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मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

85% बहुजनो की हार का मतलब समुद्र मंथन EVM घोटाला अपडेट छल कपट 15% मनुवादी की जीत होगी

85% बहुजनो की हार का मतलब  समुद्र मंथन EVM घोटाला अपडेट छल कपट 15% मनुवादी की जीत होगी

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यदि सेव संतरा से राजा पैदा करने के जैसा EVM घोटाला करना मनुवादी बंद कर दिया होगा तो भाजपा और कांग्रेस दोनो की हार रिजल्ट आयेगी | क्योंकि अब 85% बहुजन भाजपा और कांग्रेस दोनो को ही अपना वोट वीर्य डालना कभी नही चाहेगा | जाहिर है EVM घोटाला सेव संतरा से ही भाजपा कांग्रेस शासन पैदा होगा |

बल्कि मुझे तो अब यकिन नही हो रहा है कि अजाद भारत का संविधान लागू होने से लेकर अबतक बहुजनो ने मनुवादियो को ही बार बार शोषन करने का मौका अपनी वोट से शासक बनाकर देता आ रहा है | जो यदि दे भी रहा है तो भविष्य में निश्चित तौर पर असली फाईनल लड़ाई उन अपनो से ही होनेवाली है , जिनका डीएनए मनुवादियो से नही बल्कि बहुजनो से ही मिलता है | लेकिन वे वोट मनुवादियो को देते आ रहे हैं |

खासकर उन अपने ही डीएनए के घर के भेदियो से जिनको लगता है की अजाद भारत की रक्षा और उसे ठीक से लागु मनुस्मृती रचने वाले लोग ही अच्छी तरह से कर सकते हैं , इसलिए न्यायालय में भी उनकी दबदबा कायम है | और गणतंत्र के बाकि भी प्रमुख स्तंभो में उनकी दबदबा कायम है | बाकि जो 85% शोषित पिड़ित बहुजन जो किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं , जिनका डीएनए एक है , उनके भितर गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में चुने जाने की काबलियत अथवा टैलेंट कम है | इसलिए वे अजादी से अबतक 85% बहुजन होते हुए और सरकारी क्षेत्रो में आरक्षण होते हुए भी प्रतिशत में न के बराबर चुने जा रहे हैं |

जिसे बकवास मानते हुए मनुवादियो की मनुस्मृती छुवा छुत भेदभाव के बारे में मंथन करके मुझे तो अब इस बात पर यकिन होने लगा है कि मनुवादी न तो कभी बेहत्तर शासक बन सकता है और न ही कभी बिना छल कपट के सेवा करके चुनाव जीत सकता है |
जैसे की मनुवादि जिन देवो को अपना पुर्वज मानता है उनके द्वारा भी छल कपट से ही देव और असुर के बिच होने वाली युद्ध जीति जाती थी इसके अनेको उदाहरन से वेद पुराण भरे पड़े हैं | जिन छल कपटी देवो को अपना आदर्श मानने वाले मनुवादी निश्चित तौर पर आजतक भी छल कपट को अपडेट करना जारी रखे हुए है | यही कारन है कि आजतक 85% बहुजनो के बजाय इस देश में मुलता 15% मनुवादियो की ही सत्ता कायम है |

जिसे मैं किसी सेव संतरा से राजा पैदा करने का यज्ञ की तरह चुनाव यज्ञ हो रहा है मनुवादियो के द्वारा इस बात पर पुरी तरह से यकिन होने लगा है | जिसपर यकिन करना स्वभाविक भी है खासकर तब जब सारे वेद पुराण उन देवो के छल कपट से भरे पड़े हैं जिनका वंसज मनुवादी खुदको कहता है |

जिन देवो ने सागर मंथन के समय दानवो के साथ किस तरह से महादानी बली दानवो के साथ अन्याय किया था ये बात भी वेद पुराण में मौजुद है | जो कि खासतौर से मनुवादियो की उस छल कपट को ही दर्शाता है जिसके बलबुते ही वे अबतक इस देश के बहुजनो के सर में मैला तक ढुलवाकर अपने सर में इस देश की सत्ता ताज रखकर राज कर रहे हैं |
जिस छल कपट का समुद्र मंथन से निकला अमृत को प्राप्त करने का छल कपट अपडेट  EVM घोटाला है | जिस EVM मशीन से अभी के समय में चुनाव कराना मनुवादियो की शासन द्वारा दिया गया EVM कुल्हाड़ी से अपने पांव में ही दे मारना है |

सोमवार, 3 दिसंबर 2018

बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने ताकि मनुवादी हमेशा शासक बना रहे


बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने ताकि मनुवादी हमेशा शासक बना रहे Khoj123

बहुजन समाज राम भक्त हनुमान बने
ताकि मनुवादी हमेशा शासक बना रहे


भाजपा वालो के द्वारा हनुमान को बहुजन समाज डीएनए का बतलाया जा रहा है | जो शुद्र और संवर्ण जाती का वोट राजनीति यदि भाजपा बहुजन समाज को खुश करके वोट पाना ही चाहती है , तो उससे पहले बहुजन शुद्र समाज सिधे रुद्र से ही खुदको क्यों न  जोड़े , जिस रुद्र के साथ भी देवो ने भारी भेदभाव किया था यक्ष यज्ञ के समय | जिसके चलते यज्ञ में रुद्र को नही बुलाया गया था | जैसे की मनुस्मृती लागु में यज्ञ करते समय बहुजन समाज को संवर्ण नही बुलाते थे  | 

बल्कि अब भी बहुत से जगह बहुजन समाज का प्रवेश मना रहता है | रुद्र को देवो यक्षो द्वारा यक्ष यज्ञ में न बुलाये जाने के बाद सत्य शिव की पत्नी गयी थी यज्ञ में शामिल होने | क्योंकि यज्ञ का आयोजन करने वाले यक्ष उसके पिता थे | जिसके चलते यज्ञ स्थल में जाकर सत्य शिव की पत्नी अपने पति शिव का बुराई सुनकर घोर अपमान होने पर जलती यक्ष यज्ञ अग्नि में खुदको ही जीते जी डालकर भष्म हो गई थी | जिसके बारे में रुद्र को पता चला तो वह गुस्से में आकर अपने ससुर यक्ष का सर काट दिया था | 

बल्कि ब्रह्मा के द्वारा सरस्वती का भारी अपमान करने पर सत्य शिव ने ब्रह्मा का भी सर काट दिया था | जो रुद्र इसी धरती में ही प्रकृति पर्यावरण पहाड़ पर्वत हरियाली के बिच शिकारी शेर का खाल उतारकर उसमे योग में लिन रहते हैं | या तो फिर कृषी का मदत करने वाले नंदी बैल में सवार रहते हैं | जिसे देव असुर सभी भोले भाले और सबसे ताकतवर भी मानते हैं | जो नर नारी दोनो का का बराबरी रुप अर्धनारेश्वर के रुप में भी पुजे जाते हैं | और लिंग योनी के रुप में भी पुजे जाते हैं | यानी नर नारी दोनो का ही बराबरी प्रतीक सत्य शिव हैं | जिस रुद्र के साथ भी देव एक तो भारी भेदभाव करते हैं , और मुसिबत आने पर या जरुरत पड़ने पर त्राहीमान त्राहीमान करके उसके पास हाथ पांव पसारने और जोड़ने भी जाते हैं | 

जिस रुद्र को ही सिधे इस देश का शुद्र अपना डीएनए और अपना मुलनिवासी वंसज क्यों न माने यदि उन्हे बहुजन समाज कहकर उनकी तुलना उस हनुमान से किया जा रहा है , जिसने सत्य शिव का बहुत बड़ा भक्त रावण की लंका को भष्म कर दिया था | जिसमे खुद राम की पत्नी सीता भी मौजुद थी | जिसे लंका के रक्षको ने भष्म होती लंका के साथ भष्म होने से बचा लिया था | जिन रक्षको को राक्षस कहकर रामायण सुनाते दिखाते और पढ़ाते समय ऐसा दिखलाया जाता था जैसे कि लंका वासियो के बड़े बड़े दांत और लिंग योनी वगैरा थे | जो मानवो का रक्षन नही बल्कि भक्षण करते थे | हलांकि उसी कथित मानव भक्षण करने वाले नारी रक्षको के बिच सीता सुरक्षित रखी गई थी | जिसे भी असुरक्षा लंका के भष्म होते समय निश्चित तौर पर जरुर हुआ होगा | 

क्योंकि यदि वाकई में हनुमान ने पुरी लंका ही भष्म कर दिया था तो निश्चित रुप से लंका में मौजुद प्रजा के साथ साथ सीता भी खतरे में थी | जो लंका और बहुत से लंका वासी यदि सचमुच निंद में ही जिवित जला दिए गए थे और पुरा लंका ही भष्म हो गयी थी हनुमान के द्वारा तो निश्चित तौर पर चूँकि लंका में सीता भी अपहरण करके रखी गई थी लंका रक्षको की निगरानी में , इसलिए वह जलने से बचा ली गई थी | क्योंकि सीता वर्तमान में मौजुद किसी जेड सुरक्षा से भी ज्यादा सुरक्षित घेरा में महिला रक्षको के बिच रखी गई थी | इतना सुरक्षित पुरी लंका की निगरानी थी कि राम भक्तो द्वारा सबका संकट मोचन और सबसे ताकतवर कहे जाने वाले हनुमान को भी लंका में प्रवेश करने के लिए मक्खी का रुप धारन करना पड़ा था | फिर भी हनुमान बाद में पकड़े गए | 


हलांकि यह बतलाया जाता है कि हनुमान को ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करके पकड़ा गया था | अथवा बुद्धी बल का प्रयोग करके पकड़ा गया था | जिस बुद्धी बल के आगे हनुमान खुदको समर्पन कर दिया था | क्योंकि उसपर हरि भरी अशोक वाटिका को उजाड़ने उखाड़ने का आरोप लगा था | जिस आरोप से बचने के लिए हनुमान ने तर्क दिया था कि उसने भोजन करने के लिए फल फुल के पेड़ो को रात में हिला हिलाकर निंद से उठाने के बाद ही फल खाया था | जिसके बारे में लंका रक्षको का तर्क था कि हनुमान फल फुल तोड़कर खाने के बजाय पेड़ को ही उखाड़कर हरि भरी अशोक वाटिका को बर्बाद किया था | 

जो स्वभाविक था यदि वाकई में हनुमान को लंका के प्रकृति पर्यावरण के बारे में ठीक से नही पता था | और वह फल फुल तोड़ने और पेड़ पौधे को जगाने के लिए पुरे पेड़ को ही उखाड़कर भोजन करता था | जिसके चलते ही उसने प्राकृति जड़ी बुटी लाने के लिए भेजने पर जड़ी बुटी तोड़कर लाने के बजाय पुरे पहाड़ को ही उखाड़कर ले आया था | जैसे कि उसने लंका की अशोक वाटिका में आम केला वगैरा फल फुल तोड़कर खाने के बजाय आम केला का पेड़ को ही उखाड़कर अलग प्रकार से भोजन करना सुरु कर दिया होगा | 

और चूँकि हनुमान लंका में घुसपैठी था उस हरि भरी प्रकृति वन संपदा और प्रकृति खनिज संपदा से समृद्ध क्षेत्र लंका में , जहाँ पर अशोक वाटिका जैसे फल फुल के भंडार उपलब्ध थे , जो कि लंकावासी के साथ साथ रावण द्वारा अपहरण करके लाई गई सीता के लिए भी भोजन उपलब्ध कराती थी | जिसका स्वाद चखने का मौका हनुमान को लंका में प्रवेश करके नही मिली थी | और न ही लंका की यात्रा करने के लिए अपने साथ में ले जाने के लिए हनुमान को कोई टिफिन वगैरा मिला था  | इसलिए उसे लंका में बने अन्न जल फल फुल भोजन वगैरा सिधे उपलब्ध मुमकिन न होने पर टेड़े तरिके से चोरी छिपे फल फुल वगैरा पेड़ पौधा उखाड़ उखाड़कर खाने की जरुरत पड़ी | जिसके बाद हनुमान अपराधी के रुप में पकड़ा गया था | जो कि स्वभाविक था , क्योंकि हनुमान ने लंका में चोरी छिपे प्रवेश करके हरी भरी अशोक वाटिका को ही बर्बाद किया था | 

वर्तमान में तो सिर्फ हरी भरी वाटिका से चोरी छिपे एक दो किलो फल फुल तोड़ने या फिर चोरी छिपे सरकारी अन्नाज खा जाने पर सजा के साथ साथ भारी जुर्माना भी हो जाती है | जो सजा नही होती तो आज क्या भुखमरी से अनगिनत लोग भुखो मरते ? खासकर तब जब टनो टन खाने की चीजे देश में हर साल खुले रास्तो में और बड़े बड़े होटलो महलो बंद कमरो वगैरा में भी बर्बाद हो जाती है | बड़े बड़े भ्रष्टाचार करके गुप्त तरिके से कालाधन का भंडार को मानो भ्रष्टाचारियो द्वारा काला मुँह छुपाकर रखा जाना देश का धन बर्बाद हो रहा है वह अलग है | हनुमान ने तो उस अशोक वाटिका को बर्बाद किया था , जिसके बारे में रामायण सुनाते दिखाते और पढ़ाते समय यह कहा जाता है की लंका वासी हरि भरी अशोक वाटिका से फल फुल तोड़कर नही खाते थे बल्कि किमती सोने की बरतनो में मानव भक्षन करते थे | इसलिए भी सायद हनुमान चोरी छिपे लंका में प्रवेश किया था |

 हलांकि फिर भी हनुमान रात में लंका रक्षको के द्वारा पकड़ा गया था | और तुरंत सजा की सुनवाई होकर रात में ही सजा के तौर पर हनुमान के पुंछ पर आग लगाकर छोड़ दिया गया था | जिसके बाद हनुमान ने लंका को जलाकर भष्म कर दिया था | जिसके बारे में यह भी कहा जाता है कि हनुमान जान बुझकर पकड़ाया था लंका के रक्षको द्वारा अपने पुँछ को जलवाने के लिए , ताकि अपनी जलती पुंच्छ से पुरी लंका को ही भष्म कर सके | क्योंकि चाहे जितनी मजबुत सुरक्षा घेरा कहीं पर मजबुत हो यदि वह पुरा जगह ही भष्म किया जाने लगे तो वहाँ पर मौजुद प्रजा और रक्षक के साथ साथ कैदी भी खतरे में होते हैं | जो भी निर्दोश प्रजा को आतंकित करने वाला बहुत बड़ा अपराध है | जैसे की सभी लंका वासी के साथ साथ जिस सीता का संकट मोचन बनकर हनुमान लंका में चोरी छुपे प्रवेश किया था , उस सीता को भी संकट में डाल दिया था , पुरी लंका को आग लगाकर | 

हलांकि भष्म होती लंका से भले लंका के रक्षको ने अपने छोटे छोटे बच्चे , बुढ़े  जवान , नर नारी , पशु पक्षी , पेड़ पौधे , जिव जन्तु वगैरा के साथ साथ अपने घर महल , धन संपदा समेत बहुतो को भष्म होने से नही बचा सके , पर उन्होने सीता को जरुर बचा लिया | जिस भष्म लंका का ढांचा बनाकर आज भी हर साल रामलीला करते समय उसे हनुमान का अभिनय कर रहे अभिनेता के द्वारा नकली जलती पुंछ से जलवाकर मनोरंजन करते हुए जस्न मनाया जाता है | और साथ साथ रावण का भी बड़ा पुतला बनाकर उसे भष्म करके मनोरंजन करते हुए  जस्न मनाया जाता है | जिस लंका का राजा रावण सत्य शिव का बहुत बड़ा भक्त था | जिस रावण की तप से खुश होकर सत्य शिव ने रावण की इच्छा पुरी करने के लिए उसके साथ लंका जाने के लिए तैयार हो गए थे | पर रावण के द्वारा सत्य शिव लिंग को ले जाते समय बिच में ही देवो द्वारा साजिश अथवा छल कपट करके रावण के हाथो से सत्य शिव को आधे रास्ते में ही जमिन पर रख दिया गया था | जो कि सत्य शिव के द्वारा रावण को किसी भी हालत में लंका पहुँचने से पहले शिव लिंग को जमिन पर नही रखने के लिए कहा गया था | 

क्योंकि सत्य शिव को लंका ले जाने के लिए रावण को शिव द्वारा यह सर्त रखा गया था कि शिव लिंग को उसके स्थान से एकबार उठाने के बाद जहाँ पर भी पहली बार रखा जायेगा वहीं पर सत्य शिव स्थापित हो जायेंगे | जो सत्य शिव देवघर में स्थापित हो गए हैं | जो प्राचिन मगध का प्रकृति खनिज संपदा  और जल जंगल पहाड़ पर्वत समृद्धशाली छोटानागपुर अथवा नागो का पुर ( शहर ) शहर क्षेत्र है | जहाँ पर सत्य शिव जो की नाग को अपने गले में डाले रहते हैं , उसका सत्य शिव लिंग स्थापित है | वैसे तो शिव लिंग और शिव के गले में लिपटा सांप का चिन्ह या मुर्ती पुरे विश्व में ही किसी न किसी रुप में पाया गया है | खासकर प्राचिन विकसित उस कृषि सभ्यता संस्कृती की खुदाई में , जहाँ पर तब से प्रकृति की पुजा होती आ रही है , जब किसी मनुष्य निर्मित कई धर्म मौजुद नही थे | जैसे कि इस कृषि प्रधान देश में भी इंसानो द्वारा निर्मित कोई भी धर्म जब मौजुद नही था उस समय से ही इस देश के मुलनिवासी जिन्होने प्राचिन सिंधु घाटी कृषी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करके बारह माह प्रकृतिक पर्व त्योहार मनाते हुए प्रकृति नदी खेत पेड़ पौधे पशु पक्षी और पत्थर शिव लिंग की भी पुजा करते आ रहे हैं |

 जिस शिव को उस सत्य का प्रतीक माना जाता है जिस सत्य पर पुरी दुनियाँ कायम है | जिस सत्य शिव जिसे रुद्र भी कहा जाता है | जिस रुद्र के डीएनए से बहुजन समाज क्यों न सिधे जोड़े यदि हनुमान के डीएनए से जोड़ने की बात हो रही है | जबकि वर्तमान में बहुजन समाज से वायु देव के पुत्र हनुमान को इसलिए भी जोड़ा जा रहा है , क्योंकि हनुमान रामराज का खास ऐसा राम भक्त है , जो कभी शासक ही नही बना , सिर्फ सारी जिवन सीता राम , सीता राम ही जपता रहता है | जिससे बहुजन समाज को जोड़कर मनुवादी खुद हमेशा शासक बने रहना चाहता है | क्योंकि मनुवादी जो की खुदको कथित उस अप्रकृति दुनियाँ में रहने देव के वंसज कहते हैं , जो कि वेद पुराण के अनुसार स्वर्गवासी हैं , न कि प्रकृति निर्मित पृथ्वीवासी हैं | पृथ्वीवासी तो रुद्र हैं , जो हमेशा प्रकृति धरती से ही जुड़े हुए सत्य शिव लिंग के रुप में मिलते हैं | 

