस करोड़ बीपीएल भारत है|जिसकी गरिबी दुर करके सोने की चिड़ियाँ अपडेट करने के लिये साठ महिना साईनिंग इंडिया के बाद अब तीन साल डीजिटल इंडिया में भी ऐसा कुछ नही कर सकी सरकार तो बाकि बचे दो सालो से भी कम का समय में अब ऐसा क्या कुछ होने वाले हैं जिससे की देश और प्रजा की अच्छे दिन आने वाले हैं|बल्कि बचे हुए दिन में तो अब ये जुमलाबाजी सरकार अपनी नयी जुमलाबाजी की अपडेट तैयारी में जुट जायेगी और कैसे बुरे दिन को अच्छे दिन बताकर फिर से इसी तरह का अच्छे दिन लायेगी ये भाजपा सरकार इसकी चुनावी परिक्षण सुरु हो जायेगी|जिसमे प्रमुख रुप से इसबार फिर से दुबारा भाजपा को ही वोट करें इस प्रकार की वोट ठगने की नयी तैयारी सुरु हो जायेगी|क्योंकि जो गरिब सबके अच्छे दिन आयेंगे सुनकर भाजपा को वोट देकर भाजपा सरकार के आने के बाद डीजिटल इंडिया सुनते देखते गरिबी भुखमरी से मर गया उसका पुरा परिवार ही अब फिर से एक बार गरिबी हटाओ की कांग्रस सरकार की तरह भाजपा सरकार से भी खुदको ठगा ठगा सा महसुस कर रही होगी |जो यदि नही कर रही होगी तो और क्या कर रही होगी कि फिर से अपकीबार ऐसी ही गरिबी की मार कहकर भाजपा को ही 2019 में वोट देने की तैयारी में जुट जायेगी गरिब प्रजा?जिस सरकार के मंत्री और उच्च अधिकारी एक भी भुखमरी और कुपोषन से नही मर रहे हैं,जिनकी संसद में कभी किसी सेवक मंत्री और उच्च अधिकारी की भुखमरी और कुपोषन से मौत होने की वजह से दो मिनट की मौनवर्त नही रखी गयी हो कभी,जबकि कहने को तो चुनाव के समय गरिब जनता मालिक और खुदको नौकर बताकर वोट मांगते हुए सबके अच्छे दिन लाने की भाषन और अश्वासन होती है,पर सच्चाई ए है कि वही जनता मालिक हर रोज भुखमरी और कुपोषन से हजारो की तादार में मरते हैं,और हर रोज मर जवान मर किसान बुरे हालात भी कायम है|पर इन बुरे हालात में वही जनता मालिक झुगी झोपड़ियो और फुटपाथो में रहकर उधर बंगलो में रहनेवाला मंत्री और उच्च अधिकारी जैसे सेवको के गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत की खबर कभी भी मंत्री पद की शपथ लेने के बाद नही आने वाली है,भले ही क्यों न उससे पहले वे गरिबी में लड़ मरकर चुनाव जितने के बाद गरिबी को करिब से खुद भी जिने के बाद सबकी गरिबी दुर करने की भाषन अश्वासन पुरी जिवन देते रहे|जनता मालिक के अच्छे दिन लाने के लिए सिर्फ मंत्री पद की शपथ लेने या फिर उच्च अधिकारी बनते ही उनकी गरिबी और भुखमरी चंद दिनो या महिनो में ही क्यों दुर हो जाती है?जबकि अजादी से लेकर अबतक सत्तर सालो में भी आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ,और साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया का नारा देकर इतने साल जनता मालिक और देश की सेवा केन्द्र सरकार पर रहने के बाद भी क्यों नही गरिबी भुखमरी करोड़ो जनता मालिक और समृद्ध देश की नही दुर होती है?क्यों सिर्फ मंत्रियो और उच्च अधिकारियो की गरिबी चंद महिनो में ही छु मंतर करके गायब हो जाती है सेवक बनते ही?जिस तरह की जादुगरी ये सेवक जनता मालिक की गरिबी दुर करने में अपने पुरे कार्यकाल बल्कि जिवनभर भी क्यों नही छु मंतर कर पाते हैं?कभी किसी ने सुना है कि मालिक अपने सेवक को बंगला और जेड सुरक्षा देकर अपने लिए गरिबी और भुखमरी देनेवाली बुरे हालात चुनता है महंगी सेवक के रुप में?मेरे ख्याल से कोई भी ऐ कभी नही स्वीकारेगा कि असल जिवन में बंगला में रहने और जेड सुरक्षा वाला सेवक और भुखमरी कुपोषन से हर रोज हजारो की तादार में मरनेवाला जनता मालिक की असंतुलित रिस्ता के बिच में कभी भी अच्छे दिन आनेवाले हैं,जबतक की मंत्री और उच्च अधिकारी भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरने न लगे और रामदेव भी भुखमरी कुपोषन का शिकार होकर उछल कुद करते हुए कपालभाती करके जमिन पर रामलीला मैदान की तरह लेटकर डॉक्टरी इलाज के लिए जाने की स्थिति में योग करते हुए भुखमरी योग महसुस करके सबको योग के साथ साथ ये ज्ञान भी बांटने न लगे कि सरकार जबतक गरिबी और भुखमरी दुर नही कर देती तबतक दुनियाँ में कोई भी ऐसी योग वह सबको नही सिखला सकता जिससे की भुखमरी और कुपोषन से होनेवाली मौते रुक जाएगी योग करने से|चाहे जितना योग कर लो या जितनी बार कांग्रेस और भाजपा सरकार बदल लो|सबसे बड़ा योगी वही है जो सुख शांती और समृद्धी देश और प्रजा दोनो के लिये ला दे|जिसके बगैर सिर्फ युवा भारत कहते कहते बुढ़े होकर जाते और आते रहेंगे सरकार में मंत्री और उच्च अधिकारी,जैसे की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा देने के बाद बने मंत्री और अधिकारी समय के युवा भारत अब बुढ़ा मंत्री और उच्च अधिकारी होकर एकबार फिर से युवा भारत साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया का नारा लगाने वाले कल के बुढ़ापा में चालीस करोड़ बीपीएल भारत को ही अपडेट करने वाले हैं, यदि इसी तरह झुठे भाषन और अश्वासन देने वालो को चुनकर सरकार बनाने की सिलसिला चलती रही|जिसके बारे में मीडिया में या कहीं पर भी चाहे जो तर्क दो की इसबार गरिबी और भुखमरी दुर होगी और देश और जनता मालिक के अच्छे दिन आने वाले हैं|यदि भाजपा और कांग्रेस में से किसी एक को अगली चुनाव में भी भारी बहुमत से जीत हासिल हुई तो भी मैं और मेरे समर्थक कभी भी ये नही मानेंगे की ये भाजपा और कांग्रेस सरकार कभी  भी गरिबी और भुखमरी दुर कर पायेगी सिवाय मंत्री और उच्च अधिकारियो समेत मुठिभर को धन्ना कुबेर बनाकर उनकी गरिबी और भुखमरी दुर करेगी|जिससे पुरे देश परिवार की गरिबी और हर रोज गरिबी और भुखमरी से होनेवाली हजारो मौते नही रुकनेवाली है|और न ही मर जवान मर किसान के बुरे हालात बदलकर देश और करोड़ो जनता मालिक