सबसे बड़ी देश और प्रजा सेवा क्या है?


गोरो से अजादी से लेकर अबतक सत्तर साल की शासन में भाजपा कांग्रेस दोनो ही भारी बहुमत से लोकसभा चुनाव जीतकर देश में सरकार बना चुकि है!और बार बार ज्यादेतर इन्ही दोनो पार्टियो को ही जनता प्रमुख पक्ष विपक्ष पार्टी समझकर लोक सभा चुनाव के साथ साथ विधान सभा चुनावो में भी जीताते आ रही है!जिसके कारन देश के साथ साथ राज्यो में भी इन्ही दोनो पार्टियो की सबसे अधिक राज्यो में बाकि सभी पार्टियो से अधिक बार सरकार बनाने और प्रजा सेवा करने बल्कि देश चलाने में तो इनके अलावे सिर्फ एक अन्य पार्टी को ही देश की केन्द्र सत्ता नेतृत्व करने का अवसर मिला है!बाकि का तो मानो आपस में बंटकर और कांग्रेस भाजपा अंदर ही अंदर गले मिलकर बाहर से प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष के रुप में लगातार बहस चलाकर हर चुनाव में प्रचार प्रसार होते रही हैं!जो दरसल भाजपा युक्त कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरो और नेताओ को समय समय पर भाजपा कांग्रेस युक्त वोट कराके कैसे सिर्फ भाजपा कांग्रेस को ही प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष के रुप में हमेशा ही बारी बारी से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस की परंपरागत वोट को एकजुट करके एक दुसरे को ही केन्द्र सत्ता और साथ साथ बहुत से राज्यो में भी कैसे बिठाया जाय ताकि इन्ही में से ही कोई एक पार्टी हमेशा बैठे रहे देश की सत्ता में हेड मैं जीता टेल तुम हारे प्रमुख पक्ष प्रमुख विपक्ष के रुप में!जिसके लिए बहुत ही सोच समझकर एकतरफा शासन चलाने की मानो भष्म मनुस्मृती भेदभाव सोच का बैताल भुत अपडेट हो गयी होगी उसी समय जब गोरो ने देश की सत्ता से बाहर का रास्ता देख लिया होगा!जिसके बाद सत्ता की कुर्सी में अब कौन बैठेगा इस सत्ता मंथन में धर्म के नाम से देश का बंटवारा और  उच निच के नाम पर शोषित प्रजा का बंटवारा की गोरो से अजादी मिलने के बाद कौन लंबे समय तक अब इनकी सेवा के बहाने देश और इनपर राज करेगा!क्योंकि गरिबी भुखमरी और बदहाली दुर करके देश और प्रजा की बेहत्तर सेवा कैसे हो इसका श्रेय तो इतिहास में लेने की मानो भेदभाव करने वालो ने भितर से कभी सोचा ही नही है!बस इतिहास में इतना से इतना तक शासन किये इसकी उपलब्धि को सायद अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानकर सिर्फ सत्ता ताज को कैसे प्राप्त करे इसकी उन्हे सबसे अधिक चिंता होते आ रही है!जिसे महसुस करनी हो तो देश बंटवारा के समय मारे गये निर्दोश लोगो की संख्या और उनकी पीड़ा जो आज भी कम नही हुई है उनके बारे में और पुना समझौता के समय के इंमोशनल अत्याचार हालात के साथ साथ सत्ता भागीदारी में तब से लेकर अबतक भेदभाव के बारे में मंथन करके पता लगाया जा सकता है कि किस तरह भेदभाव अपडेट करके और इमोशनल अत्याचार करके एकलव्यो का हक अधिकार अँगुठा कटवाया गया है!जिसके बारे में अजादी के समय भी पता कर लिया जाय कि उच्च पदो में तभ भी किस तरह से भेदभाव की गयी थी,और आज भी करना कैसे जारी है!साथ ही गांव शहर दोनो जगह ही छुवा छुत और उच्च निच शोषन अत्याचार की शिकायत मिलते ही रहती है!क्योंकि जैसा कि मैने पहले ही लिखा की आज भी भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत देश के गांव देहात और शहरो में मंडरा रहा है!जबकि ठीक है हजारो साल बाद भी छुवा छुत करने की एक अलग ही प्रकार की ड्रग्स नशा से भी खतरनाक छुवा छुत करने की नशा है,इसलिये छुटकारा नही मिली हो,क्योंकि उसका नशा करने वाले नशेड़ियो को अथवा चूँकि छुवा छुत की ड्रग्स नसा सबसे अधिक लंबे समय तक जकड़कर पिड़ि दर पिड़ि अपने चपेट में ले ले ऐसी पिड़ि दर पिड़ि चलने वाली नसा है इसलिये हजारो साल बाद तो कम से कम गोरो की भेदभाव से छुटकारा पाकर गोरो से अजादी के तुरंत बाद तो छुवा छुत और उच्च निच का भेदभाव भावना खत्म होकर सबको हक अधिकार की पत्तल में उनके हक अधिकार परोसकर गरिबी भुखमरी भी समाप्त हो जानी थी सोने की चिड़ियाँ की सत्ता चाभी हाथ लगने के बाद कुछ ही सालो में!क्योंकि गोरो से अजादी भी हमे जिस अन्याय अत्याचार से मिलि इसकी सिर्फ एक झांकी के रुप में एक उदाहरन से ही महसुस की जा सकती है कि जब गोरो द्वारा देश गुलाम करके हमारे ही देश में मानो देश के पिच्छे की दरवाजे से हाथ फैलाये गोरे प्रवेश करके और बाद में हमारे ही जमिन में आगे गेट बनाकर उसमे लिखते थे कि कुत्तो और इंडियनो का अंदर प्रवेश करना मना है! जबकि प्रवेश तो वे खुद किये थे!