विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर को खदेड़ने और कुचलकर हाफ मडर करने वाला इस देश का ताकतवर हाथी गरिबी और भुखमरी के जँजिरो से बंधा हुआ है
विश्व लुटेरा शैतान सिकंदर को खदेड़ने और कुचलकर हाफ मडर करने वाला इस देश का ताकतवर हाथी गरिबी और भुखमरी के जँजिरो से बंधा हुआ है
इस देश के मुलवासी सोने की चिड़ियाँ का मालिक हर रोज गरिबी और भुखमरी से मरने वाले लोगो में सबसे अधिक मर रहे हैं,जिनके बारे में बतला दुँ कि सायद इस देश में बाहरी मुल डीएनए के लोगो की अबतक गरिबी और भुखमरी से कम मौते हुई होगी लेकिन इस देश के मुलवासियो की गरिबी भुखमरी से मौत पहले भी ज्यादे हुई होगी और आज भी ज्यादे हो रही होगी, जिनकी दबदबा सायद सत्ता में भी नही होगी यदि बाहरी और भितरी दो अलग अलग डीएनए की जाँच कि जाय!और जिसका डीएनए भितरी मुलवासी फादर इंडिया से न मिले उसे इस मदर इंडिया द्वारा गोद लिया नागरिक मान लिया जाय संविधान संसोधन करके!क्योंकी वह इस देश का मुलवासी भी नही है!जो वह खुद भी खुदको मानता है इस देश के मुलवासियो के साथ भारी भेदभाव करके जो वह अपने ही डीएनए के अपनो के साथ कभी कर भी नही सकता इतनी भारी भेदभाव!सिर्फ मदर इंडिया को अपनी माँ मानकर देशभक्ती इसलिये जताता रहता है ताकि सेंध मार सके सेवा करने के नाम से मुलवासियो का शोषन अत्याचार करने के लिये!जो इस देश को कभी भी सायद फादर इंडिया नही मानेगा!क्योंकि उसके भितर फादर इंडिया का डीएनए ही मौजुद नही है, बल्कि किसी और ही देश के मुलवासी नागरिको की डीएनए मौजुद है !जो किसी और ही फादर का डीएनए है!जिसके डीएनए से इस देश के मुलवासियो की डीएनए से नही मिलता है!और न ही इस देश की नारी जो की सौ प्रतिशत मदर इंडिया और फादर इंडिया डीएनए का है, चाहे इस देश के जिस जात धर्म में मौजुद हो!क्योंकि पुरुष प्रधान गे गैंग कबिलई झुंड बनाकर इस देश में समय समय पर प्रवेश करते रहे हैं हजारो सालो से जो अपने साथ कोई परिवार विवि बच्चे लेकर नही आते थे बल्कि गे गैंग बनाकर आते रहे हैं लुटपाट भी और व्यापार भी करने के लिये!जो यदि बाद में इस हिन्दुस्तान सागर में समा गये हैं नदी नाले की तरह तो उनका परिवार अथवा वंश वृक्ष इसी देश की नारी ने ही बड़ा कर दिया है!इसलिये मैने कहा भी की इस देश की नारी सौ प्रतिशत मदर इंडिया है!बल्कि मुठीभर पुरुष ही बाहर से आये हैं अपना गे गैंग कबिला बनाकर!हाँ कुछ नारी विदेशी मुल की भी होगी इस देश में इससे भी मैं इनकार नही करुँगा पर वे न के बराबर होगी ये जरुर कहुँगा!जो लुटेरी नही हैं बल्कि उन्हे ये देश और इस देश के लोग अच्छे लगे हैं इसलिये वे यहाँ रिस्ता जोड़कर आयी हैं!क्योंकि मेरे विरादरी में भी एक खास व्यक्ती अमेरिका से अपने लिये अमेरिकन पत्नी लाया है!