प्रचार

रविवार, 29 अप्रैल 2018

भाजपा कांग्रेस दोनो के खिलाफ रामलीला मैदान में आक्रोश जनता भाग लेती रही है,जिसका वोट पाने के लिए कांग्रेस जन आक्रोश रैली कर रही है

कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव ने कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने समर्थको के साथ अनशन किया था,
अब भाजपा सरकार के समय में कांग्रेस सरकार उसी रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|बल्कि कांग्रेस भाजपा दोनो ही भारी बहुमत की सरकार बनाकर इस देश के लिए बस रामलीला मैदान हो या फिर सड़क,सभी जगह सिर्फ एक दुसरे के खिलाफ जनता के साथ रैली अनशन और आंदोलन करते रहते हैं|पर सरकार बनने के बाद एक दुसरे के खिलाफ कोई ठोस कारवाई नही करते हैं|जैसे कि रामदेव ने भाजपा का समर्थन करके कांग्रेस देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी है,बल्की ये भी कहा था कि कांग्रेस के शीर्ष पदो में बैठे हुए लोग खानदानी लुटेरे हैं,जो कि पिड़ि दर पिड़ि इस देश को लुटते आ रहे हैं|जिनको भाजपा सरकार लाने के बाद जेल में डालना चाहिए कहकर अब भाजपा सरकार 2014 में भारी बहुमत से चुने जाने के बाद 26 मई 2018 को चार साल पुरे होने जा रहे हैं,पर आजतक भी कांग्रेस के समय में हुए बड़े बड़े भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ आक्रोश का कोई ठोस कारवाई नही हुई है!बल्कि अब कांग्रेस ही रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|जो कांग्रेस कभी खुदकी सरकार के समय में जनता का आक्रोश रामलीला मैदान में देखकर लाठी चलवाती थी|जैसे कि रामदेव और उसके समर्थको को लाठी चलवाई थी|जिसके बाद योग करते समय उछल कुद करने वाला रामदेव कांग्रेस सरकार द्वारा रामलीला मैदान में लाठी चार्ज कराने पर बारह फिट से भी उच्ची मंच से उछलकर गायब हो गया था|जिसे मंच में ही मौजुद रामदेव के कई समर्थको ने बाबा रामदेव का अपहरण हो गया है पुलिस द्वारा बतलाकर कांग्रेस सरकार के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया था|जिसके बाद रामलीला मैदान से गायब रामदेव  अचानक से महिला का कपड़ा पहनकर जनता और कांग्रेस सरकार के सामने हाजिर हो गया था यह कहते हुए की उसकी हत्या होने वाली थी इसलिए किसी तरह वह बेहरुबिया की तरह अपना वेश बदलकर महिला कपड़ा पहनकर बचा है|उसने आगे ये भी कहा कि यदि उसकी जिवन को जोखिम होता है तो उसके लिए कांग्रेस और सोनिया गाँधी जिम्मेवार होगी|जो रामदेव भाजपा सरकार आने के बाद कांग्रेस का भ्रष्टाचार और कालेधन के बारे में कोई भी ठोस जाँच अबतक नही करा पाया है|बल्कि मिडिया के सामने अपना यह बयान दिया है कि भाजपा सरकार आने के बाद कालाधन में और अधिक बड़ौतरी हुई है|जबकि भाजपा सरकार बनने से पहले बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के किलाफ भाजपा के साथ वचन और वादो के साथ कई समझौता भी किया था|और ये भी वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनते ही वह खुद कांग्रेस के खिलाफ मजबुत सबूतो का पोटली भरकर कालाधन की जब्ती करायेगा और सभी भ्रष्ट कांग्रेसियो को जेल में डलवायेगा|जिन वचन और वादो का लगभग चार साल भाजपा सरकार बने हुए बित चुके हैं पर अबतक भी कांग्रेस पर रामदेव ने जो बड़े बड़े आरोप लगाये थे,जिन आरोपो की पोटली लेकर भाजपा भी जनता के पास जाकर कांग्रेस के खिलाफ बड़े बड़े सबूतो के साथ ये कहकर वोट मांगी थी कि यदि भाजपा सरकार आई तो कांग्रेस के खिलाफ कड़ी कारवाई करेगी|जो कड़ी कारवाई तो क्या करेगी उल्टे कांग्रेस ही अब भाजपा सरकार के खिलाफ उसी रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है,जहाँ पर रामदेव और अन्ना हजारे ने भी आक्रोश व्यक्त किया है|जो आक्रोश दरसल दोनो कांग्रेस भाजपा की सरकार के खिलाफ ही होती रही है|और भाजपा कांग्रेस भी उस आक्रोश में शामिल होकर दरसल जनता का वोट पाने के लिए ही जन आक्रोश रैली करती है|जबकि असल में दोनो ही एक ही सिक्के के दो पहलू और भितर से आपस में मिले हुए हैं|जिसके चलते आक्रोश का कोई भी खास हल नही निकल रहा है दोनो ही पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनकर केन्द्र दिल्ली में बैठने के बावजुद भी|बल्कि दोनो ही पार्टी देश और देश की राजधानी दिल्ली का रामलीला मैदान के लिए भी सिरदर्द बन चूकी है|क्योंकि ये दोनो पार्टी आपस में भी आक्रोश व्यक्त तो करती है पर एक दुसरे के खिलाफ कोई कड़ी कारवाई और एक दुसरे को देश का सबसे भ्रष्ट पार्टी साबित नही करती है|जिससे देश की जनता और देश को कोई खास बदलाव देखने को कभी नही मिलने वाली है|चाहे रामलीला मैदान में रामदेव और अन्ना हजारे जैसे इसी देश के ही नागरिक इसी देश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ अनशन और आंदोलन करे या फिर इसी देश की भाजपा सरकार के खिलाफ अनशन आंदोलन करे|बल्कि क्यों न दोनो ही पार्टी एक दुसरे के खिलाफ जन आक्रोश रैली करे,कोई खास बदलाव नही होनेवाला है भ्रष्टाचार और कालेधन को लेकर|और न ही देश की बदहाली और गरिबी भुखमरी में कोई खाश बदलाव होने वाले हैं|कांग्रेस सरकार आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा देकर साठ सालो तक शासन की है और वर्तमान की भाजपा सरकार साईनिंग इंडिया का नारा देकर साठ महिना शासन करने के बाद साठ साल बनाम साठ महिने का फिर से अवसर मांगकर 2014 में भारी बहुमत से कन्द्र में चुनकर आई है|जिसके सरकार बने लगभग चार साल अथवा 48 महिने पुरे होने को हैं,पर आजतक भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा और जनता ने भी जो आक्रोश दिखलाकर 2014 में गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली कांग्रेस सरकार को ही केन्द्र से हटा दिया था, वह आक्रोश अब भी जनता के बिच में मौजुद है,जिसका वोट फायदा उठाने के लिए ही तो कांग्रेस जन आक्रोश रैली कर रही है|क्योंकि पिछली बार जिस तरह जनता का आक्रोश को भाजपा वोट के रुप में बदलने में कामयाब रही उसी प्रकार कांग्रेस भी इस समय जनता के आक्रोश को वोट में बदलकर कामयाब होने की सपने देखकर रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|जबकि जनता अब सायद ये अच्छी तरह से जान चूकि है कि ये कांग्रेस भाजपा दोनो ही जनता के आक्रोश का दरसल कोई ठोस हल नही निकालने वाले हैं|क्योंकि दोनो ही भितर भितर आपस में गले मिले हुए हैं|इसलिए इन दोनो का एक दुसरे को सबसे मजबुत विरोधी पार्टी मानकर दोनो में एक को चुनने के बजाय दोनो को एक ही सिक्के की दो अलग अलग पहलू समझते हुए किसी तीसरी को भारी बहुमत से चुनना चाहिए|ताकि कांग्रेस भाजपा  दोनो के खिलाफ बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने और कालाधन का अंबार लगाने का जो जन आक्रोश मौजुद है,उसकी जाँच किसी तीसरी पार्टी की भारी बहुमत सरकार चुनकर कराने के बाद कांग्रेस भाजपा दोनो के खिलाफ दुध का दुध और पानी का पानी हो सके|ताकि कांग्रेस भाजपा जो अंदर से गले मिले हुए हैं वे बाहर से भी एक दुसरे को कांग्रेस भाजपा युक्त कर सके|जैसे कि समय समय पर कुछ कांग्रेसी नेता और मंत्री भाजपा युक्त और कुछ भाजपा नेता और मंत्री कांग्रेस युक्त होकर एक दुसरे को सबसे मजबुत विरोधी बतलाते रहते हैं|जैसे कि आज रामलीला मैदान में कांग्रेस द्वारा जो जन आक्रोश रैली है वह दरसल भाजपा कांग्रेस दोनो के ही खिलाफ जो जन आक्रोश दोनो ही पार्टियो की नेता मौजुद होंगे भितर भितर एक दुसरे से गले मिलकर|जिन दोनो ही पार्टियो की सरकार के समय सड़को और मैदानो में भिड़ बड़ती ही जा रही है|उस भिड़ की वोट को बटोरने के लिए ही मौका पाकर कांग्रेस ये दर्शाने के लिए जन आक्रोश रैली कर रही है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत दावेदार है|जिसे यदि आक्रोशित जनता 2019 का लोकसभा में वोट देकर चुनाव जिताती है तो बाद में भाजपा जन आक्रोश रैली करेगी|दोनो के समय में ही देश और जनता आक्रोश में रहेगी,क्योंकि ये दोनो ही जनता के आक्रोश का हल निकालने में फेल साबित हो रही है|बल्कि ये दोनो ही पार्टी देश और जनता को सुख शांती और समृद्धी जिवन देने में फेल हो चुकि है|जिन दोनो को ही बार बार अब ये सोचकर मौका न दिया जाय कि कभी तो ये दोनो बेहत्तर सेवा देकर और गरिबी हटाने व अच्छे दिन लाने में पास होकर देश में भारी बदलाव लायेंगे!खासकर तब जबकि कतार में कई पार्टियाँ जनता का राह देख रही है|मानो वह जिस तरह से जनता नोटबंदी कतार में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करते करते सौ से अधिक नागरिको कि मौत भी हो गई थी,उसी तरह अपनी बारी आने का इंतजार करते करते कई पार्टी आपस में ही कटबंधन या फिर विलय कर रही है|सायद ये सोचकर कि न जाने जनता उसको कभी मौका देगी भी कि नही देगी और उस पार्टी की सरकार कभी बनेगी भी कि नही बनेगी|जिन पार्टियो में एक पार्टी बहुजन समाज पार्टी तो ऐसी पार्टी है जो कि पुरे देश में भाजपा कांग्रेस पार्टी से भी ज्यादे सीटो में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ी थी और वोट के मामले में तीसरा स्थान भी लाई थी,पर सीट एक भी नही जीती अथवा देश की जनता ने उसे 0 सीट दिया|जबकि बहुजन समाज पार्टी के नाम पर भी यदि गंभीर होकर बहुजन जनता एकजुट होकर उसे वोट देती तो कबका बहुजन समाज पार्टी की सरकार केन्द्र में भारी बहुमत से बन चुकि रहती,जैसे कि देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश जहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट भी मौजुद है,जिस राज्य के बारे में ये भी कहा जाता है कि केन्द्र की सरकार बनने में उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा योगदान होता है,जो कि स्वभाविक है,क्योंकि वहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट है,जिसे जीतने में जो पार्टी कामयाब हुई,उसकी केन्द्र में सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाता है|जिस उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की राज्य सरकार भारी बहुमत से बन चुकि है,बल्कि उत्तर प्रदेश में ही एक और पार्टी समाजवादी पार्टी की भी सरकार भारी बहुमत से बन चुकि है|जिन दोनो ही पार्टी को अब ये बात पुरी तरह से समझ में आ चूकि है कि यदि दोनो ही पार्टी के बिच आपसी फुट मौजुद न हो तो भाजपा कांग्रेस को केन्द्र से हटाकर किसी तीसरी पार्टी के नेतृत्व में भारी बहुमत की सरकार बिल्कुल बनाई जा सकती है|जिसका प्रयोग भी उत्तर प्रदेश में ही हो चुका है|बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी आपस में कटबंधन करके उपचुनाव में उस भाजपा को हराया है,जिसने 2014 में दोनो ही पार्टी को हराकर केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बनाई है|जो दोनो पार्टी अब 2019 का लोकसभा चुनाव में कटबंधन करके भाजपा को भारी बहुमत से हराने की तैयारी में जुट गई है|और अब लोकसभा चुनाव 2019 आने में एक साल का भी कम समय बचा है|जिस बिच बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के अलावे देश के लगभग सभी राज्यो की ज्यादेतर क्षेत्रिय पार्टियाँ भाजपा सरकार को हराने के लिए एकजुट हो रही है|जिनको तो मैं यही राय दुँगा कि वे सभी पार्टियाँ यदि सचमुच में एकजुट हो रही है,तो वे अपने अपने वोट को भी एकजुट करने की कोशिश करें,नही तो फिर सारे वोट फिर अठनी चवनी की तरह बंट जायेगी और 2014 की लोकसभा चुनाव की तरह ही भारी बहुमत से सरकार बनाने वाली पार्टी के खिलाफ उससे कहीँ ज्यादे वोट पड़ने के बावजुद भी उनकी हार हो जायेगी|क्योंकि 2014 में भाजपा को भले भारी बहुमत की सरकार बनाने का अवसर मिला था पर 60% से ज्यादे वोटर भाजपा के खिलाफ वोट किये थे!पर चुँकि वे सभी वोट अठनी चवनी में बटे हुए थे,जिसके चलते भाजपा ने तो केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बड़े नोट की तरह एकमुस्त 30-37% वोट हासिल करके बना ली,पर उसकी विरोधी पार्टियो की वोट अठनी चवनी के रुप में ऐसा बिखरी कि बहुजन समाज पार्टी को तो सबसे अधिक वोट पानेवाली पार्टी में तीसरा स्थान लाकर भी वह एक भी सीट जीत नही पाई अथवा जनता ने उसे 0 सीट दिया |जिसके बारे में भाजपा के नेताओ ने केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बनने की अहंकार में चुर होकर बहुजन समाज पार्टी के बारे में ये मजाक उड़ाना सुरु कर दिया कि बहुजन समाज पार्टी की हाथी ने अंडा दिया है|जबकि बहुजन समाज पार्टी को देश की जनता ने तीसरे स्थान का वोट दिया था|जो स्थान कांग्रेस भाजपा को मिले वोट के बाद की थी|पर चूँकि उसके वोट अठनी चवनी की तरह बिखरे हुए थे,जिसके चलते उसकी हार ऐसी हो गई थी कि उससे कम वोट लाने वाली पार्टियो को भी बहुत ज्यादे लोकसभा सीटे मिली थी पर उससे ज्यादा वोट लानेवाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी को एक भी लोकसभा सीट नही मिली थी लोकसभा चुनाव 2014 में!जिसे सबक के रुप में भाजपा के विरोध में आपस में कटबंधन करने वाली तमाम पार्टियो को अपने वोट को भी एकजुट करने का बेहत्तर उपाय जरुर करनी चाहिए|जैसे कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने आपस में वोट का भी कटबंधन अपने किए गए कटबंधन से कर लिया है,यदि ये बात सच है कि मायावती और मुलायम ने ये फैशला कर लिया है कि दोनो की पार्टियो ने पिछली बार जिस भी सीट पर सबसे अधिक वोट हासिल किया है,वहाँ पर उसी पार्टी को ही मजबुत दावेदार मानते हुए वह सीट मिलेगी|अथवा बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बिच हुए कटबंधन में जिस सीट पर भाजपा को ज्यादे वोटो से बहुजन समाज पार्टी कड़ी टक्कर दी गई है,वहाँ पर बहुजन समाज पार्टी को सीट मिलेगी और जिस सीट पर भाजपा को समाजवादी पार्टी ने सबसे अधिक वोट से कड़ी टक्कर दी है वहाँ पर समाजवादी पार्टी को सीट मिलेगी|इसका मतलब ये हुआ कि दोनो पार्टी की वोट का भी कटबंधन करके मजबुत टक्कर देने के लिए तैयारी हो चुका है|जो तैयारी बाकि भी वे तमाम पार्टियाँ कर ले जो की भाजपा को कड़ी टक्कर आपस में कटबंधन करके देना चाहती है|या तो फिर सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाला राज्य उत्तर प्रदेश और वहाँ पर मजबूत दावेदार बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को देखते हुए सभी मिलकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से ही कटबंधन करके अपनी मजबुत दावेदारी के साथ उन सीटो पर चुनाव लड़ना और जीतना पक्का कर लें जहाँ पर उन्होने भाजपा को सबसे अधिक वोटो से कड़ी टक्कर दिया था पर भाजपा पार्टी के खिलाफ मैदान में खड़ी कई पार्टियो के वोटो का बंटवारा अठनी चवनी में हुई थी इसलिए वह मजबुत दावेदार होते हुए भी हार गई थी|जो हार जीत में बदल सकती है यदि सभी बंटे हुए वोट आपस में मिल जाय अथवा तमाम पार्टियाँ जो भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है,वह सब एकजुट होकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ें||या तो जिन जिन पार्टियो को आपस में विलय करने का विचार मन में आ रहा है,वे लोकसभा चुनाव 2019 आने से पहले ही आपस में विलय कर ले,ताकि एकजुट होकर मजबुती से तैयारी कर सके|मेरी इस राय के बारे में जानकर वे सभी पार्टियाँ ये कभी भी न सोचे कि भाजपा कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए मैं ऐसा करने की राय दे रहा हुँ!क्योंकि ये न भुलें कि पिछली लोकसभा चुनाव में भाजपा भी दो दर्जन पार्टियो के साथ आपस में कटबंधन करके ही चुनाव लड़ी थी,और कांग्रेस भी इस समय मौका तलाश रही है कि कैसे उन सभी पार्टियो के वोटरो को अपने वोट में बदला जा सके उनके साथ कटबंधन करके?जो कांग्रेस भाजपा सरकार बनने के बाद अपने सीबीआई ताकत का इस्तेमाल क्षेत्रीय पार्टियो के खिलाफ करती है,ये बाते भी इन दोनो की सरकार बनने के बाद सामने आते रहती है|इसलिए भाजपा कांग्रेस भले आपस में कटबंधन कर लें क्योंकि ये दोनो पार्टियों की सरकार भारी प्रचंड बहुमत से भी बन चुकि है,जो कि देश में किसी भी पार्टी की अबतक नही बनी है,इसलिए भी किसी तीसरी नेतृत्व में भारी बहुमत से चुनाना जरुरी है,क्योंकि ये दोनो ही कांग्रेस भाजपा एक दुसरे को देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी का आरोप लगाकर एक दुसरे के खिलाफ सिर्फ आक्रोश व्यक्त करती है,जैसे की आज कांग्रेस रामलीला मैदान में भाजपा सरकार के खिलाफ जन आक्रोश रेली कर रही है|लेकिन दोनो सायद ही एक दुसरे के खिलाफ सीबीआई जैसी ताकत का इस्तेमाल एक दुसरे को सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी साबित करने के लिए करते हैं|और न ही ये दोनो एक दुसरे की जमा उन कालाधन पर हाथ डालते हैं,जिसके इन दोनो ही पार्टियो में अपनी सत्ता पावर का गलत इस्तेमाल करके बटोरने का आरोप लगता रहा है|जिस कालाधन का भरपुर उपयोग चुनाव में करने का लगता रहा है|क्योंकि ये दोनो ही पार्टी सबसे अधिक धन चुनाव प्रचार में खर्च करती है|इसलिए मैं तो यही कहुँगा कि एकबार इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र में भारी बहुमत से हराकर जनता इन दोनो के खिलाफ लगे बड़े बड़े आरोपो का दुध का दुध और पानी का पानी कर ले|नही तो फिर ये दोनो ही पार्टी जनता के आक्रोश का फायदा एक दुसरे के खिलाफ आक्रोशित जनता का सिर्फ वोट पाने के लिए ही रैलियाँ करती रहेगी|और जनता के आक्रोश का कोई भी उचित हल नही निकालेगी|बजाय इसके कि एकबार भारी बहुमत से कांग्रेस भाजपा दोनो को ही एक साथ हराया जाय,और इन दोनो ही पार्टी के मदत के बिना भारी बहुमत की सरकार केन्द्र में बने|ताकि इन दोनो ही पार्टी पर जो देश का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी का आरोप लगा है, वह दुध का दुध और पानी का पानी हो सके| जो तभी मुमकिन है जब इन दोनो ही पार्टी को उस कटबंधन से दुर रखकर ही तीसरी पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनाया जाय,ताकि यदि ये दोनो ही पार्टी देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी वाकई में हैं,जो कि भितर भितर आपस में गले मिलकर एक दुसरे को सबसे बड़ा विरोधी जर्सी पहनकर पहले से ही मैच फिक्स की तरह एक दुसरे की सरकार के समय में बचते आ रही है,तो उन्हे किसी तीसरी पार्टी के नेतृत्व में इनके बगैर कटबंधन के सरकार बनने के बाद बचने का कोई भी मौका न मिल सके|

