In order to bring about a balanced change in the humanity and environment of the whole world, I have given my views about politics, religion, Chunav Vagaira. पूरी दुनिया की मानवता और पर्यावरण में एक संतुलित बदलाव लाने के लिए, मैंने राजनीति, धर्म, सरकार चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार दिए हैं। pooree duniya kee maanavata aur paryaavaran mein ek santulit badalaav laane ke lie, mainne raajaneeti, dharm, choonav vagaira ke baare mein apane vichaar die hain.
प्रचार
मंगलवार, 31 दिसंबर 2019
रविवार, 29 दिसंबर 2019
आज जो झारखंड सरकार शपथ ली है वह इतिहास रच सकती है यदि वह अपने निश्चय पत्र में किए गए वचनो पर खरा उतरी
आज जो झारखंड सरकार शपथ ली है वह इतिहास रच सकती है यदि वह अपने निश्चय पत्र में किए गए वचनो पर खरा उतरी
आज के दिन शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार यदि अपने निश्चय पत्र में किये गए वचनो को निभाने में कामयाब हुई , तो झारखंड इस देश का पहला राज्य बनेगा , जो गरिबी भुखमरी से पुरी तरह से मुक्त हो जायेगा ! जो खासकर उस राज्य में बिल्कुल मुमकिन है , जहाँ पर पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक प्राकृतिक धन संपदा मौजुद है ! और चूँकि निश्चय पत्र में सभी गरिब परिवार को ₹72000/ सालाना यानि ₹6000/ प्रति माह देने का वचन लिया गया है , इसलिए यदि सभी गरिब परिवार को महिने का ₹6000/ मिलेगा तो गरिबी तो वैसे भी समाप्त हो जायेगी | और सभी वृद्ध और विकलांगो को प्रति माह ₹2500/ पेंशन देने का भी निश्चय किया गया है | बल्कि पढ़े लिखे बेरोजगार स्नातको को भी प्रति माह ₹6000/ देने का वचन लिया है | और साथ ही राशन कार्ड धारियो को राशन में सिर्फ चावल गेहूँ ही नही बल्कि तेल साबुन सब्जी चिन्नी चायपत्ती वगैरा जरुरत की चीजे भी देने का वचन दिया है | जिस निश्चय को पुरा किया गया तो निश्चित रुप से कुपोषण भी दुर हो जायेगी | सभी गरिब बेघरो को सिर्फ दो कमरे वाला घर नही बल्कि तीन कमरे वाला घर जिसमे बिजली पानी और घर के अंदर ही शौचालय की भी सुविधा हो , ऐसा घर देने का भी निश्चय लिया गया है | इतना ही नही किसी भी नागरिक को सरकारी दफ्तरो की चक्कर लगाना न पड़े इसके लिये अधिकारी खुद घर जाकर जमिन रसिद वगैरा काटेंगे इसका भी चलन कार्यालय बनाने का वचन लिया गया है | और किसानो की कर्ज फाफी होगी व जिन किसानो की जमिने लेकर वहाँ पर पाँच सालो तक कुछ नही किया गया है ,अथवा जमिन बेकार पड़ा हुआ है , उसे किसानो को वापस की जायेगी इसका भी निश्चय किया गया है | इसके अलावे भी ऐसा ऐसा निश्चय किया गया है कि यदि उसे पुरा किया गया तो झारखंड में कोई भी परिवार गरिबी भुखमरी जिवन जीना तो दुर बेघर और बेरोजगार भी नही रहेगा | जो निश्चय पुरे विश्व में आजतक न तो कोई राज्य ने लिया था , और न ही इतिहास में आजतक किसी देश ने लिया है | जिसके चलते अमेरिका जैसे देश में भी अबतक गरिबी भुखमरी और बेघर की समस्या है | बाकि तो खुद कल्पना किया जा सकता है कि गरिबी भुखमरी पुरी दुनियाँ में किस तरह उस समय भी कायम है , जब इंसान की पहुँच मंगल तक भी हो गयी है | लेकिन गरिबी भुखमरी को पुरी तरह से दुर किया जा सके ऐसा तरक्की आजतक किसी भी देश ने नही किया है | बल्कि गरिबी भुखमरी को आजतक न तो किसी अवतार ने दुर करने का निश्चय कर सका है , और न ही किसी शासक ने गरिबी भुखमरी को दुर कर सका है | हलांकि यह देश जब सोने की चिड़ियाँ वाली समृद्धी हालात में मौजुद थी , उस समय मुमकिन है इस देश में गरिबी भुखमरी नही रही होगी | अभी तो 30-40% नागरिक गरिबी रेखा से भी निचे का जिवन जी रहे हैं | जाहिर है गरिबी में कितने लोग जिवन यापन कर रहे हैं ये खुद ही जाना समझा जा सकता है | दुसरी तरफ इस देश में मुठीभर ऐसे धन्ना कुबेर भी मौजुद हैं , जो पुरी दुनियाँ के सबसे अमिर लोगो कि टॉप 10 लिस्ट में आते हैं | बल्कि कभी तो दुनियाँ का सबसे अमिर परिवार का भी खिताब इस देश के ही किसी धन्ना कुबेर का परिवार को मिल चुका है | जिसके पास दुनियाँ का सबसे महंगा ऐसा महल है , जिसे यदि बेचकर उस रकम से बेघरो के लिये घर बनाया जाय तो पुरे झारखंड में एक भी परिवार बेघर नही रहेगा | इतना महंगा घर सिर्फ एक अमिर परिवार का है | हलांकि उतनी किमत की माफी और छुट भी किसी धन्ना कुबेर को इस आर्थिक बदहाली झेल रहे देश की सरकार देती आ रही है ऐ भी अमिरी इतिहास रचा जा रहा है | खैर आज शपथ ले रही झारखंड की सरकार एक नया इतिहास वाकई में रच सकती है यदि उसने अपने निश्चय को पुरा कर लिया | और चूँकि मेरा मानना है कि गरिबी भुखमरी ही इंसान के जिवन में 90% दुःख देनेवाली समस्या पैदा करती है , इसलिये मैने अपने पोस्ट में बार बार पुरी दुनियाँ से सबसे पहले गरिबी भुखमरी को दुर किया जाय इसपर ज्यादे विचार किया है | जिसे गरिबी भुखमरी देने वाले भ्रष्ट लोग कभी भी दुर नही करना चाहते ये भी कड़वी सच्चाई है | क्योंकि जैसा कि मैने बतलाया कि गरिबी भुखमरी यदि दुर हो गयी तो इंसानो में मौजुद सबसे अधिक दुःख का कारन बनने वाली समस्याओ का अंत हो जायेगा | जिससे पहले चाहे जितना धर्म परिवर्तन करो या सरकार परिवर्तन करो 90% दुःख का अंत कभी नही होगा !
बुद्ध ने कहा था दुःख का कारन है ! जो 90% कारन मैं गरिबी भुखमरी को मानता हुँ !
बौद्ध धर्म वाले इसपर कितना सहमत होंगे यह तो मैं नही जानता , पर यकिन के साथ कह सकता हूँ कि बौद्ध धर्म तो क्या कोई भी धर्म 90% दुःख को दुर बिना गरिबी भुखमरी दुर करने पर जोर दिये , चाहे पुरी सागर को स्याही बनाकर भी धार्मिक बाते दुःख दुर करने की लिखता और बताता रहे , पर जबतक गरिबी भुखमरी दुर नही कि जायेगी तबतक चाहे इंसान की दुःख दुर करने और सुख शांती प्रेम लाने के लिए हिन्दू , बौद्ध , जैन , मुस्लिम , सिख , ईसाई ,यहूदि वगैरा चाहे जितना धर्म आगे भी और क्यों न बनता चला जाय , और चाहे धरती पर जितना अवतार और महात्माओ का जन्म होता रहे , मेरा दावा है कि बिना गरिबी भुखमरी दुर किये अमिर भी इतना दुःखी रहेगा कि दौलतमंद होकर भी दुःखी होकर आत्महत्या तक करने की नौबत उसे आती रहेगी | क्योंकि गरिबी भुखमरी के रहते दुनियाँ में अमिरी मौजुद रहना भी मानो वह श्राप या पाप है , जिसमे गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो की जब गरिबी भुखमरी से मौत होती है , तो अमिरो को वह श्राप और पाप अपनेआप लग जाता है , जिससे उसकी अमिरी को भी इतना सारा दुःख घिर आता है कि कोई अमिर आत्महत्या तक कर डालता है | मानो प्राकृति ने अमिरी गरिबी को लेकर वह श्राप दिया है कि जबतक किसी को गरिबी भुखमरी से मरते हुए देखकर दुनियाँ में अमिर लोग पेटभर खाकर सबसे अधिक धन खर्च करते हुए अपनी अमिरी शान में डुबकर गरिबी भुखमरी से मरते हुए देखता पढ़ता सुनता रहेगा , तबतक अमिरी में लगा श्राप कभी नही मिटेगा | जिसके चलते सबसे अमिर देशो में भी जैसे कि जापान में दुनियाँ की सबसे अधिक आत्महत्या की जाती है | क्या वे सिर्फ गरिबी भुखमरी से आत्महत्या कर रहे हैं ? बिल्कुल नही ! निश्चित रुप से वहाँ भी गरिबी भुखमरी और बेघर समस्या जरुर होगा ! जैसे कि इस देश में और अमेरिका में भी गरिबी भुखमरी और बेघर समस्या मौजुद है | जबकि पुरी दुनियाँ में आर्थिक असंतुलन के चलते मुठीभर लोगो के पास इधना धन जमा हो गया है कि उनकी आनेवाली सात पुस्ते भी यदि बिना कुछ किये भी बेरोजगार और गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो के बिच खुद भी बेरोजगार होकर जिवन जियेगी तो भी वह अमिरी जिवन जिते हुए मरेगी ! लेकिन चूँकि पुरी दुनियाँ में जबतक गरिबी भुखमरी मौजुद है , तबतक ऐसे धन्ना कुबेरो को भी मानो वह श्राप पिच्छा नही छोड़ेगा जिससे की उनके जिवन में भी ऐसे दुःख का अंबार लगता रहेगा , जिससे की अमिर भी दुःखी होकर आत्महत्या तक करता रहेगा | जाहिर है फिर से मैं पुरी दुनियाँ से यही कहुँगा कि गरिबी भुखमरी को दुर करो तो पुरी दुनियाँ से 90% दुःख की समस्याओ का खात्मा हो जायेगा | क्योंकि गरिबी भुखमरी दुर होने के बाद अमिर गरिब की बुद्धी नही बल्कि दुनियाँ के सभी इंसानो की बुद्धी दुःख देनेवाली समस्याओ का समाधान के लिए एकजुट होकर काम करेगी |
जिसका वचन आज शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार ने लिया है | जो सरकार भी यदि जुमला निकला तो मैं खुद भी चाहुँगा की प्रजा अगली चुनाव में जुमलाबाज ठग और झुठे वादे , झुठे निश्चय और वचन लेकर आई आज के दिन शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार को भी उखाड़ फैके ! और यदि अपने निश्चय पत्र में किये गए वचन को सरकार पुरा करती है तो 2024 ई० में झारखंड में बनी सरकार को ही पुरे देश की प्रजा देश की सरकार चुनकर इस देश को गरिबी भुखमरी मुक्त करने का निश्चय कर ले | पर चूँकि मुझे पता है कि आजतक किसी भी सरकार में गरिबी भुखमरी को दुर करने की ताकत पैदा नही हो पाई है , इसलिए निश्चित तौर पर आज शपथ लेनेवाली सरकार में भी वह ताकत पैदा नही हो सकेगी , जिससे की वह अपने किये गए निश्चय को पुरा कर सकेगी ! क्योंकि मैं एक काल्पनिक फिल्म अजुबा में बताई गई एक बात से सहमत हूँ कि जिसके हाथो जो होने को होना तय रहता है , उसी के हाथो ही पहले से तय रहता है ! जिसे कोई दुसरा चाहे जितनी कोशिष करे नही कर सकता | जिस फिल्म में एक चमत्कारी तलवार एक दिवार के खंभे पर घुसी रहती है , जिसे सिर्फ वही निकाल सकता था जिसके द्वारा निकलने की तय थी | गरिबी भुखमरी को भी दुर वही करेगा जिसके हाथो पहले से तय है | जो तय किसके हाथो है , उस एक चमत्कारी इंसान की तलास पुरी दुनियाँ के गरिबो को है | जिसे मैं सारे अवतर और महात्मा व महान लोगो से भी ज्यादे बड़कर मानता हूँ ! जिसमे पुरी दुनियाँ की गरिबी भुखमरी दुर करने की चमत्कारी सोच और हुनर मौजुद होगी !
खैर आज शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार को मेरी सुभकामनाएँ है कि वह अपने निश्चय पत्र पर खरा उतरे !
जिसका वचन आज शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार ने लिया है | जो सरकार भी यदि जुमला निकला तो मैं खुद भी चाहुँगा की प्रजा अगली चुनाव में जुमलाबाज ठग और झुठे वादे , झुठे निश्चय और वचन लेकर आई आज के दिन शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार को भी उखाड़ फैके ! और यदि अपने निश्चय पत्र में किये गए वचन को सरकार पुरा करती है तो 2024 ई० में झारखंड में बनी सरकार को ही पुरे देश की प्रजा देश की सरकार चुनकर इस देश को गरिबी भुखमरी मुक्त करने का निश्चय कर ले | पर चूँकि मुझे पता है कि आजतक किसी भी सरकार में गरिबी भुखमरी को दुर करने की ताकत पैदा नही हो पाई है , इसलिए निश्चित तौर पर आज शपथ लेनेवाली सरकार में भी वह ताकत पैदा नही हो सकेगी , जिससे की वह अपने किये गए निश्चय को पुरा कर सकेगी ! क्योंकि मैं एक काल्पनिक फिल्म अजुबा में बताई गई एक बात से सहमत हूँ कि जिसके हाथो जो होने को होना तय रहता है , उसी के हाथो ही पहले से तय रहता है ! जिसे कोई दुसरा चाहे जितनी कोशिष करे नही कर सकता | जिस फिल्म में एक चमत्कारी तलवार एक दिवार के खंभे पर घुसी रहती है , जिसे सिर्फ वही निकाल सकता था जिसके द्वारा निकलने की तय थी | गरिबी भुखमरी को भी दुर वही करेगा जिसके हाथो पहले से तय है | जो तय किसके हाथो है , उस एक चमत्कारी इंसान की तलास पुरी दुनियाँ के गरिबो को है | जिसे मैं सारे अवतर और महात्मा व महान लोगो से भी ज्यादे बड़कर मानता हूँ ! जिसमे पुरी दुनियाँ की गरिबी भुखमरी दुर करने की चमत्कारी सोच और हुनर मौजुद होगी !