जिसके बारे में बतलाया जाता है की इस देश में उनको जितना पसंद नही किया गया उससे कहीं ज्यादा विदेशो में उन्हे पसंद किया गया और उन्ही अनगिनत पसंद में एक को वह अपने साथ ले आया पत्नी बनाकर!जिसका मिली जुली परिवार अच्छी खासी फल फुल रही है बिना कोई दिक्कत के!खैर नारी और पुरुष तो दोनो ही पृथ्वी के चाहे जिस कोने में मौजुद हो अपना वंश वृक्ष बड़ाने के लिये सक्षम हैं, बस वे कहाँ के मुलवासी हैं ये जानकारी दुनियाँ में सबको जरुर रखनी चाहिए ताकि अपने मुल पुर्वज और मुल देश को जान सके!ताकि देश में यदि विदेशी भारत छोड़ो की तर्ज में कोई आंदोलन सबका डीएनए जाँच कराकर सुरु होने लगे तो गोरो की तरह आसानी से अपने मुल देश की तरफ अपना बोरिया बिस्तर बांधकर रुख कर सके !जो बाते मैं खासकर उन्हे बता रहा हुँ जिनके भितर विदेशी मुल के डीएनए मौजुद है और जो इस देश के मुलवासी डीएनए के साथ भारी भेदभाव करता रहता है बड़ी ही शान से!जिनसे तो मैं कहुँगा कि जिस देश को तुम्हारे पुर्वजो ने बनाया है न कि तुम किसी और देश में प्रवेश करके उसे बना दिये हो!यैसा सचमुच में यदि सही नही होता तो फिर कोई मुलवासी शब्द ही न होता और न ही कोई किसी की कोख से पैदा हुआ किसी का डीएनए का असली औलाद कहलाता!क्योंकि तुम और सायद तुम्हारे पुर्वज जो की एक ही डीएनए के लोग हो जिनका डीएनए किसी दुसरे की डीएनए से नही मिलती है,जो कि उनके यहाँ खुद वहाँ पलने और कमाने जाकर बस गये हो जहाँ के मुल मालिक मुलवासियो का सम्मान करो जो तुम्हे गोद ले लिये हैं अपने भी हिस्से की खिलाने पिलाने के लिये!बल्कि जो लोग किसी देश के मुलवासियो के साथ शोषन अत्याचार करते हैं उनके मुल हक अधिकारो को छिनकर वही लोग ही किसी देश को कब्जा करके गुलाम बनाने वाले लोग बाद में साबित होते हैं यदि उन्हे ज्यादे समय तक अपने सिर में पाँव रखने दिया गया अपने सर की ताज शौंपकर!जो कभी भी नही होनी चाहिए दुबारा मेरे ख्याल से!हलांकि जो लोग दुसरे देशो में जाकर वहाँ के मुलवासियो का बहुत अधिक लाभ पहुँचाते हैं उनका बहुत सारा काम करके वे एक प्रकार से उनकी बिगड़ी हुई घर को बसा देते हैं जिसे लुटेरो ने तहस नहस किया हुआ रहता है!पर हाँ ये ख्याल जरुर सभी देश के मुलवासियो को जरुर रखनी चाहिए कि कोई विदेशी मुल का बिगड़े हुए को जोड़ने आया है कि बचे खुचे को बटोरने आया है!जो पता आसानी से लगायी जा सकती है कि यदि कोई मुलवासी गरिब से और गरिब होता जा रहा है और विदेशी मुल डीएनए का अमिर से और अधिक अमिर होता जा रहा है उसी देश की खनिज संपदा से तो समझो वह बचा खुचा को बटोरने आया है,अथवा उसे उस देश की मुलवासियो की गरिबी भुखमरी हालात में सुधार हो इससे उन्हे कोई खास चिंता फिक्र नही है!