बहुजन समाज अथवा शुद्र भी चूँकि हमेशा कृषि सभ्यता संस्कृती धरती से ही जुड़े हुए लोग हैं , इसलिए शुद्र को यदि जोड़ना ही है किसी से तो रुद्र से क्यों न सिधे जोड़ा जाय | रुद्र और शुद्र दोनो के साथ ही भेदभाव हुआ है | वेद पुराण अनुसार पृथ्वी में शासन कर रहे देव यक्ष रुद्र से भेदभाव करते हैं , और खुदको देव का वंसज कहने वाले इस देश में मौजुद संवर्ण लोग शुद्र के साथ भारी भेदभाव करते हैं | शुद्र के साथ भारी भेदभाव होने पर 85 % बहुजन समाज जो कि वीर रक्षक सेना की नौकरी में भी सबसे अधिक तादार में मौजुद हैं , उनको भारी भेदभाव के खिलाफ गुस्से में आकर हिंसक तांडव तो खैर नही करना चाहिए पर एकजुट होकर मनुवादियो के खिलाफ शांती पुर्वक वोट तांडव जरुर करना चाहिए | 


जो मनुवादी कांग्रेस और भाजपा एक ही सिक्के के दो अलग अलग पहलू हेड टेल पार्टी बनाकर भारी भेदभाव शासन कर रहे हैं | जिस शासन को अब बहुत जल्द जाना चाहिए | जिसे जाने से बचाने के लिए ही बहुजन समाज से राम भक्त हनुमान को जोड़ा जा रहा है | चूँकि हनुमान को उस रामराज का संकट मोचन कहा जाता है , जिसका राजा राम का मंदिर बनाने के नाम से लंबे समय तक हमेशा शासक बने रहने की वोट राजनीति 2019 ई. के लोकसभा चुनाव में करने की योजना बना ली गई होगी | हलांकि जिस रामराज की बाते बार बार होती है , उस रामराज में ही संकट मोचन हनुमान ने रानी सीता को अति दुःखी होकर जीते जी धरती में समाने से नही रोक पाया था | और न ही राजा राम को अति दुःखी  होकर अपने प्रजा की सेवा करना छोड़कर जीते जी सरयू नदी में डुबने से रोक पाया था | बल्कि हनुमान तो खुदको भी जंगली अथवा वनवासी जिवन व्यक्तीत कर रहे रानी सीता के बच्चे लव कुश के द्वारा बंधक बनने से नही रोक पाया था | जिस संकट मोचन कहे जाने वाले हनुमान को बांधने वाले बच्चे लव कुश को सीता ने वन में ही जन्म दिया था | जिस लव कुश ने रामराज में हुए अश्व यज्ञ का घोड़ा को रोककर रामराज के खिलाफ हथियार उठा लिया था | क्योंकि राम ने लव कुश की माँ सीता को गर्भवती अवस्था में ही अग्नि परीक्षा में पास होने के बावजुद भी अपने ही महलो से बाहर करके वन भेजवा दिया था | 

जिससे पहले सीता चौदह वर्षो तक राम के साथ वनवासी जिवन व्यक्तीत कर चुकी थी | जो चौदह वर्षो का वनवासी जिवन समाप्त होने के बाद सीता ने अग्नी परीक्षा देकर रामराज में प्रवेश किया था | क्योंकि उस चौदह वर्षो का वनवासी जिवन के दौरान ही सीता रावण के द्वारा अपहरण होकर रावणराज में राम के द्वारा रावण की हत्या होने तक लंका में ही कैद थी | जिस रावणराज से अजादी मिलने के बाद रामराज में सीता राम के द्वारा वापस जंगल भेज दी गयी थी | जाहिर है सीता न तो गैरो के रावणराज में सुखी थी और न ही अपनो के रामराज में ही सुखी थी | बल्कि रावणराज में फिर भी सुख के सपने देखकर और दुःख के आँसु पिकर सोने की लंका में जी रही थी | पर रामराज में तो इतनी अधिक दुःखी हुई कि  जीते जी  वह धरती में समा गई | 

जैसे की दुःखी होकर सत्य शिव की पत्नी भी यक्ष यज्ञ की अग्नि में समा गयी थी | हलांकी शिव की पत्नी शिव से दुःखी नही थी बल्कि अपने पिता यक्ष और उन देवो से दुःखी थी जिन्होने सत्य शिव के साथ भेदभाव करके उसे एक तो यज्ञ में भी नही बुलाया था और दुसरा भुतनाथ वगैरा ताना मारकर सत्य शिव के बारे में शिव की पत्नी के सामने बुराई करके शिव की पत्नी को भी भारी दुःखी कर दिया था | जिसके चलते शिव की पत्नी जलती यक्ष यज्ञ में समा गयी थी |जिसके बारे में जानकर सत्य शिव ने अपनी पत्नी के गम में रुद्र तांडव करना सुरु कर दिया था | जिस रुद्र से ही सिधे खुदको बहुजन समाज क्यों न जोड़े | क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि रुद्र के साथ भी भारी भेदभाव हुआ है और शुद्र के साथ भी भारी भेदभाव हुआ है | जो कि आज भी हो रहा है | 

जो शुद्र एकजुट हो रहा है तो उसका 85% वोट तांडव से बचने के लिए बहुजन समाज को हनुमान बताकर दरसल अपने मनुवादी सत्ता में मंडरा रहा संकट को दुर करने की मकसद से बहुजन समाज को राम का सेवक हनुमान बनाकर और उसका वोट लेकर सत्ता में हमेशा शासक बने रहना चाहता है | जिस मनुवादियो का सेवक हनुमान बनने के बजाय रुद्र से खुदको क्यों न जोड़ा जाय शुद्र के द्वारा एकजुट होकर | ताकि मनुवादियो के खिलाफ एकजुट होकर शुद्र वोट तांडव करके बहुजन सत्ता वापस लाई जा सके | जिसके आने से ही ये देश फिर से विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ खुदको अपडेट करेगा और बहुजन समाज भी सुख शांती और समृद्धी जिवन मनुवादियो की शोषन अत्याचार से मुक्त होकर सुख चैन की जिवन जि सकेगा | 

जो फिलहाल तो छुवा छुत शोषन के अलावे विभिन्न रुपो में भेदभाव के रुप में भष्म मनुस्मृती का भुत चारो ओर मंडरा रहा है | जिससे मुक्ती के लिए शुद्रो को रुद्र की जरुरत है राम का सेवक हनुमान की नही | बल्कि मैं तो कहुँगा खुदको शिव का सेना कहने वाले भी राम मंदिर मुद्दे पर अयोध्या यात्रा करके आने के बाद अपनी शिव सैनिक नाम बदलकर जय श्री राम कहकर राम सैनिक रख ले | क्योंकि राम सैनिको को शिव सैनिक कहकर सत्य शिव के नाम से राम मंदिर निर्माण करके शिव को भी विवाद में लपेटना शिव भक्तो के लिए बहुत ज्यादे तनाव और निराशा उत्पन्न कर रहा है | जो निराशा भाजपा कांग्रेस के साथ साथ कथित शिव सेना पार्टी को भी सत्ता से बाहर करेगी |

सोमवार, 26 नवंबर 2018

आर्य और अनार्य

आर्य और अनार्य 
आर्य और अनार्य , Khoj123 , छुवा छुत ,शोषण अत्याचार ,भारत ,अजादी , गुलामी



कहीं पर एक सवाल पढ़ रहा था , जिसमे यह पुच्छा गया है कि आर्य कौन थे ? हलांकि वर्तमान में भी थे नही बल्कि हैं कहकर मनुवादियो को आर्य कहा जाता है |हलांकि बौद्ध धर्म में आर्य सत्य के बारे में कुछ और ही बतलाया गया है | जिसके बारे में भी जानकर यह समझा जा सकता है कि आर्य का मतलब दरसल उत्तम अथवा श्रेष्ठ होता है | जो खुदको आर्य कहलवाने के लिए मनुवादियो ने मनुस्मृती की रचना करके और छुवा छुत करके कान में गर्म पीघला लोहा डालकर , जीभ काटकर गले में थुक हांडी और कमर में झाड़ु टांगकर , हजारो साल पहले इस आर्य देश में खुदको विशेष प्रकार का आर्य कहलवाया है | जबकि आज यदि मनुस्मृती लागु करके किसी देश में प्रजा सेवा मनुवादी अपनी आरती उतारकर छुवा छुत करते हुए कान में गर्म पीघला लोहा डालने , और जीभ काटने , गले में थुक हांडी टांगने , कमर में झाड़ु टांगने का सेवा करे तो मनुवादियो को पिड़ित शोषित प्रजा आम इंसान मानने के लिए भी तैयार नही होगी | वैसे भी मनुवादी खुदको आर्य कहलवाना जारी रखने के लिए आज भी खुदको उच्च और इस देश के मुलनिवासियो को निच कहकर छुवा छुत करता रहता है | जिसका प्रमाण कई मंदिरो के बाहर बोर्ड लगाये हुए देखकर मिल जाता है | जिस बोर्ड में लिखा रहता है कि शुद्र का प्रवेश मना है | जैसे कि कभी गोरे बोर्ड लगाते थे , जिसमे लिखते थे इंडियन और कुत्तो का प्रवेश मना है | क्योंकि गोरे भी खुदको बहुत बुद्धीमान और श्रेष्ठ समझते थे | जिनको कई देशो को गुलाम करते समय बहुत सत्य बुद्धी मिलती थी अजादी के लिए संघर्ष करने वालो के साथ गुलाम करने का न्याय करके | जिस तरह की आचरण को क्या आर्य अथवा श्रेष्ठ आचरण कहा जाय और पुरी दुनियाँ में इसका प्रचार प्रसार किया जाय कि छुवा छुत और गुलाम करने वाले संस्कार लेकर ही सबसे श्रेष्ठ अथवा आर्य बना जा सकता है |

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

गोरो की गुलामी के समय भी चुनाव और न्यायालय होते थे , पर अजादी चुनने का वोट अधिकार नही था

गोरो की गुलामी के समय भी प्रजा सेवक चुनने का चुनाव होते थे , पर उस समय न्यायालय में देश गुलाम करने का न्याय भी होते थे |
छत्तीसगढ़ चुनाव राजस्थान चुनाव मध्य प्रदेश चुनाव सोने की चिड़ियां विश्वगुरु
पिछला पोस्ट में मैने इस देश की प्रकृत धन संपदा की लूट और चोरी कितनी हो सकती है , इसका अंदाजा लगाने के लिए ये बताया था कि एक सागौन अथवा सागवान का पेड़ करीब 15 लाख की होती है | जो की सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में ही करोड़ो में मौजुद है | जबकि सागवान से भी ज्यादे किमती चंदन का वृक्ष भी इस प्रकृत समृद्ध देश में भरपुर मात्रा में मौजुद है | जिसकी तस्करी करने वाले बड़े बड़े विरप्पन जैसे भ्रष्टाचारी जो देश या देश के बाहर बैठकर एक एक सागौन पेड़ कि किमत करीब 15 लाख होती है , उस पेड़ को चुराने लुटने की सुपारी देते हैं | अभी तक तो मैं उन अनगिनत विदेशी घुमकड़ कबिलई चोर लुटेरो की बात नहीं किया है | जिनका डीएनए से इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए नही मिलता है | जो किमती पेड़ और खनिज संपदा ही नही पुरे देश को ही लुटने के लिए सैकड़ो हजारो सालो तक इस सोने की चिड़ियाँ में आते जाते रहे हैं , जिनमे से तो कई इस विशाल सागर कृषी प्रधान देश में नदी नाले की तरह कई घुमकड़ कबिला अपना पेट पालने के लिए इस प्रकृत समृद्ध कृषी प्रधान देश में प्रवेश करके समाते भी रहे हैं | अथवा वे अपना मूल देश को छोड़कर यहीं पर भी बसते चले गए हैं | जिनका डीएनए से इस देश के मुलनिवासियो का डीएनए नही मिलता है |  जिसमे से ही एक कबिला कथित खुदको आर्य कबिला भी कहता आ रहा है | वह भी हजारो साल पहले इस सिंध सागर देश में प्रवेश करके समा चुकि है | जिस तरह के न जाने कितने गोरो की तरह लुटेरे कबिलई इस समृद्ध देश को सैकड़ो हजारों सालो तक लूटा है | और इस देश के मुलनिवासियो का शोषन अत्याचार करके इस देश की धन संपदा को भी बारी बारी से लुटा है | जो लुटने के साथ साथ इस धरती पर अपना जीवन यापन भी सैकड़ो हजारों साल तक किया है | जिनमे से सिर्फ गोरे कबिलई से अजादी मिलने से पुर्ण अजादी नही मिल जायेगी इस देश के मुलनिवासियो को जो कि वर्तमान में किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं | क्योंकि हमे ये बात कभी भी नही भुलनी चाहिए कि अब भी विदेशी डीएनए के मनुवादी इस देश में छुवा छुत राज कर रहे हैं | जिनके पास सबसे अधिक धन मौजुद है जैसे की गोरो के पास मौजुद थी | जिसके बारे में पता करनी हो तो इस देश के सबसे अमिर धन्ना कुबेरो कि लिस्ट बनाकर पता कर लिया जाय किसके पास सबसे अधिक धन दौलत मौजुद है | जो स्वभाविक है | क्योंकि ये देश पुरी तरह से अभी अजाद नही हुआ है | नही तो फिर आज इस देश को सैकड़ो सालो तक लुटने वाले गोरो का देश अमिर और सैकड़ो हजारो सालो तक धन संपदा लुटवाने वाला सोने की चिड़ियां कहलाने वाला यह देश गरिब देश नही कहलाता |
बल्कि यह देश और इस देश के वासी सभी अमिर कहलाते
जिनकी अमिरी से अपनी गरिबी को रिचार्ज करने के लिए फिर से गोरो और अन्य कबिलई द्वारा होड़ चलती कि कौन सबसे अधिक अमिरी रिचार्ज करेगा मोबाईल बैट्री रिचार्ज करने की तरह फिर से अमिरी रिचार्ज करने की घोड़े में सवार लुटपाट नये तरिके से अपडेट होती | जिसे अपडेट करने की जरुरत ही नही है , क्योंकि भारी लुटपाट तो अब भी जारी है | क्योंकि देश पुरी तरह से अजाद और इस देश के मुलनिवासियो की सत्ता कायम होती तब तो देश में भारी लुटपाट समाप्त होती | जिसे पुरा अजाद कराने के लिए इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , सभी एकजुट होकर अपकीबार मनुवादी भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को हराकर इस देश की सत्ता पर किसी ऐसी पार्टी को नेतृत्व दिया जाय जिसका गठन ही मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने और मुलनिवासियो की सत्ता कायम करके सबको उनका हक अधिकार वापस दिलवाने का लक्ष है | जो अभी हक अधिकार छिन जाने के कारन सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश गरिब बीपीएल भारत बना हुआ है | जो गरिबी भुखमरी मनुवादी भाजपा कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में कभी समाप्त हो ही नही सकती | क्योंकि ये दोनो पार्टी भितर से उन मनुवादियो की पार्टी है , जिन्होने इस देश में हजारो सालो तक छुवा छुत बिमारी दिया है | जो छुवा छुत मनुस्मृती लागू हालात गोरो की गुलामी से भी ज्यादे खतरनाक है | जिसे यदि सिर्फ मन में ही गोरो की गुलामी और मनुवादियो की मनुस्मृती लागू शासन के बारे में कल्पना करके देख लिया जाय पता चल जायेगा कि शुद्र प्रजा कथित उच्च जाती के शासक द्वारा छुवा छुत सेवा वेद सुनने पर कान में गर्म पीघला लोहा शीसा और वेद बोलने पर जीभ कटवाकर कैसी सेवा पाते थे और गले में थुक हांडी व कमर में झाड़ू टांगकर घुमते थे | जो मनुवादी अजाद भारत का संविधान लागू हो जाने के बावजूद भी इतने शोषन अत्याचार और छुवा छुत करने के साथ साथ लोकतंत्र के चारो स्तंभो में भी इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकारो को छिनकर अपनी दबदबा बनाये हुए हैं तो जरा मनुस्मृती लागू के समय की उस दबदबा के बारे में कल्पना किया जाय जब इस देश के मुलनिवासियो को ज्ञान मंदिरो में प्रवेश वर्जित था | लेकिन भी किसी तरह गुलामी में भी ज्ञान का दीपक और वीर रक्षक हुनर को इस देश के एकलव्य जैसे मुलनिवासियो ने बिना गुरु के भी जलाये रखा इसपर अपने ऐसे पुर्वजो पर गर्व है | बाबा अंबेडकर ने भी तो गुलामी के समय ही ज्ञान का दीपक को जलाये रखकर अवसर मिलने पर अजाद भारत का संविधान रचणा किया है | जिस संविधान की रचना करने से पहले उन्होने मनुस्मृती को जलाया था उसके बाद ही अजाद भारत का संविधान रचना किया गया था | पर मनुस्मृती का भष्म भूत मनुवादियो में सवार होकर अजाद भारत का संविधान को जला रहा है और बाबा अंबेडकर की मुर्ति को तोड़ रहा है | जिस भूत को मनुवादियो के उपर से उतारने के लिए जो की मेरा मंथन कहता है कि जो संवर्ण छुवा छुत छोड़ चूके हैं उनके लिए भी भष्म मनुस्मृती का भूत खतरनाक है | इसलिए इस देश में मुलनिवासियो की सत्ता आना जरुरी है जिसकी चाभी 85 % उन मुलनिवासियो के पास वोट के रुप में मौजुद है जो किसी भी धर्म में मौजुद हो सकते हैं | क्योंकि धर्म बदलने से न तो मुलनिवासी डीएनए बदलता है और न ही मनुवादियो के द्वारा राज कर रहा देश बदलता है | क्योंकि मनुवादि जबतक इस देश में राज करते रहेंगे तबतक मुलनिवासी चाहे जितनी बार अपना धर्म बदलकर जिस धर्म में जाय उनका देश नही बदल सकता | क्योंकि देश कोई फल सब्जी तो नही कि बाहरी संक्रमण द्वारा उसके खराब हो जाने पर उसे बदलकर ताजा फल सब्जी बदल दिया जाय | बल्कि देश बदलने के बजाय इस देश का नेतृत्व करने वाले मनुवादी शासक को बदलकर मुलनिवासी शासक लाया जाय | क्योंकि यदि धर्म बदलने से ही अजादी मिलती तो गोरो की गुलामी करते समय अपना धर्म बदलने वाले सभी अजाद हो गए होते | सभी धर्मो के लोग मिलकर अजादी लड़ाई लड़ने की कभी जरुरत ही नही पड़ती और सिर्फ अपना धर्म बदलकर अजाद हो गए होते |

