: महाभियोग का प्रस्ताव खारिज होना स्वाभाविक है
महाभियोग का प्रस्ताव खरिज होना स्वाभाविक है,जिसके बारे में पहले ही मुझे अंदेशा था,चूँकि भाजपा कांग्रेस का पहले से ही भितर भितर ज्यादेतर तो चुनावी रंग देने के लिए मैच फिक्स ही होता रहता है,जिसके बारे में मैने पहले भी लिखा था कि मैं कांग्रेस का समर्थक नही बल्कि महाभियोग का समर्थन में अपना राय दे रहा हुँ!अब कांग्रेस के राहुल गाँधी का कहना है कि संविधान बचाओ मुहिम में जुट जाना है,उन बुरे ताकतो के खिलाफ जो दलित आदिवासी पिछड़ी और बेटी विरोधी है|जिसका मतलब साफ है कि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी सोच के साथ महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करके जिसके खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था उसकी काबलियत को गलत बतलाने के लिए ठोस सबूत न होने की बाते कि जा रही है!जो यदि सचमुच में प्रस्ताव खारिज करने कि राय देने वालो में भारी भेदभाव करने वालो की दबदबा होगी तो वे खुद ही निश्चित रुप से इस बात का ठोस सबूत होंगे कि महाभियोग प्रस्ताव खारिज करने का फैशला दरसल भारी भेदभाव के साथ लिया गया फैशला है|चाहे तो कोई भी पता करके देख सकता है कि राय देने वाले और खारिज करने वाले में संवर्ण प्रधान भेदभाव टोली है कि उसमे सबकि संतुलित भागिदारी है?प्रस्ताव खारिज करते समय यदि काबलियत के बारे में पुच्छा जा रहा है तो मैं तो काबलियत के बारे में अपनी राय देते हुए यही बात बार बार दोहराना चाहूँगा कि यदि मनुस्मृती और अजाद भारत का संविधान की रचना के बारे में तुलना पुरे विश्व के लोगो द्वारा किया जाय तो किसी भी अजाद देश के नागरिक ये स्वीकार नही करेंगे कि मनुस्मृती में किसी अजाद देश का संविधान बनने की काबलियत है|जिस मनुस्मृती की तुलना अंबेडकर ने प्राचिन रोमराज से किये हैं|बल्कि वर्तमान रोम की अजाद जनता भी यदि प्राचिन रोमराज का विरोधी हैं,तो वे भी निश्चित तौर पर मनुस्मृती के नियम कानून को गुलाम करने वाला नियम कानून ही मानेंगे|मनुस्मृती में सबसे बड़ी खराबी तो यह है कि संवर्णो ने खुदको छोड़कर बाकि सभी इंसानो को नीच अथवा शुद्र जाती का घोषित करके रखा हुआ है|जो घोषना यदि सचमुच में पुरे धरती पर लागू हो जाती या हो जाय तो पुरे विश्व की मानवता को गुलामी के जंजिरो में जकड़ने के लिए काफी है|जिस तरह की छुवा छुत नियम कानून रचना करके दरसल बहुत पहले ही ये बतला दिया गया है कि मनुस्मृती की रचना पुरे धरती में शोषन राज करने के लिए ही की गई थी|क्योंकि असल में संवर्ण आजतक किसी भी देश में खुदको वहाँ का मूलवासी घोषित करके सुख शांती और समृद्धी कायम नही कर पाये हैं|इसलिए उनकी मांसिकता ऐसी हुई होगी कि उसके उच्च काबलियत के अलावे बाकि सब नीच अथवा शुद्र हैं|क्योंकि नीच कहे जाने वाले नीचे धरती का मूलवासी हैं,और उच्च कहे जाने वाले संवर्ण उपर आसमान का मूलवासी हैं|इसलिए वेद पुराण अनुसार देव उपर से निचे धरती पर किसी एलियन कि तरह उतरते हैं,जिसे संवर्ण अपना मुल पुर्वज मानते हैं|जिसके चलते बार बार उनके द्वारा दोहराया जाता है कि वे