मनुवाद से आजादी पाने के लिए अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासी दरसल उस शुतुरमुर्ग की तरह हैं , जो आँधी आने पर अपना सर रेत में घुसा लेता है
मनुवाद से आजादी पाने के लिए अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासी दरसल उस शुतुरमुर्ग की तरह हैं , जो आँधी आने पर अपना सर रेत में घुसा लेता है मनुवादियों की जुल्म से अजादी पाने के लिए हिन्दू धर्म छोड़कर दुसरे धर्मो में जानेवाले इस देश के मुलनिवासी दरसल वैसे शरणार्थी की तरह हैं , जो अपने ही देश में रह रहे दुसरे धर्मो के घरो में यह सोचकर शरण लेते या ले रहे हैं कि वहाँ पर जाकर उनके साथ अपमानित और लहु लुहान जुल्म होना बंद हो जायेगा | जो बात यदि सत्य होती तो धर्म परिवर्तन करने के बाद उनपर कभी भी हमले नही होते और न ही कभी धर्म के नाम से मार काट होती | बल्कि धर्म परिवर्तन के बाद उनकी जिवन में सुख शांती और समृद्धी आ जाती | दुसरे देशो में शरण लेने वाले शरणार्थी तो मुलता अपने देश में मौजुद शोषण अत्याचार करने वालो के जुल्म से छुटकारा पाने के लिये दुसरे देशो में शरण लेते हैं , पर अपने ही देश में रहकर धर्म परिवर्तन करके अपने ही देश में मौजुद मनुवादियों की जुल्म से अजादी मिल जायेगी ऐसे झुठे उम्मिद करने वाले मुलनिवासी कहीं ये तो नही सोचते हैं कि मानो मनुवादियो द्वारा गुलाम देश में वे ध