कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं

कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता
क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं 


मनुवादि शासन को बरकरार रखने के लिये , मैं तो यह मानता हूँ कि वर्तमान के समय में भी मनुवादियो ने किसी घर के भेदियो को ही सबसे खास सहारा बनाकर अबतक शासन कायम किया हुआ हैं | क्योंकि बिना घर के भेदियो की सहायता लिये मनुवादि डर भय और खौफ पैदा करने के लिये देश का शासक बनना तो दुर सांसद और विधायक भी नही बन सकते | क्योंकि घर के भेदियो द्वारा सहयोग ही नही किये जायेंगे तो डराने धमकाने वाले सांसद और विधायक कैसे चुने जायेंगे ? और बिना घर के भिदियो के सहारे सांसद और विधायक बने बगैर मनुवादि देश का शासक कैसे बन सकते हैं ? जिनको शासक बनाने में घर के भेदियो का खास योगदान है |  जिन घर के भेदियों को मनुवादि अपने बुरे संगत में फंसाकर इतना ब्रेनवाश करते हैं कि घर का भेदि अपनी बुद्धी को भ्रष्ट करके ये भुल जाते हैं कि उनके ही पुर्वजो के कानो में गर्म लोहा पिघलाकर डाला जाता था , और उनके ही पुर्वजो का जीभ व अंगुठा काटा जाता था | गले में थुक हांडी व कमर में झाड़ु टांगा जाता था | बल्कि रामराज में तो राम द्वारा शंभुक की हत्या तक कर दिया गया था | सिर्फ इसलिये की वह कथित उच्च जाति का नही था | जिस समय भी डर भय और खौफ का माहौल शोषण अत्याचार का शिकार हो रहे प्रजा पर होगा | वर्तमान की तरह रामराज में भी छुवा छुत उच्च निच भेदभाव शोषण अत्याचार कायम थी | जो यदि कायम न होती तो भेदभाव करके प्रजा शंभुक की हत्या नही होती | बल्कि रामराज में तो राम की गर्भवती पत्नी सीता के साथ भी अन्याय अत्याचार हुआ था | रामराज में प्रवेश से पहले सीता के पवित्रता पर शक करके उसे जिते जी जलाकर अग्नि परीक्षा ली गयी थी , उसके बाद उसपर पास होने के बाद भी उसे गर्भवती अवस्था में ही घने जंगल भेज दिया गया था | जहाँ पर सीता ने सुरक्षित लव कुश को जन्म दी थी | और जंगल में ही सुरक्षित पाल पोशकर बड़ा भी कि थी | जिस लव कुश ने जब अपनी माँ सीता के साथ हुए अन्याय अत्याचार करने वाले राम पर क्रोधित होकर राम के खिलाफ हथियार उठाया तो सीता दुःख बर्दाश न कर सकी और रामराज में ही रोते बिलखते जीते जी धरती में समा गयी  | जिसे चौदह वर्ष का वनवाश के बाद रामराज महल में अपने पति और बच्चे के साथ रहने की इच्छा पुरी नही हो सकी और वह जीते जी धरती में समा गयी | जिस रामराज का शासक राजा राम का मंदिर बनाने का जो फैशला कोर्ट द्वारा आया है , उसपर बहस फिर से न गर्मा जाय इसके लिये दरसल अवाज को दबाने के लिये उससे बड़ी आवाज निकलवाने की रणनीति के तहत घर का भेदि रामदेव को विवादित बयान दिलवाकर इस्तेमाल किया गया था | जिसका प्रभाव कम हुआ तो प्रज्ञा ठाकुर के द्वारा दिए गए बयान का सोर गुल तेज करके मुल बहसो को दबाया जा रहा है | ताकि जो अवाज मनुवादियो के कुकर्मो के खिलाफ तेजी से उठती है , उसे किसी दुसरी अवाज से दबाकर ध्यान भटकाते रहा जाय | विभिन्न तरह के नया वाद विवाद द्वारा ध्यान भटकवाकर मनुवादि अपनी शासन को और आगे बड़ाने का इंतजाम कर लेता है | जिससे की उसे मनुवादि शासन कायम रहने में कोई बाधा न आ जाय और सदन हो या फिर चुनाव मुल बहस को दबा दिया जाय | जैसे कि मतदान