जिस जैसे स्वार्थी परजिवी मच्छड़ खटमल और जू टायप के लोगो को तो मेरे ख्याल से देश की कोई भी प्रमुख क्षेत्रो में सर में नही चड़ाना चाहिए बल्कि ऐसी खराब हालात बनने लगे तो देश पुरी तरह से गुलाम न हो जाय इससे पहले उस देश के मुलवासियो को ही देश के तमाम प्रमुख सरकारी क्षेत्रो की उच्च पदो में 90%स्टेरिंग जल्दी से अपनी एकता के दम पर थाम लेनी चाहिए! नही तो फिर देश के मुलवासियो की सुख शांती और समृद्धी धिरे धिरे चुसकर देश हाईजेक होने का खतरा बना रहता है!जैसे की कभी गोरो द्वारा कई देश हाईजेक हुए थे उस देश के मुल स्टेरिंग में धिरे धिरे गोरो द्वारा बैठकर सुख शांती और समृद्धी को चुसकर!जिनसे अजादी पाकर हम बचा खुचा को भी तो नही लुटा रहे हैं धिरे धिरे सुख शांती और समृद्धी को चुसवाकर अबतक भी चालीस करोड़ बीपीएल भारत बने रहकर?क्योंकि चारो तरफ इस देश के मुलवासी ही हर रोज गरिबी भुखमरी की वजह से सबसे अधिक मर रहे हैं ये उनके बारे में विस्तार से जानकर या फिर मुमकिन हो तो उनकी डीएनए के बारे में पता करके आंकड़ा जुटाया जा सकता है!जो इस देश के मुलवासियो के लिये सबसे बड़ी चिंता की विषय भी होनी चाहिए की उनके अपने ही डीएनए के लोग चाहे जिस जाती धर्म में मौजुद हो क्योंकि सौ प्रतिशत मदर इंडिया सभी जाती में मौजुद है जिसे भी भारी तादार में जन्म से पहले और बाद में भी मारा जा रहा है और मुलवासी नर संहार तो जारी है ही ये तो हर रोज दिखती और दर्दभरी चीखे सुनाई भी देती ही है खबरो में की कमजोर लोग किस तरह हर रोज मारे जा रहे हैं,जो असल में कमजोर नही बल्कि मानो ताकतवर हाथी को गरिबी भुखमरी की जंजिरो में जकड़कर उन्हे मुलता मेरे ख्याल से सबसे कमजोर लोग पिठ पिच्छे कमजोर कहकर मार रहे हैं!जो गरिबी भुखमरी जंजिरो से अजाद करके मारे तब पता चलेगा कौन सबसे ताकतवर है!जिस तरह के लोग तो हकिकत में मैं सत्य लिख रहा हुँ की यदि इस देश के मुलवासि बहुसंख्यक हाथियो को यदि गरिबी और भुखमरी की जंजिरो से पुर्ण रुप से अजाद जिस दिन भी किया गया उसदिन चाहे कमजोर कहने वाला खुदको क्यों न सिंह राजा कहता हो इस देश के मुलवासी प्रजा की सेवा अपने खुनी पंजो में दबोजकर खुंखार जबड़ो के जरिये अपने पेट में सुरक्षा प्रदान करके,पर वह भी शोषन अत्याचार करना छोड़कर भागेगा या गिड़गिड़ायेगा माफ कर देने के लिये जिसदिन मुलवासी हाथी गरिबी भुखमरी की जंजिरो से अजादी पायेगा!जिसके लिये भी सायद गरिबी भुखमरी समाप्त नही की जा रही है इस देश से, क्योंकि मुलवासियो का शोषन अत्याचार करने वालो के हाथ पांव फुलने लगते हैं भितरी मन से गरिबी भुखमरी समाप्त करने की कल्पना करके भी!