के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं,जबतक कि गरिब जनता मालिक की सेवा करते हुए मंत्री और उच्च अधिकारी भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरने लगे,ऐसी खबरे रोज न आने लगे|या तो वे जिस तरह की अपनी गरिबी दुर करके भरपेट खाकर जिवन जी रहे हैं,उसी तरह सबकी गरिबी भी दुर हो और कोई गरिबी की वजह से भुखा पेट भी न सोये|अन्यथा रामदेव भी मेरे पास एक रुपये का बैंक बैलेंस नही है कहकर अपने लिये बीपीएल कार्ड बनाकर कभी कभी भुखा पेट सोकर भी गरिबी और भुखमरी का शिकार होकर उछल कुद और कपालभाती योग करते समय बिना कसकर सांस लिये और बिना सांस बाहर छोड़े ही उसकी पेट की सारी अतड़ी और पंजर दिखने लगे ऐसा भी योग मंच सजे|साथ साथ योग करते समय ये भी पुछना न भुले की योग करने के साथ साथ सरकार तुम्हे भरपेट खाना पिना खिला पिला रही है कि नही?और अगर नही खिला पिला रही है तो फिर ये सरकार चुँकि रामदेव की सिफारिश सरकार भी है इसलिए सरकार के साथ रामदेव की भी हार है,कहकर रामदेव अपने मंच में भुखमरी और कुपोषन से हर रोज मर रहे लोगो की रिस्तेदारो के सामने ये स्वीकार करे की खासकर गरिब समर्थको को विश्वास में लेकर उनकी कही गयी बाते फेल साबित हुई है की कांग्रेस सरकार के जाने और भाजपा सरकार के आने से सबके अच्छे दिन आ जायेंगे और एक हजार लाख करोड़ कालाधन की जब्ती होकर उन्हे चुराकर रखनेवाले सारे भ्रष्टाचारी जेल जायेंगे|जो नही होने का मतलब साफ है कि इस फेल सरकार की जिम्मेवारी न तो भाजपा कभी लेनेवाली है और न ही रामदेव बाबा ही हर रोज गरिबी और भुखमरी से होनेवाली हजारो मौत और मर जवान मर किसान बुरे हालात को न बदलवा पाने की जिम्मेवारी लेनेवाले हैं,भले ही क्यों ना रामदेव और भाजपा के बिच मंच पर लाईव खास दो दर्जन समझौता हुई हो|न तो कांग्रेस गरिबी हटाओ का नारा देकर चालीस करोड़ बीपीएल भारत के साथ बार बार फेल सरकार साबित होकर भी दुबारा चुनाव में फिर से सत्ता में आने की सपने देखनी छोडनेवाली है़ कई दशक तक राज करने के बाद भी,और न ही भाजपा साठ महिने साईनिंग इंडिया के बाद तीन साल डीजिटल इंडिया सरकार का भी समय हो जाने के बाद ये अश्वासन देना छेड़ने वाले हैं कि और अभी दो साल बचे हैं,तबतक अच्छे दिन आ जायेंगे|काश की असल जिवन में इनकी कही गयी बाते काल्पनिक भारी बजट की फिल्म रुप की रानी चोरो का राजा की तरह भारी फ्लॉप सरकार साबित न होती मेरी नजर में|बाकि लोगो की नजर में ये सरकार कितनी हिट और सुपर हिट है ये तो वही लोग जाने पर मैं और मेरी बातो का समर्थन करनेवाले तमाम समर्थक कांग्रेस की तरह इस सरकार को भी सुपर फ्लॉप सरकार मानते हैं|जिसको चाहे जितनी मेकप कर लो जिस तरह गुलाब की सुगंध कोई अपने में छिड़ककर हमेशा गुलाब की तरह नही महक सकता उसी तरह ये सरकार भी अच्छे दिन लाने की सुगंध छिड़ककर अच्छे दिन आ गए हैं खुशबु की तरह लंबे समय तक नही महक सकती और न प्रजा को ज्यादा बहका सकती है अपने अपडेट जुमलाबाजी से|क्योंकी अच्छी सरकार जिस तरह किसी गुलाब को गुलाब की तरह महकने के लिए गुलाब की खुशबु लगाने की जरुरत नही पड़ती है उसी प्रकार कोई अच्छी सरकार को बार बार अच्छे दिन आ गए हैं की खुशबु फैलाने के लिए महंगी महंगी प्रचार और भाषन प्रवचन करने की जरुरत नही पड़ती है,बल्कि वह चारो तरफ अपनेआप ही अच्छेदिन आने की खुशबू आने लगती है|जो कि फिलहाल तो हर रोज मर जवान मर किसान और गरिबी भुखमरी से मौत की भी खबरे हर रोज आना बंद नही हुई है और न ही चालीस करोड़ बीपीएल के घर में अमिरी की खुशबु आने लगी है सिवाय मुठीभर लोग ही अमिर बन पा रहे हैं|जैसे की कोई लंगर बिठाकर मुठीभर को छपन भोग कराकर बाकियो को नोटबंदी की तरह कतार लगवाकर भुखे पेट सिर्फ अभी मिलेगा अभी मिलेंगे अभी आ रहा है भोजन अश्वासन का पत्तल धराकर भुखे पेट सब्सिडी गैस और भ्रष्टाचारियो की भ्रष्ट बदबू सुंघाकर मरने के लिए छोड़ दिया हो|गरिबी भुखमरी का शिकार जनता मालिक क्या करें बिना कुछ खाये दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर मिल रहा शौचालय में जाकर बैठा रहे ये सोचकर कि चलो इसबार कुछ नही निकला अगलीबार सायद बिना खाये निकल जाय|जो कतार लगाकर खाली पेट शौचालय में दरवाजा बंद करो तो बिमारी बंद कहकर भुखा पेट सेहतमंद जिवन और सरकार का इंतजार भी तो सभी के सभी नही कर सकते|क्योंकि भुखमरी और गरिबी से होनेवाली मौत इतिहास हर रोज दर्ज  हो रही है|जिसके बिच मुठीभर को कतार लगाकर छप्पन भोग खिलाने की भी इतिहास दर्ज हो रही है|जिसे आनेवाली नई पिड़ि परिवार के दोस्त रिस्तेदार गरिबी और भुखमरी के साथ साथ मर जवान मर किसान बुरे हालातो के बारे में पढ़ेंगे वे जरुर एकबार ये सोचना नही भुलेंगे की किस तरह की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ और साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया की नारा देकर भारी मतो से चुनकर आई भाजपा और कांग्रेस की सरकार के नेतृत्व में अच्छे दिन आते रहे लम्बे समय तक राज करने के बाद|जबकि बाकि पार्टियो को तो एकबार भी इस दौरान केन्द्र में नेतृत्व करना तो दुर प्रमुख विपक्ष दल कहलाने का भी मौका नही मिला सिवाय एक पार्टी को चंद समय तक सरकार बनाने का मौका मिलकर|जो भी अब भाजपा में खुदको विलय कर चुकी है अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर| फिलहाल बस इतना ही,चुँकि मैं लिखावट की साज सजा से ज्यादा ध्यान अपने विचारो को जल्दी से व्यक्त करने में ज्यादे ध्यान देता हुँ, इसलिए लिखने में पहले भी और आज भी अक्षर और चिन्ह वाली गलतियाँ बहुत सारी हुई होगी, जिनमे कि लगभग चौबीस हजार शब्द हैं,उन गलतियो के बावजुद भी मेरे विचारो को पढ़ने और समझने के लिए धन्यवाद!

