मनुस्मृति भस्म हो गई है पर उसका भूत को अब तक मोक्ष नही मिला है
इस कृषी प्रधान देश में गोरो से अजादी मिलने से बहुत पहले ही संवर्णो ने मनुस्मृती रचना करके मानो खुदको जन्म से ही उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय और धन्ना वैश्य कहलाने के लिए पुरे मानव जाती में ही उच्च जाती का दर्जा आरक्षण प्राप्त किया हुआ है|क्योंकि मनुस्मृती अनुसार संवर्णो के अलावे बाकि सबको निच जाती का दर्जा दिया गया है|बल्कि नारी के साथ भी छुवा छुत करने वाले संवर्णो द्वारा अपने से निचे रखकर किस तरह से लंबे समय से शोषन अत्याचार हुआ है,इसके बारे में तुलसीदास रचित रामायण श्लोक पढ़कर जाना जा सकता है|जिसमे लिखा गया है "ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी"|इतना ही नही नारी को तो नर्क का द्वार तक भी कह दिया गया है|जाहिर है नारी चाहे जिस जात धर्म का भी हो,छुवा छुत करने वाले संवर्ण खुदको उससे उपर ही मानते हैं|बल्कि मनुस्मृती अनुसार तो पुरे मानव जाती में ही छुवा छुत करने वाले संवर्णो ने जन्म से उच्च जाती कहलाने का आरक्षण प्राप्त करके रखा हुआ है|वेद पुराणो में भी यदि नारी को देवी का दर्जा दिया तो देव का दासी बनाकर दिया गया है|और खुदको उससे सेवा कराने वाला पुरुष प्रधान स्वर्ग का इंद्र राज घोषित करके स्वर्ग अप्सराओ के साथ साथ निचे धरती पर भी नारी के साथ भारी भेदभाव और शोषन अत्याचार किया गया है|जैसे की देवो का राजा कहे जाने वाला इंद्र द्वारा अहिल्या के साथ हुआ था|जिसके चलते बाद में अहिल्या के साथ गलत हरकत करने वाले इंद्र को जो कि हवश के चलते स्वर्ग में भी एक जगह शांती से स्थिर नही रह सका,और उसे अपनी हवश पूर्ती के लिए उपर स्वर्ग में मदिरा का प्यास बुझाने के बाद निचे धरती पर हवश की प्यास बुझाने आना पड़ा|बल्कि आजकल तो निचे धरती पर स्वर्ग कहे जाने वाली क्षेत्र जम्मू कश्मीर में भी एक आठ शाल की मासुम ब्च्ची के साथ हुई बलात्कार की घटना से धरती में अन्याय अत्याचार कितना बड़ गया है,इसके बारे में कटू प्रतिक्रिया भरे पड़े हैं|बल्कि उपर स्वर्ग की अप्सराओ के हाथो मदिरापान करने के साथ बार बार अपनी गद्दी जाने की डर से उपर स्वर्ग के इंद्र द्वारा अप्सराओ को इस्तेमाल करते रहना पड़ा है|जो अपने विरोधियो की तपस्या भंग कराने के लिये ज्यादेतर तो अप्सराओ को ही भेजकर तपस्या करने वाले की तप भंग कराने का भी कपट निति हमेशा इस्तेमाल करता रहा है|जिस इंद्र को इस धरती पर भी बार बार भटकना पड़ा है|जिसके चलते धरती में भी इंद्र के बहुत सारे फोलोवर हैं|जहाँ पर इंद्र ने शादी सुदा नारी अहिल्या पर बुरी नजर रखकर स्वर्ग के साथ साथ धरती पर भी हमेशा विवादो में ही फंसा रहा है|जो अपनी हवश के चलते इतना अँधा हो गया कि उसे आँख रहते हुए भी ये दिखाई नही दिया कि वह स्वर्ग से किसी एलियन की तरह धरती पर उतरकर हवश की नशे में डुबकर जो कुछ भी कर रहा है तपस्वी गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ वह यदि उसकी भी पत्नी या बेटी के साथ कोई करेगा तो उसे भी बहुत क्रोध आयेगा|जैसे कि अहिल्या के पति गौतम को भी गुस्सा आया था|जिसके चलते उसने अपराध की सजा