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मनुवाद से आजादी पाने के लिए अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासी दरसल उस शुतुरमुर्ग की तरह हैं , जो आँधी आने पर अपना सर रेत में घुसा लेता है

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मनुवाद से आजादी पाने के लिए अपना धर्म परिवर्तन करने वाले मुलनिवासी दरसल उस शुतुरमुर्ग की तरह हैं , जो आँधी आने पर अपना सर रेत में घुसा लेता है मनुवादियों की जुल्म से अजादी पाने के लिए हिन्दू धर्म छोड़कर दुसरे धर्मो में जानेवाले इस देश के मुलनिवासी दरसल वैसे शरणार्थी की तरह  हैं , जो अपने ही देश में रह रहे दुसरे धर्मो के घरो में यह सोचकर शरण लेते या ले रहे हैं कि वहाँ पर जाकर उनके साथ अपमानित और लहु लुहान जुल्म होना बंद हो जायेगा | जो बात यदि सत्य होती तो धर्म परिवर्तन करने के बाद उनपर कभी भी हमले नही होते और न ही कभी धर्म के नाम से मार काट होती | बल्कि धर्म परिवर्तन के बाद उनकी जिवन में सुख शांती और समृद्धी आ जाती | दुसरे देशो में शरण लेने वाले शरणार्थी तो मुलता अपने देश में मौजुद शोषण अत्याचार करने वालो के जुल्म से छुटकारा पाने के लिये दुसरे देशो में शरण लेते हैं , पर अपने ही देश में रहकर धर्म परिवर्तन करके अपने ही देश में मौजुद मनुवादियों की जुल्म से अजादी मिल जायेगी ऐसे झुठे उम्मिद करने वाले मुलनिवासी कहीं ये तो नही सोचते हैं कि मानो मनुवादियो द्वारा गुलाम देश में वे ध

आज जो झारखंड सरकार शपथ ली है वह इतिहास रच सकती है यदि वह अपने निश्चय पत्र में किए गए वचनो पर खरा उतरी

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आज जो झारखंड सरकार शपथ ली है वह इतिहास रच सकती है यदि वह अपने निश्चय पत्र में किए गए वचनो पर खरा उतरी आज के दिन शपथ लेनेवाली झारखंड सरकार यदि अपने निश्चय पत्र में किये गए वचनो को निभाने में कामयाब हुई , तो झारखंड इस देश का पहला राज्य बनेगा , जो गरिबी भुखमरी से पुरी तरह से मुक्त हो जायेगा ! जो खासकर उस राज्य में बिल्कुल मुमकिन है , जहाँ पर पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक प्राकृतिक धन संपदा मौजुद है ! और चूँकि निश्चय पत्र में सभी गरिब परिवार को ₹72000/ सालाना यानि ₹6000/ प्रति माह देने का वचन लिया गया है , इसलिए यदि सभी गरिब परिवार को महिने का ₹6000/ मिलेगा तो गरिबी तो वैसे भी समाप्त हो जायेगी | और सभी वृद्ध और विकलांगो को प्रति माह ₹2500/ पेंशन देने का भी निश्चय किया गया है | बल्कि पढ़े लिखे बेरोजगार स्नातको को भी प्रति माह ₹6000/ देने का वचन लिया है | और साथ ही राशन कार्ड धारियो को राशन में सिर्फ चावल गेहूँ ही नही बल्कि तेल साबुन सब्जी चिन्नी चायपत्ती वगैरा जरुरत की चीजे भी देने का वचन दिया है | जिस निश्चय को पुरा किया गया तो निश्चित रुप से कुपोषण भी दुर हो जायेगी | सभी गरिब बेघरो