मेरे आज के विचार सारांश जो मैं आज के बाद प्रत्येक पोस्ट में लिखुंगा:-"किसी के बिगड़ी भाषा और बिगड़ी अक्षरो में नही बल्कि उसके सोच विचारो से उनकी इंसानियत की पहचान करो क्योंकि बड़े बड़े बुरे लोग भी बड़ी बड़ी उच्च ज्ञान की डिग्री लिये हुए रहते हैं|"

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

कुछ सदस्य खुब सारा धन की रुप श्रृंगार करके अपनी रोजमरा जिवन को रंगीन करते रहते हैं ,और ज्यादेतर तो रोज पेटभर खाने पिने के लिए भी तरसते रहते हैं

गरिबी भुखमरी से अबतक पुर्ण रुप से अजाद न हो पाने की बजह से कुछ मुठिभर नागरिक तो देश के तमाम संसाधनो का भरपुर इस्तेमाल करके विदेशी भोग विलास में भी अक्सर लिप्त रहते हैं,जिसके चलते विदेशी बैंको में भी गुप्त खाता खुलती रहती है,जिसका कि कई लिस्ट आ भी चुकि है|जबकि दुसरी तरफ ज्यादेतर तो अपनी रोजमरा जिवन की मुल जरुरतो को भी पुरी नही कर पाते हैं!जाहिर है यदि किसी समृद्ध परिवार में सबके पास संतुलित हक अधिकारो का बंटवारा नही होता है तो आपसी तनाव या फिर आपसी बंटवारा की लड़ाई होती ही रहती है,जो परिवार विकाश की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है!क्योंकि किसी संयुक्त परिवार में भी यदि आर्थिक बंटवारा के रुप में कुछ को मोटी रकम बार बार मिलती रहे और बहुतो को मानो अठनी चवनी तो फिर परिवार में जिसे भी बार बार अधिक धन मिलेगा वह अमिरी सेखी मारेगा,और बाकि यदि उसकी तरह अमिरी सेखी मारना भी चाहे मसलन इस देश का चालीस करोड़ बीपीएल में से ही कोई यदि मैं भी सोने की चिड़ियाँ का नागरिक हुँ कहकर अमिरी सुख संसाधन लेना चाहे तो भी बिना खुद धन इकठा किए बगैर सिर्फ भेदभाव बजट बंटवारा धन से कभी भी अमिर नही बन पाऐगा!क्योंकि गोरो से मिली अजादी के बाद भी इस देश परिवार में अबतक भारी आर्थिक भेदभाव होना बंद नही हुआ है!जैसे की गोरो के समय जब देश गुलाम था तो भी एक तरफ तो भारी अबादी गरिबी भुखमरी और कुपोषन का शिकार होने के साथ साथ बाढ़ आकाल और सुखा से मरी जा रही थी और दुसरी तरफ मुठीभर गुलाम करने वाले गोरो की लुट मार मास्टर माईंड के स्वागत में भारी बजट खर्च करके जस्न मनाई जा रही थी!जैसे की इस समय भी एक तरफ तो भारी अबादी के लिए नाम मात्र का बजट बनाकर पिठ पिच्छे कुछ मांसिक विकृत लोग गरिबो को मिलनेवाली सब्सिडी को भी खैरात नही मिलनी चाहिए कहकर अपनी अमिरी की सेखी मारते रहते हैं,जिसमे भी खुद सरकार का ही नेतृत्व करनेवाले एक प्रधानमंत्री का ही खुद कहना है कि गरिब जनता तक जो सहायता पहुँचाई जाती है वह उनतक पहुँचते पहुँचते 85% चोरी हो जाती है!जिसका मतलब साफ है कि चोर लुटेरे उपर से लेकर निचे तक ऐसे मांसिक विकृत लोगो के विचार से मिल रहे खैरात सब्सिडी को भी मुँह मारने के लिए अपनी पहुँच बनाये हुए हैं!जो मिल बांटकर मानो कथित खैरात लुटेरा गैंग बनाकर पिड़ी दर पिड़ी खैरात चोरी को किसी कसाई या बुचड़ खाना की तरह अपना पेशा बनाकर चोरी करते आ रहे हैं!जबकि दुसरी तरफ जो मुठीभर अबादी के लिए देश का बजट का आधा से थोड़ा कम जितनी बड़ी राशि अथवा कई कई लाख करोड़ हर साल सबसे बड़ी राशि खैरात में खर्च की जाती है,क्योंकि फ्री का सरकारी राशि यदि खैरात है तो माफी और छुट भी तो फ्री का बिन हाथ फैलाये मिलनेवाली सरकारी खैरात ही तो है सब्सिडी को खैरात कहने वालो की ही सुझ बुझ से!जिन माफी और छुट के हिस्से से कितनो की खैरात चोरी होती है ये किसी से छुपी नही है!क्योंकि जैसा कि मैने बतलाया कि यदि गरिबो को मिलनेवाली सब्सिडी खैरात है तो मुठीभर धन्ना कुबेरो को जो भी धन सहायता या माफी के नाम से हर साल खर्च की जाती है उसे भी तो बिन मांगे मिलनेवाली खैरात ही माना जायेगा!बल्कि सबसे बड़ी खैरात,इतनी बड़ी खैरात की कई कई राज्यो की बजट बन जाय!जिसमे करोड़ो नागरिको को मिलनेवाली सब्सिडी भी शामिल है!जिसे कुछ मांसिक विकृत लोग खैरात मानते हैं|जो सायद अपनी माँ की दुध को भी खैरात ही मानते होंगे!क्योंकि मदर इंडिया द्वारा अपने नागरिक बच्चो को जिन्दा रहने के लिए और अपनी जिवन में सुधार के लिए जो हक अधिकार मिल रही है,उसे यदि खैरात कही जा रही है तो ऐसे लोगो की अपने माँ की दुध और माता पिता दोनो की ही वसियत को क्या माना जायेगा?जो यदि ये कहते हैं की धन्ना कुबेरो को मिलनेवाली सब्सिडी खैरात नही है| क्योंकि वे टैक्स देते हैं तो ऐसे मांसिक विकृत लोगो को क्या ये मालूम नही की देश में सिर्फ एक प्रकार का टैक्स नही है कि ये मान लिया जाय कि सिर्फ धन्ना कुबेर ही अकेले टैक्स देते हैं,बल्कि रोजमरा जिवन में भिखारी भी टैक्स देता है किसी न किसी रुप में ये टैक्स लेनेवाली सरकार को पता है!जिसके द्वारा दिए गए टैक्स की राशि भी हर साल धन्ना कुबेरो को मिलनेवाली छुट और माफी में शामिल रहती है|जिसे जानते हुए भी सरकार यदि धन्ना कुबेरो को हर साल देनेवाली छुट और माफी जितनी राशि एकबार भी यदि एक एक गरिब को दे दे तो मैं पुरी दावे के साथ कह सकता हुँ कि गरिब किसी धन्ना कुबेर से अधिक टैक्स हर साल चुकाएगा!न की कर्ज लेकर उसे बिना चुकाये घी पिने विदेश भाग जायेगा!