भाजपा कांग्रेस दोनो के खिलाफ रामलीला मैदान में आक्रोश जनता भाग लेती रही है,जिसका वोट पाने के लिए कांग्रेस जन आक्रोश रैली कर रही है

कांग्रेस सरकार के समय दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव ने कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपने समर्थको के साथ अनशन किया था,
अब भाजपा सरकार के समय में कांग्रेस सरकार उसी रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|बल्कि कांग्रेस भाजपा दोनो ही भारी बहुमत की सरकार बनाकर इस देश के लिए बस रामलीला मैदान हो या फिर सड़क,सभी जगह सिर्फ एक दुसरे के खिलाफ जनता के साथ रैली अनशन और आंदोलन करते रहते हैं|पर सरकार बनने के बाद एक दुसरे के खिलाफ कोई ठोस कारवाई नही करते हैं|जैसे कि रामदेव ने भाजपा का समर्थन करके कांग्रेस देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी है,बल्की ये भी कहा था कि कांग्रेस के शीर्ष पदो में बैठे हुए लोग खानदानी लुटेरे हैं,जो कि पिड़ि दर पिड़ि इस देश को लुटते आ रहे हैं|जिनको भाजपा सरकार लाने के बाद जेल में डालना चाहिए कहकर अब भाजपा सरकार 2014 में भारी बहुमत से चुने जाने के बाद 26 मई 2018 को चार साल पुरे होने जा रहे हैं,पर आजतक भी कांग्रेस के समय में हुए बड़े बड़े भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ आक्रोश का कोई ठोस कारवाई नही हुई है!बल्कि अब कांग्रेस ही रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|जो कांग्रेस कभी खुदकी सरकार के समय में जनता का आक्रोश रामलीला मैदान में देखकर लाठी चलवाती थी|जैसे कि रामदेव और उसके समर्थको को लाठी चलवाई थी|जिसके बाद योग करते समय उछल कुद करने वाला रामदेव कांग्रेस सरकार द्वारा रामलीला मैदान में लाठी चार्ज कराने पर बारह फिट से भी उच्ची मंच से उछलकर गायब हो गया था|जिसे मंच में ही मौजुद रामदेव के कई समर्थको ने बाबा रामदेव का अपहरण हो गया है पुलिस द्वारा बतलाकर कांग्रेस सरकार के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया था|जिसके बाद रामलीला मैदान से गायब रामदेव  अचानक से महिला का कपड़ा पहनकर जनता और कांग्रेस सरकार के सामने हाजिर हो गया था यह कहते हुए की उसकी हत्या होने वाली थी इसलिए किसी तरह वह बेहरुबिया की तरह अपना वेश बदलकर महिला कपड़ा पहनकर बचा है|उसने आगे ये भी कहा कि यदि उसकी जिवन को जोखिम होता है तो उसके लिए कांग्रेस और सोनिया गाँधी जिम्मेवार होगी|जो रामदेव भाजपा सरकार आने के बाद कांग्रेस का भ्रष्टाचार और कालेधन के बारे में कोई भी ठोस जाँच अबतक नही करा पाया है|बल्कि मिडिया के सामने अपना यह बयान दिया है कि भाजपा सरकार आने के बाद कालाधन में और अधिक बड़ौतरी हुई है|जबकि भाजपा सरकार बनने से पहले बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार के किलाफ भाजपा के साथ वचन और वादो के साथ कई समझौता भी किया था|और ये भी वादा किया था कि भाजपा की सरकार बनते ही वह खुद कांग्रेस के खिलाफ मजबुत सबूतो का पोटली भरकर कालाधन की जब्ती करायेगा और सभी भ्रष्ट कांग्रेसियो को जेल में डलवायेगा|जिन वचन और वादो का लगभग चार साल भाजपा सरकार बने हुए बित चुके हैं पर अबतक भी कांग्रेस पर रामदेव ने जो बड़े बड़े आरोप लगाये थे,जिन आरोपो की पोटली लेकर भाजपा भी जनता के पास जाकर कांग्रेस के खिलाफ बड़े बड़े सबूतो के साथ ये कहकर वोट मांगी थी कि यदि भाजपा सरकार आई तो कांग्रेस के खिलाफ कड़ी कारवाई करेगी|जो कड़ी कारवाई तो क्या करेगी उल्टे कांग्रेस ही अब भाजपा सरकार के खिलाफ उसी रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है,जहाँ पर रामदेव और अन्ना हजारे ने भी आक्रोश व्यक्त किया है|जो आक्रोश दरसल दोनो कांग्रेस भाजपा की सरकार के खिलाफ ही होती रही है|और भाजपा कांग्रेस भी उस आक्रोश में शामिल होकर दरसल जनता का वोट पाने के लिए ही जन आक्रोश रैली करती है|जबकि असल में दोनो ही एक ही सिक्के के दो पहलू और भितर से आपस में मिले हुए हैं|जिसके चलते आक्रोश का कोई भी खास हल नही निकल रहा है दोनो ही पार्टी की सरकार भारी बहुमत से चुनकर केन्द्र दिल्ली में बैठने के बावजुद भी|बल्कि दोनो ही पार्टी देश और देश की राजधानी दिल्ली का रामलीला मैदान के लिए भी सिरदर्द बन चूकी है|क्योंकि ये दोनो पार्टी आपस में भी आक्रोश व्यक्त तो करती है पर एक दुसरे के खिलाफ कोई कड़ी कारवाई और एक दुसरे को देश का सबसे भ्रष्ट पार्टी साबित नही करती है|जिससे देश की जनता और देश को कोई खास बदलाव देखने को कभी नही मिलने वाली है|चाहे रामलीला मैदान में रामदेव और अन्ना हजारे जैसे इसी देश के ही नागरिक इसी देश की कांग्रेस सरकार के खिलाफ अनशन और आंदोलन करे या फिर इसी देश की भाजपा सरकार के खिलाफ अनशन आंदोलन करे|बल्कि क्यों न दोनो ही पार्टी एक दुसरे के खिलाफ जन आक्रोश रैली करे,कोई खास बदलाव नही होनेवाला है भ्रष्टाचार और कालेधन को लेकर|और न ही देश की बदहाली और गरिबी भुखमरी में कोई खाश बदलाव होने वाले हैं|कांग्रेस सरकार आधुनिक भारत,गरिबी हटाओ का नारा देकर साठ सालो तक शासन की है और वर्तमान की भाजपा सरकार साईनिंग इंडिया का नारा देकर साठ महिना शासन करने के बाद साठ साल बनाम साठ महिने का फिर से अवसर मांगकर 2014 में भारी बहुमत से कन्द्र में चुनकर आई है|जिसके सरकार बने लगभग चार साल अथवा 48 महिने पुरे होने को हैं,पर आजतक भी कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा और जनता ने भी जो आक्रोश दिखलाकर 2014 में गरिबी हटाओ का नारा देनेवाली कांग्रेस सरकार को ही केन्द्र से हटा दिया था, वह आक्रोश अब भी जनता के बिच में मौजुद है,जिसका वोट फायदा उठाने के लिए ही तो कांग्रेस जन आक्रोश रैली कर रही है|क्योंकि पिछली बार जिस तरह जनता का आक्रोश को भाजपा वोट के रुप में बदलने में कामयाब रही उसी प्रकार कांग्रेस भी इस समय जनता के आक्रोश को वोट में बदलकर कामयाब होने की सपने देखकर रामलीला मैदान में जन आक्रोश रैली कर रही है|जबकि जनता अब सायद ये अच्छी तरह से जान चूकि है कि ये कांग्रेस भाजपा दोनो ही जनता के आक्रोश का दरसल कोई ठोस हल नही निकालने वाले हैं|क्योंकि दोनो ही भितर भितर आपस में गले मिले हुए हैं|इसलिए इन दोनो का एक दुसरे को सबसे मजबुत विरोधी पार्टी मानकर दोनो में एक को चुनने के बजाय दोनो को एक ही सिक्के की दो अलग अलग पहलू समझते हुए किसी तीसरी को भारी बहुमत से चुनना चाहिए|ताकि कांग्रेस भाजपा  दोनो के खिलाफ बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने और कालाधन का अंबार लगाने का जो जन आक्रोश मौजुद है,उसकी जाँच किसी तीसरी पार्टी की भारी बहुमत सरकार चुनकर कराने के बाद कांग्रेस भाजपा दोनो के खिलाफ दुध का दुध और पानी का पानी हो सके|ताकि कांग्रेस भाजपा जो अंदर से गले मिले हुए हैं वे बाहर से भी एक दुसरे को कांग्रेस भाजपा युक्त कर सके|जैसे कि समय समय पर कुछ कांग्रेसी नेता और मंत्री भाजपा युक्त और कुछ भाजपा नेता और मंत्री कांग्रेस युक्त होकर एक दुसरे को सबसे मजबुत विरोधी बतलाते रहते हैं|जैसे कि आज रामलीला मैदान में कांग्रेस द्वारा जो जन आक्रोश रैली है वह दरसल भाजपा कांग्रेस दोनो के ही खिलाफ जो जन आक्रोश दोनो ही पार्टियो की नेता मौजुद होंगे भितर भितर एक दुसरे से गले मिलकर|जिन दोनो ही पार्टियो की सरकार के समय सड़को और मैदानो में भिड़ बड़ती ही जा रही है|उस भिड़ की वोट को बटोरने के लिए ही मौका पाकर कांग्रेस ये दर्शाने के लिए जन आक्रोश रैली कर रही है कि वह 2019 का लोकसभा चुनाव के लिए मजबूत दावेदार है|जिसे यदि आक्रोशित जनता 2019 का लोकसभा में वोट देकर चुनाव जिताती है तो बाद में भाजपा जन आक्रोश रैली करेगी|दोनो के समय में ही देश और जनता आक्रोश में रहेगी,क्योंकि ये दोनो ही जनता के आक्रोश का हल निकालने में फेल साबित हो रही है|बल्कि ये दोनो ही पार्टी देश और जनता को सुख शांती और समृद्धी जिवन देने में फेल हो चुकि है|जिन दोनो को ही बार बार अब ये सोचकर मौका न दिया जाय कि कभी तो ये दोनो बेहत्तर सेवा देकर और गरिबी हटाने व अच्छे दिन लाने में पास होकर देश में भारी बदलाव लायेंगे!खासकर तब जबकि कतार में कई पार्टियाँ जनता का राह देख रही है|मानो वह जिस तरह से जनता नोटबंदी कतार में लगकर अपनी बारी आने का इंतजार करते करते सौ से अधिक नागरिको कि मौत भी हो गई थी,उसी तरह अपनी बारी आने का इंतजार करते करते कई पार्टी आपस में ही कटबंधन या फिर विलय कर रही है|सायद ये सोचकर कि न जाने जनता उसको कभी मौका देगी भी कि नही देगी और उस पार्टी की सरकार कभी बनेगी भी कि नही बनेगी|जिन पार्टियो में एक पार्टी बहुजन समाज पार्टी तो ऐसी पार्टी है जो कि पुरे देश में भाजपा कांग्रेस पार्टी से भी ज्यादे सीटो में 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ी थी और वोट के मामले में तीसरा स्थान भी लाई थी,पर सीट एक भी नही जीती अथवा देश की जनता ने उसे 0 सीट दिया|जबकि बहुजन समाज पार्टी के नाम पर भी यदि गंभीर होकर बहुजन जनता एकजुट होकर उसे वोट देती तो कबका बहुजन समाज पार्टी की सरकार केन्द्र में भारी बहुमत से बन चुकि रहती,जैसे कि देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश जहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट भी मौजुद है,जिस राज्य के बारे में ये भी कहा जाता है कि केन्द्र की सरकार बनने में उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा योगदान होता है,जो कि स्वभाविक है,क्योंकि वहाँ पर सबसे अधिक लोकसभा सीट है,जिसे जीतने में जो पार्टी कामयाब हुई,उसकी केन्द्र में सरकार बनने का रास्ता साफ हो जाता है|जिस उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की राज्य सरकार भारी बहुमत से बन चुकि है,बल्कि उत्तर प्रदेश में ही एक और पार्टी समाजवादी पार्टी की भी सरकार भारी बहुमत से बन चुकि है|जिन दोनो ही पार्टी को अब ये बात पुरी तरह से समझ में आ चूकि है कि यदि दोनो ही पार्टी के बिच आपसी फुट मौजुद न हो तो भाजपा कांग्रेस को केन्द्र से हटाकर किसी तीसरी पार्टी के नेतृत्व में भारी बहुमत की सरकार बिल्कुल बनाई जा सकती है|जिसका प्रयोग भी उत्तर प्रदेश में ही हो चुका है|बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी आपस में कटबंधन करके उपचुनाव में उस भाजपा को हराया है,जिसने 2014 में दोनो ही पार्टी को हराकर केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बनाई है|जो दोनो पार्टी अब 2019 का लोकसभा चुनाव में कटबंधन करके भाजपा को भारी बहुमत से हराने की तैयारी में जुट गई है|और अब लोकसभा चुनाव 2019 आने में एक साल का भी कम समय बचा है|जिस बिच बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के अलावे देश के लगभग सभी राज्यो की ज्यादेतर क्षेत्रिय