हिन्दू मुस्लिम को लड़ाने वाला मनुवादी दरसल हिन्दू ही नही हैं
हिन्दू मुस्लिम को लड़ाने वाला मनुवादी दरसल हिन्दू ही नही हैं
हिन्दू कलैंडर अनुसार इस देश में जो बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाई जाती है उसे हिन्दू पर्व त्योहार कहा जाता है | और इन प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाने वाले लोग मुल हिन्दू हैं | क्योंकि इस सच्चाई पर किसी को भी एतराज नही होनी चाहिए कि इस देश के मुलनिवासियो ने ही इस देश की मुल सभ्यता संस्कृति और प्राकृतिक पर्व त्योहारो को अबतक सागर की तरह स्थिर करके रखा हुआ है | जिन्हे हिन्दू कहा जाता है , न कि मनुवादियो ने इस देश की सभ्यता संस्कृति और प्राकृति पर्व त्योहारो को अबतक स्थिर करके रखा हुआ है | जो बारह माह मनाये जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहार मनुवादियो के द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले भी मनाई जाती थी | जिन प्राकृतिक पर्व त्योहारो के बारे में जिन लोगो को नही पता वे चाहे तो पुरे हिन्दुस्तान में घुम घुमकर पता कर ले कि उन पर्व त्योहारो को क्या मनुवादियो ने बाहर से इस देश में लाया है ? और यदि हिन्दू कलैंडर के अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाने वाले दलित आदिवासी पिछड़ी मुल हिन्दू नही हैं तो फिर बाकि धर्मो में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी उस दुसरे धर्म के कैसे हुए जिसे वे अपना धर्म बतलाते हैं ? क्योंकि उन्हे भी तो पता है कि वे दलित आदिवासी और पिछड़ी हैं | जाहिर है वे यही जवाब देंगे कि उन्होने अपना धर्म परिवर्तन करके उस धर्म को अपना लिया है ! और जब वे अपना धर्म परिवर्तन करके दुसरे धर्मो को अपना लिया है तो निश्चित तौर पर वे किसी धर्म में पहले से मौजुद थे | जैसे कि आज भी उनके ही डीएनए के ज्यादेतर दलित आदिवासी और पिछड़ी मौजुद हैं | और यदि दुसरे धर्मो में जानेवाले दलित आदिवासी और पिछड़ी मुलनिवासी लोग अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाते हुए ही इस देश में पुजा पाठ करते थे तो जाहिर है वे भी हिन्दू धर्म में ही मौजुद होंगे | क्योंकि हिन्दू कलैंडर के अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार इस देश में तब से मनाई जा रही है जब इस देश में कोई दुसरा धर्म मौजुद ही नही था | क्योंकि बुद्ध और महावीर भी अंबेकर की तरह हिन्दू परिवार में जन्म लेकर हिन्दू धर्म में मौजुद अप्राकृति ढोंग पाखंड का विरोध किया था , न कि प्राकृति में मौजुद उस सत्य का विरोध किया था जिसकी तलाश उन्होने भी किया है | जिस सत्य की पुजा हिन्दू करता है | जिसमे मनुवादियो ने ढोंग पाखंड और छुवा छुत का संक्रमण कर दिया है | जो बात अपना हिन्दू धर्म परिवर्तन करने वालो को जरुर पता होनी चाहिए कि छुवा छुत ढोंग पाखंड मनुवादियो द्वारा दिए गए हैं | मुल हिन्दू छुवा छुत नही करता | जैसे की अंबेडकर भी हिन्दू धर्म में रहते कभी भी छुवा छुत नही किए | और न कोई अन्य मुलनिवासी हिन्दू छुवा छुत करता है | जो मुल हिन्दू प्राकृति की पुजा करके कोई छुवा छुत और ढोंग पाखंड नही करता है | बल्कि साक्षात मौजुद उस सत्य प्राकृति की पुजा करता है , जिसपर सारे धर्मो के लोग ही नही पुरी दुनियाँ टिकी हुई है | जिस प्रमाणित साक्षात सत्य की पुजा करनेवाला हिन्दू धर्म में ढोंग पाखंड और छुवा छुत का संक्रमण मनुवादियो ने किया है | जिस छुवा छुत और ढोंग पाखंड का विरोध करते हुए बौद्ध और जैन धर्म को जन्म दिया गया है | छुवा छुत और ढोंग पाखंड का विरोध करने वाले बुद्ध और महावीर के नाम से ही बौद्ध और जैन धर्म को बाकि सभी धर्मो के लोग जानते हैं | जिस बुद्ध और महावीर का जन्म से पहले भी यदि इस देश में किसी की पुजा की जाती रही है तो वह प्राकृति की पुजा की जाति रही है | जिसके बाद ही बुद्ध और महावीर का मंदिर बनाकर उनकी मूर्ति पुजा की सुरुवात हुई है | जिससे पहले बुद्ध और महावीर के परिवार में मौजुद लोग किसकी पुजा करते थे ? क्या वे बुद्ध और महावीर के जन्म से पहले भी बुद्ध और महावीर की ही पुजा करते थे ? मनुवादि भी ब्रह्मा विष्णु इंद्रदेव और राम हनुमान वगैरा के जन्म से पहले किसकी पुजा करते थे ? बल्कि इस देश के वे मुलनिवासी जो अपना धर्म परिवर्तन करके अब दुसरे धर्मो के मुताबिक पुजा पाठ करते हैं वे भी क्या यह नही जानते कि अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले वे किसकी पुजा करते थे ? और वे किसे धारन किये हुए अथवा किस धर्म में मौजुद थे ! जैसे की अंबेडकर भी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले हिन्दू धर्म में मौजुद थे | जिसके चलते ही तो उन्होने हिन्दू रहते हिन्दू कोड बिल भी लाया और हिन्दू मंदिरो में प्रवेश करने का आंदोलन भी चलाया | क्योंकि हिन्दू रहते हिन्दुओ द्वारा भेदभाव करते हुए हिन्दू मंदिरो में प्रवेश करने न दिया जाना दुनियाँ के किसी भी इंसान को जिसके पास थोड़ी बहुत भी यदि बुद्धी होगी तो ये सोचने के लिए मजबुर करेगा कि भेदभाव करके अन्याय अत्याचार हो रहा है | और फिर मनुवादियो ने तो खुदको जन्म से ही हिन्दू धर्म का पुजारी घोषित करके हिन्दू वेद पुराणो में मानो अपनी मनुवादि सत्ता कायम करने के बाद मनुस्मृति लागू करके जोर जबरजस्ती कब्जा करके हिन्दू वेद पुराणो का ज्ञान लेना और हिन्दू मंदिरो में प्रवेश करना मना करके रखा हुआ था | जो आज भी मनुवादियो द्वारा छुवा छुत करते हुए कई मंदिरो में इस देश के मुल हिन्दुओ को प्रवेश मना है | मनुवादियो द्वारा उच्च निच भेदभाव करके मंदिरो में शुद्रो का प्रवेश मना है बोर्ड गोरो की गुलामी के समय भी लगा हुआ रहता था | इसलिए तो गोरो की गुलामी में भी भेदभाव के खिलाफ आंदोलन चलती रहती थी | जिसके चलते अंबेडकर ने गोरो से अजादी मिलने से बहुत पहले ही मनुस्मृति को जलाया था | जिस तरह के आंदोलन अब भी चल रहे हैं | जो आंदोलन चलाने वाले मुल हिन्दू हैं | न कि उनका कोई धर्म ही नही है और वे हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते हुए पुजा करने वाले सभी मुलनिवासी नास्तिक हैं | जिन मुल हिन्दुओ द्वारा हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहारो के खिलाफ क्या वे खुदके ही खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं ! असल में हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाने और प्राकृति पुजा पाठ करने वाले इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियों का कोई धर्म नही है ऐसा इसलिए भी कहा जाता है ताकि उन्हे दुसरे धर्म के नाम से भ्रमित करके धर्म परिवर्तित कराया जा सके | जिसके लिए ही तो लार टपकता रहता है उन लालची लोगो का जिनको इस देश के मुल हिन्दुओ को हिन्दू नही है कहते हुए सिर्फ इस बात से मतलब रहता है कि किसी तरह बस मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार का शिकार मुल हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन करके उनके साथ हो लें ! और उनका धर्म के नाम से चलने वाला धँधा में दिन दोगुणी रात चौगुणी बड़ौतरी हो | जिनमे बहुत से वैसे मुलमिवासी भी हैं जो हिन्दू धर्म को मनुवादियो का धर्म समझकर दुसरे धर्मो में जाकर सायद अब पराया धर्म महसुश करते हुए अपने ही डीएनए के मुल हिन्दुओ की प्राकृति पर्व त्योहारो से जलते हैं | क्योंकि हिन्दू सभ्यता संस्कृति में रहकर उन्होने जिस धर्म को अपनाया है वहाँ पर इतनी सारी पर्व त्योहार मौजुद नही हैं जितने कि हिन्दू धर्म में मौजुद हैं | जो कि निश्चित तौर पर इतने सारे पर्व त्योहार इस देश में मनुवादियो और दुसरे गुलाम और दास बनाने वाले विदेशी कबिला का प्रवेश से पहले सबसे अधिक सुख शांती और समृद्धी लानेवाली उत्सव हुआ करती होगी | जिन बारह माह मनाये जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाने वाले इस देश के मुलनिवासी मुल हिन्दू हैं | न कि मुल हिन्दू छुवा छुत करने वाले मनुवादि हैं | जिन छुवा छुत करने वाले मनुवादियो के द्वारा बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृति पर्व त्योहारो को जन्म नही दिया गया है | इतनी तो जानकारी कम से कम उन लोगो को जरुर होनी चाहिए जो मनुवादियो के ढोंग पाखंड और छुवा छुत के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने के लिए इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी को हिन्दू नही हैं कहकर यह झुठ बोलते रहते हैं कि हिन्दू धर्म मनुवादियों का है | जिन लोगो में चाहे जो कोई भी हो उन्हे हिन्दू धर्म के बारे में जानकारी वैसा हि है जैसे कि यदि गोरे अंग्रेज इस देश को गुलाम करने के बाद हिन्दू धर्म का ठिकेदार बनकर हिन्दू वेद पुराणो में मिलावट और छेड़छाड़ करके अपनी ढोंग पाखंड और छुवा छुत संक्रमण देकर हिन्दू धर्म को अपनी सोच से दुनियाँ के सामने परोसते तो ये इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू नही हैं कहने वाले लोग गोरो को भी मुल हिन्दू कहकर इस देश के मुलनिवासियों को यह झुठ ज्ञान बांटकर भ्रमित करते कि आप हिन्दू नही हो ! क्योंकि मनुवादि गोरो की तरह विदेशी मुल के लोग हैं यह बात साबित हो चुका है | जो इस देश में इतने सारे प्राकृति पर्व त्योहारो और हिन्दू वेद पुराणो को जन्म देना तो दुर इस देश में प्रवेश करके परिवार समाज को भी जन्म नही दिया है | जिसका प्रमाण एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से पुरी दुनियाँ को मिल चुका है कि सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण और हिन्दू वेद पुराणो की रचना करने वाले इस देश के मुलनिवासियों का डीएनए से मनुवादियों का डीएनए नही मिलता है | बल्कि मनुवादियो का डीएनए यूरेशियन डीएनए से मिलता है | जिन्होने सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति और हिन्दू वेद पुराणो की रचना नही किया है | जैसे कि मनुवादियो का डीएनए जिन यहूदियो का डीएनए से मिलता है , उन यहूदियो ने इस देश की सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति और हिन्दू वेद पुराणो की रचना नही किया है | बल्कि इस कृषि प्रधान देश में मौजुद परिवार समाज और गणतंत्र का निर्माण भी मनुवादियों ने नही किया है | क्योंकि मनुवादियों के परिवार में मौजुद महिलाओ का एम डीएनए और इस देश के मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद महिलाओ का एम डीएनए एक है | अथवा मनुवादियों के परिवार में मौजुद सिर्फ पुरुषो का डीएनए यूरेशियन लोगो के डीएनए से मिलता है | जिसका मतलब साफ है कि मनुवादि सिर्फ पुरुष इस देश में आये हैं | जिन्होने इस देश के परिवार समाज से अपना परिवारिक रिस्ता जोड़कर ही अपना आगे का वंशवृक्ष बड़ा करने के बाद भेदभाव करना सुरु किया है | रही बात यहूदि डीएनए का मनुवादि इस देश में प्रवेश करके हिन्दू कैसे हो गया तो ये बात खुद मनुवादियों से हि पुच्छा जाय कि उन्होने सिन्धु पहचान से जुड़ा हिन्दू धर्म को कब अपनाया है | और यह भी पुच्छा जाय कि हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह जो प्राकृतिक पर्व त्योहार इस देश के मुलनिवासियों द्वारा खुशियों का मेला लगाकर आपस में जोड़ाकर नाच गान करते हुए बिना छुवा छुत के मनाई जाती है , उन पर्व त्योहारो में छुवा छुत करने वाले मनुवादि मेला में कैसे भाग लेते हैं , और पकवान परसाद वगैरा मिल जुलकर खान पान कैसे करते हैं ? खासकर तब जबकि भिड़ में वे लोग मौजुद हों जिनसे छुवा जाने में मनुवादियों का शरिर अपवित्र हो जाता है | खैर संभवता पुरुष झुंड बनाकर इस देश में प्रवेश करने के बाद चूँकि मनुवादियों ने इस देश के परिवार समाज और गणतंत्र से रिस्ता जोड़ लिया है , इसलिए उन्होने हिन्दू धर्म से भी छुवा छुत का रिस्ता जोड़ लिया है | हलांकि मनुवादि खुदको हिन्दू जरुर कहता है , पर वह मुल रुप से हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहारो को नही मनाता और न ही वह प्राकृति की पुजा करता है | क्योंकि वह तो मुल रुप से अपने पुर्वज देवो की पुजा करता और कराता है | जिसके आधार पर मुल हिन्दू पर्व त्योहार नही मनाई जाती है | क्योंकि हिन्दू कलैंडर अनुसार इस कृषि प्रधान देश में बारह माह जो प्राकृतिक पर्व त्योहारो के रुप में उत्सव मनाई जाती है वह कोई देवताओ की पुजा उत्सव नही है | हाँ हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मसलन सुर्य हवा पानी पेड़ पौधा पहाड़ पर्वत अन्न धरती वगैरा प्राकृति पुजा को सुर्य देवता पुजा वगैरा का उत्सव में परिवर्तित करके देवता पुजा घोषित करने की कोशिष जरुर जारी है | पर उनकी कोशिष वैसा ही है जैसे कि शैतान सिकंदर समेत और भी कई विदेशी लुटेरो द्वारा इस में प्रवेश करके इस देश की मुल हिन्दू सभ्यता संस्कृति को मिटाने की कोशिष हजारो सालो से होती रही है | उसी तरह हिन्दू पर्व त्योहारो की मुल पहचान को भी मनुवादि चाहे हजारो सालो तक और भी मिटाने की कोशिष क्यों न कर लें वे कभी भी इस देश में हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह मानाई जानेवाली प्राकृति पर्व त्योहारो की मुल पहचान को सूर्य देवता और अन्न देवता कहकर नही मिटा सकते | जैसे कि सिन्धू को हिन्दू और इंडु कहने से इस देश की सिन्धु नदी और सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति की पहचान नही मिटती है | हिन्दू पुजा स्थलो में यदि सूर्य और अन्न वगैरा प्राकृति की पुजा की जाती है तो उन पुजा स्थलो की पुजारी बनकर मनुवादि हिन्दू पुजा को सूर्य देव और अन्न देव पुजा कहकर यदि उन हिन्दू पुजा स्थलो में इस देश के मुलनिवासियों को प्रवेश करने से रोकते हैं तो निश्चित तौर पर मनुवादियों द्वारा उन पुजा स्थलो में जोर जबरजस्ती कब्जा करके खुदको हिन्दू बताकर ढोंग पाखंड भेदभाव होती है , जो कि हिन्दू धर्म की सभ्यता संस्कृति नही है | क्योंकि हिन्दू दरसल सिन्धु नदी के किनारे जो सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण इस देश के मुलनिवासिसों ने हजारो साल पहले किया है , उसकी पहचान और उसके नाम को पुरे विश्व में हजारो साल पहले से ही पुरे विश्व के लोग जानते हैं , इसलिए बाहर से आनेवाले विदेशियों ने ही सिन्धु पहचान को अपनी अपनी भाषा बोली के मुताबिक इस सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वाले मुलनिवासियों को सिन्धु पहचान से हिन्दू नाम दिया है | जिसे दुसरी भाषा में सिन्धु नदी के किनारे अपनी सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वालो को मुल हिन्दुस्तानी कहा जा सकता है | जिन्हे कभी मनुवादियों का गुलाम भी कहा जाता रहा है | बल्कि अभी भी तो मुल हिन्दू अपने ही धर्म में गुलाम हैं | जैसे कि कभी गोरो से भी अपने ही देश में गुलाम थे | जिनसे अजादी पाने के लिये क्या देश छोड़ना ज्यादा जरुरी था कि अपने देश को अजाद करने के लिए अपने ही देश की मिट्टी से जुड़कर अजादी संघर्ष करना ज्यादे बेहत्तर है | जैसे कि मनुवादियों से अजादी पाने के लिये अपना हिन्दू धर्म को मनुवादियो का धर्म कहकर छोड़ना जरुरी नही है | क्योंकि यदि मनुवाद से अजादी अपना हिन्दू धर्म को छोड़कर मिल जाता तो वह अपना धर्म परिवर्तन करने के बाद मनुवादियो के शोषण अत्याचार से अजादी पाने की संघर्ष में कभी भी भाग नही लेता | जिसे प्रयोगिक रुप से देखनी हो तो मनुवादियो के खिलाफ हो रहे आंदोलन संघर्ष में कभी पता कर लिया जाय कि अपना हिन्दू धर्म को परिवर्तन करने वाले लोग शामिल होते हैं कि नही होते हैं ? जो स्वभाविक है क्योंकि सिन्धु को फारस और अरब के लोगो ने अपने भाषा बोली के अनुसार यदि हिन्दू कहा है तो इससे सिन्धु मनुवादियो की नही हो जाती है | और यदि अरब और फारस के लोगो की भाषा बोली में स का उच्चारण ह होता है तो वे सिन्धु को ही हिन्दू कहें हैं | न कि सिन्धु पहचान उनकी दी हुई है | सिन्धु को हिन्दू अपनी भाषा बोली से सिन्धु को उन्होने हिन्दू कहा है | जैसे की यूनान के लोगो ने अपनी भाषा बोली के मुताबिक सिन्धु को इंडु कहा है | सिन्धु नदी को पश्चिम से आए हुए कबिलई ने इंडस नदी कहा इसलिए जाहिर है इंडस से इस देश का नाम इंडिया हो गया | और फारस अरब के लोगो की भाषा बोली में सिन्धु से हिन्दुस्तान हो गया | जाहिर है सिन्धु से हिन्दू और इंडू दो शब्द विदेशियो द्वारा दिया गया है | लेकिन दोनो का मतलब एक है | जैसे कि सभी को पता है कि सिन्धु नदी और इंडस नदी एक है | सिर्फ अलग अलग भाषा बोली की वजह से एक नाम का अलग अलग कई नाम हो जाते हैं | लेकिन उसकी मुल पहचान वही है जो वह है | जैसे कि चीन को कोई चाईना कहता है तो कोई रुस को रशिया | जिससे रुस और चीन की मुल पहचान अलग नही हो जाती ! उसी तरह इंडिया और हिन्दुस्तान की पहचान सिन्धु नदी और सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति की पहचान से जुड़ा हुआ है | न कि विदेशी मुल के मनुवादियो की पहचान से हिन्दू पहचान जुड़ा हुआ है | क्योंकि सिन्धु पहचान से ही हिन्दू धर्म की पहचान जुड़ा हुआ है | जो हिन्दू शब्द यदि विदेशियो ने दिया है यह इतिहास दर्ज है तो यह इतिहास भी दर्ज जरुर है कि हिन्दू पहचान को विदेशियो ने किनको दिया है ? अबतक समझने वालो को समझ आ गया होगा कि हिन्दू और इंडु पहचान सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति के निर्माता इस देश के मुलनिवासियों को दिया गया है | रही बात मनुवादियों की मुल पहचान तो फिर क्या है ? तो इस सवाल का जवाब मनुवादि जिस यूरेशिया से आये हैं , वहाँ जाकर खोजा जाय ! वैसे बहुत से मनुवादियों ने अपनी मुल पहचान को खोजने का प्रयाश समय समय पर जरुर किया है !
शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019
मैं 52% ओबीसी हूँ के बजाय 85% मूलनिवासी हूँ कहकर अपनी अवाज सुनानी चाहिए थी
मैं 52% ओबीसी हूँ के बजाय 85% मूलनिवासी हूँ कहकर अपनी अवाज सुनानी चाहिए थी
न कि ST,SC,OBC जिन सबका DNA एक है , जिससे मनुवादियो का DNA नही मिलता है ,
वे सभी अपनी अपनी जनसंख्या बताकर अपनी अलग अलग मांग करते हुए मनुवादियो को फुट डालो और राज करो की नीति अपनाने का मौका इसी तरह देते रहें ! बल्कि दिया जा रहा है ! नही तो 15% कथित उच्च जाति के लोगो की पार्टी को 30-40% का वोट कैसे मिलती है ? जाहिर है आधी वोट बंटे हुए SC,ST,OBC और इन्ही में से जिन्होने अपना धर्म परिवर्तन करके बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक कहे जाते हैं , उनके वोट द्वारा ही कथित उच्च जाति की अबादी 15% होते हुए भी उनकी पार्टी को 30-40% वोट मिल रही है ! जो जबतक पड़ती रहेगी तबतक इस तरह के अन्याय अत्याचार होते रहेंगे ! जिससे मुक्त होना है तो SC,ST,OBC और इन्ही में जिन्होने अपना धर्म परिवर्तन करके बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक कहे जाते हैं , वे सभी एकजुट होकर मन में ये संकल्प ले लें कि जो पार्टी कथित उच्च जाति के दबदबा से चल रही है , उसे अपना वोट न करें और न ही उस पार्टी से चुनाव लड़ें ! फिर देखें सरकार किसकी बनती है ,15% कथित उच्च जातियो का या फिर 85% उन मुलनिवासियों का जिनका DNA एक है ! जिसे यदि गंभिरता से नही लिया गया तो निश्चित तौर पर अपने ही पाँव में कुल्हाड़ी मारकर आगे भी मनुवादि शासन बरकरार रहेगी ही !
बुधवार, 18 दिसंबर 2019
youtube में मौजुद National Dastak चैनल पर दिए गए आज की मेरी टिप्पणी अथवा Comment
youtube में मौजुद National Dastak चैनल पर दिए गए आज की मेरी टिप्पणी अथवा Comment
मै youtube में नेशनल दस्तक चैनल देख रहा था जिसमे एक मुलनिवासी पत्रकार शंभू जी कह रहे थे कि मजदूर किसान सलेंडर कर दिया है ! जिस बातो में मुझे सत्य को तौलकर सच्चाई नही लगी ! जिसपर मैने जो अपनी टिप्पणी अथवा Comment दिया वह निचे मौजुद है |
" नमजदूर किसान सलेंडर नही किये है , वे बुरे से भी बुरे हालातो में सड़को पर आंदोलन संघर्ष कर रहे हैं ! बल्कि CAB जैसे बिल को समर्थन करने वाले , पैसे वाले मनुवादियो के आगे सर झुकाकर सलेंडर कर दिया है ! जो अपने घरो की नई पिड़ी को खुब सारा धन देकर जाने के लिये अपने आप को मनुवादियो के आगे झुकाकर दलाली करके , बाकि मुलनिवासियों के लिये ऐसा जख्म दे रहे हैं , जिससे की नई पिड़ी उन्हे मनुवादियो का दलाल तो कहकर उनके मुलनिवासी होने में शर्म तो करेगी ही ,पर साथ घर का भेदि भी कहेगी ! मेरे विचार से तो अब मनुवादियो के खिलाफ आंदोलन संघर्ष धरना प्रर्दशन मनुवादियो का साथ देने वाले घर के भेदियो के खिलाफ उनके घर के बाहर करनी चाहिए ! क्योंकि जिस तरह किसी शैतान जादूगर की जान किसी पिंजरे में सुरक्षित बंद तोते में होती है , उसी तरह मनुवादियो की सत्ता की जान मनुवादियो का समर्थन और सहयोग करने वाले उन तोतो के समर्थन में है जिनके लिये मनुवादि सारी इंतजाम करके मानो उन्हे सोने की पिंजरे में रखे रहते हैं ! और जब जरुरत पड़ती है तो उन्हे अपने फायदे के लिये मन मुताबिक इस्तेमाल कर लेते हैं !
रविवार, 15 दिसंबर 2019
मनुवादी क्यों न विदेशी मूल का है , लेकिन उनकी नागरिकता देश का धन लुटकर विदेश भाग जाने पर भी बिल्कुल से सुरक्षित रहती है
मनुवादी क्यों न विदेशी मूल का है , लेकिन उनकी नागरिकता देश का धन लुटकर विदेश भाग जाने पर भी बिल्कुल से सुरक्षित रहती है |
CAB के जरिये मनुवादी सरकार इस देश के मुलनिवासियो को धर्म के नाम से आपस में फुट डालकर दरसल यह भ्रम की स्थिती पैदा करना चाहती है कि देश और देश की प्रजा के लिये बाकि सारे मुद्दो पर आंदोलन करने और बहस करने की उतनी आवश्यकता ही नही है , जितनी की CAB जैसे मुद्दो में बहस करने की आवश्यकता है | जिस तरह की बुरे हालात पैदा करके बहस कराने की आखिर जरुरत क्यों पड़ती है मनुवादि सरकार को , जबकि CAB में जिस प्रकार बाकि धर्मो के लोगो को नागरिकता मिलने में रोक नही लगाई गई है , उसी प्रकार बिना भेदभाव के मुस्लिम धर्मो के लोगो के लिये भी तो रोक हटाई जा सकती थी , पर आखिर धर्म के नाम से भेदभाव करके किसी एक धर्म के लोगो को क्यों रोक लगाया गया है ? इस सवाल का जवाब के पिच्छे मनुवादियो की भ्रष्ठ सोच जो छुपा हुआ है , उसके बारे में जिन मुलनिवासियो को समझ में नही आ रहा है , उन्ही लोगो को तो आपस में फुट डालकर मनुवादियो के द्वारा बार बार राजनीति फसल काटी जाती रही है | जैसे कि CAB के जरिये भी इस देश के मुलनिवासियो के बिच आपस में फुट डालकर धर्म के नाम से राजनीति फसल काटी जायेगी | बल्कि हाल ही में जिन राज्यो में चुनाव हो रहे हैं , वहाँ पर ताजा ताजा मुद्दा गर्म करके काटी जा रही है | क्योंकि जिन मुलनिवासियो को समझ में नही आयेगा कि CAB के अनुसार मुस्लिम शरणार्थीयों को नागरिकता आखिर क्यों रोक लगाया गया है , वे तो यही समझेंगे की हिन्दू मुस्लिम में मुस्लिम शरणार्थीयों को नागरिकता नही मिलेगी ये तो अच्छी बात है | उनसे समर्थन हासिल करके उनके वोट को प्राप्त करके सत्ता में फिर से कबिज हो जायेगी ये मनुवादी सरकार | और जो मुस्लिम CAB का विरोध करके मनुवादि सरकार का कथित सबसे बड़ी विरोधी पार्टी कांग्रेस समझकर जिस कांग्रेस पार्टी को वोट करेगा वह भी चूँकि मनुवादि दबदबा वाली पार्टी है , जिसके नेता कभी भाजपा तो भाजपा के नेता कभी कांग्रेस होते रहते हैं | क्योंकि भले ये दोनो आपस में सबसे मुल विरोधी खुदको दिखलाने में कामयाबी हासिल करके अदला बदली करके चुने जाते हैं | पर ये दोनो ही मुलता मनुवादि शासन को ही कायम रखने की वोट की राजनिती करते रहे हैं | जो इस समय भी देश के मुलनिवासियों को धर्म के नाम से आपस में फुट डालने के लिये CAB लाकर राज करते रहने के लिए ही तो राजनिती फसल फिर से अपडेट करके बोई जा रही हैं | जिस तरह की फुट डालो और राज करो की राजनीति मनुवादि इसलिए करता रहता है , क्योंकि यदि इस देश के मुलनिवासियो को धर्म और जाति के नाम से आपस में लड़ाकर बांटकर वोट की राजनीति करने के बजाय देश सेवा और प्रजा सेवा उसके शासनकाल में कैसा होता रहा है , इसके परिणाम के आधार पर यदि वोट मांगा गया तो न तो वर्तमान में चुनी गयी मनुवादी भाजपा सरकार फिर से कभी चूनी जायेगी और न ही इस देश में साठ सालो तक लगातार चूनी जानेवाली मनुवादी कांग्रेस सरकार चूनी जायेगी | क्योंकि ये दोनो ही खुदको सबसे बड़ी विरोधी पार्टी कहकर मनुवादि सरकार बनाकर एक दुसरे को बचाते हुए विनाशकारी बदहाली इतिहास रचते आ रही है | कांग्रेस ने भी तो धर्म के नाम से देश बंटवारा करके साठ सालो तक मनुवादियो की सत्ता विरासत को कायम रखा और अब उसे भाजपा आगे बड़ा रही है | जिन दोनो पार्टियो के शासन में इस देश के मुलनिवासियो और इस देश की हालत कैसी रही है यह इतिहास भारी भेदभाव शोषण अत्याचार के साथ साथ बीपीएल भारत , आर्थिक शैक्षनिक रुप से पिछड़ी भारत ,गरिबी भुखमरी भारत के रुप में भी दर्ज हो चुका है ? बल्कि ऐसे बुरे हालात में भी हर साल गरिबी भुखमरी बदहाली के नाम से कर्ज लेकर भी मुठिभर धन्ना कुबेरो को ये मनुवादि सरकार हजारो करोड़ की माफी और छुट के रुप में किस तरह से घी पिलाती आ रही है , इसका भी इतिहास लगातार दर्ज हो रहा है | जिस बुरे हालात को मनुवादि मीडिया जिस तरह से कुछ लोग अपनी बुढ़ापा को छिपाने के लिये लाखो रुपये की मेकप करते रहते हैं , उसी तरह मनुवादि मीडिया मनुवादि सरकार का मेकप करके इस देश के बहुसंख्यक मुलनिवासी जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो जिनका डीएनए एक है , उनके बिच आपस में फुट डालने और भ्रमित करने का खबरे ज्यादे से ज्यादे दिखाकर मनुवादि सरकार का मेकप करने का भी काम करते आ रही है | और चूँकि मरता क्या न करता इसको देखते हुए मनुवादि शासन में जिन मुलनिवासियो को CAB जैसे फैसले से कम से कम जिंदा रहने के लिये भाजपा को या कांग्रेस को सरकार चुनने का आईना मनुवादि मीडिया द्वारा दिखाई जाती है , तो निश्चित तौर पर वह कांग्रेस या भाजपा को मानो अपनी जान बचाने के लिये चुनेगा ही | क्योंकि धर्म के नाम से नागरिकता देने को लेकर जो CAB के मुद्दो में मामला हिंसक रुप धारन किया है , उसमे कई लोगो की जान जा चूकि है | जैसे की धर्म के नाम से देश का बंटवारा करते समय भी अनगिनत लोगो की जाने गयी थी | तब भी धर्म के नाम से लिये गए भेदभाव फैसले के बाद मुलनिवासियो को अखंड भारत को खंड खंड अपनी आँखो से होता हुआ देखकर धर्म के नाम से कोई एक देश तो चुनना ही था कि आखिर किधर जाना है ! वर्तमान में भी जो मुलनिवासी मुस्लिम धर्म को अपनाये हुए है , उनको निश्चित रुप से भाजपा उनकी जान का दुश्मन बनने वाली पार्टी लग रही होगी , और कांग्रेस चूँकि खुदको भाजपा का सबसे मजबुत विरोधी पार्टी कहलवाने में कामयाब रही है , इसलिए वह भाजपा से रक्षा करनेवाली पार्टी लग रही होगी | उसी तरह जिन मुलनिवासियो ने अबतक राम मंदिर के नाम से हिन्दू मुस्लिम लड़ाई में भाजपा को अपना मुल रक्षक पार्टी मानते आ रहे हैं , वे लोग निश्चित तौर पर धर्म के मामले में भाजपा को ही अपना रक्षक मानकर जय श्री राम कहकर भाजपा को ही वोट करेंगे | कुल मिलाकर चाहे भाजपा या चाहे कांग्रेस चुनाये , सरकार तो मनुवादियो की ही कायम रहेगी | जैसे कि बहुत से राज्यो में भी अब यही दिखने को मिलेगा कि यदि भाजपा हारेगी तो कांग्रेस जितेगी और यदि कांग्रेस हारेगी तो भाजपा जितेगी ! बाकि पार्टीयों को इस देश के मुलनिवासी ही जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वह धर्म के नाम से आपस में फुट होकर सिर्फ झुनझुना अथवा ठेंगा पकड़ाते रहेंगे ! हलांकि अब मैं मनुवादि शासन में इमानदारी से वोटिंग हो रही है , इसे चूँकि नही मानता इसलिए ज्यादेतर तो यही मानता हूँ कि ये दोनो पार्टी लोकतंत्र की जीत हो रही है ये साबित करने के लिये हर बार इस देश के मुलनिवासियो के भितर ज्यादे शक न हो इसे ध्यान में रखते हुए चुनाव घोटाला की जाँच कभी न हो सके इसपर ज्यादे ध्यान देकर इसी तरह चुनाव घोटाला का कभी भी जाँच न करते हुए ये दोनो पार्टी मनुवादि शासन कायम करती रहेगी | जिसके लिए इन दोनो पार्टियो का आपस में गुप्त मिलन और समझौता करके इस देश के मुलनिवासियो को जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनके बिच फुट डालकर राज करने की राजनिती करती रहेगी | जबतक कि इस देश में मुलनिवासियो का शासन किसी तरह स्थापित न हो जाय | किसी तरह से मेरा मतलब ऐसे बुरे से भी बुरे हालात में ऐतिहासिक क्रांती जैसा कदम भी उठया जा सकता है ! इस देश के मुलनिवासियो