के रुप में श्राप दिया था कि इंद्र ने अपनी हवस पुर्ती के लिए जिस योनी के साथ धोखे से गलत काम किया है,उसी योनी को हजार की संख्या में अपने शरिर में किसी घुँघरु की तरह टांगकर घुमता फिरे|जिस तरह की श्राप देने की पावर आज सचमुच में यदि धरती में मौजुद रहती तो हाल ही में जो जम्मू कश्मीर की घटना हो या फिर इससे पहले दिल्ली की घटना हो,बल्कि हर रोज होनेवाली अनगिनत बलात्कार की घटना जो कि हर रोज देश के सभी राज्यो में कम ज्यादा पर दर्ज जरुर हो रही है,उसे अंजाम तक पहुँचाने वाले जो भी बलात्कारी हैं,सभी जेल में सजा काटने से पहले निश्चित रुप से समाज में हजार योनी नही बल्कि करोड़ो आक्रोशित लोगो द्वारा श्राप सजा देने के बाद करोड़ो योनी को किसी घुँघरु की तरह टांगकर,बल्कि घुंघरु क्यों अपडेट के रुप में बलात्कारी अपना लिंग को भी टांगकर जेल सजा काटने से पहले ही अदालत में नही बल्कि समाज में घुरते|जैसे कहीं कहीं जनता अपराधियो को गले में जुत्ता चप्पल टांगकर गधे में उल्टा बिठाकर घुमाती है|हलांकि करोड़ो लिंग योनी के बजाय हजार योनी का बोझ भी ढो नही पायेंगे ये बलात्कारी,जो अपना एक लिंग का भी बोझ को इज्जत से ढो नही पा रहे हैं,और उसपर भी ऐसा दाग लगा रहे हैं जो दाग सिधे इंसानियत में लग रही है|जिस तरह के बलात्कारियो को तो नारी योनी से पैदा ही नही होनी चाहिए थी|क्योंकि बलात्कारी अपने माता पिता पर भी दाग लगा देते हैं कि कैसा बलात्कारी बच्चे को जन्म दिया गया है?जिसे मिटाने के लिए सभी बलात्कारियो और मानव तस्करी कराकर मासुम बच्चियो को वैश्यावृती कराने वाले दलालो को सजा निचे धरती की अदालत में यदि न भी मिला हो और गंभिर अपराध करने वाले अपराधी यदि बच जा रहे हैं तो सृष्टी रचने वाले के पास दुसरी दुनियाँ में नर्क मौजुद हो या यहीं पर प्राकृति में ही मौजुद हो,अथवा यदि सचमुच में नर्क नाम कि कोई सबसे उपर की जेल होती है,जहाँ पर निचे इंसानो की अदालतो की जजो को भी सजा मिलती है यदि वे बलात्कारियो को सजा न सुनाकर उन्हे बचाते हैं,जिसके चलते बलात्कारी बार बार अदालत की सिड़ि चड़कर भी बिना सजा काटे पेशेवर बलात्कारी बनकर एक के बाद दुसरा फिर तीसरा फिर चौथा बलात्कार कर रहे हैं,उनके साथ साथ उन्हे बचाने वालो को भी वही सजा उपर नर्क में मिले जो कि बलात्कारियो को मिलेगी|चाहे जो कोई भी हो क्योंकि वर्तमान में बनी निचे की अदालत भी अंग्रेजो द्वारा ही बनाई गई है,जहाँ पर जज बनकर अंग्रेज देश गुलाम करने का फैशला कई पिड़ि तक सुनाते आ रहे थे|जिन्हे जरुर नर्क में सजा मिली होगी यदि सचमुच में नर्क होती होगी|वेद पुराण काल में तो बिना अदालत के ही श्राप सजा खुदकी आरती उतरवाने वालो को भी तुरंत सुना दी जाती थी,जिसके बारे में पुरा वेद पुराण भरे पड़े हैं कि किसे क्या क्या श्राप मिला था|पर अफसोस वर्तमान में इस तरह कि सजा प्रक्रिया मौजुद नही है!