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अगस्त, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भ्रष्टाचार और भस्मासुर

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कालाधन का पाप अंबार अबतक बड़ते बड़ते इतना जमा हो गया है कि उनकी अगर जब्ती करके देश के सारे गरिब लोगो को बराबर बराबर हिस्से में बांट दिया जाय, तो जैसा कि इस देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कभी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनावी भाषन में कहा था,कि "इस देश की जनता मालिक के खातो से इतना सारा धन की चोरी हुई है,कि यदि उसकी जब्ती किया जाय तो सब गरिब के खाते में पंद्रह से बीस लाख यू ही मुफत में आ जायेंगे|"जो मुफ्त की क्यों उनके हक अधिकार का धन हैं|जिसे चोर लुटेरो ने चुराकर लुटकर गुप्त खातो में जमा करके छिपा रखा है|जो बात इस समय की विश्व आर्थिक विकाश की आंकड़ो में एक गरिब देश कहलाने वाले जड़ से समृद्ध देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने कहा है|जिसे जुमला कहकर मुख्यमंत्री से तरकी करके प्रधानमंत्री बनाया गया है|जाहिर है देश के लोकसभा चुनाव में किसी प्रधानमंत्री उम्मिदवार द्वारा इतनी बड़ी बात करके उसे बाद में जुमला करार देना,वह भी सबसे बड़ी अंतर से हार जीत का चुनाव जितकर,जो की जनता मालिक की वोट कृपा से अजादी के सत्तर सालो में दुसरी बार किसी पार्टी को इतनी भारी बहुमत से जिताकर मानो तीन सीट की जमिन

भ्रष्टाचारी को बंद करो तो बिमारी बंद

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शौचालय के नाम से और योग के नाम से उछल कुद और शौच सफाई प्रचार यैसा कराया जा रहा है, जैसे इससे पहले ग्रामीण भारत में रहने वाले हमारे पुर्वज योग को करते ही नही थे| और प्राकृतिक जड़ी बुटियो से जुड़कर सेहतमंद रहना और साफ सफाई से हगना मुतना जानते ही नही थे|जबकि इस देश की हजारो साल पुरानी प्राचिन सभ्यता कृषि संस्कृति के खंडहर में भी, योग मुद्रा में बैठे लोग ऐतिहासिक चिन्हो में मिल जाते हैं| और तब भी इस देश में शौचालय की इतनी बेहत्तर इंतजाम थी की आज की इंजिनियर भी आश्चर्य करते हैं उस समय की साफ सफाई निर्माण को देखकर| जब पश्चिम के लोग सायद दरवाजा बंद करके नहाना और हगना मुतना भी नही जानते थे |जिस आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती की सुख शांती और समृद्धी जिवन की कृषि योग को बाद में भंग करके कबिलई लुटपाट और गुलामी बिमारी देकर, दरवाजा बंद करके लुटपाट शोषन अत्याचार और गुलाम करके आज योग और शौच कराकर ये कहलवाया जा रहा है ,कि सब प्रकार का रोग ठीक किया जा सकता है योग करके और दरवाजा बंद करके शौच करके|भुखमरी कुपोषन से मर रहे नागरिको के लिए तो मानो पश्चिम के दरवाजे से घुसे चोर लुटेरो से ह

कुछ सदस्य खुब सारा धन की रुप श्रृंगार करके अपनी रोजमरा जिवन को रंगीन करते रहते हैं ,और ज्यादेतर तो रोज पेटभर खाने पिने के लिए भी तरसते रहते हैं

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गरिबी भुखमरी से अबतक पुर्ण रुप से अजाद न हो पाने की बजह से कुछ मुठिभर नागरिक तो देश के तमाम संसाधनो का भरपुर इस्तेमाल करके विदेशी भोग विलास में भी अक्सर लिप्त रहते हैं,जिसके चलते विदेशी बैंको में भी गुप्त खाता खुलती रहती है,जिसका कि कई लिस्ट आ भी चुकि है|जबकि दुसरी तरफ ज्यादेतर तो अपनी रोजमरा जिवन की मुल जरुरतो को भी पुरी नही कर पाते हैं!जाहिर है यदि किसी समृद्ध परिवार में सबके पास संतुलित हक अधिकारो का बंटवारा नही होता है तो आपसी तनाव या फिर आपसी बंटवारा की लड़ाई होती ही रहती है,जो परिवार विकाश की प्रक्रिया में भी बाधा डालती है!क्योंकि किसी संयुक्त परिवार में भी यदि आर्थिक बंटवारा के रुप में कुछ को मोटी रकम बार बार मिलती रहे और बहुतो को मानो अठनी चवनी तो फिर परिवार में जिसे भी बार बार अधिक धन मिलेगा वह अमिरी सेखी मारेगा,और बाकि यदि उसकी तरह अमिरी सेखी मारना भी चाहे मसलन इस देश का चालीस करोड़ बीपीएल में से ही कोई यदि मैं भी सोने की चिड़ियाँ का नागरिक हुँ कहकर अमिरी सुख संसाधन लेना चाहे तो भी बिना खुद धन इकठा किए बगैर सिर्फ भेदभाव बजट बंटवारा धन से कभी भी अमिर नही बन पाऐगा!क्योंकि ग