के द्वारा एकजुट होकर मनुवादि शासन को उखाड़ फैकने के लिए , जो कदम उन देशो में समय समय पर अपनाया जाता रहा है जहाँ का शासक तानाशाही करके देश और प्रजा का विनाश करने लगता है | और चूँकि मनुवादि शासन में भी विनाशकारी हालात देश के कोने कोने में बड़ते ही जा रही है , इसलिए कह सकता हूँ मनुवादि शासन को भी किसी बड़ी क्रांती के बाद उखाड़ फैकने की इतिहास दर्ज करने की प्रक्रिया निश्चित रुप से सुरु हो चुका है ! क्योंकि CAB के जरिये जिन्हे आज सबसे अधिक दबाया कुचला जा रहा है , उनके पुर्वजो को ही तो हजारो सालो से मनुवादि दबाते कुचलते आ रहे हैं | जिस तरह का भेदभाव नियम कानून बनाकर ही तो मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो को उनके अपने ही देश में दास बनाकर और मनुस्मृति लागू करके हजारो साल पहले भी दबाते कुचलते रहे हैं | जो कभी वेद सुनने पर कान में गर्म पिघला लोहा डालने और वेद का उच्चारण करने पर जीभ काटने जैसा क्रुर नियम कानून भी बनाकर लंबे समय से शोषण अत्याचार करते रहे हैं | जिसके साथ साथ मानो मच्छड़ खटमल और जू जिस तरह खुन पिते हैं , वैसे ही मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकारो को पिते आ रहे हैं | जिस सत्य को इस देश के वैसे शोषित पिड़ित अच्छी तरह से जानते हैं , जो मनुवादि शासन समाप्त हो और इस देश के मुलनिवासियो का सत्ता कायम हो , इसके लिये कड़ी संघर्ष दिन रात करते रहते हैं | पर चूँकि ऐसे शोषित पिड़ितो का उनके अपने ही डीएनए के ऐसे मुलनिवासी जिनको मनुवादियो का साथ देना अच्छा लगता है , उनके ही समर्थन से मनुवादियो को ताकत मिलते आ रही है | जिसका परिणाम ये हुआ कि इस देश के मुलनिवासियो का हक अधिकारो को चुसने वाली शोषक हुनर के जरिये मनुवादि लंबे समय से शासक बनकर लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम किये हुए हैं | जिस तरह कि परजिवी और भेदभाव सोच रखने वाले मनुवादियो की सरकार के द्वारा वर्तमान के समय में भी लाया CAB को पास करने में समर्थन करने वाले इस देश के कुछ मुलनिवासी सांसद अपने ही डीएनए के करोड़ो लोगो को घुसपैठिये कहलवाकर और नागरिकता से वंचित करवाकर जरा सी भी शर्म महसुश वाकई में नही कर रहे हैं क्या ? मैं तो यदि उनके जगह होता तो शर्म से चुलूभर मूत में डूबकर पेशाब को तबतक पिता रहता , जबतक कि मुझे ये सत्यबुद्धी न आ जाती कि मनुवादि CAB के जरिये इस देश के मुलनिवासियो को ही दबाना कुचलना चाहते हैं , न कि CAB को पास करके खुदको विदेशी घुसपैठिये साबित करके कुचलवाना चाहते हैं | क्योंकि चाहे मनुवादी क्यों न विदेशी मुल का हो , लेकिन उनकी नागरिकता देश का धन लुटकर विदेश भाग जाने पर भी बिल्कुल से सुरक्षित रहती है | पर इस देश के करोड़ो मुलनिवासी मनुवादीयो द्वारा लाया गया CAB की वजह से अपने ही देश की नागरिकता से वंचित हो जायेंगे | एक एक घुसपैठिये को देश से निकाल बाहर करना चाहिए कहने वाली यह मनुवादि सरकार के द्वारा लाया CAB का समर्थन कर रहे मुलनिवासी सांसद और मंत्री इस देश में प्रवेश करने वाले एक एक संवर्णो को गोरो की तरह विदेशी घुसपैठिये भारत छोड़ो कहकर बाहर करने में भी समर्थन करते क्या यदि वर्तमान में मुलनिवासी सत्ता कायम रहती और विदेशी घुसपैठिये भारत छोड़ो जैसा बिल लाया जाता ? क्योंकि संवर्ण तो गोरो की तरह मूल विदेशी डीएनए के घुसपैठिये हैं , जिन्हे हजारो साल पहले इस देश ने गोद लिया है | बल्कि जो मुलनिवासि मुस्लिम बनकर देश बंटवारा के समय अखंड भारत में ही रहकर देश से बाहर हो गए हैं , वे तो अखंड भारत देश का ही मुलनिवासी है | जिनका डीएनए और इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासियो का डीएनए एक है | जो बात एक विश्व स्तरीय डीएनए रिपोर्ट से साबित भी हो चुका है | और याद रखना परिवार के बंटने से डीएनए और पुर्वज अलग नही हो जाता | और मनुवादियो के पुर्वज और इस देश के मुलनिवासियो के पुर्वज अलग अलग हैं | जाहिर है मुलनिवासियो के ही पुर्वज से जो लोग अपना धर्म बदलकर या फिर देश बंटवारा के बाद अपनो से अलग अलग हो गए हैं , उन्हे धर्म के आधार पर नागरिकता से वंचित करने या फिर देशद्रोही कहने वाले मनुवादियो को यह कहने की हिम्मत और घमंड सिर्फ मनुवादि सत्ता की वजह से हो रही है | जो जिसदिन चली जायेगी उसदिन ऐसे नकली देशभक्त संसद में नही सुधार घर अथवा जेल में नजर आयेंगे ! या फिर देश का धन लुटकर विदेश भाग जानेवाले भगोड़ो के पास चले जायेंगे ! क्योंकि उन्हे इस देश में एकदिन के लिये भी रहने का मतलब जेल जाना तय हो जायेगा | जिससे वे अभी सिर्फ और सिर्फ सत्ता की वजह से बचे हुए हैं | जिसे बचाये रखने के लिये ही तो मनुवादि अपनी सारी बची खुची ताकत को झौंकने में लगा हुआ है | जिसे मैं यह मानता हूँ कि मनुवादियो का जो शासन दीया लंबे समय से जल रहा है , उसके बुतने से पहले अंतिम बार झिलमिलाने की प्रक्रिया चल रही है | जो निश्चित तौर पर अगली पिड़ी आने से पहले पिछली पिड़ी का शासन समाप्त होते ही बुझ जायेगी !
सोमवार, 9 दिसंबर 2019
किसने उसे बलात्कार की सुपारी दिया था ?
किसने बलात्कार की सुपारी दिया था ?
शोसल मीडिया में हैदराबाद बलात्कार और इनकाउंटर की घटना से समाचार भरे पड़े हैं | जिन समाचारो में कहीं पर देख सुन रहा था कि एक व्यक्ती यह कह रहा था कि जिस तरह चारो आरोपी को बिना केश चले ही बिना जज के फैशला के सुबह ले जाकर ठोक दिया गया , उसी तरह जिन जिन नेताओ पर बलात्कार का आरोप है , उन्हे भी न्यायालय से सजा मिलने के बाद सुबह ले जाकर ठोक दिया जाय | जिसपर मैं कहना चाहूँगा कि ठोकने में भेदभाव क्यों जिस तरह चारो आरोपी को न्यायालय में गुनाह सिद्ध किये बगैर ही ठोक दिया गया , उसी तरह आरोपी नेताओ पर भी केश चले बगैर उन्हे भी बिना सिद्ध किये ठोक दिया जाय ! क्यों चारो गरिब पिड़ित कमजोर आरोपी और पावरफुल नेताओ में उच्च निच का भेदभाव करते हुए सजा देते समय अन्याय किया जा रहा है ? न्याय तो सबके लिये बराबर है ! यदि प्रधानमंत्री राष्ट्रपति धन्ना कुबेर इंजिनियर डॉक्टर धर्मगुरु वगैरा पर भी बलात्कार का आरोप कभी लगे या लगे हैं तो उन्हे भी इसी तरह सुबह ले जाकर ठोक दिया जाय , फिर न्यायालय की क्या जरुरत है ? इससे तो अच्छा हजारो साल पुरानी ग्राम पंचायत बिना भेदभाव के सजा सुनाती है | जो भी इस तरह से भेदभाव फैशला नही सुनाती की निच जाति का है इसलिए बिना बहस चले ठोक दो और उच्च जाती का है तो ठीक से न्याय करो ! मैं कोई खाप पंचायत की बात नही कर रहा हूँ | इतना तो तय है जिसने भी भेदभाव करके ठोकवाया या ठोका है , वह दरसल डरपोक बुजदिल इंसान है , इसलिये उसे झुठ बोलना पड़ रहा है कि बंधा हुआ ऐसा अपराधी जो पेशेवर भी नही है , वह इतनी सुरक्षा व्यवस्था और इतने ट्रेनिंग लिये पुलिस से किसी बच्चे की हाथ से खिलौना छिनने के जैसा हथियार छिनकर उससे भिड़ सकता है | नही तो फिर क्यों निडर होकर सिधे यह नही कहा जा रहा है कि चारो को सुबह ले जाकर ठोक दिये ! वैसे भी चारो ने किसी के कहने पर , धमकाने पर या पैसे लेकर भी यदि रेप किया है तो निश्चित तौर पर ऐसे लोगो को तो मरना ही चाहिए था , बल्कि उनके साथ मदहोश घोड़ा हाथी से रेप कराकर मौत की सजा देना चाहिए | और यदि रेप करके जिन्दा जलाया है तो उसे भी जिन्दा जलाकर मारना चाहिए | पर रेप करने वाला निच जाति का था इसलिए जल्दी ठोको और अगर उच्च जाति का है तो केश चलाकर उसे फिर से रेप करने का परमोशन दे दो यह निच और पापी सोच है ! जिस तरह की सोच रखनेवालो को मैं दुनियाँ का सबसे बड़ा अपराधी सोच रखनेवाला मानता हुँ | जिस निच और गंदी सोच से ही किसी देश को गुलाम बनाया जाता है | क्योंकि गुलाम करने वाले ही भेदभाव करते हैं | और चारो को सजा देते हुए सौ प्रतिशत भेदभाव हुआ है ! यही चारो यदि कोई उच्च जाति ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य परिवार या फिर मंत्री प्रधानमंत्री राष्ट्रपति धन्ना कुबेर के बच्चे होते तो चारो को इस तरह सुबह ले जाकर न तो ठोका जाता और न ही बिना केश चले ठुकवाने की इतनी अवाजे उठाई जाती मनुवादि मीडिया द्वारा | पर चूँकि ये गरिब शोषित पिड़ित परिवार के बच्चे हैं , इसलिये सजा देते समय चारो के साथ भेदभाव न्याय किया गया | क्या पता चारो से बलात्कार डरा धमकाकर पहले करवाया गया , फिर जलवाया गया हो | और असली मास्टरमाईंड चारो के मारे जाने के बाद फुल बरसाने वालो की तरह फुल बरसाकर खुशी मना रहा हो कि उसका मकसद पुरा हो गया और अब उसे कोई सजा नही दे सकता | जैसे कि आतंकवादी कसाब को किसने भेजा था उसे आजतक कोई पकड़कर सजा नही दे पाया है ? कसाब जिस तरह सुपारी आतंकवादी था , जिससे उसके आका आतंक फैलाते समय देश से बाहर कहीं बैठकर आतंक फैलाने का आदेश दे रहा था , उसी तरह हो सकता है चारो बलात्कारियो के आका भी बलात्कार करने का सुपारी देकर कुकर्म होने से पहले बाते किया हो , जो अब अपने नये बलात्कारियो के साथ कहीं पर फिर से बलात्कार का साजिश रच रहा हो | इतना तो तय है बलात्कार और इनकाउंटर भी करवाया गया है | और यदि बलात्कार करने वाला उच्च जाति का होगा तो निश्चित तौर पर जिस तरह पहले भी इतिहास में ये बहुत बार घटित होते हुए देखा गया है कि मनुवादि अपनी सत्ता बचाने के लिये अपनी बहु बेटियो की इज्जत को भी दांव में लगवा देते आए हैं | जो अपने दुश्मनो से युद्ध हारकर सत्ता गवाने के बाद वापस पाने के लिये अपने दुश्मन को ही अपनी बेटी सौंपकर रिस्ता जोड़कर अपनी सत्ता बचा लेते हैं | बल्कि मनुवादि तो सरस्वती का बल्कारी ब्रह्मा तुलसी का विष्णु और अहिल्या का बलात्कारी इंद्रदेव की पुजा भी करते और करवाते आ रहे हैं | क्योंकि तीनो उच्च जाति के पुर्वज है | जो पुजा दरसल अपनी भेदभावपुर्ण धर्मसत्ता कायम रखने के लिये कराया जाता है | उसी तरह क्या पता गंदी भ्रष्ठ और स्वार्थपुर्ण राजनिती सत्ता के लिये हैदराबाद घटना भी करवाया गया है | जिसकी सच्चाई तो चारो बलात्कारी ही बता सकते थे कि किसने उसे बलात्कार की सुपारी दिया था ? जो अब चारो मर चुके हैं | हाँ अगर मरने से पहले चारो में किसी ने सच्चाई बताकर सत्य को किसी को बांटा होगा और वह जानकारी फैला होगा तो भविष्य में सच्चाई सामने जरुर आयेगी की बलात्कार करके जलाने का सुपारी किसने और कितना दिया था ? जिसने भी दिया होगा वह पीड़िता जो भी अब नही रही , उसके बारे में उसकी रोजमरा जिवन के बारे में बहुत कुछ जानता होगा | बल्कि दिन रात पिच्छा भी करता और करवाता होगा | जिसने ही पहले तो स्कूटी पंक्चर करवाया फिर बलात्कार करवाया ! और राज न खुल जाय इसलिये उसे मरवाकर जलवा भी दिया !
मंगलवार, 3 दिसंबर 2019
काल्पनिक फिल्म नायक का नायक मनुवादि मीडिया क्या कभी बन पायेगी ?
काल्पनिक फिल्म नायक का नायक मनुवादि मीडिया क्या कभी बन पायेगी ?
