उत्तम खेती प्रधान देश में आर्य मार्ग क्या होनी चाहिए

चूँकि आर्य का मतलब उत्तम होता है,इसलिए संवर्णो ने मनुस्मृती रचना करके और छुवा छुत करके इस उत्तम खेती कृषी प्रधान देश में खुदको आर्य घोषित करते हुए इस देश के मूलवासियो को नीच घोषित किया हुआ है|जिसके बाद इस देश को आर्य देश भी बार बार इसलिए कहते रहते हैं,क्योंकि कई संवर्ण इतिहासकार ये भी मानते हैं,कि मनुस्मृती की रचना करके छुवा छुत करने वाले आर्य,इसी देश के मूलवासी हैं|जो दरसल संवर्णो के द्वारा इस देश में प्रवेश से पहले उनके पुर्वजो को खुदको उच्च घोषित करके आर्य छुवा छुत करने का देश भारत ही पुरे विश्व में सबसे आर्य लगा होगा,जहाँ पर वे प्रवेश करके आर्य मनुस्मृती की रचना करके आर्य रुप से लंबे समय तक आर्य कार्य कर सके|जिसके चलते संवर्णो ने खुदको विशेष प्रकार का छुवा छुत करने वाला आर्य हिंदु घोषित करके आर्य देश रखा हुआ है|अथवा उनके अनुसार इस देश के एक मूलवासी दुसरे मूलवासी को नीच बतलाकर उसके कान में पिघला लोहा डालकर जीभ और अँगुठा काटकर और अपने ही देश परिवार के लोगो को दास बनाकर मनुस्मृती छुवा छुत आर्य राज कायम किया हुआ है|जिस मनुस्मृती राज की तुलना बाबा अंबेडकर ने रोमराज से किया है|बल्कि अबतक भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में इस देश के एकलव्य मूलवासियो का हक अधिकार अँगुठा काटकर छुवा छुत अपडेट क्या सचमुच में संवर्ण अपनो के साथ ही करता आ रहा है|जो तर्क कहीं से भी फिट नही बैठती है|क्योंकि संवर्ण छुवा छुत किसी संवर्ण से नही करते हैं|इसलिए ये बात फिट नही बैठती है कि संवर्ण इस देश के मूलवासियो के साथ अपना समझकर छुवा छुत करते आ रहे हैं|जो तर्क कुतर्क के सिवा कुछ नही लगती है|क्योंकि जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि बहुत से इतिहासकारो जिसमे कुछ संवर्ण इतिहासकार भी शामिल हैं,वे संवर्णो को बाहर से आनेवाले आर्य यानि उत्तम लोग बतलाकर बाद में तर्क देते हैं कि संवर्णो की कबिलई टोली पुरुष प्रधान था,जो इस उत्तम कृषी प्रधान  देश में प्रवेश करके अपना वंशवृक्ष आगे बड़ाया है|जिसके चलते ही संवर्ण पुरुषो का डीएनए इस देश की मदर इंडिया से नही मिलती है|इसलिए ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक में नारी शब्द मौजुद है|क्योंकि संवर्ण के पुर्वजो ने अपने साथ कोई परिवार नही लाया है,बल्कि कबिलई पुरुष टोली के साथ इस देश में प्रवेश किए हैं|जिसके बारे में चर्चा इस देश का सबसे पुराना वेद ऋग्वेद में भी जानकारी दी गई है|जिसके अनुसार संवर्ण के पुर्वज देवो का राजा इंद्रदेव गाय लुटपाट करते हुए भारत में प्रवेश किया था|जो मय दानव का खुन करके उसकी पुत्री के साथ विवाह किया था|जो कि स्वभाविक है,क्योंकि पुरे विश्व को लुटने निकला कबिलई लुटेरा शैतान सिकंदर भी तो खुदको महान बतलाकर अपनी पुरुष लुटेरी टोली के साथ ही पुरे विश्व को गुलाम बनाकर उसके अनुसार लुटपाट जैसे महान कार्य करने निकला था|जो कि अपनी लुटेरी कबिलई बरात के  साथ फारस को लुटकर अपने साथ साथ अपने गैंग का भी फारस की नारीयो के साथ लुटपाट खुशहाल परिवार बसाया था|जो बाद में इस देश में प्रवेश करके पुरे देश को जीत न सका और अंतिम में देश की प्राचीन सोने की चिड़ियाँ की राजधानी पाटलिपुत्र पर कब्जा करने से पहले ही अपना देश वापस लोट गया|जो कि बॉर्डर पर ही पुरु राजा से भिड़कर विश्व लुटेरा सपना अधुरा छोड़कर अधमरा होकर लौटा|जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी|उसी प्रकार ही