जिसे महसुस करनी हो तो लालू मायावती जैसे मुलवासियो के अमिर होने के बाद आई पावर के बारे में जान लेना जो भी कभी आजतक देश की सत्ता चाभी अपने हाथ में नही ले पाये हैं इसलिये अब थोड़े दबाये जरुर जाते रहे हैं इस बात से भी मैं इंकार नही करुँगा पर साथ साथ ये भी कहुँगा कि उनके जैसा हर राज्य में नेतृत्व और अमिरी ताकत आकर गरिबी भुखमरी से भी अजाद होने दो इस देश के मुलवासियो को फिर शोषन अत्याचार करना!बल्कि मैं तो कहुँगा गरिबी भुखमरी की जंजिरो में जकड़कर भी यदि सभी बहुसंख्यक हाथी एकजुट हो जाय तो फिर गरिबी भुखमरी की जंजिरो में जकड़कर भी इस देश की सत्ता चाभी ली जा सकती है जिससे ही गरिबी भुखमरी जंजिरो में लगा ताला भी खुलेगी!जिसे कांग्रेस भाजपा कभी भी नही खोलने वाली है और न ही कभी गरिबी भुखमरी जंजिरो से इस देश के मुलवासियो को अजाद करायेगी ये दोनो ही पार्टी जो दोनो ही पार्टी दरसल एक दुसरे से भितर भितर एक दुसरे से दो जिस्म एक जान युक्त पार्टी है!जो दोनो ही सिवाय भाषन अश्वासन देने के कभी भी गरिबी भुखमरी दुर नही करानेवाली है!जिन दोनो को ही केन्द्र सत्ता से दुर किया जाय!बल्कि प्रमुख विपक्ष की मान्यता से भी!ताकि प्रमुख विपक्ष के रुप में इस देश के वे घर का भेदी पार्टी हो जिन्हे ये दोनो पार्टी किसी मजबुरी में नही बल्कि जड़ से सबसे खास करिबी पार्टी मानती है! जिन्हे वे अपना मानो आका मानते हैं!जो अपने आका के प्रति इतने वफादार हैं कि मुझे पुरा विश्वास है कि प्रमुख विपक्ष की अपनी मान्यता भी यदि कभी इस देश और देश की मुलवासी प्रजा द्वारा मिल जाय उन्हे तो उसे अपने आका को ही सर झुकाकर सौंप देंगे!जिस तरह की भेदी ही किसी भी घर और देश का भी विनाश करने में प्रमुख भुमिका निभाते आ रहे हैं चाहे तो इतिहास खोलकर देख लो!जो चुँकि खोटे सिक्के होते हैं जिनकी नेतृत्व की विकाश गाड़ी रुक रुककर अपने आका से मिलकर चलती रहती है इसलिये उनके नेतृत्व में कभी भी विकाश अपडेट उस तरह से नही हो पाती कि पिछली मुल पुर्वजो की विकाश से उसकी तुलना की जा सके सुख शांती और समृद्धी को लेकर!बल्कि मेरे ख्याल से तो घर का भेदी सत्ता की चाभी प्राप्त करने के बाद भी मात्र ऐसी रिमोर्ट बनकर रह जाते हैं जो सिर्फ नाम मात्र के उच्च पदो में तो बैठते हैं पर उनकी डोर उनके उस आका के पास होती है जिसकी साथ पाने के लिये वे घर का भेदी बनते हैं अपने घर की खास कमजोरी भेद को बताकर!उसके बाद सारी जिवन अपनी आका की मानो जय हो कहते हुए आरती उतारकर अपने घर परिवार की विनाश साजिश रोपते रहते हैं!इसलिये कोई घर का भेदी भी कभी नही खत्म कर सकते गरिबी भुखमरी चाहे क्यों न उनके अपने डीएनए के लोग ही मर रहे हो हर रोज गरिबी भुखमरी से!