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2018

बहुत हुआ रोजगार का इंतजार अपकीबार भाजपा सरकार खुद बेरोजगार है

बहुत हुआ रोजगार का इंतजार
अपकीबार भाजपा सरकार खुद बेरोजगार है
क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अपने चुनाव प्रचार में बहुत हुआ रोजगार का इंतजार,अपकीबार भाजपा सरकार का नारा देकर हर साल दो करोड़ बोरोजगारो को रोजगार देने का भी वादा की थी,जिसके बाद भारी बहुमत से भाजपा सरकार बनी है|जिसके सरकार बनने के बाद 2016 का एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 11% अबादी यानी इस देश में करीब 12 करोड़ लोग बेरोजगार हैं|जिसे यदि भाजपा जो कि उस रामराज को अपना आदर्श मानती है,जिसके वचनो के बारे में ये बाते कही जाती है कि रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाय,जिसे फोलो करके यदि भाजपा अपने लिए गए वचनो को निभाती है,अथवा अपना हर साल दो करोड़ को रोजगार देने का वादा निभाती है तो साठ साल बनाम साठ महिना अथवा पाँच साल में हर साल दो करोड़ रोजगार देने का वचन पुरा करने पर पाँच साल में दस करोड़ लोगो को रोजगार मिल जायेगी,यानी लगभग देश से बेरोजगारी 2019 का लोकसभा चुनाव आते आते लगभग समाप्त हो जायेगी|क्योंकि कुछ बेरोजगारो को राज्य सरकार भी तो रोजगार देगी|लेकिन चूँकि देश के सभी बेरोजगारो और रोजगार कर रहे लोगो को भी ये बात अच्छी तरह से पता है कि भाजपा सरकार भी सिर्फ चुनाव के वादे वचन अपनी सरकार बनाने की इरादे से की थी, जो कि वह भारी बहुमत की सरकार बनाकर और पिछले चार सालो से राज भी कर रही है|और दुसरी तरफ वचन पुरा करने का इंतजार करते करते बेरोजगारो कि भिड़ बड़ती ही जा रही है|न कि भाजपा सरकार आने के बाद हर साल दो करोड़ बेरोजगारो कि भीड़ घट रही है!बेरोजगारो कि भिड़ कितनी बड़ी है इसकी झांकि हर साल दो करोड़ को रोजगार देने का वादा करके और बहुत हुआ रोजगार का इंतजार,अपकीबार भाजपा सरकार का नारा देकर 2014 में भारी बहुमत से भाजपा सरकार चुनाने के बाद अगले एक साल बाद यानी 2015 में उत्तर प्रदेश में  चपरासी पद के लिए बहाली हुई थी,जिसमे न्यूनतम योग्यता पाँचवी तक रखी गई थी,पर सिर्फ आधा लाख लोग ही पाँचवी की पढ़ाई वाले चपरासी पद के लिए अर्जी दिये थे,बाकि सब उससे ज्यादे पढ़े लिखे थे,जिनमे लाखो इंजीनियर,एमबीए समेत 255 लोग पीएचडी डिग्री वाले भी थे|जिस चपरासी पद के लिए कुल 23 लाख से अधिक की अर्जियाँ आई थी|यानी कम पढ़े लिखे बेरोजगारो से ज्यादे पढ़े लिखे बेरोजगारो की अबादी बड़ रही है|जिसमे कि आसाराम जैसे तीसरी तक की डिग्री लेने वाले लोग भी शामिल हैं जो कि बेरोजगार होते हुए भी इसी देश में ही 2300 करोड़ की संपत्ती बना रहे हैं| जाहिर है बहुत बड़ा गड़बड़ घोटाला चल रहा है और भाजपा सरकार कहती है हमारे समय में एक रुपये का भी घोटाला नही हुआ है|बिना घोटाला के आसाराम जैसे लोग भाजपा सरकार को अपना चरन स्पर्श कराकर और विशेष प्रकार का आशीर्वाद देकर हजारो करोड़ का मालिक बन जायेंगे?बहुत हुआ घोटालो का व्यापार,अपकीबार भाजपा सरकार का नारा भी भाजपा दी थी जिसके बारे में भी अगली पोस्ट सारांश में लिखुंगा,दुबारा जरुर पढ़ें और इसे बाटें भी,क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है और छुपाने से घटता है|और यदि भाजपा सरकार की नकामी के बारे में जनता को बतलाना चाहते हैं,तो ये झांकी उन्हे जरुर बांटे!तबतक के लिए धन्यवाद!

गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

Khoj123 देश में आरक्षण और इंसान में जन्म से उच्च आरक्षण दोनो में कौन ज्यादे जरुरी


जिस मनुस्मृती में मात्र एक अजाद देश का संविधान बनने की काबिलियत नही उसके रचनाकार को अपना खास पुर्वज मानने वाले संवर्ण आज भी खुदको पुरे मानव जाती में उच्च जाती कहलवाकर जन्म से ही मानो पुरे मानव जाती में विशेष प्रकार का उच्च आरक्षित घोषित करके रखा हुआ हैं|खासकर बहुत से मंदिरो में तो आजतक भी शुद्र का प्रवेश मना है बोर्ड लगाकर संवर्णो ने विशेष प्रकार का पुजारी और भक्त बनने का आरक्षण जन्म से ही प्राप्त किया हुआ है|जो संवर्ण आज इस देश में आरक्षण का विरोध ऐसे कर रहे हैं,जैसे वे तो जन्म से ही पुरे मानव जाती में उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय,धन्ना वैश्य जाती कहलाने का आरक्षण प्राप्त कर सकते हैं,पर इस देश के मुलवासी अपने ही देश में अपना हक अधिकार प्राप्त करने के लिए आरक्षण प्राप्त नही कर सकते हैं|दूसरी तरफ संवर्ण किसी नारी के गर्भ से जन्म लेने से पहले ही ब्रह्मा के मुँह छाती और जंघा से अप्राकृत रुप से जन्म लेकर उच्च जाती का मान्यता प्राप्त किए हुए हैं|क्योंकि मनुस्मृती रचना अनुसार अप्राकृतिक रुप से जन्मे मुँह छाती और जंघा से पैदा होने वाले उच्च जाती का मनुष्य और बाकियो को शुद्र का दर्जा दिया गया है|जिस तरह कि रचना करने वाले संवर्ण खुदको बहुत बड़ा सत्य का आरक्षित पुजारी मानकर मानो मनुस्मृती जैसा ही सत्य न्याय पाने के लिए आरक्षण का विरोध कर रहे हैं|ताकि इस देश के अजाद भारत का संविधान में आरक्षण प्राप्त करके भी शोषित पिड़ित उनसे मानो निचे दबकर हमेशा उनकी सेवा करते रहे|जिन छुवा छुत करने वाले संवर्णो के द्वारा सिर्फ दिखावे के लिए रामराज की खाल ओड़कर ये ढोंग पाखंड की जाती है कि दबे कुचले लोगो को उपर उठाना है|जो असल में दरसल आरक्षण प्राप्त करके शोषित पिड़ित कभी निचे से उपर संवर्ण दबदबा वाली पदो पर न आएं ,बल्कि निचे दबकर मुल रुप से देव दास दासी बनकर हमेशा सेवा ही करते रहे इसके लिए दिन रात भारी भेदभाव की जाल बुनी जाती रही है|जिसमे फंसाकर अपने शिकार को भारी भेदभाव करने की विशेष बंधनो से जकड़कर उसके मान सम्मान का दम घोटता रहे ऐसी नीति बनाई जाती रही है|जिनके लिए लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करना किसी स्वर्ग की सिंहासन से कम नही है|जो की अब चूँकि डोल रही है,इसलिए आरक्षण को लेकर इतनी हलचल हो रही है|क्योंकि छुवा छुत करने वाले संवर्णो को पता है कि आरक्षण कि वजह से इस देश के शोषित पिड़ित को एकदम से रोका नही जा सकता है|जिसके चलते आरक्षण प्राप्त सारे सरकारी क्षेत्रो को धिरे धिरे निजि क्षेत्रो में देकर मानो न के बराबर सरकारी क्षेत्र रखने कि इंद्र जाल बुनी जा रही है|जिस इंद्र का सिंहासन को आरक्षण के रहने से भारी नुकसान हो रहा है|क्योंकि आरक्षण की मांग विस्तार रुप धारन करते जा रही है|और इसकी चपेट में भविष्य में निजि क्षेत्र भी आयेगी इससे इंकार नही किया जा सकता है|जिसकी वजह से स्वभाविक है कि इस देश की स्वर्ग सिंहासन को हिलने से अब रोक पाना लगातार कठिन होता जा रहा है|इसलिए उसे बचाने के लिए ही तो इंद्र जाल बुनी जा रही है|जिसके लिए खासकर चूँकि शुद्र कहे जाने वाले और नारी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,दोनो के साथ भारी भेदभाव शोषन अत्याचार हो रहे हैं|इसके चलते ही कभी कभी आरक्षण की अवाज को दबाने के लिए धर्म और जाती कि आवाज को बड़ा दिया जाता है|क्योंकि भारी भेदभाव करने वालो को पता है कि इस देश में सभी धर्मो और जात के लोगो में मौजुद भारी भेदभाव का शिकार जो लोग भी मुल रुप से मौजुद हैं,उनके लिए भी खास जरुरत महशुष करके आरक्षण की मांग समय समय पर उठती रहती है|जिसके बारे में मैने इससे पहले चर्चा किया है कि आरक्षण विस्तार रुप धारन करते जा रही है|जो कहीं भविष्य में इस देश में उच्च जाती के कहे जाने वाले नागरिको में से जिन्हे भी भितर से कहीं न कहीं लगता है कि उनके भितर जो डीएनए मौजुद है,वह आजतक भी छुवा छुत को छोड़ न पाने वाले संवर्णो कि डीएनए से नही मिलता है,अथवा उनके पुर्वज भी वही लोग हैं,जिनको मनुस्मृती में शुद्र घोषित करके इस कृषी प्रधान देश में लंबे समय तक शोषन अत्याचार किया गया है,ये सब बात भितर से महशुष करके उनको भी संवर्ण भेदभाव ज्यादे जरुरत महसुश होने पर अपना डीएनए जाँच कराकर और फिर सही साबित होने पर वे भी आरक्षण की मांग न करने लगे ये कहकर की वे भी संवर्ण नही बल्कि शोषित पिड़ित डीएनए का ही हैं|हलांकि अब डीएनए जाँच पर कोर्ट ने रोक लगा दिया है|लेकिन फिर भी डीएनए जाँच छोड़कर किसी दुसरे माध्यम का मापदंड अपनाकर आरक्षण मांग की आवाज वॉल्युम लगातार बड़ते ही जा रही है|जिस अवाज को भी दबाने के लिए जात धर्म का वॉल्युम को बड़ा दिया जाता है|ताकि जात धर्म की उच्ची आवाज से हक अधिकारो की आवाज को दबाया जा सके|जिसे दबाने के लिए धर्म और जात के नाम से हिंसा हो ऐसी ऐसी अपराध की घटनायें जान बुझकर सोची समझी फंदा लगाने वाली शिकारी और परजिवी हुनर के अनुसार मानो दबाने और ध्यान भटकाने की सुपारी दी जाती है|जिसके चलते छोटे छोटे मासुमो के साथ होने वाले बलात्कार और मानव तस्करी करके उन्हे वैश्यावृती कराने जैसे गंभिर अपराधो में भी जात धर्म का वॉल्यूम बड़ने से विरोध प्रदर्शन में काफी बड़ा भेदभाव अंतर देखने को मिलता है|जैसे की जम्मू कश्मीर में आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और दिल्ली में हुए निर्भया के साथ बलात्कार के खिलाफ उठने वाली आवाज में भारी भेदभाव अंतर साफ साफ सुनाई दी है|जिसका सबसे प्रमुख कारन जात धर्म का वॉल्युम बड़ाने या फिर ध्यान भटकाने के लिए आग लगाउ सुपारी दे दी जाती रही है|जैसे की जब मुम्बई हमला हुआ था तो ताज होटल में आतंकि अपनी बचाव के लिए होटल में खुद ही आग लगा रहे थे ताकि जवानो का ध्यान भटके और इसी दौरान आतंकी अपना हथियार रिलोड कर सके!जात धर्म का भी आग इसी लिए लगाई जाती है,ताकि भारी भेदभाव शोषन अन्याय अत्याचार ध्यान भटकाकर रिलोड किया जा सके|हलांकि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक में नारी का कोई जात नही,बल्कि वह भी शोषन अत्याचार करने कि दायरे में आती है|जिसके साथ शोषन अत्याचार करने की सुपारी लेने वालो में बलि का बकरा के रुप में कुछ तो घर का भेदी भी शामिल किये जाते रहे हैं,ताकि धर्म और जात को लेकर होने वाली हिंसा और अपराध की घटना के बाद उन्हे बलि का बकरा के रुप में चड़ाया जा सके!और जैसा कि हमे पता है कि रोजमरा जिवन में अपनी इच्छा पुर्ती के लिए बलि चड़ाने वालो को बलि का बकरा की कमी नही होती है|क्योंकि जिस तरह पुरी दुनियाँ में सिक्का बनाते समय कुछ खोटे सिक्के भी पैदा होते रहते हैं|उसी प्रकार अपने ही घर का विनाश कराने के लिए भी कुछ घर का भेदी भी हमेशा पैदा होते है|जो विरोधियो के लिए बली का बकरा बनने की तैयारी करके अपनो के खिलाफ ही बलि चड़ने को तैयार हो जाते हैं|और फिर आतंकी से भी तो देश के भी लोग मिले हुए हैं ऐसी खबरे आती रहती है|जिसमे आतंकियो का मास्टरमाईंड पाकिस्तान है आवाज उठाकर वोट बटोरने के बाद सरकार बनते ही सुर एकदम से बदल जाते हैं,ऐसी बाते दोनो ही तरफ कही जाती है|जो स्वभाविक है क्योंकि आतंक का मास्टरमाईंड को भारत पाकिस्तान किसी भी देश का सरकार चाहे रुस अमेरिका या फिर कोई और देश ही क्यों न हो,कभी भी उन्हे बहुत बड़ा महान कार्य करने वाले लोग बतलाकर परिभाषित नही करेंगे,बल्कि ऐसे लोगो के आतंकी ठिकाने को पुरी दुनियाँ के रक्षक खोजते रहते हैं,ठिकाना लगाने के लिए|इसलिए मास्टरमाईंड खुद कोई आतंक सायद ही करते हैं,बल्कि खुद बच निकलने के लिए सुपारी देकर आतंक कराते हैं|जिसके लिए उनके पास खुब सारा कालाधन भी है,और ब्रेन वाश करने का काला मन भी है|जिससे ज्यादेतर युवा लोग जल्दी से शिकार हो जाते हैं,जैसे कि कसाब भी युवा था!क्योंकि युवा उम्र में तन मन ज्यादे भटकता है|जिसे जिसने भी काबू में कर लिया समझो वह व्यक्ती अपने जिवन में महान बन सकता है|इसलिए आतंक का सबसे बड़ा बड़ा नेतृत्व ज्यादेतर युवा नही कोई बुजुर्ग ही करता है|और बुजुर्ग यदि आदर्श बनने का महान विकाश कार्य न करके विनाश कार्य यदि करने लगे तो फिर तो ओल्ड इज गोल्ड नही बहुत बड़ा फोल्ड बन जाता है|इसलिए मेरा निजि विचार है कि बुजुर्गो को भी बहुत सोच समझकर उच्च पदो में बैठाना चाहिए,नही तो फिर वे तो उम्र के वैसे भी अंतिम पड़ाव पर रहते हैं जिन्हे यदि माथा फिर जाय तो भविष्य की चिंता नही बल्कि सिर्फ वर्तमान कि चिंता रहती है कि कैसे तत्काल बचकर जितनी भी पुरानीअंतिम इच्छाये हैं उसे पुरा कर ली जाय भविष्य में कौन मारे रहना है|युवा तो सिर्फ अपना वर्तमान और भविष्य दोनो ही बर्बाद करने के लिए ज्यादेतर बलि का बकरा बनाये जाते हैं|जैसे कि शैतान सिकंदर भी तेईश साल का बली का बना था उन मास्टरमाईंड लोगो का जो सिकंदर को बहुत बड़ा महान बनने का ब्रेनवाश करके विश्व लुटेरा बनने का वायरस डालकर भेजा था|जो वायरस आज भी बहुत से युवाओ पर शैतान सिकंदर के बजाय जो जीता वही महान सिकंदर उछल कुद करते हुए बलि का बकरा बनने के लिए नारा लगाते रहते हैं|जिसके चलते शैतान सिकंदर कि तरह बहुत से युवा भरी जवानी में शिकार हो जाते हैं,और मास्टर माईंड बुजुर्ग कई बार तो घाट पर भी पड़े पड़े युवा भविष्य कि बाते करते हुए कई जवानो को फुल माला पहनाते रहते हैं|जैसे की धर्म और जात कि आग लगाकर ज्यादेतर तो युवा ही शिकार हो रहे हैं|जिससे भी ज्यादे कोई घर का भेदी जैसे खतरनाक वायरस से ग्रसित हो जाते हैं जो किसी घर का विनाश अपने ही किसी घर के भेदी द्वारा अपने विरोधियो से मिलकर हो जाता है|हलांकि फिर भी चूँकि सत्य को तौलकर देखा जाय तो धर्म और जात को लेकर हिंसा कराने की जो सुपारी दी जाती है फंदा के रुप में,उसमे मास्टर माईंड घर का भेदी नही बल्कि कोई और ही होता है,जिसके सामने घर का भेदी अपना सिर झुकाकर जो आदेश आका कहकर पाँव पसार देता है,इसलिए साफ तौर पर इस तरह की साजिशो के बारे में मंथन करके कोई भी शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने वाला व्यक्ती समझ सकता है कि लड़ाई में विरोधी के बिच मौजुद घर के भेदी और उसी के जैसा ब्रेनवाश किए हुए अनगिनत लोगो से मात्र अपने हक अधिकारो की लड़ाई जीतना ही असली जंग जितना नही होता है,बल्कि असली जड़ मास्टरमाईंड को सुधारकर या फिर हराकर अथवा उसे सजा देकर ही पुरा जंग जितना होता है|ये नही कि कोई सुपारी किलर पकड़ा गया है तो उसे मात्र पकड़कर और सजा भी देकर भविष्य में उस मास्टरमाईंड से जुड़ा हुआ अपराध होना रुक जायेगा|क्योंकि सुपारी देनेवालो की नजर में जिस प्रकार पैसे के अलावे और भी बहुत तरह की लालच देकर खुद बच निकलने के लिये अपराध की मास्टर माईंड दिमाक होता है,जिसे पता होता है कि वह किसी सुपारी किलर को भी बलि का बकरा बनाकर खुद असली मास्टर माईंड अपराधी होते हुए भी बच निकला जा सकता है|जैसे की कसाब को फांसी पर चड़ाने के बाद भी उसे ब्रेनवाश करके आतंक फैलाने के लिये भेजने वाला निश्चित होकर असली मास्टरमाईंड आजतक बचे हुए हैं|जिनको आजतक पकड़ा नही गया है,बल्कि अब तो उसकी चर्चा भी नही होती है कि कसाब को सुपारी देने वाले अबतक क्यों नही पकड़े गए हैं?जो कि मुम्बई घटना के दिन लाईव सुपारी दे रहे थे|जो लोग जबतक पकड़े नही जाते हैं,तबतक आगे भी जिस प्रकार आतंक फैलाने के लिए किसी निर्दोश लोगो की हत्या कराने के लिए बलि का बकरा बनने वाले सुपारी किलरो की कमी नही है|उसी प्रकार इस देश में जात धर्म के नाम से हिंसा करने के लिए भी घर का भेदी अथवा बलि का बकरा बनने वालो कि कमी नही है|यू ही आयेदिन बॉर्डर से लेकर देश के अंदर भी जात धर्म के नाम से मामला गर्म नही होता रहता है|जिसे गर्म करने की सुपारी किसी मास्टरमाईंड द्वारा ही दी जाती है|जिस तरह की सुपारी गोरो के द्वारा जब देश गुलाम था उस समय भी दी जाती थी|जिस सोच के लोग अब भी इस देश में मौजुद हैं,क्योंकि हमे ये कभी नही भुलना चाहिए कि इस देश में बाहर से आने वालो में सिर्फ गोरे मौजुद नही थे,बल्कि कई कबिलई लुटेरे समय समय पर इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश किये हैं|जिनकी लुट मार से इतिहास भरा पड़ा है|जिसके चलते ही तो बाद में मुल हक अधिकारो की आवाज को दबाने के लिए मानो अपना लुट मार वर्चस्व क्षेत्र का बंटवारा करने के लिए भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ|जिसमे लाखो निर्दोश लोग मारे गए,और अनगिनत सामुहिक बलात्कार की घटनाएँ घटित हुई जो कि कभी नही घटती यदि भारत पाकिस्तान का बंटवारा नही किया जाता|जितने लोग सायद अजादी की लड़ाई में भी एक साथ खुनी हिंसा में नही मारे गए होंगे और न ही एक साथ इतनी ज्यादे सामुहिक बलात्कार की घटना घटित हुई होगी!जिस तरह कि धर्म के नाम से हिंसा और बलात्कार कराने कि सुपारी कौन लोग दे रहे थे?जिसके बाद धर्म के नाम से जो हिंसक वारदाते अपडेट होती रहती है,वह और ज्यादे बड़ गई है भारत पाकिस्तान बॉर्डर के रुप में कि भारत पाकिस्तान का बंटवारा करके दोनो तरफ बहुत अमन सुख शांती और समृद्धी कायम हो गई है?जाहिर है जात धर्म का विवाद खड़ा करना दरसल इस देश के शोषित पिड़ित दोनो तरफ चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके हक अधिकारो की छिना झपटी हमेशा कायम रहे इसके लिए ही ऐसा शिकारी फंदा जान बुझकर लगाया जाता रहा है,जो बांटो और राज करो संस्कार मुल रुप से इस अखंड कृषी प्रधान देश का नही है|बल्कि छोटे छोटे टुकड़ो में बंटकर आपस में ही हमेशा लड़ते रहने वाले उन लुटेरे कबिलई लोगो के द्वारा बाहर से संक्रमित किया गया भ्रष्ट संस्कार है,जिन्होने अपना खास हुनर के रुप में कभी भी भितर से विशाल सागर की तरह एक जगह स्थिर कृषी सभ्यता संस्कृती को अपनाया ही नही है|जिसके चलते वे आज भी अपनी शिकारी फंदा लगाने वाली हुनर को ही सुट बुट पहनकर भी अपडेट करते रहते हैं|जैसे कि गोरो ने सुट बुट पहनकर खुदको सबसे आधुनिक समझकर फुट डालकर राज करने की शिकारी फंदा को ही अपडेट करके घुम घुमकर कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय तक न्यायालय का जज बनकर भी सिलसिलेवार कई देशो में लुट पाट,शोषण अत्याचार और अन्याय करते रहे|जिनको लंबे समय तक ये समझ में नही आया था कि जिस तरह बड़े बड़े पेशेवर चोर लुटेरे चाहे जितने बड़े महलो में रहे या फिर किमती किमती मेकप रुप कोहिनूर हीरा गिप्ट में पाकर रुप श्रृंगार करे वे पकड़े जाने के बाद इंसानियत की नजर में और सचमुच का न्याय की तराजू में भी गंदी सोच और गंदी हरकत करने वाले अपराधी कहे जाते हैं|मैं कोई देश गुलाम के समय में तौली जाने वाली न्याय की तराजू और उस गुलाम समय के गोरे जजो के द्वारा न्याय करने वाली इंसानियत की बात नही कर रहा हुँ,जिसे फोलो करके अथवा किसी देश को गुलाम करके खुदको आधुनिक इंसान अपडेट कभी भी भितर से नही किया जा सकता है|जैसे कि इस देश में जो संवर्णो द्वारा छुवा छुत हो रहा है,उसके जरिये कभी भी खुदको जन्म से विद्वान पंडित तो दुर सही इंसानियत की मापदंड में तो मेरे ख्याल से किसी के साथ छुवा छुत करना भी किसी को गुलाम बनाकर शोषन अत्याचार करने से कम नही है|और इस कृषी प्रधान देश में छुवा छुत करने के लिए मनुस्मृती की रचना करके उसका मास्टर माईंड नेतृत्व संवर्णो के पुर्वजो ने ही मनुस्मृती की रचना करके किया हैं|जिनके आदेशो का पालन करके ही तो आजतक भी पिड़ि दर पिड़ि छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव अपडेट करके शोषन अत्याचार करना जारी है|जिस छुवा छुत भारी भेदभाव की चपेट में उच्च जाती पुरुष छोड़कर बाकि सभी आते रहे हैं|जैसे की मैने बतलाया नारी को जो नर्क का द्वार और ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी"जैसे श्लोक रचे गए हैं वह श्लोक ये नही बतलाती है कि शुद्र और नारी में किस जात धर्म के लोग आते हैं|और वैसे भी इस देश में शुद्र कहे जाने वाले और मदर इंडिया नारी के पुर्वज वर्तमान में चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,दोनो का ही डीएनए एक है|जो बात एक विश्व स्तरीय रिपोर्ट में साबित भी हो चुका है|जिस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकारा है|जाहिर है शुद्र और नारी ताड़न के अधिकारी भ्रष्ट आचरण करके दोनो के ही साथ शोषन अत्याचार लंबे समय से हो रहे हैं|और जैसा कि मैने बतलाया कि शुद्र और नारी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,सभी को एकजुट होकर अपने हक अधिकार को पाने के लिए शोषन अत्याचार के खिलाफ कड़ा संघर्ष करना चाहिए|जिस शोषन अत्याचार में अपनी भागिदारी लेकर विरोधी के रुप में यदि कोई घर का भेदी भी आता है तो वह चाहे अपनी जाती या धर्म का ही क्यों न हो उसे भी अपना घोर विरोधी समझकर उसके साथ भी वही व्यवहार करना चाहिये जो की किसी मास्टर माईंड विरोधियो से किया जाता है|जिसके साथ हिंसक या अहिंसक दोनो ही तरह की लड़ाई में विरोधी समझकर ही संघर्ष की जाती है|जिसमे सबसे बड़ा मास्टर माईंड अपना बलि का बकरा बनाकर ज्यादेतर तो सुपारी देकर ही अपना काम मानो भ्रष्ट ठिके में देकर निकालता रहता है|और साथ साथ अक्सर बचकर भी निकलता रहता है|जैसा कि धर्म और जातीय हिंसा की सुपारी जब जब किसी धर्म और जाती के नाम से हिंसा फैलाने वाले ठिकेदारो को दि जाती रही है,तब तब अक्सर मास्टरमाईंड दिमाक खुदको बचाने के लिए कोई बलि का बकरा भी साथ में तलाशते रहता हैं|जैसे कि वर्तमान में भी जो भारी भेदभाव का संघर्ष चल रहा है,उसमे भी भारी भेदभाव की सुपारी बहुत पहले ही जो दि गई है,उसका मास्टर माईंड ज्यादेतर बचते ही आ रहा हैं|जिसकी चपेट में आने वाले इस कृषी प्रधान देश में भारी भेदभाव का शिकार होनेवाले एक ही डीएनए के लोग चाहे जिस जाती धर्म से भी आते हैं,उनका डीएनए से संवर्ण पुरुषो का डीएनए नही मिलता है|जिन संवर्णो के पुर्वजो ने तो प्राकृतिक का नियम कानून को भी तोड़कर खुदको मानो इंसान जन्म से बहुत पहले ही उच्च जाती का घोषित करके इस कृषी प्रधान देश में दास दासी बनाकर अपनी आरती भी उतरवाते रहने का जाल बुनते आ रहे हैं|जबकि दुसरी तरफ चाहे किसी भी जात धर्म में मौजुद मदर इंडिया नारी हो या फिर शुद्र कहे जानेवाला पुरुष दोनो के ही साथ भारी शोषन अत्याचार होता आ रहा है|जिस तरह की छुवा छुत और ताड़न जैसे शोषन अत्याचार कितने संवर्ण पुरुषो के साथ अबतक हुए हैं या हो रहे हैं?