इंडियन तो अंदर ही थे,और जो बाहर भी गये होंगे तो किसी देश को तो गुलाम करने कभी नही गये होंगे!बल्कि भेदभाव का शिकार तब के सुटबुटवाला गोरो द्वारा गाँधी भी शिकार हुये थे,जबकी गांधी ने भी सायद रेल सफर सुटबुट पहने गोरो के साथ खुद भी सुटबुट लगाकर और उनके ही दर्जे की रेल टिकट कटाकर ये सोचे होंगे कि गोरे तो कोर्ट कचहरी से लेकर बल्कि उनकी चोरी और लुट का गाड़ी बंगला सब में प्रवेश करने देते हैं वकिल बनकर सुट बुट पहनकर अजादी न्याय मांगने जाते समय!बल्कि  गोरो से हाथ भी मिलाये होंगे और गले भी,जिसमे आश्चर्य और बुरा नही लगना चाहिए!क्योंकि तब जवानी के दिनो में गांधी की पर्सनल  रोजमरा जिवन में वकिल का डिग्री लेकर और सुटबुट पहनकर क्या क्या घटित हो रही थी रेल से गोरो द्वारा उठाकर फैंके जाने तक,इसे भी तो विस्तार पुर्वक जानकर गांधी को बचपन से लेकर बुढ़ापा तक की उनकी पुरी जिवन को जाननी चाहिए! न कि सिर्फ बुढ़ापा की तस्वीर और मुर्ती लगाकर ही ये कहते रहना चाहिए की ये है असली गांधी!फिर सुटबुट लगाकर खास दर्जे की रेल टिकट कटाकर गोरो के साथ सफर कर रहे वह व्यक्ती कौन था जिसे गोरो ने रेल डब्बे से उठाकर बाहर फैंका था ब्लेक इंडियन की जुरत कैसे हुई गोरो के साथ में बराबरी का सफर करने की ये कहकर!जिसके बाद ही तो गांधी ने सुटबुट का बहिष्कार करो,बहिष्कार करो कहकर पहले तो खुद सुटबुट उतारकर उसे जलाकर ग्रामीण धोती कपड़ा धारन किया और फिर बाकि सभी सुटबुट वाले अपने समर्थको को भी सुटबुट को जलवाया!जो सारी घटना रेल डब्बा से बाहर फैके जाने के बाद हुई थी जिसे सबसे बड़ी बदलाव मानी जा सकती है गाँधी के भी जिवन में, जिसकी छाप आज भी दिखती है जब सायद ही कोई मुर्ती और तस्वीर में गांधी सुटबुट पहने दिखते हैं!हलांकि ज्यादेतर बल्कि मैं तो कहुँगा सारी गाँधी मुर्ती उनके द्वारा सुटबुट त्यागने और ग्रामीण धोती कपड़ा पहने बुढ़ापा की ही आज भी लगती रहती है भले उसके चाहने वालो में बहुत से उनके खास करिबी भी बाद में भी सुटबुट पहनना न छोड़े हो!पर गाँधी ने तो बाद में सायद कभी भी दुबारा सुटबुट नही पहने होंगे!जिसे देखकर ही तो लोग ये जानते हैं कि ये है असली गाँधी!जिसके जगह अगर सुटबुट गाँधी अगली सुबह बदल दी जाय तो सायद बहुत से लोग तो सायद पहचानेंगे भी नही की वे भी गाँधी ही हैं!जबकि सच्चाई तो यही है कि सुटबुट और धोती कपड़ा दोनो ही धारन किये हैं गाँधी अपने जिवन में!जिसका नकल करके सुटबुट पहने आज के भी प्रधान सेवक के बारे में एकबार मैने खबर पढ़ते समय एक फोटो में देखा था जिसमे वे चरखा चलाते दिखलाये गये थे!जिसे लेकर सायद काफी विवाद भी हुआ था कि गाँधी चरखा सुटबुट मोदी कैसे चलाते हुए अपना फोटो प्रकाशित करा सकते हैं उनकी नकल करके?जबकि जैसा कि मैने इससे पहले बताया कि सुटबुट तो गाँधी भी पहनते थे और चरखा हर नागरिक के लिये बल्कि पुरी दुनियाँ के लिये है,जिसे खासकर यदि कपड़ा पहननी हो!जिसका अपडेट मशीन करके भी तो लोग चरखा कि विरासत को ही तो आगे आज भी बड़ाई जा रही है, जैसे की आज भी बहुत से जगह जिन हजारो जातियो के साथ छुवा छुत की जाती है वह पहले जाति नही बल्कि कृषि तप द्वारा वरदान पाया हजारो विकसित वह हुनर है जिसके जरिये ही आधुनिक सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती का निर्माण किया गया है हजारो साल पहले ही जब दुनियाँ के बहुत से लोगो के पुर्वजो को कपड़ा पहनना भी नही आता होगा, जो बाद में हिन्दुस्तान में आकर कपड़ा पहनना भी सिखे होंगे और एक जगह स्थिर होकर कृषि तप करना भी सिखे होंगे!उससे पहले नंगे ही बिन कपड़ो के घुम घुमकर और शिकार करके पेट पाल रहे होंगे!जैसे कि आज भी कहीं कहीं देखने को मिलती है पर वे अब आज पुरी तरह से शिकारी हैं नही कहा जा सकता क्योंकि कृषि ज्ञान अब उनतक भी पहुँच चुकि है जैसे कि धन्ना कुबेरो के पास भी हवाई जहाज पहुँच चुकि है जिसका आविष्कार एक गरिब ने किया था!जिसे भी मैं आविष्कार से ज्यादा उसे अपडेट किया था कहुँगा,जैसे की सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का हजारो हुनर जो आज हजारो जाती है उसे भी अपडेट करके ही कई लोग खुदको कई चिजो का आविष्कारक बतला रहे होंगे जबकि असल में उसका आविष्कार कृषि तप द्वारा कबका किया जा चुका होगा हजारो हुनरो में से ही एक द्वारा!,जिसकी सिर्फ अपडेट किसी और द्वारा होते जारी है उसे आधुनिक से आधुनिक अपडेट करते हुए!