बेहत्तर जिवन के लिये कौन सबसे अच्छा धर्म ये भ्रम क्यों?

इंसानो द्वारा अलग अलग कई धर्मो का उदय कराकर अवतार,मसीहा,पैगंबर और संदेश वाहक वगैरा जितने भी महान आत्मा ने अमन शांती कायम करने के लिये इस पृथ्वी में किसी इंसान की कोख से ही जन्म लिया है,उन्होने क्या सत्य ज्ञान दिया है इस पृथ्वी समेत सारे सृष्टी की रचना करने वाले के बारे में,कि उसके लिये इंसानो में जो अलग अलग धर्म उदय हुए हैं,उसमे से कौन से धर्म में सबका करम लिखने वाले मौजुद हैं,और कौन से धर्म के भक्त उसके सबसे करिब है,और साथ साथ कौन सा भक्त को उसके बताये हुए खास ऐसे एक ही खास नियम से विवाह और मिलन करनी चाहिए,जो नियम किसी धर्म में मौजुद है!जो नियम मुझे कोई धर्मगुरु बतला दे तो सायद मुझे ये समझ में आये कि अलग अलग जात और धर्म के शादी विवाह में मुश्किल राह अपने लिये खुद इंसानो ने बनाये हैं कि इंसान को बनाने वाले ने ही सुरु से ही बनाया है कि ये अलग अलग धर्म और जात के लोग शादी विवाह नही कर सकते क्योंकि ये सृष्टी संचालन नियम के खिलाफ है!मेरे ख्याल से सृष्टी की रचना करने वाले ने इस पृथ्वी के तमाम नर नारी को बिना भेदभाव करने वाली एक ही मिलन प्रणाली प्रदान की है,अपना वंश वृक्ष बढ़ाने को एक ही लिंग और एक ही योनी के रुप में ऐसी एक नियम बनाये हैं कि सभी लिंग योनी एक दुसरे से मिलन करके अपना वंश वृक्ष बढ़ा सकते हैं,जिसमे कोई बदलाव नही हुए हैं आदमकाल से,क्योंकि एक ही नियम से शिशु को जन्म देने और दिलवाने के लिये सबके पास एक ही प्रकार का लिंग योनी बिना कोई भेदभाव के संभोग करने के लिये दिया गया है अपनी मर्जी से अपना पसंदीता जिवन साथी के रुप में पृथ्वी में मौजुद किसी भी इंसान को चुनने के लिये,जिसके साथ सबको दिल दिमाक भी दिए हैं ताकि वह अपनी पसंद का चुनकर मिलन करके अपना पसंद का वंश वृक्ष बड़ा कर सके!न कि उसने इंसान को बनाते समय ये नियम बनाया होगा कि फलाना धर्म का इंसान से मिलन मत करना उसे और उसके लिंग योनी को मैने नही बनाया है बल्कि किसी और ने बनाया है!जो यदि कर लिये तो फिर तुम मेरे बनाये गये नियम को तोड़ोगे!जिससे मैं नाराज होकर तुम्हारी प्राण हर लुँगा और बाकियो को छोड़ दुँगा अमर बनाकर हमेशा के लिये जिवित छोड़कर!मेरे ख्याल से ऐसा कुछ नही है बल्कि सृष्टी की रचना करने वाले सबकी प्राण भी हरते हैं और सबको जिवन भी देते हैं इंसानो में नर नारी द्वारा बिना जात धर्म भेदभाव के मिलन कराके नया जिवन को जन्म दिलवाकर!बस क्षमता होनी चाहिए हम इंसान में बच्चे को जन्म देने या दिलवाने की!जिनमे से जिसके पास क्षमता न भी हो तो भी सबका करम लिखने वाले ने उसका भी करम लिखा है,उसके कर्म अनुसार जिवन जिने की करम प्रदान करके!हाँ मैं ये भी सत्य मानता हुँ कि सृष्टी में मौजुद चाहे जिव हो या निर्जिव सभी अपना अपना सत्य कर्म करके अलग से अपना करम लिखवा सकते हैं किसी करम लिखने वाले से!हलांकि मैं ये नही मानता कि ये अलग अलग कई प्रकार के जात धर्म सृष्टी की रचना करने वाले ने बनाया है!क्योंकि मैं मानता हुँ कि हम इंसानो में से ही किसी ने अलग अलग जात धर्म बनाकर हमे उसे सौंपकर चले गये हैं!जिसे मैने तो नही बनाया है ये सृष्टी के नियम बनाने वाले को दिल से सत्य बतलाना भी चाहता हुँ!जिसके नियम को और उसकी प्राकृतिक रचना को अपना गुरु मानता हुँ!क्योंकि सृष्टी की रचना करने वाले को अपना गुरु बतलाउ इतनी बड़ी हैसियत नही है मेरी,नही तो सारे सृष्टी में मौजुद जिवो को जिसकी रचना सृष्टी की रचना करने वाले ने ही किया है,जिसमे सारे एलियन भी हैं उन सबको अपने गुरु का एक ही धर्म किताब देता जिसे पढ़कर कभी भी कोई आपस में धर्म के नाम से नही लड़ता!और न ही कहीं ये विवाद होता कि किसके धर्म में सबसे अच्छी सृष्टी रचना करने वाले के बारे में सत्य ज्ञान बतलायी जाती है,जिस धर्म को अपनाना चाहिए एक धर्म से दुसरे धर्म में परिवर्तन करके!