बुधवार, 25 अप्रैल 2018

उत्तम खेती प्रधान देश में आर्य मार्ग क्या होनी चाहिए

चूँकि आर्य का मतलब उत्तम होता है,इसलिए संवर्णो ने मनुस्मृती रचना करके और छुवा छुत करके इस उत्तम खेती कृषी प्रधान देश में खुदको आर्य घोषित करते हुए इस देश के मूलवासियो को नीच घोषित किया हुआ है|जिसके बाद इस देश को आर्य देश भी बार बार इसलिए कहते रहते हैं,क्योंकि कई संवर्ण इतिहासकार ये भी मानते हैं,कि मनुस्मृती की रचना करके छुवा छुत करने वाले आर्य,इसी देश के मूलवासी हैं|जो दरसल संवर्णो के द्वारा इस देश में प्रवेश से पहले उनके पुर्वजो को खुदको उच्च घोषित करके आर्य छुवा छुत करने का देश भारत ही पुरे विश्व में सबसे आर्य लगा होगा,जहाँ पर वे प्रवेश करके आर्य मनुस्मृती की रचना करके आर्य रुप से लंबे समय तक आर्य कार्य कर सके|जिसके चलते संवर्णो ने खुदको विशेष प्रकार का छुवा छुत करने वाला आर्य हिंदु घोषित करके आर्य देश रखा हुआ है|अथवा उनके अनुसार इस देश के एक मूलवासी दुसरे मूलवासी को नीच बतलाकर उसके कान में पिघला लोहा डालकर जीभ और अँगुठा काटकर और अपने ही देश परिवार के लोगो को दास बनाकर मनुस्मृती छुवा छुत आर्य राज कायम किया हुआ है|जिस मनुस्मृती राज की तुलना बाबा अंबेडकर ने रोमराज से किया है|बल्कि अबतक भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में इस देश के एकलव्य मूलवासियो का हक अधिकार अँगुठा काटकर छुवा छुत अपडेट क्या सचमुच में संवर्ण अपनो के साथ ही करता आ रहा है|जो तर्क कहीं से भी फिट नही बैठती है|क्योंकि संवर्ण छुवा छुत किसी संवर्ण से नही करते हैं|इसलिए ये बात फिट नही बैठती है कि संवर्ण इस देश के मूलवासियो के साथ अपना समझकर छुवा छुत करते आ रहे हैं|जो तर्क कुतर्क के सिवा कुछ नही लगती है|क्योंकि जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि बहुत से इतिहासकारो जिसमे कुछ संवर्ण इतिहासकार भी शामिल हैं,वे संवर्णो को बाहर से आनेवाले आर्य यानि उत्तम लोग बतलाकर बाद में तर्क देते हैं कि संवर्णो की कबिलई टोली पुरुष प्रधान था,जो इस उत्तम कृषी प्रधान  देश में प्रवेश करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है|जिसके चलते ही संवर्ण पुरुषो का डीएनए इस देश की मदर इंडिया से नही मिलती है|इसलिए ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक में नारी शब्द मौजुद है|क्योंकि संवर्ण के पुर्वजो ने अपने साथ कोई परिवार नही लाया है,बल्कि कबिलई पुरुष टोली के साथ इस देश में प्रवेश किए हैं|जिसके बारे में चर्चा इस देश का सबसे पुराना वेद ऋग्वेद में भी जानकारी दी गई है|जिसके अनुसार संवर्ण के पुर्वज देवो का राजा इंद्रदेव गाय लुटपाट करते हुए भारत में प्रवेश किया था|जो मय दानव का खुन करके उसकी पुत्री के साथ विवाह किया था|जो कि स्वभाविक है,क्योंकि पुरे विश्व को लुटने निकला कबिलई लुटेरा शैतान सिकंदर भी तो खुदको महान बतलाकर अपनी पुरुष लुटेरी टोली के साथ ही पुरे विश्व को गुलाम बनाकर उसके अनुसार लुटपाट जैसे महान कार्य करने निकला था|जो कि अपनी लुटेरी कबिलई बरात के  साथ फारस को लुटकर अपने साथ साथ अपने गैंग का भी फारस की नारीयो के साथ लुटपाट खुशहाल परिवार बसाया था|जो बाद में इस देश में प्रवेश करके पुरे देश को जीत न सका और अंतिम में देश की प्राचीन सोने की चिड़ियाँ की राजधानी पाटलिपुत्र पर कब्जा करने से पहले ही अपना देश वापस लोट गया|जो कि बॉर्डर पर ही पुरु राजा से भिड़कर विश्व लुटेरा सपना अधुरा छोड़कर अधमरा होकर लौटा|जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी|उसी प्रकार ही मनुस्मृती भी अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले बाबा अंबेडकर से भिड़कर भष्म हो चुकि है|क्योंकि बाबा अंबेडकर ने आजाद भारत का संविधान रचना करने से पहले ही मनुस्मृती को जलाकर उसकी तुलना रोमराज से किया है|जिस मनुस्मृती का भुत आज भी भारत में मंडरा रहा है|क्योंकि सायद शैतान सिकंदर का पुरे विश्व को गुलाम बनाने का अधुरा सपना की तरह उसका भी भारत में मनुस्मृती लागू करके पुरी तरह से छुवा छुत राज करने का सपना अधुरा रह गया है|और फिर संवर्ण खुदको देव का वंसज भी तो कहते हैं,न कि खुदको इस देश के मुलवासी कहलाने वाले शुद्रो का वंसज कहते हैं|यानी हिंदु की खाल ओड़कर दुसरे धर्मो को डराने धमकाने का काम भी ये छुवा छुत करने वाले ही कुछ घर के भेदियो को अपना विशेष भक्त बनाकर हिंदु धर्म को बदनाम किए हुए हैं|जिसके चलते ही बहुत से लोगो ने अपना धर्म परिवर्तन किये हैं|और वैसे भी एक विश्व स्तरीय डीएनए प्रयोग में भी ये बात साबित हो गई है कि इस देश के मूलवासियो के डीएनए से संवर्णो की डीएनए फिट नही बैठती है|बल्कि संवर्णो का डीएनए से काला सागर आस पास के एक विदेशी कबिलई लोगो कि डीएनए से मिलने की रिपोर्ट संवर्णो का कबिलई होना प्रमाणित हो चूका है|जिसे भी सत्य न मानने पर आखिर किसे सत्य माना जाय?क्योंकि जिनके साथ वे भारी भेदभाव करते हैं उनका डीएनए से संवर्णो का डीएनए नही मिलता है|और भावनात्मक तौर पर भी जिस प्रकार का लंबे समय से छुवा छुत किया गया है संवर्णो के द्वारा उसके अनुसार भी संवर्ण इस कृषी प्रधान देश के मुलवासी हो ही नही सकते|यानी इस देश का भी मूलवासी नही और यदि बाहर भी किसी देश का मूलवासी नही,फिर कहाँ के मूलवासी हैं?अथवा संवर्णो के पास किसी जमिन का मूलवासी कहलाने का प्रमाणित मान्यता प्राप्त नही है|जो भारत में मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रवेश भी किए तो छुवा छुत करके भाईचारा बनाने कि कोशिष किए|अथवा आज भी संवर्ण इतने बड़े देश के मूलवासियो को उन्हे अपने ही देश के उस रुद्र मंदिरो में भी प्रवेश करने नही देते हैं,जिस रुद्र के साथ भी भेदभाव हुआ था यक्ष यज्ञ करते समय|जैसे कि मंदिरो में पुजा यज्ञ करते समय संवर्ण द्वारा इस देश के मूलवासियो के साथ भारी भेदभाव होता आ रहा है|जिसके चलते ही तो आज भी कहिं कहिं मंदिरो में शुद्र का प्रवेश मना है लिखा बोर्ड लगा हुआ मिल जाता है|लेकिन भी इस देश के मूलवासी आजतक भी छुवा छुत का आविष्कार करने वाले संवर्णो को ही इस देश की सत्ता में सबसे उच्च पदो में सबसे अधिक भागिदारी क्यों सौंपते आ रहे हैं? जिसे हासिल करने के लिए बार बार अदला बदली करके भाजपा कांग्रेस को ही चुनकर मुलता संवर्ण राज कायम क्यों हो रहा है?अथवा इस देश और देश की प्रजा का भला करने वाली सरकार बनाने का सबसे अधिक मौका सबसे अधिक वोट देकर भाजपा कांग्रेस को ही क्यों दिया जा रहा हैं?जाहिर है इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उन्होने अजादी से मुलता अबतक मानो अपने साथ में होने वाले छुवा छुत करने का इनाम के तौर पर उस भाजपा कांग्रेस की सरकार चुनते आ रहे हैं,जिसमे संवर्णो की भारी दबदबा कायम है|जिसका सबसे बड़ा प्रमाण भाजपा जिस आरएसएस की रिमोर्ट से चलती है उसका प्रमुख अबतक कितने शोषित पिड़ित को बनाया गया है?और कांग्रेस में भी अबतक कितने प्रमुख शोषित पिड़ित को बनाया गया है?बल्कि कांग्रेस ने तो अपने साठ साल का शासन काल में एकबार भी किसी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री नही बनाया है|खैर ये बनाये या न बनाये इनकी संवर्ण दबदबा में कोई खास फर्क नही पड़ने वाला है|चूँकि ये तो अपनी पार्टी की ओर से यदि किसी शोषित पिड़ित को बनायेंगे भी तो अपना संवर्ण रिपोर्ट से ही चलायेंगे इसकी संभावना सबसे ज्यादे है|बल्कि ज्यादेतर तो बार बार यही होता आ रहा है|फिर भी न जाने क्यों अजादी से अबतक शोषित पिड़ित द्वारा इस देश की शासन भाजपा कांग्रेस को ही सौंपते आ रहे हैं|जैसे कि बलि सम्राट ने वामन को अपना सबकुछ सौंप दिया था|जिसके बाद जिसे उन्होने दान दिया था उन्होने बलि सम्राट को जेल कि कैद ईनाम दिया था|बल्कि गोरो द्वारा भी कभी इंडिया में प्रवेश करके और इस्ट इंडिया कंपनी के लिए जगह मांगने के बाद जगह मिलने पर गुलाम इनाम दिया था|क्योंकि गोरो ने ईस्ट इंडिया कंपनी को गुलाम करने वाले कंपनी के रुप में परिवर्तित करके कुत्तो और इंडियन का प्रवेश मना है गेट में बोर्ड लगाकर दो सौ सालो से भी अधिक समय तक लुटपाट शोषन अत्याचार करते रहे|जिसके बदले भी सायद गोरो को कोहिनूर हीरा विशेष इनाम के तौर पर सौंपा गया है|जैसे कि संवर्णो की रचना मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके मुलता किन लोगो को उस संविधान की सुरक्षा जिम्मेवारी सौंपी गई है,इसकी झांकी 2000 की एक रिपोर्ट जो कि पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष द्वारा पेश की गई है,उसे जानकर भारी भेदभाव झांकी देखी जा सकती है|जिस रिपोर्ट के अनुसार जिस कोर्ट को अजाद भारत का संविधान की सुरक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी इस समय आरक्षण मुक्त करके सौंपा गया है,वहाँ पर कुल मिलाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले जातीय आधार पर कितना लाभ बाकि सरकारी क्षेत्रो में आरक्षित लोगो को भागीदारी के रुप में मिल रही है?2000 ई० का रिपोर्ट अनुसार हाईकोर्ट के 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जात के 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं|और तो और उसमे भी ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी में जो नारी और दुसरे धर्मो में मौजुद शोषित पिड़ितो की भागिदारी कितनी है ये तो लगभग गायब ही है|जिस तरह के भारी भेदभाव भागीदारी के बारे में विस्तार पुर्वक जाननी हो तो इस देश के लोकतंत्र के चारो स्तंभो में देश और जनता सेवा के लिए जिन उच्च पदो को इस देश की सरकार नेतृत्व के द्वारा चुना या भरा जाता है,उसके बारे में जानकर पता किया जा सकता है कि किस तरह से इस देश के शोषित पिड़ित मुलवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उनके पुर्वज मानो अपने सर का ताज उतारकर सर में मैला तक ढोकर,बल्कि कई नई पिड़ि तो अबतक भी संवर्णो की आरती तक उतारते आ रहे हैं|लेकिन भी भारी शोषन अत्याचार करके संवर्ण आखिर कैसे भारी भेदभाव करके बार बार यहसान फरामोश बनते आ रहे हैं?क्यों आजतक भी बहुत से संवर्णो द्वारा मनुस्मृती रचना को अपना आदर्श मानकर उच्च निच छुवा छुत करना जारी है?ये तो संवर्णो के सभी नई पिड़ी भी नही जान पायेंगे कि इस 21वीं सदी का नई पिड़ि के बाद इस देश में छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव समाप्त होगा कि सिर्फ खुदको आर्य कहकर छुवा छुत करना उत्तम कार्य मानते रहेंगे?हलांकि संवर्ण भले छुवा छुत को पुरी तरह से न छोड़ पाये पर मैं तो यही आशा करता हुँ कि इस देश के शोषित पिड़ित जल्दी से भाजपा कांग्रेस को छोड़े और किसी और को भारी बहुमत से जिताये,तभी इस देश में संवर्ण छुवा छुत राज में भारी बदलाव आयेगा|