सोमवार, 19 नवंबर 2018

सिर्फ एक सागौन अथवा सागवान का पेड़़ 15 लाख का होता है

सिर्फ एक सागौन अथवा सागवान का पेड़़ 15 लाख का होता है | 
Khoj123,सागौन,सागवान,₹15 लाख

इस समय जो कई राज्यो में विधानसभा चुनाव जो हो रहा है उनमे एक राज्य सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही करोड़ों सागवान का पेड़ मौजुद है | जो पेड़ पुरे देश के कई राज्यो में न जाने कितने करोड़ या अरब सागवान का पेड़ मौजुद हैं | जिन पेड़ों में से ही सिर्फ हर एक नागरिक को एक एक पेड़ दे दिया जाए तो सभी सावा सौ करोड़ नागरिक लखपति बन सकते हैं | जिसे भ्रष्टाचारियों द्वारा काटकर अब तक न जाने कितने करोड़ या अरब सागवान और अन्य किमती पेड़ों को काट या कटवाकर चोरी छिपे बेचा जा चुका है | जिसमें सागवान से भी बहुत ज्यादे कई गुणा किमती चंदन के अनगिनत पेड़ भी मौजुद हैं | जिसका सिर्फ एक डाल भी किसी सागवान पेड़ से भी ज्यादे किमती होता है | जिसे चुराने वाले चंदन तस्करी करने वाला वीरप्पन जैसे भ्रष्टाचारी अब भी देश विदेश में मौजुद हैं | जिनके आदेश से चोरी छिपे किमती पेड़ो की तस्करी जारी है | जो पेड़ तो मात्र एक सोने की चिड़ियाँ का अमिरी झांकी है | पुरे सोने की चिड़ियाँ का लुट पाट इतिहास तो अभी बाकी है | जिसके बारे में अभी अपना धन संपदा लुटवाकर गरिब हुए सभी नागरिक के खाते में 15 लाख काला धन आने की सिर्फ बात होती है | जिसपर भी देश का शासक द्वारा ही कह दिया जाता है कि लुटेरो द्वारा कितना कालाधन जमा किया गया है हमे नही पता | जो मनुवादी सत्ता में कालाधन कितना है पता भी नही चलेगी यदि सुरु से विदेशियो द्वारा चुराकर या लुटकर बाहर ले जाने वाला लुटपाट इतिहास की अलग अलग प्रकार की गणना मनुवादी दबदबा सत्ता में ही किया जाय कि किसने किसने कितना लुटा है | क्योंकि यहां तो 15 लाख की किमत तो सिर्फ एक एक पेड़ में ही है | जो सबके जीवन को एक एक सागवान का और एक एक पेड़ सबके नाम से लगाकर उसे सुरक्षित रखने कि जिम्मेवारी ठीक से निभाकर एक एक तैयार पेड़ सबको देकर लखपति बना सकती है | इतने सारे कीमती प्राकृतिक धन संपदा हमारे सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में मौजुद है | लेकिन भी हमारा देश अब तक गरीब बीपीएल भारत क्यों बना हुआ है ? जबकि अभी तो मैंने इस देश में मौजूद कीमती खनिज संपदा की बात और देश को गुलाम करके कोहिनूर हीरा जैसे कीमती वस्तु लुटकर चुराकर इस देश से बाहर ले गए खजाने की बात ही नही किया है इस पोस्ट में |सागवान पेड़ तो सिर्फ इस देश के प्रकृत समृद्ध होने की झांकी है | सोने की चिड़ियाँ की प्रकृत खनिज संपदा पुर्ण समृद्धी तो बाकि है | जिसे रेल डब्बा में भरकर लुटने के लिए गोरो ने पहली बार कोयले से चलने वाली रेल पटरी खनिज संपदा वाले क्षत्रो में खासतौर पर बिछाई थी जो अब देश पुर्ण रुप से बिना अजाद हुए बुलेट ट्रेन चलने वाली पटरी बिछाने की बात हो रही है , इसपर हमे कतई भी आश्चर्य नही होनी चाहिए | बल्कि अभी तो डीजिटल हावा हवाई यात्रा करके तेज गति से उड़ने वाली लड़ाकू हवाई जहाज में भी लुट करने की खुब सारी चर्चा जोरो पर है | जिनसे छुटकारा पाने का सबसे मजबुत लक्ष छुवा छुत करने वालो की सत्ता से पुर्ण अजादी होनी चाहिए | जिस सत्ता की चाभी एक एक वोट के रुप में अजाद भारत का संविधान लागू करके दिया गया है | जिसका इस्तेमाल आजतक इस देश के मुलनिवासियो ने अठनी चवनी की तरह आपस में वोट फूट होकर किया है | या तो फिर जितने वोट से भारी बहुमत की सत्ता स्थापित होती है , उससे भी कहीं ज्यादे वोटर हर चूनाव में वोट करने जाते ही नही हैं | जो या तो वे पेट के खातिर काम में जाने से अपना किमती वोट का इस्तेमाल नही कर पा रहे हैं , या फिर उन्हे किसी न किसी फंदा में फंसाकर वोट करने नही दिया जा रहा है | जो यदि पेट के लिए काम पर निकलकर वोट नही कर पा रहे हैं तो उनसे गुजारिश है कि वोट के दिन और चुनाव परिणाम के दिन भी भले आधा पेट या भुखा पेट ही क्यों न सोना पड़े लेकिन पुरी अजादी पाने के लिए एकलव्य लक्ष रखकर वोट करने जरुर जाएं और साथ साथ चुनाव परिणाम के दिन भी एकजुट होकर नजर रखें | क्योंकि वैसे भी हर रोज करोड़ो अबादी भुखे पेट सोती है जिनमे से दो दिन और सही | मैं खुद चार दिनो तक भुखा रह चुका हूँ , इसलिए मुझे प्रयोगिक पता है भुख जैसा दुःख क्या होती है | जिस भुख से भी बड़ा दुःख मैं यदि किसी को मान सकता हूँ तो वह मनुवादियो की सत्ता को मानता हूँ जिससे अजादी लक्ष प्रत्येक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद है जरुर होनी चाहिए | जिसके लिए भुखा रहकर भी वोट करना एकलव्य लक्ष जरुर होनी चाहिए | और चुनाव परिणाम के दिन भी खास नजर रखने की लक्ष जरुर रहनी चाहिए | क्योंकि एकलव्य का अँगुठा दान में लेने की तरह वोट मतदान को भी चुनाव घोटाला करके लोकतंत्र को काटा जा रहा है , इसकी भी आंदोलन जोर सोर से चल रही है | जो मुमकिन है क्योंकि एकलव्य का अँगुठा काटने वाले लोकतंत्र के चारो स्तंभो में हावी है | और मैने एक जगह कहीं पर पढ़ा था कि आजतक चुनाव आयोग का प्रमुख अपना अँगुठा कटवाने वाल एकलव्यो को एकबार भी नही बनाया गया है | उसी तरह लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा कितनी है , इसकी झांकी भी अजाद भारत का संविधान को ठीक से लागू  करने और रक्षा करने की जिम्मेवारी जिस न्यायालय को दिया गया है |

 जो न्यायालय  आरक्षण मुक्त है 




वहाँ पर जज बहाली स्थिती कैसी है जाती के आधार पर उसके बारे में भी एक रिपोर्ट जानकर छुवा छुत शासन की स्थिती को जाना समझा जा सकता है | जो पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा जी की 2000 ई. की हाईकोर्ट जजो कि उपस्थिती जाती के अधार पर रिपोर्ट है | जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!

(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!

अच्छे दिन आनेवाले हैं कि भाजपा कांग्रेस के दिन जानेवाले हैं


अच्छे दिन आनेवाले हैं कि भाजपा कांग्रेस के दिन जानेवाले हैं !
भाजपा कांग्रेस युक्त शासन चुनाव परिणाम


भाजपा पार्टी द्वारा सबके अच्छे दिन आऐंगे नारा लगाकर भारी बहुमत से जीत दर्ज करने से पहले ये जुमलाबाजी की गयी थी कि चोर लुटेरो द्वारा चुराकर रखा गया कालाधन के बारे में एक एक पाई का हिसाब किताब कांग्रेस मुक्त भाजपा सरकार बनने के बाद लिया जायेगा | और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को जेल में भी डाला जायेगा | जिसके लिए साठ साल बनाम साठ महिने का अवसर भाजपा पार्टी द्वारा मांगा गया था | जो साठ महिना अब पुरा होने ही वाले हैं , लेकिन भी साठ साल बनाम साठ महिने का अच्छे दिन नही आनेवाले हैं बल्कि कांग्रेस युक्त भाजपा होकर ये सिर्फ जुमला साबित होनेवाला है | जबकि चूनाव से पहले प्रधानमंत्री उम्मिदवार द्वारा पंद्रह बीस लाख की जुमला और भाजपा का एक खास समर्थक योग बाबा द्वारा भी भाजपा के साथ समझौता करके मंच में उछल कुद करके हजारो लाखो करोड़ कालाधन जब्त की जायेगी ऐसी बाते हजारो किलोमिटर दुरी तय करके अनगिनत मंचो द्वारा अपने द्वारा विश्वास में लेकर मानो योग करते करते भी वचन ली गई थी | जिनके द्वारा वोट मांगते समय की सारे वचनो का सबूत और जानकारी ऑडियो और विडियो के रुप में इंटरनेट में भी मौजुद है | भले झुठी शान बचे पर वचन न निभाया जाय मानकर चुनाव प्रचार के समय की गयी वादो को अब जुमला कहकर अपनी मुँह फेर दिया गया हो | जिस तरह की बड़े बड़े वादे और वचन कांग्रेस सरकार के समय भी की गयी थी | जो सबूत के तौर पर खुद कांग्रेस की पुरानी चुनाव घोषना पत्र में और ऑडियो विडियो के रुप में इंटरनेट सर्च मारने पर भी मौजुद है | बल्कि कालाधन का सबूत भी कांग्रेस भाजपा दोनो के ही पास काली लिस्ट का फाईल के रुप में भी मौजुद था | जिसे लेकर चुनाव प्रचार करते समय बार बार ये कहा जा रहा था कि बस सिर्फ एकबार मौका मिले तो सलवार सुट पहनने के लिए मजबूर करने वाले कांग्रेस में मौजुद बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को जेल में डाला जायेगा  | और साथ साथ रामलीला मैदान में होने वाले अन्ना हजारे आंदोलन जैसे सारे आंदोलनो को उनके सही अंजाम तक पहुँचाने के लिए खास कारवाई भी होगी | ताकि बड़े बड़े घोटालो के खिलाफ सड़को पर चल रहे आंदोलन को समर्थन करने वाली प्रजा इस बात से निश्चित हो सके की बड़े बड़े भ्रष्टाचारी अब जेल जाएंगे | जो कि भाजपा पार्टी की सरकार भारी बहुमत से बनने के बाद सारे आंदोलन सही अंजाम तक पहुँचा तो नही पर फिर से चुनाव का समय जरुर पहुँच गया है | 

कुल मिलाकर कांग्रेस का साठ साल भी फेल और भाजपा का साठ महिना भी फेल साबित हो चुका है | 



हलांकि भाजपा इससे पहले भी करिब साठ महिना मानो शाईनिंग इंडिया का नारा लगाकर शासन कर चुकि है | लेकिन भी न तो आधुनिक भारत और गरिबी हटाओ का नारा देने वाली कांग्रेस पार्टी देश और विदेश में जमा कालाधन का हिसाब किताब साठ सालो में भी लगा सकी है , और न ही साठ महिने शाईनिंग इंडिया भाजपा सरकार के बाद फिर से साठ महिने डीजिटल इंडिया भाजपा सरकार में हिसाब किताब लगा सकी | क्योंकि भाजपा कांग्रेस दोनो के उपर ही इस देश में सबसे अधिक बड़े बड़े भ्रष्टाचार का आरोप भी लगे हुए हैं | बल्कि विदेशो में भी जा जाकर देश और प्रजा का विकाश करने के बहाने अपनी और अपने मुठीभर धन्ना कुबेरो का विकाश करने के लिए राफेल और बोफोर्स जैसी बड़ी बड़ी दलाली खाने और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को भगाने का भी आरोप लगे हुए हैं | जाहिर है दोनो पार्टी के उपर लगे बड़े बड़े आरोपो का ठीक से जाँच कोई तीसरी पार्टी ही निश्चित रुप से करा सकती है | जैसे की भाजपा कांग्रेस सीबीआई का जाँच कांग्रेस भाजपा छोड़ बाकियो में अच्छी तरह से सीबीआई डंडा चलाकर कराती आ रही है | क्योंकि अक्सर क्षेत्रीय पार्टियो को दबाने या डराने के लिए कांग्रेस भाजपा पार्टी सरकार बनने के बाद मिली शक्ती का गलत इस्तेमाल करके सीबीआई का डंडा चलवाती रही है , ताकि भाजपा कांग्रेस की ही दबदबा केन्द्र और सबसे अधिक राज्यो में भी बनी रहे ये आरोप भी बार बार लगती रही है | जिसके बाद लालू जैसे नेताओ को सजा भी जल्दी से भाजपा कांग्रेस दिलवाती है ये बाते भी कही जाती रही है | जो स्वभाविक है क्योंकि लालू को जिस प्रकार की सजा मिली है , उस तरह का सजा कांग्रेस भाजपा को फिलहाल तो हो ही नही सकती भले क्यों न कांग्रेस भाजपा के नेताओ के उपर हजारो लाखो करोड़ का भ्रष्टाचार करने का आरोप लगा हो | जो स्वभाविक है क्योंकि वाकई में यदि भाजपा कांग्रेस के उपर भी सीबीआई और बाकि जाँच शक्तियो का इस्तेमाल किसी तीसरी पार्टी के द्वारा किया जाय तो फिर निश्चित तौर पर कांग्रेस भाजपा के बहुत सारे भ्रष्ट नेताओ की जेल में लाईन लगने वाली है | क्योंकि कोयला घोटाला जो कि यदि साबित हो जाय तो लालू को तो हरी हरी पशु चारा खाने का सजा मिल रही है , भाजपा कांग्रेस के नेताओ को तो बड़े बड़े काली काली प्रकृत पहाड़ पर्वत और कोयला वगैरा खनिज संपदा खाने का सजा मिलेगी | क्योंकि आठ दस लाख करोड़ का तो सिर्फ कोयला घोटाला और बड़े बड़े पहाड़ पर्वतो को गैर कानूनी तरिके से खनन करवाकर पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुँचवाने का आरोप लगा हुआ है कि कांग्रेस भाजपा सरकार के समय ही मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने की सबसे बड़े बड़े आरोप लगे हुए हैं | जो कितनी किमत की हो सकती है इसकी कल्पना सिर्फ इस झांकी से ही लगाई जा सकती है कि सजा काट रहे लालू ने जितनी रकम की चोरी किया है , उतनी रकम तो कांग्रेस भाजपा के लिए चखना और चटनी भी नही है | 

करोड़ो की चोरी और हजारो लाखो करोड़ की चोरी में हीरा चोर और खीरा चोर से भी बड़ा अंतर आ जाता है | 

गरिबी हटाओ आधुनिक भारत शाईनिंग इंडिया डीजिटल इंडिया नेतृत्व


भारत के घोटालों की सूची

क्योंकि भाजपा कांग्रेस में तो मानो  हीरा की खान की चोरी का आरोप है | जो यदि साबित हो गई तो संभवता अली बाबा और चालीस चोर वाली गुप्त गुफा में छिपाई गई कालाधन तो काल्पनिक गुप्त खजाने की कहानी है , हकिकत में गुप्त खाता जो कि देश विदेश के साथ साथ बेनामी गुप्त खजाना के रुप में भी मौजुद है उसकी पोल खुल जा सिमसिम मंत्र तीसरी पार्टी की सरकार द्वारा ही तलाशने की जरुरत जनता को हो रही है |क्योंकि खुद भाजपा कांग्रेस सरकार के उपर ही देश और प्रजा को सबसे अधिक लुटने का बड़े बड़े आरोप लगे हुए हैं | जिन आरोपो में कितनी सच्चाई है उसके बारे में भी पता चल जायेगी जब जादुई डंडा कांग्रेस भाजपा के उपर भी पड़ने लगेगी जो फिलहाल तो नही पड़ रही है | जिसके चलते सिर्फ लालू जैसो को ही खास रुप से सजा डंडा पड़ रही है | वह भी मेरी निजी विचार तो यह है कि लालू के उपर अचानक से डंडा इसलिए तेज गति से पड़ी और सजा की कारवाई हुई क्योंकि लालू भी अब भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के लिए भी सबसे बड़ी खतरा लगने लगे हैं | जिस लालू को मैं मेरे  उन टॉप 10 पसंदीता नेताओ में एक मानता हूँ , जिनके द्वारा भाजपा कांग्रेस को केन्द्र से और राज्यो से भी हटाकर देश की राजनिती में भारी परिवर्तन लाई जा सकती है | जिसके चलते ही तो वे भी इतने कठिन संघर्ष कर रहे हैं | जिस तरह के वीर नायको जिन्होने गलत संगत में पड़कर की गई अपनी गलती कबूल करके सजा भी काट रहे हैं | जिनको अभी और भी अधिक कठिन संघर्ष करना अभी बाकी है | क्योंकि कांग्रेस का सफाया तो सिर्फ झांकी है | भाजपा का सफाया भी अभी बाकि है |और साथ साथ लोकतंत्र के चारो स्तंभो से मनुवादियो का दबदबा समाप्त होकर इस देश के मुलनिवासियो जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनका दबदबा कायम होना तो बाकि है | जो सब दरवाजे क्षेत्रिय ताकतो को मिल जुलकर तीसरी पार्टी के नेतृत्व में आई सत्ता की चाभी से ही खुलेगा | जो बात मुझसे पहले भी कही जा चुकि है | जो सौ प्रतिशत सत्य है कि इस देश की सत्ता मुलनिवासियो के हाथो में जबतक नही आ जाती तबतक कठिन संघर्ष जारी रहेगा | जिसके लिये उत्तर से लालू मयावती मुलायम शरद दक्षिण से देवगोड़ा वगैरा और पश्चिम से चौटाला वगैरा पूरब से ममता वगैरा की एकजुट होकर देश में तीसरी शक्ती लाने के लिए खास जरुरत है | क्योंकि तीसरा नेत्र खोलने की जरुरत तब ज्यादे पड़ती है जब मनुस्मृती जैसे मनुवादी विचारो को भष्म करने की खास जरुरत पड़ती है | जैसे की मंडल और कमंडल के समय भी पड़ी थी | बल्कि मंडल कमंडल तो बस झांकी है ,मनुवादियो की सत्ता से पुरी अजादी तो बाकि है |

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

जनता मालिक की सेवा करने की सरकारी नौकरी बहाली 2018-2019

Khoj123,बगुला योग चुनाव 2018-2019

जनता मालिक की सेवा करने की
 सरकारी नौकरी बहाली 2018-2019



इंटरनेट पर मैं एक चुनावी भाषन देख रहा था,जिसमे दाउर रत्नाकर मंच से कह रहे थे कि
"हर 5 साल में हम लोग अपना नौकर चुनते हैं,राज्य के कारोबार को चलाने के लिए,और आप लोगों को मालूम है,आजादी के इन 71 वर्षों में हमने सबसे ज्यादा अगर इस प्रदेश में और देश में अगर नौकर चुनने का काम किया,तो हमने कांग्रेस को चुनने का काम किया, लेकिन साथियों कांग्रेस के बाद अगर हमने किसी दूसरे को चुनने का काम किया तो पिछले 15 वर्षों से इस छत्तीसगढ़ प्रदेश में हमने भारतीय जनता पार्टी कि सरकार बनाकर श्री रमण सिंह को इस प्रदेश का नौकर चूनने का काम किया, लेकिन साथियों मैं आप लोगों से ये कहना चाहता हूं हम गांव के किसान लोग हैं,गांव के लोग हैं,गांव में हमलोग अपना एक कमिया लगाते हैं,तो कमिया लगाने के बाद उसको एक निर्धारित समय के लिए कमिया लगाते हैं,और जैसे फागुन पुरते,तो फागुन पुरते ही हम लोग कहते हैं कि बाबू अब तोर फागुन पुर गेल,अब फागुन पुर गेल,माने तोर काम के समय खत्म हो गेएल,अब तोर हिसाब-किताब चुकता कर और अगर तोर काम बढ़िया हैं तो फिर आने वाला बछर में तोरा देखबउ,काम पर बुलाके कोशिश करबउ,और अगर तोर काम अच्छा नहीं,तोर हिसाब-किताब कच्चा है,तो बाबू एक करले फागुन के बाद अब तोर नौकरी भी कच्चा है,मैं आज इस मंच से कहना चाहता हूं अब रमन सिंह आप तोरो भागुन पुर गईल, काले कि तोर हिसाब-किताब पक्का नहीं है,तोर हिसाब किताब कच्चा है|"
खैर इस चुनावी भाषन को सुनने से एक बात तो सत्य है कि कांग्रेस सरकार के बाद भाजपा सरकार भी जनता मालिक का सेवा करने का सही सरकारी नौकरी नही किया है,जिसे मैने अपने ब्लॉग और ट्वीटर में भी बार बार बतलाने कि कोशिष किया है कि ये भाजपा कांग्रेस सरकार जनता मालिक की नौकरी करके ज्यादेतर खुदकी सेवा करने में ही अपना कार्यकाल पुरा किया है|जिसके बारे में भी मैं एक विडियो में देख रहा था,जिसमे मानो 

भाजपा की तरफ से जवाब दिया जा रहा था एक नेता नही बल्कि एक हास्य अभिनेता के जरिये कि 

Khoj123,

छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव 2018





" लोग सरकारी नौकरी चाहते हैं,क्योंकि सरकारी नौकरी में बहुत मजा है,काम नहीं करना पड़ता है,कुछ नया हो रहा है उसका स्वागत करो "

जिस बात पर क्या वाकई में यकिन किया जाय 



कि हर साल जो दो करोड़ बेरोजगारो को भाजपा सरकार जो खुद भी जनता मालिक की सरकारी नौकरी कर रही है,वह काम नही करने के लिए बल्कि मजा करने के लिए जनता मालिक का सरकारी नौकरी कर रही है? खैर भाजपा सरकार हर साल तो दो करोड़ लोगो को सरकारी नौकरी नही दे सकी,पर वह खुद अब जनता मालिक और देश की सेवा करने के लिए फिर से सरकारी नौकरी की अर्जी देने के लिए जनता मालिक के बिच 2019 ई. में जायेगी,जिससे पहले कई राज्यो में भी जनता मालिक की सेवा करने की सरकारी नौकरी में अर्जी देने के लिए भाजपा और कई अन्य पार्टी भी जनता मालिक के बिच जायेगी|बल्कि जा भी रही है|
जिस सरकारी नौकरी से मुझे एक फिल्म याद आया
जिसका नाम " नायक " था जिसमे फिल्म का नायक एक दिन के लिए जनता मालिक की सेवा करने के लिए सरकारी नौकरी अथवा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठता है,जिससे पहले फिल्म में वह गांव का एक किसान, जिसकी एक जवान बेटी है,जो फिल्म की नाईका है,उससे फिल्म के नायक को प्यार हो जाता है,और वह लड़की के बुढ़ा पिता के पास जाकर लड़की का हाथ मांगता है,अथवा वह बुढ़ा किसान की बेटी जो फिल्म की नाईका है,उससे विवाह करने की बात करता है,जिससे बातचीत करते समय क्या क्या बातचीत बुढ़ा पिता और फिल्म के नायक के बिच होता है, उसपर भी 
नायक,Khoj123


सरकारी नौकरी और प्राईवेट नौकरी को लेकर एकबार जरुर  गौर किया जाय,

बुढ़ा पिता : तुम हो कौन?
जवाब :आप Q tv देखते हैं?
बुढ़ा पिता : मैं खेती बारी देखता हूं,
जवाब : परसों जो बंद हुआ था,उसमे जो स्टूडेंट की जान बचाया था,वह मैं था,
बुढ़ा पिता : काम क्या करते हो ?
जवाब : पहले Q tv में कैमरामैन था,अब रिपोर्टर हूं,
बुढ़ा पिता : सरकारी नौकरी है ?
जवाब : नहीं प्राईवेट है,
बुढ़ा पिता : मुझे सरकारी नौकरी चाहिए,
जवाब :  सॉरी लेकिन आपको इस उम्र में सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती,
बुढ़ा पिता : मजाक मत करो,मेरा होने वाला दमाद सरकारी नौकरी में होनी चाहिए,
जवाब : मेरी नौकरी में क्या कमी है ? 15,000 तनख्वा है, ..फंड है , मेडिकल ..ये वो.. सब सरकारी नौकरी जैसा ही है, 
बुढ़ा पिता : सरकारी नौकरी जैसा नहीं,सरकारी नौकरी ही चाहिए ,
tv चैनल तो रोज खुलते हैं , रोज बंद होते हैं,तनख्वा चाहे ₹1 हो या ₹1000 लेकिन नौकरी सरकारी ही होनी चाहिए , तभी मेरी बेटी जहां जाएगी सुखी और सुरक्षित रहेगी , समझे जाओ पहले ऐसे नौकरी ढूंढ कर आओ फिर बाद में बात करेंगे "





जिन तीनो विडियो को देखकर एक बात साफ है



 कि नौकरी चाहे सरकारी हो या प्राईवेट,यदि नौकर ठीक से काम किये बिना नौकरी करने वाला नौकर खुब सारा धन बिना ठीक से काम किये ले रहा है,तो समझो समय और पैसा दोनो की बर्बादी है|वैसे जनता मालिक की सरकारी नौकरी करते हुए कांग्रेस और भाजपा सरकार कितना धन और समय की बर्बादी की है,ये तो एक आरटीआई में मिली जानकारी से पता चलता है,जिसमे बताया गया है कि  2014 में जब भाजपा सरकार जनता मालिक की सेवा करने और अच्छे दिन लाने की बात करके सरकारी नौकरी पकड़ी तो कुर्सी पकड़ने के बाद कितना धन जनता मालिक की बर्बाद की इसके बारे में एक आरटीआई द्वारा एक जानकारी की उदाहरन से पता चलता है कि भाजपा सिर्फ विज्ञापन पर ही मई 2014 से 2018  तक  4,343 करोड़ रूपए खर्च कर चुकी है| रही बात कांग्रेस सरकार की तो यूपीए -2 की सरकार के तीसरा साल पुरा होने की खुशी में कांग्रेस सरकार दावत थाली की किमत 7721 रु थी|


बुधवार, 7 नवंबर 2018

कृषी प्रधान देश में दिवाली और छठ पुजा

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कृषी प्रधान देश में दिवाली और छठ पुजा

दिवाली और छठ पुजा साक्षात मौजुद प्राकृति पर्व त्योहार के रुप में बारह माह इस कृषी प्रधान देश में मनाई जाती है|जो सिधे प्राकृति से जुड़ी हुई उस सत्य की पुजा है जो वैज्ञानिक प्रमाणित है|क्योंकि दिपावली पुजा के दिन होने वाली धान धन अन्न की पुजा और छठ पुजा के दिन होने वाली सूर्य की पुजा दोनो ही साक्षात प्राकृति की पुजा है|जिस प्राकृती से उपजा अन्न और प्राकृति सूर्य के रुप में अग्नि के बिना किसी भी धर्म के भक्त इस धरती में मौजुद नही रह सकता|बल्कि दिवाली और छठ पुजा के अलावे भी इस कृषी प्रधान देश में बारह माह प्राकृतीक पर्व त्योहार मनाई जाती है|जिसदिन प्राकृति की पुजा करने वाले इस देश के नागरिक सुख शांती और समृद्धी की कामना करते हुए बिना कोई छुवा छुत भेदभाव के मिल जुलकर आपस में खुशियो का मेला लगाकर नाचते गाते भी हैं|जिस प्राकृति की पुजा करने के लिए किसी भी धर्म जात और भेदभाव का पाबंदी नही है|लेकिन जब से प्राकृति पर्व त्योहारो की खुशियाँ मनाने वाली इस धरती में छुवा छुत की नजर लगी है,तब से लेकर अबतक इस देश के प्राकृति पर्व त्योहारो में ही नही बल्कि इस देश और इस देश के मुलनिवासियो में ढोंग पाखंड की ऐसी छुवा छुत नजर लग गई है,आज प्राकृति पर्व त्योहारो में गरिबी भुखमरी की वजह से भी खुशियो का मेला कम लगती है|हलांकि फिर भी क्या गरिब क्या अमिर प्राकृति के प्रति प्रेम हो तो बिना धन खर्च किये भी प्राकृती की पुजा बिना मंदिर मस्जिद और चर्च गए ही अन्न और सुर्य के साथ साथ पेड़ पौधा पत्थर की पुजा फूल जल से भी हो जाती है|क्योंकि प्राकृति की पुजा करने का अधिकार सृष्टी के जिव निर्जिव सबको है|जिस प्राकृति पर्व त्योहार मनाने को लेकर जिन लोगो को भी जलन होती है,वे खुद भी प्राकृति का महत्व को अच्छी तरह से जानते हैं|और जो लोग प्राकृति पुजा और प्राकृति प्रेम करने वालो को प्राकृति से दुर ले जाने के लिए प्राकृति पुजा को ढोंग पाखंड बतलाते हैं वे दरसल अपनी ढोंग पाखंड का धँधा में बड़ौतरी करने के लिए प्राकृति प्रेम में कमी लाने कि फंदा लगाते हैं|जिसमे फंसाकर धिरे धिरे प्राकृति पर्व त्योहारो को ढोंग पाखंड कहकर अप्राकृति मार्ग कि ओर ले जाना सुरु कर देते हैं|जिनको पता होनी चाहिए कि प्राकृति में मौजुद पत्थर शिव लिंग योनी की पुजा साक्षात प्राकृति की पुजा है|जिस भगवान के बारे में अपनी सत्य ज्ञान बांटते हुए मैं फिर सभी धर्मो में मौजुद अमिर गरिब सबका आदर करते हुए यह साफ कर देना चाहता हुँ कि मैं उन सभी वैज्ञानिक प्रमाणित सत्य को मानता हुँ,जो प्राकृति से जुड़े हुए इस मान्यता को मानते हैं कि बिना प्राकृति के इंसान ही नही बल्कि ये सारी सृष्टी एक पल भी कायम नही रह सकती|जिस सत्य मान्यता को सारे धर्मो ने माना है कि सारे धर्मो के भक्त और पुजा स्थल साक्षात प्राकृति के बिच मौजुद हैं|

जिस प्राकृति पुजा को मैं सत्य शिव की पुजा के रुप में भी मानता हुँ|जिसे देव असुर दानव सभी मानते हैं|जिसने आम के पेड़ में बबूल उगना जैसे अप्राकृति अथवा अधर्म करने पर ब्रह्मा को भी सजा देकर सत्य न्याय स्थापित किया था|जो सबके अंदर और बाहर भी कण कण में मौजुद हैं|जाहिर है प्राकृति पत्थर रुप में भी सत्य शिव लिंग योनी की पुजा करना साक्षात चारो ओर मौजुद प्राकृति भगवान पुजा करना है|जिसे ढोंग पाखंड कहना दरसल अहंकार या फिर अप्राकृति जैसे अज्ञान में डुबकर बारह माह प्राकृती पुजा के रुप में मानने वाले करोड़ो लोगो को ढोंग पाखंड में डुबे हुए बताना है|जिन प्राकृती पर्व त्योहारो में ही दिवाली और छठ पुजा करोड़ो लोगो द्वारा प्राकृती की पुजा करते हुए सुख शांती और समृद्धीे की कामना करते हुए मनाई जाती है|जिसे ढोंग पाखंड कहना खुदके भितर मौजुद प्राण वायु को ढोंग पाखंड कहना है|जिसे कोई धर्म का भक्त अपने भितर से प्राण वायु को बाहर करके प्राकृती को ढोंग पाखंड कहकर प्रमाणित करके दिखला दे कि प्राकृती की वजह से वह इस सृष्टी में मौजुद नही है|बल्कि  वह प्राण वायु छोड़ने के बाद इस प्राकृती से ही गायब होकर दुसरी दुनियाँ में चला जायेगा ये सत्य साबित करके दिखला दे यदि वह प्राकृती पुजा को ढोंग पाखंड मानता है|जो प्राकृती पुजा को ढोंग पाखंड बड़बड़ाते हुए कभी शमशान या कब्रिस्तान में जाकर किसी की लाश को देख ले कि पंचतत्व में मिलकर वह प्राकृती में ही विलिन हुआ है कि प्राकृति से बाहर कहीं और विलिन हो गया है?उसे साक्षात सत्य के बारे में पता चल जायेगा कि प्राकृति और वैज्ञानिक प्रमाणित प्राण वायु छोड़ने के बाद कोई कहीं प्राकृती से बाहर गायब नही हुआ है|जो पंचतत्व में विलिन होकर नया रुप धारन करेगा या कर चुका है|जिस प्राकृति के हीे बिच सत्य शिव योग में लिन रहते हैं|न कि वे इस प्राकृती से बाहर इंद्रदेव की तरह किसी स्वर्ग नर्क अथवा अप्राकृति अदृश्य दुनियाँ में रहते हैं|जिसके बिच मौजुद प्राकृति पुजा को ढोंग पाखंड कहना किसी भस्मासुर के द्वारा सत्य शिव द्वारा प्राकृति वरदान पाकर सत्य शिव के हि पिच्छे पड़कर साक्षात प्राकृति को भष्म करने के चक्कर में नाच नाचकर एकदिन खुदको ही समाप्त करके वापस उसी प्राकृती पंचतत्व में विलिन होना है,जिसे ढोंग पाखंड कहकर कभी खुदको प्राकृति से भी ज्यादे ताकतवर बुद्धीमान और चमत्कारी साबित करने कि कोशिष करना है|जो कि कोई भी धर्म का भक्त अपनी सत्यबुद्धी के रहते हुए कतई नही कहेगा,क्योंकि प्राकृति जिव निर्जिव पहाड़ पर्वत जल जंगल पेड़ पौधा जिव जंतु पत्थर मुर्ती फोटो और मंदिर मस्जिद चर्च और सभी भक्तो के अंदर भी मौजुद है|जिस प्राकृति का अप्राकृति होने अथवा विनाश होने पर सभी धर्मो के लोग समेत नास्तिक लोग भी चिंतित होने लगते हैं| लेकिन भी कोई यदि प्राकृती पुजा को ढोंग पाखंड कहता है तो समझो वह जिस थाली में प्राकृति अन्न जल पकवान खाया पिया और प्राण वायु लिया है,उसी थाली में छेद करता है|जबकि वह ढोंग पाखंड बड़बड़ाते समय भी प्राण वायु ले रहा होता है|जो न लेने पर कोई इंसान जन्म लेना तो दुर किसी के भितर से प्राण वायु भी बाहर नही निकल सकता|जो प्राकृति वैज्ञानिक सत्य प्रमाणित है|

सोमवार, 5 नवंबर 2018

अब मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की तलाक खबर पीपली लाईव करेगी

मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|
जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप का तलाक भी पीपली लाईव करके जल्द दिलवा देगी|मनुवादी मीडिया उन मूल खबरो को मुलता ज्यादेतर नही चलायेगी,जिसके समाधान न होने से हर रोज हजारो लोगो की मौत हो रही है|पर तेज प्रताप यादव द्वारा तलाक की खबरो को पीपली लाईव जरुर करेगी,जिससे की ऐसी खबरो को छिपाया जा सके जो यदि सबतक पहुँच जाय तो मनुवादियो की कुर्सी जाने में तलाक होने से भी कम समय लग जाएगी|जैसे कि कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली  4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.के बावजुद भी मनुवादी आखिर गरिबी हटाओ और सबके अच्छे दिन आयेंगे वादा करके अबतक क्या कुछ खास किया और नही किया है?जिसकी पीपली लाईव जनता को नही दिखलायेगी|जबकि उसी मनुवादी मीडिया के पास जुमलो और झुठे वादो का भंडार है|जो मनुवादी मीडिया तेज प्रताप की खबरे अब ऐसी चलायेगी जैसे तलाक हो चुका है|जो यदि नही भी होने वाला होगा तो भी ये मनुवादी मीडिया पीपली लाईव कराकर जिस तरह जीतन मांझी को बिहार सरकार की मुख्यमंत्री कुर्सी से तलाक दिलवा दिया था उसी तरह तेज प्रताप को भी पीपली लाईव करके तलाक जल्द दिलवा देगी|क्योंकि विधान सभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस का जो पिछली कुकर्म बदबु मार रही है,उसे ढकने के लिए तेज प्रताप तलाक खबर का इस्तेमाल करने की कोशिष हो रही है|जिसके बारे में गंभीर होकर तेज प्रताप को भी जरुर सोचनी चाहिए|और कुछ समय और इस बारे में मंथन करके उसका उचित हल अपने परिवार के साथ मिल जुलकर निकालनी चाहिए|क्योंकि मनुवादी लालू परिवार में वैसे भी खास नजर रखकर आपस में फूट डालो राज करो का फंदा लगाकर लार टपका रहा है|जिसका ही नतिजा लालू का जेल जाना है|क्योंकि लालू जिस पशु का चारा घोटाला में जेल सजा काट रहे हैं उस पशु का गैर कानूनी तरिके से पिंक क्रांती लाने वाले और हजारो लाखो करोड़ का चुना लगाने से लेकर विदेशो में कालाधन रखने और विदेशी डॉलर में हजारो करोड़ का दलाली खाने वाले अजाद घुम रहे हैं|क्योंकि वे सभी मनुवादियो का डीएनए हैं|और विदेशो से जो काला लिस्ट आया है,उसमे भी विदेशी डीएनए वाले ही मौजुद होंगे,चाहे तो RTI लगाकर पुछ लिया जाय विरले ही इस देश के मुलनिवासी निकलेंगे|जिन मनुवादियो की दबदबा इस देश के लोकतंत्र का चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है|जिसके चलते ही तो इस कृषी प्रधान देश भारत में  गरिबी भुखमरी से हर रोज हजारो लोगो की मौत होते हुए भी प्रतिदिन 244 करोड़ का खाना बर्बाद होता है|जो सालाना करिब 890000 करोड़ का होता है|वहीं भारत में ही 19 करोड़ 40 लाख लोग हर रोज भुखे पेट सो जाते हैं|क्योंकि उनतक सरकार अन्न जल नही पहुँचा पा रही है|छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी जो कलेक्टर और मुख्यमंत्री रह चुके हैं,उन्होने एक राष्ट्रीय चैनल में अन्न भोजन के बारे में बातें करते हुए ये बताया कि सिर्फ छत्तीसगढ़ इतना अन्न पैदा करता है कि वह चाहे तो 1 साल के लिए पूरा देश को अकेले ही भरपेट खिला सकता है|जिसके चलते छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है| जहिर है छत्तीसगढ़ से भी ज्यादे अन्न पैदा करने वाले कई राज्य इस कृषी प्रधान देश में मौजूद है|लेकिन भी आज तक कोई भी ऐसी सरकार पैदा ही नहीं हुई,जो कि उस किसान द्वारा पैदा किए अन्नाज को सरकार अपने जनता मालिक अथवा जरुरतमंदो तक पहुँचा सके|यानी देश का नेतृत्व कर रही मनुवादी सरकार आजतक अन्न जल तक भी नहीं पहुँचा पाई है|जिसके बारे में जानकारी संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है,जो सालाना 89 हजार करोड़ रुपया होता है| 2016 में एक रिपोर्ट आई थी,जिसमे बताया गया था कि अमीर कहलाने वाले देश ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं,उतना खाना गरीब कहलाने वाला ये सोने की चिड़ियां देश बर्बाद करता है|जहाँ पर कुल उत्पादन खाद्य सामग्री का करीब 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है|इस देश के नागरिको को 225-230 मिलियन टन खाने की जरुरत होती है,जिसमे भारत का किसान 2015 से 2016 ई. में 270 मिलियन टन उत्पादन किया था,वह भी तब जब वह कर्ज में भी डुबा हुआ है|जो किसान सरकार की नकामी के चलते आत्महत्या भी कर रहा है|जिस किसान का अन्न का अपमान किस तरह से हो रहा है इसकी झांकी एक वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से दिख जाता है|जिसमे बतलाया गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100 वें स्थान पर है|जो इससे पहले बीते साल भारत 97 वें स्थान पर था|यानी किसान द्वारा जरुरत से अधिक अन्न का उत्पादन करने के बावजुद भी इस कृषी प्रधान देश की भुखमरी और भी अधिक बड़ते जा रही है|जिस भुखमरी से निपटने में भारत की मनुवादी सरकार बांग्लादेश की सरकार से भी पीछे है|क्योंकि मनुवादी मुलता कृषी के बारे में प्रयोगिक रुप से जानता ही नही था इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले|जिसके चलते वह इस कृषी प्रधान देश भारत का शासक तो बना हुआ है,पर उसके अंदर असल में कृषी सोच है ही नही,इसलिए भारत में अन्न जल और खनिज संपदा का भंडार होते हुए भी गरिबी भुखमरी है|इस समय भारत विश्व में अन्न उत्पादन देश में दूसरा स्थान पर है,और आबादी अनुसार कुपोषण में भी भारत दूसरा स्थान है|जिस भुखमरी कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनी तमाम योजनाएं फेल साबित हो रही है|क्योंकि वह मनुवादी दबदबा द्वारा चलाई जा रही है|जिसके बारे में मनुवादी मीडिया सायद ही कभी मनुवादी सरकार को घेरते हुए पीपली लाईव करेगी|

शनिवार, 3 नवंबर 2018

गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली सुट बुट भाजपा युक्त कांग्रेस को फिर से 7721 रु की दावत थाली चाहिए

चुनाव गरिबी हटाओ,आधुनिक भारत,शाईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया,

कांग्रेस सरकार की दावत थाली 7721 रु,आप पार्टी की दावत थाली 9355 रु.भाजपा सरकार प्रचार प्रसार थाली  4343 करोड़,सोने से जड़ा प्रधान सेवक सुट निलाम 43100000 रु.

इस कृषी प्रधान देश भारत में  प्रतिदिन 244 करोड़ का खाना बर्बाद होता है|जो सालाना करिब 890000 करोड़ का होता है|वहीं भारत में ही 19 करोड़ 40 लाख लोग हर रोज भुखे पेट सो जाते हैं|क्योंकि उनतक सरकार अन्न जल नही पहुँचा पा रही है|अजादी से अबतक मनुवादी सरकार चल रही है|जिन मनुवादियो का इस देश के गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी दबदबा है|जो मनुवादी सरकार जनता को ठीक से खाना भी नहीं खिला पा रही है|जिसके चलते भारत में 19 करोड़ 40 लाख लोगों को हर रोज भुखे पेट सोना पड़ रहा है|कहने को तो ये देश भी हवा हवाई आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा सुनते सुनते शाईनिंग डीजिटल विकाश करके मंगल तक भी पहुंच गया हैं,इतनी तरक्की इस देश ने भी कर लिए हैं,लेकिन जमिनी स्तर पर सभी जरुरतमंदो तक अन्न जल भी पहुंच पहुंच सके ऐसी आज तक कोई भी सरकार नहीं चुनी गई है|जिसके चलते सिर्फ आधुनिक भारत,गरीबी हटाओ और शाईनिंग इंडिया,डिजिटल इंडिया की बातें होती रही है|ऐसा नहीं कि यह कृषि प्रधान देश भारत का किसान सबके लिए अन्न पैदा नहीं कर रहा है|जिसका एक उदाहरन हाल ही में पाँच राज्यो में जो विधानसभा चुनाव होने जा रहा है,उससे पहले छत्तीसगढ़ के नेता अजीत जोगी ने एक राष्ट्रीय चैनल में अन्न भोजन के बारे में बातें करते हुए ये बताया कि सिर्फ छत्तीसगढ़ इतना अन्न पैदा करता है कि वह चाहे तो 1 साल के लिए पूरा देश को अकेले ही भरपेट खिला सकता है|जिसके चलते छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है| जहिर है छत्तीसगढ़ से भी ज्यादे अन्न पैदा करने वाले कई राज्य इस कृषी प्रधान देश में मौजूद है|लेकिन भी आज तक कोई भी ऐसी सरकार पैदा ही नहीं हुई,जो कि उस किसान द्वारा पैदा किए अन्नाज को सरकार अपने जनता मालिक अथवा जरुरतमंदो तक पहुँचा सके|यानी सरकार आजतक अन्न जल तक भी नहीं पहुँचा पाई है|जिसके बारे में जानकारी संयुक्त राष्ट्र के फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर दिन 244 करोड़ रुपये का खाना बर्बाद होता है,जो सालाना 89 हजार करोड़ रुपया होता है| 2016 में एक रिपोर्ट आई थी,जिसमे बताया गया था कि अमीर कहलाने वाले देश ब्रिटेन के लोग जितना खाना खाते हैं,उतना खाना गरीब कहलाने वाला ये सोने की चिड़ियां देश बर्बाद करता है|जहाँ पर कुल उत्पादन खाद्य सामग्री का करीब 40 प्रतिशत बर्बाद हो जाता है|जिसे कहा जा सकता है कि खाया कम जा रहा है,और सरकार के पिच्छे से बर्बाद ज्यादा हो रहा है|जिसके लिए अब अपनी जनता मालिक को खिलाने से ज्यादा शौचालय में ध्यान दे रही है|देखा जाय तो सरकार खुद अपनी नकामी की वजह से खाना बर्बाद करा रही है और मानो बिना खिलाये सबको शौचालय बनाने के लिये कह रही है| जिनमे ज्यादेतर तो उन लोगो को शौचालय बनाने के लिए कही जा रही है,जो भुखे पेट सोते हैं|जिनके लिये भोजन का भी तो इंतजाम होनी चाहिए न कि सिर्फ शौचालय का इंतजाम करके बिना खिलाये खाने को भोजन नही और रहने को घर नही और जोर जबरजस्ती डंडा मारकर भी शौचालय में शौच करने को कहा जाय|ताकि दुनियाँ को बता सके कि भारत में सबके पास शौचालय है|यानि सभी लोग खाते पिते घर के हैं|जो सोने की चिड़ियां का जनता मालिक होकर भी पेटभर खा भी नही पा रहे हैं|क्योंकि उनकी सरकार अपनी जनता मालिक की सेवा में अन्न जल भी उपलब्ध नही करा पा रही है|जबकि इस कृषी प्रधान देश में फसल कटाई के बाद करीब 100000 करोड़ का नुकसान सरकार की नकामी की वजह से हो जाती है|इस देश के नागरिको को 225-230 मिलियन टन खाने की जरुरत होती है,जिसमे भारत का किसान 2015 से 2016 ई. में 270 मिलियन टन उत्पादन किया था,वह भी तब जब वह कर्ज में भी डुबा हुआ है|जो किसान सरकार की नकामी के चलते आत्महत्या भी कर रहा है|जिस किसान का अन्न का अपमान किस तरह से हो रहा है इसकी झांकी एक वैश्विक भूख सूचकांक पर जारी एक ताजा रिपोर्ट से दिख जाता है,जिसमे बतलाया गया है कि दुनिया के 119 विकासशील देशों में भूख के मामले में भारत 100 वें स्थान पर है|जो इससे पहले बीते साल भारत 97 वें स्थान पर था|यानी किसान द्वारा जरुरत से अधिक अन्न का उत्पादन करने के बावजुद भी इस कृषी प्रधान देश की भुखमरी और भी अधिक बड़ते जा रही है|जिस भुखमरी से निपटने में भारत की मनुवादी सरकार बांग्लादेश की सरकार से भी पीछे है|क्योंकि मनुवादी मुलता कृषी के बारे में प्रयोगिक रुप से जानता ही नही था इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले|जिसके चलते वह इस कृषी प्रधान देश भारत का शासक तो बना हुआ है पर उसके अंदर असल में कृषी सोच है ही नही इसलिए भारत में अन्न जल का भंडार होते हुए भी भुखमरी है|इस समय भारत विश्व में अन्न उत्पादन देश में दूसरा स्थान पर है,और आबादी अनुसार कुपोषण में भी भारत दूसरा स्थान है|जिस भुखमरी कुपोषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनी तमाम योजनाएं फेल साबित हो रही है|क्योंकि वह मनुवादी दबदबा द्वारा चलाई जा रही है|जो मनुवादी खुदको तो जन्म से विद्वान पंडित अथवा टैलेंटेड कहकर आरक्षण को लेकर भी छुवा छुत करती रहती है,पर आजतक मनुवादी दबदबा की सरकार बार बार चुनाकर भी प्रयोगिक तौर पर अपनी जन्म से उच्च विद्वान पंडित टैलेंट को नही दिखा पा रही है|क्योंकि मनुस्मृती को जलाकर गोरो से अजादी मिलने के बाद कबका आजाद भारत का ऐसा संविधान लागू हो चुका है,जो कि विश्व में सबसे बड़ी है|जिस संविधान का अनुच्छेद-21 अनुसार सभी नागरिकों को गरिमा के साथ जीने की अधिकार और गारंटी देता है|जिसके बावजुद भी भारत में हर रोज करिब 6000 यानी सालभर में करीब 22 लाख लोग भुख की वजह से मर रहे हैं|जिनतक सरकार अन्न जल तक भी नही पहुँचा पा रही है|जिन भुख और कुपोषण से मरने वाले नागरिको में एक तिहाई तो सिर्फ बच्चे शामिल हैं| जो अपनी किशोर अवस्था,जवानी और बुढ़ापा देखने से पहले ही भुख और कुपोषन से मारे जा रहे हैं|क्योंकि मनुवादी सरकार जरुरत मंद नागरिको के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मिड डे मील जैसे योजना के बावजूद भी भूख और कुपोषण मिटाने में फेल रही है|पर सरकार खुदके लिए गाड़ी बंगला नौकर चाकर और जेड सुरक्षा वगैरा तमाम सुख सुविधा का इंतजाम कितनी अच्छी तरह से करती है,इसकी झांकी पिछली कांग्रेस सरकार द्वारा अपनी दावत का इंतजाम जो हुई थी यूपीए -2 की सरकार के तीसरा साल पुरा होने की खुशी में,उसमे कांग्रेस सरकार की दावत थाली की किमत 7721 रु की परोसी गयी थी|बल्कि उससे भी बड़कर आप पार्टी की दावत थाली 9355 रुपये और 20020 रुपये की परोसी गयी थी|इतना ही नही सरकार अपने लिये पहनावे और दिखावे के लिए खुदकी प्रचार प्रसार के लिये भी किस तरह से इंतजाम करती होगी इस बात का अंदाजा वर्तमान की भाजपा सरकार द्वारा अपने प्रचार पर 2014 ई. से लेकर 2018 ई. अबतक 4343 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है|जिस भाजपा सरकार के प्रधान सेवक अपने गरिब जनता मालिक की सेवा लाखो रुपये की सुट पहनकर करने के लिए भी चर्चित हो चके हैं|जो सोने से जड़ा लाखो रुपये की सुट की चर्चा इतनी कड़वाहट लाई थी भाजपा सरकार में कि प्रधान सेवक का सोने से जड़ा लाखो रुपये का सुट को उतारकर उसे 4 करोड़ 31 लाख रुपये में निलाम कर दिया गया था|जिस तरह की सेवा करने और कराने के बारे में जानकर ये अच्छी तरह से जाना जा सकता है कि मनुवादी दबदबा चाहे कांग्रेस की सरकार चुनकर आये या फिर भाजपा की सरकार,दोनो ही जनता मालिक को ठीक से अन्न जल तक भी उपलब्ध कराने में फेल साबित हुई है|एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल 23 करोड़ टन दाल,और 12 करोड़ टन फल व 21 करोड़ टन सब्जियाँ सर्विश वितरण प्रणाली में कमि की वजह से खराब हो जाती है|विश्व भर में आठ में एक व्यक्ति की मौत कुपोषण से हो रहा है|जिस भुख और कुपोषन की वजह ये प्रतिदिन 24 हजार लोग मरते हैं|जिसका एक तिहाई हिस्सा भारत का है|यानी भारत में प्रतिदिन 6000 लोग भुख और कुपोषण से मारे जा रहे हैं|अथवा जिसदिन कोई पाठक इस जानकारी को लेगा उसदिन भी भारत में ही सिर्फ 6000 मौते भुख और कुपोषन से हो जायेगी|जिसकी जानकारी भुख और कुपोषन से मरने वालो की दबी आवाज को सभी उन जरुरतमंदो तक जरुर पहुँचनी चाहिए जो बहुत बेहत्तर शासन चल रहा है इसकी ढोंग पाखंड करके अच्छे दिन आने और गरिबी हटने की झुठा प्रचार प्रसार करते रहते हैं|क्योंकि अजादी से लेकर अबतक 71 सालो में अबतक इतना भी बेहत्तर सेवा जनता मालिक को नही मिल सका कि उसे अन्न जल की भी कभी न आये रोजमरा जिवन में|जिसके चलते हर साल सिर्फ भारत में ही अन्न जल का भंडार होते हुए भी,भुख प्यास और कुपोषन से 21 लाख 90 हजार नागरिको की मौते हो रही है|ये कोई मामुली नकामी नही है अजादी से अबतक चुनी गयी सरकार की|क्योंकि भुख और कुपोषण से मरने वाले नागरिको में एक तिहाई अबादी बच्चो की हैं|जिस जानकारी को सभी जरुरतमंदो तक जरुर बांटा जाय| धन्यवाद!