हिन्दू मुस्लिम को लड़ाने वाला मनुवादी दरसल हिन्दू ही नही हैं

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 हिन्दू मुस्लिम को लड़ाने वाला मनुवादी दरसल हिन्दू ही नही हैं हिन्दू कलैंडर अनुसार इस देश में जो बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाई जाती है उसे हिन्दू पर्व त्योहार कहा जाता है | और इन प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाने वाले लोग मुल हिन्दू हैं | क्योंकि इस सच्चाई पर किसी को भी एतराज नही होनी चाहिए कि इस देश के मुलनिवासियो ने ही इस देश की मुल सभ्यता संस्कृति और प्राकृतिक पर्व त्योहारो को अबतक सागर की तरह स्थिर करके रखा हुआ है | जिन्हे हिन्दू कहा जाता है , न कि मनुवादियो ने इस देश की सभ्यता संस्कृति और प्राकृति पर्व त्योहारो को अबतक स्थिर करके रखा हुआ है | जो बारह माह मनाये जानेवाली प्राकृतिक पर्व त्योहार मनुवादियो के द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले भी मनाई जाती थी | जिन प्राकृतिक पर्व त्योहारो के बारे में जिन लोगो को नही पता वे चाहे तो पुरे हिन्दुस्तान में घुम घुमकर पता कर ले कि उन पर्व त्योहारो को क्या मनुवादियो ने बाहर से इस देश में लाया है ? और यदि हिन्दू कलैंडर के अनुसार बारह माह प्राकृतिक पर्व त्योहारो को मनाने वाले दलित आदिवासी पिछड़ी मुल हिन्दू

मैं 52% ओबीसी हूँ के बजाय 85% मूलनिवासी हूँ कहकर अपनी अवाज सुनानी चाहिए थी

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मैं 52% ओबीसी हूँ के बजाय 85% मूलनिवासी हूँ कहकर अपनी अवाज सुनानी चाहिए थी न कि ST,SC,OBC जिन सबका DNA एक है , जिससे मनुवादियो का DNA नही मिलता है ,  वे सभी अपनी अपनी जनसंख्या बताकर अपनी अलग अलग मांग करते हुए मनुवादियो को फुट डालो और राज करो की नीति अपनाने का मौका इसी तरह देते रहें ! बल्कि दिया जा रहा है ! नही तो 15% कथित उच्च जाति के लोगो की पार्टी को 30-40% का वोट कैसे मिलती है ? जाहिर है आधी वोट बंटे हुए SC,ST,OBC और इन्ही में से जिन्होने अपना धर्म परिवर्तन करके बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक कहे जाते हैं , उनके वोट द्वारा ही कथित उच्च जाति की अबादी 15% होते हुए भी उनकी पार्टी को 30-40% वोट मिल रही है ! जो जबतक पड़ती रहेगी तबतक इस तरह के अन्याय अत्याचार होते रहेंगे ! जिससे मुक्त होना है तो SC,ST,OBC और इन्ही में जिन्होने अपना धर्म परिवर्तन करके बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक कहे जाते हैं , वे सभी एकजुट होकर मन में ये संकल्प ले लें कि जो पार्टी कथित उच्च जाति के दबदबा से चल रही है , उसे अपना वोट न करें और न ही उस पार्टी से चुनाव लड़ें ! फिर देखें सरकार किसकी बनती है ,15% कथित उच्च जातिय