कुल मिलाकर टैक्स चोरी हो या फिर कथित खैरात की चोरी,इन दोनो को ही चुराने वाला चोर वह पढ़ा लिखा लंगटा चोर है जो गरिबो के घर में चोरी करके पल रहा है और धन्ना कुबेरो का दुम हिलाना आदत बना लिया है!जिसे ही सबसे पहले आत्मनिर्भर होना पड़ेगा अपनी सरकारी और निजि नौकरी भी छोड़कर कुछ ऐसा काम धंधा करके जिसमे उसे टैक्स की चोरी और कथित खैरात की चोरी करने का मौका ही न मिले!क्योंकि सरकारी नौकरी करते समय सरकारी पद उसे कथित खैरात की चोरी करने का मौका देती है,और टैक्स की चोरी करने के लिए भी निजि तौर पर स्थापित गलत तरिके से कमाई के विभिन्न निजि रास्तो पर चलकर टैक्स की चोरी करने का मौका पैदा करके देती है!जिस तरह की मौको का सामना करके सबसे पहले उसे चोरी की लत को छोड़कर खुदको इस बात के लिए मजबुत करना होगा कि बिना कथित खैरात की चोरी और बिना टैक्स की चोरी किए ही सिर्फ अपनी श्रमधन की कमाई या हक अधिकार से मिली राशि मात्र से ही रोजमरा जिवन की जरुरत को जितनी बड़ी चादर उतनी बड़ी पाँव पसारकर पुरा करना होगा!न कि लालच या अति भोग विलाश करने की लत लगाकर उसकी पुर्ती करने के लिए जैसे कोई बेवड़ा अपनी नशा की पुर्ती करने के लिए उसके साथ साथ चोरी और अपनो के साथ भी अक्सर छिना झपटी करने की भी आदत डाल लेता है,उसी प्रकार ही अति भोग विलास करने वालो की भी बुद्धी जब भ्रष्ट हो जाती है और वे अच्छी खासी सरकारी कमाई या फिर निजि कमाई करते हुए भी अलग से अति भोग विलाश की पुर्ती के लिए टैक्स की चोरी और सब्सिडी अथवा कथित खैरात की चोरी करते रहते हैं तो उससे उनके अपनो को भी खासकर उनकी नई पिड़ि को भी इतिहास में भारी बदनामी का खतरा बना रहता है!जिनको सबसे पहले ये समझना होगा कि बड़े बड़े आविष्कारक और महात्मा समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में सबसे बड़ी बड़ी उपलब्धि पाने वाले लोगो में कम पढ़ा लिखा और गरिबी जिवन भी जिकर ऐसा इतिहास रचकर गये हैं कि उनके सामने कई बड़ी बड़ी डिग्री और पैसे वालो की नई पिड़ी भी ज्यादेतर तो उनके जैसा इतिहास रचने की बस सपने ही देखते रहते है सबकुछ होते हुए भी| इसलिये उन्हे अपनी नई पिड़ी के उज्वल भविष्य के लिये बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने की जरुरत मेरे ख्याल से किसी के मन में कम पढ़ा लिखा और कम पैसे वाला कमजोर और मंद बुद्धीवाला होता है सोचकर भी भारी भुल नही होनी चाहिए|ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ खास हुनर इंसानो को मानो उनके जन्म के समय से ही ऐसी छिपाकर प्राकृतिक द्वारा मिली हुई रहती है कि उसे यदि कोई चाहे भी तो जबतक उसका संपुर्ण रुप प्रकट नही हो जाता इतिहास रचकर,तबतक उसके उस खास गुण की जानकारी के बारे में जानना चाहे भी तो वह नही जान सकता | क्योंकि उसपर किसी की कोई खास ध्यान नही देकर बाकि आम लोगो की ही तरह उसकी भी जिवन छोटी छोटी रोजमरा जरुरत की चीजो के लिये कड़ी संघर्ष कर रही होती है|जिसे देखकर कोई सायद ही ये विश्वास करने को तैयार होगा कि वह गरिब या कम पढ़ा लिखा व्यक्ती इतिहास रचेगा,जबतक की वह अपनी खास गुण को प्रयोगिक रुप से प्रकट नही कर देता|उसके बाद तो उसे न जानने वाले भी मानो ए तो मेरा लंगोटिया यार है,रिस्तेदार है,इसे मैं जानता हुँ वगैरा कहकर जबरजस्ती रिस्ता बनाने लगते हैं | जो इससे पहले तक उसके कई सचमुच का लंगोटिया यार और रिस्तेदार समेत बाकि खास करिबी भी उससे कई मामलो में पिच्छा छुड़ाते रहते हैं ये कहकर कि उसका दिमाक खराब हो गया है उल्टा सिधा सोचता और करता रहता है,वगैरा वगैरा|जिसके चलते ही कई आविष्कारक भी अपने पुराने रुपो में सजे धजे नही दिखते हैं और न ही मिल जुलकर आविष्कार करते दिखते हैं,क्योंकि तब उनका साथ देनेवाला सायद ही विरले लोग मिलते हैं|जिसके चलते मानो वह छिपते छुपाते अपनी छोटी मोटी रोजमरा की मुल जरुरतो की अभाव में भी खाली पेट या खाली जेब सिर्फ अपनी खास छिपी हुई हुनर के खास दम पर दिन रात ऐतिहासिक खोज में लगे रहते हैं|जिसके बारे में चाहे तो कोई भी इतिहास पलटकर महात्मा और कई गरिब और कम पढ़ा लिखा आविष्कारको समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में जो लोग भी गरिबी और कम डिग्री में भी सबसे बड़ी बड़ी उपलब्धी पायी है उसके बारे में विस्तार पुर्वक जानकर पता लगाया जा सकता है|हलांकि मुझे अफसोस लगता है कि ज्यादेतर लोग इस तरह की संघर्ष करके गरिबी से मुक्ती पाने के बाद गरिबो के सुख दुःख में उनके घरो में जाकर उनके साथ खाना पीना आना जाना भुल जाते हैं, जिसे वे इससे पहले हर पल वे खुद भी प्रयोगिक रुप से जी रहे होते हैं|जिसके कारन अमिर लोग तो किसी गरिब के अमिर बनने पर उससे खुब लाभ लेते हैं पर गरिबो को सायद उन गरिब से अमिर बने खास सच्चे अमिरो से कम लाभ ही मिल पाती है|इसलिये भी सायद किसी गरिब या कम पढ़ा लिखा व्यक्ती के महान आविष्कारक या धन्ना वगैरा बनने से भी आजतक गरिबी भुखमरी से संघर्ष करना जारी है| फिलहाल इतना ही,आगे फिर अपनी विचार और ज्ञान बांटने जल्द नई पोस्ट लेकर आउँगा,तबतक के लिये धन्यवाद!