काल्पनिक फिल्म नायक में डरा धमकाकर बल्कि जान माल का नुकसान करके जिस प्रकार की गुंडागर्दी राजनिती काल्पनिक बिलेनो द्वारा कि जा रही थी , उससे भी खराब बुरे हालात मनुवादि शासन में चारो तरफ असल जिवन में मौजुद है | क्योंकि काल्पनिक फिल्म में तो लातो का भुत बातो से नही मानते का पालन करके गुंडागर्दी करने वाले भ्रष्ट नेताओ की जमकर पिटाई भी हो रही थी , और पिटते समय तालियाँ भी बज रही थी पर असल जिवन में गुंडागर्दी राजनिती करने वाले बहुत से भ्रष्ट नेता उल्टे गुंडागर्दी करके मनुवादि मीडिया से तालियाँ बजवा रहे हैं | बल्कि असल गुंडागर्दी राजनिती करने वालो को तो पिड़ित प्रजा द्वारा उन्हे शारिरिक रुप से एक खरोंच तक भी नही आ रही है | हाँ पिड़ित प्रजा दुःखी होकर गुंडागर्दी राजनिती करने वाले भ्रष्ट लोगो को दिन रात बद्दुआ देने के साथ साथ इतनी तो गालियाँ जरुर दे रही है कि यदि गुंडागर्दी की राजनिती कर रहे भ्रष्ट लोगो के भितर की सेवा भावना जिते जी सचमुच का जग जाय तो वे शर्म से या तो गुंडागर्दी करना छोड़ देंगे या फिर चूलूभर पानी में डूब मरेंगे | न कि जिवनभर अपनी गुंडागर्दी की राजनिती से पिड़ित प्रजा को डराते धमकाते बल्कि मारते मरवाते रहेंगे | हलांकि यदि गुंडागर्दी करते समय उन्हे सचमुच में शर्म आ जाय और अपने द्वारा किये गए कुकर्मो को स्वीकारके आत्म समर्पन कर दे तो मेरे विचार से तो उन्हे सुधारने के लिए सुधार घर अथवा जेल में भी डालने की जरुरत नही पड़ेगी और वे खुद ही खुशी खुशी या फिर पछतावा करके रो रोकर अंगुलीमार डाकू कि तरह अपनी गुंडागर्दी छोड़कर मानवता कायम करने में विशेष योगदान देकर गुंडागर्दी को भुलाकर अपनी ऐसी खास पहचान कायम करेंगे जिसमे कि उन्हे जिते जी भी दुःखी पिड़ित प्रजा बद्दुआ नही दुवा देगी और साथ साथ सुधरकर मरने के बाद भी दिन रात गाली देने के बजाय अँगुलीमार डाकू की तरह याद करेगी | पर सर्त है गुनेहगार ने किसी निर्दोश की हत्या बलात्कार जैसे गंभीर अपराध न किया हो | पर फिलहाल तो दुःखी पिड़ित प्रजा द्वारा हर रोज गुंडागर्दी की राजनिती करने वालो के लिये ये दुआ की जा रही है कि ऐ लोग कब जेल जायेंगे और उन्हे कब सजा मिलेगी | क्योंकि ऐसे गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले मानो अँगुलीमार डाकू कि तरह कटी उँगली न सही बल्कि शोषित पिड़ित एकलव्यो की हक अधिकारो की उँगली के साथ साथ कई बड़े बड़े अपराधो का केश और आरोप लटकाये हुए बेशर्म होकर खुदको महान सेवक बताकर लंगटा राजा की तरह सिना तानकर पिड़ित प्रजा के बिच से महंगी सुरक्षा की काफिला लेकर निकलते हैं | जिन काफिला में निकले वैसे सेवको की बात नही हो रही है , जो गुंडागर्दी की राजनिती नही करते हैं , बल्कि उनकी बात हो रही है , जिनकी गुंडागर्दी का इतिहास दर्ज होते जा रही है | जिस तरह के बेशर्म लोग बड़े बड़े अपराध करने के बाद भी यदि बिना सजा काटे गुंडागर्दी करके मर भी जाते हैं तो भी उनके मरने के बाद उनकी गुंडागर्दी के बारे में जानकर उनसे पिड़ित प्रजा की नई पिड़ि उनके मरने के बाद भी गालियाँ देती रहती है | क्योंकि उनके मरने के बाद भी उनके द्वारा किये गये कुकर्मो का इतिहास किसी परमाणु कचड़ा की तरह पड़ा रहता है | हलांकि गुंडागर्दी की राजनिती जबतक चलती रहेगी तबतक ऐसी गुंडागर्दी राजनिती करने वालो के मरने के बाद भी उनके कुकर्मो को छुपाकर शैतान को महान बताकर प्रचारित प्रसारित किये जाने की भी गुंडागर्दी भी चलती रहेगी | जैसे की लुटपाट शोषण अत्याचार करने वाले शैतान सिकंदर को आज भी बहुत से लोगो द्वारा महान बताया जाता है | जो शैतान सिकंदर यदि सिकंदर को महान बतलाने वालो के परिवार में फारस में हमला करने के जैसा हमला करके उनके बहू बेटियो के साथ जोर जबरजस्ती विवाह करता या अपने लुटेरे गिरोह के सदस्यो से विवाह करवाता , साथ साथ उनकी जमा पुंजी को लुटकर अपने साथ भर भरकर ले जाता तो सायद उनके दिमाक में ये सत्यबुद्धी आ जाती कि मान सम्मान और धन संपदा लुटपाट करने वालो को महान नही बल्कि शैतान कहना चाहिए | और वह भी ऐसा शैतान जिसने एक नही बल्कि कई देशो को लुटा था | जिसके जैसे एक शैतान ही पहले पुरी दुनियाँ में लुटमार करने के लिये काफी होते थे | बस उन्हे कोई शैतान बनाने वाला ढोंगी पाखंडि अथवा उसकी बुद्धी को भ्रष्ट करने वाले की जरुरत होती थी | जो मिलते ही सिकंदर जैसे लोगो की बुद्धी बल का गलत उपयोग होता था | गलत उपयोग करने के लिये उनकी बुद्धी को सबसे पहले भ्रष्ट कर दी जाती थी | और यह झुठ पढ़ा दिया जाता था कि जितने बड़े लुटेरा बनोगे उतना ही महान कहलाओगे | जिसके बाद ब्रेनवाश हुए लोगो में सबसे बड़ा लुटेरा बनने का धुन सवार हो जाता है | जैसे कि शैतान सिकंदर में पुरी दुनियाँ को लुटने का धुन सवार हो गया था | जिसकी यदि बहुत पहले इस देश में लुटपाट करते समय हाफ मडर नही होती तो उसने तो पुरी दुनियाँ को गुलाम बनाकर सायद खुदको भगवान भी घोषित करने में कामयाबी हासिल कर लेता | अभी तो सिर्फ शैतान से महान कहलाता है उन लोगो की नजरो में जिनके आँखो में ऐसी झुठ का चस्मा पहनाई गई है , जिससे उन्हे लुटपाट शोषण अत्याचार करने वाला शैतान सिकंदर महान सिकंदर नजर आता है | जिसके जैसा शैतान वे अपने बच्चो को भी बनाने की गलती न करें और अपने दिमाक से असत्य का चस्मा उतार फैंके और अपने बच्चो को सत्य बाते बतायें कि सिकंदर महान नही बल्कि पुरे विश्व को लुटनेवाला शैतान था | जो अखंड सोने की चिड़ियाँ को भी लुटने आया था पर वीर पुरु राजा द्वारा हाफ मडर होकर अखंड सोने की चिड़ियाँ के किनारे हिस्से से ही अपनी जान बचाकर भाग गया था | जिसके जैसा शैतान बनने की कोई सोचकर यदि वर्तमान के समय में लुटपाट शोषण अत्याचार करना महान काम है कहकर खुलेआम घोड़े पर सवार होकर लुटने मारने दुनियाँ के किसी भी देश में जायेगा तो भारत ही नही बल्कि दुनियाँ के किसी भी देश की बॉर्डर आज इतनी तो शक्तिशाली और जागरुक हो चूकि है कि ऐसे लुटेरे लुटपाट के लिये घोड़े पर सवार होकर घुसपैठ करने से पहले ही मारे जायेंगे | क्योंकि आज के समय में शैतान सिकंदर बनकर खुलेआम घोड़े पर सवार होकर लुटपाट करना मुमकिन नही है | इसलिये तो खुलेआम लुटपाट न करके आज के अपडेट लुटेरे गुंडागर्दी की राजनिती के माध्यम से लुटपाट के तरिको को अपडेट कर लिये हैं | जैसे की लुटेरे आज घोड़े में सवार होकर लुटपाट नही बल्कि कुर्सी में सवार होकर कुर्सी में बैठे बैठे ही अपने आदेशो से अपने खास चुने हुए गुंडो को भेजकर जान माल का लुटपाट करा सकते हैं | और लुटपाट करके घोड़े से नही बल्कि जहाज से भाग सकते हैं | यानी लुटपाट आज भी जारी है | जो यदि समाप्त हुई रहती तो शैतान सिकंदर के मरने के बाद चारो तरफ सुख शांती और समृद्धी न आ जाती ! हलांकि ऐसे गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेताओ को भी उनके कुकर्मो का फल प्राकृति और समय जरुर देती है | वे भी एकदिन जरुर मरते हैं , चाहे गुंडागर्दी करते करते किसी दर्दनाक घटना में मारे जाय , या फिर अपने अंतिम समय में किसी गंभिर बिमारी से तड़प तड़पकर मरे | मरते तो वे भी हैं | हाँ पिड़ित प्रजा मुलता उन्हे मारना तो दुर खरोंच भी नही लगा सकती | क्योंकि उन्हे कड़ी और महंगी सुरक्षा रहती है , चाहे वे उस कड़ी और महंगी सुरक्षा को लेकर गुंडागर्दी की राजनिती ही क्यों न कर रहे हो |
पर यहाँ पर सवाल उठता है ऐसे भ्रष्ट लोगो को सजा देने में न्यायालय क्या कर रहा है ? गुंडा गर्दी की नंगा नाच करने वालो की केश की फाईलो की भारी बस्ता तो लंबे समय से जमा होते होते मानो डायनासोर की कंकालो में तब्दील हो गई है | लेकिन भी न्यायालय कुंभकर्ण की नींद क्यों सोया हुआ है ? क्योंकि न्यायालय में न्याय करने के लिए बैठे लोग भी तो आखिर उसी गुंडा गर्दी राजनिती के बिच रहते हैं | क्या उनको नही पता की बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को सजा न मिलने से प्रजा कितनी त्राही त्राही कर रही है ? या फिर न्यायालय में बैठे लोग भी गुंडागर्दी करने वालो से त्राही त्राही कर रहे हैं ! जिसके चलते अबतक एक प्रतिशत भी बड़े बड़े गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेता और बड़े बड़े धन्ना बने भ्रष्टाचारियो , जिनपर कई बड़े बड़े लुट की अपराधिक केश और आरोप दर्ज है , उन्हे सजा मिलने के बजाय बड़े बड़े उच्च पद और मानो लाड प्यार मिल रही है | बल्कि अक्सर ये सुनने पढ़ने देखने को मिलती रहती है कि एक बड़ा गुंडा गर्दी राजनिती करने वाला नेता यह कहकर अपने से छोटा गुंडा को चुनाव लड़वाता है कि हमारे साथ आ जाओ तो तुमपर चल रहे सारे केश ठंडे बस्ते में डाल दिये जायेंगे | और साथ नही आए तो जेल में डलवा दिये जाओगे | यानी सजा दिलवाने और सजा मुक्त करने का काम जब कोई गुंडागर्दी की राजनिति करने वाला कर रहा है तो फिर न्यायालय क्या कर रहा है उन गुंडा गर्दी राजनिती करने वालो के खिलाफ जो छोटे मोटे गुंडो को भी डरा धमकाकर छोटे से बड़े गुंडे बनाने में प्रमोशन करने कि भुमिका निभा रहे हैं !
जब छोटे गुंडो का ये हाल है तो भले लोगो को किस तरह से डराया धमकाया जा रहा है यह तो वही लोग जान सकते हैं जिनके साथ इस तरह की घटना घट रही है | जिस तरह के भले लोग डराने धमकाने से भी जब गुंडागर्दी राजनिती करने वालो का साथ नही देना चाहते हैं तो ऐसे गुंडागर्दी राजनिती करने वाले केश रफा दफा करने की बाते करके छोटे मोटे गुंडो को अपनी झांसे में लाकर उन्हे मानो अपने जेब में रखकर बड़ा गुंडा बना रहे हैं | करोड़ो रुपये खर्च करके समर्थन खरिदना भी तो एक प्रकार का गुंडागर्दी राजनिती का ही अंग बन गया है | शराब पिलाकर गुंडागर्दी में सहयोग लेना तो आम बात है | जिस तरह का गुंडागर्दी कौन सबसे अधिक कर रहा है इसे यदि जाननी हो तो यह तय कर लिया जाय कि जो पार्टी फर्जी तरिके से चुनाव जितने के लिये या फिर समर्थन खरिदने के लिए सबसे अधिक धन खर्च करने के लिये जाना जाता है , वह सबसे बड़ा गुंडागर्दी करने वाला पार्टि है | और करोड़ो लेकर बिकने वाले वैसे लोग मंझले या छोटे गुंडे हैं , जिन्हे डरा धमकाकर या भेड़ बकरी की तरह खरिदकर गुंडागर्दी की राजनिती चलाई जा रही है |
गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है
गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है |
गुंडागर्दी राजनिती और दुध भात चुनाव का अंत तभी हो सकता है जब चुनाव घोटाला से लेकर विभिन्न तरह के बड़े बड़े लुट करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को सजा मिलेगी और उनकी असली पहचान इतियास में तय की जायेगी कि ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने वाले सबसे बड़े भ्रष्ट लोग वैसे शैतान हैं , जिनको शैतान सिकंदर की तरह बड़ी बड़ी लुट करके फर्जी महान बनने का भुत सवार है | जिनके भितर से शैतान सिकंदर का भुत उतरेगा नही तबतक वे मानो शैतान सिकंदर की अधुरी इच्छाओ को पुरा करने के लिये बड़ी बड़ी लुटपाट करते रहेंगे | जिन्हे भी शैतान सिकंदर की तरह ही झटका मिलनी चाहिए , तब जाकर सचमुच का देश और पिड़ित प्रजाओ की समस्याओ का सामाधान करने की गंभीर और साफ सुथरा राजनिती होगी | जिसके बाद चुनाव भी सही से होंगे | जिसकी प्रमुख भुमिका अदा करने का काम न्यायालय का है | जिसके पास अजाद भारत का संविधान की रक्षा करने और गुंडागर्दी करने वालो को सजा देने की जिम्मेवारी देकर गुंडागर्दी मुक्त राजनिती की उम्मीद की गयी है | जिस न्यायालय के पास भी यदि गुंडागर्दी करने वालो को सजा देने की ताकत नही है तो गोरो की बनाई न्यायालय को अब बंद कर देनी चाहिए | और हजारो सालो से चली आ रही पंचायत व्यवस्था को ही अपडेट करके गुंडागर्दी करने वाली पार्टी हो या नेता या फिर बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जिनपर बड़े बड़े केश और आरोप है , उनके खिलाफ कारवाई करने का अधिकार , बल्कि संविधान रक्षा का भी अधिकार पंचायत को ही दे दिया जाय | ताकि अजाद भारत का संविधान जलाने वालो को भी पंचायत ही खोज या खोजवाकर भरी पंचायत में सजा दे सके | मैं कोई खाप पंचायत की बाते नही बल्कि संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त पंचायतो की बात कर रहा हुँ | यकिन मानो करोड़ो केश जो कोर्ट में धुल फांक रहे हैं , उनपर भी फैशला सरकार के कार्यकाल तक में ही आ जायेगा और गुंडागर्दी राजनिती में भी मजबुती से नकेल लग जायेगी | और देश में हो रहे बड़े बड़े भ्रष्टाचार में भी नकेल लगेगी | भ्रष्टाचार करके विदेश भागने वाले तो वैसे भी भागने से पहले ही सजा काट रहे होंगे | क्योंकि पंचायत का फैशला सबसे तेज होता है | जबकि वर्तमान में मौजुद न्यायालयो में पड़े करोड़ो केशो को तो वर्तमान के सारे जज अपने कार्यकाल पुरा करके भी बुढ़ा बुढ़ी होकर फैसला सुनाते सुनाते उम्र की अंतिम पड़ाव में कांपते लड़खड़ाते हुए मर भी जायेंगे तो भी सभी करोड़ो केश का फैसला पुरा नही होनेवाला है | क्योंकि करोड़ो केशो पर फैसला जिस गति और जिस तरह से तारिख पर तारिख देकर चल रहा है उस तरह से तो सैकड़ो साल लग जायेंगे | तबतक अभी करोड़ो केश का फैसला सुनाने के लिये बैठनेवाले जज और फैशला सुनने का इंतजार करने वाले लोगो में कौन जिंदा रहेगा | क्योंकि सैकड़ो साल बाद तो वर्तमान में मौजुद विश्व की सात अरब से भी अधिक की पुरी अबादी मर जायेगी चाहे पुरी दुनियाँ का धन इकठा कर ले या फिर दुसरे ग्रहो में आने जाने का इंतजाम कर ले | और जो आने वाली नई पिड़ी जिन्दा रहेगी उनके लिए डायनासोर की हड्डियो को खोदकर सत्य को तलाशने की तरह मुर्दो पर सुनवाई करना क्या अच्छा लगेगा | जाहिर है लंबे समय तक न्याय फैशला नही आयेगा तो न्याय का इंतजार कर रहे करोड़ो लोग न्याय मिलने से पहले ही अपनी उम्र पुरा करके मर जायेंगे | जिनमे कितने सारे निर्दोश गरिब कोर्ट कचहरी का चक्कर लगाकर न्याय मिलने से पहले मर जायेंगे और दर्जनो गुनाह करने वाले लोग जो सचमुच का दोषी होंगे वे दोषी होकर भी बिना सजा मिले निर्दोश की तरह जिवन बसर करते हुए मर जायेंगे | सायद इसीलिए गोरो ने ऐसी न्यायालय का निर्माण किया था | ताकि पिड़ी दर पिड़ी न्याय पाने के लिये न्यायालय में मेला लगा रहे और गुंडागर्दी की राजनिती फलता फुलता रहे | जबकि इस कृषी प्रधान देश की असली न्याय व्यवस्था हजारो सालो से पंचायत व्यवस्था ही न्याय करने का काम करती आ रही थी | जो की आज भी लाखो ग्रामो के लिए छोटे मोटे फैसले सुनाता है | इस देश में न्यायालय से कई गुणा पंचायत न्यायालय है | जिन्हे फिलहाल गोरो के द्वारा बनाये गए न्यायालय की तरह अधिकार मौजुद नही है | नही तो आज करोड़ो केश पेंडिंग भी नही रहते और न ही गुंडागर्दी की राजनिती चलती | क्योंकि गुंडागर्दी राजनिती करने वालो को भी भरी पंचायत में खड़ा करके सजा सुनाई जाती | और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को भी भरी पंचायत में सजा सुनाई जाती | जिनके बड़े बड़े गुंडागर्दी की पाप गठरी फिलहाल न्यायालय में पड़े पड़े धुल फांक रही है | और गुंडागर्दी की राजनिती जमकर फल फुल रही है |
