राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ?

राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ? 

राहुल बजाज , डर भय खौफ आतंक
 डर भय और खौफ को लेकर धन्ना कुबेर राहुल बजाज के द्वारा भी सरकार से सवाल करने से यह बात साबित होती है कि मनुवादि शासन में धन्ना कुबेरो को भी अब डर भय और खौफ का माहौल साफ साफ नजर आ रहा है | हलांकि  राहुल बजाज जैसे धन्ना कुबेरो को डर भय और खौफ वाकई में कभी मनुवादि सरकार से होती है कि नही इसपर यकिन के साथ तो मैं नही कह सकता पर यह बात सौ प्रतिशत यकिन के साथ कह सकता हूँ कि इस देश के शोषित पिड़ित जिन्हे खुलेआम सड़को में पीटा और पिटवाया जाता है , उनकी जिवन में मनुवादि हजारो सालो से शोषण अत्याचार डर खौफ का माहौल बनाकर रखे हुए हैं | जिस तरह की पिटाई गौ हत्या के नाम से उच्च जाति के लोगो की कभी नही होती है , चाहे क्यों न वे हजारो करोड़ लेकर विदेश भाग जाय , या फिर इस कृषि प्रधान देश में अपनी कबिलई सोच से पिंक क्रांती लाने का सबसे बड़े बड़े उद्योग चलाये | बल्कि यह जरुर कह सकता हूँ कि उच्च जाति के ही डीएनए के मनुवादियो के घरो में शोषण अत्याचार की ट्रेनिंग जोर जबरजस्ती देने के लिए अपनो के द्वारा ही पिटाई बचपन से लेकर बुढ़ापा तक जरुर होती है | जिसे मैने अपनी आँखो से देखा है कि मनुवादि परिवारो में उनके बच्चो बुढ़ो को शोषण अत्याचार करने की ट्रेनिंग देने के लिये कैसी पिटाई होती है | मैं उन परिवारो की तरफ इसारा नही कर रहा हूँ जो कि अपने बच्चो को शोषण अत्याचार करने कि ट्रेनिंग नही बल्कि शोषित पिड़ितो की सेवा और सुरक्षा करने की ज्ञान बांटते हैं | बल्कि उनकी तरफ इसारा कर रहा हूँ जो कि आज भी खुदको जन्म से उच्च समझकर उच्च निच भेदभाव करते हैं | जिन मनुवादि लोगो द्वारा हजारो सालो से पिड़ी दर पिड़ी शोषण अत्याचार किया जाना जारी हैं | लेकिन भी इस देश के शोषित पिड़ित जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , पिड़ी दर पिड़ी आजतक खुन के आँशु पिकर भी उस दिन का इंतजार कर रहे हैं , जब मनुवादियो की दबदबा समाप्त होगी और चारो तरफ डर भय खौफ का माहौल नही , बल्कि सुख शांती और समृद्धी का माहौल कायम होगी | जो दिन अब दुर नही क्योंकि मनुवादि शासन में गुंडागर्दी की राजनिती फिर से चरम सीमा पर पहुँच गई है | जिसका मतलब साफ है कि मनुवादियो की जो भी बची खुची अंतिम इच्छा शोषण अत्याचार , लुटपाट , भोग विलाश , ढोंग पाखंड , वगैरा करने की बची हुई है , उसे मनुवादि शासन समाप्त से पहले अथवा मनुवादि शासन मरने से पहले जल्दी जल्दी अँतिम इच्छा पुरा करने के लिए अँधाधुन गलत फैशले जल्दी जल्दी लिये जा रहे हैं | जिसके चलते मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार का दीया बुझने से पहले अँतिम समय में जरुरत से ज्यादे झिलमिला रहा है | जैसे कि हजारो साल पहले कभी झिलमिलया होगा , जब मनुस्मृति लागू करके मनुवादियो द्वारा प्रजा सेवा के नाम से इस देश के मुलनिवासियो को दास बनाकर अति क्रुरता सेवा करते हुए जीभ और अंगुठा काटा जाने लगा होगा | तब मनुवादि हजारो साल पहले भी खुदको जन्म से ही उच्च घोषित करके अति क्रुरतापुर्ण भेदभाव करते हुए शासन चलाने लगे होंगे | जिस समय वेद सुनने पर कान में गर्म लोहा पिघलाकर डाल दिया जाता था , वेद का उच्चारण करने पर जीभ काट दिया जाता था , कमर में झाड़ू टांग दिया जाता था , गले में थुक हांडी टांग दिया जाता था , अँगुठा काट दिया जाता था | जिस तरह के अनेको भ्रष्ट सेवा मनुवादियो द्वारा की जाती थी | जो दरसल प्रजा सेवा नही बल्कि दास बनाकर खुदकी सेवा कराने के लिए जबरजस्ती की गुंडागर्दी थी | बल्कि आज भी मनुवादियो के द्वारा इस तरह के बहुत से भ्रष्ट सेवा किये जा रहे हैं | जिसमे वे सेवा नही बल्कि शोषण अत्याचार करने में लिप्त नजर आते हैं | क्योंकि 1947 ई० में इस देश को गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादियो का शासन स्थापित होकर , मनुस्मृति सोच से शोषण अत्याचार करने का नया अपडेट के रुप में अब भी छुवा छुत शोषण अत्याचार गुंडागर्दी जारी है | जैसे की राजनीति गुंडागर्दी द्वारा डर भय और खौफ का माहौल बनना मनुस्मृति भ्रष्ट सोच का ही नतिजा है | जिसके चलते राहुल बजाज जैसे धन्ना कुबेर को भी सरकार से यह कहना पड़ा कि देश में भय और आतंक का माहौल है | 

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