रविवार, 20 अगस्त 2017

जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो

अमिरी गरिबी की खाई इतनी बड़ी होती जा रही है कि उसे सभी राज्यो की सरकार समेत पुरी केन्द्र सरकार भी अजादी के सत्तर सालो तक इतनी सारी गरिबी भुखमरी दुर करने की योजनायें बनाकर भी,देश अजादी के समय चालीस करोड़ अबादी थी,उतनी अबादी वर्तमान में गरिबी रेखा से भी निचे की बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है!कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का विकाश सफर की सुरुवात करके वर्तमान भाजपा सरकार की साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया विकाश सफर तक सिर्फ हर बार भारी बजट की चुनाव प्रचार करके जनता मालिक के बिच खुब सारा भाषन अश्वासन, उसके बाद जनता मालिक की वोट कृपा से सिर्फ भाजपा कांग्रेस युक्त सरकारे आती जाती रही है!पर इस समृद्ध देश से गरिबी दाग अबतक नही मिट पाई है!इसलिए मेरे ख्याल से देश में अब किसी तीसरी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनी जाने के बाद एक ऐसा नियम कानून बने की किसी भी नागरिक के पास तय से अधिक राशि इकठा हो तो वह सब देश की सम्पत्ती समझी जाएगी!सभी नागरिक चूँकि देश परिवार के सदस्य होते हैं,जिनका गरिब होना देश परिवार का गरिब होना है!और इस देश में कोई सदस्य अति गरिब कैसे हो सकता है,जबकि सोने की चिड़ियाँ की पहचान बना चुका देश जड़ से प्राकृतिक खनिज सम्पदा और इंसानी बल क्षमता से समृद्ध और ताकतवर देश है!इसलिए जाहिर है इस देश का कोई भी नागरिक जड़ से गरिब हो ही नही सकता यदि सरकार खुद चाहे!बल्कि गरिब उन्हे बनाया जाता रहा है जन्म से ही उनकी हक अधिकारो को मारकर!ताकि वह हमेशा ही लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत आर्थिक और समाजिक राजनैतिक समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में पिछड़ा रहे और कमजोर होकर अपनी हक अधिकारो की ठीक से अवाज न उठा सके!जो दिनभर ज्यादेतर पेट की ही चिंता में लगा रहे,जिससे कि दुसरी तरफ मुठीभर लोग गरिबी भुखमरी से निफिकिर होकर भोग विलाश में भी लिप्त रह सके!जबकि सिर्फ यदि गरिबी और अमिरी के बिच जो असंतुलन बना हुआ है उसे दुर करने के लिए भी ये नियम कानून बने की अति गरिब जैसा की अभी बीपीएल को माना जाता है,उस दायरे में जो भी नागरिक आ जाता है,तो उसे सरकार तुरंत उस दायरे से बाहर निकालने के लिए आर्थिक मदत के रुप में हर महिने छोटी राशि के साथ साथ एकबार एकमुस्त मोटी राशि भी प्रदान करे,जैसे की धन्ना कुबेरो को हर साल छुट या माफी राशि के रुप में मोटी राशि मिलती है!मैं ये नही कह रहा हुँ कि धन्ना कुबेरो की तरह सभी बीपीएल को हजारो करोड़ की मदत मिले जो कि सरकार दे भी नही पायेगी यदि देना चाहे तो भी,बल्कि इस देश के तमाम धन्ना कुबेर भी मिलकर यदि इतनी मोटी राशि सभी चालीस करोड़ बीपीएल को देना चाहे तो भी वे दे नही पायेंगे और सभी कंगाल हो जायेंगे!चाहे तो मन में सिर्फ कल्पना करके ही सभी बीपीएल को एक एक को हजारो करोड़ की राशि देकर देख लें सभी धन्ना कुबेर,दे पायेंगे कि नही दे पायेंगे अपने हिसाब किताब की खाते में!खैर ये तो रही देने की बात कि सरकार किसे कितनी दे सकती है बिना कोई आर्थिक तंगी के,जबकि मुठीभर धन्ना कुबेरो को मोटी आर्थिक मदत हर साल देना सरकार के लिए आम बात है!जबकि सभी धन्ना कुबेर भी मिलकर सभी बीपीएल को एकबार भी इतना दे पाना नामुमकिन है!जो मानो किसी गणेष को बिना अन्नपुर्णा की हाथ से बनी चावल के धन्ना कुबेर के महलो की दावत में छप्पन भोग खिलाने जैसा है!इसलिए सभी बीपीएल को एक एक के खाते में हजारो करोड़ न सही पर लाखो रुपये तो जरुर दी जा सकती है!जो भी यदि नही दे सकती सरकार सभी गरिब बीपीएल के खाते में पन्द्रह से बिस लाख तो भी मेरे ख्याल से एक दो लाख रुपया तो प्रत्येक गरिब बीपीएल को दे ही सकती है सरकार!जो भी यदि नही दे पा रही है तो फिर जिस तरह एक एक धन्ना कुबेर को समृद्धी की खुदाई के लिए खनिज सम्पदा की माईंस गैरकानूनी तरिके से छुट प्रदान करती रही है,जो जमिन वगैरा भी किसी ने कहा टॉफी की किमत पर देती है सरकार,जो यदि सच है तो उसी तरह गैरकानूनी नही बल्कि नियम कानून बनाकर एक एक गरिब बीपीएल को दो चार लाख रुपये की खनिज सम्पदा और जमिन तो दे ही सकती है!ताकि उसे बेचकर या उससे अपनी आमदनी बड़ाकर जल्द अमिर बन सके गरिब बीपीएल!जिसे प्रयोगिक रुप से जानने के लिए धन्ना कुबेरो को जो हर साल आर्थिक छुट और माफी मिलती है उसे बंद करके हर महिने का उन्हे सिर्फ राशन पानी देकर देख ले सरकार पता चल जायेगा कि बीपीएल कार्ड बनवाकर सिर्फ आधा पेट राशन पानी देने से विकाश में तेजी नही आती है!बल्कि सिर्फ जिन्दा रहने की ऐसी बुरी हालात बनती है जिससे की गरिब बीपीएल का जो शारिरिक और वोट देने की क्षमता है उसका इस्तेमाल होने लगता है!जिसके बारे में मैं ये भी लिखने से नही हिचकिचाउँगा कि जिस तरह गुलामो को खटाने के लिए उन्हे सिर्फ जिन्दा रहने की भोजन दी जाती थी ताकि देश की तमाम संसाधनो का उपयोग करके सिर्फ मुठीभर गोरे अँग्रेज और उनके चाटूकार  सहयोगी मिल बांटकर भोग विलास कर सके गुलामो की शारिरिक बल का इस्तेमाल करके बड़ी बड़ी महल और महंगी महंगी तमाम तरह की भोग विलाश करने का निर्माण करने के लिए,जहाँ शारिरिक बल की जरुरत पड़ती है,वहाँ जिस तरह गुलामो की जन बल ताकत का इस्तेमाल की जाती है,उसी तरह ही मेरे ख्याल से अब भी कुछ मुठीभर गोरो के चाटूकार जो देश छोड़कर कहीं बाहर नही गए हैं,बल्कि यहीं पर हैं,क्योंकि सिर्फ गोरो से अजादी मिली है,गोरो की चाटूकार से नही!जाहिर है गोरो के गुलामी भक्त अपने आकाओ की ही नक्से कदम पर चलकर आज भी इस देश के मुलवासियो को दबाकर अन्याय अत्याचार करना नही छोड़े हैं!जिसके चलते यह कहा जा सकता है कि इस देश को अभी अधुरी अजादी मिली है!जिसे पुरी अजादी मिल गयी तब मानी जायेगी जब इस देश के लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो के प्रमुख पदो में इस देश के मुलवासियो की बहुसंख्यक दबदबा कायम हो जायेगी और सबकी गरिबी भुखमरी समाप्त हो जायेगी!उसके बाद ही किसी की भी शोषन अत्याचार करने कि हिम्मत नही होगी ये जानकर कि पुर्ण रुप से अजाद और मजबूत नागरिक का मान सम्मान हक अधिकार लुटकर शोषन अत्याचार करना मतलब मुँह कान तोड़वाने के साथ साथ बहुत कुछ तोड़वाना है!क्योंकि मुझे पुरा यकिन है,जो स्वभाविक भी है कि उच्च पदो में जिनकी भी दबदबा कायम हो जाती है और जो अमिर और ताकतवर बन जाता है,उसके साथ शोषन अत्याचार करने से पहले दिल की धड़कन शोषन अत्याचार करने वालो की इतनी बड़ जाती है कि कई बार तो वे हार मानकर दिल का दौरा का भी शोषन अत्याचार शिकारी होते हुए भी खुद शिकार हो जाते हैं!