सोमवार, 2 दिसंबर 2019
कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं
कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता
क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं
क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं
मनुवादि शासन को बरकरार रखने के लिये , मैं तो यह मानता हूँ कि वर्तमान के समय में भी मनुवादियो ने किसी घर के भेदियो को ही सबसे खास सहारा बनाकर अबतक शासन कायम किया हुआ हैं | क्योंकि बिना घर के भेदियो की सहायता लिये मनुवादि डर भय और खौफ पैदा करने के लिये देश का शासक बनना तो दुर सांसद और विधायक भी नही बन सकते | क्योंकि घर के भेदियो द्वारा सहयोग ही नही किये जायेंगे तो डराने धमकाने वाले सांसद और विधायक कैसे चुने जायेंगे ? और बिना घर के भिदियो के सहारे सांसद और विधायक बने बगैर मनुवादि देश का शासक कैसे बन सकते हैं ? जिनको शासक बनाने में घर के भेदियो का खास योगदान है | जिन घर के भेदियों को मनुवादि अपने बुरे संगत में फंसाकर इतना ब्रेनवाश करते हैं कि घर का भेदि अपनी बुद्धी को भ्रष्ट करके ये भुल जाते हैं कि उनके ही पुर्वजो के कानो में गर्म लोहा पिघलाकर डाला जाता था , और उनके ही पुर्वजो का जीभ व अंगुठा काटा जाता था | गले में थुक हांडी व कमर में झाड़ु टांगा जाता था | बल्कि रामराज में तो राम द्वारा शंभुक की हत्या तक कर दिया गया था | सिर्फ इसलिये की वह कथित उच्च जाति का नही था | जिस समय भी डर भय और खौफ का माहौल शोषण अत्याचार का शिकार हो रहे प्रजा पर होगा | वर्तमान की तरह रामराज में भी छुवा छुत उच्च निच भेदभाव शोषण अत्याचार कायम थी | जो यदि कायम न होती तो भेदभाव करके प्रजा शंभुक की हत्या नही होती | बल्कि रामराज में तो राम की गर्भवती पत्नी सीता के साथ भी अन्याय अत्याचार हुआ था | रामराज में प्रवेश से पहले सीता के पवित्रता पर शक करके उसे जिते जी जलाकर अग्नि परीक्षा ली गयी थी , उसके बाद उसपर पास होने के बाद भी उसे गर्भवती अवस्था में ही घने जंगल भेज दिया गया था | जहाँ पर सीता ने सुरक्षित लव कुश को जन्म दी थी | और जंगल में ही सुरक्षित पाल पोशकर बड़ा भी कि थी | जिस लव कुश ने जब अपनी माँ सीता के साथ हुए अन्याय अत्याचार करने वाले राम पर क्रोधित होकर राम के खिलाफ हथियार उठाया तो सीता दुःख बर्दाश न कर सकी और रामराज में ही रोते बिलखते जीते जी धरती में समा गयी | जिसे चौदह वर्ष का वनवाश के बाद रामराज महल में अपने पति और बच्चे के साथ रहने की इच्छा पुरी नही हो सकी और वह जीते जी धरती में समा गयी | जिस रामराज का शासक राजा राम का मंदिर बनाने का जो फैशला कोर्ट द्वारा आया है , उसपर बहस फिर से न गर्मा जाय इसके लिये दरसल अवाज को दबाने के लिये उससे बड़ी आवाज निकलवाने की रणनीति के तहत घर का भेदि रामदेव को विवादित बयान दिलवाकर इस्तेमाल किया गया था | जिसका प्रभाव कम हुआ तो प्रज्ञा ठाकुर के द्वारा दिए गए बयान का सोर गुल तेज करके मुल बहसो को दबाया जा रहा है | ताकि जो अवाज मनुवादियो के कुकर्मो के खिलाफ तेजी से उठती है , उसे किसी दुसरी अवाज से दबाकर ध्यान भटकाते रहा जाय | विभिन्न तरह के नया वाद विवाद द्वारा ध्यान भटकवाकर मनुवादि अपनी शासन को और आगे बड़ाने का इंतजाम कर लेता है | जिससे की उसे मनुवादि शासन कायम रहने में कोई बाधा न आ जाय और सदन हो या फिर चुनाव मुल बहस को दबा दिया जाय | जैसे कि मतदान मशीन के साथ छेड़छाड़ करके जो चुनाव घोटाला मनुवादि शासन में हो रहा है , उसपर भी जब तेजी से अवाज उठने लगी थी तो उसे भी ध्यान भटकाकर फिलहाल लगभग दबा दिया गया है | जबकि अभी भी तो कई राज्यो में जो चुनाव हुए या हो रहे हैं वहाँ भी चुनाव घोटाला हो रहा है , इससे इंकार नही किया जा सकता है | जिसकी अवाज को दबाने के लिये न जाने और कितनी ऐसी बहस चलेगी जिससे बड़ी बहस मनुवादि शासन में क्या क्या ऐतिहासिक बड़े बड़े रिकॉर्ड तोड़ पाप हो रहे हैं , उसपर बहस होनी चाहिए थी | जैसे की सबसे बड़ा घोटाला चुनाव घोटाला में बहस होकर जबतक दुध का दुध और पानी का पानी न हो जाय तबतक चुनाव घोटाला को लेकर गंभीरता से बहस चलनी चाहिए थी , जिसे अब दबा दिया जा रहा है | जिससे भी पहले कालाधन और बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो के द्वारा चोरी करके विदेशी बैंको में छिपाकर रखने का काला लिस्ट जो विदेशो से आया था , जिसमे कि सारे के सारे मनुवादियो के ही डीएनए का व्यक्तियो का नाम मौजुद है , उसपर भी जब सदन और चुनाव में बहस तेजी से जोर पकड़ने लगी तो उसे भी दबा दिया गया | जिस तरह का ध्यान भटकाउ छल कपट को मनुवादि हजारो सालो से अपनाते आ रहे हैं | क्योंकि मनुवादियो को पता है कि किसी अवाज को यदि दबानी हो तो दुसरी कोई ऐसी अवाज पैदा करो जिससे की मनुवादि शासन को कायम रहने और मनुवादियो की बड़े बड़े कुकर्मो को छिपाने दबाने में कठिनाई न आए | जैसे कि इससे पहले ही बतलाया कि हाल फिलहाल में मनुवादियो के द्वारा किये गए बड़े बड़े कुकर्मो पर बहस तेजी से होने लगी तो उन्होने रामदेव द्वारा विवादित बयान दिलवाकर एक अलग से बहस पैदा करके दुसरे बहस को दबाया गया | जिससे की मनुवादियो के कुकर्मो पर जो अवाज तेजी से उठने लगी और मनुवादियो के खिलाफ तेजी से बहस होने लगी तो बिच में रामदेव से विवादित बयान दिलवाकर बहस को मोड़ दिया गया | जिसके लिये रामदेव को इसलिए चुना गया क्योंकि विवादित बयान देनेवाला रामदेव भी उच्च जाति का नही है | भले वह मनुवादियो के बुरी संगत में आकर अपने नाम के साथ रामदेव लगा कर रखा है | जिस रामदेव ने मनुवादियो की बुरी संगत में आकर ही ये विवादित बयान दिया है कि पेरियार जैसे लोग वैचारिक आतंकवादी होते हैं | अथवा रामदेव जैसे घर के भेदियो के विचार से मनुवादियो के खिलाफ संघर्ष करना नैतिक आतंकवाद है | जिस रामदेव का जन्म मनुस्मृति लागू के समय भी यदि उच्च जाति के घर में जन्म नही होता और उसके साथ भी भारी शोषण अत्याचार होता , जो की होता ही , तो भी क्या वह मनुवादियो द्वारा शोषण अत्याचार किये जाने पर उनकी आरती उतारकर यह कहता कि इनके विरोध में जो कोई भी आवाज उठायेगा वह वैचारिक आतंकवाद को बड़ावा दे रहा है | दरसल रामदेव जैसे घर के भेदि ही मनुवादियो की आरती उतारकर उनके द्वारा किये गये शोषण अत्याचार को न्यायप्रिय कार्य और शोषित पिड़ितो द्वारा शोषण अत्याचार करने वालो के खिलाफ आवाज उठाने जैसी क्रांतीकारी विचारो को वैचारिक आतंकवाद जैसी विवादित बयान देकर आँख मुंदकर मनुवादियो के कुकर्मो को छिपवाने पर बड़ावा देते रहते हैं | जिसके चलते ऐसे भेदियो को मनुवादियो द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार नही दिखता है | क्योंकि मनुवादि अपने बुरे संगत में आए घर के भेदियो के साथ उस तरह का शोषण अत्याचार नही करते जैसा कि वे बाकि शोषित पिड़ितो से करते आ रहे हैं | करते तो रामदेव को भी कबका समझ आ जाता और वह भी मनुवादियो की आरती उतारना बंद करके अपने पुर्वजो के साथ हुए अन्याय अत्याचार के प्रति दुःखी होकर मनुवादियो के खिलाफ खुलकर संघर्ष करता | जैसे कि वह कभी कालाधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाकर संघर्ष कर रहा था | न कि संघर्ष करने वाले अपने ही डीएनए के शोषित पिड़ितो को वैचारित आतंकी कहकर मनुवादियो के बड़े बड़े कुकर्मो को छिपाने में मदत करता | क्योंकि रामदेव को इतनी बुद्धी तो अब भी सायद बची होगी कि वह यह जान सके कि आयेदिन उल्टे शोषित पिड़ित ही भष्म मनुस्मृति का भूत सवार मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार से आतंकित और भयभित रहते हैं | तभी तो मनुवादियो के छुवा छुत शोषण अत्याचार आतंक और भय को समाप्त करने के लिये गोरो से अजादि मिलने से पहले ही बाबा अंबेडकर द्वारा मनुस्मृति को भष्म किया गया था | जिसके बाद ही उन्होने अजाद भारत का संविधान रचना भी किया है | जिस अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी इस देश में मनुवादि भारी भेदभाव करके लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करके आज भी शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट मांसिकता से बाहर नही निकल पा रहे हैं | और शोषित पिड़ितो के साथ विभिन्न तरह का भेदभाव शोषण अत्याचार करके , बल्कि पिट और पिटवाकर आतंकित कर रहे हैं | जिसका ही नतिजा है कि आज भी मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ अवाजे उठती ही रहती है | जिसे दबाने के लिये मनुवादि या तो खुद सत्ता द्वारा मिली शक्तियो का गलत उपयोग करके राजनिती गुंडागर्दी करने लगते हैं , या फिर उनके पाले गए गुंडो के द्वारा शोषित पिड़ितो को डराया धमकाया जाता है | जो गुंडे सरकारी पदो में भी बैठे हुए हो सकते हैं , और गैर सरकारी पदो में भी बैठे हुए हो सकते हैं | जिस तरह की गुंडागर्दी से शोषित पिड़ित प्रजा अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी अपने ही देश में गुलाम महशुस कर रहा है | जो अपने अजाद भारत में भी आये दिन इतना अतंकित रहता है कि कहीं पर देख सुन रहा था कि मनुवादियो की गुंडागर्दी राजनिती सारी हदे पार करके अब उस बुरी स्थिती में पहुँच चुकि है कि अब एक सैनिक की पत्नी तक को भी गुंडागर्दी राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेता बलात्कार तक करने कराने की धमकी देने लगे हैं | वैसे तो मनुवादि शासन में हर महिने हजारो बलात्कार की घटनायें हो रही है यह आँकड़ा किसी भी नारी को भयभीत कर सकती है | जबकि मिली सत्ता पावर का गलत इस्तेमाल करके ऐसी धमकी देनेवाले भ्रष्ट सेवको जो चाहे मनुवादि न हो तो भी प्रजा का सेवक बनकर दुसरो को डराने से पहले खुद भी यह सोचकर डरनी चाहिए कि यदि पिड़ित सैनिक की पत्नी अपनी पीड़ा बाकि सेनाओ को बताकर सारे सैनिक और पुलिस एकजुट हो जाय , और ऐसे गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेताओ की रक्षा करने से मना कर दे तो बलात्कार करने कराने तक की भी धमकी देकर गुंडागर्दी करने वाले भ्रष्ट नेताओ की रक्षा सेना और पुलिस करने से मना करने लगेंगे | जिसके बाद पिड़ित प्रजा सड़को पर आंदोलन करके गुंडागर्दी की राजनिती करने वाले भ्रष्ट नेता को माँ का दुध पिया है तो आ सामने कहकर ललकारता नही , बल्कि सिधे उनके घर और कार्यालय में घुसकर गुंडा गर्दी का जवाब देता | लेकिन विडंबना ये है कि चाहे कोई गुंडा चुनाव जिते या फिर भला इंसान चुनाव जिते , दोनो को ही कड़ी और महंगी सुरक्षा उन्ही सेना और पुलिस द्वारा मिली हुई है , जिनमे से ही किसी सैनिक की पत्नी को बलात्कार करने कराने तक की धमकी दी जा रही है | जिन बलात्कार तक की भी धमकी देनेवाले भ्रष्ट नेताओ के आकाओ पर भी विशेष सुरक्षा और विशोष सुख सुविधा सेवा में हर साल सबसे अधिक खर्च हो रही हैं | जिनकी खास सुरक्षा इस देश के सैनिक और पुलिस ही तो दिन रात करते रहते हैं | हलांकि जिन सेवको द्वारा शोषित पिड़ित प्रजा की सेवा गुंडागर्दी से नही बल्कि सचमुच में भलाई हो रही है , उनकी महंगी सुरक्षा तो बनती है , पर उन बागड़ बिलो का क्या जो गुंडागर्दी की राजनिती करने और मानो बलात्कार कराने के लिये ही बलात्कारियो को टिकट देते हैं | और बलात्कारी अपनी हवश मिटाने के लिये ही चुनाव लड़ते हैं | और गुंडागर्दी करके फर्जी तरिके से चुनाव जितकर भोग विलाश में लिप्त होने के साथ साथ प्रजा को दिन रात डराने धमकाने और शोषण अत्याचार करने की कुकर्मो में लगे रहते हैं | जिनके कुकर्मो से सैनिको और पुलिसो के परिवार भी पिड़ित हैं | जो गुंडागर्दी मुलता मनुवादि शासन द्वारा ही जन्म दिया गया है |
जिस गुंडागर्दी को जन्म देनेवाले मनुवादि शासको को यह बात नही भुलनी चाहिए कि सैनिक और पुलिस की नौकरी में शोषित पिड़ित परिवारो के घरो से ही तो सबसे अधिक बहाली में भाग रहे हैं और सबसे अधिक संख्या में सेना और पुलिस की नौकरी में भी मौजुद हैं | भले मनुवादियो द्वारा यह कह दिया गया हो कि जन्म से सिर्फ वही लोग ही वीर यौद्धा विद्वान पंडित और धन्ना बनने की काबलियत रखते हैं | बाकि तो सब जन्म से शुद्र हैं | जो वीर सैनिक , विद्वान शिक्षक और धन्ना नही बन सकते इस तरह के अँधविश्वासो को अब भी मानने वाले मनुवादि लोग एकलव्य अंबेडकर और अशोक नंद वगैरा शुद्रो के बारे में क्या ख्याल रखते हैं कि इनके पास वीर सैनिक और विद्वान बनने की हुनर मौजुद नही थी ? क्या मनुवादियो को ये लोग कमजोर बुद्धीहीन नजर आते हैं | जिनके ही डीएनए के शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म में मौजुद हो उनकी दबदबा की सत्ता यदि वर्तमान के समय में मौजुद रहती तो आज जो गुंडागर्दी की राजनिती चल रही है , उसमे अचानक से क्रांतीकारी परिवर्तन आकर इतनी भारी कमी आती कि घर का भेदि भी मनुवादियो के बुरे संगतो में पड़ने से पहले सौ बार सोचते कि वे किनके बुरे संगतो में पड़ने जा रहे हैं | जबकि मनुवादियो की दबदबा वाली शासन में जवानो के परिवार को धमकाना डराना ही नही बल्कि गुंडागर्दि से जबरजस्ती किसानो की जमिने भी छिनी जा रही है | जिसके लिए अबतक न जाने कितने ही आंदोलन चलाये गए हैं | लेकिन भी यह हाल है कि जवानो की पत्नियो को भी बलात्कार करने कराने की धमकी दी जा रही है | और किसानो की उपजाउ जमिनो को भी गुंडागर्दी से बंजर जमिन घोषित कराकर वहाँ पर भोग विलाश करने की इंतजाम की जा रही है |
