गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है

गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है |
चुनाव chunav

 गुंडागर्दी राजनिती और दुध भात चुनाव का अंत तभी हो सकता है जब चुनाव घोटाला से लेकर विभिन्न तरह के बड़े बड़े लुट करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को सजा मिलेगी और उनकी असली पहचान इतियास में तय की जायेगी कि ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने वाले सबसे बड़े भ्रष्ट लोग वैसे शैतान हैं , जिनको शैतान सिकंदर की तरह बड़ी बड़ी लुट करके फर्जी महान बनने का भुत सवार है | जिनके भितर से शैतान सिकंदर का भुत उतरेगा नही तबतक वे मानो शैतान सिकंदर की अधुरी इच्छाओ को पुरा करने के लिये बड़ी बड़ी लुटपाट करते रहेंगे | जिन्हे भी शैतान सिकंदर की तरह ही झटका मिलनी चाहिए , तब जाकर सचमुच का देश और पिड़ित प्रजाओ की समस्याओ का सामाधान करने की गंभीर और साफ सुथरा राजनिती होगी | जिसके बाद चुनाव भी सही से होंगे | जिसकी प्रमुख भुमिका अदा करने का काम न्यायालय का है | जिसके पास अजाद भारत का संविधान की रक्षा करने और गुंडागर्दी करने वालो को सजा देने की जिम्मेवारी देकर गुंडागर्दी मुक्त राजनिती की उम्मीद की गयी है | जिस न्यायालय के पास भी यदि गुंडागर्दी करने वालो को सजा देने की ताकत नही है तो गोरो की बनाई न्यायालय को अब बंद कर देनी चाहिए | और हजारो सालो से चली आ रही पंचायत व्यवस्था को ही अपडेट करके गुंडागर्दी करने वाली पार्टी हो या नेता या फिर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जिनपर बड़े बड़े केश और आरोप है , उनके खिलाफ कारवाई करने का अधिकार , बल्कि संविधान रक्षा का भी अधिकार पंचायत को ही दे दिया जाय | ताकि अजाद भारत का संविधान जलाने वालो को भी पंचायत ही खोज या खोजवाकर भरी पंचायत में सजा दे सके | मैं कोई खाप पंचायत की बाते नही बल्कि संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त पंचायतो की बात कर रहा हुँ | यकिन मानो करोड़ो केश जो कोर्ट में धुल फांक रहे हैं , उनपर भी फैशला सरकार के कार्यकाल तक में ही आ जायेगा और गुंडागर्दी राजनिती में भी मजबुती से नकेल लग जायेगी | और देश में हो रहे बड़े बड़े भ्रष्टाचार में भी नकेल लगेगी | भ्रष्टाचार करके विदेश भागने वाले तो वैसे भी भागने से पहले ही सजा काट रहे होंगे | क्योंकि पंचायत का फैशला सबसे तेज होता है | जबकि वर्तमान में मौजुद न्यायालयो में पड़े करोड़ो केशो को तो वर्तमान के सारे जज अपने कार्यकाल पुरा करके भी बुढ़ा बुढ़ी होकर फैसला सुनाते सुनाते उम्र की अंतिम पड़ाव में कांपते लड़खड़ाते हुए मर भी जायेंगे तो भी सभी करोड़ो केश का फैसला पुरा नही होनेवाला है | क्योंकि करोड़ो केशो पर फैसला जिस गति और जिस तरह से तारिख पर तारिख देकर चल रहा है उस तरह से तो सैकड़ो साल लग जायेंगे | तबतक अभी करोड़ो केश का फैसला सुनाने के लिये बैठनेवाले जज और फैशला सुनने का इंतजार करने वाले लोगो में कौन जिंदा रहेगा | क्योंकि सैकड़ो साल बाद तो वर्तमान में मौजुद विश्व की सात अरब से भी अधिक की पुरी अबादी मर जायेगी चाहे पुरी दुनियाँ का धन इकठा कर ले या फिर दुसरे ग्रहो में आने जाने का इंतजाम कर ले | और जो आने वाली नई पिड़ी जिन्दा रहेगी उनके लिए डायनासोर की हड्डियो को खोदकर सत्य को तलाशने की तरह मुर्दो पर सुनवाई करना क्या अच्छा लगेगा | जाहिर है लंबे समय तक न्याय फैशला नही आयेगा तो न्याय का इंतजार कर रहे करोड़ो लोग न्याय मिलने से पहले ही अपनी उम्र पुरा करके मर जायेंगे | जिनमे कितने सारे निर्दोश गरिब कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाकर न्याय मिलने से पहले मर जायेंगे और दर्जनो गुनाह करने वाले लोग जो सचमुच का दोषी होंगे वे दोषी होकर भी बिना सजा मिले निर्दोश की तरह जिवन बसर करते हुए मर जायेंगे | सायद इसीलिए गोरो ने ऐसी न्यायालय का निर्माण किया था | ताकि पिड़ी दर पिड़ी न्याय पाने के लिये न्यायालय में मेला लगा रहे और गुंडागर्दी की राजनिती फलता फुलता रहे | जबकि इस कृषी प्रधान देश की असली न्याय व्यवस्था हजारो सालो से पंचायत व्यवस्था ही न्याय करने का काम करती आ रही थी | जो की आज भी लाखो ग्रामो के लिए छोटे मोटे फैसले सुनाता है | इस देश में न्यायालय से कई गुणा पंचायत न्यायालय है | जिन्हे फिलहाल गोरो के द्वारा बनाये गए न्यायालय की तरह अधिकार मौजुद नही है | नही तो आज करोड़ो केश पेंडिंग भी नही रहते और न ही गुंडागर्दी की राजनिती चलती | क्योंकि गुंडागर्दी राजनिती करने वालो को भी भरी पंचायत में खड़ा करके सजा सुनाई जाती | और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को भी भरी पंचायत में सजा सुनाई जाती | जिनके बड़े बड़े गुंडागर्दी की पाप गठरी फिलहाल न्यायालय में पड़े पड़े धुल फांक रही है | और गुंडागर्दी की राजनिती जमकर फल फुल रही है |

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