आशाराम व परमानंद जैसे बाबाओ का गुप्त आनंद और कोयला व व्यापम जैसे बड़े बड़े घोटालो का पापम आखिर कबतक समाप्त होगा?

आशाराम व परमानंद जैसे बाबाओ का गुप्त आनंद और व्यापम जैसे बड़े बड़े घोटालो का पापम आखिर कबतक समाप्त होगा?
क्योंकि इन सभी अपराध घटनाओ को करने वालो का भी तो माता पिता और बच्चे होंगे,जो इन्हे इन सब कुकर्मो को करने के लिए निश्चित रुप से शबाशी मेडल तो नही देते होंगे!जिनके नजर में तो ऐसे कुकर्म करने वाले शर्म महसुश करके सुधरते,और अपना गुनाह कबूल करके सजा पाकर प्राश्चीत करते,जैसे की सायद आशाराम जिवनभर के लिए प्राश्चित करने जा रहा है,जो जेल में जाकर अपने बहुत से ऐसे पापो का गंदगी उगलने का मन अभी से ही बना लिया होगा,जिससे कि मानो उसके पेट में भरे हुए बहुत से ऐसे लोगो की राज खुलेगी जो खुद बचकर अभी हम आसाराम के बारे में ज्यादे कुछ नही जानते कहकर जेल से बाहर उससे पिच्छा छुड़ा रहे होंगे!जिनको भी आशाराम के पास ही भेजना चाहिए,ताकि ऐसे मिलन का रियल बिग बॉश नजारा असल जेल में देखने को मिले इस तरह की बाते बहुत से लोग जरुर कर रहे होंगे|कम से कम उन कैदियो में जो कभी बिग बॉस टी० वी०धारावाहिक नही देख पाते हैं!जो असल बिग बॉश की सजा जेल धारावाहिक देख सके|बल्कि जिसके लिए तो सलमान को भी सजा सुनवाई के बाद जेल में डालने की सुनवाई कई बार होते होते टल जा रही है|जिस तरह के ना जाने बड़े बड़े चर्चित चेहरो के खिलाफ सुनवाई बार बार या तो टल जा रही है,या फिर बड़े बड़े लिफाफे में देश विदेश से बड़े बड़े भ्रष्टाचार का मामला गुप्त रुप से बंद है जनता के नजर में!जिन्हे सिर्फ अदालत में बैठे जज ही देखकर वापस अंदर लिफाफे में डालते रहते होंगे!जिन सबका फैशला यदि आ जाये तो मेरे ख्याल से तिहाड़ जेल रियल बिग बॉश नजारा रोजमरा जिवन में वहाँ मौजुद बाकि कैदियो और जेल के सेवको को जरुर देखने को मिलेगी|जिनमे से कई तो आपस में लड़ते झगड़ते हुए रोज ही सुर्खियो में आयेंगे!क्योंकि उनमे से कई तो कभी जेल जाना तो दुर जेल में किसी से मिलने भी नही गए होंगे,इतनी सफाई से बड़े बड़े अपराध कर रहे हैं|जिसका अभी सिर्फ उनमे आरोप लगकर बार बार कारवाई टल रहा है|आशाराम के खिलाफ भी तो फैशला टलते टलते आखिरकार सजा सुनवाई हो गई!जो पहले भी हो सकती थी पर लंबे समय तक टलती रही!जैसे की कई बड़े बड़े भ्रष्टाचार बलात्कार हत्या दंगा और न जाने इस तरह के और भी कितने सारे बड़े बड़े अपराध की सजा सुनवाई टलते आ रही है|जिनमे संसद में भी बहुत से सांसद और मंत्रियो पर इस तरह के कई बड़े बड़े आरोप लगे हुए हैं,जिनके खिलाफ सजा या निर्दोश साबित होने की सुनवाई अभी बाकि है|बाकि करोड़ो छोटे मोटे केश की सुनवाई तो वैशे भी कई दशक से चल रहे हैं,जिनमे करोड़ो लोग निर्दोश होंगे जो बिना गुनाह के अदालत चक्कर काटने का सजा पा रहे होंगे इसपर कोई शक नही!पर जो लोग सचमुच का दोषी होंगे उनके कुकर्मो की सुनवाई तो जरुर होनी चाहिए,ताकि वे भी मरने से पहले प्राश्चित कर सके,नही तो यदि सचमुच में नर्क होती होगी तब तो उन्हे निचे सजा न मिलने कि वजह से उपर सुध समेत सजा की सुनवाई जरुर होगी!इसलिए अगर वाकई में स्वर्ग नर्क होती होगी तो जितने भी बड़े बड़े अपराध करने वाले जिवित लोग हैं वे सभी किसी मांसिक विकृत या भुलकड़ इंसान कि तरह अपने किए गए अपराध के बारे में कुछ नही जानते हैं मन बनाकर सिर्फ बचने के लिए धन बाढ़ पानी की तरह बहा रहे हैं|उससे तो अच्छा है कि अपना कुकर्म कबूल करके उपर नर्क में सुध समेत सजा पाने से पहले निचे ही सजा की कर्ज से मुक्त हो सके तो छुटकारा पा ले,सायद उपर माफी मिल जाय!नही तो फिर उपर नर्क में न जाने कौन कौन सी ऐसी सजा उन्हे मिलने वाली है,जिसके बारे में उन्होने कल्पना भी न किया हो!मैं ये बात निर्दोश लोगो को नही कह रहा हुँ,बल्कि ऐसे सातिर दोशी लोगो को कह रहा हुँ जिनका दोष को कोई भी अदालत साबित नही कर पा रहा है,इतना अपराध में हुनरमंद बने हुए हैं बहुत से ऐसे अपराधी जिनके लिए कोर्ट जाना मानो अपराध करके सजा पाने जाना नही है,बल्कि सजा से बचने के लिए जाना है!जैसे कि बहुत से निर्दोष के लिए कोर्ट जाना मतलब अपने उपर इतना बड़ा दाग लगाने जाना है,जो कि कभी नही धुलने वाली है!जिसके चलते ऐसे लोग सिर्फ कोर्ट कचहरी और थाना के नाम से ही दुर रहना चाहते हैं!जिस तरह के लोग बहुत ज्यादे संख्या में मिलते हैं!

