अजादी के 70 साल के बुरे हालात और उससे पहले और वर्तमान के भी बुरे हालात

 अजादी के 70 साल के बुरे हालात और उससे पहले और वर्तमान के भी बुरे हालात 
अजादी से लेकर अबतक सत्तर साल की शासन में भाजपा कांग्रेस दोनो ही भारी बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतकर देश में सरकार बना चुकि है!और बार बार ज्यादेतर इन्ही दोनो पार्टियो को ही जनता प्रमुख पक्ष विपक्ष पार्टी समझकर लोक सभा चुनाव के साथ साथ विधान सभा चुनावो में भी जीताते आ रही है!जिसके कारन देश के साथ साथ राज्यो में भी इन्ही दोनो पार्टियो की सबसे अधिक राज्यो में बाकि सभी पार्टियो से अधिक बार सरकार बनाने और प्रजा सेवा करने बल्कि देश चलाने में तो इनके अलावे सिर्फ एक अन्य पार्टी को ही देश की केन्द्र सत्ता नेतृत्व करने का अवसर मिला है!बाकि का तो मानो आपस में बंटकर और कांग्रेस भाजपा अंदर ही अंदर गले मिलकर बाहर से प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष के रुप में लगातार बहस चलाकर हर चुनाव में प्रचार प्रसार होते रही हैं!जो दरसल भाजपा युक्त कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरो और नेताओ को समय समय पर भाजपा कांग्रेस युक्त वोट कराके कैसे सिर्फ भाजपा कांग्रेस को ही प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष के रुप में हमेशा ही बारी बारी से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की परंपरागत वोट को एकजुट करके एक दुसरे को ही केन्द्र सत्ता और साथ साथ बहुत से राज्यो में भी कैसे बिठाया जाय ताकि इन्ही में से ही कोई एक पार्टी हमेशा बैठे रहे देश की सत्ता में हेड मैं जीता टेल तुम हारे प्रमुख पक्ष प्रमुख विपक्ष के रुप में!जिसके लिए बहुत ही सोच समझकर एकतरफा शासन चलाने की मानो भष्म मनुस्मृती भेदभाव सोच का बैताल भुत अपडेट हो गयी होगी उसी समय जब गोरो ने देश की सत्ता से बाहर का रास्ता देख लिया होगा!जिसके बाद सत्ता की कुर्सी में अब कौन बैठेगा इस सत्ता मंथन में धर्म के नाम से देश का बंटवारा और  उच निच के नाम पर शोषित प्रजा का बंटवारा की गोरो से अजादी मिलने के बाद कौन लंबे समय तक अब इनकी सेवा के बहाने देश और इनपर राज करेगा!क्योंकि गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करके देश और प्रजा की बेहत्तर सेवा कैसे हो इसका श्रेय तो इतिहास में लेने की मानो भेदभाव करने वालो ने भितर से कभी सोचा ही नही है!बस इतिहास में इतना से इतना तक शासन किये इसकी उपलब्धि को सायद अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानकर सिर्फ सत्ता ताज को कैसे प्राप्त करे इसकी उन्हे सबसे अधिक चिंता होते आ रही है!जिसे महसुस करनी हो तो देश बंटवारा के समय मारे गये निर्दोश लोगो की संख्या और उनकी पीड़ा जो आज भी कम नही हुई है उनके बारे में और पुना समझौता के समय के इंमोशनल अत्याचार हालात के साथ साथ सत्ता भागीदारी में तब से लेकर अबतक भेदभाव के बारे में मंथन करके पता लगाया जा सकता है कि किस तरह भेदभाव अपडेट करके और इमोशनल अत्याचार करके एकलव्यो का हक अधिकार अँगुठा कटवाया गया है!जिसके बारे में अजादी के समय भी पता कर लिया जाय कि उच्च पदो में तभ भी किस तरह से भेदभाव की गयी थी,और आज भी करना कैसे जारी है!साथ ही गांव शहर दोनो जगह ही छुवा छुत और उच्च निच शोषन अत्याचार की शिकायत मिलते ही रहती है!क्योंकि जैसा कि मैने पहले ही लिखा की आज भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत देश के गांव देहात और शहरो में मंडरा रहा है!