क्योंकि जैसे जहाज का आविष्कार जब हुआ बतलाया जाता है उससे पहले ही बहुत सारी उड़ने की खोज हो चुकि थी!जैसे कि अभी एलईडी टी वी या फिर 4K टीवी वगैरा जो कोई भी बनाया होगा वह टीवी का आविष्कार किया कभी नही माना जायेगा बल्कि उसका अपडेट किया ज्यादे माना जायेगा!और फिर गाँधी तो सिर्फ चरखा धारन किये थे जिसे हजारो साल पहले ही इस देश के लोगो ने धारन किया है और कई अन्य देश के लोगो ने भी बहुत पहले धारन किया है,तभी तो वे उससे कपड़ा बनाकर उसे पहनना सुरु किये हैं!जो चरखा को गाँधी ने कोई आविष्कार नही किये थे कि उसपर सिर्फ उसी की कॉपी राईट फोटो लगे!हाँ गांधी मुर्ती में भी कहीं कहीं सुटबुट वाला गाँधी की भी फोटो जरुर लगनी चाहिए थी और सुटबुट मोदी को भी धोती कपड़ा पहनकर भी चरखा चलाते हुए गाँधी का पुरी नकल करते फोटो छापनी चाहिए थी!हलांकी अब गोरे किसी को रेल से बाहर नही फैंकते हैं,बल्कि वे खुद भी अपडेट मशीन करके चरखा चलाते हैं और देश गुलाम करने की मानो कोहिनूर हीरा गिप्ट भी लेकर इस देश से गए हैं अजादी देकर!और इस 21वीं सदी में तो इस देश के सुटबुट वाले प्रधान सेवक को दावत पर भी बुलाते हैं!अब बहुत कुछ बदल चुका है,जो बुद्धी उनके पुर्वजो को दो सौ सालो तक क्यों नही आयी और जज बनकर अजादी के नायको को सुली पर चड़ाते रहे!जिन्हे कुछ नही तो कम से कम धार्मिक किताब पढ़कर तो समझ आ जानी चाहिए थी कि चूँकि यीशु भी गुलामी के खिलाफ अवाज उठाकर सुली में चड़ाये गये थे गुलाम करने वाले यहुदियो के द्वारा इसलिये किसी को गुलाम करना यीशु के अजादी प्रेम संदेश बांटना नही बल्कि गुलाम संदेश बांटना है! और फिर यहूदी के संदेश वाहक मुसा भी तो गुलामी से अजादी दिलाने के लिये ही गुलामी का महल त्यागकर झुगियो में जाकर गुलामो को अजाद कराये थे और साथ साथ मोहम्मद पैगंबर ने भी गुलामी के खिलाफ अवाज उठाकर उस धरती में अमन चैन कायम किये थे जहाँ पर गुलामी से भी खराब हालात कायम थी जब नारी को जन्म देते ही मार दी जाती थी! जिसकी जानकारी इतिहास और धार्मिक किताबो से ली जा सकती है!फिर वहाँ पर नर नारी को जन्म कौन देती थी,क्योंकि नारी तो जन्म के समय ही मार दी जाती थी! फिर वह जवान होकर कैसे जन्म के बाद नारी को मार देनेवाले लोगो के बिच कभी पत्नी कभी माँ के रुप में होती थी!या फिर नारी को जन्म के समय ही मारने वाले किसी नारी की कोख से नही कहीं और से ही मानो पैदा हो रहे थे अथवा दुसरे क्षेत्रो से नारी को दासी के रुप में लाये जा रहे थे!जिनकी अजादी के लिये भी पैगंबर ने कड़ी संघर्ष किये थे!मेरे ख्याल से तब और आज भी जिन्हे परिवार समाज के बारे में कोई भी फिक्र या जानकारी नही होती है वही नारी को जन्म से मारने की हरकते करते होंगे, क्योंकि उन्हे सिर्फ नारी को भोग विलास की वस्तु समझकर जिस तरह वे सोने चाँदी वगैरा की लुट पाट और चोरी करके उससे भोग विलास करते थे उसी तरह ही नारी को भी लुटकर भोग विलास करते रहे होंगे ,क्योंकि उनके पास लुटपाट के लिये लुटेरे झुंड बनाकर आते समय कोई माँ बहन बेटी तो होगी नही!और जो होंगे वे सभी या तो दासी होगी या फिर लुटपाट के बाद सोना चाँदी के साथ में हाथ आयी वह नारी जो किसी के क्षेत्र में लुटपाट करते जबरजस्ती हाथ आयी हो!जिसके कारन लुटेरे जन्म से ही नारी को मारते पिटते रहे होंगे!और जिनके पास सत्य न्याय करने की सोच होंगे वही अजादी अवाज बुलंद किये होंगे इस तरह की जन्म देते ही नारी हत्या अन्याय से मुक्ती दिलाने के लिये!हलांकि जहाँ तक मुझे पता है आज के समय में बड़े बड़े अपराधी से लेकर आतंकवादियो के बारे में आज भी हमे ये देखने सुनने और पढ़ने को खबर मिलते रहती हैं कि वे भी भाई बहन माता पिता मामा मामी दादा दादी नाना नानी वगैरा का परिवारिक रिस्ता निभाते हैं और अपनी नई पिड़ी अथवा अपने बच्चो के लिये किसी अच्छे लड़का लड़की की तलास भी करते हैं!क्योंकि ज्यादेतर मामलो में अपराधियो द्वारा भी रिस्ते जोड़ने को लेकर इसी तरह की खबर अक्सर सुनने देखने और पढ़ने को मिलती है!न कि वे ज्यादेतर अपने जैसा खोजते हैं अपने बच्चो के साथ रिस्ता जोड़ने के लिये अपराधी लड़का लड़की के रुप में!जिस तरह की जिवनशैली जिने वाले अपराधी और आतंकवादी यदि उस समय भी होंगे तो निश्चित ही उनके पास भी इस तरह की क्रुरता नही रही होगी की नारी को जन्म के बाद ही मार दो!जो की सायद नही होंगे क्योंकि तब गुलाम प्रथा और नर नारी की खरिद प्रथा सायद चोरी छिपे वैश्यावृती कराने के बजाय खुलेआम चौक चौराहो पर बोली लगाकर चलती थी!