सोमवार, 23 अप्रैल 2018

: महाभियोग का प्रस्ताव खारिज होना स्वाभाविक है


महाभियोग का प्रस्ताव खरिज होना स्वाभाविक है,जिसके बारे में पहले ही मुझे अंदेशा था,चूँकि भाजपा कांग्रेस का पहले से ही भितर भितर ज्यादेतर तो चुनावी रंग देने के लिए मैच फिक्स ही होता रहता है,जिसके बारे में मैने पहले भी लिखा था कि मैं कांग्रेस का समर्थक नही बल्कि महाभियोग का समर्थन में अपना राय दे रहा हुँ!अब कांग्रेस के राहुल गाँधी का कहना है कि संविधान बचाओ मुहिम में जुट जाना है,उन बुरे ताकतो के खिलाफ जो दलित आदिवासी पिछड़ी और बेटी विरोधी है|जिसका मतलब साफ है कि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच के साथ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करके जिसके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था उसकी काबलियत को गलत बतलाने के लिए ठोस सबूत न होने की बाते कि जा रही है!जो यदि सचमुच में प्रस्ताव खारिज करने कि राय देने वालो में भारी भेदभाव करने वालो की दबदबा होगी तो वे खुद ही निश्चित रुप से इस बात का ठोस सबूत होंगे कि महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने का फैशला दरसल भारी भेदभाव के साथ लिया गया फैशला है|चाहे तो कोई भी पता करके देख सकता है कि राय देने वाले और खारिज करने वाले में संवर्ण प्रधान भेदभाव टोली है कि उसमे सबकि संतुलित भागिदारी है?प्रस्ताव खारिज करते समय यदि काबलियत के बारे में पुच्छा जा रहा है तो मैं तो काबलियत के बारे में अपनी राय देते हुए यही बात बार बार दोहराना चाहूँगा कि यदि मनुस्मृती और अजाद भारत का संविधान की रचना के बारे में तुलना पुरे विश्व के लोगो द्वारा किया जाय तो किसी भी अजाद देश के नागरिक ये स्वीकार नही करेंगे कि मनुस्मृती में किसी अजाद देश का संविधान बनने की काबलियत है|जिस मनुस्मृती की तुलना अंबेडकर ने प्राचिन रोमराज से किये हैं|बल्कि वर्तमान रोम की अजाद जनता भी यदि प्राचिन रोमराज का विरोधी हैं,तो वे भी निश्चित तौर पर मनुस्मृती के नियम कानून को गुलाम करने वाला नियम कानून ही मानेंगे|मनुस्मृती में सबसे बड़ी खराबी तो यह है कि संवर्णो ने खुदको छोड़कर बाकि सभी इंसानो को नीच अथवा शुद्र जाती का घोषित करके रखा हुआ है|जो घोषना यदि सचमुच में पुरे धरती पर लागू हो जाती या हो जाय तो पुरे विश्व की मानवता को गुलामी के जंजिरो में जकड़ने के लिए काफी है|जिस तरह की छुवा छुत नियम कानून रचना करके दरसल बहुत पहले ही ये बतला दिया गया है कि मनुस्मृती की रचना पुरे धरती में शोषन राज करने के लिए ही की गई थी|क्योंकि असल में संवर्ण आजतक किसी भी देश में खुदको वहाँ का मूलवासी घोषित करके सुख शांती और समृद्धी कायम नही कर पाये हैं|इसलिए उनकी मांसिकता ऐसी हुई होगी कि उसके उच्च काबलियत के अलावे बाकि सब नीच अथवा शुद्र हैं|क्योंकि नीच कहे जाने वाले नीचे धरती का मूलवासी हैं,और उच्च कहे जाने वाले संवर्ण उपर आसमान का मूलवासी हैं|इसलिए वेद पुराण अनुसार देव उपर से निचे धरती पर किसी एलियन कि तरह उतरते हैं,जिसे संवर्ण अपना मुल पुर्वज मानते हैं|जिसके चलते बार बार उनके द्वारा दोहराया जाता है कि वे देव के वंसज हैं|भारत में भी संवर्ण बाहर से आकर इस देश के मूलवासियो के साथ छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव किये ऐसी इतिहास भरे पड़े हैं|जो कि गोरो के द्वारा देश गुलाम करने से बहुत पहले से ही छुवा छुत जैसे गुलामी देते आ रहे हैं|और चूँकि संवर्णो की डीएनए मदर इंडिया की डीएनए से नही मिलती है,जिसके चलते इस कृषी प्रधान देश में विज्ञान प्रमाणित भी हो चुका है कि संवर्ण बाहर से आकर अपनी छुवा छुत नियम कानून मनुस्मृती रचना करके छुवा छुत की सुरुवात किये हैं|जिसके बाद इस देश के मूलवासियो को जोर जबरजस्ती छुवा छुत थोपते आ रहे हैं|न कि छुवा छुत इस देश के मूलवासी खुद अपने साथ ही करते आ रहे हैं|जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है कि छुवा छुत करने वालो और छुवा छुत का शिकार होने वाले लोगो कि डीएनए अलग अलग है|जिस बात को पुरी तरह से गंभिरता पुर्वक लेकर इस देश में ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक जिनके लिए भी ताड़न शब्द डालकर रचा गया है,वे चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो,उनको निश्चित तौर पर संवर्णो के द्वारा उच्च जाति के बराबर नही माना गया है|इसलिए जाहिर है संवर्ण ही इस देश में अपने भारी भेदभाव का आविष्कार करके छुवा छुत प्रवेश कराने वाले उच्च लोग हैं|जिनके भारी भेदभाव के खिलाफ जिन्हे नीच कहा गया है मनुस्मृती में वे सभी यदि एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को वापस पाने के लिए सवर्णो की उच्च दबदबा को खत्म करना सुरु कर दे तो फिर संवर्णो के लिए खुदको जन्म से उच्च जाति का श्रेष्ट मानव बतलाकर पुरे देश में छुवा छुत राज करना तो दुर एक पंचायत में भी बिना इस देश के मूलवासियो की वोट मर्जी के राज नही कर पायेंगे!और वैसे तो अब भी संवर्ण इस देश के किसी ग्राम पंचायत और शहरी वार्ड में भी खुदको इस देश के मूलवासी उम्मिदवार कभी नही साबित कर पायेंगे|साबित कर पाते तो आजतक वे कबका छुवा छुत और भारी भेदभाव करना भी छोड़ दिये होते!जो कभि पुरी तरह से छोड़ेंगे ही नही बल्कि सिर्फ ये ढोंग पाखंड करते रहेंगे कि अब संवर्णो ने छुवा छुत करना छोड़ दिया है,और खुद भी शोषित पिड़ितो का अच्छा सेवक बन गया है|जिसके चलते अक्सर वोट के लिए शोषित पिड़ितो को ये ठगकर वोट बटोरते रहते हैं कि आजकल के संवर्ण इस देश के शोषित पिड़ित लोगो की जिवन स्तर में सुधार के लिए सबसे अधिक भले के कामो में लगे हुए हैं|इसलिए शोषित पिड़ित उनके पार्टियो में शामिल होवे और उन्हे ही वोट करें|जो कितने भले के कामो में लगे हुए हैं ये तो इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्णो का दबदबा कायम होकर कितना भला और विकाश का काम हुआ है ये तो अजादी के समय जितनी अबादी थी उतनी अबादी अभी बीपीएल भारत जो बस गई है,जिसके बारे में जानकर पता चल जाता है|जिस बीपीएल भारत में निश्चित तौर पर शोषित पिड़ितो की अबादी ही ज्यादेतर होंगे,सिवाय गिने चुने प्रतिशत में संवर्ण गरिब बीपीएल होंगे|जिन गरिब बीपीएल संवर्णो का भी यदि डीएनए जाँच कराया जाय तो मुझे यकिन है उनमे भी ज्यादेतर शोषित पिड़ित डीएनए के ही लोग निकलेंगे जो गलती से खुदको संवर्णो की टोली में शामिल करके उच्च कहलवाकर वे भी गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे हैं|जिस भारी भेदभाव का वर्तमान में प्रमुख कारन मैं इस देश के शोषित पिड़ितो द्वारा संवर्णो की झांसे में आकर उनकी दबदबा कायम रखने में भाजपा कांग्रेस को सबसे अधिक वोट करना मानता हुँ|जैसे कि अभी महाभियोग प्रस्ताव के बाद उसे खारिज करके दरसल भाजपा कांग्रेस सिर्फ दोनो ही खुदको जनता के सामने प्रमुखता से मैदान में दर्शाने के बाद समोहित होकर जनता सिर्फ कांग्रेस भाजपा में से हि किसी एक को चुने ऐसी भितर भितर मिली भगत है|सिर्फ किसी बड़ी मुद्दे को लाकर विवाद खड़ा करना इन दोनो पार्टियो का मिली भगत है|जिसका कोई खास हल नही निकलने वाली है सिर्फ कुड़ा कचड़ा कि तरह बड़े बड़े मुद्दो का अंबार लगते रहने वाली है|जैसे कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार का अंबार लगा हुआ है,जिसका कोई खास फैशला इन दोनो ही पार्टियो की दबदबा के केन्द्र सरकार में रहते हुए नही होने वाला है|क्योंकि मेरा ये भी मानना है की भाजपा कांग्रेस एक ही सिक्के के दो अलग अलग पहलू के रुप में दरसल संवर्णो की उच्च दबदबा वाली एक ही विचार बिना गरिबी भुखमरी और छुवा छुत दुर किये ही आधुनिक भारत,साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया सोच की पार्टी है|जिस सोच की पार्टी में शोषित पिड़ित सिर्फ ज्यादेतर तो संवर्णो के निचे रहकर उनका सिर्फ आदेश पालन करते रहते हैं|इसलिए यदि इस देश के मूलवासी एकजुट होकर संवर्णो की छुवा छुत शोषन से पुर्ण अजादी पाने के लिए संवर्णो की भाजपा कांग्रेस जो कि दोनो ही एक दुसरे के पुरक हैं,जिनकी सत्ता का भेदभाव सेवा लेना बहिष्कार कर दे उनको एक भी वोट न देकर तो ही इस देश के शोषित पिड़ित लोगो कि जिवन में सबसे तेज गति से सुधार हो सकता है,अन्यथा इसी तरह ही सिर्फ विवाद खड़ा करके उसका कोई खास हल निकाले बिना जनता को भ्रमित करके कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस सरकार अदला बदली करके भारी भेदभाव सेवा का आलम चारो तरफ मौजुद रहेगी|अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी भष्म मनुस्मृती का भुत संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने कि जिम्मेवारी लेने वाला न्यायालय में भी किस तरह से मंडरा रहा है इसकी झांकी पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा का एक रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में जानकर पता चल जाता है|जिसमे हाई कोर्ट के कुल 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
जाहिर है इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी जिनके लिए एक श्लोक में "ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी कहा गया है,वे चाहे जिस धर्म में इस समय मौजुद हो,उन्होने और उनके पुर्वजो ने जिस तरह के शोषन अत्याचार सहकर जितने लंबे समय से छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव झेलते आ रहे हैं,उतना समय दुनियाँ के किसी भी देश के मूलवासी अपने देश में संवर्णो को ये कहकर छुवा छुत राज करने नही देंगे,और न ही कोई देश ये स्वीकार करेंगा कि संवर्ण वहाँ के पुजा स्थलो में जन्म से उच्च जाती का मनुस्मृती मान्यता आरक्षण प्राप्त करने वाले विशेष प्रकार के प्राणी हैं|रही बात इस कृषी प्रधान देश अखंड हिन्दुस्तान कि तो इस देश के सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,जिनके पुर्वजो को ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी कहकर लंबे समय तक ताड़ा जाता रहा है,जो कि आज भी खुद मनुस्मृती रचना करके खुदको ताड़ने के बजाय अजाद भारत का संविधान रचना करने वालो को आजतक भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रो में भारी भेदभाव करके ताड़ा जा रहा है|जिसे पुरी तरह से गंभिरता से लेते हुए यदि इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी एकजुट होकर संवर्णो का सेवा बहिष्कार कर दे संवर्ण भी गोरो की तरह गुलाम करके भारी भेदभाव सेवा करने वाले विदेशी हैं कहकर आवाज बुलंद करके,खासकर संवर्णो की ताड़न से भी अब हमे अजादी चाहिए एकजुट मन बनाकर,तो फिर संवर्ण उसके बाद इस देश में क्या मंदिर प्रवेश वर्जित करेंगे,बल्कि इस देश के शोषित पिड़ित मुलवासी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो छुवा छुत करने वालो को ही इस देश के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम करना वर्जित कर देंगे|जिसके लिए ज्यादे नही सिर्फ सुरुवात में सबको एकजुट होने का मन बनाना होगा|जो कि फिलहाल कुछ तो एकजुट हैं पर बाकि या तो बंटे हुए हैं,या फिर मेरे साथ तो बहुत अच्छे बर्ताव होकर बेहत्तर जिवन कट रहा है कहकर संवर्णो का साथ देकर भारी भेदभाव शोषन अत्याचार की आँधी के बारे में जानते और सबकुछ देखते हुए भी शुतुरमुर्ग की तरह अपना गर्दन छिपाये हुए हैं|और संवर्ण लोकतंत्र के चारो स्तंभो में भारी भेदभाव करके इस देश के मुलवासियो के साथ आर्थिक समाजिक राजनैतिक समेत तमाम क्षेत्रो में भारी शोषन अत्याचार करने में लगे हुए हैं|जिससे पुर्ण अजादी चाहिए मन में ठानकर यदि इस देश के सभी शोषित पिड़ित सबसे बड़ी अदालत से भी बड़ी एकता की अदालत में अवाज बुलंद करे,तो फिर एक करवट में संवर्णो की भारी भेदभाव आँधी चले या फिर सुनामी आए,कुछ नही उखाड़ सकती|बल्कि संवर्ण दबदबा ही उखाड़कर फैंक दी जायेगी|क्योंकि वैसे भी संवर्ण खुद ही यदि आसमान से किसी एलियन की तरह धरती पर उतरने वाले देव को ही अपना असली पुर्वज मानते हैं,और उसके आधार पर ही छुवा छुत करते हैं कि वे तो अपने आगे आरती उतरवाने वाले देवो के वंसज हैं,फिर वे शुद्रो के साथ इस शुद्रो की धरती में क्या करने के लिए प्रवेश किए हैं?और साथ साथ जिन देवो का पुजा जिन मंदिरो में होता है,वहाँ पर यदि मनुस्मृती अनुसार शुद्र का प्रवेश मना है,तो फिर शुद्रो की धरती में रहना और एक भी शुद्र नेतृत्व में रहना भी तो मना मनुस्मृती में नियम कानून है|और सभी मंदिरो को शुद्र ही तो अपने श्रम और खुन पसिने से बनाये हैं|जिसके बारे में बाकि भी बड़े बड़े निर्माण कार्यो के बारे में पता किया जा सकता है कि जो मजदूर और हुनरमंद मिस्त्री वगैरा पसिना बहाने वाला कामो में दिनभर लगे रहते हैं,उनमे कितने संवर्ण होते हैं?जाहिर है जिन्हे आज भी कई मंदिरो में प्रवेश वर्जित है,उनकी भागिदारी होकर हि मंदिर निर्माण में सबसे अधिक श्रम करने का योगदान है|जिनसे मंदिर निर्माण कराकर बाद में मंदिर प्रवेश वर्जित बोर्ड लगाकर ये ढोंग पाखंड क्यों किया जाता है कि शुद्र को मंदिर प्रवेश नही करना चाहिए!वह भी आज सिर्फ गिने चुने मंदिरो में ही संवर्ण ही मंदिर का पुजारी बने और प्रवेश करें इस तरह का भेदभाव में भी भेदभाव करना क्यों जारी हैं?क्योंकि यदि बाकि सब सिर्फ देव का देव दास दासी बनकर सेवा करने के लिए ही पैदा हुए हैं,तो फिर कुछ मंदिरो में शुद्रो का प्रवेश वर्जित करके छुवा छुत में भी भेदभाव क्यों हो रहा है?आज भी सबके साथ भेदभाव होता रहता,बाकियो से भेदभाव करने में क्यों संकोच लगता है?जिनके लिए आज भी गिने चुने मंदिरो में चोर लुटेरो कि तरह छुपते छिपाते ये बोर्ड लगा दिया जाता है कि मंदिर में शुद्रो का प्रवेश करना मना है,और बाकि मंदिरो में प्रवेश करना मना नही है|यानी छुवा छुत करने में भी भेदभाव हो रहा है|जिसके चलते ही बहुत से शोषित पिड़ितो को ये गलतफेमी हो जाती है कि अब संवर्णो द्वारा इस देश में भेदभाव करना बंद हो गया है|और वे जहाँ पर उच्च नीच करके किसी का भी रोक बोर्ड नही लगा रहता है मंदिरो में,वहाँ पुजा करने जाकर किसी छुवा छुत की भेदभाव आँधी में शुतुरमुर्ग की तरह अपना गर्दन छिपाकर ये बतलाते फिरते हैं कि इस देश में भेदभाव समाप्त हो गया है|जिनके साथ यदि वाकई में शुद्रो का प्रवेश वर्जित बोर्ड लगा मंदिरो में भी पुजा करने जाने पर एक भी भेदभाव नही होता या नही हो रहा है,तो फिर सायद इसलिए नही हो रहा है,क्योंकि वे सुट बुट पहनकर छुवा छुत करने वालो की तारिफदारी करके उनको खास तरह का फायदा पहुँचाने में लगे होते हैं,या फिर रोजमरा जिवन में सारी सुख सुविधा पाकर उन्हे बहुत बड़ी गलतफेमी हो जाती है कि उनके साथ भेदभाव नही हो रहा है|जिस तरह के गलतफेमी का शिकार हुए लोगो के द्वारा भेदभाव करने वालो को आत्मविश्वास बड़ाने में खास फायदा होता है|जिसकी वजह से ही तो आजतक भी छुवा छुत करने वालो की हौसला बुलंद है,और आज भी मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी भष्म मनुस्मृती का भुत इस कृषी प्रधान देश में मंडरा रहा है|जबकि बहुत से इतिहासकारो द्वारा जिनमे पंडित नेहरु जैसे कई संवर्ण भी मौजुद हैं,उनके अनुसार भी संवर्ण इस देश में कहीं बाहर से प्रवेश करके बसे हैं|जो संवर्ण इस देश के मुलवासियो को आज भी उनके अपने ही भूमि के कई मंदिरो में प्रवेश करने नही देते हैं|जैसे कि कभी खुद इस देश में प्रवेश करने वाले गोरे,इसी देश कि भुमि पर कब्जा करके गेट में ये बोर्ड लगाते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियन का प्रवेश मना है|जो कि खुद हाथ फैलाकर ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जगह मांगकर बाद में मौका पाकर लुट इंडिया कंपनी बनाकर दो सौ सालो से भी अधिक समय तक देश को गुलाम बनाकर वायु,जल और स्थलल तीनो ही मार्गो से दुसरे का धन को अपना विकाश करने के लिए हर रोज लुटते रहे!जिन अंग्रेजो से अजादी मिलने के बाद अब एकलव्यो का हक अधिकार अँगुठा काटकर संवर्ण कबतक भारी भेदभाव करते रहेंगे ये तो भविष्य ही बतलायेगा|जिसकी भविष्यवाणी एग्जिट पोल कि तरह सटिक नही बतलाया और दिखलाया जा सकता है!बस ये जरुर बतलाया जा सकता है कि जबतक इस देश के शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,वे सभी एकजुट होकर अपनी दबदबा की भारी बहुमत और नेतृत्व की सरकार इस देश में नही बनायेंगे तबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्ण दबदबा एग्जिटपोल बड़त बरकरार रहेगी|जिससे इस देश के शोषित पिड़ितो कि बुरे हालात में सुधार साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया में सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर वैसा ही भेदभाव विकाश होता रहेगा जैसे कि कांग्रेस सरकार के समय भी आधुनिक भारत गरिबी हटाओ कहकर भारी भेदभाव होता रहा है|ये दोनो ही संवर्ण दबदबा वाली पार्टी भितर से गले मिलकर छल कपट करके अदला बदली करके संवर्ण दबदबा वाली सरकार बनाते रहेंगे|खासकर तबतक जबतक कि शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो सभी एकजुट होकर कांग्रेस और भाजपा दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से नही हरायेंगे|जिन्हे हराने के लिए जरुरी है कि मीडिया या फिर बाकि भी जगह में कांग्रेस भाजपा जो खुदको प्रमुख पक्ष विपक्ष  बतलाकर लड़ते रहते हैं,उसे सिरियश अथवा गंभिर न लेकर शोषित पिड़ित इस बात के लिए हमेशा गंभिर रहे कि ये दोनो संवर्ण दबदबा वाली पार्टी सिर्फ जान बुझकर आपस में प्रमुख पक्ष विपक्ष के रुप में गुत्थम गुत्था इसलिए होती है,क्योंकि इन दोनो को पता है कि दोनो में हार जीत की लड़ाई के बाद चाहे दोनो में जिसकी भी सरकार रहेगी तबतक संवर्णो को कोई खास ऐसा नुकसान नही होने वाला है जिससे कि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जो संवर्णो की दबदबा है,उसकी बड़त में अचानक से गिरावट आना सुरु हो जायेगा|क्योंकि आपस में गुत्थम गुत्था होकर कांग्रेस भाजपा में चाहे जिसकी भी सरकार बनती है,सबसे अधिक लाभ संवर्णो को ही हो रहा है|जिस गुत्थम गुत्था में कुछ तो शोषित पिड़ित भी खुदको शामिल करके बहुत बड़ा संघर्ष कर रहे हैं ऐसी गलतफेमी का शिकार होकर शोसल मीडिया में भी पुरी आत्मविश्वास के साथ किसी धारावाहिक एपिसोड की तरह हर रोज कांग्रेस भाजपा का समर्थन करते हुए आपस में लड़ते रहते हैं!जो थक हारकर कभी कांग्रेस में तो कभी भाजपा में शामिल होकर भाजपा सरकार या फिर कांग्रेस सरकार चुनने के लिए कुद पड़ते हैं|उसके बाद फिर से वही पुरानी भाजपा या फिर कांग्रेस का तारिफदारी करने का दौर अपडेट हो जाता है|जिस तरह कि अदला बदली करके कांग्रेस भाजपा सरकार बनते रहने तक शोषित पिड़ितो के बुरे दिन और सबसे अधिक गरिबी भुखमरी के साथ साथ भारी भेदभाव कि आँधी भी चलती रहेगी|और उस आँधी में अपना सर शुतुरमुर्ग की तरह छिपाकर भाजपा कांग्रेस सरकार अदला बदली करके चुनी जाती रहेगी|