मशीन के साथ छेड़छाड़ करके जो चुनाव घोटाला मनुवादि शासन में हो रहा है , उसपर भी जब तेजी से अवाज उठने लगी थी तो उसे भी ध्यान भटकाकर फिलहाल लगभग दबा दिया गया है | जबकि अभी भी तो कई राज्यो में जो चुनाव हुए या हो रहे हैं वहाँ भी चुनाव घोटाला हो रहा है , इससे इंकार नही किया जा सकता है | जिसकी अवाज को दबाने के लिये न जाने और कितनी ऐसी बहस चलेगी जिससे बड़ी बहस मनुवादि शासन में क्या क्या ऐतिहासिक बड़े बड़े रिकॉर्ड तोड़ पाप हो रहे हैं , उसपर बहस होनी चाहिए थी | जैसे की सबसे बड़ा घोटाला चुनाव घोटाला में बहस होकर जबतक दुध का दुध और पानी का पानी न हो जाय तबतक चुनाव घोटाला को लेकर गंभीरता से बहस चलनी चाहिए थी , जिसे अब दबा दिया जा रहा है | जिससे भी पहले कालाधन और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के द्वारा चोरी करके विदेशी बैंको में छिपाकर रखने का काला लिस्ट जो विदेशो से आया था , जिसमे कि सारे के सारे मनुवादियो के ही डीएनए का व्यक्तियो का नाम मौजुद है , उसपर भी जब सदन और चुनाव में बहस तेजी से जोर पकड़ने लगी तो उसे भी दबा दिया गया | जिस तरह का ध्यान भटकाउ छल कपट को मनुवादि हजारो सालो से अपनाते आ रहे हैं | क्योंकि मनुवादियो को पता है कि किसी अवाज को यदि दबानी हो तो दुसरी कोई ऐसी अवाज पैदा करो जिससे की मनुवादि शासन को कायम रहने और मनुवादियो की बड़े बड़े कुकर्मो को छिपाने दबाने में कठिनाई न आए | जैसे कि इससे पहले ही बतलाया कि  हाल फिलहाल में मनुवादियो के द्वारा किये गए बड़े बड़े कुकर्मो पर बहस तेजी से होने लगी तो उन्होने रामदेव द्वारा विवादित बयान दिलवाकर एक अलग से बहस पैदा करके दुसरे बहस को दबाया गया | जिससे की मनुवादियो के कुकर्मो पर जो अवाज तेजी से उठने लगी और मनुवादियो के खिलाफ तेजी से बहस होने लगी तो बिच में रामदेव से विवादित बयान दिलवाकर बहस को मोड़ दिया गया | जिसके लिये रामदेव को इसलिए चुना गया क्योंकि विवादित बयान देनेवाला रामदेव भी उच्च जाति का नही है | भले वह मनुवादियो के बुरी संगत में आकर अपने नाम के साथ रामदेव लगा कर रखा है | जिस रामदेव ने मनुवादियो की बुरी संगत में आकर ही ये विवादित बयान दिया है कि पेरियार जैसे लोग वैचारिक आतंकवादी होते हैं | अथवा रामदेव जैसे घर के भेदियो के विचार से मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करना नैतिक आतंकवाद है | जिस रामदेव का जन्म मनुस्मृति लागू के समय भी यदि उच्च जाति के घर में जन्म नही होता और उसके साथ भी भारी शोषण अत्याचार होता , जो की होता ही , तो भी क्या वह मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार किये जाने पर उनकी आरती उतारकर यह कहता कि इनके विरोध में जो कोई भी आवाज उठायेगा वह वैचारिक आतंकवाद को बड़ावा दे रहा है | दरसल रामदेव जैसे घर के भेदि ही मनुवादियो की आरती उतारकर उनके द्वारा किये गये शोषण अत्याचार को न्यायप्रिय कार्य और शोषित पिड़ितो द्वारा शोषण अत्याचार करने वालो के खिलाफ आवाज उठाने जैसी क्रांतीकारी विचारो को वैचारिक आतंकवाद जैसी विवादित बयान देकर आँख मुंदकर मनुवादियो के कुकर्मो को छिपवाने पर बड़ावा देते रहते हैं | जिसके चलते ऐसे भेदियो को मनुवादियो द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार नही दिखता है | क्योंकि