खैर मैं जैसा की बतला रहा था कि लगभग सारे धर्म के अवतार किसी को गुलाम करना गलत मानते थे,जिसके खिलाफ उन्होने समय समय पर अवाज भी बुलंद किये हैं और यीशु तो सुली में भी चड़े हैं गुलाम करने वालो के द्वारा!जिन सबको अपना आदर्श मानकर भी ये तब के गोरे कैसे अपना माथा खराब कर लिये थे कि वे हाथ में बाईबल और न्याय की किताब धरकर और अदालत में जज बनकर अजादी के खिलाफ फैशला सुनाते रहे गुलामी के खिलाफ आवाज उठाने वालो को सजा सुनाकर!जिसके बारे में तो मैं यही कहुँगा कि सारे धर्मो और सारे देशो में मुलता दो तरह के ही लोग प्रमुख रुप से रहते हैं!जिनमे एक तो वहाँ के भले लोग हैं जो किसी को गुलाम करने की हरकत के बारे में कभी सोच ही नही सकते और दुसरे वे लोग जिनके खिलाफ सारे धर्मो के अवतारो ने भी समय समय पर आवाज बुलंद की है उनका विरोध करके और उनसे अजादी दिलाकर!फिर सवाल उठता है ये गुलाम करने वाले जो दुसरे विचार के लोग हैं जो भी साथ में ही रहते रहे हैं भले लोगो के ही बिच मानो भेड़ की खाल पहने भेड़िया के रुप में,वे आखिर असल में कौन लोग हैं जो हजारो साल पहले भी किसी का भारी शोषन अत्याचार करने के लिये मौजुद थे और आज भी किसी नई अपडेट रुप में कहीं कहीं मौजुद ही होंगे,जो दिन रात ये प्रयोग करते रहते होंगे कि कैसे फिर से अपडेट गुलामी लाया जाय!लेकिन जब दुनियाँ के सभी क्षेत्रो के मुलवासियो को मुलता जब किसी को भी गुलाम न करने वाला भले इंसान के रुप में जब भी अपने मंथन में पाता हुँ तो कभी कभी मैं सोचता हुँ कि कहीं कोई बिच में सचमुच का गुलाम करने वाले एलियन तो नही हैं जो इंसानो से जबरजस्ती या बहला फुसलाकर या ठगकर रिस्ता जोड़कर अपना एलियन वंश हजारो सालो से अपडेट करते करते अपना रुप भी इतना अपडेट कर लिये हैं धरती वासी से रिस्ता जोड़कर कि अब वे पुरी तरह से इंसान ही लगते हैं, सिवाय उनके मुल चरित्र और डीएनए में कोई खास बदलाव भितर से नही आयी होगी!जिससे ही वे पकड़े जायेंगे यदि पुरी दुनियाँ में उनकी पुरी तरह से जाँच होगी कि आखिर वे अबतक किसी को गुलाम और भारी भेदभाव करने की सोच को क्यों नही छोड़ पा रहे हैं और उसे सिर्फ अपडेट ही करते आ रहे हैं!जो गोरो के बिच भी मौजुद हो और असली मुलवासी गोरे भले लोग हो जो भी अपनी रोजमरा जिवन में यीशु कि तरह संघर्ष कर रहे हो अजादी के वास्ते उन एलियनो से जिन्होने गोरो को बदनाम कर दिया है इतिहास में!जो सायद हजारो साल पहले ही इस धरती में उतरकर अपने ग्रह की भ्रष्ट सोच को पृथ्वी वासी पर भी जबरजस्ती या फिर छल कपट से थोपना चाह रहे हो,जिससे मुलवासी कुछ गोरे भी संक्रमित होकर उनकी तरह ही हरकत बाद में करने लगे हो!पर चूँकि पुरी तरह से कभी भी एलियनो को कामयाबी नही मिल पा रही हो और न कभी मिलेगी!जिस तरह की ही कामयाबी आजतक भी छुवा छुत  करने वाले मनुस्मृती के दिवाने यदि इस कोशिष में लगे हैं अपनी उच्च निच भारी भेदभाव करने की परंपरा को आगे बड़ाकर, तो वे अब भुल जाय कि अभ कभी वो दिन आयेंगे जब मनुस्मृती संविधान के रुप में लागू होगी किसी देश में!भले भष्म मनुस्मृती का बैताल भुत का चारो ओर मंडराना और दुसरे कि हक अधिकारो को छिनना आगे भी सायद जारी रहेगा उन मनुस्मृती सुझ बुझ वालो के द्वारा जो कुछ दुजे विचार के लोग हैं!जिन्हे अबतक इंडिया गेट में इंडियन और कुत्तो का अंदर आना मना है लिखने वाले गोरो की तरह मन परिवर्तन कर लेनी चाहिए थी|खासकर जो लोग आज भी कई मंदिरो में ये लिखते हैं कि अंदर शुद्रो का आना मना है!शुद्र यहाँ का मुलवासी और मंदिर उसके जमिन में जहाँ पर स्थापित भगवान सत्य शिव वह लिंग योनी,जिसमे जल दुध ढारकर दिन रात जिस रुद्र की आरती उतारी जाती हैं वे रुद्र शुद्रो के साथ भी रहते हैं,जिनसे बड़े हैं क्या मंदिर में प्रवेश करने न देनेवाले !जिन्हे तो ये भी अच्छी तरह  से पता होनी चाहिए भेदभाव करते समय की कभी यक्ष यज्ञ में रुद्र के साथ भी भेदभाव हुआ था!शुद्र बनाकर मुलवासियो के साथ भेदभाव तो हजारो साल पहले सुरु हुआ है,जिसे अच्छी परंपरा कतई भी नही कही जा सकती विकसित विद्वान पंडित कहलाने के नाम पर!जिन सब बातो को जानकर अबतक उच निच की दिवार भी टुट जानी थी!