रविवार, 22 अप्रैल 2018

सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के प्रति पहलीबार महाभियोग

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के खिलाफ महाभियोग के बारे में ये कहा जा रहा है कि ये फैशला हताशा में लिया जा रहा है!और ये भी कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के बाद और अब क्या बचेगा देश में?जो सवाल करने वालो को ये अच्छी तरह से पता होनी चाहिए कि इस देश में सुप्रीम कोर्ट से भी उपर अजाद भारत का संविधान है|बल्कि न्यायालय को तो अंग्रेजो ने बनाया है,पर उससे पहले हजारो साल पहले से ही इस कृषी प्रधान देश में गणतंत्र ग्राम पंचायत मौजुद है,जो कि अब भी मौजुद है,पंचायत राज समाप्त नही हो गया है|बल्कि जब पंचायत का फैशला इस देश में सबसे अधिक मान्य थी उस समय ही इस देश को सोने कि चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने का गौरव प्राप्त हुआ है,न कि वर्तमान की न्याय व्यवस्था की वजह से ये देश सोने कि चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाया है|जिस सोने कि चिड़ियाँ और विश्वगुरु का गौरव प्राप्त करने के लिए ही तो गोरो से अजादी के इतने सालो बाद सही न्याय हासिल करने के लिये पहलीबार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्याधीश के खिलाफ महाभियोग का फैशला लिया गया है|ताकि सही फैशला सुनाने वालो की मौजुदगी उस न्यायालय में मौजुद हो जिसे अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसका ठीक से पालन कराने  कि जिम्मेवारी दी गई है|जिस कुर्सी पर सबसे अधिक विश्वशनीय लोगो को बैठाने के लिए इस तरह कि महाभियोग लाने कि जरुरत मेरे ख्याल से तबतक जरुर पड़ते रहनी चाहिए,जबतक कि जजो के खिलाफ शिकायत आना बंद न हो जाय जो कि कभी बंद भी नही होनेवाली है,क्योंकि जज का फैशला किसी चमत्कारी इंसान का चमत्कारी फैशला नही होता है,बल्कि एक इंसान ही जज की कुर्सी में बैठकर फैशला सुनाता है|जिनको भी इस बात का जरुर यहसाश होना चाहिए कि वे भी जज से पहले इस देश के नागरिक हैं न कि जज कोई खास तरह के चमत्कारी इंसान हैं,जिसे संविधान कि रक्षा के लिए तैनात किया गया है|क्योंकि जज और सारे जजो के प्रमुख से भी गलती हो सकती है|सिर्फ जज की कुर्सी पर बैठकर कोई न्याय का पर्यावाची नही हो जाता है|क्योंकि न्यायालय पर बैठने वाले जज यदि न्याय की कुर्सी पर बैठते ही न्याय का पर्यावाची बनते तो फिर तो अंग्रेज कभी भी न्यायालय का जज बनकर कई देशो को गुलाम करने का फैशला नही सुनाते|क्योंकि वे भी तो न्याय करने के लिए ही तो जज बनते थे,जिसके चलते गाँधी जैसे और भी कई वकिल इत्यादि इसी देश के भी लोग अंग्रेज जजो की न्याय पर भी भरोषा करके न्याय फैशला सुनने के लिए कोर्ट आते जाते थे|बल्कि आज भी भरोषा करके अंग्रेज समय के हजारो कानून देश में लागू है|इसका मतलब ये नही कि उन अंग्रेजो के खिलाफ तब कोई विरोध में आवाज नही उठती थी!और वैसे भी तो अंग्रेजो से अजाद देश में सिर्फ न्यायपालिका सवैधानिक संस्था नही है,बल्कि कार्यपालिका भी है|जहाँ पर यदि उच्च पदो में बैठे लोगो पर बड़े बड़े आरोप लगाये जा सकते हैं,तो फिर न्यायालय पर बैठे लोगो पर क्यों नही लगानी चाहिए?आखिर में दोनो जगहो के उच्च पदो पर बैठने वालो को वही नागरिकता और वही वोट देने का अधिकार प्राप्त है,जो कि संविधान में बाकि नागरिको को भी प्राप्त है|जिस नागरिक और देश को बेहत्तर न्याय दिलाने के लिए यदि महाभियोग लाई जा रही है सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख के खिलाफ तो फिर इसमे हर्ज क्या है?बल्कि यदि ये गलत है तो फिर तो मेरी राय में न्यायालय को ही समाप्त करके पंचायत को अपडेट करनी चाहिए|और अजाद भारत का संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने कि जिम्मेवारी ग्राम पंचायत और शहरी वार्डो को अपडेट करके सौंप देनी चाहिए|जो पंचायत भी यदि गलती करे तो उसके खिलाफ भी महाभियोग संसद बल्कि विधान सभाओ में भी लाने की प्रक्रिया संविधान में संशोधित करनी चाहिए|मुझे पुरा विश्वास है कि अपडेट ग्राम पंचायत और शहरी वार्ड का फैशला किसी न्यायालय का फैशला से ज्यादे बेहत्तर और कम खर्चिली व जल्दी भी होगी|बल्कि निर्दोश नागरिको को  कम तकलिफ देय भी केश लड़ना होगी|जबकि अभी ज्यादेतर निर्दोश लोग भी कोर्ट कचहरी के नाम से ऐसे डरे सहमे रहते हैं,जैसे वे न्याय सुनवाई के लिए नही सजा सुनवाई के लिए जा रहे हैं!जिसका ताजा उदाहरन यदि वर्तमान में जिसके खिलाफ महाभियोग लाने जाने की तैयारी चल रही है,उसके समर्थन में सामने आने वाले कुछ लोग ऐसे बौखलाये हुए हैं,जैसे उनके खिलाफ अब बहुत बड़ी सजा की सुनवाई होने वाली है|पर उल्टे हताशा में महाभियोग लाया जा रहा है कहकर यैसे सीना तानकर तर्क दे रहे हैं,जैसे वे कभी हतास हुए ही न हो!जो खुद अपने लिये गए कई राजनैतिक फैशले से सायद डरे सहमे हैं|जिसके चलते मेरे ख्याल सेे वे किसी भी हालत में महाभियोग को गलत साबित करने कि कोशिष करते रहेंगे,क्योंकि उनके पास बचने का इससे उपर और कोई उपाय नही बचा है|जिससे उपर संविधान है,जिसे नष्ट करने की भष्म मनुस्मृती का भुत वर्तमान की सरकार पर हावी है,ऐसी भी बाते की जा रही है|लेकिन भी वर्तमान की भाजपा सरकार अहंकार में चूर होकर दुसरो को हताशा की परिभाषा बतला रही हैं|जो डीजिटल इंडिया की सरकार साईनिंग इंडिया की हताशा भुल गए है क्या?जिसे यदि सचमुच में भुलकर हताशा वाली तर्क दे रहे हैं तो डीजिटल इंडिया की अति आत्मविश्वास एकबार फिर से भाजपा की टाईटनिक को निश्चित रुप से ले डुबेगी इसकी संकेत वैसे तो बहुत पहले ही आने लगे हैं,पर चार साल भाजपा सरकार के पुरा होने को है उस समय कुछ ज्यादे ही खदुको ही डुबाने वाली झटके लग रहे हैं|क्योंकि महाभियोग यदि लाई गई और उसके बाद गलती साबित भी हो गई तो बाद में जनता सिधे भाजपा कि टाईटेनिक को डुबोने वाली है|जो बात लिखकर मैं कोई कांग्रेस का समर्थन नही कर रहा हुँ,बल्कि महाभियोग लाने का समर्थन कर रहा हुँ|कांग्रेस भाजपा को तो मैं एक दुसरे का पूरक पार्टी मानता हुँ|इसके आगे मैं क्या लिखू कि मैं भाजपा और कांग्रेस दोनो को ही समर्थन करता हुँ कि नही करता हुँ?बल्कि मुझे तो अफसोस इस बात कि है कि ये महाभियोग फहल कांग्रेस छोड़कर कोई दुसरी पार्टी क्यों नही कि?सायद वे सभी आजतक प्रमुख विपक्ष पार्टी भी नही बन पाई है,इसलिए उनके पास ऐसी महाभियोग लाने का नेतृत्व करने का मौका हि नही मिल सका है,बल्कि किसी सरकार के खिलाफ प्रमुख विपक्ष पार्टी बनने का भी अवसर नही मिला है|जो जल्द ही मिलना चाहिए यदि संविधान में सभी को अवसर देने की बातो को बार बार भाजपा कांग्रेस की सरकार अदला बदली करके चुनने वाली जनता को सिरियश लेकर इन दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से मौका देकर अब किसी तीसरी पार्टी को भारी बहुमत से सरकार बनाने का अवसर 2019 की लोकसभा चुनाव में जनता देगी!जिससे पहले महाभियोग लाने के बाद गलती साबित भी हो और सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख अबतक का सबसे बेहत्तर प्रमुख कोई ऐसा बने जो कि मानो भाजपा के सारे बड़े बड़े अपराधो जिसका कि सिर्फ अबतक आरोप ही साबित हो रही है,भले ही क्यों न उससे कम और छोटे आरोपो में बाकि दुसरे पार्टी के लोग जेल भी जा रहे हैं,और सीबीआई और कोर्ट के फैशले के जरिये भी बार बार ज्यादे परेशान किये जा रहे हैं,जिनके खिलाफ भेदभाव का कारवाई और न्याय सुनवाई फैशला साबित न लगे इसके लिए ये बहुत जरुरी हो गया है कि भाजपा सरकार के सारे बड़े बड़े गुनाहो जिसका सिर्फ अभी तक आरोप ही लगते जा रहे हैं,उसे सच साबित करके ऐतिहासिक फैशला सुनाने वाले पावरफुल जज और सारे जजो का प्रमुख भी जल्द ही 2019 का चुनाव से पहले ही न्यायालय पर काबिज हो ऐसी दुवा मैं भगवान से भी करता हुँ|क्योंकि मुझे सौ प्रतिशत विश्वाश है कि बड़े बड़े अपराध का जो आरोप भाजपा सरकार पर लगे हैं,जिसमे कि अपने पावर का गलत इस्तेमाल करके EVM(वोटिंग अथवा मतदान मशिन) यंत्र के साथ छेड़छाड़ कराकर लोकतंत्र की हत्या कराने कि साजिश जैसे गंभिर आरोप भी हैं,बल्कि इससे पहले कि कांग्रेस सरकार पर भी इस तरह के बड़े बड़े गंभिर आरोप लगे हैं,जिसका कि कांग्रेस भाजपा में भ्रष्टाचार गुगल सर्च मारने पर इन दोनो ही पार्टियो का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी के रुप में सबसे बड़े बड़े भ्रष्ट लिस्टो का अंबार भरे पड़े मिल जाते हैं,उनमे बहुत सारे आरोप अथवा सचमुच में बड़े बड़े अपराध भाजपा कांग्रेस सरकार के द्वारा जरुर किये गए हैं,ऐसा मुझे सौ प्रतिशत यकिन है|यू ही कांग्रेस भाजपा दोनो ही सरकार के खिलाफ लाखो करोड़ो जनता इनके शासन काल में सड़को पर नही उतरते रही है!जो यू ही सिर्फ शौक से सड़को पर नही उतरती रही है!जिसके बारे में भी गुगल सर्च करने में जानकारी भरे पड़े हैं|भले क्यों न मेरे पोस्ट के बारे में बार बार गुगल सर्च करने पर भी सामने न आता हो,या सायद जनता को मेरा पोस्ट किसी तकनिकि कारन से सर्च करने के बावजुद भी सामने न मिलता हो,जिसके चलते ही इतने ज्यादे पोस्ट डालने के बावजुद भी न के बराबर ही मेरा पोस्ट पढ़ने वाले अबतक न आ पा रहे हैं|जो तकनिकि सुधार गुगल मेहरबानी करके खुद क्यों नही कर देता है?या फिर ऐसी तकनिक अपने तकनिक में क्यों नही शामिल कर पा रहा है,जिससे की इस तरह कि तकनिकि खराबी का सामना किसी भी पोस्ट लिखने वाले के साथ दुबारा न हो!जिसके चलते मैं अपना पोस्ट आजतक ऑनलाईन हजार लोगो को भी पढ़ाना तो दुर सायद सब पोस्ट का  हेडलाई भी दिखाने में कामयाब नही हो पाया हुँ|जबकि इसी पोस्ट को यदि ऑफलाईन किसी फ्री का किताब प्रकाशित करके पढ़ाना चाहुँ तो सायद लाखो लोग इसे जरुर पढ़ लेंगे|जिसके बारे में भी मैं विचार कर रहा हुँ कि अब मैं ज्यादेतर पोस्ट लिखने के बजाय फ्री का ऑनलाईन किताब ही लिखना सुरु कर दुँ|हाँ थोड़ा बहुत बिच बिच में उम्मिदो का दिया चूँकि हजार विजिटर भी प्रवेश क्यों नही कर पा रहे हैं इसके प्रति विश्वाश और आशा बिल्कुल से नही बुझी है,इसलिए अबतक सायद पुरे का पुरा एक मोटा किताब बन जाय इतना पोस्ट लिखने के बावजुद भी अबतक एक हजार विजिट भी नही किए हैं,लेकिन भी बिच बिच में एक दो पोस्ट जरुर डालता रहुँगा|क्या पता कहीं पर बाँध कि तरह मेरा इस ज्ञान को बंटने से किसी ने रोक रखा है,जो एकदिन अचानक से फुटकर लाखो करोड़ो लोगो में ऑनलाईन बंटने लगे|तबतक जितने लोग भी सायद गलती से मेरा पोस्ट तक ऑनलाईन पहुँच पा रहे होंगे,जिनमे से जिन्हे भी मेरा पोस्ट में जरा सी भी बाते अच्छी लगी हो तो कृपया करके इसे अपने करिबियो को बांटना न भुलें|क्योंकि भले मेरा पोस्ट गुगल सर्च में ठीक से नही आ पा रहा हो,पर पढ़ने वाले तो इसका सिधा लिंक को ही ज्यादे से ज्यादे लोगो को जरुर बांट सकते हैं,खासकर यदि उनके मन में इसे बांटने का विचार हो,जिसे मैं और कोई भी दुसरा व्यक्ती अपने मन से हैंडिल नही कर सकता है|क्योंकि विजिटर अपना मन का मालिक हैं,जिनके उपर निर्भर करता है कि वे किसे पसंद करके पढ़े और किसे उसे पढ़ायें भी?जैसे कि लोकसभा चुनाव के समय सभी वोटरो के मन पर निर्भर करता है कि वे किसे चुने और किसे न चुने?जैसा कि मेरा मन भाजपा कांग्रेस दोनो को ही 2019 में हराकर इन दोनो ही पार्टि को अब विपक्ष में बैठना चाहिए यैसा मन भाजपा कांग्रेस दोनो का ही भ्रष्ट रुप अपनी जिवन में देखकर बार बार के चुनाव में करता है!पर अफशोष आजतक भी मेरा मन का चयन से मेरी पसंद की सरकार नही बन पाई है,हलांकि मैं भी तो नागरिक हुँ,बल्कि मेरे जैसे करोड़ो नागरिक होंगे जो कि भाजपा कांग्रेस के बजाय किसी तीसरी पार्टी की भारी बहुमत की सरकार बनने का मन बनाकर बार बार अपने मन मुताबिक सरकार बनने कि उम्मीद करके वोट करने जाते होंगे!पर चुनाव परिणाम के दिन भाजपा या फिर कांग्रेस कि ही सरकार बनने कि रिजल्ट सुनते होंगे!जिन सभी लोगो का दुःख को मैं सबसे बेहत्तर तरिके से प्रयोगिक तौर पर समझ सकता हुँ|जिस दुःख को भाजपा कांग्रेस कि अदला बदली सरकार चुनने वाले क्या जाने!इसलिए कम से कम ऐसे लोगो तक भी तो मेरा पोस्ट जरुर पहुँच सके जो कि भाजपा कांग्रेस दोनो को ही 2019 का लोकसभा चुनाव में हारते हुए देखने की मन बना लिये हैं,इसकी भी उम्मीद जरुर कर रहा हुँ!"धन्यवाद"!

