दुनियाँ में पुरी तरह से आत्मनिर्भर कौन लोग हैं

क्या पुरुष प्रधान समाज और क्या नारी प्रधान समाज,
मेरे ख्याल से इंसानो के द्वारा रचि गई विकाश प्रक्रिया
में नर नारी की शारिरिक प्राकृतिक बनावट को देखते हुए प्रमुख रुप से मुलता दो प्रमुख दायरे में पुरुष प्रधान काम और महिला प्रधान काम के रुप में बांटा गया हैं|इसका मतलब ये नही कि महिला का किचन का काम पुरुष नही कर सकता है और पुरुष का पैर रिक्सा चलाने वाला काम महिला नही कर सकती है|बल्कि दोनो ही एक दुसरे का काम को अच्छी तरह से कर भी सकते हैं लेकिन उतने ज्यादे संख्या में नही कर सकते जितना कि जिसे पुरुष प्रधान और महिला प्रधान के रुप में एक दुसरे से ज्यादे अधिक किया जाता है!जैसे कि एक को घर परिवार से बाहर का काम मुख्य रुप से सम्हालने कि जिम्मेवारी सौंपी गई है,और दुसरे को घर परिवार के अंदर का काम सम्हालने कि जिम्मेवारी सौंपी गई है!जिसमे दोनो ही एक दुसरे का पुरक काम कर रहे हैं|और दोनो ही अपने अपने जगह बहुत मेहनत और हुनरमंद का काम कर रहे है|इसलिए दोनो को ही एक दुसरे से कम नही समझना चाहिए!जिसे करने के लिए किस तरह कि हुनर में दोनो ही अपने अपने जगह पर माहिर हैं,उसके बारे में पता चाहे तो नर बाहर का काम को छोड़कर कुछ समय घर का काम सम्हालकर प्रयोगिक तौर पर पता कर सकता है कि वह घरेलू नारी पर कितना निर्भर है?और कोई घरेलू नारी घर का काम को छोड़कर बाहर का काम को कुछ समय तक करे तो उसे प्रयोगिक रुप से पता चल जाता है कि वह नर पर कितना निर्भर है?रही बात नर ने नारी को जन्म दिया है कि नारी ने नर को जन्म दिया है?ये तो बिना नर नारी के वीर्य अंडाणु के यदि सिर्फ नर या नारी ने किसी को जन्म दिया है कि नही ये पता करके जाना जा सकता है कि किसे किसने जन्म देने में भागीदारी निभाया है?मेरे ख्याल से सबको समझ में आ गया होगा कि नर नारी दोनो ही एक दुसरे को जन्म देने और जिवन जिने में भी निर्भर हैं|मैं ये सब बाते इतनी आत्मविश्वास के साथ इसलिए भी लिख रहा हुँ,क्योंकि मैने नर नारी दोनो ही का प्रधान माने जाने वाले काम अथवा घर बाहर दोनो ही कामो को प्रयोगिक रुप से करके नर नारी दोनो में किसकी भागीदारी रोजमरा के जिवन में सबसे अधिक होती है,इसकी सच्चाई को अच्छी तरह से महसुश कर सकता हुँ कि दोनो ही दरसल रोजमरा जिवन के कामो में एक दुसरे का पुरक हैं|घर और बाहर दोनो ही काम को एक साथ करना न तो कोई आम नारी कर सकती है,और न ही आम पुरुष कर सकता है!जिसे करने के लिए किसी खास हुनर वाला ऑलराउंडर कामो का हुनर रखने वाला व्यक्ती ही कर सकता है,जिस तरह के लोग पुरी दुनियाँ में बहुत कम ही लोग मिलेंगे जो कि घर बाहर दोनो कामो को करने के लिए खुद ही पुरी तरह से आत्मनिर्भर हैं!जिस तरह के लोगो को मैं सबसे अधिक रोजमरा जिवन में संघर्ष करने वालो कि दायरे में रखता हुँ|बाकि सभी लोग अपने अपने जगह घर या बाहर मुल रुप से एक जगह ही आत्मनिर्भर होकर अपना अपना मेहनत का काम कर रहे हैं|दोनो में किसी का भी काम कम मेहनत वाला नही है,जो कि घर का बाहर या फिर घर का अंदर का घरेलू काम का जिम्मा मुल रुप से दोनो ही मामले में अपने अपने कंधो पर उठाये हुए है|कोई घरेलू महिला भी यदि घर का सारा काम सम्हालती है तो उसके बारे में कोई भी महिला या पुरुष ये दावे के साथ नही कह सकता कि घरेलू महिला आत्मनिर्भर नही है|क्योंकि घरेलू महिला आत्मनिर्भर नही है,इसलिए उसे आत्मनिर्भर होना चाहिए कहकर सेखी मारने वालो को जिसदिन कुछ समय बाहर का सारा काम से रिटायर या फिर उसे छोड़कर घर का सारा काम खुद ही करना पड़ेगा उसदिन पता चल जायेगा कि दरसल वह किसी घरेलू महिला पर कितना निर्भर था या है?