बलात्कार डर भय भुख
बलात्कार डर भय भुख
कांग्रेस भाजपा दोनो ही मनुवादी पार्टी है , जिनके नेतृत्व में चुनाव मशीन के साथ भी बलात्कार हो रहा है तो प्रजा के साथ क्या क्या हो रही होगी ! लोकतंत्र के चारो स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा में हर साल चालीस हजार से अधिक बलात्कार की घटना घटित हो रही है | मनुवादि शासन में डर भय और आतंक का माहौल कैसे कायम है , इसका अंदाजा इस बातत से भी लगाया जा सकता है कि हर साल चालिस हजार से अधिक बलात्कार की घटना हो रही है | जिस मनुवादि शासन का विरोध करने वालो को बलात्कार तक करने और कराने की धमकी देकर डराया धमकाया जा रहा है | वैसे तो देश में हर साल लगभग चालीस हजार से अधिक बलात्कार हो ही रहे हैं , जिसमे दुध पिती बच्ची से लेकर बुढ़ी तक बलात्कारियो ने किसी को नही छोड़ा है | जिनका हौशला मनुवादि शासन में बड़ना स्वभाविक भी है | क्योंकि मनुवादि जिन देवो को अपना आदर्श मानते हैं , उनमे ऐसे ऐसे बलात्कारी मौजुद हैं , जिनके लिये तो मानो नारी सिर्फ भोग विलाश की वस्तु लगती है | जिन देवो की मनुवादियो के घरो और मनुवादि शासन के दौरान मनुवादियो के कार्यालयो में आरती और अगरबत्ती उतारकर पुजा कि जाती है | जिन देवो के शासन में यज्ञ के दौरान धन संपदा और पशुओ के साथ साथ नारी को भी दान के रुप में आपस में बांटा जाता था | जिसके चलते एक एक यज्ञ करने वालो के पास ,आधा एक दर्जन अबला नारियो बल्कि नबालिको की मौजुदगी देव दासी के रुप में होती थी | और यदि नारियो की इच्छा बिना ही सेक्स अथवा जोर जबरजस्ती होती होगी तो निश्चित तौर पर देवो के राज में अभी से तो ज्यादे बलात्कार होती रही होगी | जबकि दानवो के द्वारा यदि सिर्फ अपहरन भी किया जाता था तो देवो द्वारा उसकी हत्या कर दिया जाता था | यह कहकर कि दानव असुर ने हरन करके अबला नारी को अपमानित किया था | जबकि इंद्रदेव ने विवाहित अहिल्या का बलात्कार किया था , विष्णु ने तुलसी का बलात्कार किया था , और ब्रह्मा तो अपनी बेटी सरस्वती के पिच्छे ही पड़ गया था | जिसकी शिकायत सरस्वती ने शिव से कर दी थी | जिसके चलते शिव ने ब्रह्मा का एक सर काट दिया था | जबकि वर्तमान में तो बलात्कारियो को इतनी छुट मिली हुई है कि हर रोज सिलसिलेवार गैंग रेप हो रहे हैं | बलात्कारी जेल जाते हैं फिर छुटकर आकर या बेल में बाहर निकलकर फिर से अपनी हवश मिटाने के लिये बलात्कार करते हैं | जिनको तो यदि फांसी नही दी जा सकती है तो कम से कम सजा के साथ साथ नपुंशक बना देने की सजा जरुर देनी चाहिए थी | खासकर उन बलात्कारियों को जो लहुलुहान कर देने वाली बल्कि बलात्कार करके हत्या तक करने की खुनी बलात्कार करते हैं | जो खुनी बलात्कार करके कैसे जिवित रहने की सोचकर अदालत और जेल में भी सुरक्षित घुमते रहते हैं | कम से कम जज के सामने खड़े होकर डर भय तो उन्हे इतनी लगनी चाहिए थी की कोई दुसरा हवशी बलात्कार करने की न सोच सके | मेरा वश चलता तो मैने तो कई जगह बलात्कारियो को कैसी सजा मिलनी चाहिए इसका जिक्र किया है | जिन बलात्कारो में भारी क्रांतीकारी परिवर्तन लाने और प्रजा के जिवन में डर भय और खौफ आने के बजाय गुंडागर्दी राजनिती करने और बलात्कार जैसे गंभीर अपराध करने वाले अपराधियो के अपराधिक जिवन में डर भय और खौफ का हालात बन सके इसके लिए मनुवादि शासन का जाना जरुरी है | न कि एक मनुवादि पार्टी कांग्रेस के बाद दुसरी मनुवादी पार्टी भाजपा सरकार को अदला बदली करके ईवीएम मशीनवके साथ भी हैकरो के द्वारा बलात्कार कराके चुनाव घोटाला द्वारा बिठाया जा रहा है , और शोषित पिड़ित प्रजा बेकार में समय यह सोच सोचकर बर्बाद करता रहे की उनकी वोट सही जगह जा रही है और बार बार लोकतंत्र की जीत हो रही है | अगर भाजपा कांग्रेस की जीत लोकतंत्र की जीत होती तो इन दोनो पार्टियो के शासन में हर साल हजारो बलात्कार न होती | कांग्रेस भाजपा दोनो ही मनुवादी पार्टी है , जिनके नेतृत्व में चुनाव मशीन के साथ भी बलात्कार हो रहा है तो प्रजा के साथ क्या क्या हो रही होगी !
राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ?
राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ?
डर भय और खौफ को लेकर धन्ना कुबेर राहुल बजाज के द्वारा भी सरकार से सवाल करने से यह बात साबित होती है कि मनुवादि शासन में धन्ना कुबेरो को भी अब डर भय और खौफ का माहौल साफ साफ नजर आ रहा है | हलांकि राहुल बजाज जैसे धन्ना कुबेरो को डर भय और खौफ वाकई में कभी मनुवादि सरकार से होती है कि नही इसपर यकिन के साथ तो मैं नही कह सकता पर यह बात सौ प्रतिशत यकिन के साथ कह सकता हूँ कि इस देश के शोषित पिड़ित जिन्हे खुलेआम सड़को में पीटा और पिटवाया जाता है , उनकी जिवन में मनुवादि हजारो सालो से शोषण अत्याचार डर खौफ का माहौल बनाकर रखे हुए हैं | जिस तरह की पिटाई गौ हत्या के नाम से उच्च जाति के लोगो की कभी नही होती है , चाहे क्यों न वे हजारो करोड़ लेकर विदेश भाग जाय , या फिर इस कृषि प्रधान देश में अपनी कबिलई सोच से पिंक क्रांती लाने का सबसे बड़े बड़े उद्योग चलाये | बल्कि यह जरुर कह सकता हूँ कि उच्च जाति के ही डीएनए के मनुवादियो के घरो में शोषण अत्याचार की ट्रेनिंग जोर जबरजस्ती देने के लिए अपनो के द्वारा ही पिटाई बचपन से लेकर बुढ़ापा तक जरुर होती है | जिसे मैने अपनी आँखो से देखा है कि मनुवादि परिवारो में उनके बच्चो बुढ़ो को शोषण अत्याचार करने की ट्रेनिंग देने के लिये कैसी पिटाई होती है | मैं उन परिवारो की तरफ इसारा नही कर रहा हूँ जो कि अपने बच्चो को शोषण अत्याचार करने कि ट्रेनिंग नही बल्कि शोषित पिड़ितो की सेवा और सुरक्षा करने की ज्ञान बांटते हैं | बल्कि उनकी तरफ इसारा कर रहा हूँ जो कि आज भी खुदको जन्म से उच्च समझकर उच्च निच भेदभाव करते हैं | जिन मनुवादि लोगो द्वारा हजारो सालो से पिड़ी दर पिड़ी शोषण अत्याचार किया जाना जारी हैं | लेकिन भी इस देश के शोषित पिड़ित जो इस समय चाहे जिस धर्म में मौजुद हो , पिड़ी दर पिड़ी आजतक खुन के आँशु पिकर भी उस दिन का इंतजार कर रहे हैं , जब मनुवादियो की दबदबा समाप्त होगी और चारो तरफ डर भय खौफ का माहौल नही , बल्कि सुख शांती और समृद्धी का माहौल कायम होगी | जो दिन अब दुर नही क्योंकि मनुवादि शासन में गुंडागर्दी की राजनिती फिर से चरम सीमा पर पहुँच गई है | जिसका मतलब साफ है कि मनुवादियो की जो भी बची खुची अंतिम इच्छा शोषण अत्याचार , लुटपाट , भोग विलाश , ढोंग पाखंड , वगैरा करने की बची हुई है , उसे मनुवादि शासन समाप्त से पहले अथवा मनुवादि शासन मरने से पहले जल्दी जल्दी अँतिम इच्छा पुरा करने के लिए अँधाधुन गलत फैशले जल्दी जल्दी लिये जा रहे हैं | जिसके चलते मनुवादियो के द्वारा किये जा रहे शोषण अत्याचार का दीया बुझने से पहले अँतिम समय में जरुरत से ज्यादे झिलमिला रहा है | जैसे कि हजारो साल पहले कभी झिलमिलया होगा , जब मनुस्मृति लागू करके मनुवादियो द्वारा प्रजा सेवा के नाम से इस देश के मुलनिवासियो को दास बनाकर अति क्रुरता सेवा करते हुए जीभ और अंगुठा काटा जाने लगा होगा | तब मनुवादि हजारो साल पहले भी खुदको जन्म से ही उच्च घोषित करके अति क्रुरतापुर्ण भेदभाव करते हुए शासन चलाने लगे होंगे | जिस समय वेद सुनने पर कान में गर्म लोहा पिघलाकर डाल दिया जाता था , वेद का उच्चारण करने पर जीभ काट दिया जाता था , कमर में झाड़ू टांग दिया जाता था , गले में थुक हांडी टांग दिया जाता था , अँगुठा काट दिया जाता था | जिस तरह के अनेको भ्रष्ट सेवा मनुवादियो द्वारा की जाती थी | जो दरसल प्रजा सेवा नही बल्कि दास बनाकर खुदकी सेवा कराने के लिए जबरजस्ती की गुंडागर्दी थी | बल्कि आज भी मनुवादियो के द्वारा इस तरह के बहुत से भ्रष्ट सेवा किये जा रहे हैं | जिसमे वे सेवा नही बल्कि शोषण अत्याचार करने में लिप्त नजर आते हैं | क्योंकि 1947 ई० में इस देश को गोरो से अजादी मिलने के बाद मनुवादियो का शासन स्थापित होकर , मनुस्मृति सोच से शोषण अत्याचार करने का नया अपडेट के रुप में अब भी छुवा छुत शोषण अत्याचार गुंडागर्दी जारी है | जैसे की राजनीति गुंडागर्दी द्वारा डर भय और खौफ का माहौल बनना मनुस्मृति भ्रष्ट सोच का ही नतिजा है | जिसके चलते राहुल बजाज जैसे धन्ना कुबेर को भी सरकार से यह कहना पड़ा कि देश में भय और आतंक का माहौल है |
सोमवार, 25 नवंबर 2019
ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है
ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री
और खुब सारा धन हासिल करना नही है
जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि
पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ||
और खुब सारा धन हासिल करना नही है
जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि
पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय |
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय ||
अथवा बड़ी बड़ी डिग्री लेकर बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर दुनियाँ में न जाने कितने ही लोग मौत के द्वार पर पहुँचकर भी सत्यबुद्धी को प्राप्त नही कर सके | लेकिन यदि ढाई अक्षर प्रेम का सत्यबुद्धी प्राप्त कर लेंगे तो बुद्धी को प्राप्त जरुर कर लेंगे | बल्कि महलो में कई शिक्षको से पढ़कर बुद्ध के पास पास भी कई उच्च डिग्री मौजुद थी | लेकिन भी उसके बारे में यह क्यों कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान पेड़ के निचे खुले में बिना कोई पढ़ाई के आँख मुंदकर योग ध्यान करने मात्र से हासिल हुआ था | जो ज्ञान उसे कई शिक्षको से पढ़ने और कई डिग्री हासिल करने के बावजुद भी महल के अंदर क्यों नही मिल पाई थी ? क्योंकि बुद्धी के सरण में जाना बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करना और खुब सारा धन हासिल करना नही बल्कि सत्य बुद्धी को प्राप्त करना होता है | क्योंकि ज्ञान डिग्री और खुब सारा धन तो बड़े बड़े आतंकवादी और किडनीचोर डॉक्टर के पास भी होती है , पर उनके पास सत्यबुद्धी नही होती है | जिसके चलते वे आतंकवादी और किडनीचोर बनते हैं | जो सत्यबुद्धी मनुवादियो को भी अबतक प्राप्त नही हो पा रही है | जिसके चलते वे बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करके और बड़े बड़े उच्च पदो में बैठकर भी प्रेम से जिवन गुजारा करने के बजाय भेदभाव शोषण अत्याचार करना नही छोड़ पा रहे हैं | जैसे कि सत्यबुद्धी नही आने कि वजह से गोरे भी लंबे समय तक यीशु प्रेम बांटने के बजाय बाईबल धरकर भी न्यायालय का जज बनकर देश गुलाम करके अजादी संघर्ष करने वालो को सजा देते रहे और यह बोर्ड लगाते रहे कि कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | जिस तरह का बोर्ड मनुवादि भी आजतक लगाना नही छोड़ पाये हैं | क्योंकि उन्हे भी बड़ी बड़ी उच्च डिग्री और वेद पुराणो की डिग्री प्राप्त करने के बावजुद अबतक भी सत्यबुद्धी प्राप्त नही हो पायी है | क्योंकि बुद्धी को प्राप्त करना दरसल सत्यबुद्धी को प्राप्त करना है | जैसे की बुद्ध ने प्राप्त किया था | जो सत्यबुद्धी उसे महलो में नही बल्कि खुले आसमान और पेड़ के निचे मिली थी | जहाँ पर सबसे अधिक ग्रामिण और झुगी झोपड़ी अबादी जिवन बसर करती है | जिन लोगो को बुद्धी नही है और अनपढ़ गंवार कहकर मजाक उड़ाने और अपमानित करने वालो को ही तो बुद्ध और कबिर ने भी बुद्धी के सरण में जाओ कहकर ज्यादेतर बुद्धी बांटने का प्रयाश किया है | अथवा बुद्ध और कबिर ने सबसे अधिक ज्ञान उन्ही लोगो को बांटा है , जिनके पास किसी चिज की कमी नही थी पर सत्यबुद्धी की कमी जरुर थी | जैसे की अभी भी सबसे अधिक सत्यबुद्धी बांटने की जरुरत बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को है , जिनके पास किसी भी चीज की कोई कमी नही है , बस सत्यबुद्धी की कमी है | तभी तो ऐसे लोगो द्वारा ही सबसे अधिक भ्रष्टाचार हो रहा है | और कालाधन का भी अंबार ऐसे ही लोग लगाते जा रहे हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की सबसे अधिक जरुरत है | जिनको सत्यबुद्धी न मिलने की वजह से ही तो यह देश सोने की चिड़ियाँ होते हुए भी यहाँ पर गरिबी भुखमरी का अंबार इसलिए लग गया है , क्योंकि ऐसे ही लोग दुसरो का हक अधिकारो को चुराकर लुटकर खुदको सबसे विद्वान समझते रहते हैं | जिन्हे सत्यबुद्धी की आवश्यकता सबसे ज्यादे है | जिन्हे बड़े बड़े कबिर जैसे महान विचारक और बुद्ध जैसे महात्मा के विचार भी सैकड़ो हजारो सालो से सत्यबुद्धी नही दे पाई है | क्योंकि ऐसे लोग कबिर और बुद्ध जैसे संत महात्माओ को भी मानो किसी चेक की तरह भंजाकर यशो आराम का जिवन गुजारते हुए उल्टे उन्ही लोगो को बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहते आ रहे हैं , जिनसे न तो लोकतंत्र को ज्यादे खतरा है , और न ही पर्यावरण व मानवता को ज्यादे खतरा है | बल्कि सबसे ज्यादे खतरा उन्ही लोगो से है , जो बुद्धीहीन अनपढ़ गंवार कहकर खुदको सबसे उच्च समझकर सबसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार में लिप्त होकर कालाधन का अंबार लगाते जा रहे हैं | ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है |
शनिवार, 23 नवंबर 2019
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !
जिस तरह पंचतंत्र की कथा में बगुला योगी अब मैं बुढ़ा हो गया हूँ कहकर ढोंग पाखंड करता है , उसी तरह हजारो सालो से शोषण अत्याचार करने वाला हजारो सालो का बुढ़ा मनुवादी भी बगुला योगी की तरह ढोंग पाखंड करता है कि अब वह भेदभाव शोषण अत्याचार करना छोड़ दिया है |
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत है , पर जिन लोगो के लिए शोषन अत्याचार करने का माध्यम है , उनके लिए शोषण अत्याचार करने का सबसे बड़ा ताकतवर वरदान है | जैसे की सत्ता के जरिये मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं | ताकतवर सत्ता उनके लिए ऐसा ड्रक्स बना हुआ है जो इंसानियत को मार डालता है | जो बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात ऐसा पाप कराता है , जिससे कि इंसानियत ऐसे पापियो से अजादी पाने का लंबा संघर्ष करता है , जिनसे अजादी मिले बगैर इंसानियत कायम कभी हो ही नही सकता | जो जबतक कायम नही हो जाती तबतक शोषण अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष चलता रहता है | जैसे कि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से चल रहा है | जिस संघर्ष को कमजोर संघर्ष यह सोचकर नही कहा जा सकता कि चूँकि मुठिभर अबादि से भी बहुसंख्यक अबादि लंबे समय से अजादि पाने का संघर्ष कर रहा है , इसलिए वह कमजोर है | और चूँकि शोषन अत्याचार करने वाला मुठिभर होकर भी बहुसंख्यको पर राज कर रहा है इसलिए वह ताकतवर है | और ताकतवर मनुवादियो से डरकर सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सब मिलकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए वे कमजोर हैं | क्योंकि अजादि संघर्ष भी तो मुठिभर गोरो से अजादी पाने के लिए मिलजुलकर ही लड़ी गयी थी | तो क्या गुलाम करने वाले गोरे सभी गुलाम देशो के गुलामो से ज्यादा ताकतवर थे और मिल जुलकर अजादी संघर्ष करने वाले सभी गुलाम लोग कमजोर थे ? बिल्कुल नही बल्कि गुलाम और शोषन अत्याचार करने वाला ज्यादे कमजोर होता है , जिसके पास इतनी ताकत नही होती की वह किसी को गुलाम किये बगैर , किसी का शोषन अत्याचार किये बगैर , हक अधिकारो को बिना लुटे बगैर जिंदा रह सके ! जिसके चलते वह किसी परजिवी की तरह दुसरो का हक अधिकारो को चुसकर शोषण अत्याचार करके जिवित रह पाता है | जैसे कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादि परजिवी मांसिकता को अबतक कायम रखकर ही खुदको सबसे अधिक ताकतवर और उच्च कहकर गुजर बसर कर रहे हैं | जिन मनुवादियो के बिच मौजुद जिनके पास भी बिना किसी को गुलाम बनाये , शोषन अत्याचार किये , हक अधिकारो को लुटे बगैर जिवन गुजारा करने कि मांसिकता शोषित पिड़ितो की संगत में आकर सचमुच में ताकत विकसित होने लगती है , वह सचमुच में शोषन अत्याचार करने कि भ्रष्ट नशा को धिरे धिरे छोड़ते हुए भेदभाव करने वालो का पापो को धोने के लिए बिना भेदभाव के शोषित पिड़ितो की सेवा करने में लग जाता है ! पर अफसोस मनुवादियो के भितर मनुस्मृति का शैतान भुत इतनी गहराई तक घुस चुका है कि उसे जलाकर भी अबतक मुठिभर मनुवादियो में भी इतनी ताकत विकसित नही हो पाई है कि उनके भितर वह ताकतवर इंसानियत जाग जाय जिससे कि भेदभाव समाप्त हो जाय | जिनको आज भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत भ्रष्ट नशा कराके और अधिक कमजोर करने में लगा हुआ है | जो भ्रष्ट नशा जिनके भितर भी गहराई तक चला जाता है वह व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके भी दुसरे धर्मो में जाकर भेदभाव करने का भ्रष्ट नशा करना नही छोड़ पाता है | जिस तरह का भेदभाव नशा करने वाले लगभग सभी धर्मो में मौजुद हैं | जैसे कि कहीं सुन देख रहा था कि बौद्ध धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी एक इंसान का औसतन उम्र जितना समय हो चुका है , लेकिन भी अबतक इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करने वाला भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत सवार होकर हक अधिकारो को छिनने और शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ है | लगता है अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भेदभाव का नशा करते हुए अबतक शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ मनुवादियो का बुढ़ा पिड़ी समाप्त होने के बाद ही नई पिड़ी जो बुढ़ा पिड़ी से अपने हाथो शोषन अत्याचार करने का नशा को थामेगी वही भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत को अपने भितर से उतारने के लिए शोषन अत्याचार का नशा करने से इंकार करते जायेगी | और धिरे धिरे जिस तरह गुलाम करने वाले गोरो की नई पिड़ी आज गुलाम करने के लिये माफी मांगकर इतिहास में लगे दाग को मिटाने कि कोशिष कर रहा है , उसी तरह मनुवादियो की नई पिड़ी भी सायद छुवा छुत भेदभाव दाग मिटाने की कोशिष कर पायेगी न कि पुरानी पिड़ी की तरह दाग अच्छे हैं कहकर शोषन अत्याचार करती रहेगी | और शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और भी लंबे समय तक चलता रहेगा | गोरो को तो सैकड़ो सालो में इतनी ताकत आ गयी थी कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भुत से छुटकारा पाने के लिए गुलाम करना छोड़ दिये पर मनुवादियो को तो हजारो सालो के बाद भी इतनी ताकत नही जुट पा रही है कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भष्म मनुस्मृति का भुत से छुटकारा पा सके | हलांकि मनुवादियो की भ्रष्ट संगत में पड़ने वाले घर के भेदियो के बुद्धी को भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भूत जकड़ लेता है , और वह बाबा रामदेव जैसा मनुवादियो का गुणगाण करके भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो का आरती उतारके शोषित पिड़ितो की अजादी संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने लगता है | जिस तरह के घर के भेदियो को भी मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही देती है | जैसे कि जिन मनुवादियो को मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही दे रही है वह अबतक शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट परंपरा को आगे बड़ाने में लगा हुआ है |
चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत है , पर जिन लोगो के लिए शोषन अत्याचार करने का माध्यम है , उनके लिए शोषण अत्याचार करने का सबसे बड़ा ताकतवर वरदान है | जैसे की सत्ता के जरिये मनुवादि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करते आ रहे हैं | ताकतवर सत्ता उनके लिए ऐसा ड्रक्स बना हुआ है जो इंसानियत को मार डालता है | जो बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात ऐसा पाप कराता है , जिससे कि इंसानियत ऐसे पापियो से अजादी पाने का लंबा संघर्ष करता है , जिनसे अजादी मिले बगैर इंसानियत कायम कभी हो ही नही सकता | जो जबतक कायम नही हो जाती तबतक शोषण अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष चलता रहता है | जैसे कि मनुवादियो की शोषन अत्याचार से अजादी पाने का संघर्ष हजारो सालो से चल रहा है | जिस संघर्ष को कमजोर संघर्ष यह सोचकर नही कहा जा सकता कि चूँकि मुठिभर अबादि से भी बहुसंख्यक अबादि लंबे समय से अजादि पाने का संघर्ष कर रहा है , इसलिए वह कमजोर है | और चूँकि शोषन अत्याचार करने वाला मुठिभर होकर भी बहुसंख्यको पर राज कर रहा है इसलिए वह ताकतवर है | और ताकतवर मनुवादियो से डरकर सभी शोषित पिड़ित चाहे जिस धर्म में मौजुद हो वे सब मिलकर संघर्ष कर रहे हैं इसलिए वे कमजोर हैं | क्योंकि अजादि संघर्ष भी तो मुठिभर गोरो से अजादी पाने के लिए मिलजुलकर ही लड़ी गयी थी | तो क्या गुलाम करने वाले गोरे सभी गुलाम देशो के गुलामो से ज्यादा ताकतवर थे और मिल जुलकर अजादी संघर्ष करने वाले सभी गुलाम लोग कमजोर थे ? बिल्कुल नही बल्कि गुलाम और शोषन अत्याचार करने वाला ज्यादे कमजोर होता है , जिसके पास इतनी ताकत नही होती की वह किसी को गुलाम किये बगैर , किसी का शोषन अत्याचार किये बगैर , हक अधिकारो को बिना लुटे बगैर जिंदा रह सके ! जिसके चलते वह किसी परजिवी की तरह दुसरो का हक अधिकारो को चुसकर शोषण अत्याचार करके जिवित रह पाता है | जैसे कि इस देश के मुलनिवासियो के साथ हजारो सालो से शोषन अत्याचार करने वाले मनुवादि परजिवी मांसिकता को अबतक कायम रखकर ही खुदको सबसे अधिक ताकतवर और उच्च कहकर गुजर बसर कर रहे हैं | जिन मनुवादियो के बिच मौजुद जिनके पास भी बिना किसी को गुलाम बनाये , शोषन अत्याचार किये , हक अधिकारो को लुटे बगैर जिवन गुजारा करने कि मांसिकता शोषित पिड़ितो की संगत में आकर सचमुच में ताकत विकसित होने लगती है , वह सचमुच में शोषन अत्याचार करने कि भ्रष्ट नशा को धिरे धिरे छोड़ते हुए भेदभाव करने वालो का पापो को धोने के लिए बिना भेदभाव के शोषित पिड़ितो की सेवा करने में लग जाता है ! पर अफसोस मनुवादियो के भितर मनुस्मृति का शैतान भुत इतनी गहराई तक घुस चुका है कि उसे जलाकर भी अबतक मुठिभर मनुवादियो में भी इतनी ताकत विकसित नही हो पाई है कि उनके भितर वह ताकतवर इंसानियत जाग जाय जिससे कि भेदभाव समाप्त हो जाय | जिनको आज भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत भ्रष्ट नशा कराके और अधिक कमजोर करने में लगा हुआ है | जो भ्रष्ट नशा जिनके भितर भी गहराई तक चला जाता है वह व्यक्ति धर्म परिवर्तन करके भी दुसरे धर्मो में जाकर भेदभाव करने का भ्रष्ट नशा करना नही छोड़ पाता है | जिस तरह का भेदभाव नशा करने वाले लगभग सभी धर्मो में मौजुद हैं | जैसे कि कहीं सुन देख रहा था कि बौद्ध धर्म में भी भेदभाव होता है | जिसके चलते अजाद भारत का संविधान लागू होने के बावजुद भी एक इंसान का औसतन उम्र जितना समय हो चुका है , लेकिन भी अबतक इस देश के लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करने वाला भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत सवार होकर हक अधिकारो को छिनने और शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ है | लगता है अजाद भारत का संविधान लागू होने के बाद भेदभाव का नशा करते हुए अबतक शोषन अत्याचार करने में लगा हुआ मनुवादियो का बुढ़ा पिड़ी समाप्त होने के बाद ही नई पिड़ी जो बुढ़ा पिड़ी से अपने हाथो शोषन अत्याचार करने का नशा को थामेगी वही भष्म मनुस्मृति का शैतान भुत को अपने भितर से उतारने के लिए शोषन अत्याचार का नशा करने से इंकार करते जायेगी | और धिरे धिरे जिस तरह गुलाम करने वाले गोरो की नई पिड़ी आज गुलाम करने के लिये माफी मांगकर इतिहास में लगे दाग को मिटाने कि कोशिष कर रहा है , उसी तरह मनुवादियो की नई पिड़ी भी सायद छुवा छुत भेदभाव दाग मिटाने की कोशिष कर पायेगी न कि पुरानी पिड़ी की तरह दाग अच्छे हैं कहकर शोषन अत्याचार करती रहेगी | और शोषन अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और भी लंबे समय तक चलता रहेगा | गोरो को तो सैकड़ो सालो में इतनी ताकत आ गयी थी कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भुत से छुटकारा पाने के लिए गुलाम करना छोड़ दिये पर मनुवादियो को तो हजारो सालो के बाद भी इतनी ताकत नही जुट पा रही है कि वे शोषन अत्याचार कराने वाले भष्म मनुस्मृति का भुत से छुटकारा पा सके | हलांकि मनुवादियो की भ्रष्ट संगत में पड़ने वाले घर के भेदियो के बुद्धी को भी भष्म मनुस्मृति का शैतान भूत जकड़ लेता है , और वह बाबा रामदेव जैसा मनुवादियो का गुणगाण करके भेदभाव शोषण अत्याचार करने वालो का आरती उतारके शोषित पिड़ितो की अजादी संघर्ष को वैचारिक आतंक कहने लगता है | जिस तरह के घर के भेदियो को भी मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही देती है | जैसे कि जिन मनुवादियो को मनुस्मृति में मौजुद वैचारिक और शारिरिक आतंक दिखलाई नही दे रही है वह अबतक शोषण अत्याचार करने की भ्रष्ट परंपरा को आगे बड़ाने में लगा हुआ है |
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
The chains of slavery
The chains of slavery The chains of slavery The dignity of those who were sent by America in chains is visible, but not the chains of slave...

-
एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही? एक भी प्रधानमंत्री दलित क्यों नही? भारत का संविधान दलित अंबेडकर ने लिखा पर 1947 ई. से लेकर 2024 ई. आजतक...
-
साक्षात मौजुद प्रकृति भगवान की पुजा हिन्दु धर्म में की जाती है , न कि मनुवादियो के पूर्वज देवो की पुजा की जाती है दरसल मनुव...
-
तंबाकू धुम्रपान निषेध दिवस सरकार पुरे देश में मनाती है, और साथ साथ जनता भी मनाती है| पर फिर भी सरकार बिड़ी सिगरेट का उद्...