पार्टियाँ भाजपा सरकार को हराने के लिए एकजुट हो रही है|जिनको तो मैं यही राय दुँगा कि वे सभी पार्टियाँ यदि सचमुच में एकजुट हो रही है,तो वे अपने अपने वोट को भी एकजुट करने की कोशिश करें,नही तो फिर सारे वोट फिर अठनी चवनी की तरह बंट जायेगी और 2014 की लोकसभा चुनाव की तरह ही भारी बहुमत से सरकार बनाने वाली पार्टी के खिलाफ उससे कहीँ ज्यादे वोट पड़ने के बावजुद भी उनकी हार हो जायेगी|क्योंकि 2014 में भाजपा को भले भारी बहुमत की सरकार बनाने का अवसर मिला था पर 60% से ज्यादे वोटर भाजपा के खिलाफ वोट किये थे!पर चुँकि वे सभी वोट अठनी चवनी में बटे हुए थे,जिसके चलते भाजपा ने तो केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बड़े नोट की तरह एकमुस्त 30-37% वोट हासिल करके बना ली,पर उसकी विरोधी पार्टियो की वोट अठनी चवनी के रुप में ऐसा बिखरी कि बहुजन समाज पार्टी को तो सबसे अधिक वोट पानेवाली पार्टी में तीसरा स्थान लाकर भी वह एक भी सीट जीत नही पाई अथवा जनता ने उसे 0 सीट दिया |जिसके बारे में भाजपा के नेताओ ने केन्द्र में भारी बहुमत की सरकार बनने की अहंकार में चुर होकर बहुजन समाज पार्टी के बारे में ये मजाक उड़ाना सुरु कर दिया कि बहुजन समाज पार्टी की हाथी ने अंडा दिया है|जबकि बहुजन समाज पार्टी को देश की जनता ने तीसरे स्थान का वोट दिया था|जो स्थान कांग्रेस भाजपा को मिले वोट के बाद की थी|पर चूँकि उसके वोट अठनी चवनी की तरह बिखरे हुए थे,जिसके चलते उसकी हार ऐसी हो गई थी कि उससे कम वोट लाने वाली पार्टियो को भी बहुत ज्यादे लोकसभा सीटे मिली थी पर उससे ज्यादा वोट लानेवाली पार्टी बहुजन समाज पार्टी को एक भी लोकसभा सीट नही मिली थी लोकसभा चुनाव 2014 में!जिसे सबक के रुप में भाजपा के विरोध में आपस में कटबंधन करने वाली तमाम पार्टियो को अपने वोट को भी एकजुट करने का बेहत्तर उपाय जरुर करनी चाहिए|जैसे कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने आपस में वोट का भी कटबंधन अपने किए गए कटबंधन से कर लिया है,यदि ये बात सच है कि मायावती और मुलायम ने ये फैशला कर लिया है कि दोनो की पार्टियो ने पिछली बार जिस भी सीट पर सबसे अधिक वोट हासिल किया है,वहाँ पर उसी पार्टी को ही मजबुत दावेदार मानते हुए वह सीट मिलेगी|अथवा बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बिच हुए कटबंधन में जिस सीट पर भाजपा को ज्यादे वोटो से बहुजन समाज पार्टी कड़ी टक्कर दी गई है,वहाँ पर बहुजन समाज पार्टी को सीट मिलेगी और जिस सीट पर भाजपा को समाजवादी पार्टी ने सबसे अधिक वोट से कड़ी टक्कर दी है वहाँ पर समाजवादी पार्टी को सीट मिलेगी|इसका मतलब ये हुआ कि दोनो पार्टी की वोट का भी कटबंधन करके मजबुत टक्कर देने के लिए तैयारी हो चुका है|जो तैयारी बाकि भी वे तमाम पार्टियाँ कर ले जो की भाजपा को कड़ी टक्कर आपस में कटबंधन करके देना चाहती है|या तो फिर सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाला राज्य उत्तर प्रदेश और वहाँ पर मजबूत दावेदार बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को देखते हुए सभी मिलकर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी से ही कटबंधन करके अपनी मजबुत दावेदारी के साथ उन सीटो पर चुनाव लड़ना और जीतना पक्का कर लें जहाँ पर उन्होने भाजपा को सबसे अधिक वोटो से कड़ी टक्कर दिया था पर भाजपा पार्टी के खिलाफ मैदान में खड़ी कई पार्टियो के वोटो का बंटवारा अठनी चवनी में हुई थी इसलिए वह मजबुत दावेदार होते हुए भी हार गई थी|जो हार जीत में बदल सकती है यदि सभी बंटे हुए