देव के वंसज हैं|भारत में भी संवर्ण बाहर से आकर इस देश के मूलवासियो के साथ छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव किये ऐसी इतिहास भरे पड़े हैं|जो कि गोरो के द्वारा देश गुलाम करने से बहुत पहले से ही छुवा छुत जैसे गुलामी देते आ रहे हैं|और चूँकि संवर्णो की डीएनए मदर इंडिया की डीएनए से नही मिलती है,जिसके चलते इस कृषी प्रधान देश में विज्ञान प्रमाणित भी हो चुका है कि संवर्ण बाहर से आकर अपनी छुवा छुत नियम कानून मनुस्मृती रचना करके छुवा छुत की सुरुवात किये हैं|जिसके बाद इस देश के मूलवासियो को जोर जबरजस्ती छुवा छुत थोपते आ रहे हैं|न कि छुवा छुत इस देश के मूलवासी खुद अपने साथ ही करते आ रहे हैं|जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से प्रमाणित हो चुका है कि छुवा छुत करने वालो और छुवा छुत का शिकार होने वाले लोगो कि डीएनए अलग अलग है|जिस बात को पुरी तरह से गंभिरता पुर्वक लेकर इस देश में ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक जिनके लिए भी ताड़न शब्द डालकर रचा गया है,वे चाहे इस समय जिस धर्म में मौजुद हो,उनको निश्चित तौर पर संवर्णो के द्वारा उच्च जाति के बराबर नही माना गया है|इसलिए जाहिर है संवर्ण ही इस देश में अपने भारी भेदभाव का आविष्कार करके छुवा छुत प्रवेश कराने वाले उच्च लोग हैं|जिनके भारी भेदभाव के खिलाफ जिन्हे नीच कहा गया है मनुस्मृती में वे सभी यदि एकजुट होकर अपने हक अधिकारो को वापस पाने के लिए सवर्णो की उच्च दबदबा को खत्म करना सुरु कर दे तो फिर संवर्णो के लिए खुदको जन्म से उच्च जाति का श्रेष्ट मानव बतलाकर पुरे देश में छुवा छुत राज करना तो दुर एक पंचायत में भी बिना इस देश के मूलवासियो की वोट मर्जी के राज नही कर पायेंगे!और वैसे तो अब भी संवर्ण इस देश के किसी ग्राम पंचायत और शहरी वार्ड में भी खुदको इस देश के मूलवासी उम्मिदवार कभी नही साबित कर पायेंगे|साबित कर पाते तो आजतक वे कबका छुवा छुत और भारी भेदभाव करना भी छोड़ दिये होते!जो कभि पुरी तरह से छोड़ेंगे ही नही बल्कि सिर्फ ये ढोंग पाखंड करते रहेंगे कि अब संवर्णो ने छुवा छुत करना छोड़ दिया है,और खुद भी शोषित पिड़ितो का अच्छा सेवक बन गया है|जिसके चलते अक्सर वोट के लिए शोषित पिड़ितो को ये ठगकर वोट बटोरते रहते हैं कि आजकल के संवर्ण इस देश के शोषित पिड़ित लोगो की जिवन स्तर में सुधार के लिए सबसे अधिक भले के कामो में लगे हुए हैं|इसलिए शोषित पिड़ित उनके पार्टियो में शामिल होवे और उन्हे ही वोट करें|जो कितने भले के कामो में लगे हुए हैं ये तो इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्णो का दबदबा कायम होकर कितना भला और विकाश का काम हुआ है ये तो अजादी के समय जितनी अबादी थी उतनी अबादी अभी बीपीएल भारत जो बस गई है,जिसके बारे में जानकर पता चल जाता है|जिस बीपीएल भारत में निश्चित तौर पर शोषित पिड़ितो की अबादी ही ज्यादेतर होंगे,सिवाय गिने चुने प्रतिशत में संवर्ण गरिब बीपीएल होंगे|जिन गरिब बीपीएल संवर्णो का भी यदि डीएनए जाँच कराया जाय तो मुझे यकिन है उनमे भी ज्यादेतर शोषित पिड़ित