बल्कि धर्म परिवर्तन करके भी अमन शांती न मिले तो दुसरे से फिर तीसरा और तीसरे से फिर चौथा होते रहना चाहिए जबतक कि ये यकिन न हो जाय कि कौन सा धर्म सबसे बेहत्तर है सृष्टी रचना करने वाले से सबसे बेहत्तर तरिके से संपर्क बनाने के लिये!मेरे ख्याल से इस तरह का अलग अलग सफर करके सृष्टी रचना करने वाले तक बेहत्तर तरिके से सफर करने के लिये कई अलग अलग धर्म बदलना सृष्टी रचना करने वाले के लिये तो ठीक वैसा ही होगा जैसे कि किसी इंसान की परछाई को ही यदि सृष्टी की रचना करने वाला एक पल के लिये मान लिया जाय क्योंकि लगभग सभी ये मानते हैं कि सृष्टी की रचना करने वाले जिसके पास सबके करम यानि किस्मत मौजुद है उस करम को लिखने वाले सबके आस पास ही मौजुद हमेशा रहते हैं,जिसे अपनी सुख दुःख बतलाने के लिये किसी भाषा की भी जरुरत नही होती है,क्योंकि वे सृष्टी में मौजुद सारे जिवो की भाषा जिसमे एलियन भी मौजुद हैं समझते हैं!बल्कि मैं तो कहुँगा निर्जिव की भी भाषा समझते हैं,तभी तो निर्जिव पृथ्वी की भाषा समझ गये और उसमे जान डालकर इस बेजान आग से धधकती पृथ्वी में हम इंसानो की भाषालमें प्राकृतिक हरियाली जिवन पनपी,जहाँ इंसानो ने भी बाद में जन्म लिया!न कि आग का गोला में भी वे बहुत पहले ही मिलन कर रहे थे अपना वंश वृक्ष बढ़ाने के लिये जब पृथ्वी आग का गोला के रुप में हम इंसानो की ही भाषा में निर्जिव रुप में धधक रही थी!जाहिर है सृष्टी की रचना करने वाले जिव निर्जिव सबकी भाषा समझते हैं और सबको जिवन प्रदान करते हैं और सबकी जिवन लेते भी हैं,और सबकी करम उसके पास मौजुद है कि वे किसे जिव बनाये और किसे निर्जिव!बल्कि मेरे ख्याल से तो जिव निर्जिव इंसानो के द्वारा बनाया शब्द है क्योंकि जैसा की मैने बतलाया सृष्टी की रचना करने वाले जिसके पास सबके करम है उसके लिये तो सभी अमर हैं जैसे सागर और बादल के लिये हर एक बुंद में चुँकि पानी मौजुद है इसलिये सभी बुंद के लिये सागर और बादल में समा सके यैसी जिन्दगानी मौजुद है!जिस तरह कि जिन्दगानी जिव निर्जिव सबके पास मौजुद है, क्योंकि सृष्टी की रचना करने वाले के पास सबका करम है!बस उन्हे सच्चे दिल से याद करने कि जरुरत होती है!चाहे कोई निर्जिव पहाड़ या नदी याद करे कि उसकी करोड़ो साल की विरासत को तोड़ा और अति दुषित किया जा रहा है इसलिये उसकी अति पीड़ा को उसकी ही भाषा से समझी जाय और जल्द न्याय की जाय उसी तरह चाहे कोई जिव के रुप में इस धरती का खुदको खुद ही श्रेष्ठ घोषित किया गया इंसान सृष्टी की रचना करने वाले को अपनी भाषा में अपनी दुःख जिस भाषा में जिस जगह भी प्रकट करे सभी जगह उसकी पीड़ा की पुकार समझी जा सकती है सबके करम लिखने वाले द्वारा जिसकी पहुँच सब जगह है!जिसे खोजने के लिये अलग अलग धर्म परिवर्तन करने की यात्रा करना मेरे विचार से तो वैसा ही है जैसे किसी यात्री द्वारा अपने बगल में मौजुद परछाई से सबसे बेहत्तर संपर्क साधने के लिये अलग अलग तरिके का सवारी करके सफर करना है!जबकि उसकी परछाई हमेशा उसके साथ ही चलता रहता है जिससे कोई सृष्टी के जिस कोने में पिच्छा छुड़ा ले!और सृष्टी की रचना करने वाले ने तो जिव निर्जिव के साथ साथ परछाई की भी रचना की है!मेरे ख्याल से आज के लिये इतना ही अपनी विचार प्रकट करना काफी है मेरे अजनबी पाठको के लिये!जा रहा हुँ रात में बना खिचड़ी खाने क्योंकि आज सुबह भी खाना नही बना है!
और यदि कोई मुझसे कभी तो अच्छे दिनो की बाते करने की बाते करने की इंतजार में है इस भाजपा कांग्रेस युक्त पार्टी की नेतृत्व सरकार के रहते तो उसके लिये ये गाना पेश करता हुँ,बस सर्त है उसे कोई प्रेमी प्रेमिका की गाना की भावना से मत देखी और सुनी जाय! निचे में दिए गए लिंक में क्लिक किजिये जैसा की मैने अपने पिछली ब्लॉग में लिखा भी है कि ऑनलाईन उँगली करके आप मेरी मदत कर दिजियेगा!
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