मनुस्मृती भी अजाद भारत का संविधान रचना करने वाले बाबा अंबेडकर से भिड़कर भष्म हो चुकि है|क्योंकि बाबा अंबेडकर ने आजाद भारत का संविधान रचना करने से पहले ही मनुस्मृती को जलाकर उसकी तुलना रोमराज से किया है|जिस मनुस्मृती का भुत आज भी भारत में मंडरा रहा है|क्योंकि सायद शैतान सिकंदर का पुरे विश्व को गुलाम बनाने का अधुरा सपना की तरह उसका भी भारत में मनुस्मृती लागू करके पुरी तरह से छुवा छुत राज करने का सपना अधुरा रह गया है|और फिर संवर्ण खुदको देव का वंसज भी तो कहते हैं,न कि खुदको इस देश के मुलवासी कहलाने वाले शुद्रो का वंसज कहते हैं|यानी हिंदु की खाल ओड़कर दुसरे धर्मो को डराने धमकाने का काम भी ये छुवा छुत करने वाले ही कुछ घर के भेदियो को अपना विशेष भक्त बनाकर हिंदु धर्म को बदनाम किए हुए हैं|जिसके चलते ही बहुत से लोगो ने अपना धर्म परिवर्तन किये हैं|और वैसे भी एक विश्व स्तरीय डीएनए प्रयोग में भी ये बात साबित हो गई है कि इस देश के मूलवासियो के डीएनए से संवर्णो की डीएनए फिट नही बैठती है|बल्कि संवर्णो का डीएनए से काला सागर आस पास के एक विदेशी कबिलई लोगो कि डीएनए से मिलने की रिपोर्ट संवर्णो का कबिलई होना प्रमाणित हो चूका है|जिसे भी सत्य न मानने पर आखिर किसे सत्य माना जाय?क्योंकि जिनके साथ वे भारी भेदभाव करते हैं उनका डीएनए से संवर्णो का डीएनए नही मिलता है|और भावनात्मक तौर पर भी जिस प्रकार का लंबे समय से छुवा छुत किया गया है संवर्णो के द्वारा उसके अनुसार भी संवर्ण इस कृषी प्रधान देश के मुलवासी हो ही नही सकते|यानी इस देश का भी मूलवासी नही और यदि बाहर भी किसी देश का मूलवासी नही,फिर कहाँ के मूलवासी हैं?अथवा संवर्णो के पास किसी जमिन का मूलवासी कहलाने का प्रमाणित मान्यता प्राप्त नही है|जो भारत में मान्यता प्राप्त करने के लिए प्रवेश भी किए तो छुवा छुत करके भाईचारा बनाने कि कोशिष किए|अथवा आज भी संवर्ण इतने बड़े देश के मूलवासियो को उन्हे अपने ही देश के उस रुद्र मंदिरो में भी प्रवेश करने नही देते हैं,जिस रुद्र के साथ भी भेदभाव हुआ था यक्ष यज्ञ करते समय|जैसे कि मंदिरो में पुजा यज्ञ करते समय संवर्ण द्वारा इस देश के मूलवासियो के साथ भारी भेदभाव होता आ रहा है|जिसके चलते ही तो आज भी कहिं कहिं मंदिरो में शुद्र का प्रवेश मना है लिखा बोर्ड लगा हुआ मिल जाता है|लेकिन भी इस देश के मूलवासी आजतक भी छुवा छुत का आविष्कार करने वाले संवर्णो को ही इस देश की सत्ता में सबसे उच्च पदो में सबसे अधिक भागिदारी क्यों सौंपते आ रहे हैं? जिसे हासिल करने के लिए बार बार अदला बदली करके भाजपा कांग्रेस को ही चुनकर मुलता संवर्ण राज कायम क्यों हो रहा है?अथवा इस देश और देश की प्रजा का भला करने वाली सरकार बनाने का सबसे अधिक मौका सबसे अधिक वोट देकर भाजपा कांग्रेस को ही क्यों दिया जा रहा हैं?जाहिर है इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उन्होने अजादी से मुलता अबतक मानो अपने साथ में होने वाले छुवा छुत करने का इनाम के तौर पर उस भाजपा कांग्रेस की सरकार चुनते आ रहे हैं,जिसमे संवर्णो की भारी दबदबा कायम है|जिसका सबसे बड़ा प्रमाण भाजपा जिस आरएसएस की रिमोर्ट से चलती है उसका प्रमुख अबतक कितने शोषित पिड़ित को बनाया गया है?और कांग्रेस में भी अबतक कितने प्रमुख शोषित पिड़ित को बनाया गया है?