Khoj123 देश में आरक्षण और इंसान में जन्म से उच्च आरक्षण दोनो में कौन ज्यादे जरुरी


जिस मनुस्मृती में मात्र एक अजाद देश का संविधान बनने की काबिलियत नही उसके रचनाकार को अपना खास पुर्वज मानने वाले संवर्ण आज भी खुदको पुरे मानव जाती में उच्च जाती कहलवाकर जन्म से ही मानो पुरे मानव जाती में विशेष प्रकार का उच्च आरक्षित घोषित करके रखा हुआ हैं|खासकर बहुत से मंदिरो में तो आजतक भी शुद्र का प्रवेश मना है बोर्ड लगाकर संवर्णो ने विशेष प्रकार का पुजारी और भक्त बनने का आरक्षण जन्म से ही प्राप्त किया हुआ है|जो संवर्ण आज इस देश में आरक्षण का विरोध ऐसे कर रहे हैं,जैसे वे तो जन्म से ही पुरे मानव जाती में उच्च विद्वान पंडित,वीर क्षत्रीय,धन्ना वैश्य जाती कहलाने का आरक्षण प्राप्त कर सकते हैं,पर इस देश के मुलवासी अपने ही देश में अपना हक अधिकार प्राप्त करने के लिए आरक्षण प्राप्त नही कर सकते हैं|दूसरी तरफ संवर्ण किसी नारी के गर्भ से जन्म लेने से पहले ही ब्रह्मा के मुँह छाती और जंघा से अप्राकृत रुप से जन्म लेकर उच्च जाती का मान्यता प्राप्त किए हुए हैं|क्योंकि मनुस्मृती रचना अनुसार अप्राकृतिक रुप से जन्मे मुँह छाती और जंघा से पैदा होने वाले उच्च जाती का मनुष्य और बाकियो को शुद्र का दर्जा दिया गया है|जिस तरह कि रचना करने वाले संवर्ण खुदको बहुत बड़ा सत्य का आरक्षित पुजारी मानकर मानो मनुस्मृती जैसा ही सत्य न्याय पाने के लिए आरक्षण का विरोध कर रहे हैं|ताकि इस देश के अजाद भारत का संविधान में आरक्षण प्राप्त करके भी शोषित पिड़ित उनसे मानो निचे दबकर हमेशा उनकी सेवा करते रहे|जिन छुवा छुत करने वाले संवर्णो के द्वारा सिर्फ दिखावे के लिए रामराज की खाल ओड़कर ये ढोंग पाखंड की जाती है कि दबे कुचले लोगो को उपर उठाना है|जो असल में दरसल आरक्षण प्राप्त करके शोषित पिड़ित कभी निचे से उपर संवर्ण दबदबा वाली पदो पर न आएं ,बल्कि निचे दबकर मुल रुप से देव दास दासी बनकर हमेशा सेवा ही करते रहे इसके लिए दिन रात भारी भेदभाव की जाल बुनी जाती रही है|जिसमे फंसाकर अपने शिकार को भारी भेदभाव करने की विशेष बंधनो से जकड़कर उसके मान सम्मान का दम घोटता रहे ऐसी नीति बनाई जाती रही है|जिनके लिए लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करना किसी स्वर्ग की सिंहासन से कम नही है|जो की अब चूँकि डोल रही है,इसलिए आरक्षण को लेकर इतनी हलचल हो रही है|क्योंकि छुवा छुत करने वाले संवर्णो को पता है कि आरक्षण कि वजह से इस देश के शोषित पिड़ित को एकदम से रोका नही जा सकता है|जिसके चलते आरक्षण प्राप्त सारे सरकारी क्षेत्रो को धिरे धिरे निजि क्षेत्रो में देकर मानो न के बराबर सरकारी क्षेत्र रखने कि इंद्र जाल बुनी जा रही है|जिस इंद्र का सिंहासन को आरक्षण के रहने से भारी नुकसान हो रहा है|क्योंकि आरक्षण की मांग विस्तार रुप धारन करते जा रही है|और इसकी चपेट में भविष्य में निजि क्षेत्र भी आयेगी इससे इंकार नही किया जा सकता है|जिसकी वजह से स्वभाविक है कि इस देश की स्वर्ग