बल्कि किसी बलात्कारी को श्राप लगना तो दुर पिड़ितो की अवाज भी दबा दी जा रही है|वेद पुराण के समय दुःख से मुक्त कहे जाने वाला स्वर्ग के राजा इंद्र तक को भी चंद पल में ही स्वंय धरती में पिड़ित जनता के द्वारा ही अपनी मर्जी की सजा मिल जाता था|जैसे की पिड़ित शोषित अहिल्या के पति ने इंद्र को तुरंत श्राप सजा दे दिया था|जिस इंद्र देव को अपना पुर्वज मानने और छुवा छुत करने वाले संवर्ण हिन्दुस्तान में आरक्षण मुक्त की बात ऐसे कर रहे हैं,जैसे इस कृषी प्रधान देश के दलित आदिवासी पिछड़ी अपने हक अधिकारो को प्राप्त करने के लिए अजाद भारत का संविधान में जो कुछ आरक्षण प्राप्त किया हुआ है,उससे निचे धरती में मानवता को बहुत बड़ा हानि हो रहा है|और मनुस्मृती की रचना करके पुरे धरती में बहुत बड़ा विद्वान पंडित ज्ञान प्राप्त करके सबसे बड़ी मानवता की सेवा किया जा रहा है|जिसके चलते ही संवर्णो ने खुदको सबसे उच्च का दर्जा दे रखा है|जो कभी भी एक दुसरे के साथ छुवा छुत करने के लिए मंदिरो में ये बोर्ड नही लगाते थे,और लगाते हैं कि अंदर में छुवा छुत जैसे भ्रष्ट आचरण करने वाले संवर्णो का भी प्रवेश मना है|क्योंकि संवर्ण छुवा छुत करने के साथ साथ चाहे बलात्कारी रहे या फिर हत्यारा,उसके लिये बोर्ड लगाया हुआ नही रहता था कि उसका मंदिर में प्रवेश मना है|जिसके चलते ही तो आजतक भी इंद्र जैसे ऐसे बहुत से देव जिनपर भी किसी नारी का मान सम्मान लुटने जैसे गंभीर दाग लगे हुए हैं,उसे भी मानो दाग अच्छे हैं कहकर उनकी आरती उतारना आजतक भी जारी है|बल्कि पुजा स्थलो में भी रेप हो रहे हैं,जिसके बारे में आये दिन खबरे आती रहती है कि कुछ ढोंगी पाखंडी लोग कैसे अपने भक्तो को बहला फुसलाकर रेप करके पवित्रता का प्रवचण दिन रात सुनाते रहते हैं|जिसके बारे में तो मैं यही कहुँगा कि भले जय हो इंद्रदेव कहकर संवर्ण और कुछ घर का भेदी भी आरती उतारते रहे पर बाकि कोई भी इंसान उसकी आरती न उतारे|जिस तरह कि आरती उतरवाने के लिए भी मनुस्मृती की रचना करके खुदके लिए विशेष तरह का जन्म से ही आरक्षण प्राप्त करके ऐसी मांसिक गुलाम रचना किया गया है,जैसे बहुत बड़ा मानवता की भलाई का काम किया गया है|जिस मनुस्मृती को अजादी मिलने से पहले ही भष्म करके बाबा अंबेडकर द्वारा अजाद भारत का संविधान रचना किया गया है|जिस संविधान को आज के समय में भष्म मनुस्मृती का उस भुत से सबसे अधिक खतरा है जिसे मोक्ष प्राप्त न होने की वजह से चारो ओर मंडरा रहा है|जिससे बचके रहे वे तमाम लोग जिनको मनुस्मृती से पुर्ण अजादी चाहिए,जिनके उपर मनुस्मृती का बैताल भुत सवारी कर सकता है|जैसे कि हजारो साल बाद आजतक भी बहुत से संवर्णो के उपर मनुस्मृती का भुत सवारी कर रहा है|जिसके चलते वे आजतक भी छुवा छुत को नही थोड़ पाये हैं|गोरे देश गुलाम करना छोड़ दिए पर बहुत से संवर्ण आजतक भी छुवा छुत करना नही छोड़ पाये हैं|बल्कि अब तो मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा है,जैसे बेचारे संवर्ण ही असल में सबसे बड़ी गुलामी मनुस्मृती की कर रहे हैं,क्योंकि संवर्णो ने जिसे शुद्र कहकर लंबे समय तक उसके साथ भारी भेदभाव किया है,जो कि आज भी कर रहे हैं,उसी शुद्र ने कबका मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके ये बतला दिया है कि वह न तो गोरो की गुलामी करेगा और न ही मनुस्मृती का गुलामी करेगा,और यदि फिर भी उसके साथ बार बार छुवा छुत करके गुलामी यहशास संवर्ण कराता रहा तो शोषित पिड़ित चाहे अब जिस धर्म में मौजुद हो पुरी अजादी के लिए संघर्ष करना कभी नही छोड़ेगा,जबतक कि वह सभी संवर्णो को भष्म मनुस्मृती का भुत से भी अजादी नही दिलवा दे!