बल्कि कांग्रेस ने तो अपने साठ साल का शासन काल में एकबार भी किसी दलित आदिवासी को प्रधानमंत्री नही बनाया है|खैर ये बनाये या न बनाये इनकी संवर्ण दबदबा में कोई खास फर्क नही पड़ने वाला है|चूँकि ये तो अपनी पार्टी की ओर से यदि किसी शोषित पिड़ित को बनायेंगे भी तो अपना संवर्ण रिपोर्ट से ही चलायेंगे इसकी संभावना सबसे ज्यादे है|बल्कि ज्यादेतर तो बार बार यही होता आ रहा है|फिर भी न जाने क्यों अजादी से अबतक शोषित पिड़ित द्वारा इस देश की शासन भाजपा कांग्रेस को ही सौंपते आ रहे हैं|जैसे कि बलि सम्राट ने वामन को अपना सबकुछ सौंप दिया था|जिसके बाद जिसे उन्होने दान दिया था उन्होने बलि सम्राट को जेल कि कैद ईनाम दिया था|बल्कि गोरो द्वारा भी कभी इंडिया में प्रवेश करके और इस्ट इंडिया कंपनी के लिए जगह मांगने के बाद जगह मिलने पर गुलाम इनाम दिया था|क्योंकि गोरो ने ईस्ट इंडिया कंपनी को गुलाम करने वाले कंपनी के रुप में परिवर्तित करके कुत्तो और इंडियन का प्रवेश मना है गेट में बोर्ड लगाकर दो सौ सालो से भी अधिक समय तक लुटपाट शोषन अत्याचार करते रहे|जिसके बदले भी सायद गोरो को कोहिनूर हीरा विशेष इनाम के तौर पर सौंपा गया है|जैसे कि संवर्णो की रचना मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान रचना करके मुलता किन लोगो को उस संविधान की सुरक्षा जिम्मेवारी सौंपी गई है,इसकी झांकी 2000 की एक रिपोर्ट जो कि पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष द्वारा पेश की गई है,उसे जानकर भारी भेदभाव झांकी देखी जा सकती है|जिस रिपोर्ट के अनुसार जिस कोर्ट को अजाद भारत का संविधान की सुरक्षा और उसे ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी इस समय आरक्षण मुक्त करके सौंपा गया है,वहाँ पर कुल मिलाकर आरक्षण का लाभ लेने वाले जातीय आधार पर कितना लाभ बाकि सरकारी क्षेत्रो में आरक्षित लोगो को भागीदारी के रुप में मिल रही है?2000 ई० का रिपोर्ट अनुसार हाईकोर्ट के 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जात के 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं|और तो और उसमे भी ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी में जो नारी और दुसरे धर्मो में मौजुद शोषित पिड़ितो की भागिदारी कितनी है ये तो लगभग गायब ही है|जिस तरह के भारी भेदभाव भागीदारी के बारे में विस्तार पुर्वक जाननी हो तो इस देश के लोकतंत्र के चारो स्तंभो में देश और जनता सेवा के लिए जिन उच्च पदो को इस देश की सरकार नेतृत्व के द्वारा चुना या भरा जाता है,उसके बारे में जानकर पता किया जा सकता है कि किस तरह से इस देश के शोषित पिड़ित मुलवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,उनके पुर्वज मानो अपने सर का ताज उतारकर सर में मैला तक ढोकर,बल्कि कई नई पिड़ि तो अबतक भी संवर्णो की आरती तक उतारते आ रहे हैं|लेकिन भी भारी शोषन अत्याचार करके संवर्ण आखिर कैसे भारी भेदभाव करके बार बार यहसान फरामोश बनते आ रहे हैं?क्यों आजतक भी बहुत से संवर्णो द्वारा मनुस्मृती रचना को अपना आदर्श मानकर उच्च निच छुवा छुत करना जारी है?ये तो संवर्णो के सभी नई पिड़ी भी नही जान पायेंगे कि इस 21वीं सदी का नई पिड़ि के बाद इस देश में छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव समाप्त होगा कि सिर्फ खुदको आर्य कहकर छुवा छुत करना उत्तम कार्य मानते रहेंगे?हलांकि संवर्ण भले छुवा छुत को पुरी तरह से न छोड़ पाये पर मैं तो यही आशा करता हुँ कि इस देश के शोषित पिड़ित जल्दी से भाजपा कांग्रेस को छोड़े और किसी और को भारी बहुमत से जिताये,तभी इस देश में संवर्ण छुवा छुत राज में भारी बदलाव आयेगा|

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