डीएनए के ही लोग निकलेंगे जो गलती से खुदको संवर्णो की टोली में शामिल करके उच्च कहलवाकर वे भी गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे हैं|जिस भारी भेदभाव का वर्तमान में प्रमुख कारन मैं इस देश के शोषित पिड़ितो द्वारा संवर्णो की झांसे में आकर उनकी दबदबा कायम रखने में भाजपा कांग्रेस को सबसे अधिक वोट करना मानता हुँ|जैसे कि अभी महाभियोग प्रस्ताव के बाद उसे खारिज करके दरसल भाजपा कांग्रेस सिर्फ दोनो ही खुदको जनता के सामने प्रमुखता से मैदान में दर्शाने के बाद समोहित होकर जनता सिर्फ कांग्रेस भाजपा में से हि किसी एक को चुने ऐसी भितर भितर मिली भगत है|सिर्फ किसी बड़ी मुद्दे को लाकर विवाद खड़ा करना इन दोनो पार्टियो का मिली भगत है|जिसका कोई खास हल नही निकलने वाली है सिर्फ कुड़ा कचड़ा कि तरह बड़े बड़े मुद्दो का अंबार लगते रहने वाली है|जैसे कि बड़े बड़े भ्रष्टाचार का अंबार लगा हुआ है,जिसका कोई खास फैशला इन दोनो ही पार्टियो की दबदबा के केन्द्र सरकार में रहते हुए नही होने वाला है|क्योंकि मेरा ये भी मानना है की भाजपा कांग्रेस एक ही सिक्के के दो अलग अलग पहलू के रुप में दरसल संवर्णो की उच्च दबदबा वाली एक ही विचार बिना गरिबी भुखमरी और छुवा छुत दुर किये ही आधुनिक भारत,साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया सोच की पार्टी है|जिस सोच की पार्टी में शोषित पिड़ित सिर्फ ज्यादेतर तो संवर्णो के निचे रहकर उनका सिर्फ आदेश पालन करते रहते हैं|इसलिए यदि इस देश के मूलवासी एकजुट होकर संवर्णो की छुवा छुत शोषन से पुर्ण अजादी पाने के लिए संवर्णो की भाजपा कांग्रेस जो कि दोनो ही एक दुसरे के पुरक हैं,जिनकी सत्ता का भेदभाव सेवा लेना बहिष्कार कर दे उनको एक भी वोट न देकर तो ही इस देश के शोषित पिड़ित लोगो कि जिवन में सबसे तेज गति से सुधार हो सकता है,अन्यथा इसी तरह ही सिर्फ विवाद खड़ा करके उसका कोई खास हल निकाले बिना जनता को भ्रमित करके कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस सरकार अदला बदली करके भारी भेदभाव सेवा का आलम चारो तरफ मौजुद रहेगी|अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी भष्म मनुस्मृती का भुत संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागु करने कि जिम्मेवारी लेने वाला न्यायालय में भी किस तरह से मंडरा रहा है इसकी झांकी पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष श्री कड़िया मुंडा का एक रिपोर्ट 2000 ई० के बारे में जानकर पता चल जाता है|जिसमे हाई कोर्ट के कुल 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC जात के 35 जज ,SC जात के 15 जज ,ST जात के 5 जज शामिल हैं!