इसलिए सभी शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो को पुरी अजादी मिलना बहुत जरुरी है,ताकि बुराई का खात्मा न भी हो सके तो बुराई किसी सुवर की तरह अपनी दायरे में रहे,जो किसी के पुर्ण अजाद साफ सुथरा माहौल में गु लगा अपना गंदी थुथन गु गु गु करते न मारे!जिससे दुर रहने के लिए गोरे भी सीट(गु) कहकर गंदगी से दुर रहने की शब्द कहते हैं,भले वे दो सौ सालो से भी अधिक समय तक कई देशो को गुलाम करके खुद शोषन अत्याचार गंदगी फैलाते रहे!जिस तरह की गंदगी फैलाने की सोच आज भी जिनकी भी थुथन में भरी हुई है उनसे पोलियो मुक्त अभियान की तरह शोषन अत्याचार मुक्त अभियान चलाकर दो टांग वाले भ्रष्ट सुवरो से पुर्ण अजादी पाना जरुरी है!जिसके लिए ही तो मैं और मेरे जैसे और भी अनगिनत पुर्ण अजादी के नायक इस तरह की सत्य ज्ञान संदेश किसी पोलियो मुक्त दवा की तरह शोषन अत्याचार मुक्त दवा बांटते रहे हैं!जिसे जो भी भितरी मन से पी लेगा उसके अंदर शोषन अत्याचार से लड़ने की क्षमता बड़ जायेगी और कुछ हद तक वह शोषन अत्याचार फैलाने वाले वैक्टिरिया से भी बचा रहेगा!जिससे संक्रमित होकर बहुत से लोगो के मान सम्मान और हक अधिकारो की भारी हानी हो रही है!जिस तरह की भारी हानी से मुक्ती पुर्ण अजादी पाना है!जिसका इंतजार हर वह व्यक्ती कर रहा है जो गोरो से अजादी मिलने के बावजुद भी शोषन अत्याचार का शिकार होता रहा है!जिन तमाम लोगो को एकजुट होकर और अपनी एकता शक्ती का इस्तेमाल करके एक साथ एक ही वार में पुर्ण अजादी पा लेनी चाहिए,अपनी सरकार बनाकर जो अबतक नही बनी है!वह सरकार जिसमे ज्यादेतर उच्च पदो में सेवक सिर्फ छुवा छुत और उच्च निच शोषन अत्याचार का शिकार होने वाले हो ताकि अपनी सरकार बनाकर सौ सोनार की तो एक लोहार कि वार से शोषन अत्याचार करने वाले शिकारी का ही शिकार हो जाय और दुबारा से वह शोषन अत्याचार शिकार करने वाली खुनी पंजा और खुंखार दांत समेत अपने पाँव और जबड़ा भी तुड़वा बैठे!क्योंकि जिस तरह जंगल राज में शेर राजा अपनी प्रजा की सेवा और रक्षा अपने खुनी पंजो से दबोचकर खुंखार जबड़ो के जरिये पेट में ले जाकर रक्षा और सेवा करता है,उसी प्रकार शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा यदी लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख क्षेत्रो में भी कायम है,तो निश्चित तौर पर शोषन अत्याचार कभी भी खत्म नही होने वाली है जबतक की शोषन अत्याचार का शिकार हो रहे लोगो की दबदबा कायम न हो जाय!दबदबा का मतलब सिर्फ एक दो प्रतिशत प्रमुख पदो पर दबदबा कायम करना नही है,बल्कि कम से कम पचास प्रतिशत से अधिक की दबदबा कायम करना है तमाम उच्च पदो में!जो वर्तमान में लोकतंत्र के चारो स्तंभो समेत तमाम प्रमुख उच्च पदो में कितनी प्रतिशत शोषन अत्याचार का शिकार होनेवाले लोगो की दबदबा कायम है इसके बारे में चाहे तो पता करके देख लो!पता करने पर कई जगह तो0%मौजुदगी दबदबा कायम मिलेगी!जिस तरह की भेदभाव जाहिर है इस देश की परम्परा और विरासत नही है बल्कि ये परंपरा प्राचिन रोमराज से भेदभाव करने वालो ने या तो नकल करके प्राप्त किया है या फिर प्राचिन रोमराज को वे अपना आदर्श मानते हैं!जिसे ये कृषि प्रधान देश अपना आदर्श के रुप में छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव करने को आदर्श कभी नही मानेगा!तभी तो मनुस्मृती की तुलना रोमराज से करके उसे भष्म करने के बाद बाबा अंबेडकर ने अजाद हिन्दुस्तान की संविधान रचना करके उसे लागू किया गया,ताकि सभी नागरिक गोरो के साथ साथ छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव से भी अजाद हो सके!जो अबतक अजादी के सत्तर साल बित जाने के बावजुद भी पुरे देश समाज में अबतक भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत छुवा छुत और उच्च निच भेदभाव के रुप में मंडराना नही छोड़ा है!जो भष्म होकर भी मानो उसे मुक्ती नही मिली है,क्योंकि इतना पाप किया ही है कि उसे नर्क में भी जगह नही मिल रही है, और यमराज वापस उसकी भ्रष्ट बैताल आत्मा को इसी धरती पर वह भी खासकर भारत में मंडराने के लिए सायद इसलिए भी छोड़ दिया है,ताकि इसबार पुर्ण अजादी मिलते ही उस भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत को या तो माफी के रुप में नर्क में प्रवेश करने की सिफारिश मिल जाय या फिर वह शोषन अत्याचार का शिकार तमाम लोगो की हक अधिकारो को खुद ही सौंपकर अपने सारे अपराधो की इसी धरती में सजा काटकर और अपने पापो की प्राश्चित करके अंत में स्वर्ग जा सके!जिसके बाद ही सायद शोषन अत्याचार का शिकार होने वालो की दबदबा कायम होने के बाद पुर्ण अजादी सत्ययुग आयेगा!क्योंकि इस देश में अभी शोषन अत्याचार करने वालो की दबदबा से उनके द्वारा किए गए पापो का कलयुग चल रहा है!और चुँकि पुरे विश्व को सत्य ज्ञान बांटनेवाला विश्वगुरु ही पुर्ण अजाद नही है तो जाहिर है पुरे विश्व में कलयुग हावी रहेगी पुरे विश्व में गरिबी और भुखमरी देकर किसी न किसी तरिके से शोषन अत्याचार भ्रष्टाचार कायम करके!यानी इस देश को पुर्ण अजादी का मतलब पुरे विश्व को भी गरिबी भुखमरी से अजादी दिलाना है खासकर उन गोरा काला भेदभाव जैसे शोषन अत्याचारो से भी जिससे मुक्ती आजतक तमाम देशो की सरकारे मिलकर भी नही दिला पा रहे हैं!जैसे की गरिबी और भुखमरी से मुक्ती पुरे विश्व की ताकत विश्व बैंक की स्थापना करके भी सारी ताकत और बुद्धी बल इस्तेमाल करके पुरी दुनियाँ से गरिबी और भुखमरी अबतक नही मिट पा रही है,भले ही क्यों न पुरी दुनियाँ अपनी विकाश यात्रा करते हुए चाँद और मंगल तक पहुँच गयी हो!पर आज भी गरिबी और भुखमरी समाप्त करने की खोज नही हो पायी है!जिसे सिर्फ विश्वगुरु ही इस देश को पुर्ण अजादी मिलने के बाद खोज ही नही बल्कि एक झटके में जिस तरह विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर से पुरा विश्व छुटकारा पा लिया था हिन्दुस्तान सागर की सिर्फ करवट लेने से उसी तरह विश्वगुरु को पुर्ण अजादी मिलने के बाद फिर से पुरे विश्व को गरिबी भुखमरी देने वाला शैतान सिकंदर का भुत उतारना भी बाकी है!गोरे अँग्रेजो से अधुरी अजादी तो सिर्फ झांकी है!जिसके बाद ही विश्वगुरु अपडेट होगा!
"धन्यवाद"

स्मार्ट सिटी और बीपीएल भारत के बजाय क्यों नही गरिबी भुखमरी मुक्त संतुलित समृद्धी?

"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी

विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी


"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

विकाश का पैमाना डॉलर और रुपये की मोल है तो फिर अजादी के समय एक डॉलर और एक रुपये का मुल्य बराबर थी,जिसके हिसाब से हम पिच्छे जा रहे हैं की आगे?