दुनियाँ में पुरी तरह से आत्मनिर्भर कौन लोग हैं

क्या पुरुष प्रधान समाज और क्या नारी प्रधान समाज,
मेरे ख्याल से इंसानो के द्वारा रचि गई विकाश प्रक्रिया
में नर नारी की शारिरिक प्राकृतिक बनावट को देखते हुए प्रमुख रुप से मुलता दो प्रमुख दायरे में पुरुष प्रधान काम और महिला प्रधान काम के रुप में बांटा गया हैं|इसका मतलब ये नही कि महिला का किचन का काम पुरुष नही कर सकता है और पुरुष का पैर रिक्सा चलाने वाला काम महिला नही कर सकती है|बल्कि दोनो ही एक दुसरे का काम को अच्छी तरह से कर भी सकते हैं लेकिन उतने ज्यादे संख्या में नही कर सकते जितना कि जिसे पुरुष प्रधान और महिला प्रधान के रुप में एक दुसरे से ज्यादे अधिक किया जाता है!जैसे कि एक को घर परिवार से बाहर का काम मुख्य रुप से सम्हालने कि जिम्मेवारी सौंपी गई है,और दुसरे को घर परिवार के अंदर का काम सम्हालने कि जिम्मेवारी सौंपी गई है!जिसमे दोनो ही एक दुसरे का पुरक काम कर रहे हैं|और दोनो ही अपने अपने जगह बहुत मेहनत और हुनरमंद का काम कर रहे है|इसलिए दोनो को ही एक दुसरे से कम नही समझना चाहिए!जिसे करने के लिए किस तरह कि हुनर में दोनो ही अपने अपने जगह पर माहिर हैं,उसके बारे में पता चाहे तो नर बाहर का काम को छोड़कर कुछ समय घर का काम सम्हालकर प्रयोगिक तौर पर पता कर सकता है कि वह घरेलू नारी पर कितना निर्भर है?और कोई घरेलू नारी घर का काम को छोड़कर बाहर का काम को कुछ समय तक करे तो उसे प्रयोगिक रुप से पता चल जाता है कि वह नर पर कितना निर्भर है?रही बात नर ने नारी को जन्म दिया है कि नारी ने नर को जन्म दिया है?ये तो बिना नर नारी के वीर्य अंडाणु के यदि सिर्फ नर या नारी ने किसी को जन्म दिया है कि नही ये पता करके जाना जा सकता है कि किसे किसने जन्म देने में भागीदारी निभाया है?मेरे ख्याल से सबको समझ में आ गया होगा कि नर नारी दोनो ही एक दुसरे को जन्म देने और जिवन जिने में भी निर्भर हैं|मैं ये सब बाते इतनी आत्मविश्वास के साथ इसलिए भी लिख रहा हुँ,क्योंकि मैने नर नारी दोनो ही का प्रधान माने जाने वाले काम अथवा घर बाहर दोनो ही कामो को प्रयोगिक रुप से करके नर नारी दोनो में किसकी भागीदारी रोजमरा के जिवन में सबसे अधिक होती है,इसकी सच्चाई को अच्छी तरह से महसुश कर सकता हुँ कि दोनो ही दरसल रोजमरा जिवन के कामो में एक दुसरे का पुरक हैं|घर और बाहर दोनो ही काम को एक साथ करना न तो कोई आम नारी कर सकती है,और न ही आम पुरुष कर सकता है!जिसे करने के लिए किसी खास हुनर वाला ऑलराउंडर कामो का हुनर रखने वाला व्यक्ती ही कर सकता है,जिस तरह के लोग पुरी दुनियाँ में बहुत कम ही लोग मिलेंगे जो कि घर बाहर दोनो कामो को करने के लिए खुद ही पुरी तरह से आत्मनिर्भर हैं!जिस तरह के लोगो को मैं सबसे अधिक रोजमरा जिवन में संघर्ष करने वालो कि दायरे में रखता हुँ|बाकि सभी लोग अपने अपने जगह घर या बाहर मुल रुप से एक जगह ही आत्मनिर्भर होकर अपना अपना मेहनत का काम कर रहे हैं|दोनो में किसी का भी काम कम मेहनत वाला नही है,जो कि घर का बाहर या फिर घर का अंदर का घरेलू काम का जिम्मा मुल रुप से दोनो ही मामले में अपने अपने कंधो पर उठाये हुए है|कोई घरेलू महिला भी यदि घर का सारा काम सम्हालती है तो उसके बारे में कोई भी महिला या पुरुष ये दावे के साथ नही कह सकता कि घरेलू महिला आत्मनिर्भर नही है|क्योंकि घरेलू महिला आत्मनिर्भर नही है,इसलिए उसे आत्मनिर्भर होना चाहिए कहकर सेखी मारने वालो को जिसदिन कुछ समय बाहर का सारा काम से रिटायर या फिर उसे छोड़कर घर का सारा काम खुद ही करना पड़ेगा उसदिन पता चल जायेगा कि दरसल वह किसी घरेलू महिला पर कितना निर्भर था या है?रही बात किसी घरेलू महिला का मोल उसकी मेहनत के अनुसार कितनी हो सकती है,ये तो घर से बाहर काम करने वाली महिला भी खुद पता कर सकती है कि बाहर काम करने जाने के बाद कौन कौन सी अनमोल चीजो को वह खोती चली जाती है जिसे किसी घरेलू महिला की तरह कर नही पाती है,जिसे वह पहले बड़ी आसानी से कर पाती थी!जो बात किसी पुरुष पर भी लागू होती है यदि वह किसी ऐसे पुरुष को आत्मनिर्भर न रहने कि बाते करता है,जो कि सारा घरेलू काम करके बाहर का काम तलाश रहा है,या फिर बिना मोल लिये ही फ्री में किसी हुनरमंद काम को करता रहता है|और यदि दोनो ही काम कोई करता है तब तो जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि ऐसा खास ऑलराउंडर हुनरमंद व्यक्ती दुनियाँ में बहुत कम लोग होते हैं,जिनके पास इस तरह की खास हुनर मौजुद रहती है|और जो लोग न तो घरेलू काम ही ठीक से करना जानते हैं,और न ही बाहर का काम करना ठीक से जानते हैं,ऐसे लोगो को तो मैं यही कहुँगा दरसल ऐसे लोग ही दुनियाँ में सबसे बेकार लोग हैं,जिन्हे सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर का ज्ञान बांटने कि जरुरत है|क्योंकि ऐसे लोगो को यदि मुसिबत में बिना धन के छोड़ दिया जाय तो ये तो पास में सार्वजनिक या अपना नदी कुँवा तालाव वगैरा रहते हुए भी प्यासा मर जायेंगे|बल्कि सायद अपना पिछवाड़ा भी धो या पोछा नही पायेंगे बिना पैसे खर्च किए!जैसे कि जो लोग घरेलू काम करना नही जानते हैं,उनके पास यदि धन न हो तो वे तो बिना किसी की मदत के भुख प्यास से ज्यादे दिन टिक ही नही पायेंगे|जबकि अजादी के समय जितनी अबादी पुरे देश की थी उतनी अबादी अब भी बीपीएल जिवन जीने के मजबूर है इस देश में,जिनमे से ज्यादेतर लोगो कि नई पिड़ी अबतक भी गरिबी दुर न कर पाने के बावजुद भी जिन्दा इसलिए हैं,क्योंकि वे घरेलू काम या फिर बाहर का काम दोनो ही करना जानते हैं,बस उन्हे उस काम के बदले धन नही मिलता है,या तो बाहर काम करते समय उन्हे न के बराबर ही धन मिल रहा है|क्योंकि वे जो काम करते हैं उसे छोटा मोल का काम कहकर कम धन दे दिया जाता है|जैसे की किसी को खुदका मल मुत्र साफ करने का कथित छोटा काम में कोई धन नही मिलता है|लेकिन यदि वह किसी के कहने पर दुसरो का मल मुत्र साफ करने जाय तो उसे कुछ तो धन जरुर मिलेगा|जैसे कि सफाई अभियान हजारो करोड़ सिर्फ प्रचार में ही बहुत बड़ा काम का मोल बतलाकर प्रचार करने वालो को देकर बहुतो को तो अब भी सर में मैला तक ढुलवाकर छोटा मोल का काम कहकर बहुत कम धन दिया जाता है|हलांकि यदि कोई अमिर टॉयलेट में भी यदि किसी वाशिंग मशीन की तरह का ही कोई पिछवाड़ा धोने या पोछाने का मशीन लगवाता तो उस काम के लिए मशीन बनाने वाली कंपनी को खुब सारा धन चुकाना पड़ता,जैसे कि कपड़े धोने का मशीन में चुकाना पड़ता है|जिस तरह का मशिन सायद ही शौचालय में लगी रहती होगी जो कि किसी का पिछवाड़ा अपने आप ही धोकर या पोछकर साफ कर देती होगी|मेरा कहने का मतलब साफ है कि दुनियाँ में घर के अंदर का काम हो या फिर बाहर का काम हो,दोनो में कोई भी एक काम का भी हुनर जिस व्यक्ती के पास मौजुद है,उसे उस काम का धन भले क्यों नही मिल रहा हो पर फिर भी वह आत्मनिर्भर वाला काम जरुर कर रहा है|आत्मनिर्भर तो वे लोग नही हैं जो इन दोनो में कोई भी काम करना नही जानते हैं,जिन्हे किसी बच्चो की तरह लालन पालन उन दोनो कामो को जानने वाले लोग करते हैं,चाहे धन लेकर करते हैं,या फिर अपना समझकर फ्री में करते हैं,शुक्र है उनके टॉयलेट करते समय नही करते हैं,क्योंकि उन्हे बच्चो कि तरह रोजमरा जिवन में बहुत कुछ करना नही आता है|यू ही दुनियाँ में इतने सारे नौकर चाकर नही रखे जाते हैं,क्योंकि बहुत सा काम करना बहुत से ऐसे लोगो नही आता है जो कि रोजमरा जिवन में दुसरो को सायद अपनी दौलत की ताकत कि वजह से ये राय देते रहते हैं कि घरेलू महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए और गरिब मजदूर किसानो इत्यादि को जो लोग दिनभर सबसे अधिक मेहनत करके भी अबतक गरिब ही बने हुए हैं,उन्हे सचमुच का आत्मनिर्भर बनने के लिए कोई अच्छा सा दुसरा काम करना चाहिए|अच्छा सा काम से ऐसे लोगो का सायद मतलब खुब सारा धन जहाँ पर मिलता हो,जैसे कि विजय माल्या और बाकि बहुत से धन्ना कुबेर जिनके उपर इतना सारा धन लेकर भागने का आरोप है कि,बल्कि कई में तो आरोप साबित भी हो गया है कि जितना कि सायद हजारो लाखो गरिब सारी जिवन मेहनत करके भि बदले में मेहनताना नही हासिल कर पाते हैं|जो सभी गरिब लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसे धन्ना कुबेर लोग किस तरह का आत्मनिर्भर होकर बहुत अच्छा सा काम कर रहे हैं?क्योंकि ऐसे लोगो के लिए ऐसे बड़े बड़े  बुरे काम न करने और कोई अच्छा सा काम करके आत्मनिर्भर बनने कि सलाह देते हुए कभी नही सुने जाते है|जिस तरह के लोगो कि वजह से ये देश आज भी सोने की चिड़ियाँ के बावजुद भी गरिब बीपीएल देशो कि लिस्ट में मौजुद है|इसका मतलब ये नही कि गरिब लोग मेहनत नही कर रहे हैं इसलिए वे गरिब हैं|बल्कि जहाँ तक मुझे पता है पुरी दुनियाँ में सबसे ज्यादे खुन पसिना गरिब लोग ही बना रहे हैं|जैसे कि इस देश में भी चाहे निर्माण कार्य हो या फिर सेवा सुरक्षा का कार्य हो सबसे अधिक संख्या में धन्ना कुबेर नही बल्कि गरिब परिवार से आने वाले लोग ही सबसे अधिक आते हैं|जहाँ पर 90% और विदेशो में 10% जो कालाधन का अंबार छिपाकर रखा गया माना जाता है,वह गरिबो का नही बल्कि बहुत ज्यादे आत्मनिर्भर रहकर सेखी मारने वाले जिनकी नजर में बहुत अच्छा सा काम करने वालो के द्वारा ही बहुत ही आत्मनिर्भर रहने वाली टैलेंट कि वजह से ही तो रखा गया है|जिसे छिपाकर अमिर बनने वाले लोग दरसल मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे बेकार लोग हैं|जिनसे ये धरती भी सबसे बड़ी बोझ में दबी हुई है,और दुनियाँ के सबसे अधिक मेहनत करने वाले भी गरिबी में किस तरह से दबे हुए हैं,अपने पिठ में ऐसे आत्मनिर्भर रहने वालो की महल खड़ा करके खुद झुगी झोपड़ी,छोटे मोटे घर या फिर फुटपाथो में भी इसके बारे में ये विडियो देखकर कोई भी दिन रात मेहनत करके कम आय या फिर न भी कमाकर अपना भी काम खुद इसी तरह करते रहने वाला व्यक्ती समझ सकता है|
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और जो इस तरह का बोझ कभी ढोया ही नही है या फिर कभी घर का काम किचन वगैरा का बोझ भी उठाया नही है,वह क्या जाने रोजमरा जिवन में सचमुच का आत्मनिर्भर होना क्या होता है?उसके लिए तो आत्मनिर्भर होना सिर्फ किसी तरह से भी बस पैसा कमाना होता है|जबकि रोजमरा जिवन में पैसा तो रण्डा रण्डी चोर लुटेरे भी कमा लेते हैं,बल्कि एकबार तो मैं टी०वी० में न्यूज देख रहा था कि कोई बहुत बड़ा खेल का आयोजन जो इस देश में होने वाला है,वहाँ पर उड़ने वाले धन को बटोरने के लिए विदेशो से विदेशी वैश्यायें जहाज से उड़कर आ रही है,जो कि घंटे की चार्ज लाखो में करती है,जितना आय सायद इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भी नही है|जिन वैश्याओ बल्कि पुरुष भी अब तो उनकी देखा देखी वैश्यावृती के धंधे में उतर गए हैं,भले उनके लिए पुरुष वैश्यालय सायद अबतक न खोली गई हो|जो सायद लुकते छिपाते जल्दी से अमिर बनने के लिए कुछ दुसरे प्रकार का आत्मनिर्भर बनने की राय मसवरा सुनकर घंटे की चार्ज करने में लग गए हैं|जिस तरह के लोगो को भी मैं सबसे बेकार लोग मानता हुँ,सिवाय उनमे भी मौजुद ऐसे लोगो को जो किसी बँधुवा मजदूर की तरह बँधुवा वैश्यावृती या दुसरे कोई गलत कामो में लगाये गए हैं|जो खुद भी उस काम को खराब मानते हैं,और अपने बच्चो को भविष्य में किसी पेशेवर कि तरह रण्डा रण्डी या फिर कोई अपराधी नही बनाना चाहते हैं|जिस तरह के लोगो को तो मैं यही कहना चाहता हुँ कि ऐसे लोग जल्दी से जल्दी मौका पाकर उस गलत काम को छोड़कर कोई ऐसा काम करे जिसे अपने बच्चो को भी कराते समय शर्म या डर महसुस न हो कि वे अपने बच्चो से कुछ गलत करवा रहे हैं|भले कम कमाई का कोई दुसरा काम करे पर ऐसा काम को जल्दी से जल्दी छोड़ने कि कोशिष करे जिससे कि मेरे ख्याल से मानवता और पर्यावरण का भी संतुलित विकाश नही होता है|बल्कि मैं तो मानवता और पर्यावरण का विकाश में सबसे बड़ी भागिदारी लेने वाले उन लोगो को भी मानता हुँ जो कि भले रोज एक रुपया न कमा रहे हो पर घर में या घर के बाहर रहकर रोजमरा जरुरत में हाथ बंटाकर बहुत से ऐसे घरेलू या बाहर विकाश का काम फ्री में कर रहे हैं जिसे यदि वे किसी का काम पर रखे जाने के बाद करते तो उन्हे उसके बदले धन जरुर मिलता और तारिफ भी मिलती कि वह काम उसे अच्छी तरह से करना आता है जो कि बहुत से लोगो को करना नही आता है|लेकिन जिसे वह काम नही आता वह धन का पावर दिखाकर सेखी मारते रहते हैं कि जल्दी से ऐसे लोग आत्मनिर्भर क्यों नही होते हैं,जिनको कोई आय नही होती है|जबकि उनके पास काम करने के लिए इतना सारा हुनर है|जिस तरह के राय देने वाले लोगो का वश चले तो वे बहुत से उन महात्मा को भी रोजमरा जिवन में धन से कमजोर देखकर आत्मनिर्भर बनने की पाठ पढ़ाने लगे,जो कि भिख मांगकर भी दुनियाँ में इतना महान कार्य किये हैं कि उनके सामने इस देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ साथ दुनियाँ के सबसे अमिर कहे जाने वाले लोग भी इतिहास में महान व महात्मा लोगो कि लिस्ट में बहुत निचे की दायरे में आते हैं,बल्कि ज्यादेतर तो उनके बराबरी करने की सोच भी नही सकते हैं|जैसे कि उदाहरन के तौर पर निचे एक लिंक के जरिये सिर्फ मैं एक झांकी दिखला रहा हुँ!
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शुक्रवार, 20 अप्रैल 2018

मनुस्मृति को भस्म कर लिखा गया है आजाद भारत का संविधान

मनुस्मृती को भस्म कर लिखा गया है अजाद भारत का संविधान
फिर भी 21वीं सदी का आधुनिक मानव बतलाकर आज भी मनुस्मृती का ऐसे फोलोवर बहुत मिल जाते हैं, जो कि बड़ी बड़ी विद्वान डिग्री लेकर भी छुवा छुत करना आजतक भी नही छोड़े हैं|क्योंकि उनके लिये विद्वान का कागजी डिग्री होना ही काफी है किसी उच्च पदो में बैठने के लिए,जिसके चलते आरक्षण विरोध के समय भी ये तर्क दी जाती है कि बड़े बड़े नंबरो से डिग्री लेने वाले संवर्णो को काम या एडमिशन नही मिलता है,जबकि कम नंबर और कम डिग्री आरक्षित वालो को आसानी से मिल जाता है|जो बात यदि सत्य होती तो लोकतंत्र के चारो स्तंभो में संवर्णो की दबदबा वर्तमान में नही रहती|जिनसे भी पेट नही भर रहा है संवर्णो कि|जिनका वश चले तो जिस प्रकार छुवा छुत का मनुस्मृती उच्च डिग्री हासिल करके आज भी बहुत से मंदिरो में प्रवेश नही करने देते हैं,उसी प्रकार जन्म से ही उच्च जाती डिग्री को सबसे बड़ी काबलियत मान्यता देकर आरक्षण खत्म करके किसी भी सरकारी पदो में प्रवेश करने नही दे|ये तर्क देकर कि चयन प्रक्रिया में सिर्फ उच्च जाती की डिग्री और मनुस्मृती द्वारा मान्यता प्राप्त नंबर ही असली मापदंड होनी चाहिए|क्योंकि एक तो वैशे भी जिस डिग्री को सबसे बड़ी काबलियत बतलाकर जो सेखी मारी जा रही है कि संवर्ण सबसे काबिल हैं,उस काबलियत को मान्यता देनेवाली विश्वविद्यालयो में एक का भी नाम विश्व के दो सौ श्रेष्ट विश्वविद्यालयो की लिस्ट में मौजुद नही है|क्योंकि विश्वविद्यालयो की डिग्री देनेवाली उच्च पदो में भी भारी भेदभाव कायम करके श्रेष्ट संवर्णो का उच्च दबदबा है|लेकिन भी यदि कठिन संघर्ष करके विश्व स्तरीय उच्च डिग्री और देश में भी अच्छे से अच्छे नंबर लाओ तो भी यदि शुद्र जाती के कहलाते हो तो चाहे जितनी उच्च पदो में बैठो छुवा छुत की जायेगी जैसे कि बाबा अंबेडकर के साथ कि गई थी विश्व स्तरीय बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करने के बाद उच्च पद हासिल करके भी,जिसके चलते बाबा अंबेडकर को बाद में पद से इस्तीफा देना पड़ा था|बल्कि उन्हे तो हिन्दु धर्म को भी छोड़ना पड़ा,जिसका मुख्य कारन संवर्णो द्वारा भारी भेदभाव करना ही है|हलांकि बाबा अंबेडकर जन्म से लेकर अजाद भारत की संविधान रचना करने तक भी हिन्दु धर्म में ही रहकर भारी भेदभाव के खिलाफ कठिन संघर्ष किये और हिंदु धर्म में ही रहकर  बड़े बड़े डिग्री हासिल करके विश्व स्तरीय संविधान की रचना भी किए|पर कभी नही ये स्वीकारे कि हिन्दु धर्म संवर्णो के द्वारा बनाया गया धर्म है|इसलिये उसे छोड़कर दुसरे धर्म को अपना लेना चाहिए|पर संवर्णो के भेदभाव के चलते हिंदु धर्म में ही रहकर सारी बड़ी बड़ी उपलब्धि और कामयाबी हासिल करने के बाद भी जिवन के अंतिम सफर में अचानक से मानो हिन्दु धर्म को संवर्णो की रचना बतलाकर धर्म परिवर्तन कर लिए|हलांकि देश गुलाम के समय अथवा गोरो के शासन समय ही छुवा छुत करने वाले संवर्णो द्वारा भारी भेदभाव का सामना करने वाले शोषित पिड़ितो के बिच ही जन्मे बाबा अंबेडकर जो कि जन्म से ही भारी भेदभाव का सामना हिंदु धर्म में ही रहकर किये थे,उन्होने मात्र मनुस्मृती को भष्म किये हैं|जिसे भष्म करने के बाद अजाद भारत की रचना करके कबका बतला दिये हैं कि संवर्ण कोई जन्म से विद्वान पंडित नही हैं|और न ही कोई मनुस्मृती रचने वालो की बुद्धी से शोषित पिड़ित कम बुद्धी वाले इंसान हैं|जिन्होने संवर्णो से कहीं अधिक ज्ञान रचना कई वेद पुराणो की रचना हिंदु धर्म में किये हैं|जिन सभी को बाबा अंबेडकर ने नही जलाये हैं,सिर्फ मनुस्मृती को जलाये हैं|और बाबा अंबेडकर ने भी तो हिंदु धर्म में ही रहकर अजाद भारत की रचना किये हैं|इसका मतलब साफ है कि सारे हिंदुओ की रचना उनके नजर में भी मनुस्मृती जैसी रचना नही है,बल्कि संवर्णो द्वारा रची गई या फिर मिलावट व संक्रमित की गई भारी भेदभाव और डोंग पाखंड  की रचना भारी घुटन और गुलामी का यहसास कराती है|जिसकी वजह से ही उन्होने हिंदु धर्म परिवर्तन किये होंगे|न कि हिंदु मुल विचार और मुल वेद पुराणो की वजह से मुल रुप से अपना धर्म परिवर्तन किये होंगे|जैसे कि आज भी संवर्णो कि छुवा छुत और ढोंग पाखंड कि वजह से हि कई हिंदु अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं|कोई वेद पुरान और हिंदु पर्व त्योहारो की वजह से अपना धर्म परिवर्तन नही कर रहे हैं|जिनको हिंदु धर्म परिवर्तन न करने के लिए यही कहुँगा कि हिंदु धर्म संवर्णो की रचना और खानदानी जागिर नही कि हिन्दु धर्म को संवर्णो का धर्म रचना मानकर अपना धर्म परिवर्तन  कर लिया जाय|क्योंकि हिंदु धर्म की रचना यदि संवर्ण करते तो ये देश विश्वगुरु और सोने की चिड़ियाँ कभी नही कहलाता|और न ही यहाँ पर हिंदु बौद्ध जैन धर्म का उदय होता|जो सारे धर्म के लोगो को ही धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है,बाकि और बचा ही कौन धर्म है इस देश में जिनका धर्म परिवर्तन कराई जानी है|क्योंकि बाकि सभी धर्म तो इस देश से बाहर एक ही जगह में उदय होकर अलग अलग तीन धर्म के रुप में विश्व में चारो ओर बंटे हैं|जैसे कि एक अखंड हिन्दुस्तान भुमि में हिंदु बौद्ध और जैन अलग अलग धर्म के रुप में उदय होकर बंटे हुए हैं|जिस अखंड हिन्दुस्तान विश्वगुरु और सोने कि चिड़ियाँ को अपडेट करने के लिए अपना धर्म परिवर्तन नही बल्कि हिंदु धर्म और हिन्दुस्तान में भारी भेदभाव और छुवा छुत संक्रमण देनेवाले लोगो की सोच में परिवर्तन लानी चाहिए|जिस परिवर्तन को लाने के लिए ही तो छुवा छुत करने वाले यहाँ पर छुवा छुत मन में परिवर्तन लाने के लिए मौजुद हैं|क्योंकि मेरा मानना है कि जो कार्य कोई गुरु नही कर सकता वह चमत्कारी कार्य ये विश्वगुरु कहलाने वाला देश जरुर कर सकता है|जिस कार्य को करने के लिए ही तो इस कृषी प्रधान देश में हजारो सालो से छुवा छुत की मैला ढोकर भी चमत्कारी परिवर्तन लाने की प्रक्रिया जारी है|जिस प्रक्रिया को करते करते छुवा छुत से पुरी अजादी कोई धर्म परिवर्तन करने से नही मिलेगा|क्योंकि छुवा छुत करने वाले जबतक मनुस्मृती सोच से मुक्त नही होंगे तबतक अजाद देश में भी छुवा छुत संक्रमण देते रहेंगे|जैसे की अंग्रेज जाने के बाद भी अंग्रेजी का संक्रमण कभी नही जानेवाली है|भले उसकी दबदबा एकदिन पुरी तरह से समाप्त हो जायेगी|जैसे की रुस चीन जापान जर्मनी वगैरा कई देशो में अंग्रेजी की दबदबा मौजुद नही है|इसका मतलब ये नही कि वहाँ पर अँग्रेजी भाषा अब मौजुद नही है|मेरा कहने का मतलब साफ है कि जिस तरह पुरी दुनियाँ में चोरी लुट हत्या और बलात्कार जैसे अपराध कभी नही जड़ से खत्म होनेवाली है उसी तरह भेदभाव भी खत्म होनेवाली नही है|पर उसकी प्रभाव को खत्म जरुर किया जा सकता है|जैसे की छुवा छुत की प्रभाव को खत्म किया जा सकता है|भले क्यों न भष्म मनुस्मृती का भुत मंडराना अब भी जारी है|वह तो शैतान सिकंदर का भुत भी महान सिकंदर बतलाकर अब भी मंडराना जारी है|जिन दोनो को ही सायद मोक्ष नही मिला है,इसलिए आजतक भी इस देश में मंडरा रहे हैं|जिसके खिलाफ संघर्ष आज भी विभिन्न स्तर पर जारी है|