जैसे बीपीएल रेखा है उसी तरह अमिरी की भी कोई सिमा जरुर हो

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अमिरी गरिबी की खाई इतनी बड़ी होती जा रही है कि उसे सभी राज्यो की सरकार समेत पुरी केन्द्र सरकार भी अजादी के सत्तर सालो तक इतनी सारी गरिबी भुखमरी दुर करने की योजनायें बनाकर भी,देश अजादी के समय चालीस करोड़ अबादी थी,उतनी अबादी वर्तमान में गरिबी रेखा से भी निचे की बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है!कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का विकाश सफर की सुरुवात करके वर्तमान भाजपा सरकार की साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया विकाश सफर तक सिर्फ हर बार भारी बजट की चुनाव प्रचार करके जनता मालिक के बिच खुब सारा भाषन अश्वासन, उसके बाद जनता मालिक की वोट कृपा से सिर्फ भाजपा कांग्रेस युक्त सरकारे आती जाती रही है!पर इस समृद्ध देश से गरिबी दाग अबतक नही मिट पाई है!इसलिए मेरे ख्याल से देश में अब किसी तीसरी पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनी जाने के बाद एक ऐसा नियम कानून बने की किसी भी नागरिक के पास तय से अधिक राशि इकठा हो तो वह सब देश की सम्पत्ती समझी जाएगी!सभी नागरिक चूँकि देश परिवार के सदस्य होते हैं,जिनका गरिब होना देश परिवार का गरिब होना है!और इस देश में कोई सदस्य अति गरिब कैसे हो सकता है,जबकि सोने की चिड़ियाँ

स्मार्ट सिटी और बीपीएल भारत के बजाय क्यों नही गरिबी भुखमरी मुक्त संतुलित समृद्धी?

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"वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पाने के

विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी

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विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश को छुवा छुत शोषन अत्याचार और गरिबी भुखमरी से कब मिलेगी अजादी "वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए

विकाश का पैमाना डॉलर और रुपये की मोल है तो फिर अजादी के समय एक डॉलर और एक रुपये का मुल्य बराबर थी,जिसके हिसाब से हम पिच्छे जा रहे हैं की आगे?

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 "वर्तमान सरकार की पिछले तीन सालो की विकाश सफर वैसा ही है जैसे की किसी घर में गरिबी और भुखमरी कुपोषन से मौत का मातम छाया हो और परिवार का मुखिया उस गरिबी और भुखमरी कुपोषन से होनेवाली मौत को रोकने अथवा दुर करने के लिए सुट बुट लगाकर देश विदेश में घुम घुमकर चावल दाल लाने के बहाने खुद भी प्रयटन कर रहा हो और अपने साथ साथ तमाम उन लोगो को भी प्रयटन करा रहा हो जिन मुठिभर लोगो की गरिबी और भुखमरी से मौत का रिस्ता कभी न हो रहा हो!मैं तो सिधे तौर पर अबतक तीन सालो में बल्कि सत्तर सालो में गरिबी और भुखमरी से मरने वाले तमाम नागरिको में जो भी इस समृद्ध सोने की चिड़ियाँ के मालिक थे और देश का मुखिया बन सकते थे,उनके मरने पर सिधे अपनी कड़वी भड़ास निकाल सकता हुँ कि इन तमाम मौतो के लिए मुठिभर वे लोग जिम्मेवार हैं जिनके हाथो में देश के केन्द्रीय उच्च अधिकारी पद और केन्द्र मंत्री पद समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो के उच्च नेतृत्व पद भी कहीं न कहीं जिम्मेवार हैं!जिन तमाम पदो के लिए उच्च डिग्री और सारी हुनर गरिबी भुखमरी से होनेवाली हर रोज होनेवाली मौत को अबतक अजादी के सत्तर सालो में भी रोक न  पा