मनुवादि अपने बुरे संगत में आए घर के भेदियो के साथ उस तरह का शोषण अत्याचार नही करते जैसा कि वे बाकि शोषित पिड़ितो से करते आ रहे हैं | करते तो रामदेव को भी कबका समझ आ जाता और वह भी मनुवादियो की आरती उतारना बंद करके अपने पुर्वजो के साथ हुए अन्याय अत्याचार के प्रति दुःखी होकर मनुवादियो के खिलाफ खुलकर संघर्ष करता | जैसे कि वह कभी कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाकर संघर्ष कर रहा था | न कि संघर्ष करने वाले अपने ही डीएनए के शोषित पिड़ितो को वैचारित आतंकी कहकर मनुवादियो के बड़े बड़े कुकर्मो को छिपाने में मदत करता | क्योंकि रामदेव को इतनी बुद्धी तो अब भी सायद बची होगी कि वह यह जान सके कि आयेदिन उल्टे शोषित पिड़ित ही भष्म मनुस्मृति का भूत सवार मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार से आतंकित और भयभित रहते हैं | तभी तो मनुवादियो के छुवा छुत शोषण अत्याचार आतंक और भय को समाप्त करने के लिये गोरो से अजादि मिलने से पहले ही बाबा अंबेडकर द्वारा मनुस्मृति को भष्म किया गया था | जिसके बाद ही उन्होने अजाद भारत का संविधान रचना भी किया है | जिस अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी इस देश में मनुवादि भारी भेदभाव करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करके आज भी शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट मांसिकता से बाहर नही निकल पा रहे हैं | और शोषित पिड़ितो के साथ विभिन्न तरह का भेदभाव शोषण अत्याचार करके , बल्कि पिट और पिटवाकर आतंकित कर रहे हैं | जिसका ही नतिजा है कि आज भी मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ अवाजे उठती ही रहती है | जिसे दबाने के लिये मनुवादि या तो खुद सत्ता द्वारा मिली शक्तियो का गलत उपयोग करके राजनिती गुंडागर्दी करने लगते हैं , या फिर उनके पाले गए गुंडो के द्वारा शोषित पिड़ितो को डराया धमकाया जाता है | जो गुंडे सरकारी पदो में भी बैठे हुए हो सकते हैं , और गैर सरकारी पदो में भी बैठे हुए हो सकते हैं | जिस तरह की गुंडागर्दी से शोषित पिड़ित प्रजा अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी अपने ही देश में गुलाम महशुस कर रहा है | जो अपने अजाद भारत में भी आये दिन इतना अतंकित रहता है कि कहीं पर देख सुन रहा था कि मनुवादियो की गुंडागर्दी राजनिती सारी हदे पार करके अब उस बुरी स्थिती में पहुँच चुकि है कि अब एक सैनिक की पत्नी तक को भी गुंडागर्दी राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेता बलात्कार तक करने कराने की धमकी देने लगे हैं | वैसे तो मनुवादि शासन में हर महिने हजारो बलात्कार की घटनायें हो रही है यह आँकड़ा किसी भी नारी को भयभीत कर सकती है | जबकि मिली सत्ता पावर का गलत इस्तेमाल करके ऐसी धमकी देनेवाले भ्रष्ट सेवको जो चाहे मनुवादि न हो तो भी प्रजा का सेवक बनकर दुसरो को डराने से पहले खुद भी यह सोचकर डरनी चाहिए कि यदि पिड़ित सैनिक की पत्नी अपनी पीड़ा बाकि सेनाओ को बताकर सारे सैनिक और पुलिस एकजुट हो जाय , और ऐसे गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेताओ की रक्षा करने से मना कर दे तो बलात्कार करने कराने तक की भी धमकी देकर गुंडागर्दी करने वाले भ्रष्ट नेताओ की रक्षा सेना और पुलिस करने से मना