मैं तो अपने परिवार में जब कभी भी बचपन से लेकर आजतक किसी को गरिबी भुखमरी में देखा हुँ और अचानक से यदि मेरे हाथ में आर्थिक पावर आई है तो परिवार के किसी भी सदस्य तो समान्य सी बात है बल्कि कोई बाहरी भी कभी नही भुखा पेट मेरे घर में रहा या सोया है कम से कम दबतक जबतक कि मैं खुद भी परिवार का नेतृत्व करके भरपेट भोजन किया हुँ! और यदि कोई भुखा रहा भी है तो मैं भी उससे कहीं ज्यादे भुखा रहा हुँ अपना पेट काटकर दुसरे ज्यादे भुख से कमजोर सदस्यो को खिलाकर जो अभी ये सरकार भी कर रही है क्या खुद गरिबी भुखमरी में रहकर प्रजा को गरिबी भुखमरी से न मरने देने के लिये अपनी बहुत से महंगी महंगी सुख सुविधा खासकर खुद भी सभी महंगी थाली को त्यागकर बल्कि कभी कभी सरकारी राशन दुकान में मिलने वाली अन्न की थाली थामकर और अपने बच्चो को भी सरकारी स्कूलो में मिलने वाली खिचड़ी खाने के लिये भेजकर,जिसमे से कभी कभी तो छिपकली मिले होने की भी खबरे आ जाती है!मेरा कहने का मतलब साफ है कि प्रजा सेवा को यदि बेहत्तर तरिके से निभानी हो तो गरिबी भुखमरी को सरकार और प्रजा मिल जुलकर उसे प्रयोगिक रुप से शपथ लेने के बाद भी जिकर तबतक उसे प्रयोगिक रुप से निभाते रहा जाय गरिब प्रजा की ही तरह गरिबी भुखमरी में भी जिकर और उनके सुख दुख को भी खुद प्रयोगिक रुप से जिकर जबतक की गरिब प्रजा भी अमिर न हो जाय जो अमिर होने के बाद तो वैसे भी साथ में अपने आप ही बराबरी का खाना पीना करने लगेगी गरिब प्रजा भी!जिसे कोई सरकारी राशन देने की भी जरुरत नही पड़ेगी!और न ही मुझ जैसा विचारको को कभी ये लिखना पड़ेगा कि सरकार भी गरिब को मिलने वाली सरकारी राशन का कंकड़ स्वाद चखे और उसके बच्चे भी सरकारी स्कूल में जाकर सरकारी खिचड़ी खाये जिसमे कभी कभी छिपकली मिले होने की भी खबरे आती है!जिसे खाकर मासुम बच्चे बिमार होते हैं और कई तो मारे भी जाते हैं!जिस तरह की बच्चो को बलि देने की कुछ दुसरे ही तरह की अपडेट बलि देनेवाली प्रथा बंद करने के लिये भी गरिबी भुखमरी की जंजिरो से मुलवासी हाथियो को अजाद होना जरुरी है!क्योंकि मेरे ख्याल से उनके बच्चो की ही बलि दी जा रही है इस तरह की जहरिली खिचड़ी खिलाकर!ताकि भविष्य की उनकी नयी पिड़ि मजबुत न हो सके!जिन सबका एक ही तोड़ मैं बार बार बतला रहा हुँ कि कांग्रेस भाजपा को केन्द्र की राजनिति से दुर करो उन्हे भारी बहुमत से हराकर!उसके बाद भी यदि एक पिड़ी में ही भारी बदलाव न आये तो फिर तो समझो जिस तरह यादव वंश आपस में ही लड़कर समाप्त हुए कहा जाता है उसी तरह ही आपस में ही मुलवासी लड़कर समाप्त होने के लिये तैयार रहो क्योंकि मुल दुश्मन घर का भेदी से मिलकर आपसी फुट करने की साजिस अपडेट कर रहा है!जो मेरे ख्याल से पश्चिमी मल द्वार से बच्चा पैदा कराना ही साबित होगा क्योंकि मुझे पुरा विश्वास है कि इस देश की सुख शांती और समृद्धी आगे की द्वार से पैदा होगी और सोने की चिड़ियाँ भी इसी देश के ही मुलवासियो की दबदबा सत्ता चाभी में पुर्ण रुप से हावी होकर अपडेट होगी!