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

इस देश के मुलनिवासियो की वोट और साथ लेकर उनपर कौन राज कर रहा है

मनुवादी,छुवा छुत,ढोंग पाखंड अँधभक्ती,
इस देश के मुलनिवासियो द्वारा जो चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो,उनकी भारी बहुमत वोट से मनुवादी भाजपा कांग्रेस सोच की सरकार इस देश में चुनकर कभी भी इस देश के मुलनिवासी जिनका DNA एक है,जिस DNA से मनुवादियो का डीएनए नही मिलता है,क्योंकि मनुवादियो का डीएनए विदेशी लोगो की DNA से मिलता है,जो बात साबित भी हो चूका है,इसलिए इस देश के सभी मुलनिवासियो को मान लेनी चाहिए कि मनुवादियो की दबदबा वाली भाजपा कांग्रेस सरकार कभी भी इस देश के मुलनिवासियो की भला वैसी नही कर सकती,जैसे कि इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस भी धर्म में मौजुद हो,वह खुद अपनी दबदबा की सरकार चुनकर खुदके साथ बेहत्तर न्याय और रक्षा सेवा भी कर सकता है|जिसकी दबदबा इस देश की सत्ता में जिसदिन भी आ जायेगी,उसदिन देश ही नही पुरी दुनियाँ प्रयोगिक तौर पर ये जान जायेगी कि मनुवादी इस देश और इस देश के मुलनिवासियो का छुवा छुत भेदभाव करके बेहत्तर शोषन अत्याचार तो अपनी मनुवादी सोच से कर सकते हैं,पर बेहत्तर सेवा कभी नही कर सकते|क्योंकि जो लोग इस देश के मुलनिवासियो को हजारो सालो से छुवा छुत देते आ रहे हैं,जो छुवा छुत आज भी जारी है,वह कैसे छुवा छुत शोषन अत्याचार करके बेहत्तर सेवा तो दुर मुलभुत जरुरत की चीजे भी मानो अपने गुलामो को दे सकते हैं|हाँ थोड़े बहुत लोगो को यदि दे भी रहे हैं तो वह तो गोरे भी देते थे|जो गोरे यदि नही देते तो क्या गोरो की शासन में बेहत्तर भागीदारी की मांग होती गुलामो के ही द्वारा,बजाय इसके कि गोरो की शासन में शासन में उचित भागीदारी मांगना छोड़कर अजादी मांगी जाती|वह भी यदि गोरे इमानदारी से गुलाम किये इसके लिए माफी चाहते हैं,कहते हुए ये रही गुलामो आपकी अजादी कहकर चुपचाप देने को तैयार हो जाते तब तो बिना डंडा खाये और अजादी के लिए फांसी पर भी लटके मांगी जाती|हलांकि फिर भी बहुत से गुलाम मानो गोरो से चाय पिते गले मिलते हुए अजादी के नायको को फांसी पर लटकते हुए देखककर भी अजादी मांग रहे थे|जिस तरह ही गोरो के जाने के बाद मनुवादियो से छुवा छुत भेदभाव से अजादी भाजपा कांग्रेस सरकार चुनकर,प्यार मोहब्बत से चाय पिकर गले मिलकर 71 सालो से मांग रहे हैं|जिसके लिये अजाद भारत का संविधान लागू होकर 16 बार लोकसभा चुनाव भी हो चुके हैं|पर आजतक भी पुरी अजादी तो दुर मनुवादी दबदबा सरकार में इस देश के मुलनिवासियो को जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उचित भागीदारी भी नही मिली है|हाँ मनुवादी भाजपा कांग्रेस ब्रिटिश फ्रांस और पुर्तगाल की तरह अपने ही डीएनए के लोगो को छुवा छुत गुलाम न करके दुसरे डीएनए को छुवा छुत गुलाम करके गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादी दबदबा कायम किये हुए हैं|जो स्वभाविक भी है क्योंकि विदेशी डीएनए देशी डीएनए को गुलाम भी बनाता है और छुवा छुत भी करता है|सायद ही कभी ये सुना देखा और पढ़ा गया हो कि कोई देश अपने ही देश को गुलाम बनाया है और किसी एक परिवार में लोग एक दुसरे से घोर छुवा छुत कर रहे हो|जाहिर है डीएनए से मनुवादी इस देश के मुलनिवासियो से अलग हैं जिसके चलते वे इस देश के मुलनिवासियो को ही ताड़ते आ रहे हैं|जिसके बारे में डीएनए जाँच से पहले भी दुसरे तरिके से जाँच करके ये जानकारी दी जा चुकि है की मनुवादी और इस देश के मुलनिवासी दोनो अलग हैं|जिसके चलते ढोल,गंवार, शूद्र,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी श्लोक अलग बतलाने के लिए लिखा जा चुका है|जिस ताड़न से अजादी तभी मिलेगी जब इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस भी धर्म जात में मौजुद हो वे सभी एकजुट होकर अपनी दबदबा वाली खुदकी सरकार चुनेंगे|नही तो फिर ये मनुवादी दबदबा भाजपा कांग्रेस सरकार मानो जिस प्रकार ब्रिटिश पुर्तगाल और फ्रांस शोषन अत्याचार करने की अब मेरी बारी मेरी बारी कहकर आपस में लड़ते थे उसी प्रकार राफेल और बोफोर्स की दलाली वगैरा भ्रष्टाचार पर आपस में लड़कर बाद में चुनाव जितने के बाद दोनो पार्टी की नेता और नीति एक दुसरे का पुरक साबित होकर इधर से उधर हुए एक दुसरे को बचाते हुए मजबुती रिस्ता भी कायम करेंगे|जिसके बाद ये एक दुसरे से मनुवादी रिस्ता जोड़कर बहुत कुछ देश और प्रजा का सौंपते चले जायेंगे|जैसे कि 1661 ई. को  पुर्तगाल ब्रिटिश से रिस्ता कायम करके मुम्बई को दहेज में सौंप दिया था|वैसे भी मनुवादी चाहे भाजपा का नेतृत्व करे या कांग्रेस का शोषन अत्याचार अन्याय तो इस देश के मुलनिवासियो का ही होना है|चाहे वे जिस धर्म को अपनाकर खुदको सबसे अधिक मान सम्मान महसुश करें|जिस बात को जो भी मुलनिवासी गलत मानता है,वह चाहे तो खुशी खुशी अपनी मर्जी से भाजपा या कांग्रेस की सरकार चुनकर चाहे जितना इंतजार करे भेदभाव शोषन अत्याचार समाप्त होने कि कभी भी समाप्त नही होगा|जिस बुरे हालात के लिए जो लोग भाजपा कांग्रेस को वोट या समर्थन नही देते हैं,उसे मैं जिम्मेवार नही मानता,बल्कि उसे जिम्मेवार मानता हुँ,जो लोग इस अँधभक्ती में डुबे हुए हैं कि अब भी इतना सबकुछ मनुवादी कुकर्म देखने सुनने और पढ़ने के बाद भी कांग्रेस भाजपा एक दुसरे का घोर विरोधी पार्टी हैं मानकर बार बार भाजपा कांग्रेस को ही वोट और समर्थन देते रहते हैं|जिन लोगो को ही मैं मनुवादियो को ताकत और हौशला देनेवाले अपने पांव में खुद ही कुल्हाड़ी मारने वाले मानता हुँ|जो एकबार फिर से भाजपा कांग्रेस को एक दुसरे का घोर विरोधी मानकर भाजपा हटाओ कांग्रेस लाओ कहकर मानो मनुवादी भगाओ और मनुस्मृती लाओ बदलाव करने जा रहे हैं|क्योंकि चाहे मनुवादी सरकार लाओ या फिर मनुस्मृती रचने वाली सरकार लाओ दोनो एक है|जिसे लाकर एक पिड़ी गरिबी हटाओ सुनते सुनते आधी से भी अधिक अबादी गरिबी भुखमरी जिवन जिते जिते जा रही है,और दुसरा युवा पिड़ी को भी कांग्रेस की आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ और भाजपा की शाईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया नारा लगवाते लगवाते गरिबी भुखमरी और बेरोजगारी में ही जाने के लिए फिर से अपने ही पांव में कुल्हाड़ी मारने की तैयारी चल रही है|जिसे मैं कुछ मुलनिवासियो द्वारा अपनी नीजि खास स्वार्थ के चलते बाकियो को गुमराह और भ्रम में करके फिर से कांग्रेस भाजपा सरकार की गरिबी भुखमरी और छुवा छुत शोषन अन्याय अत्याचार सेवा थोपना मानता हुँ|जो बात मैं यदि गलत बता रहा हुँ,यैसा वे मानते हैं तो वे इंतजार करे उस दिन का जब देश से भाजपा कांग्रेस की सरकार जाने के बाद मनुवादियो की दबदबा धिरे धिरे गणतंत्र के चारो स्तंभो से भी चली जायेगी और मुलनिवासियो का उचित भागीदारी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनको उचित हक अधिकार भी मिल जायेगी|जिसके बाद देश दुनियाँ इस बात का मंथन करेगी कि वर्तमान में जो मनुवादियो की दबदबा शासन चल रही है,जिसके द्वारा देश और जनता की सेवा हो रही है,उससे बेहत्तर होगी की नही होगी?जिस सवाल का जवाब प्रयोगिक रुप से भारी बदलाव होते हुए एकदिन जरुर देखी सुनी और पढ़ी जायेगी| जिसके बाद भविष्य में आने वाली नई पिड़ी भी मनुवादियो की दबदबा से छुटकारा पाने की संघर्ष इतिहास पढ़ेगी सुनेगी और देखेगी कि किस किस वजह से मनुवादियो की छुवा छुत शोषन अन्याय अत्याचार से अजादी पाने में देरी हो रही थी?क्योंकि वर्तमान का वेद अथवा आवाज और पुराण दिखलाई देनेवाला तस्वीर और विडियो रिकॉर्ड होकर भी दर्ज हो रहा है|जिसमे बदलाव या मिलावट करने में मनुवादियो को घोर कठिनाई होगी|खासकर जब पुरी दुनियाँ के पास सही गलत बुराई अच्छाई इतिहास दर्ज हो रहा है|जैसे की भाजपा का हर साल दो करोड़ को रोजगार वगैरा बहुत सारे जुमला और कांग्रेस का गरिबी हटाओ बीपीएल भारत ऑडियो विडियो और कागज समेत बाकि भी कई अलग अलग ज्ञान भंडार करने का माध्यम में दर्ज हो चुका है|जो इंसान का दिमाक में भी दर्ज हो चुका है|जैसे की गोरो की गुलामी और छुवा छुत की मौजुदगी दर्ज हो चुका है|