सिंहासन को हिलने से अब रोक पाना लगातार कठिन होता जा रहा है|इसलिए उसे बचाने के लिए ही तो इंद्र जाल बुनी जा रही है|जिसके लिए खासकर चूँकि शुद्र कहे जाने वाले और नारी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,दोनो के साथ भारी भेदभाव शोषन अत्याचार हो रहे हैं|इसके चलते ही कभी कभी आरक्षण की अवाज को दबाने के लिए धर्म और जाती कि आवाज को बड़ा दिया जाता है|क्योंकि भारी भेदभाव करने वालो को पता है कि इस देश में सभी धर्मो और जात के लोगो में मौजुद भारी भेदभाव का शिकार जो लोग भी मुल रुप से मौजुद हैं,उनके लिए भी खास जरुरत महशुष करके आरक्षण की मांग समय समय पर उठती रहती है|जिसके बारे में मैने इससे पहले चर्चा किया है कि आरक्षण विस्तार रुप धारन करते जा रही है|जो कहीं भविष्य में इस देश में उच्च जाती के कहे जाने वाले नागरिको में से जिन्हे भी भितर से कहीं न कहीं लगता है कि उनके भितर जो डीएनए मौजुद है,वह आजतक भी छुवा छुत को छोड़ न पाने वाले संवर्णो कि डीएनए से नही मिलता है,अथवा उनके पुर्वज भी वही लोग हैं,जिनको मनुस्मृती में शुद्र घोषित करके इस कृषी प्रधान देश में लंबे समय तक शोषन अत्याचार किया गया है,ये सब बात भितर से महशुष करके उनको भी संवर्ण भेदभाव ज्यादे जरुरत महसुश होने पर अपना डीएनए जाँच कराकर और फिर सही साबित होने पर वे भी आरक्षण की मांग न करने लगे ये कहकर की वे भी संवर्ण नही बल्कि शोषित पिड़ित डीएनए का ही हैं|हलांकि अब डीएनए जाँच पर कोर्ट ने रोक लगा दिया है|लेकिन फिर भी डीएनए जाँच छोड़कर किसी दुसरे माध्यम का मापदंड अपनाकर आरक्षण मांग की आवाज वॉल्युम लगातार बड़ते ही जा रही है|जिस अवाज को भी दबाने के लिए जात धर्म का वॉल्युम को बड़ा दिया जाता है|ताकि जात धर्म की उच्ची आवाज से हक अधिकारो की आवाज को दबाया जा सके|जिसे दबाने के लिए धर्म और जात के नाम से हिंसा हो ऐसी ऐसी अपराध की घटनायें जान बुझकर सोची समझी फंदा लगाने वाली शिकारी और परजिवी हुनर के अनुसार मानो दबाने और ध्यान भटकाने की सुपारी दी जाती है|जिसके चलते छोटे छोटे मासुमो के साथ होने वाले बलात्कार और मानव तस्करी करके उन्हे वैश्यावृती कराने जैसे गंभिर अपराधो में भी जात धर्म का वॉल्यूम बड़ने से विरोध प्रदर्शन में काफी बड़ा भेदभाव अंतर देखने को मिलता है|जैसे की जम्मू कश्मीर में आठ साल की बच्ची के साथ हुए बलात्कार और दिल्ली में हुए निर्भया के साथ बलात्कार के खिलाफ उठने वाली आवाज में भारी भेदभाव अंतर साफ साफ सुनाई दी है|जिसका सबसे प्रमुख कारन जात धर्म का वॉल्युम बड़ाने या फिर ध्यान भटकाने के लिए आग लगाउ सुपारी दे दी जाती रही है|जैसे की जब मुम्बई हमला हुआ था तो ताज होटल में आतंकि अपनी बचाव के लिए होटल में खुद ही आग लगा रहे थे ताकि जवानो का ध्यान भटके और इसी दौरान आतंकी अपना हथियार रिलोड कर सके!