वोट आपस में मिल जाय अथवा तमाम पार्टियाँ जो भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है,वह सब एकजुट होकर 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ें||या तो जिन जिन पार्टियो को आपस में विलय करने का विचार मन में आ रहा है,वे लोकसभा चुनाव 2019 आने से पहले ही आपस में विलय कर ले,ताकि एकजुट होकर मजबुती से तैयारी कर सके|मेरी इस राय के बारे में जानकर वे सभी पार्टियाँ ये कभी भी न सोचे कि भाजपा कांग्रेस देश की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए मैं ऐसा करने की राय दे रहा हुँ!क्योंकि ये न भुलें कि पिछली लोकसभा चुनाव में भाजपा भी दो दर्जन पार्टियो के साथ आपस में कटबंधन करके ही चुनाव लड़ी थी,और कांग्रेस भी इस समय मौका तलाश रही है कि कैसे उन सभी पार्टियो के वोटरो को अपने वोट में बदला जा सके उनके साथ कटबंधन करके?जो कांग्रेस भाजपा सरकार बनने के बाद अपने सीबीआई ताकत का इस्तेमाल क्षेत्रीय पार्टियो के खिलाफ करती है,ये बाते भी इन दोनो की सरकार बनने के बाद सामने आते रहती है|इसलिए भाजपा कांग्रेस भले आपस में कटबंधन कर लें क्योंकि ये दोनो पार्टियों की सरकार भारी प्रचंड बहुमत से भी बन चुकि है,जो कि देश में किसी भी पार्टी की अबतक नही बनी है,इसलिए भी किसी तीसरी नेतृत्व में भारी बहुमत से चुनाना जरुरी है,क्योंकि ये दोनो ही कांग्रेस भाजपा एक दुसरे को देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी का आरोप लगाकर एक दुसरे के खिलाफ सिर्फ आक्रोश व्यक्त करती है,जैसे की आज कांग्रेस रामलीला मैदान में भाजपा सरकार के खिलाफ जन आक्रोश रेली कर रही है|लेकिन दोनो सायद ही एक दुसरे के खिलाफ सीबीआई जैसी ताकत का इस्तेमाल एक दुसरे को सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी साबित करने के लिए करते हैं|और न ही ये दोनो एक दुसरे की जमा उन कालाधन पर हाथ डालते हैं,जिसके इन दोनो ही पार्टियो में अपनी सत्ता पावर का गलत इस्तेमाल करके बटोरने का आरोप लगता रहा है|जिस कालाधन का भरपुर उपयोग चुनाव में करने का लगता रहा है|क्योंकि ये दोनो ही पार्टी सबसे अधिक धन चुनाव प्रचार में खर्च करती है|इसलिए मैं तो यही कहुँगा कि एकबार इन दोनो ही पार्टियो को केन्द्र में भारी बहुमत से हराकर जनता इन दोनो के खिलाफ लगे बड़े बड़े आरोपो का दुध का दुध और पानी का पानी कर ले|नही तो फिर ये दोनो ही पार्टी जनता के आक्रोश का फायदा एक दुसरे के खिलाफ आक्रोशित जनता का सिर्फ वोट पाने के लिए ही रैलियाँ करती रहेगी|और जनता के आक्रोश का कोई भी उचित हल नही निकालेगी|बजाय इसके कि एकबार भारी बहुमत से कांग्रेस भाजपा दोनो को ही एक साथ हराया जाय,और इन दोनो ही पार्टी के मदत के बिना भारी बहुमत की सरकार केन्द्र में बने|ताकि इन दोनो ही पार्टी पर जो देश का सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी का आरोप लगा है, वह दुध का दुध और पानी का पानी हो सके| जो तभी मुमकिन है जब इन दोनो ही पार्टी को उस कटबंधन से दुर रखकर ही तीसरी पार्टी के नेतृत्व में सरकार बनाया जाय,ताकि यदि ये दोनो ही पार्टी देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी वाकई में हैं,जो कि भितर भितर आपस में गले मिलकर एक दुसरे को सबसे बड़ा विरोधी जर्सी पहनकर पहले से ही मैच फिक्स की तरह एक दुसरे की सरकार के समय में बचते आ रही है,तो उन्हे किसी तीसरी पार्टी के नेतृत्व में इनके बगैर कटबंधन के सरकार बनने के बाद बचने का कोई भी मौका न मिल सके|

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