बल्कि जो संवर्ण खुदको मनुस्मृती का भुत से अजाद घोषित कर चुके हैं,वे भी कहीं न कहीं मनुस्मृती रचना से अपमानित महसुश करके मानो अन्याय अत्याचार के खिलाफ लव कुश की तरह विद्रोह कर रहे हैं|हलांकि इस बात पर अभी मैं पुरी तरह से चूँकि सही नतिजे पर नही पहुँच सका हुँ,इसलिए इसपर मंथन करना जारी है!जिसपर सायद पुरी तरह से सही नतिजे पर पहुँच पाना तभी मुमकिन है,जब देश में जिस तरह सभी नागरिक का आधार कार्ड बनते समय उँगली की पहचान ली जाती है,उसी तरह सभी नागरिको की डीएनए पहचान लेकर सबकी डीएनए का मिलान की जायेगी कि कौन सचमुच में संवर्ण है,और कौन संवर्ण होकर भी डीएनए र्पोर्ट से संवर्ण नही है|तबतक फिलहाल सिर्फ भावनात्मक पहचान के जरिये ही मेरा मंथन जारी है|हलांकि सत्य को तौलकर तो यही लगता है कि जो संवर्ण आजतक भी गरिबी जिवन जी रहे हैं,भले उनकी संख्या बहुत कम होगी,उनके पुर्वज भी कहीं न कहीं शोषित पिड़ित ही रहे होंगे,जिसके चलते आजतक भी उनके साथ भी गरिबी पिच्छा नही छोड़ पा रही है|जैसे कि इस देश में ज्यादेतर गरिब इस देश के वे शोषित पिड़ित ही हैं जिनके पुर्वजो के साथ छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव होता रहा है|क्योंकि संवर्णो के बारे में ये मान्यता है कि वे अपनी जात बिरादरी के साथ जन्म से ही विशेष तरह की आरक्षित कृपा रखते हैं!जिसके चलते ही तो लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्णो का ही दबदबा कायम है!जिसके बारे में वैसे तो पहले भी मैं कई बार बतला चुँकि हुँ,पर चूँकि मेरा पोस्ट फिलहाल तो सौ लोगो तक भी ठीक से नही पहुँच पा रहा है,लगता है यहाँ भी भारी भेदभाव का भुत वायरस बनकर घुसा हुआ है,जिसका एंटीवायरस डालने के लिएका ज्यादे से ज्यादे लोगो तक ये जानकारी पहुँचा सकुँ,ताकि कम से कम जो भी कम लोग मेरा पोस्ट पढ़ते हैं वे इसे बांट सके,भले क्यों न उनमे मेरा विरोधी ही क्यों न हो!वे भी अच्छी तरह से मंथन कर सके इसलिए मैं फिर से निचे भेदभाव झांकी के रुप में एक रिपोर्ट के बारे में निचे बतला रहा हुँ!जिसे ज्यादे से ज्यादे वैसे अनजान लोगो को बांटे जो कि भेदभाव के बारे में अबतक भी अनजान हैं,या उन्हे ये गलतफेमी है कि गोरे जाने के बाद देश में अब अपने हक अधिकार को लेकर सबकुछ ठीक ठाक चल रहा है|जो मुझे निचे की रिपोर्ट से तो सबकुछ ठीक ठाक नही लगता है|जो रिपोर्ट पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा द्वारा 2000 ई० की है|
जिसमे सबसे पहले देश की राजधानी दिल्ली से ही सुरुवात की जाय!(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले जातीय आधार पर कितना लाभ आरक्षित लोगो को मिल रहा है जहाँ पर इस समय आरक्ण मुक्त रखा गया है 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
Teri maa ke chut likha hai manusmriti main maderchod rape wale ko galt hi bataya gya hai Maderch d randi ka bacah
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