जो न टुटकर मानो मुठिभर लोगो को अब भी उनके हक अधिकार से भी कई गुना ज्यादा बिना मांगे भी छप्पन भोग परोसी जा रही है और जिनको संविधान में भी विशेष अधिकार प्राप्त है उन्हे सिर्फ विकाश के नाम से पत्तल देकर लंबी नोटबंदी की कतार लगाकर छोड़ दिया गया है,जिनके पास अजादी के सत्तर साल बाद भी गरिबी भुखमरी और भेदभाव हटाओ का पत्तल तो दे दी गयी है,पर उसमे परोसने के लिये अबतक उनके हक अधिकार ठीक से नही पहुँचाई गयी हैं,दुसरी तरफ जैसा कि मैने बताया कि मुठीभर लोगो को जिन्हे संविधान में कोई खास अधिकार भी नही मिले है विशेष छुट और माफी देने की,पर फिर भी उन्हे बिन मांगे भी खाश तरह की मानो छप्पन भोग हक अधिकार भितर ही भितर परोसी जा रही है जैसे की नोटबंदी कतार में भी कई लोग कतार में सुबह से शाम तक खड़ा होकर भुख प्यास से मरते जा रहे थे और मुठीभर लोगो की घरो में भी बैंक पहुँच रही थी और मुठीभर लोगो को बैंक में भी पिच्छे के रास्ते विशेष सुविधा प्रधान गुप्त तरिके से दी जा रही थी!जिस तरह का ही भेदभाव करके बार बार छल कपट से सत्ता ताज पहनने के लिये,समय के साथ नये रुप में परिवर्तित होकर अब भाजपा कांग्रेस एक दुसरे का क्लोन पार्टी बनाकर इस तरह से भेदभाव शोषन अत्याचार और हकमारी अबतक भी की जा रही है कि भितर से एक जान बाहर से दो जिस्म दो पार्टी नकली विरोधी बनकर अपने प्रमुख असली विरोधियो की तरफ खुदके तरफ से ही क्लोन पार्टी बनाकर भेजो और उन सबको जात पात की राजनिती करने वाली मानो छोटी पार्टी अठनी चवनी के रुप में बंटे हुए वोट चिलर बतलाकर खुद सबसे बड़ी नोट वाली पार्टी बनकर भेदभाव की राजनिति करते रहो आजतक एक भी दलित को प्रधानमंत्री न बनाकर! और शोषित वोटरो के साथ साथ संवर्ण वोटरो को भी गुमराह करो कि जात पात की राजनिति करने वाली बसपा और सपा समेत अन्य भी कई पार्टी विकाश की असली विरोधी पार्टी है!और भाजपा कांग्रेस ही विकाश के नाम से वोट मांगने और विकाश करने वाली पार्टी के रुप में सबसे बड़ी पार्टी है!जिन दोनो में से ही एक को चुनकर देश और प्रजा की विकाश किया जाय!ऐसी विकाश की अजादी के बाद कांग्रेस द्वारा आधुनिक भारत की विकाश सफर पुरे देश की जनसंख्या जब चालीस करोड़ थी उस समय से लेकर आजतक सत्तर सालो की विकास सफर कांग्रेस की ही नेतृत्व में विकाश सफर आगे बड़ते हुए आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ के बाद भाजपा की भी नेतृत्व में साईनिंग इंडिया और वर्तमान में डीजिटल इंडिया चालीस करोड़ पुरे देश की जनसंख्या चालीस करोड़ से कांग्रेस नेतृत्व में आधुनिक भारत विकाश सफर सुरु होकर वर्तमान की भाजपा नेतृत्व में डीजिटल इंडिया चालीस करोड़ बीपीएल भारत के रुप में विकाश की झांकी मिल गयी है सत्तर साल बाद की गरिबी भुखमरी समाप्त न करके!जिस तरह की विकाश निति में  आधुनिक भारत और डीजिटल भारत की बारी बारी नेतृत्व में कितना अंतर है गरिबी भुखमरी समाप्त होने को लेकर!जो कांग्रेस और भाजपा पार्टी एक दुसरे के लिए प्रमुख विरोधी पार्टी के रुप में साठ साल बनाम साठ महिना शासन चलाने की विकास सफर में कितना अंतर आया है इसकी झांकी अथवा ट्रेलर दिखाकर अब क्या पुरी फिल्म दिखलाना चाहती है आजतक एक भी मंत्री और उच्च अधिकारियो की मौत नही हुई गरिबी भुखमरी से उसे भी संसद में दो मिनट का मौन वर्त लेते हुए ये दिखाकर की किसी मंत्री या उच्च अधिकारी की मौत गरिबी भुखमरी से हो गयी है इसके लिए संसद में दो मिनट का मौन वर्त रखा जाय,अब यही तो बाकि रह गयी है इस देश में गरिबी भुखमरी की पुरी फिल्म देखने के लिए!जिसे देखने से पहले एकबार फिर से विचार करके खासकर इन दोनो पार्टी को वोट करने वाली शोषित जनता ये तय करे कि ज्यादेतर जात पात की राजनिती करनेवाली पार्टी कौन है?जिसके बाद ही सिर्फ कांग्रेस या फिर भाजपा को प्रमुख पक्ष विपक्ष पार्टी समझकर वोट करे!जो दरसल बहुसंख्यको द्वारा आजतक इसलिए भाजपा कांग्रेस को ही भारी बहुमत से जिताने में मदत की गयी है कि भाजपा कांग्रेस की कही गयी बाते सायद उन्हे सच लग गयी हो कि बसपा सपा और बाकि भी कई पार्टियाँ ज्यादेतर जात पात की राजनिती करती है और भाजपा कांग्रेस विकाश की राजनिती करती है!जिनके द्वारा कही गयी जात पात की राजनीति करने वाली बातो को सही मानकर ही सायद आजतक भी एकबार भाजपा कांग्रेस छोड़कर किसी को भी भारी बहुमत से नही जिताया गया लोकसभा चुनाव में!बल्कि मिली जुली गठजोड़ की केन्द्र सरकार बनाने के लिए भी इन दोनो पार्टियो के अलावे सिर्फ एक पार्टी को ही मौका मिला है!उसे भी मंडल कमंडल की आरक्षण आग की एकता लपटे उठने के बाद टांग खिचकर भाजपा द्वारा गिरा दी गयी थी!