जात धर्म का भी आग इसी लिए लगाई जाती है,ताकि भारी भेदभाव शोषन अन्याय अत्याचार ध्यान भटकाकर रिलोड किया जा सके|हलांकि ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी श्लोक में नारी का कोई जात नही,बल्कि वह भी शोषन अत्याचार करने कि दायरे में आती है|जिसके साथ शोषन अत्याचार करने की सुपारी लेने वालो में बलि का बकरा के रुप में कुछ तो घर का भेदी भी शामिल किये जाते रहे हैं,ताकि धर्म और जात को लेकर होने वाली हिंसा और अपराध की घटना के बाद उन्हे बलि का बकरा के रुप में चड़ाया जा सके!और जैसा कि हमे पता है कि रोजमरा जिवन में अपनी इच्छा पुर्ती के लिए बलि चड़ाने वालो को बलि का बकरा की कमी नही होती है|क्योंकि जिस तरह पुरी दुनियाँ में सिक्का बनाते समय कुछ खोटे सिक्के भी पैदा होते रहते हैं|उसी प्रकार अपने ही घर का विनाश कराने के लिए भी कुछ घर का भेदी भी हमेशा पैदा होते है|जो विरोधियो के लिए बली का बकरा बनने की तैयारी करके अपनो के खिलाफ ही बलि चड़ने को तैयार हो जाते हैं|और फिर आतंकी से भी तो देश के भी लोग मिले हुए हैं ऐसी खबरे आती रहती है|जिसमे आतंकियो का मास्टरमाईंड पाकिस्तान है आवाज उठाकर वोट बटोरने के बाद सरकार बनते ही सुर एकदम से बदल जाते हैं,ऐसी बाते दोनो ही तरफ कही जाती है|जो स्वभाविक है क्योंकि आतंक का मास्टरमाईंड को भारत पाकिस्तान किसी भी देश का सरकार चाहे रुस अमेरिका या फिर कोई और देश ही क्यों न हो,कभी भी उन्हे बहुत बड़ा महान कार्य करने वाले लोग बतलाकर परिभाषित नही करेंगे,बल्कि ऐसे लोगो के आतंकी ठिकाने को पुरी दुनियाँ के रक्षक खोजते रहते हैं,ठिकाना लगाने के लिए|इसलिए मास्टरमाईंड खुद कोई आतंक सायद ही करते हैं,बल्कि खुद बच निकलने के लिए सुपारी देकर आतंक कराते हैं|जिसके लिए उनके पास खुब सारा कालाधन भी है,और ब्रेन वाश करने का काला मन भी है|जिससे ज्यादेतर युवा लोग जल्दी से शिकार हो जाते हैं,जैसे कि कसाब भी युवा था!क्योंकि युवा उम्र में तन मन ज्यादे भटकता है|जिसे जिसने भी काबू में कर लिया समझो वह व्यक्ती अपने जिवन में महान बन सकता है|इसलिए आतंक का सबसे बड़ा बड़ा नेतृत्व ज्यादेतर युवा नही कोई बुजुर्ग ही करता है|और बुजुर्ग यदि आदर्श बनने का महान विकाश कार्य न करके विनाश कार्य यदि करने लगे तो फिर तो ओल्ड इज गोल्ड नही बहुत बड़ा फोल्ड बन जाता है|इसलिए मेरा निजि विचार है कि बुजुर्गो को भी बहुत सोच समझकर उच्च पदो में बैठाना चाहिए,नही तो फिर वे तो उम्र के वैसे भी अंतिम पड़ाव पर रहते हैं जिन्हे यदि माथा फिर जाय तो भविष्य की चिंता नही बल्कि सिर्फ वर्तमान कि चिंता रहती है कि कैसे तत्काल बचकर जितनी भी पुरानीअंतिम इच्छाये हैं उसे पुरा कर ली जाय भविष्य में कौन मारे रहना है|युवा तो सिर्फ अपना वर्तमान और भविष्य दोनो ही बर्बाद करने के लिए ज्यादेतर बलि का बकरा बनाये जाते हैं|जैसे कि शैतान सिकंदर भी तेईश साल का बली का बना था उन मास्टरमाईंड लोगो का जो सिकंदर को बहुत बड़ा महान बनने का ब्रेनवाश करके विश्व लुटेरा बनने का वायरस डालकर भेजा था|जो वायरस आज भी बहुत से युवाओ पर शैतान सिकंदर के बजाय जो जीता वही महान सिकंदर उछल कुद करते हुए बलि का बकरा बनने के लिए नारा लगाते रहते हैं|जिसके चलते