"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के मामले में फेल डिग्री ही साबित हुई है!खासकर इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाली देश परिवार में हर रोज हजारो लोगो को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मरते हुए भी अबतक अनगिनत नागरिको को गरिबी और भुखमरी से मरते हुए न बचाकर!क्योंकि एक प्रतिशत भी मैं इस बात पर यकिन नही कर सकता कि इन तमाम उच्च पदो में बैठकर और शपथ लेकर ऐ तमाम लोग अपने अपने परिवार में भुखमरी और कुपोषन से मर रहे एक भी लोगो को मरने के लिए छोड़कर ये भाषन और अश्वासन कभी देते रहे हो कि जल्द सब ठीक हो जायेगा अभी पेटभर अन्न जल रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था हम सबके लिए करेंगे!जाहिर है जब सेवक होकर भी एक भी मंत्री पद की सपथ लेने के बाद और उच्च अधिकारी बनने के बाद इस देश में उनकी गरिबी और भुख से मौत नही हुई तो फिर जनता मालिक की मौत वह भी हर रोज कैसे सैकड़ो हजारो की तादार में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से हो रही है अजादी के सत्तर साल हो जाने के बावजुद भी?जिसका तो मैं एक ही जवाब दुँगा कि इस देश को अभी पुर्ण अजादी नही मिली है उन विदेशी डीएनए के कबिलई लुटेरो के वंसजो से जिनकी लुट वायरस अब भी देश को गुलामी की जंजिरो में जकड़े हुए है घर के मुठीभर भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर उनके द्वारा सबसे कमजोरी भेद बताकर छल कपट से पिठ पिच्छे वार करना जारी है!क्योंकि इतिहास साक्षी है कि सिर्फ कबिलई गोरे नही आए थे इस सोने की चिड़ियाँ में लुटपाट शोषन अत्याचार करने बल्कि लुटेरा कबिला में कई कबिला अपनी गे गैंग बनाकर हजारो सालो से प्रवेश करते रहे हैं अपनी लंगटई लुचई अपनी असली गरिबी और भुखमरी दुर करने के लिए इस देश के मुलवासियो की अमिरी को चुसकर उन्हे गरिबी और भुखमरी कुपोषन देकर किसी खटमल मच्छड़ और जू की तरह चुसते रहने की खास अन्याय अत्याचार परजिवी निति बनाकर!जिन सबसे पुर्ण अजादी जबतक इस देश के उन तमाम लोगो को नही मिल जाती जिनके भितर मदर और फादर इंडिया की डीएनए दौड़ रही है, जिनके पुर्वज कहीं बाहर से आकर इस देश में नही बसे हैं,चाहे वे किसी भी धर्म जात में मौजुद हो,क्योंकि तमाम धर्म जात इस देश में समृद्ध सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की स्थापना और आधुनिक कृषि विकाश होने से पहले मौजुद नही थी,बल्कि ऐ सब बाद में बनी और तब कई विवाद बनी है!जाहिर है इससे पहले इस सुख शांती और समृद्धी कायम अखंड देश में न तो धर्म के नाम से दंगा फसाद होती थी और न ही जात पात के नाम से छुवा छुत और उच निच जैसे शोषन अत्याचार होती थी इस कृषि प्रधान देश में,,क्योंकि छुवा छुत करने वाले तब थे ही नही इस देश में जो बहुत बाद में आयें हैं उस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती में छुवा छुत का गंदगी फैलाने जहाँ कभी इस देश के मुल निवासी सभी मिल जुलकर अनगिनत भाषा और हजारो विकसित हुनर जो की अभी हजारो शुद्र जात बना दी गयी है वे सभी सालोभर प्राकृतिक पर्व त्योहार और उत्सव मनाकर सुख शांती और समृद्धी से इस देश को सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान दिलवाने में अपनी प्रमुख भुमिका निभाये हैं,जो बाद में धर्म के नाम से दंगा फसाद अशांती और उच निच छुवा छुत मनुस्मृती सुझ बुझ से न तो विश्वगुरु पहचान मिली है और न ही ये देश सोने की चिड़ियाँ कहलाई है!जो की फिर से सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु पहचान वापस अपडेट होगी,जिसदिन इस पहचान को मिटाने वालो से पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलेगी,जिनके पुर्वजो ने ही इस देश की कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया है न कि बाहर से आए कबिलई लुटेरो ने की है,जो अपनी गे गैंग का कृषि विकाश एक छोटा सा देश बना नही सके और किसी परजिवी की तरह दुसरे किसी कृषि देशो की समृद्धी को चुसकर मच्छड़ खटमल और जू की तरह निर्भर रहे हैं वे क्या इतनी बड़ी कृषि प्रधान देश और इतनी बड़ी लोकतंत्र को सम्हाल पायेंगे,जिसके चलते भी अखंड सोने की चिड़ियाँ धर्म के नाम से खंड खंड कर दी गयी है! जो सायद तब नही होती यदि इस देश में न तो छुवा छुत प्रवेश करती और न ही धर्म के नाम से खुन खराबा होते रहने की विवाद ही प्रवेश करती!जिनसे पुर्ण अजादी ही इस देश और मुलवासी तमाम प्रजा को गरिबी और भुखमरी कुपोषन से अजादी भी दिला सकती है!जो जबतक नही मिल जाती दुनियाँ का सबसे समृद्ध देश प्राकृतिक खनिज सम्पदा,इंसानी बल,उपजाउ भुमि और दस से अधिक बड़ी नदियो का जल भंडार होते हुए भी गरिबी और भुखमरी कुपोषन का अबतक कायम रहना स्वभाविक है!जिससे अगर पुर्ण अजादी जल्द चाहिए तो इस देश में किन लोगो के पुर्वज बाहर से इस देश में प्रवेश किये हैं,इसके बारे में मदर इंडिया और फादर इंडिया की डीएनए से मेल कराकर,जिन जिन लोगो की भी डीएनए गोरो की तरह विदेशी डीएनए साबित होगी उनको एक तरफ करके बाकि तमाम मुलवासियो को जिनकी डीएनए मदर इंडिया और फादर इंडिया से मिलती है,उन्हे चिन्हित करने के बाद दुसरी तरफ करके इस देश की लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो की उच्च पदो समेत तमाम सरकारी क्षेत्रो के उच्च पदो में 90%इस देश के उन लोगो को बिठाया जाय जिनकी डीएनए मदर और फादर इंडिया की डीएनए से मिलती है!बाकि 10%पदो में उन विदेशी डीएनए के लोगो को छोड़ दिया जाय,जो नियम संविधान संसोधन करके सबसे पहला नियम में रखा जाय!और जो गोरो के अपने देश जाने के बाद भी अबतक अपने मुल पुर्वजो का देश नही गए हैं और यहीं की नागरिकता लेकर यहीं पर बस गए हैं!जो या तो इसी देश को ही अपने पुर्वजो की भुमि से बेहत्तर बताकर रुके हुए हैं,जो कि स्वभाविक है या फिर उन्हे ये पता ही नही कि उनके पुर्वज किस देश के मुलवासी थे जिन्होने यहाँ पर लाकर मानो किसी लावारिस शिशु की तरह फैंककर चले गए हैं!और वह लावारिस शिशु अब बड़ा होकर दुसरे की माता पिता की सम्पत्ती को अपना बाप का माल समझकर पाप का मोटामाल जमा करने में लगा हुआ है!