रही बात किसी घरेलू महिला का मोल उसकी मेहनत के अनुसार कितनी हो सकती है,ये तो घर से बाहर काम करने वाली महिला भी खुद पता कर सकती है कि बाहर काम करने जाने के बाद कौन कौन सी अनमोल चीजो को वह खोती चली जाती है जिसे किसी घरेलू महिला की तरह कर नही पाती है,जिसे वह पहले बड़ी आसानी से कर पाती थी!जो बात किसी पुरुष पर भी लागू होती है यदि वह किसी ऐसे पुरुष को आत्मनिर्भर न रहने कि बाते करता है,जो कि सारा घरेलू काम करके बाहर का काम तलाश रहा है,या फिर बिना मोल लिये ही फ्री में किसी हुनरमंद काम को करता रहता है|और यदि दोनो ही काम कोई करता है तब तो जैसा कि मैने इससे पहले बतलाया कि ऐसा खास ऑलराउंडर हुनरमंद व्यक्ती दुनियाँ में बहुत कम लोग होते हैं,जिनके पास इस तरह की खास हुनर मौजुद रहती है|और जो लोग न तो घरेलू काम ही ठीक से करना जानते हैं,और न ही बाहर का काम करना ठीक से जानते हैं,ऐसे लोगो को तो मैं यही कहुँगा दरसल ऐसे लोग ही दुनियाँ में सबसे बेकार लोग हैं,जिन्हे सबसे ज्यादा आत्मनिर्भर का ज्ञान बांटने कि जरुरत है|क्योंकि ऐसे लोगो को यदि मुसिबत में बिना धन के छोड़ दिया जाय तो ये तो पास में सार्वजनिक या अपना नदी कुँवा तालाव वगैरा रहते हुए भी प्यासा मर जायेंगे|बल्कि सायद अपना पिछवाड़ा भी धो या पोछा नही पायेंगे बिना पैसे खर्च किए!जैसे कि जो लोग घरेलू काम करना नही जानते हैं,उनके पास यदि धन न हो तो वे तो बिना किसी की मदत के भुख प्यास से ज्यादे दिन टिक ही नही पायेंगे|जबकि अजादी के समय जितनी अबादी पुरे देश की थी उतनी अबादी अब भी बीपीएल जिवन जीने के मजबूर है इस देश में,जिनमे से ज्यादेतर लोगो कि नई पिड़ी अबतक भी गरिबी दुर न कर पाने के बावजुद भी जिन्दा इसलिए हैं,क्योंकि वे घरेलू काम या फिर बाहर का काम दोनो ही करना जानते हैं,बस उन्हे उस काम के बदले धन नही मिलता है,या तो बाहर काम करते समय उन्हे न के बराबर ही धन मिल रहा है|क्योंकि वे जो काम करते हैं उसे छोटा मोल का काम कहकर कम धन दे दिया जाता है|जैसे की किसी को खुदका मल मुत्र साफ करने का कथित छोटा काम में कोई धन नही मिलता है|लेकिन यदि वह किसी के कहने पर दुसरो का मल मुत्र साफ करने जाय तो उसे कुछ तो धन जरुर मिलेगा|जैसे कि सफाई अभियान हजारो करोड़ सिर्फ प्रचार में ही बहुत बड़ा काम का मोल बतलाकर प्रचार करने वालो को देकर बहुतो को तो अब भी सर में मैला तक ढुलवाकर छोटा मोल का काम कहकर बहुत कम धन दिया जाता है|हलांकि यदि कोई अमिर टॉयलेट में भी यदि किसी वाशिंग मशीन की तरह का ही कोई पिछवाड़ा धोने या पोछाने का मशीन लगवाता तो उस काम के लिए मशीन बनाने वाली कंपनी को खुब सारा धन चुकाना पड़ता,जैसे कि कपड़े धोने का मशीन में चुकाना पड़ता है|जिस तरह का मशिन सायद ही शौचालय में लगी रहती होगी जो कि किसी का पिछवाड़ा अपने आप ही धोकर या पोछकर साफ कर देती होगी|मेरा कहने का