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2018

मनुवादी छुवाछुत ढोंग पाखंड तंत्र मंत्र

Khoj123
आज भी इस देश में करिब साड़े सात हजार ऐसी भाषा बोली जाती है,जिसकी कोई लिपी नही है|इसलिये उसे सिर्फ वेद(आवाज) बोली अथवा मुँह से बातचीत के जरिये ही व्यवहार में लाई जाती है|जैसे कि जब लिखाई पढ़ाई की खोज अथवा आविष्कार नही हुए थे, तो वेद (आवाज) पुराण (दिखलाई देने वाला चित्र वगैरा) ही ज्ञान बांटने का माध्यम था|जिसका भंडारन सुन देखकर पिड़ी दर पिड़ि सिर्फ याद करके इंसान की दिमाक में की जाती थी|जिस ज्ञान भंडारन से ही गुरु अथवा शिक्षको के द्वारा वेद पुराण का ज्ञान बांटा जाता था|जो वेद पुराण मंदिरो अथवा वेद पुराण के विद्यालयो में होती थी,जिसमे मनुवादियो ने कब्जा करके शुद्रो के लिए वेद पुराण का ज्ञान लेने में रोक लगा दिया था|जिसके लिए मनुवादियो का संविधान मनुस्मृती लागू होने के बाद ये नियम कानून लागू किए गए कि शुद्र यदि वेद सुने तो उसके कान में गर्म पिघला लोहा डाल दिया जाय और वेद बोले तो उसका जीभ काट दिया जाय|जिस तरह के इंसानियत कायम थी मनुवादियो की संविधान लागू होकर|साथ साथ ये भी नियम कानून लागू थी कि शुद्र अमिर नही बन सकता अथवा सारा धन दौलत पर मनुवादियो का अधिकार होगा|शुद्र सिर्फ सेवा करेगा मनुवादियो की|आज जनता को मालिक और शासक को सेवक कहा जाता है,मनुस्मृती लागु होने पर शुद्र प्रजा मालिक नही बल्कि प्रजा का सेवा करने वाली गद्दी पर बैठने वाला  राजा अपनी प्रजा का मालिक होता था|जिसकी सेवा शुद्र जनता करती थी|जिस तरह की शासन में कान में गर्म पिघला लोहा डालने और जीभ काटने का कानून बनाने वाले जन्म से विद्वान पंडित और कान में गर्म पीघला लोहा डालने वाले जन्म से वीर रक्षक क्षत्रिय और शुद्र जनता का धन को लुटने वाले जन्म से धन्ना वैश्य कहलाते थे|जिस तरह की शासन को श्रेष्ट शासन कहा जाता था|खैर ये सारी बाते उस समय वेद पुराणो में अपडेट होकर समय के साथ दर्ज होती जा रही थी|जिसके बारे में ज्ञान वेद पुराण मंदिरो में दी जाती थी|जिसमे मनुवादि खुदको उच्च और श्रेष्ट कहलवाने के लिए वेद पुराणो में मिलावट और बदलाव करके नायक को खलनायक और खलनायक को नायक बतलाने कि कोशिष किया|जो वेद पुराण आने वाले नई पिड़ि के लिए भी ज्ञान का भंडार होता था,जिसे गुरु अथवा शिक्षक अपने दिमाक में भंडारन करके रखते थे|जैसे कि आज भी कोई गुरु या छात्र अपने दिमाक में ज्ञान भंडारन रोज रोज करता रहता है|जो बिना किताब कॉपी के भी किया जाता है|जिसके जरिये कोई भी ऐसे सवाल का जवाब दिया जा सकता है,जिसका जवाब दिमाक में सुन देखकर भंडारन किया जा चुका है|जिसे वह अपनी यादाश्त के जरिये बिना किताब कॉपी के मुँह से बोलकर अथवा आवाज जिसका मतलब वेद होता है,उसके जरिये दे सकता है|जो अपने दिमाक में मौजुद भंडारन को आवाज अथवा वेद और पुराण अथवा साक्षात चित्र के साथ साथ आज लिपी की खोज होने की वजह से लिखाई पढ़ाई के रुप में भी इस्तेमाल और भंडारन कर रहा है|जो उस समय ज्ञान मंदिरो में भी नही कर पाता था,जब कोई भाषा लिपी की खोज नही हुई थी| और सिर्फ वेद पुराण ही ज्ञान बांटने और बोलचाल का माध्यम बना हुआ था|जैसे की आज भी इस देश में हजारो बोली भाषा मौजुद है,जिसकी कोई लिपी मौजुद नही है|
हलांकि वर्तमान में कई बोली भाषा लिपी का आविष्कार हो चुका है|जिसके चलते किसी भी ऐसी बोली भाषा को जानने वाला इंसान जिसकी आज भी कोई लिपी उपलब्ध नही है,वह किसी दुसरी भाषा  जिसकी लिपी का खोज हो चुका है,उस भाषा में पढ़ाई लिखाई शिक्षा लेकर अपनी बोली भाषा का ज्ञान को लिखित तौर पर बांट सकता है|जो पहले लीपि न होने की वजह से ज्ञान बांटने का कार्य सिर्फ वेद पुराण के जरिये ही उस समय होता था,जब हजारो साल पहले इस देश के मुलनिवासियो द्वारा हजारो भाषा तो बोली जाती थी पर उन हजारो भाषाओ में किसी की भी लिपी मौजुद नही थी|जिस समय संभवता पुरे विश्व में भी किसी भी बोली भाषा की कोई लिपी मौजुद नही थी|जिसके चलते विश्व के अलग अलग क्षेत्रो में मौजुद सभी इंसानो द्वारा सिर्फ बोलकर और दिखाकर अथवा वेद पुराण के जरिये ही ज्ञान बांटी जाती थी|क्योंकि उस समय किसी भी बोली भाषा की लिपी  की खोज नही हुई थी|जो की सुरुवात में इस देश में भी कोई बोली भाषा की लिपी मौजुद नही थी|सिर्फ वेद पुराण के जरिये ज्ञान बांटी जाती थी|जो बाद में संस्कृत हिन्दी वगैरा भाषा लिपी की खोज जैसे जैसे होती चली गई तो वेद पुराण की रचना लिखित रुप से भी की जाने लगी|जिसकी उदाहरन किसी इंसान को बोलते और उसके द्वारा बोले गए ज्ञान को लिखते हुए देखकर जाना जा सकता है|हलांकि हो सकता है संस्कृत हिन्दी के अलावे अन्य भी कई भारतीय भाषाओ की लिपी जब खोजी गई,उससे पहले भी इस देश में कोई भारतीय भाषा की लिपी मौजुद थी,जिस लिपि भाषा में भारत के वेद पुराणो में जो लिखी गई बाते जो आज मौजुद है उससे भी पहले की बाते दर्ज होगी जब मनुवादि इस देश में प्रवेश ही नही किये थे|क्योंकि हमे ये नही भुलनी चाहिए की प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृती के पुराने अवशोषो में मौजुद भाषा को अबतक समझी नही गयी है|जहाँ पर कोई मनुवादियो का मौजुदगी भी नही थी|क्योंकि यदि उस समय मनुवादी होते तो प्राचिन सिंधु घाटी सभ्यता में भी अनगिनत देवताओ की मंदिर मौजुद होती|जैसे की आज लाखो मंदिर मौजुद हैं|जो मंदिर दरसल वेद पुराण ज्ञान का मंदिर होगा जिसपर मनुवादियो का कब्जा होने के बाद वहाँ पर अपने पुर्वजो की मुर्ती लगाकर उसकी और अपनी भी पुजा सुरु कर दिया होगा|जिसके बाद चूँकि वेद पुराण के रचनाकार गुलाम बनाये जा चुके थे इसलिए सुरु में उनके ही द्वारा मानो सोने की चिड़ियां मनुवादियो द्वारा हाईजेक होकर वेद पुराणो में भी मिलावट सुरु हो गया होगा|जिन मंदिरो को आज भी कहीं कहीं मनुवादियो के द्वारा हाईजेक किया गया है इसकी झांकी दिख जाती है|जिसके चलते आज भी कहीं कहीं मंदिर के बाहर शुद्र का अंदर प्रवेश मना है ये बाते लिखी रहती है|और चूँकि वेद पुराण का संग्रह कोई ऑडियो विडियो रिकॉर्डिंग मशीन के जरिये नही किया गया है,क्योंकि हजारो साल पहले ऑडियो विडियो रिकार्डिंग का आविष्कार नही हुआ था,नही तो फिर सारे बिना मिलावट वाला वेद पुराण का मुल संग्रह ऑडियो विडियो के रुप में आज मुल ऑडियो विडियो मौजुद रहती उन मुलनिवासियो की आवाज में जिन्होने वेद पुराण की  रचना किताब के रुप में होने से पहले ही ऑडियो विडियो के रुप में की थी|जो होने के बाद उसमे मिलावट जैसी गड़बड़ी होने की संभावना भी न के बराबर होती यदि मुल वेद पुराण की प्रथम संग्रह करने वाले गुरु की बिना रुके ऑडियो विडियो वेद पुराण ज्ञान बांटने समय रिकॉर्ड करके उसे संग्रहित की जाती|जैसे की आज तमाम ज्ञान की बाते जिन्होने उस ज्ञान की खोज की है उसे संग्रहित जरुर की जानी चाहिए|ताकि भविष्य में उसमे कोई भी मिलावट और बदलाव न किया जा सके|और मुल प्रति में यदि समय के साथ अपडेट अथवा बदलाव भी हो तो उसमे ये जानकारी अपडेट हो कि अपडेट किसके द्वारा हुआ?जैसे की आज यदि अजाद भारत का संविधान में अपडेट हो रहा है तो ऑडियो विडियो रिकार्डिंग के जरिये जानकारी में भी अपडेट हो रहा है कि किसके द्वारा अपडेट हो रहा है|जिस तरह कि सुविधा हजारो साल पहले उपलब्ध न होने की वजह से वेद पुराण में आज बहुत से बदलाव और मिलावट समय के साथ हो चुकी है,इसकी पुरी संभावना तो है,पर मुल ऑडियो विडियो रिकार्डिंग मौजुद नही है|
हलांकि वेद पुराण की कथनी करनी में मेल करते समय मुल सच्चाई तब पता चल जाती है,जब कोई चाल चरित्र का नायक को खलनायक और चाल चरित्र का खलनायक को नायक बतलाने की कोशिष करते हुए मिलावट और बदलाव साफ नजर आती है|जैसे की वेद पुराणो में अहिल्या का बलात्कार करने वाला इंद्रदेव को पुजने की ज्ञान बाते की जाती है तो वेद पुराण में साफ मिलावट और बदलाव नजर आती है|जिस तरह की मिलावट आगे अपडेट होने के बाद वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालने,और वेद बोलने पर जीभ काटने का नियम कानून मनुस्मृती वगैरा संविधान लिखने वालो को जन्म से विद्वान पंडित कहना,और शोषन अत्याचार करने वालो को जन्म से वीर रक्षक क्षत्रिय कहना,और दुसरे का धन लुटने वालो को जन्म से धन्ना वैश्य कहना भी वेद पुराण में मिलावट का ही बुरे परिणाम है|जिस तरह कि मिलावट मनुवादियो ने इसलिए किया है,क्योंकि उन्होने इस देश में बाहर से आकर इस देश के मुलनिवासियो को गुलाम बनाकर छुवा छुत शोषन अत्याचार को किसी अपराधी के द्वारा सबूत छिपाने की भांती सत्य को छुपाने की कोशिष किया है|जिसके चलते ही तो मनुवादी खुदको देव का वंसज नायक के रुप में पेश करते हैं,और इस देश के मुलनिवासी जिसे मनुस्मृती में शुद्र कहा गया है,उसे राक्षस कहकर खलनायक बतलाते आ रहे हैं|जिसकी सच्चाई वेद पुराण को सिधा करके पढ़ने पर मुल अपडेट सुरु हो जाती है|जैसे की रक्षक का कार्य करने वाले को नायक और भक्षक का काम करने वाले को खलनायक चूँकि माना जाता है,इसे ध्यान में रखते हुए जब वेद पुराण का सत्य मंथन किया जाता है,तो देव खलनायक और राक्षस नायक नजर आते हैं,जो कि सच्चाई है|इसका मतलब ये बिल्कुल नही की वेद पुराण में मौजुद सभी देव खलनायक और सभी राक्षस नायक नजर आयेंगे,जैसे कि सभी गोरे भी खलनायक और सभी गोरो के द्वारा हुए गुलाम भी नायक नजर नही आयेंगे|लेकिन जिस तरह कुछ गोरे सही होने के बावजुद भी गुलाम होने के बाद सभी गोरो से अजादी पाने की लड़ाई लड़ी जा रही थी,उसी प्रकार सभी देव खलनायक नही होने के बावजुद भी खुदको देव का वंसज कहने वाले छुवा छुत शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादियो से अजादी पाने की लड़ाई आज लड़ी जा रही है|जिससे उन कथित देव के ही वंसजो को जिनके अंदर देव का ही डीएनए दौड़ रहा है,लेकिन वे मनुवादी होना अब बिल्कुल भी पसंद नही करते हैं,और छुवा छुत उच्च निच को भी नही मानते हैं,उनको अपने ही डीएनए का मनुवादियो की वजह से चूलुभर पानी में शर्म से डुब मरने की जरुरत बिल्कुल भी नही है,क्योंकि हजारो सालो तक इस देश में रहते रहते उनके भितर इस देश के मुलनिवासियो का सभ्यता संस्कृती का बहुत सारा ज्ञान हो चुका है|हाँ ये ख्याल जुरुर रहे कि भले अपने मनुवादी पुर्वज और इंद्रदेव बुरे हो उस समय और आज भी,पर इस समय उनकी आरती न उतारकर और उनकी गलतियो को सार्वजनिक तौर पर सबके सामने कबूल करके उन्हे खलनायक स्वीकारने के बाद अपने पुर्वजो के द्वारा किये गए गलतियो को भुलाकर और वेद पुराण की ज्ञान में सुधार करके उसे सही रुप से बांटकर अपने नई पिड़ी को छुवा छुत न करने के लिए सुधारा जा सकता है|जिससे की भविष्य में सुधरे हुए मनुवादियो के द्वारा इंसानियत कायम करने में भी काफी महत्वपुर्ण भूमिका अदा की जायेगी|नही तो फिर आगे भी मनुवादियो की नई पिड़ी भी मानो अँधा होकर झुठी शान में डुबकर गर्व से छुवा छुत का भ्रष्ट संस्कार को किसी किमती खजाना कि तरह खानदानी पुर्वजो की विरासत और वसियत की तरह पिड़ी दर पिड़ी और भी आगे न जाने और कितने समय तक ले जाती रहेगी|जो की आने वाले नई पिड़ी के लिए भी बहुत से ऐसी कुकर्म को जन्म देती रहेगी जिस बड़ी गलती को छिपाने की कोशिष में भी मनुवादी आज भी ढोंग पाखंड के जरिये दिन रात लगा रहता है|जैसे की इस समय भी बड़े बड़े भ्रष्टाचारी अपनी गलती को छिपाने में लगे हुए हैं|ताकि उनकी झुठी शान बरकरार रह सके और वे सजा पाने से भी बचे रहे|जो लोग मेरी नजर में तो उस शिशु की तरह नजर आते हैं,जो पैंट में ही शुशु और टटी करके या तो उसी से खेलते हुए मुस्कुराते रहता है,या फिर रोते रहता है|उसकी सफाई नही करता,क्योंकि उसे सिर्फ हगना मुतना तो आता है,पर वह समय के साथ बड़ा होते होते धिरे धिरे बहुत कुछ सिख रहा होता है|बल्कि अपने पैंट में ही मल मुत्र करने वाले शिशु से भी कई गुणा अधिक मल मुत्र अपने पैंट में करने से ज्यादे खतरनाक गंदगी करने वाले शैतान शिशु होते हैं वे लोग जो बड़े बड़े भ्रष्टाचार की गंदगी करके जान बुझकर उसे छिपाये हुए जिवन जी रहे होते हैं|जिन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो की  बुद्धी का विकाश जिसदिन भी इंसानियत के तौर पर हो जायेगा अपनी बड़ी बड़ी गलती को कबूल करके उसदिन वे सारा कालाधन भी खुद ही सौंप देंगे|जैसे की शिशु जब बड़ा होकर समझदार बच्चा बन जाता है,तो कभी गलती या जान बुझकर पैंट में शुशु और टटी करने पर अपने अभिभावक को तुरंत बतला देता है कि उसने अपने पैंट में ही मल मुत्र किया है|बल्कि ज्यादेतर बच्चे तो समय के साथ खुद ही गंदा पैंट उतारना और  अपना पिछवाड़ा धोना पोछाना जान जाते हैं|जिस तरह की भी समझदार बच्चा तक अभी नही बन पाये हैं बड़े बड़े भ्रष्टाचारी तो वे अपनी जिवन में खासकर क्या मेरे जैसे लोगो की नजर में वे बड़े लोग बन पायेंगे जिनसे नई पिड़ी को सही इंसान बनने की ज्ञान प्राप्त होती है|बल्कि ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के बच्चो की भी सही संस्कार तबतक खतरे में पड़ी रहती है, जबतक कि बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के बच्चे उन्हे अपना आदर्श मानने के बजाय उनके कुकर्मो का विरोध करना न सिख लें|जैसे की छुवा छुत करने वाले मनुवादियो के बच्चो को छुवा छुत का विरोध करके छुवा छुत समाप्त करने की ज्ञान सिखनी चाहिए उन लोगो से जो कि किसी से छुवा छुत नही करते हैं|जो सिखाने वाले चाहे इस देश के मुलनिवासी हो या फिर विदेशी हो,पर यदि छुवा छुत करना गलत संस्कार है,ये ज्ञान की बाते छुवा छुत करने वालो के सभी बच्चे सिख लेंगे तो भविष्य में वे कभी भी इस देश के मुलनिवासियो का ही नही,बल्कि किसी भी देश के मुलनिवासियो के साथ बिना कोई भेदभाव किये और हक अधिकारो का अँगुठा काटे बगैर सचमुच का गर्व से जिवन यापन करेंगे|अन्यथा आगे भी चाहे उन्होने जितनी बड़ी बड़ी उच्च ज्ञान डिग्री प्राप्त कर लिये हो तो भी वे छुवा छुत करते हुए झुठी शान में ही डुबे रहेंगे|जिस तरह के लोग ही दरसल आजतक भी छुवा छुत भ्रष्ट संस्कार को कायम किये हुए हैं|जिससे पुरी अजादी जल्द से जल्द पाने के लिए मेरे द्वारा बांटे गए इस ज्ञान को ज्यादे से ज्यादे लोगो तक बांटने का पुन्य कर्म करें!अन्यथा कुकर्म करने वाले और कुकर्म से पिड़ित होने वाले दोनो ही सुख शांती और समृद्धी जिवन ठीक से कभी नही जी पायेंगे| धन्यवाद!