शैतान सिकंदर कि तरह बहुत से युवा भरी जवानी में शिकार हो जाते हैं,और मास्टर माईंड बुजुर्ग कई बार तो घाट पर भी पड़े पड़े युवा भविष्य कि बाते करते हुए कई जवानो को फुल माला पहनाते रहते हैं|जैसे की धर्म और जात कि आग लगाकर ज्यादेतर तो युवा ही शिकार हो रहे हैं|जिससे भी ज्यादे कोई घर का भेदी जैसे खतरनाक वायरस से ग्रसित हो जाते हैं जो किसी घर का विनाश अपने ही किसी घर के भेदी द्वारा अपने विरोधियो से मिलकर हो जाता है|हलांकि फिर भी चूँकि सत्य को तौलकर देखा जाय तो धर्म और जात को लेकर हिंसा कराने की जो सुपारी दी जाती है फंदा के रुप में,उसमे मास्टर माईंड घर का भेदी नही बल्कि कोई और ही होता है,जिसके सामने घर का भेदी अपना सिर झुकाकर जो आदेश आका कहकर पाँव पसार देता है,इसलिए साफ तौर पर इस तरह की साजिशो के बारे में मंथन करके कोई भी शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करने वाला व्यक्ती समझ सकता है कि लड़ाई में विरोधी के बिच मौजुद घर के भेदी और उसी के जैसा ब्रेनवाश किए हुए अनगिनत लोगो से मात्र अपने हक अधिकारो की लड़ाई जीतना ही असली जंग जितना नही होता है,बल्कि असली जड़ मास्टरमाईंड को सुधारकर या फिर हराकर अथवा उसे सजा देकर ही पुरा जंग जितना होता है|ये नही कि कोई सुपारी किलर पकड़ा गया है तो उसे मात्र पकड़कर और सजा भी देकर भविष्य में उस मास्टरमाईंड से जुड़ा हुआ अपराध होना रुक जायेगा|क्योंकि सुपारी देनेवालो की नजर में जिस प्रकार पैसे के अलावे और भी बहुत तरह की लालच देकर खुद बच निकलने के लिये अपराध की मास्टर माईंड दिमाक होता है,जिसे पता होता है कि वह किसी सुपारी किलर को भी बलि का बकरा बनाकर खुद असली मास्टर माईंड अपराधी होते हुए भी बच निकला जा सकता है|जैसे की कसाब को फांसी पर चड़ाने के बाद भी उसे ब्रेनवाश करके आतंक फैलाने के लिये भेजने वाला निश्चित होकर असली मास्टरमाईंड आजतक बचे हुए हैं|जिनको आजतक पकड़ा नही गया है,बल्कि अब तो उसकी चर्चा भी नही होती है कि कसाब को सुपारी देने वाले अबतक क्यों नही पकड़े गए हैं?जो कि मुम्बई घटना के दिन लाईव सुपारी दे रहे थे|जो लोग जबतक पकड़े नही जाते हैं,तबतक आगे भी जिस प्रकार आतंक फैलाने के लिए किसी निर्दोश लोगो की हत्या कराने के लिए बलि का बकरा बनने वाले सुपारी किलरो की कमी नही है|उसी प्रकार इस देश में जात धर्म के नाम से हिंसा करने के लिए भी घर का भेदी अथवा बलि का बकरा बनने वालो कि कमी नही है|यू ही आयेदिन बॉर्डर से लेकर देश के अंदर भी जात धर्म के नाम से मामला गर्म नही होता रहता है|जिसे गर्म करने की सुपारी किसी मास्टरमाईंड द्वारा ही दी जाती है|जिस तरह की सुपारी गोरो के द्वारा जब देश गुलाम था उस समय भी दी जाती थी|जिस सोच के लोग अब भी इस देश में मौजुद हैं,क्योंकि हमे ये कभी नही भुलना चाहिए कि इस देश में बाहर से आने वालो में सिर्फ गोरे मौजुद नही थे,बल्कि कई कबिलई लुटेरे समय समय पर इस कृषी प्रधान देश में प्रवेश किये हैं|जिनकी लुट मार से इतिहास भरा पड़ा है|जिसके चलते ही तो