लेकिन भी यही दोनो पार्टी ही बार बार सबसे अधिक राज्यो में सरकार बनाने और प्रमुख पक्ष विपक्ष बनने में अबतक क्यों कामयाब होते आ रही है,जबकि आजतक इन दोनो ने ये साबित कभी भी नही किया कि इनके सत्ता में आने से इनकी द्वारा की गयी घोषना पत्र जिसमे कि शोषित पिड़ित एकलव्यो की हालात में चमत्कारी रुप से सुधार करने की बाते हर चुनाव में ऐसी की जाती है जैसे देश की सरकार बनाते ही वाकई में अब कोई भी गरिबी भुखमरी से नही मरेगा और इसके बाद की चुनाव जो आयेगी उसमे चुनाव प्रचार करने की जरुरत ही नही होगी,इतना बेहत्तर सुख शांती और समृद्धी आ जायेगी!जबकि हो कुछ और ही हो रहा है क्योंकि मानो जनता मालिक की सेवा करने की परीक्षा का प्रश्न पत्र का जवाब पचास प्रतिशत भी अबतक नही मिल पायी है !बाकियो ने तो सिर्फ एक को छोड़कर किसी ने भी केन्द्र में अपनी सरकार कभी बनाया ही नही है,सिर्फ केन्द्र पेड़ की डाल के रुप में ही बाकि सारी पार्टियाँ राज्यो में अपनी सरकार बनकर शासन करते रहे हैं!जिसमे भी बार बार केन्द्र द्वारा सीबीआई का दुरुपयोग किया जा रहा है ये बताकर केन्द्र के खिलाफ कई क्षेत्रिय पार्टियो की सरकार ये आवाज उठाते रही है की केन्द्र जड़ से उन्हे सही मदत नही मिल रही है इसलिये उनकी डाल सुख रही है!या फिर समय समय पर उन्हे सीबीआई का गलत उपयोग करके डाल को काटा और दबाया जा रहा है उनकी एकता आवाज को ताकतवर आवाज बनने से!जो ताकतवर आवाज कभी भी अपनी ताकतवर सरकार केन्द्र पेड़ खुद बनकर भाजपा कांग्रेस के खिलाफ चल रही तमाम तरह की आरोपो का जाँच कर सके उसी सीबीआई द्वारा इसकी भी तो कभी मौका नही मिल पायी है किसी भी अन्य डाल पार्टी को!क्योंकि सिर्फ एक और पार्टी छोड़कर भाजपा कांग्रेस ही तो केन्द्र सरकार बनाते आ रहे हैं!जिन दोनो को तो मैं जैसा की पहले भी बताया एक जान दो जिस्म एक दुसरे की पुरक क्लोन पार्टी मानता हुँ!जिन दोनो के द्वारा ही सीबीआई या कोई अन्य तरिके से केन्द्र की ताकत का गलत उपयोग करने की आरोप बार बार लगती रही है!जैसा कि हाल में भी खुब शिकायत की जा रही थी कई राज्य सरकारो के सत्ता पक्ष के कई प्रमुख नेताओ द्वारा की उनके खिलाफ जो केन्द्र सरकार द्वारा परेशान किया जा रहा है विभिन्न तरह के झुठे आरोप लगाकर विभिन्न तरिके से कारवाई करके वह सब उन्हे कमजोर करने के लिए की जा रही है ताकि अगली चुनाव में अपराध की भाषा में मानो डरा धमकाकर उन्हे भगा दिया जाय चुनाव मैदान से या फिर डराकर घुटना टेकने के लिए मजबुर कर दिया जाय!जिनसे जो डर गया वह पिच्छे झुक गया और जो नही डरा वह आगे डंडा खड़ा करके तैयार है!जो डर बार बार कानून और संविधान की न बताकर बार बार केन्द्र सरकार द्वारा सीबीआई या कोई दुसरे तरिके से केन्द्र सरकार की ताकतो का गलत उपयोग करने की शिकायत क्यों आती रही है,जबकि कानुनी कारवाई या फिर कोर्ट की कारवाई होती है!जिसमे भी सिर्फ भाजपा कांग्रेस के उपर ही क्यों ये आरोप लगते रहे हैं कि ये दोनो पार्टियाँ सिर्फ चुनाव मैदान में एक दुसरे के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की बाते करते हैं और सरकार बनाने के बाद कोर्ट में ये सब मामला चल रहा है कहकर दोनो ही एक दुसरे के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की पिछले वादो इरादो के मामले में चुप हो जाते हैं!जबकि इन दोनो के उपर ही बाकि सभी पार्टियो से सबसे बड़े बड़े घोटाले करने का भी आरोप लगे हैं और उसकी चर्चा करके ये दोनो पार्टी एक दुसरे के खिलाफ कड़ी कारवाई करेंगे सरकार बनने के बात ये कहकर चुनाव भी जीतते रहे हैं!जैसा कि 2014 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने कांग्रेस को सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी कहकर और कांग्रेस मुक्त नारा देकर कांग्रेस के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की बाते करके भी चुनाव जीती थी,पर आजतक कांग्रेस के एक भी  बड़े बड़े घोटालो की आरोपियो को जेल में डाला गया क्या?जबकि सरकार बनने से पहले कांग्रेस सरकार की मुखिया को जेल में डालने की बाते हो रही थी ये कहकर की उसी के निचे से सभी बड़े बड़े घोटाले हो रहे थे,जो यदि कानूनी कारवाई कोर्ट की आदेश से ही आज हो रही है कांग्रेस छोड़ बाकि पार्टियो के खिलाफ जोर सोर से तो फिर तब क्यों ये कही जा रही थी की भाजपा सरकार कारवाई करेगी इस देश की सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी के खिलाफ यदि चुनी गयी!क्यों सिर्फ बाकि पार्टियो के नेताओ के खिलाफ ही सबसे अधिक कानूनी कारवाई करने की शिकायत आती रहती है!