जाहिर है इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी जिनके लिए एक श्लोक में "ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी कहा गया है,वे चाहे जिस धर्म में इस समय मौजुद हो,उन्होने और उनके पुर्वजो ने जिस तरह के शोषन अत्याचार सहकर जितने लंबे समय से छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव झेलते आ रहे हैं,उतना समय दुनियाँ के किसी भी देश के मूलवासी अपने देश में संवर्णो को ये कहकर छुवा छुत राज करने नही देंगे,और न ही कोई देश ये स्वीकार करेंगा कि संवर्ण वहाँ के पुजा स्थलो में जन्म से उच्च जाती का मनुस्मृती मान्यता आरक्षण प्राप्त करने वाले विशेष प्रकार के प्राणी हैं|रही बात इस कृषी प्रधान देश अखंड हिन्दुस्तान कि तो इस देश के सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,जिनके पुर्वजो को ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी कहकर लंबे समय तक ताड़ा जाता रहा है,जो कि आज भी खुद मनुस्मृती रचना करके खुदको ताड़ने के बजाय अजाद भारत का संविधान रचना करने वालो को आजतक भी लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो समेत लगभग सभी प्रमुख क्षेत्रो में भारी भेदभाव करके ताड़ा जा रहा है|जिसे पुरी तरह से गंभिरता से लेते हुए यदि इस देश के शोषित पिड़ित मूलवासी एकजुट होकर संवर्णो का सेवा बहिष्कार कर दे संवर्ण भी गोरो की तरह गुलाम करके भारी भेदभाव सेवा करने वाले विदेशी हैं कहकर आवाज बुलंद करके,खासकर संवर्णो की ताड़न से भी अब हमे अजादी चाहिए एकजुट मन बनाकर,तो फिर संवर्ण उसके बाद इस देश में क्या मंदिर प्रवेश वर्जित करेंगे,बल्कि इस देश के शोषित पिड़ित मुलवासी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो छुवा छुत करने वालो को ही इस देश के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम करना वर्जित कर देंगे|जिसके लिए ज्यादे नही सिर्फ सुरुवात में सबको एकजुट होने का मन बनाना होगा|जो कि फिलहाल कुछ तो एकजुट हैं पर बाकि या तो बंटे हुए हैं,या फिर मेरे साथ तो बहुत अच्छे बर्ताव होकर बेहत्तर जिवन कट रहा है कहकर संवर्णो का साथ देकर भारी भेदभाव शोषन अत्याचार की आँधी के बारे में जानते और सबकुछ देखते हुए भी शुतुरमुर्ग की तरह अपना गर्दन छिपाये हुए हैं|और संवर्ण लोकतंत्र के चारो स्तंभो में भारी भेदभाव करके इस देश के मुलवासियो के साथ आर्थिक समाजिक राजनैतिक समेत तमाम क्षेत्रो में भारी शोषन अत्याचार करने में लगे हुए हैं|जिससे पुर्ण अजादी चाहिए मन में ठानकर यदि इस देश के सभी शोषित पिड़ित सबसे बड़ी अदालत से भी बड़ी एकता की अदालत में अवाज बुलंद करे,तो फिर एक करवट में संवर्णो की भारी भेदभाव आँधी चले या फिर सुनामी आए,कुछ नही उखाड़ सकती|बल्कि संवर्ण दबदबा ही उखाड़कर फैंक दी जायेगी|क्योंकि वैसे भी संवर्ण खुद ही यदि आसमान से किसी एलियन की तरह धरती पर उतरने वाले देव को ही अपना असली पुर्वज मानते हैं,और उसके आधार पर ही छुवा छुत करते हैं कि वे तो अपने आगे आरती उतरवाने वाले देवो के वंसज हैं,फिर वे शुद्रो के साथ इस शुद्रो की धरती में क्या करने के लिए प्रवेश किए हैं?और साथ साथ जिन देवो का पुजा जिन मंदिरो में होता है,वहाँ पर यदि मनुस्मृती अनुसार शुद्र का प्रवेश मना है,तो फिर शुद्रो की धरती में रहना और एक भी शुद्र नेतृत्व में रहना भी तो मना मनुस्मृती में नियम कानून है|और सभी मंदिरो को शुद्र ही तो अपने श्रम और खुन पसिने से बनाये हैं|जिसके बारे में बाकि भी बड़े बड़े निर्माण कार्यो के बारे में पता किया जा सकता है कि जो मजदूर और हुनरमंद मिस्त्री वगैरा पसिना बहाने वाला कामो में दिनभर लगे रहते हैं,उनमे कितने संवर्ण होते हैं?