मतलब साफ है कि दुनियाँ में घर के अंदर का काम हो या फिर बाहर का काम हो,दोनो में कोई भी एक काम का भी हुनर जिस व्यक्ती के पास मौजुद है,उसे उस काम का धन भले क्यों नही मिल रहा हो पर फिर भी वह आत्मनिर्भर वाला काम जरुर कर रहा है|आत्मनिर्भर तो वे लोग नही हैं जो इन दोनो में कोई भी काम करना नही जानते हैं,जिन्हे किसी बच्चो की तरह लालन पालन उन दोनो कामो को जानने वाले लोग करते हैं,चाहे धन लेकर करते हैं,या फिर अपना समझकर फ्री में करते हैं,शुक्र है उनके टॉयलेट करते समय नही करते हैं,क्योंकि उन्हे बच्चो कि तरह रोजमरा जिवन में बहुत कुछ करना नही आता है|यू ही दुनियाँ में इतने सारे नौकर चाकर नही रखे जाते हैं,क्योंकि बहुत सा काम करना बहुत से ऐसे लोगो नही आता है जो कि रोजमरा जिवन में दुसरो को सायद अपनी दौलत की ताकत कि वजह से ये राय देते रहते हैं कि घरेलू महिला को आत्मनिर्भर होना चाहिए और गरिब मजदूर किसानो इत्यादि को जो लोग दिनभर सबसे अधिक मेहनत करके भी अबतक गरिब ही बने हुए हैं,उन्हे सचमुच का आत्मनिर्भर बनने के लिए कोई अच्छा सा दुसरा काम करना चाहिए|अच्छा सा काम से ऐसे लोगो का सायद मतलब खुब सारा धन जहाँ पर मिलता हो,जैसे कि विजय माल्या और बाकि बहुत से धन्ना कुबेर जिनके उपर इतना सारा धन लेकर भागने का आरोप है कि,बल्कि कई में तो आरोप साबित भी हो गया है कि जितना कि सायद हजारो लाखो गरिब सारी जिवन मेहनत करके भि बदले में मेहनताना नही हासिल कर पाते हैं|जो सभी गरिब लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि ऐसे धन्ना कुबेर लोग किस तरह का आत्मनिर्भर होकर बहुत अच्छा सा काम कर रहे हैं?क्योंकि ऐसे लोगो के लिए ऐसे बड़े बड़े  बुरे काम न करने और कोई अच्छा सा काम करके आत्मनिर्भर बनने कि सलाह देते हुए कभी नही सुने जाते है|जिस तरह के लोगो कि वजह से ये देश आज भी सोने की चिड़ियाँ के बावजुद भी गरिब बीपीएल देशो कि लिस्ट में मौजुद है|इसका मतलब ये नही कि गरिब लोग मेहनत नही कर रहे हैं इसलिए वे गरिब हैं|बल्कि जहाँ तक मुझे पता है पुरी दुनियाँ में सबसे ज्यादे खुन पसिना गरिब लोग ही बना रहे हैं|जैसे कि इस देश में भी चाहे निर्माण कार्य हो या फिर सेवा सुरक्षा का कार्य हो सबसे अधिक संख्या में धन्ना कुबेर नही बल्कि गरिब परिवार से आने वाले लोग ही सबसे अधिक आते हैं|जहाँ पर 90% और विदेशो में 10% जो कालाधन का अंबार छिपाकर रखा गया माना जाता है,वह गरिबो का नही बल्कि बहुत ज्यादे आत्मनिर्भर रहकर सेखी मारने वाले जिनकी नजर में बहुत अच्छा सा काम करने वालो के द्वारा ही बहुत ही आत्मनिर्भर रहने वाली टैलेंट कि वजह से ही तो रखा गया है|जिसे छिपाकर अमिर बनने वाले लोग दरसल मेरी नजर में दुनियाँ का सबसे बेकार लोग हैं|जिनसे ये धरती भी सबसे बड़ी बोझ में दबी हुई है,और दुनियाँ के सबसे अधिक मेहनत करने वाले भी गरिबी में किस तरह से दबे हुए हैं,अपने पिठ में ऐसे आत्मनिर्भर रहने वालो की महल खड़ा करके खुद झुगी झोपड़ी,छोटे मोटे घर या फिर फुटपाथो में भी इसके बारे में ये विडियो देखकर कोई भी दिन रात मेहनत करके कम आय या फिर न भी कमाकर अपना भी काम खुद इसी तरह करते रहने वाला व्यक्ती समझ सकता है|