जबकि ये दोनो पार्टियाँ ही एक दुसरे को सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी कहते रहे हैं लेकिन आजतक एक दुसरे के खिलाफ कोई ऐसी कड़ी कारवाई नही किए हैं कि ये दोनो पार्टी कोर्ट में एक दुसरे के खिलाफ खड़े होकर एक दुसरे को साबित कर सके कि इन दोनो में कौन सही कह रहा है अथवा कौन इस देश का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी है!क्यों अबतक दोनो ही एक दुसरे को सिर्फ आरोप ही लगाकर बार बार बचते आ रहे हैं,यदि वाकई में इन दोनो पार्टियो में कोई एक देश का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी है! क्योंकि बाकि पार्टियो को आजतक केन्द्र में अपनी नेतृत्व का सरकार बनाने का मौका ही नही दिया गया है इस देश की बहुसंख्यक जनता द्वारा,जो हर बार की लोकसभा चुनाव रिजल्ट को देखकर पता किया जा सकता है कि इन दोनो ही भाजपा कांग्रेस के खिलाफ सीबीआई द्वारा कड़ी कारवाई करने के लिए कौन पार्टी केन्द्र सत्ता में लाई जाती रही है !जबकि बार बार उन्ही बहुसंख्यको द्वारा अपनी सही पसंद बताकर भाजपा कांग्रेस को ही भारी बहुमत से एक एक एक बार तो भारी बहुमत से चुनकर बिठाने और इससे पहले भी कई बार गठजोड़ कराके बिठाने के बावजुद भी आजतक इस देश के बहुसंख्यक ही क्यों हर रोज भुखमरी गरिबी का शिकार होकर अपनी जिवन लीला सबसे अधिक तदार में समाप्त करते जा रहे हैं इस तरह की बदहाली देश में छाई हुई है!कभी किसान द्वारा आत्महत्या करके तो कभी भुखमरी कुपोषन से मरके तो कभी दवा खरिदने की पैसे  की अभाव में तो कभी घर न रहने कि वजह से खुले आसमान के निचे ठंड से ठिठुकर प्राण त्यागने की इतिहास हर रोज दर्ज हो रही है अजादी से लेकर अबतक सतर साल की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ और साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया की कांग्रेस भाजपा नेतृत्व विकाश सफर में,बाकि सभी पार्टियो को तो बहुसंख्यक जनता ने कभी भी केन्द्र में सरकार चुने जाने का मौका ही नही दिया कांग्रेस भाजपा के अलावे सिर्फ एक और पार्टी को छोड़कर!जिसे भी यदि चलने दिया जाता पाँच सालो तक तब तो उसे भी मौका मिला था कहा जा सकता था!यानी किसी भी तरह सिर्फ भाजपा कांग्रेस की ही सरकार प्रमुख पक्ष और प्रमुख विपक्ष के रुप में आगे भी इसी तरह की विकाश करने के लिए चुनी जाती रहे ऐसी हालात ही हर बार देखने सुनने और पढ़ने को मिल रही है!जिस तरह की विकाश में न तो आजतक छुवा छुत ही मिट पायी है और न ही शोषित पिड़ितो को उनका मुल हक अधिकार इस तरह से मिला है कि उसे देख सुनकर ये कहा जा सके कि अब भेदभाव जड़ से समाप्त हो गया है,बस सिर्फ नाम के वास्ते जात पात की राजनिती हो रही है कहा जा सके!और न ही हाल ही में दलितो के खिलाफ हो रहे इतने शोशन अन्याय अत्याचार की आवाज बुलंद होती यदि सबकुछ सुख शांती ठीक ठाक चल रही होती!जबकि हर बार के चुनाव में बहुसंख्यक जनता द्वारा भाजपा कांग्रेस को ही सबसे अधिक वोट करके आजतक एक बार भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री नही बनाये जाने के बावजुद भी भाजपा कांग्रेस को ही सबसे अधिक वोट बहुसंख्यको द्वारा डालकर ये दिखला दिया जाता है कि यही दोनो पार्टी को बहुसंख्यक जनता अबतक मौका देती आ रही है!पिछड़ी प्रधानमंत्री भी गिने चुने बने हैं!हलांकि अजादी से लेकर अबतक की जितने भी चुनाव हुए हैं उसकी वोट प्रतिशत यदि निकाला जाय तो मेरे अंदाज से पचास प्रतिशत जनता भी अबतक वोट में शामिल नही हो पायी होगी इस देश के सारे मतदाताओ की संख्या के हिसाब से!जिसे क्या माना जाय कि वे सारे लोग बहुत व्यस्त रहते हैं चुनाव के दिन में भी इसलिए वोट करने नही आते हैं!जिनमे भी मुझे पुरा विश्वास है कि जितनी अबादी इस देश में संवर्णो की नही होगी उतनी अबादी आज भी शोषित पिड़ितो की अबादी वोट नही कर पा रही होगी सिर्फ अपनी गरिबी भुखमरी की वजह से,चाहे जिस धर्म में मौजुद हो धर्म बदलकर!क्योंकि उनको सायद ये लगता होगा कि सरकार को बनाने के लिए वोट देने जाकर न तो उसकी पेट भरने वाली है चुनाव के दिन वोट डालकर और अपने पेट में कुछ भोजन न डालकर खाली पेट सोकर और न ही उसके घर के लोगो की भी पेट भरेगी वोट डालकर सरकार बनने के बाद भी!