जबकि ठीक है हजारो साल बाद भी छुवा छुत करने की एक अलग ही प्रकार की ड्रग्स नशा से भी खतरनाक छुवा छुत करने की नशा है,इसलिये छुटकारा नही मिली हो,क्योंकि उसका नशा करने वाले नशेड़ियो को अथवा चूँकि छुवा छुत की ड्रग्स नसा सबसे अधिक लंबे समय तक जकड़कर पिड़ि दर पिड़ि अपने चपेट में ले ले ऐसी पिड़ि दर पिड़ि चलने वाली नसा है इसलिये हजारो साल बाद तो कम से कम गोरो की भेदभाव से छुटकारा पाकर गोरो से अजादी के तुरंत बाद तो छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव भावना खत्म होकर सबको हक अधिकार की पत्तल में उनके हक अधिकार परोसकर गरिबी भुखमरी भी समाप्त हो जानी थी सोने की चिड़ियाँ की सत्ता चाभी हाथ लगने के बाद कुछ ही सालो में!क्योंकि गोरो से अजादी भी हमे जिस अन्याय अत्याचार से मिलि इसकी सिर्फ एक झांकी के रुप में एक उदाहरन से ही महसुस की जा सकती है कि जब गोरो द्वारा देश गुलाम करके हमारे ही देश में मानो देश के पिच्छे की दरवाजे से हाथ फैलाये गोरे प्रवेश करके और बाद में हमारे ही जमिन में आगे गेट बनाकर उसमे लिखते थे कि कुत्तो और इंडियनो का अंदर प्रवेश करना मना है! जबकि प्रवेश तो वे खुद किये थे!इंडियन तो अंदर ही थे,और जो बाहर भी गये होंगे तो किसी देश को तो गुलाम करने कभी नही गये होंगे!बल्कि भेदभाव का शिकार तब के सुटबुटवाला गोरो द्वारा गाँधी भी शिकार हुये थे,जबकी गांधी ने भी सायद रेल सफर सुटबुट पहने गोरो के साथ खुद भी सुटबुट लगाकर और उनके ही दर्जे की रेल टिकट कटाकर ये सोचे होंगे कि गोरे तो कोर्ट कचहरी से लेकर बल्कि उनकी चोरी और लुट का गाड़ी बंगला सब में प्रवेश करने देते हैं वकिल बनकर सुट बुट पहनकर अजादी न्याय मांगने जाते समय!बल्कि  गोरो से हाथ भी मिलाये होंगे और गले भी,जिसमे आश्चर्य और बुरा नही लगना चाहिए!क्योंकि तब जवानी के दिनो में गांधी की पर्सनल  रोजमरा जिवन में वकिल का डिग्री लेकर और सुटबुट पहनकर क्या क्या घटित हो रही थी रेल से गोरो द्वारा उठाकर फैंके जाने तक,इसे भी तो विस्तार पुर्वक जानकर गांधी को बचपन से लेकर बुढ़ापा तक की उनकी पुरी जिवन को जाननी चाहिए! न कि सिर्फ बुढ़ापा की तस्वीर और मुर्ती लगाकर ही ये कहते रहना चाहिए की ये है असली गांधी!फिर सुटबुट लगाकर खास दर्जे की रेल टिकट कटाकर गोरो के साथ सफर कर रहे वह व्यक्ती कौन था जिसे गोरो ने रेल डब्बे से उठाकर बाहर फैंका था ब्लेक इंडियन की जुरत कैसे हुई गोरो के साथ में बराबरी का सफर करने की ये कहकर!जिसके बाद ही तो गांधी ने सुटबुट का बहिष्कार करो,बहिष्कार करो कहकर पहले तो खुद सुटबुट उतारकर उसे जलाकर ग्रामीण धोती कपड़ा धारन किये होंगे और फिर बाकि सभी सुटबुट वाले अपने समर्थको को भी सुटबुट को जलवाये होंगे!जो सारी घटना रेल डब्बा से बाहर फैके जाने के बाद हुई थी जिसे सबसे बड़ी बदलाव मानी जा सकती है गाँधी के भी जिवन में, जिसकी छाप आज भी दिखती है जब सायद ही कोई मुर्ती और तस्वीर में गांधी सुटबुट पहने दिखते हैं!हलांकि ज्यादेतर बल्कि मैं तो कहुँगा सारी गाँधी मुर्ती उनके द्वारा सुटबुट त्यागने और ग्रामीण धोती कपड़ा पहने बुढ़ापा की ही आज भी लगती रहती है भले उसके चाहने वालो में बहुत से उनके खास करिबी भी बाद में भी सुटबुट पहनना न छोड़े हो!पर गाँधी ने तो बाद में सायद कभी भी दुबारा सुटबुट नही पहने होंगे!जिसे देखकर ही तो लोग ये जानते हैं कि ये है असली गाँधी!जिसके जगह अगर सुटबुट गाँधी अगली सुबह बदल दी जाय तो सायद बहुत से लोग तो सायद पहचानेंगे भी नही की वे भी गाँधी ही हैं!