बाद में मुल हक अधिकारो की आवाज को दबाने के लिए मानो अपना लुट मार वर्चस्व क्षेत्र का बंटवारा करने के लिए भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ|जिसमे लाखो निर्दोश लोग मारे गए,और अनगिनत सामुहिक बलात्कार की घटनाएँ घटित हुई जो कि कभी नही घटती यदि भारत पाकिस्तान का बंटवारा नही किया जाता|जितने लोग सायद अजादी की लड़ाई में भी एक साथ खुनी हिंसा में नही मारे गए होंगे और न ही एक साथ इतनी ज्यादे सामुहिक बलात्कार की घटना घटित हुई होगी!जिस तरह कि धर्म के नाम से हिंसा और बलात्कार कराने कि सुपारी कौन लोग दे रहे थे?जिसके बाद धर्म के नाम से जो हिंसक वारदाते अपडेट होती रहती है,वह और ज्यादे बड़ गई है भारत पाकिस्तान बॉर्डर के रुप में कि भारत पाकिस्तान का बंटवारा करके दोनो तरफ बहुत अमन सुख शांती और समृद्धी कायम हो गई है?जाहिर है जात धर्म का विवाद खड़ा करना दरसल इस देश के शोषित पिड़ित दोनो तरफ चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके हक अधिकारो की छिना झपटी हमेशा कायम रहे इसके लिए ही ऐसा शिकारी फंदा जान बुझकर लगाया जाता रहा है,जो बांटो और राज करो संस्कार मुल रुप से इस अखंड कृषी प्रधान देश का नही है|बल्कि छोटे छोटे टुकड़ो में बंटकर आपस में ही हमेशा लड़ते रहने वाले उन लुटेरे कबिलई लोगो के द्वारा बाहर से संक्रमित किया गया भ्रष्ट संस्कार है,जिन्होने अपना खास हुनर के रुप में कभी भी भितर से विशाल सागर की तरह एक जगह स्थिर कृषी सभ्यता संस्कृती को अपनाया ही नही है|जिसके चलते वे आज भी अपनी शिकारी फंदा लगाने वाली हुनर को ही सुट बुट पहनकर भी अपडेट करते रहते हैं|जैसे कि गोरो ने सुट बुट पहनकर खुदको सबसे आधुनिक समझकर फुट डालकर राज करने की शिकारी फंदा को ही अपडेट करके घुम घुमकर कई देशो को गुलाम बनाकर लंबे समय तक न्यायालय का जज बनकर भी सिलसिलेवार कई देशो में लुट पाट,शोषण अत्याचार और अन्याय करते रहे|जिनको लंबे समय तक ये समझ में नही आया था कि जिस तरह बड़े बड़े पेशेवर चोर लुटेरे चाहे जितने बड़े महलो में रहे या फिर किमती किमती मेकप रुप कोहिनूर हीरा गिप्ट में पाकर रुप श्रृंगार करे वे पकड़े जाने के बाद इंसानियत की नजर में और सचमुच का न्याय की तराजू में भी गंदी सोच और गंदी हरकत करने वाले अपराधी कहे जाते हैं|मैं कोई देश गुलाम के समय में तौली जाने वाली न्याय की तराजू और उस गुलाम समय के गोरे जजो के द्वारा न्याय करने वाली इंसानियत की बात नही कर रहा हुँ,जिसे फोलो करके अथवा किसी देश को गुलाम करके खुदको आधुनिक इंसान अपडेट कभी भी भितर से नही किया जा सकता है|जैसे कि इस देश में जो संवर्णो द्वारा छुवा छुत हो रहा है,उसके जरिये कभी भी खुदको जन्म से विद्वान पंडित तो दुर सही इंसानियत की मापदंड में तो मेरे ख्याल से किसी के साथ छुवा छुत करना भी किसी को गुलाम बनाकर शोषन अत्याचार करने से कम नही है|और इस कृषी प्रधान देश में छुवा छुत करने के लिए मनुस्मृती की रचना करके उसका मास्टर माईंड नेतृत्व संवर्णो के पुर्वजो ने ही मनुस्मृती