जिसकी पाप वसियत अथवा उसकी लावारिस कमाई को कोई भी देश के मुलवासी मुखिया ये स्वीकारने वाला नही है कि उन्होने ही उस बच्चे को बड़े होकर लुटपाट करने के लिए इस सोने की चिड़ियाँ में आकर फैंककर वापस अपने देश चले जाने की ऐसा लुट प्लान बनाया था जिसके जरिये सोने की चिड़ियाँ की सुख शांती और समृद्धी को बाल्टी भर भरकर अपने देश में चोरी छुपे लम्बे समय तक तस्करी किया जा सके!क्योंकि यदि स्वीकार कर लिया तो फिर सारी लुटपोल खुल जायेगी उन लुटेरो की जिन्होने ही अबतक इस देश और इस देश के मुलवासियो को पुर्ण अजादी सांस लेने नही दिया है सुख शांती और समृद्धी जिवन जिने के लिए!जिनसे भी एकदिन गोरे अंग्रेजो की तरह ही अजादी मिलेगी और हो सकता है गोरो की तरह वह भी अपने मुल पुर्वजो की भुमि में जाकर अब किसी भी देश को गुलाम न करने और लुटपाट न करने की कान धरकर उठक बैठक करे और इस देश के शोषित पिड़ित के सामने भी मुर्गा बने!जो यदि गोरो ने नही भी किया होगा तो इसबार पुर्ण अजादी पर इस देश को पुर्ण अजादी न मिलने देने के लिए जिन दुसरे गे गैंग कबिला ने भी अबतक इस देश के मुलवासियो के साथ लुटपाट और अन्याय अत्याचार किया है,उनको तो कान धरके उठक बैठक और मुर्गा जरुर बनानी चाहिए!क्योंकि उनकी वजह से ये सोने की चिड़ियाँ कृषि प्रधान समृद्ध देश अबतक गरिबी और भुखमरी का दाग लिये विश्व में गरिब देश कहलाकर हर रोज अपने हजारो मासुम निर्दोश नागरिको को गरिबी और भुख से खोने को मजबुर है,जबकि इसी देश में न जाने कितने कबिलई गे गैंग लुटेरो की पुर्वज फ्री में हजारो सालो से पलते रहे हैं,जो कि किसी गरिब के घर हजारो सालो तक तो दुर हजार दिन तक भी पलके दिखला दे कोई कबिलई गे गैंग बनाकर लुटपाट करने वाले लंगटा लुचा वैसे लोग जिन्हे अपनी कमाई का खाने में मानो शर्म महसुस होती है और दुसरो का चुसते रहते हैं किसी मच्छड़ खटमल और जू की तरह!जिनकी परजिवी हुनर की वजह से ही तो अबतक इस देश को पुर्ण अजादी नही मिली है,जो मुठीभर घर के भेदियो को अपना खास माध्यम बनाकर दिन रात इस देश और इस देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी चुसने में लगे हुए हैं!जिनसे बिना अजादी के पुर्ण अजादी इस देश और इस देश के मुलवासियो को मिलना कठिन संघर्ष का वह रास्ता है जहाँ पर इन्ही परजिवियो द्वारा गरिबी और भुखमरी कुपोषन दर्द चुभोने के लिए बड़ी बड़ी भ्रष्टाचार कांटे बिछाये जाते रहे हैं!जिन्हे फिलहाल सजा भी नही मिलने वाली है पुर्ण रुप से,और यदि मिलेगी भी तो सिर्फ उँट के मुँह में जीरा न्याय मिलेगी,जैसे कि नशा बेचनेवालो को कैंसर जैसे बड़ी बड़ी बिमारी के साथ साथ पुरे समाज परिवार को बर्बाद करने की उद्योग लाईसेंस देकर करोड़ो नर नारी जवान बुढ़े बच्चे सभी लोगो को नशे की लत में डुबोकर दो चार कैंसर का अस्पताल का भी लाईसेंस दे दी जा रही है!जिस न्याय में भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत मजबुत जकड़न कायम है,जिससे भी पुर्ण अजादी तब मिलेगी जब अजाद भारत का संविधान जिसकी रचना से पहले मनुस्मृती को भष्म किया गया था,ताकि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने की जिम्मेवारी ठीक से न्यायालय निभा सके,पर उस न्यायालय में भी अजाद भारत का संविधान की रक्षा भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत हावि होकर हो रही है,जिसके बारे में किसी भी उन शोषितो को शक नही होनी चाहिए जिन्हे देश में भी मनुस्मृती का बैताल भुत समाज परिवार में चारो ओर अब भी उच निच का छुवा छुत मांसिकता मंडराते हुए नजर आती है!जो भष्म मनुस्मृती सुझ बुझ बैताल भुत की मांसिकता मेरे ख्याल से कभी भी छुवा छुत करने वालो के भितर से इतनी जल्दी हजारो सालो की विकाश सफर मात्र से जानेवाली नही है,जैसे की जेनेटिक बिमारी को जड़ से दुर करने की प्राकृतिक विकाश सफर लम्बी प्रक्रिया से होकर गुजरती है!उसी तरह मेरे ख्याल से छुवा छुत करने वालो की भी मनुस्मृती मांसिकता मनुस्मृती को भष्म करो या फिर कुछ और करो लाखो साल बाद भी इसी तरह कायम रहेगी जबतक की किसी बिमारी से लड़ने की प्राकृतिक तौर पर कार्य क्षमता बड़ाने की तरह मनुस्मृती सुझ बुझ वाले लोग भी अपने भितर ही मनुस्मृती से छुटकारा पाने की क्षमता न बड़ाने लगे!फिलहाल तो इनसे शोषन अन्याय अत्याचार का शिकार हुए पिड़ित लोगो को न्यायालय में अपनी तादार बड़ाकर अपनी दबदबा कायम करनी होगी,नही तो मनुस्मृती सुझ बुझ वाले वेद सुनो तो कान में गर्म लोहा डालो,वेद पढ़ो तो चीभ काटो और अँगुठा काटो,गले में थुक दानी टांगो,कमर में झाड़ु टांगो की मांसिकता खुद रखकर खुदको उच्च विद्वान पंडित जन्म से बतलाकर पिड़ित लोगो का ही मांसिक जाँच कराकर मांसिक रुप से कमजोर साबित करते रहेंगे,क्योंकि इनकी दबदबा अजाद भारत के संविधान को भी जकड़े हुए है तो देश के पिड़ित नागरिको को तो जकड़ना इनके लिए कोई मुश्किल काम नही है,जैसे की सत्य शिव द्वारा जब भष्मासुर को वरदान दे दिया गया था तो भष्मासुर के द्वारा किसी को भी उस सत्य शिव के द्वारा दिए गए किसी को भी छुकर भष्म करने की वरदान ताकत द्वारा सजा देने के लिए कोई बड़ी कठिन काम नही थी,बल्कि उस वरदान ताकत से तो स्वंय सत्य शिव भी अपना पिछा छुड़ाकर अपने गणो से दुर किसी गुप्त गुफा में तप योग में लिन हो गए थे,जबतक की किसी मोहिनी के द्वारा मोहित होकर नचवा नचवाकर भष्मासुर स्वयं ही भष्म नही हो गया!जिस तरह की गलती मनुस्मृती सुझ बुझ छुवा छुत करने की खुदको सजा देकर भष्म नही होनेवाले हैं,जैसे की गोरे अँग्रेज जज बनकर खुदको गुलाम करने की अपराध में सजा देनेवाले नही थे,चाहे जितने सालो तक वे न्यायालय में जज बने रहते!इसलिए ही तो मैं बार बार यह कह रहा हुँ की छुवा छुत का शिकार होनेवाले पिड़ित न्यायालय में अपनी बहुसंख्यक जज दबदबा कायम करके इस देश की अजाद भारत के संविधान को भी पुर्ण अजादी दिलाओ भष्म मनुस्मृती के बैताल भुत से और खुदको भी पुर्ण अजादी दिलाओ उच निच छुवा छुत की शोषन अत्याचार से,जिसकी जकड़न से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत समाज परिवार के तमाम प्रमुख क्षेत्र जकड़े हुए है गुलामी से,जिससे पुर्ण अजादी ही सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु की मुल सुख शांती और समृद्धी को अपडेट करना है!जिसके बगैर अधुरी अजादी कायम है! "धन्यवाद"

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...