जबकि सच्चाई तो यही है कि सुटबुट और धोती कपड़ा दोनो ही धारन किये हैं गाँधी अपने जिवन में!जिसका नकल करके सुटबुट पहने आज के भी प्रधान सेवक के बारे में एकबार मैने खबर पढ़ते समय एक फोटो में देखा था जिसमे वे चरखा चलाते दिखलाये गये थे!जिसे लेकर सायद काफी विवाद भी हुआ था कि गाँधी चरखा सुटबुट मोदी कैसे चलाते हुए अपना फोटो प्रकाशित करा सकते हैं उनकी नकल करके?जबकि जैसा कि मैने इससे पहले बताया कि सुटबुट तो गाँधी भी पहनते थे और चरखा हर नागरिक के लिये बल्कि पुरी दुनियाँ के लिये है,जिसे खासकर यदि कपड़ा पहननी हो!जिसका अपडेट कपड़ा बनाने की मशीन भी तो लोग चरखा कि विरासत को ही तो आगे आज भी अपडेट करके बड़ाई जा रही है, जैसे की आज भी बहुत से जगह जिन हजारो जातियो के साथ छुवा छुत की जाती है वह पहले जाति नही बल्कि कृषि तप द्वारा वरदान पाया हजारो विकसित वह हुनर है जिसके जरिये ही आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती का निर्माण किया गया है हजारो साल पहले ही जब दुनियाँ के बहुत से लोगो के पुर्वजो को कपड़ा पहनना भी नही आता होगा, जो बाद में हिन्दुस्तान में आकर कपड़ा पहनना भी सिखे होंगे और एक जगह स्थिर होकर कृषि तप करना भी सिखे होंगे!उससे पहले नंगे ही बिन कपड़ो के घुम घुमकर और शिकार करके पेट पाल रहे होंगे!जैसे कि आज भी कहीं कहीं देखने को मिलती है पर वे अब आज पुरी तरह से शिकारी हैं नही कहा जा सकता क्योंकि कृषि ज्ञान अब उनतक भी पहुँच चुकि है जैसे कि धन्ना कुबेरो के पास भी हवाई जहाज पहुँच चुकि है जिसका आविष्कार एक गरिब ने किया था!जिसे भी मैं आविष्कार से ज्यादा उसे अपडेट किया था कहुँगा,जैसे की सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का हजारो हुनर जो आज हजारो जाती है उसे भी अपडेट करके ही कई लोग खुदको कई चिजो का आविष्कारक बतला रहे होंगे जबकि असल में उसका आविष्कार कृषि तप द्वारा कबका किया जा चुका होगा हजारो हुनरो में से ही एक द्वारा!,जिसकी सिर्फ अपडेट किसी और द्वारा होते जारी है उसे आधुनिक से आधुनिक अपडेट करते हुए!क्योंकि जैसे जहाज का आविष्कार जब हुआ बतलाया जाता है उससे पहले ही बहुत सारी उड़ने की खोज हो चुकि थी!जैसे कि अभी एलईडी टी वी या फिर 4K टीवी वगैरा जो कोई भी बनाया होगा वह टीवी का आविष्कार किया कभी नही माना जायेगा बल्कि उसका अपडेट किया ज्यादे माना जायेगा!और फिर गाँधी तो सिर्फ उस चरखा को धारन किये थे जिसे हजारो साल पहले ही इस देश के लोगो ने बनाया और फिर उसे धारन किया है और कई अन्य देश के लोगो ने भी बहुत पहले इसे विभिन्न रुपो में धारन किया है,तभी तो वे उससे कपड़ा बनाकर उसे पहनना सुरु किये हैं!जो चरखा को गाँधी ने कोई आविष्कार नही किये थे कि उसपर सिर्फ उसी की कॉपी राईट फोटो लगे!हाँ गांधी मुर्ती में भी कहीं कहीं सुटबुट वाला गाँधी की भी फोटो जरुर लगनी चाहिए थी और सुटबुट प्रधानमंत्री मोदी को भी धोती कपड़ा पहनकर भी चरखा चलाते हुए गाँधी का पुरी नकल करते हुए फोटो छापनी चाहिए थी!हलांकी अब गोरे किसी को रेल से बाहर नही फैंकते हैं,बल्कि वे खुद भी अपडेट मशीन करके चरखा चलाते हैं और देश गुलाम करने की भी मानो कोहिनूर हीरा गुलामी गिप्ट भी लेकर इस देश से गए हैं देश को अजादी देकर!और इस 21वीं सदी में तो इस देश के सुटबुट वाले प्रधान सेवक को दावत पर भी बुलाते हैं!अथवा अब बहुत कुछ बदल चुका है!फिलहाल इतना ही,मेरा ब्लॉग पढ़ने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद!

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