जाहिर है जिन्हे आज भी कई मंदिरो में प्रवेश वर्जित है,उनकी भागिदारी होकर हि मंदिर निर्माण में सबसे अधिक श्रम करने का योगदान है|जिनसे मंदिर निर्माण कराकर बाद में मंदिर प्रवेश वर्जित बोर्ड लगाकर ये ढोंग पाखंड क्यों किया जाता है कि शुद्र को मंदिर प्रवेश नही करना चाहिए!वह भी आज सिर्फ गिने चुने मंदिरो में ही संवर्ण ही मंदिर का पुजारी बने और प्रवेश करें इस तरह का भेदभाव में भी भेदभाव करना क्यों जारी हैं?क्योंकि यदि बाकि सब सिर्फ देव का देव दास दासी बनकर सेवा करने के लिए ही पैदा हुए हैं,तो फिर कुछ मंदिरो में शुद्रो का प्रवेश वर्जित करके छुवा छुत में भी भेदभाव क्यों हो रहा है?आज भी सबके साथ भेदभाव होता रहता,बाकियो से भेदभाव करने में क्यों संकोच लगता है?जिनके लिए आज भी गिने चुने मंदिरो में चोर लुटेरो कि तरह छुपते छिपाते ये बोर्ड लगा दिया जाता है कि मंदिर में शुद्रो का प्रवेश करना मना है,और बाकि मंदिरो में प्रवेश करना मना नही है|यानी छुवा छुत करने में भी भेदभाव हो रहा है|जिसके चलते ही बहुत से शोषित पिड़ितो को ये गलतफेमी हो जाती है कि अब संवर्णो द्वारा इस देश में भेदभाव करना बंद हो गया है|और वे जहाँ पर उच्च नीच करके किसी का भी रोक बोर्ड नही लगा रहता है मंदिरो में,वहाँ पुजा करने जाकर किसी छुवा छुत की भेदभाव आँधी में शुतुरमुर्ग की तरह अपना गर्दन छिपाकर ये बतलाते फिरते हैं कि इस देश में भेदभाव समाप्त हो गया है|जिनके साथ यदि वाकई में शुद्रो का प्रवेश वर्जित बोर्ड लगा मंदिरो में भी पुजा करने जाने पर एक भी भेदभाव नही होता या नही हो रहा है,तो फिर सायद इसलिए नही हो रहा है,क्योंकि वे सुट बुट पहनकर छुवा छुत करने वालो की तारिफदारी करके उनको खास तरह का फायदा पहुँचाने में लगे होते हैं,या फिर रोजमरा जिवन में सारी सुख सुविधा पाकर उन्हे बहुत बड़ी गलतफेमी हो जाती है कि उनके साथ भेदभाव नही हो रहा है|जिस तरह के गलतफेमी का शिकार हुए लोगो के द्वारा भेदभाव करने वालो को आत्मविश्वास बड़ाने में खास फायदा होता है|जिसकी वजह से ही तो आजतक भी छुवा छुत करने वालो की हौसला बुलंद है,और आज भी मनुस्मृती को भष्म करके अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी भष्म मनुस्मृती का भुत इस कृषी प्रधान देश में मंडरा रहा है|जबकि बहुत से इतिहासकारो द्वारा जिनमे पंडित नेहरु जैसे कई संवर्ण भी मौजुद हैं,उनके अनुसार भी संवर्ण इस देश में कहीं बाहर से प्रवेश करके बसे हैं|जो संवर्ण इस देश के मुलवासियो को आज भी उनके अपने ही भूमि के कई मंदिरो में प्रवेश करने नही देते हैं|जैसे कि कभी खुद इस देश में प्रवेश करने वाले गोरे,इसी देश कि भुमि पर कब्जा करके गेट में ये बोर्ड लगाते थे कि अंदर कुत्तो और इंडियन का प्रवेश मना है|जो कि खुद हाथ फैलाकर ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए जगह मांगकर बाद में मौका पाकर लुट इंडिया कंपनी बनाकर दो सौ सालो से भी अधिक समय तक देश को गुलाम बनाकर वायु,जल और स्थलल तीनो ही मार्गो से दुसरे का धन को अपना विकाश करने के लिए हर रोज लुटते रहे!