रविवार, 21 अक्टूबर 2018

इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी

आर्यव्रत श्रेष्ट उतम स्वर्ण उच्च जाती छुवा छुत भारत हिन्दुस्तान India Khoj 123
इस आर्यावर्त धरती का सबसे आर्य
अथवा छुवाछुत करने वाला श्रेष्ट प्राणी के श्रेष्ट होने के बारे में जानने से पहले ये बात जरुर जान लें कि गोरो की शोषन अत्याचारो से अजादी पाने का कड़ी संघर्ष 1947 ई. में ही समाप्त हो गई है|क्योंकि गोरो की सत्ता इस देश से चली गई है|जिनसे अजादी मिलने के बाद अब मनुवादियो से अजादी पाने की संघर्ष लंबे समय से चल रही है|जिन मनुवादियो का शोषण अन्याय अत्याचार पीड़ा सहते हुए बहुसंख्यक चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उसकी बहुमत वोट से देश में अगर गोरो की गुलामी से अजादी मिलने के बाद भारी बहुमत की भाजपा सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है,और अगर भारी बहुमत से कांग्रेस सरकार आती है,तो भी मनुवादियो से अजादी नही मिलती है|आखिर क्यों जो लोग मनुवादियो से अजादी पाने के लिए गोरो से गुलाम होने से पहले से ही लंबे संघर्ष कर रहे हैं,उनको अबतक मनुवादियो की शोषन अत्याचार से पुरी अजादी अजाद भारत का संविधान लागू होकर भी नही मिल पा रही है?जिसका जवाब खोजने के बाद यही सत्य बात पता चलता है कि मनुवादियो से पुरी अजादी अबतक न मिलने का प्रमुख वजह मनुवादी पार्टियो का अबतक देश की सत्ता पर अपनी दबदबा बनाये रखना है|जो स्वभाविक है,क्योंकि यदि गोरे भी इस देश की नागरिकता लेकर अभी भी अपने नेतृत्व में कोई पार्टी का गठन करके चुनाव लड़ते,और बार बार चुनाव लड़कर मनुवादियो से जितने के बाद किसी पार्टी या नेता का समर्थन लेकर अपनी दबदबा सरकार देश की सत्ता में अबतक बनाये भी रखते,तो भी जाहिर है अब भी गोरो के शोषण अत्याचार से अजादी का संघर्ष किसी न किसी पार्टी द्वारा चलाई जा रही होती|भले क्यों न गोरो में बहुत से गोरे मनुवादियो से कई गुना बेहत्तर सेवा देते हुए देश की सत्ता नेतृत्व कर रहे होते|क्योंकि गोरे विदेशी हैं,इसलिए चाहे वे सत्ता में रहकर जितना प्रजा और देश सेवा सुधार करे,और खुद भी सुधर जाय,उनके द्वारा शोषन अत्याचार जारी रहेगा ये बात सत्ता में गोरो की दबदबा कायम रहने तक बहुतो के मन में सेवा पाते हुए भी बैठी हुई रहती|जिस तरह की ही बात अब कई संगठनो और बहुसंख्यक शोषित पिड़ितो के भितर धिरे धिरे आग पकड़ रही है कि यदि गोरे विदेशी थे तो मनुवादियो की डीएनए भी विदेशियो से ही मिलती है,ये बात चूँकि साबित हो चूकि है,इसलिए अब गोरो की तरह मनुवादियो से भी पुरी अजादी जरुर मिलनी चाहिए|भले कुछ मनुवादी छुवा छुत करना छोड़कर सुधर गए हो|जो थोड़े बहुत गोरे भी निश्चित रुप से देश गुलाम के समय भी सुधरे हुए थे,जो भी गोरो का विरोध करके अजादी लड़ाई लड़ रहे लोगो का साथ दे रहे थे|जैसे की कुछ मनुवादी भी मनुवादियो के शोषन अत्याचार से पुर्ण अजादी पाने का संघर्ष चला रहे लोगो का साथ दे रहे हैं|क्योंकि गोरे जिस प्रकार गेट में ये लिखते थे कि कुत्तो और भारतीयो का अंदर प्रवेश मना है, उसी प्रकार मनुवादी भी मंदिरो के बाहर अब भी ये बोर्ड लगाते हैं कि मंदिर के अंदर शुद्रो का प्रवेश मना है|गोरे तो अब देश अजाद होने के बाद बोर्ड लगाना छोड़ दिये हैं,पर मनुवादी अब भी छुवा छुत बोर्ड लगाना नही छोड़े हैं|जिसका मुल कारन देश की सत्ता में अबतक मनुवादियो का वर्चस्व बने रहना है|जो समाप्त होते ही जिस प्रकार देश अजाद होने के बाद गोरे बोर्ड हटाने के लिए मजबूर हुए थे, उसी प्रकार मनुवादियो की दबदबा देश की सत्ता से जाने के बाद छुवा छुत बोर्ड लगाना बंद करना मनुवादियो की मजबुरी बन जायेगी|क्योंकि उस समय देश की सत्ता में मनुवादियो की घोर विरोध करने वाली पार्टी जिनका जन्म ही मनुवादियो के शोषन अन्याय अत्याचार से पुर्ण अजादी दिलाने के लिए कड़ी संघर्ष से हुआ है,उन पार्टियो की दबदबा देश की सत्ता में कायम रहेगी|जिसकी वजह से जिस प्रकार दिल्ली में कभी हुए निर्भया रेप कांड हो,उत्तर प्रदेश का विवेक तिवारी वाला मामला हो,या फिर अभी का #Me Too अभियान हो,जिस तरह जल्दी से एक्सन ली जा रही है|उसी प्रकार देश की सत्ता से मनुवादियो का दबदबा समाप्त होने के बाद जब भी मनुवादियो द्वारा एक भी शोषन अन्याय अत्याचार की घटना कि शिकायत होगी तो तुरंत एक्सन ले ली जायेगी|जैसे की अभी यदि कोई संवर्ण के साथ घटना होता है, और उसकी जानकारी मनुवादी दबदबा वाली सत्ता और मनुवादी मीडिया को खास जानकारी उपलब्ध होती है,तो वह उसे खास महत्व देकर तुरंत कारवाई सुरु हो जाती है|जो कारवाई मनुवादियो से पिड़ित लोगो के लिए नही होती है|जो कारवाई देश में मनुवादियो की दबदबा वाली कांग्रेस भाजपा सत्ता जाने के बाद सुरु हो जायेगी|बल्कि उससे भी कड़ी और उससे भी तेज कारवाई मनुवादी दबदबा सत्ता के समाप्त होने पर होगी|क्योंकि इतिहास गवाह है कि मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता में मनुवादियो से संघर्ष करने वालो का बुद्धी धन बल मजबुती इतिहास मनुवादियो से ज्यादा रहा है|जिसका प्रमाण महाराष्ट्र में हुए मालेगांव घटना में और महाभारत के एकलव्य घटना का उदाहरन में वीर बाजु और रक्षा हुनर बल का मौजुद रहना है|और बुद्धी में अजाद भारत का संविधान रचना और मनुवादियो का प्रवेश करने से पहले इतना बड़ा देश का निर्माण करना खास उदाहरन है|रही बात धन की ताकत की तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के बाद किसके पास सबसे अधिक धन की ताकत होगी या मनुवादियो के आने से पहले भी थी,ये तो मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता समाप्त होने के कुछ समय बाद अपडेट होकर पता चल जायेगा कि उस समय के शासको और मुलनिवासी प्रजा के पास कितना धन मौजुद होता था|जो शासन वापसी होने के बाद मनुवादी कटोरा धरकर वापस वामन बनकर छल कपट से वापस सत्ता में आने की बात सोचेगा कि बुद्धी धन और बल से आने की सोचेगा?वर्तमान में तो चूँकि मनुवादियो की दबदबा सत्ता पर कायम है,इसलिए मनुवादियो से पिड़ीत होनेवाला बहुसंख्यक अबादी कमजोर कहलाकर करोड़ो की तादार में गरिब बीपीएल बना हुआ है!जबकि इतिहास मंथन करके मुझे तो पुरा यकिन है कि मनुवादी भी उस समय गरिब बीपीएल नही रहेगा जब इस देश में मनुवादियो की वर्चस्व समाप्त होगी|हाँ अपकीबार उन्हे दान में ऐसी सत्ता नही मिलेगी जिसे पाने के बाद दान देने वाले को ही दान लेने वालो द्वारा कैद कर दिया जाय|फिलहाल तो मनुवादी पार्टियो में देश की सत्ता में सबसे प्रमुख पार्टी भाजपा कांग्रेस वर्चस्व प्रमुख पक्ष विपक्ष के रुप में भी मौजुद है, ये बात सबको पता है|जाहिर है बिना भाजपा कांग्रेस दोनो के हारे मनुवादियो की सत्ता में दबदबा कायम रहेगी ये निश्चित है!जिसका प्रमाण देश में चारो ओर साक्षात नजारा मौजुद है कि किस तरह से देश में मनुवादियो के खिलाफ आंदोलन अब भी जोर सोर से चल रहे हैं|जो नजारा जबतक मौजुद रहेगी तबतक ये कड़वा सत्य भाजपा कांग्रेस दोनो ही पार्टी को देश की सत्ता पर खुद बैठाकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करने वालो को स्वीकारनी पड़ेगी कि मुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाली आवाज को दबाने कुचलने वाली कांग्रेस भाजपा पार्टी को देश की सत्ता में खुद बिठाकर खुद ही अपने पाँव में कुल्हाड़ी मारकर भाजपा कांग्रेस सरकार से मनुवादियो की शोषण अन्याय अत्याचारो से अजादी की उम्मीद फिजूल में की जा रही है|जाहिर है मेरा कहने का मतलब साफ है की मनुवादियो के शोषण अन्याय अत्याचार के खिलाफ अजादी संघर्ष चल रहा है,इसका मतलब इस देश की सत्ता में मनुवादियो की दबदबा कायम है|और मनुवादियो की दबदबा का मतलब साफ है कि उनको चुनाव मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करने वाले ही जिताकर कांग्रेस भाजपा को सत्ता में बिठा रहे हैं|जिन दोनो पार्टियो को पहले देश की सत्ता दबदबा से हटाना होगा|उसके बाद ही ये तय ठीक से हो पायेगा की अजाद भारत का संविधान लागू व्यवस्था में असल गलती कहाँ पर मौजुद है|जिसमे सुधार जरुर करनी चाहिए|जिसके लिए सबसे पहले कांग्रेस और भाजपा के बगैर वाली सत्ता लाया जाय और कांग्रेस भाजपा दोनो को एक साथ हराया भी जाय|जो बिल्कुल आसान है कि शोषित पिड़ित बहुजन अभी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,जिनका डीएनए एक है,जो कि मनुवादियो से नही मिलता है,ये बात साबित हो चुकि है|वे सभी एकजुट होकर कांग्रेस भाजपा पार्टी को एक भी वोट न करें,बल्कि उनके खिलाफ एकजुट हो जाय|चाहे इसके लिए क्यों न अपने परिवार के उन सदस्य और दोस्त रिस्तेदारो को वोट देना बंद करनी पड़े जो भाजपा कांग्रेस में शामिल हैं|जिन शामिल लोगो को मैं गाँधी का तीन बंदर मानता हुँ|जो भाजपा कांग्रेस में शामिल होकर मनुवादियो के खिलाफ हो रहे कड़ी संघर्ष में कान बंद,मुँह बंद,और आँख बंद करके योगदान दे रहे हैं|जिनका नाम मनुवादियो के खिलाफ अजादी संघर्ष इतिहास में वैसा ही दर्ज होगा या हो रहा है,जैसे की घर का भेदी का नाम दर्ज होता है|जिस बात को कोई गलत तभी साबित कर पायेगा जब वह ये साबित कर देगा कि इस देश में भाजपा कांग्रेस के शासन में मनुवादी दबदबा कायम नही थी|इसलिए अब भी समय रहते वे तमाम बहुसंख्यक शोषित पिड़ित भाजपा कांग्रेस के खिलाफ हो जायं जो मनुवादियो के खिलाफ चल रहे कड़ी संघर्ष में अबतक गाँधी का तीन बंदर बने हुए हैं|क्योंकि कुछ समझदार संवर्ण भी यदि मान लिये हैं कि भाजपा कांग्रेस मनुवादी पार्टी हैं,जिसकी दबदबा रहते हुए देश से छुवा छुत शोषन अन्याय अत्याचार कभी नही समाप्त हो सकती है,तो फिर आखिर क्या वजह हो सकती है कि अब भी कांग्रेस भाजपा पर विश्वास कायम है?जिसे तो मैं मनुवादियो के प्रती अँधविश्वास भी मानता हुँ कि मनुवादियो की दबदबा में सबसे उत्तम शासन रामराज भी कभी था या आयेगा या चल रहा है|जहाँ पर शंभुक प्रजा सबसे सुख शांती और समृद्धी जिवन बिताती है|जिसका बड़ा उदाहरण वर्तमान में भी साफ है,जब मनुवादियो की दबदबा वाली ऐसी सत्ता देश में कायम है|या फिर गाँधी का तीन बंदर आँख होते भी अँधा,कान होते भी बहरा,मुँह होते भी गुँगा बनने वाली सत्ता घर के भेदियो द्वारा मन से जय श्री राम कहकर कायम है|जिसमे हर साल तीस से चालीस हजार बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज हो रही है|और आधी से अधिक शंभुक प्रजा गरिब बीपीएल जिवन जिने को मजबूर है|जो बुरे हालात जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए|और वैसे भी मनुवादियो की सत्ता तो एकदिन जानी ही है,जैसे की गोरो की दबदबा सत्ता गई|जिस तरह की दुसरी अजादी पाने के लिए ही तो कड़ी संघर्ष देश में बहुत पहले से ही विभिन्न रुपो में चल रही है|जो मनुवादियो देश छोड़ो हालात तो नही पर मनुवादियो देश की सत्ता छोड़ो संघर्ष लंबे समय से जरुर चल रही है|जिसे उसकी मंजिल तक इसी वर्तमान के युवा पिड़ी को ही पहुँचा देनी चाहिए देश से भाजपा कांग्रेस की सत्ता को हटाकर|जिसे एक न एकदिन हटना तो निश्चित है|जिसे हटना चाहिए इसकी बुद्धी करोड़ो लोगो को बहुत पहले ही आ चुकि है|और जिसे सत्य बुद्धी नही आई है उन्हे भी कभी न कभी जल्द आ जायेगी|जिसके बाद इस देश से मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जायेगी|जो कोई आकाशवाणी या भविष्यवाणी नही है,बल्कि भविष्य में होनेवाली वह सच्चाई है,जिसका बीज उसी समय ही बहुत पहले बोई जा चुकि है,जब मनुवादियो से अजादी पाने का मन इस देश के शुद्रो ने पुरी तरह से बना लिया है|और इतिहास में आजतक कोई भी ऐसी क्रांती या फिर अजादी की लड़ाई नही लड़ी गई है,जिसे उसके मंजिल तक न पहुँचा दिया गया हो|और अगर यदि कोई किसी कारन वश नही भी पहुँची हो तो वह भी कभी न कभी रिले रेस छड़ी की तरह अजादी की जादुई छड़ी जरुर पहुँच जायेगी|क्योंकि सौ प्रतिशत सत्य है कि यदि गुलामी होती है,तो अजादी भी होती है|गोरो से अजादी मिलने का ई. 1947 ई. और गणतंत्र 1950 ई. तो इतिहास में दर्ज हो चुकि है,पर मनुवादियो की दबदबा वाली सत्ता जाने की अजादी ई. अबतक दर्ज नही हुई है|जिस ऐतिहासिक पल का इंतजार मेरे ख्याल से दिल से मनुवादी का शिकार होने वाले तमाम लोगो को बेसब्री से है|जो हो सकता है 2019 ई. में पुर्ण अजादी ई. मिल जाय यदि कांग्रेस भाजपा को बहुजन समाज पार्टी की तरह 0 न सही पर दोनो पार्टी के सांसद कम से कम गाँधी का तीन बंदर चुनाकर लोकसभा में छुवा छुत करने वालो की सपोर्टरो को बचाने के लिए आवाज उठाने के लिए चुनकर आयें|या फिर यदि कांग्रेस या भाजपा  में ही कोई एक पार्टी फिर से चुनकर आये तो 2024 ई. में तो कम से कम मनुवादी सत्ता को बिल्कुल ही समाप्त हो जानी चाहिए|क्योंकि मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते जो पिड़ी बुढ़ा बुढ़ी हो चुके हैं,उनकी नई पिड़ी भी युवा होकर मनुवादियो के खिलाफ कड़ी संघर्ष करते करते या फिर घर का भेदी बनकर गाँधी का तीन बंदर बनकर जय श्री राम करते करते इस अँधविश्वास में डुबकर कहीं बुढ़ा बुढ़ी न हो जाय कि दुनियाँ का सबसे आदर्श शासन मनुवादियो की दबदबा में चल रहा है|क्योंकि मनुवादियो की छुवा छुत परंपरा पिड़ि दर पिड़ि वैसे भी डायनासोर काल से चली आ रही है|जिसकी झांकी अब भी मनुवादी परंपरा की डायनासोर हड्डी की तरह खुदाई करने से नही बल्कि साक्षात आज भी छुवा छुत करने वाले प्राणी विचरण करते पाये जाते हैं|जिनकी भी कभी डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क बननी चाहिए|जहाँ पर उन तमाम मनुवादियो को सुधार घर की तरह रखनी चाहिए,जिन्होने आजतक भी अपने भितर छुवा छुत करना नही छोड़ा है|जिनके बारे में करिब से जानने के लिए मनुवादी का शिकार हुए लोग विशेष सुरक्षा इंतजाम में छुवा छुत पार्क का भ्रमन कर सके|जो सारी अपडेट तब हो पायेगी जब मनुवादियो की सत्ता पुरी तरह से चली जायेगी|जो अभी जाय या न जाय पर वर्तमान में मौजुद मनुवादियो के बुढ़े होकर उनके अपने आप ही खत्म होने के बाद मनुवादी दबदबा समाप्त जरुर हो जायेगी|क्योंकि मनुवादियो की नई पिड़ी अब और आगे छुवा छुत परंपरा को ले जाने के लिए न तो ज्यादे दिलचस्पी दिखला रही है,और न ही सभी अपने पुर्वज मनुवादियो की छुवा छुत सत्ता को कोई किमती खजाना समझकर हमेशा कायम रखना चाहती है|जो यदि चाहेगी भी तो उसका अब सामना करने के लिए वर्तमान और भविष्य की भी नई पिड़ी पुर्ण अजादी पाने के लिए बुद्धी बल से तैयार हो चुकी है|जिसका प्रमाण देश के कोने कोने से ऐसे युवा पिड़ी का चुन चुनकर उभरते हुए भरमार देखने सुनने और पढ़ने को मिल रही है,जिनके भितर अब जागरुकता आकर मनुवादियो की गुलामी से अजादी पाने की सारी जुनून सवार हो गई  है|मैं उछल कुद करते गाँधी का तीन बंदरो की बात नही कर रहा हुँ|उसे तो मैं बार बार कभी समझाना ही नही चाहुँगा|क्योंकि घर के भेदियो को समझाने से ज्यादा बेहतर तो जो लोग अपने पुर्वजो का इतिहास अब भी ठीक से नही जानते हैं,उनको उनके पुर्वजो के साथ छुवा छुत करने वाले प्राणिये का भी भेदभाव इतिहास बतलाकर उनके भितर अपने हक अधिकारो को पाने के लिए जागरुक करना ज्यादे बेहतर समझता हुँ|जिसके लिए ही तो भविष्य में डायनासोर पार्क की तरह छुवा छुत पार्क भी बनने की भी उम्मीद करता हुँ|जहाँ पर तब भी लोग अपना खोई हुई अजादी के बाद खुशी से मनोरंजन करते हुए छुवा छुत करने वालो के बारे में भी उनका इतिहास भी बेहत्तर तरिके से करिब से जान सकेंगे,जब एक भी छुवा छुत करने वाले लोग इस कृषी प्रधान देश की आपसी मेल जोल समाज में घुमते हुए नजर नही आयेंगे|क्योंकि तब छुवा छुत करते हुए पकड़े जाने के बाद मनुवादी सुधार के लिए छुवा छुत पार्को में ही भेजे जायेंगे|जो स्वभाविक है,क्योंकि छुवा छुत पुरी तरह से समाप्त होने के बाद मनुवादियो का शिकार होने वाले लोग जेल का कैदी बनकर भी छुवा छुत करने वालो के साथ सजा काटना कभी नही पसंद करेगा,और उन्हे छुवा छुत करने वालो से मान सम्मान के साथ सजा देने के लिए भी अलग कमरो में रखा जाय इसकी हड़ताल आंदोलन अपनी सत्ता में करने लगेंगे|अभी तो मनुवादी दबदबा शासन में मनुवादियो के साथ रहकर सर में छुवा छुत का मैला ढोना भी रोज की मजबुरी बनी हुई है|क्योंकि उन्हे पता है कि जब गुलामी से अजादी संघर्ष चल रही होती है उस समय जिवित रहना उस मान सम्मान से ज्यादे जरुरी होती है,जो अजादी के बाद मिलती है|जिसे पाने के लिये डंडे खाने से लेकर सर में मैला ढोना भी मजबुरी बन जाती है|जैसे की गोरो के शासन में बहुत से भारतीयो की न चाहते हुए भी गुलाम करने वाले गोरो के कार्यालयो में साथ में रहकर नौकरी करना भी अजादी पाने के लिए बहुत से परिवारो की भुख से बड़ा दुःख नही मजबुरी बन गई थी|पर ज्यादे जरुरत होने पर उस नौकरी को भी बहुत से लोग त्यागकर अजादी आंदोलन में खाली पेट भी कुद पड़े थे|जैसे की आज बहुत से लोग मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने के लिए बड़े बड़े सरकारी नौकरी तक को भी छोड़ रहे हैं|कम से कम मनुवादियो के विरोध में वोट डालने के लिए एकदिन के लिए तो भुखा जरुर रहा जा सकता है|बल्कि पेट के लिए रुखा सुखा भी इंतजाम रहने पर धिरे धिरे लोग हर साल दो करोड़ को नौकरी मिलने के बजाय मनुवादियो की सत्ता से छुटकारा मिलने के लिए सड़को पर ज्यादे आने लगे हैं जो आगे और भी अधिक आयेंगे|क्योंकि उन्हे तब यहसाश हो जायेगा कि मनुवादियो की सत्ता जबतक रहेगी तबतक नौकरी मिलने में भी आरक्षण के बाद भी भारी भेदभाव होती रहेगी|जिसकी झांकी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि मनुवादियो की दबदबा किस तरह से लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम है?जिसके अनुसार विधायिका में आजतक एक भी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री इसलिए सायद नही बनाया गया है,क्योंकि संवर्णो को लगता है कि सबसे ज्यादे बेहत्तर देश चला सकते हैं|पिछड़ी और अल्पसंख्यक लोग भी कितने बने ये भी एक ही डीएनए के तमाम मुलनिवासियो के खास चिंतको द्वारा मंथन करके अब किसी से भी नही छुपी हुई है|जो सभी अब जल्द से जल्द प्रधानमंत्री मंत्री और राष्ट्रपति बनना चाहते हैं|पर चूँकि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति पद तक हर कोई पहुँचना चाहता है,जिसके चलते आपसी फुट होकर आजतक मनुवादी पार्टियो को सेवा के बदले सबसे अधिक वोट भी सायद मिलते रहे है|और आपसी फुट का फायदा उठाकर फुट डालो और राज करो की नीति ही से तो संवर्ण बार बार लगातार सबसे अधिक प्रधानमंत्री बनते आ रहे हैं|नही तो फिर मनुवादियो से ज्यादे वोट आपस में ही बंटकर चुनाव लड़ने वाले मनुवादियो का विरोध करने वालो के पास गोरो के जाने के बाद पहली चुनाव 1952 ई. में हुआ था उस समय से ही मौजुद है|पर फिर भी मनुवादी दबदबा शासन ही कायम होती चली गयी है|और उसके बाद जाहिर है मनुवादी दबदबा सत्ता स्थिर होने के बाद कार्यपालिका में भी 79% संवर्णो का ही कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि संवर्ण ज्यादे लायक अथवा हुनरमंद हैं|इसलिये वे सबसे अधिक चुने गये हैं|और आरक्षण वाले कम हुनरमंद हैं,जिसके चलते आरक्षण होने के बावजुद भी नौकरियो में उनकी भागिदारी कम है|क्योंकि मनुवादियो के लिये तो इस देश के मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो बस ढोल,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी के ही सबसे बेहतर लायक हैं|जिन मुलनिवासियो के हक अधिकारो के साथ विशेष न्याय करने वाली न्यायपालिका में भी 97% संवर्णो का कब्जा है|जिसके बारे में उनका मानना है कि जिस अजाद भारत का संविधान की रचना बाबा अंबेडकर ने मनुस्मृती को जलाकर किया था|उसमे अथवा अजाद भारत का संविधान में जो विशेष अधिकार दिया गया है,उसकी सुरक्षा और उसे लागु करने का सबसे अधिक हुनर मनुस्मृती की रचना करने वालो की परिवार के लोगो के पास ही मौजुद है|इसके बाद चौथा स्तंभ लोकतंत्र में घटित हो रहे सत्य का आईना दिखाने का काम करने वाली मीडिया में भी 97% संवर्णो का ही कब्जा है|कुल मिलाकर मनुवादी दबदबा बनाकर मनुवादियो ने छुवा छुत शोषन करके भी ये साबित करने की कोशिष किया है कि वे एकलव्य का हक अधिकार अँगुठा काटकर भी सबसे बेहतर वीर रक्षक बने हुए हैं|और मनुस्मृती रचने वाले ही अजाद भारत का संविधान रक्षक बनने का सबसे विद्वान पंडित कहला सकते हैं|और साथ साथ इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश के मुलवासियो से ज्यादा धन्ना हैं| जैसे की सायद इस देश को गुलाम करके गोरे सबसे अमिर और विद्वान भी खुदको कहते थे|जो देश गुलाम करके अजादी की लड़ाई लड़ने वालो को सजा देकर न्याय करने में भी सबसे माहिर थे|फिर क्यों नही पुरी दुनियाँ को अपने सबसे विकसित होने की गुलाम करने वाला संस्कार अब सिखलाते हैं?क्यों मनुवादी पुरी दुनियाँ को छुवा छुत करना नही सिखलाते हैं?क्योंकि उनकी नई पिड़ि को अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वालो से ज्यादा विकसित जिवन जिने की कला गुलाम होने वाले और छुवा छुत सहने वालो से आ गई है|जो कला उन्हे अपने छुवा छुत करने और गुलाम करने वाले पुर्वजो से कभी भी नही आ सकती थी|जिन्हे मनुवादी दबदबा समाप्त होने के बाद भी बहुत कुछ आधुनिक अपडेट सिखने को मिलेगी जो अभी उन्हे मंगल तक भी पहुँचकर सिखने को नही मिलेगी|जैसे की मनुवादी खुदको जन्म से ही विद्वान पंडित कहलाकर भी आजतक छुवा छुत को पुरी तरह से छोड़ पाना अबतक भी नही सिख पाया है,और आर्यव्रत का सबसे श्रेष्ट उत्तम अथवा आर्य प्राणी छुवा छुत करने वाला होता है,ये साबित करने में लगा हुआ है|जैसे की कभी गोरे भी पुरी दुनिया में घुम घुमकर कई देशो को गुलाम बनाकर खुदको सबसे आधुनिक मानव कहलाने में लगे हुए थे|

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...