क्योंकि जिस प्रकार जिसकी गाड़ी रहती है वही उसे बेहत्तर तरिके से चलाना जानता है!हाँ अगर उस गाड़ी को चलाने की निपुनता किसी में यदि पहले से मौजुद है अथवा उसी तरह की ही सोने की चिड़ियाँ वह पहले बना या चला चुका है बेहत्तर तरिके से तो वह जरुर ही उसी तरह ही चला सकता है! पर फिर भी मैं यही कहुँगा कि जितनी बेहत्तर अपनी ही गाड़ी को कोई चला सकता है उतनी ही बेहत्तर महसुस करते हुए उतनी ही बेहत्तर नही चला सकता!और फिर इस सोने की चिड़ियाँ जैसी विकसित सभ्यता संस्कृती का मिर्माण करने वाले कौन ऐसी गे गैंग बनाकर प्रवेश की है इस देश में मुझे तो कोई भी नही दिखता है इतिहास में!इसलिये सौ प्रतिशत मैं ये कह सकता हुँ कि इस देश के मुलवासी ही अपनी मुल दबदबा सत्ता में कायम करके और देश का नेतृत्व करके इस देश और इस देश की प्रजा को गरिबी भुखमरी की जंजिरो से अजाद करा सकता है!जिसके पास ही सबसे बेहत्तर हुनर है इस देश और प्रजा की गरिबी भुखमरी दुर करने की!तभी तो वह हजारो साल पहले ही या फिर सायद लाखो साल पहले ही विकसित सिंधु घाटी सभ्यता कृषि संस्कृती का निर्माण किया है कृषि तप द्वारा हजारो हुनर की वरदान पाकर जिसे आज हजारो जाती के रुप में जानी जाती है!जिसके जरिये विकशित जिवनशैली जिने वाले इस देश के मुलवासी कब पुर्ण रुप से जंगली और कबिलई जिवन जिते थे कोई भी इतिहासकार नही बतला सकता!भले ही वह क्यों न दुनियाँ के बहुत से देशो के मुलवासियो के बारे में ये बतला सकता है कि वहाँ के लोगो ने कब जंगली और कबिलई जिवन को जीना छोड़ा था और वहाँ पर कब कृषि ज्ञान पहुँची थी!खैर आज बस इतना ही,आगे फिर इस मुद्दे में और भी बहुत कुछ ज्ञान बांटता रहुँगा,जिसे लेने के लिये मेरा विरोध करने वाले भी जरुर चख ले कड़वा दवा समझकर,क्योंकि मुझे पुरा विश्वास है कि उनको भी लाभ ही होगी और उनकी भी जिवन में सुख शांती और समृद्धी कायम होगी यदि बहुसंख्यक मुलवासियो का शोषन अत्याचार करना बंद कर दें!बस इसके साथ में वे अपनी गलतियो को जरुर स्वीकार कर ले!ताकि एक गलती की सजा से बचने के लिये दुसरी गलती और दुसरे से बचने के लिये तीसरी गलती का बहुत ही खतरनाक सिलसिला उनकी नयी पिड़ि को भी हानि पहुँचाने के लिये चल पड़ती है उसपर सुधार होगी!जिस बात पर यदि यकिन न हो तो फिर तो मैं भी ऐसे सेखी लोगो का कुछ नही कर सकता जिन्हे लगता है कि बस वे जैसा हैं वही सबसे विकसित सोच है!जिसके चलते ही उनके पुर्वजो ने कभी भी इतनी बड़ी विकसित सभ्यता कृषि संस्कृती का स्वाद नही चखे थे इस देश में प्रवेश से पहले!इसलिये आज दुसरे की खाल ओड़कर सेखी मारते रहते हैं सबसे विकसित होने का!
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