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और जो इस तरह का बोझ कभी ढोया ही नही है या फिर कभी घर का काम किचन वगैरा का बोझ भी उठाया नही है,वह क्या जाने रोजमरा जिवन में सचमुच का आत्मनिर्भर होना क्या होता है?उसके लिए तो आत्मनिर्भर होना सिर्फ किसी तरह से भी बस पैसा कमाना होता है|जबकि रोजमरा जिवन में पैसा तो रण्डा रण्डी चोर लुटेरे भी कमा लेते हैं,बल्कि एकबार तो मैं टी०वी० में न्यूज देख रहा था कि कोई बहुत बड़ा खेल का आयोजन जो इस देश में होने वाला है,वहाँ पर उड़ने वाले धन को बटोरने के लिए विदेशो से विदेशी वैश्यायें जहाज से उड़कर आ रही है,जो कि घंटे की चार्ज लाखो में करती है,जितना आय सायद इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भी नही है|जिन वैश्याओ बल्कि पुरुष भी अब तो उनकी देखा देखी वैश्यावृती के धंधे में उतर गए हैं,भले उनके लिए पुरुष वैश्यालय सायद अबतक न खोली गई हो|जो सायद लुकते छिपाते जल्दी से अमिर बनने के लिए कुछ दुसरे प्रकार का आत्मनिर्भर बनने की राय मसवरा सुनकर घंटे की चार्ज करने में लग गए हैं|जिस तरह के लोगो को भी मैं सबसे बेकार लोग मानता हुँ,सिवाय उनमे भी मौजुद ऐसे लोगो को जो किसी बँधुवा मजदूर की तरह बँधुवा वैश्यावृती या दुसरे कोई गलत कामो में लगाये गए हैं|जो खुद भी उस काम को खराब मानते हैं,और अपने बच्चो को भविष्य में किसी पेशेवर कि तरह रण्डा रण्डी या फिर कोई अपराधी नही बनाना चाहते हैं|जिस तरह के लोगो को तो मैं यही कहना चाहता हुँ कि ऐसे लोग जल्दी से जल्दी मौका पाकर उस गलत काम को छोड़कर कोई ऐसा काम करे जिसे अपने बच्चो को भी कराते समय शर्म या डर महसुस न हो कि वे अपने बच्चो से कुछ गलत करवा रहे हैं|भले कम कमाई का कोई दुसरा काम करे पर ऐसा काम को जल्दी से जल्दी छोड़ने कि कोशिष करे जिससे कि मेरे ख्याल से मानवता और पर्यावरण का भी संतुलित विकाश नही होता है|बल्कि मैं तो मानवता और पर्यावरण का विकाश में सबसे बड़ी भागिदारी लेने वाले उन लोगो को भी मानता हुँ जो कि भले रोज एक रुपया न कमा रहे हो पर घर में या घर के बाहर रहकर रोजमरा जरुरत में हाथ बंटाकर बहुत से ऐसे घरेलू या बाहर विकाश का काम फ्री में कर रहे हैं जिसे यदि वे किसी का काम पर रखे जाने के बाद करते तो उन्हे उसके बदले धन जरुर मिलता और तारिफ भी मिलती कि वह काम उसे अच्छी तरह से करना आता है जो कि बहुत से लोगो को करना नही आता है|लेकिन जिसे वह काम नही आता वह धन का पावर दिखाकर सेखी मारते रहते हैं कि जल्दी से ऐसे लोग आत्मनिर्भर क्यों नही होते हैं,जिनको कोई आय नही होती है|जबकि उनके पास काम करने के लिए इतना सारा हुनर है|जिस तरह के राय देने वाले लोगो का वश चले तो वे बहुत से उन महात्मा को भी रोजमरा जिवन में धन से कमजोर देखकर आत्मनिर्भर बनने की पाठ पढ़ाने लगे,जो कि भिख मांगकर भी दुनियाँ में इतना महान कार्य किये हैं कि उनके सामने इस देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ साथ दुनियाँ के सबसे अमिर कहे जाने वाले लोग भी इतिहास में महान व महात्मा लोगो कि लिस्ट में बहुत निचे की दायरे में आते हैं,बल्कि ज्यादेतर तो उनके बराबरी करने की सोच भी नही सकते हैं|जैसे कि उदाहरन के तौर पर निचे एक लिंक के जरिये सिर्फ मैं एक झांकी दिखला रहा हुँ!
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