जिन अंग्रेजो से अजादी मिलने के बाद अब एकलव्यो का हक अधिकार अँगुठा काटकर संवर्ण कबतक भारी भेदभाव करते रहेंगे ये तो भविष्य ही बतलायेगा|जिसकी भविष्यवाणी एग्जिट पोल कि तरह सटिक नही बतलाया और दिखलाया जा सकता है!बस ये जरुर बतलाया जा सकता है कि जबतक इस देश के शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,वे सभी एकजुट होकर अपनी दबदबा की भारी बहुमत और नेतृत्व की सरकार इस देश में नही बनायेंगे तबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में संवर्ण दबदबा एग्जिटपोल बड़त बरकरार रहेगी|जिससे इस देश के शोषित पिड़ितो कि बुरे हालात में सुधार साईनिंग इंडिया,डीजिटल इंडिया में सबके अच्छे दिन आनेवाले हैं कहकर वैसा ही भेदभाव विकाश होता रहेगा जैसे कि कांग्रेस सरकार के समय भी आधुनिक भारत गरिबी हटाओ कहकर भारी भेदभाव होता रहा है|ये दोनो ही संवर्ण दबदबा वाली पार्टी भितर से गले मिलकर छल कपट करके अदला बदली करके संवर्ण दबदबा वाली सरकार बनाते रहेंगे|खासकर तबतक जबतक कि शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो सभी एकजुट होकर कांग्रेस और भाजपा दोनो ही पार्टी को भारी बहुमत से नही हरायेंगे|जिन्हे हराने के लिए जरुरी है कि मीडिया या फिर बाकि भी जगह में कांग्रेस भाजपा जो खुदको प्रमुख पक्ष विपक्ष बतलाकर लड़ते रहते हैं,उसे सिरियश अथवा गंभिर न लेकर शोषित पिड़ित इस बात के लिए हमेशा गंभिर रहे कि ये दोनो संवर्ण दबदबा वाली पार्टी सिर्फ जान बुझकर आपस में प्रमुख पक्ष विपक्ष के रुप में गुत्थम गुत्था इसलिए होती है,क्योंकि इन दोनो को पता है कि दोनो में हार जीत की लड़ाई के बाद चाहे दोनो में जिसकी भी सरकार रहेगी तबतक संवर्णो को कोई खास ऐसा नुकसान नही होने वाला है जिससे कि इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में जो संवर्णो की दबदबा है,उसकी बड़त में अचानक से गिरावट आना सुरु हो जायेगा|क्योंकि आपस में गुत्थम गुत्था होकर कांग्रेस भाजपा में चाहे जिसकी भी सरकार बनती है,सबसे अधिक लाभ संवर्णो को ही हो रहा है|जिस गुत्थम गुत्था में कुछ तो शोषित पिड़ित भी खुदको शामिल करके बहुत बड़ा संघर्ष कर रहे हैं ऐसी गलतफेमी का शिकार होकर शोसल मीडिया में भी पुरी आत्मविश्वास के साथ किसी धारावाहिक एपिसोड की तरह हर रोज कांग्रेस भाजपा का समर्थन करते हुए आपस में लड़ते रहते हैं!जो थक हारकर कभी कांग्रेस में तो कभी भाजपा में शामिल होकर भाजपा सरकार या फिर कांग्रेस सरकार चुनने के लिए कुद पड़ते हैं|उसके बाद फिर से वही पुरानी भाजपा या फिर कांग्रेस का तारिफदारी करने का दौर अपडेट हो जाता है|जिस तरह कि अदला बदली करके कांग्रेस भाजपा सरकार बनते रहने तक शोषित पिड़ितो के बुरे दिन और सबसे अधिक गरिबी भुखमरी के साथ साथ भारी भेदभाव कि आँधी भी चलती रहेगी|और उस आँधी में अपना सर शुतुरमुर्ग की तरह छिपाकर भाजपा कांग्रेस सरकार अदला बदली करके चुनी जाती रहेगी|
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