करने लगेंगे | जिसके बाद पिड़ित प्रजा सड़को पर आंदोलन करके गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेता को माँ का दुध पिया है तो आ सामने कहकर ललकारता नही , बल्कि सिधे उनके घर और कार्यालय में घुसकर गुंडा गर्दी का जवाब देता | लेकिन विडंबना ये है कि चाहे कोई गुंडा चुनाव जिते या फिर भला इंसान चुनाव जिते , दोनो को ही कड़ी और महंगी सुरक्षा उन्ही सेना और पुलिस द्वारा मिली हुई है , जिनमे से ही किसी सैनिक की पत्नी को बलात्कार करने कराने तक की धमकी दी जा रही है | जिन बलात्कार तक की भी धमकी देनेवाले भ्रष्ट नेताओ के आकाओ पर भी विशेष सुरक्षा और विशोष सुख सुविधा सेवा में हर साल सबसे अधिक खर्च हो रही हैं | जिनकी खास सुरक्षा इस देश के सैनिक और पुलिस ही तो दिन रात करते रहते हैं | हलांकि जिन सेवको द्वारा शोषित पिड़ित प्रजा की सेवा गुंडागर्दी से नही बल्कि सचमुच में भलाई हो रही है , उनकी महंगी सुरक्षा तो बनती है , पर उन बागड़ बिलो का क्या जो गुंडागर्दी की राजनिती करने और मानो बलात्कार कराने के लिये ही बलात्कारियो को टिकट देते हैं | और बलात्कारी अपनी हवश मिटाने के लिये ही चुनाव लड़ते हैं | और गुंडागर्दी करके फर्जी तरिके से चुनाव जितकर भोग विलाश में लिप्त होने के साथ साथ प्रजा को दिन रात डराने धमकाने और शोषण अत्याचार करने की कुकर्मो में लगे रहते हैं | जिनके कुकर्मो से सैनिको और पुलिसो के परिवार भी पिड़ित हैं | जो गुंडागर्दी मुलता मनुवादि शासन द्वारा ही जन्म दिया गया है | 


जिस गुंडागर्दी को जन्म देनेवाले मनुवादि शासको को यह बात नही भुलनी चाहिए कि सैनिक और पुलिस की नौकरी में शोषित पिड़ित परिवारो के घरो से ही तो सबसे अधिक बहाली में भाग रहे हैं और सबसे अधिक संख्या में सेना और पुलिस की नौकरी में भी मौजुद हैं | भले मनुवादियो द्वारा यह कह दिया गया हो कि जन्म से सिर्फ वही लोग ही वीर यौद्धा विद्वान पंडित और धन्ना बनने की काबलियत रखते हैं | बाकि तो सब जन्म से शुद्र हैं | जो वीर सैनिक , विद्वान शिक्षक और धन्ना नही बन सकते इस तरह के अँधविश्वासो को अब भी मानने वाले मनुवादि लोग एकलव्य अंबेडकर और अशोक नंद वगैरा शुद्रो के बारे में क्या ख्याल रखते हैं कि इनके पास वीर सैनिक और विद्वान बनने की हुनर मौजुद नही थी ? क्या मनुवादियो को ये लोग कमजोर बुद्धीहीन नजर आते हैं | जिनके ही डीएनए के शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनकी दबदबा की सत्ता यदि वर्तमान के समय में मौजुद रहती तो आज जो गुंडागर्दी की राजनिती चल रही है , उसमे अचानक से क्रांतीकारी परिवर्तन आकर इतनी भारी कमी आती कि घर का भेदि भी मनुवादियो के बुरे संगतो में पड़ने से पहले सौ बार सोचते कि वे किनके बुरे संगतो में पड़ने जा रहे हैं | जबकि मनुवादियो की दबदबा वाली शासन में जवानो के परिवार को धमकाना डराना ही नही बल्कि गुंडागर्दि से जबरजस्ती किसानो की जमिने भी छिनी जा रही है | जिसके लिए अबतक न जाने कितने ही आंदोलन चलाये गए हैं | लेकिन भी यह हाल है कि जवानो की पत्नियो को भी बलात्कार करने कराने की धमकी दी जा रही है | और किसानो की उपजाउ जमिनो को भी गुंडागर्दी से बंजर जमिन घोषित कराकर वहाँ पर भोग विलाश करने की इंतजाम की जा रही है | 

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