बल्कि यदि मतदान के दिन वे काम पर नही गये ये सोचकर की इसबार एकदिन भुखा रहेंगे फिर भी वोट जरुर करेंगे,ये ठानकर वोट किए यदि कांग्रेस भाजपा छोड़कर किसी तीसरे को भारी बहुमत से जीताकर तो सायद इन दोनो पार्टियो के भारी बहुमतो से हारने के बाद सायद सबकी गरिबी भुखमरी दुर हो जाय अगले पाँच साल में ही पाँच सालो के लिये एकदिन के लिये खाली पेट रहकर वोट डालकर!जो अबतक सतर साल में भी दुर नही हो पायी है !जो जागरुकता बहुसंख्यक शोषित पिड़ितो की एक बहुत बड़ी अबादी में आजतक क्यों नही आ पायी है!क्यों वे सभी पार्टियो की तुलना कांग्रेस भाजपा से ही करते होंगे यदि ये सोचते होंगे की उनको भी केन्द्र में सरकार नेतृत्व का मौका मिलने पर इसी तरह ही चालीस करोड़ बीपीएल भारत कायम रहेगी? जबकि एकबार तो भाजपा कांग्रेस दोनो को ही भारी बहुमत से हराकर ये सब सोचते की देश का नेतृत्व बाकि पार्टी भी इसी तरह करेगी मर जवान मर किसान के बुरे हालात देकर और गरिबी भुखमरी से हर रोज इसी तरह मौत होती रहेगी एक भी मंत्री और उच्च अधिकारी सेवक की मौत गरिबी भुखमरी से न होकर,भले वे खा खाकर मरे इसकी खबर रोज ही आती रहेगी!जिनकी अच्छी खासी खा खाकर मौत होवे तो भी पुरा देश शोक मनाये और हर रोज यदि गरिब जनता मालिक भुखमरी कुपोषन से भी अनगिनत मरे तो भी पुरा देश और संसद एकबार भी शोक न मनाये!जबकि संसद में दो मिनट की मौन वर्त रखकर कभी तो ये बहस चलाई जाय कि आखिर जनता मालिक कि गरिबी भुखमरी से मौत हर रोज हो रही है तो मंत्री पद की शपथ लेनेवाले जनता मालिक के सेवको की मौत भुखमरी गरिबी से क्यों नही हो रही है?कैसा है ये मालिक और सेवक का इतनी भेदभावपुर्ण रिस्ता गरिबी भुखमरी से होनेवाली मौत के मामले में?क्योंकि सरकार और प्रजा छोड़ रोजमरा जिवन में हमने सायद ही कभी इस तरह कि मालिक सेवा का रिस्ता गरिबी भुखमरी से किसी मालिक को मरते हुए और प्रधान सेवक को जेड सुरक्षा लेकर सेवा करते जाते हुए देखा होगा!इसलिये भी सायद किसी भी जनता मालिक की गरिबी भुखमरी से मौत होने पर आजतक दो मिनट का मौन वर्त नही रखा गया है!क्योंकि ऐसा करने पर संसद सत्र जो नही चलेगी,क्योंकि गरिबी भुखमरी से हर रोज अनगिनत मौते हो रही है !जबकि चुनाव के समय उसी गरिब के द्वारा बार बार  चुनाव जितने की उम्मीद की जाती रही है क्योंकि सिर्फ बीपीएल की अबादी ही 40 करोड़ है जिसमे से सिर्फ अकेले बीपीएल ही यदि किसी पार्टी को पाँच दस करोड़ वोट डाल दे तो सायद उसकी सरकार बन जाय!जो की डालते भी रहे होंगे कांग्रेस की गरिबी हटावो नारा सुनकर और भाजपा की सबके अच्छे दिन आयेंगे नारा सुनकर!जो सरकार आने के बाद न तो गरिबी मिटी और न ही गरिब बीपीएल के अच्छे दिन आये गरिबी भुखमरी के मामले में क्योंकि आज भी चालीस करोड़ बीपीएल भारत है मुठिभर आधुनिक भारत,साईनिंग इंडिया और डीजिटल इंडिया के ही बिच में गरिबी भुखमरी से मर रहे हैं,जिन्हे कभी जाननी हो तो गुगल में धारावी सर्च मार लेना या फिर भारत की अमिरी गरिबी सर्च मार लेना पता चल जायेगा इन दोनो पार्टियो ने अजादी से लेकर सतर सालो में किस तरह का भेदभावपुर्ण विकाश किया है!जो अगर जबरजस्ती अपनी उपलब्धि गिनायेंगे तो मैं तो कहुँगा पुरा देश गोरो के समय में क्या क्या उपलब्धी दर्ज किया है उसे भी गिनो रेल पटरी बिछने से लेकर सिंधु घाटी की खोज तक!क्योंकि मेरी नजर में सेवा करने की सही उपलब्धि इसे नही कही जाती है,बल्कि देश और प्रजा सेवा की सही उपलब्धि उसे कही जायेगी जब इस देश में एक भी नागरिक की गरिबी भुखमरी से मौते नही होगी सरकार के द्वारा खुद बंगलो में रहते और उसके मंत्री और उच्च अधिकारियो के यहाँ अपने खुदगी परिवार में एक भी सदस्यो को गरिबी भुखमरी से न मरने देने की जिस प्रकार निति निर्धारित होती हैं उसी तरह ही देश और प्रजा की सेवा करते समय कम से कम एक भी नागरिक की गरिबी भुखमरी से मौत न हो इसकी निति निर्धारन भी होने लगेंगे!रही बात सच्चा देश सेवा तो मेरे ख्याल से देश के अंदर और आस पड़ौस समेत बॉर्डर में भी शांती बना रहे और साथ साथ देश का बंटवारा एक इंच भी कभी न हो और गरिबी भुखमरी समाप्त करके सभी नागरिक सुख शांती और समृद्धी जिवन बिना कोई उच्च निच भेदभाव के जिये,ये है मेरे लिये सबसे बड़ी देश सेवा!एक तो देश को भारत माता कहा जाता है और उसके इतने टुकड़े किये जाते हैं,जिसका मैं एक प्रतिशत भी समर्थन नही करता कि अखंड सोने की चिड़ियाँ को इतने टुकड़े करके बार बार देश सेवा के बारे में इस तरह टुकड़े टुकड़े कर करके पढ़ाई जाती है!जिसके बारे में भी कभी लिखुंगा फिलहाल इतना ही!"धन्यवाद"

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