की रचना करके किया हैं|जिनके आदेशो का पालन करके ही तो आजतक भी पिड़ि दर पिड़ि छुवा छुत जैसे भारी भेदभाव अपडेट करके शोषन अत्याचार करना जारी है|जिस छुवा छुत भारी भेदभाव की चपेट में उच्च जाती पुरुष छोड़कर बाकि सभी आते रहे हैं|जैसे की मैने बतलाया नारी को जो नर्क का द्वार और ढोल,गंवार,शूद्र,पशु नारी,शकल ताड़न के अधिकारी"जैसे श्लोक रचे गए हैं वह श्लोक ये नही बतलाती है कि शुद्र और नारी में किस जात धर्म के लोग आते हैं|और वैसे भी इस देश में शुद्र कहे जाने वाले और मदर इंडिया नारी के पुर्वज वर्तमान में चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,दोनो का ही डीएनए एक है|जो बात एक विश्व स्तरीय रिपोर्ट में साबित भी हो चुका है|जिस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकारा है|जाहिर है शुद्र और नारी ताड़न के अधिकारी भ्रष्ट आचरण करके दोनो के ही साथ शोषन अत्याचार लंबे समय से हो रहे हैं|और जैसा कि मैने बतलाया कि शुद्र और नारी चाहे जिस धर्म में मौजुद हो,सभी को एकजुट होकर अपने हक अधिकार को पाने के लिए शोषन अत्याचार के खिलाफ कड़ा संघर्ष करना चाहिए|जिस शोषन अत्याचार में अपनी भागिदारी लेकर विरोधी के रुप में यदि कोई घर का भेदी भी आता है तो वह चाहे अपनी जाती या धर्म का ही क्यों न हो उसे भी अपना घोर विरोधी समझकर उसके साथ भी वही व्यवहार करना चाहिये जो की किसी मास्टर माईंड विरोधियो से किया जाता है|जिसके साथ हिंसक या अहिंसक दोनो ही तरह की लड़ाई में विरोधी समझकर ही संघर्ष की जाती है|जिसमे सबसे बड़ा मास्टर माईंड अपना बलि का बकरा बनाकर ज्यादेतर तो सुपारी देकर ही अपना काम मानो भ्रष्ट ठिके में देकर निकालता रहता है|और साथ साथ अक्सर बचकर भी निकलता रहता है|जैसा कि धर्म और जातीय हिंसा की सुपारी जब जब किसी धर्म और जाती के नाम से हिंसा फैलाने वाले ठिकेदारो को दि जाती रही है,तब तब अक्सर मास्टरमाईंड दिमाक खुदको बचाने के लिए कोई बलि का बकरा भी साथ में तलाशते रहता हैं|जैसे कि वर्तमान में भी जो भारी भेदभाव का संघर्ष चल रहा है,उसमे भी भारी भेदभाव की सुपारी बहुत पहले ही जो दि गई है,उसका मास्टर माईंड ज्यादेतर बचते ही आ रहा हैं|जिसकी चपेट में आने वाले इस कृषी प्रधान देश में भारी भेदभाव का शिकार होनेवाले एक ही डीएनए के लोग चाहे जिस जाती धर्म से भी आते हैं,उनका डीएनए से संवर्ण पुरुषो का डीएनए नही मिलता है|जिन संवर्णो के पुर्वजो ने तो प्राकृतिक का नियम कानून को भी तोड़कर खुदको मानो इंसान जन्म से बहुत पहले ही उच्च जाती का घोषित करके इस कृषी प्रधान देश में दास दासी बनाकर अपनी आरती भी उतरवाते रहने का जाल बुनते आ रहे हैं|जबकि दुसरी तरफ चाहे किसी भी जात धर्म में मौजुद मदर इंडिया नारी हो या फिर शुद्र कहे जानेवाला पुरुष दोनो के ही साथ भारी शोषन अत्याचार होता आ रहा है|जिस तरह की छुवा छुत और ताड़न जैसे शोषन अत्याचार कितने संवर्ण पुरुषो के साथ अबतक हुए हैं या हो रहे हैं?

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