मनुस्मृति भस्म हो गई है पर उसका भूत को अब तक मोक्ष नही मिला है

इस कृषी प्रधान देश में गोरो से अजादी मिलने से बहुत पहले ही संवर्णो ने मनुस्मृती रचना करके मानो खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य कहलाने के लिए पुरे मानव जाती में ही उच्च जाती का दर्जा आरक्षण प्राप्त किया हुआ है|क्योंकि मनुस्मृती अनुसार संवर्णो के अलावे बाकि सबको निच जाती का दर्जा दिया गया है|बल्कि नारी के साथ भी छुवा छुत करने वाले संवर्णो द्वारा अपने से निचे रखकर किस तरह से लंबे समय से शोषन अत्याचार हुआ है,इसके बारे में तुलसीदास रचित रामायण श्लोक पढ़कर जाना जा सकता है|जिसमे लिखा गया है "ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी"|इतना ही नही नारी को तो नर्क का द्वार तक भी कह दिया गया है|जाहिर है नारी चाहे जिस जात धर्म का भी हो,छुवा छुत करने वाले संवर्ण खुदको उससे उपर ही मानते हैं|बल्कि मनुस्मृती अनुसार तो पुरे मानव जाती में ही छुवा छुत करने वाले संवर्णो ने जन्म से उच्च जाती कहलाने का आरक्षण प्राप्त करके रखा हुआ है|वेद पुराणो में भी यदि नारी को देवी का दर्जा दिया तो देव का दासी बनाकर दिया गया है|और खुदको उससे सेवा कराने वाला पुरुष प्रधान स्वर्ग का इंद्र राज घोषित करके स्वर्ग अप्सराओ के साथ साथ निचे धरती पर भी नारी के साथ भारी भेदभाव और शोषन अत्याचार किया गया है|जैसे की देवो का राजा कहे जाने वाला इंद्र द्वारा अहिल्या के साथ हुआ था|जिसके चलते बाद में अहिल्या के साथ गलत हरकत करने वाले इंद्र को जो कि हवश के चलते स्वर्ग में भी एक जगह शांती से स्थिर नही रह सका,और उसे अपनी हवश पूर्ती के लिए उपर स्वर्ग में मदिरा का प्यास बुझाने के बाद निचे धरती पर हवश की प्यास बुझाने आना पड़ा|बल्कि आजकल तो निचे धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाली क्षेत्र जम्मू कश्मीर में भी एक आठ शाल की मासुम ब्च्ची  के साथ हुई बलात्कार की घटना से धरती में अन्याय अत्याचार कितना बड़ गया है,इसके बारे में कटू प्रतिक्रिया भरे पड़े हैं|बल्कि उपर स्वर्ग की अप्सराओ के हाथो मदिरापान करने के साथ बार बार अपनी गद्दी जाने की डर से उपर स्वर्ग के इंद्र द्वारा अप्सराओ को इस्तेमाल करते रहना पड़ा है|जो अपने विरोधियो की तपस्या भंग कराने के लिये ज्यादेतर तो अप्सराओ को ही भेजकर तपस्या करने वाले की तप भंग कराने का भी कपट निति हमेशा इस्तेमाल करता रहा है|जिस इंद्र को इस धरती पर भी बार बार भटकना पड़ा है|जिसके चलते धरती में भी इंद्र के बहुत सारे फोलोवर हैं|जहाँ पर इंद्र ने शादी सुदा नारी अहिल्या पर बुरी नजर रखकर स्वर्ग के साथ साथ धरती पर भी हमेशा विवादो में ही फंसा रहा है|जो अपनी हवश के चलते इतना अँधा हो गया कि उसे आँख रहते हुए भी ये दिखाई नही दिया कि वह स्वर्ग से किसी एलियन की तरह धरती पर उतरकर हवश की नशे में डुबकर जो कुछ भी कर रहा है तपस्वी गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ वह यदि उसकी भी पत्नी या बेटी के साथ कोई करेगा तो उसे भी बहुत क्रोध आयेगा|जैसे कि अहिल्या के पति गौतम को भी गुस्सा आया था|जिसके चलते उसने अपराध की सजा के रुप में श्राप दिया था कि इंद्र ने अपनी हवस पुर्ती के लिए जिस योनी के साथ धोखे से गलत काम किया है,उसी योनी को हजार की संख्या में अपने शरिर में किसी घुँघरु की तरह टांगकर घुमता फिरे|जिस तरह की श्राप देने की पावर आज सचमुच में यदि धरती में मौजुद रहती तो हाल ही में जो जम्मू कश्मीर की घटना हो या फिर इससे पहले दिल्ली की घटना हो,बल्कि हर रोज होनेवाली अनगिनत बलात्कार की घटना जो कि हर रोज देश के सभी राज्यो में कम ज्यादा पर दर्ज जरुर हो रही है,उसे अंजाम तक पहुँचाने वाले जो भी बलात्कारी हैं,सभी जेल में सजा काटने से पहले निश्चित रुप से समाज में हजार योनी नही बल्कि करोड़ो आक्रोशित लोगो द्वारा श्राप सजा देने के बाद करोड़ो योनी को किसी घुँघरु की तरह टांगकर,बल्कि घुंघरु क्यों अपडेट के रुप में बलात्कारी अपना लिंग को भी टांगकर जेल सजा काटने से पहले ही अदालत में नही बल्कि समाज में घुरते|जैसे कहीं कहीं जनता अपराधियो को गले में जुत्ता चप्पल टांगकर गधे में उल्टा बिठाकर घुमाती है|हलांकि करोड़ो लिंग योनी के बजाय हजार योनी का बोझ भी ढो नही पायेंगे ये बलात्कारी,जो अपना एक लिंग का भी बोझ को इज्जत से ढो नही पा रहे हैं,और उसपर भी ऐसा दाग लगा रहे हैं जो दाग सिधे इंसानियत में लग रही है|जिस तरह के बलात्कारियो को तो नारी योनी से पैदा ही नही होनी चाहिए थी|क्योंकि बलात्कारी अपने माता पिता पर भी दाग लगा देते हैं कि कैसा बलात्कारी बच्चे को जन्म दिया गया है?जिसे मिटाने के लिए सभी बलात्कारियो और मानव तस्करी कराकर मासुम बच्चियो को वैश्यावृती कराने वाले दलालो को सजा निचे धरती की अदालत में यदि न भी मिला हो और गंभिर अपराध करने वाले अपराधी यदि बच जा रहे हैं तो सृष्टी रचने वाले के पास दुसरी दुनियाँ में नर्क मौजुद हो या यहीं पर प्राकृति में ही मौजुद हो,अथवा यदि सचमुच में नर्क नाम कि कोई सबसे उपर की जेल होती है,जहाँ पर निचे इंसानो की अदालतो की जजो को भी सजा मिलती है यदि वे बलात्कारियो को सजा न सुनाकर उन्हे बचाते हैं,जिसके चलते बलात्कारी बार बार अदालत की सिड़ि चड़कर भी बिना सजा काटे पेशेवर बलात्कारी बनकर एक के बाद दुसरा फिर तीसरा फिर चौथा बलात्कार कर रहे हैं,उनके साथ साथ उन्हे बचाने वालो को भी वही सजा उपर नर्क में मिले जो कि बलात्कारियो को मिलेगी|चाहे जो कोई भी हो क्योंकि वर्तमान में बनी निचे की अदालत भी अंग्रेजो द्वारा ही बनाई गई है,जहाँ पर जज बनकर अंग्रेज देश गुलाम करने का फैशला कई पिड़ि तक सुनाते आ रहे थे|जिन्हे जरुर नर्क में सजा मिली होगी यदि सचमुच में नर्क होती होगी|वेद पुराण काल में तो बिना अदालत के ही श्राप सजा खुदकी आरती उतरवाने वालो को भी तुरंत सुना दी जाती थी,जिसके बारे में पुरा वेद पुराण भरे पड़े हैं कि किसे क्या क्या श्राप मिला था|पर अफसोस वर्तमान में इस तरह कि सजा प्रक्रिया मौजुद नही है!बल्कि किसी बलात्कारी को श्राप लगना तो दुर पिड़ितो की अवाज भी दबा दी जा रही है|वेद पुराण के समय दुःख से मुक्त कहे जाने वाला स्वर्ग के राजा इंद्र तक को भी चंद पल में ही स्वंय धरती में पिड़ित जनता के द्वारा ही अपनी मर्जी की सजा मिल जाता था|जैसे की पिड़ित शोषित अहिल्या के पति ने इंद्र को तुरंत श्राप सजा दे दिया था|जिस इंद्र देव को अपना पुर्वज मानने और छुवा छुत करने वाले संवर्ण हिन्दुस्तान में आरक्षण मुक्त की बात ऐसे कर रहे हैं,जैसे इस कृषी प्रधान देश के दलित आदिवासी पिछड़ी अपने हक अधिकारो को प्राप्त करने के लिए अजाद भारत का संविधान में जो कुछ आरक्षण प्राप्त किया हुआ है,उससे निचे धरती में मानवता को बहुत बड़ा हानि हो रहा है|और मनुस्मृती की रचना करके पुरे धरती में बहुत बड़ा विद्वान पंडित ज्ञान प्राप्त करके सबसे बड़ी मानवता की सेवा किया जा रहा है|जिसके चलते ही संवर्णो ने खुदको सबसे उच्च का दर्जा दे रखा है|जो कभी भी एक दुसरे के साथ छुवा छुत करने के लिए मंदिरो में ये बोर्ड नही लगाते थे,और लगाते हैं कि अंदर में छुवा छुत जैसे भ्रष्ट आचरण करने वाले संवर्णो का भी प्रवेश मना है|क्योंकि संवर्ण छुवा छुत करने के साथ साथ चाहे बलात्कारी रहे या फिर हत्यारा,उसके लिये बोर्ड लगाया हुआ नही रहता था कि उसका मंदिर में प्रवेश मना है|जिसके चलते ही तो आजतक भी इंद्र जैसे ऐसे बहुत से देव जिनपर भी किसी नारी का मान सम्मान लुटने जैसे गंभीर दाग लगे हुए हैं,उसे भी मानो दाग अच्छे हैं कहकर उनकी आरती उतारना आजतक भी जारी है|बल्कि पुजा स्थलो में भी रेप हो रहे हैं,जिसके बारे में आये दिन खबरे आती रहती है कि कुछ ढोंगी पाखंडी लोग कैसे अपने भक्तो को बहला फुसलाकर रेप करके पवित्रता का प्रवचण दिन रात सुनाते रहते हैं|जिसके बारे में तो मैं यही कहुँगा कि भले जय हो इंद्रदेव कहकर संवर्ण और कुछ घर का भेदी भी आरती उतारते रहे पर बाकि कोई भी इंसान उसकी आरती न उतारे|जिस तरह कि आरती उतरवाने के लिए भी मनुस्मृती की रचना करके खुदके लिए विशेष तरह का जन्म से ही आरक्षण प्राप्त करके ऐसी मांसिक गुलाम रचना किया गया है,जैसे बहुत बड़ा मानवता की भलाई का काम किया गया है|जिस मनुस्मृती को अजादी मिलने से पहले ही भष्म करके बाबा अंबेडकर द्वारा अजाद भारत का संविधान रचना किया गया है|जिस संविधान को आज के समय में भष्म मनुस्मृती का उस भुत से सबसे अधिक खतरा है जिसे मोक्ष प्राप्त न होने की वजह से चारो ओर मंडरा रहा है|जिससे बचके रहे वे तमाम लोग जिनको मनुस्मृती से पुर्ण अजादी चाहिए,जिनके उपर मनुस्मृती का बैताल भुत सवारी कर सकता है|जैसे कि हजारो साल बाद आजतक भी बहुत से संवर्णो के उपर मनुस्मृती का भुत सवारी कर रहा है|जिसके चलते वे आजतक भी छुवा छुत को नही थोड़ पाये हैं|गोरे देश गुलाम करना छोड़ दिए पर बहुत से संवर्ण आजतक भी छुवा छुत करना नही छोड़ पाये हैं|बल्कि अब तो मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा है,जैसे बेचारे संवर्ण ही असल में सबसे बड़ी गुलामी मनुस्मृती की कर रहे हैं,क्योंकि संवर्णो ने जिसे शुद्र कहकर लंबे समय तक उसके साथ भारी भेदभाव किया है,जो कि आज भी कर रहे हैं,उसी शुद्र ने कबका मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके ये बतला दिया है कि वह न तो गोरो की गुलामी करेगा और न ही मनुस्मृती का गुलामी करेगा,और यदि फिर भी उसके साथ बार बार छुवा छुत करके गुलामी यहशास संवर्ण कराता रहा तो शोषित पिड़ित चाहे अब जिस धर्म में मौजुद हो पुरी अजादी के लिए संघर्ष करना कभी नही छोड़ेगा,जबतक कि वह सभी संवर्णो को भष्म मनुस्मृती का भुत से भी अजादी नही दिलवा दे!बल्कि जो संवर्ण खुदको मनुस्मृती का भुत से अजाद घोषित कर चुके हैं,वे भी कहीं न कहीं मनुस्मृती रचना से अपमानित महसुश करके मानो अन्याय अत्याचार के खिलाफ लव कुश की तरह विद्रोह कर रहे हैं|हलांकि इस बात पर अभी मैं पुरी तरह से चूँकि सही नतिजे पर नही पहुँच सका हुँ,इसलिए इसपर मंथन करना जारी है!जिसपर सायद पुरी तरह से सही नतिजे पर पहुँच पाना तभी मुमकिन है,जब देश में जिस तरह सभी नागरिक का आधार कार्ड बनते समय उँगली की पहचान ली जाती है,उसी तरह सभी नागरिको की डीएनए पहचान लेकर सबकी डीएनए का मिलान की जायेगी कि कौन सचमुच में संवर्ण है,और कौन संवर्ण होकर भी डीएनए र्पोर्ट से संवर्ण नही है|तबतक फिलहाल सिर्फ भावनात्मक पहचान के जरिये ही मेरा मंथन जारी है|हलांकि सत्य को तौलकर तो यही लगता है कि जो संवर्ण आजतक भी गरिबी जिवन जी रहे हैं,भले उनकी संख्या बहुत कम होगी,उनके पुर्वज भी कहीं न कहीं शोषित पिड़ित ही रहे होंगे,जिसके चलते आजतक भी उनके साथ भी गरिबी पिच्छा नही छोड़ पा रही है|जैसे कि इस देश में ज्यादेतर गरिब इस देश के वे शोषित पिड़ित ही हैं जिनके पुर्वजो के साथ छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव होता रहा है|क्योंकि संवर्णो के बारे में ये मान्यता है कि वे अपनी जात बिरादरी के साथ जन्म से ही विशेष तरह की आरक्षित कृपा रखते हैं!जिसके चलते ही तो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्णो का ही दबदबा कायम है!जिसके बारे में वैसे तो पहले भी मैं कई बार बतला चुँकि हुँ,पर चूँकि मेरा पोस्ट फिलहाल तो सौ लोगो तक भी ठीक से नही पहुँच पा रहा है,लगता है यहाँ भी भारी भेदभाव का भुत वायरस बनकर घुसा हुआ है,जिसका एंटीवायरस डालने के लिएका ज्यादे से ज्यादे लोगो तक ये जानकारी पहुँचा सकुँ,ताकि कम से कम जो भी कम लोग मेरा पोस्ट पढ़ते हैं वे इसे बांट सके,भले क्यों न उनमे मेरा विरोधी ही क्यों न हो!वे भी अच्छी तरह से मंथन कर सके इसलिए मैं फिर से निचे भेदभाव झांकी के रुप  में एक रिपोर्ट के बारे में निचे बतला रहा हुँ!जिसे ज्यादे से ज्यादे वैसे अनजान लोगो को बांटे जो कि भेदभाव के बारे में अबतक भी अनजान हैं,या उन्हे ये गलतफेमी है कि गोरे जाने के बाद देश में अब अपने हक अधिकार को लेकर सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है|जो मुझे निचे की रिपोर्ट से तो सबकुछ ठीक ठाक नही लगता है|जो रिपोर्ट पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा द्वारा 2000 ई० की है|
जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले जातीय आधार पर कितना लाभ आरक्षित लोगो को मिल रहा है जहाँ पर इस समय आरक्ण मुक्त रखा गया है 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!

The chains of slavery

 The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...