youtube में मौजुद National Dastak चैनल पर दिए गए आज की मेरी टिप्पणी अथवा Comment

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youtube में मौजुद National Dastak चैनल पर दिए गए आज की मेरी टिप्पणी अथवा Comment मै youtube में नेशनल दस्तक चैनल देख रहा था जिसमे एक मुलनिवासी पत्रकार शंभू जी कह रहे थे कि मजदूर किसान सलेंडर कर दिया है ! जिस बातो में मुझे सत्य को तौलकर सच्चाई नही लगी ! जिसपर मैने जो अपनी टिप्पणी अथवा Comment दिया वह निचे मौजुद है | " नमजदूर किसान सलेंडर नही किये है , वे बुरे से भी बुरे हालातो में सड़को पर आंदोलन संघर्ष कर रहे हैं ! बल्कि CAB जैसे बिल को समर्थन करने वाले , पैसे वाले मनुवादियो के आगे सर झुकाकर सलेंडर कर दिया है ! जो अपने घरो की नई पिड़ी को खुब सारा धन देकर जाने के लिये अपने आप को मनुवादियो के आगे झुकाकर दलाली करके , बाकि मुलनिवासियों के लिये ऐसा जख्म दे रहे हैं , जिससे की नई पिड़ी उन्हे मनुवादियो का दलाल तो कहकर उनके मुलनिवासी होने में शर्म तो करेगी ही ,पर साथ घर का भेदि भी कहेगी ! मेरे विचार से तो अब मनुवादियो के खिलाफ आंदोलन संघर्ष धरना प्रर्दशन मनुवादियो का साथ देने वाले घर के भेदियो के खिलाफ उनके घर के बाहर करनी चाहिए ! क्योंकि जिस तरह किसी शैतान जादूगर की जान किसी पिंज

मनुवादी क्यों न विदेशी मूल का है , लेकिन उनकी नागरिकता देश का धन लुटकर विदेश भाग जाने पर भी बिल्कुल से सुरक्षित रहती है

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मनुवादी क्यों न विदेशी मूल का है , लेकिन उनकी नागरिकता देश का धन लुटकर विदेश भाग जाने पर भी बिल्कुल से सुरक्षित रहती है | CAB के जरिये मनुवादी सरकार इस देश के मुलनिवासियो को धर्म के नाम से आपस में फुट डालकर दरसल यह भ्रम की स्थिती पैदा करना चाहती है कि देश और देश की प्रजा के लिये बाकि सारे मुद्दो पर आंदोलन करने और बहस करने की उतनी आवश्यकता ही नही है , जितनी की CAB जैसे मुद्दो में बहस करने की आवश्यकता है | जिस तरह की बुरे हालात पैदा करके बहस कराने की आखिर जरुरत क्यों पड़ती है मनुवादि सरकार को , जबकि CAB में जिस प्रकार बाकि धर्मो के लोगो को नागरिकता मिलने में रोक नही लगाई गई है , उसी प्रकार बिना भेदभाव के मुस्लिम धर्मो के लोगो के लिये भी तो रोक हटाई जा सकती थी , पर आखिर धर्म के नाम से भेदभाव करके किसी एक धर्म के लोगो को क्यों रोक लगाया गया है ? इस सवाल का जवाब के पिच्छे मनुवादियो की भ्रष्ठ सोच जो छुपा हुआ है , उसके बारे में जिन मुलनिवासियो को समझ में नही आ रहा है , उन्ही लोगो को तो आपस में फुट डालकर मनुवादियो के द्वारा बार बार राजनीति फसल काटी जाती रही है | जैसे कि CAB के जरिये

किसने उसे बलात्कार की सुपारी दिया था ?

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किसने बलात्कार की सुपारी दिया था ? शोसल मीडिया में हैदराबाद बलात्कार और इनकाउंटर की घटना से समाचार भरे पड़े हैं | जिन समाचारो में कहीं पर देख सुन रहा था कि एक व्यक्ती यह कह रहा था कि जिस तरह चारो आरोपी को बिना केश चले ही बिना जज के फैशला के सुबह ले जाकर ठोक दिया गया , उसी तरह जिन जिन नेताओ पर बलात्कार का आरोप है , उन्हे भी न्यायालय से सजा मिलने के बाद सुबह ले जाकर ठोक दिया जाय | जिसपर मैं कहना चाहूँगा कि ठोकने में भेदभाव क्यों जिस तरह चारो आरोपी को न्यायालय में गुनाह सिद्ध किये बगैर ही ठोक दिया गया , उसी तरह आरोपी नेताओ पर भी केश चले बगैर उन्हे भी बिना सिद्ध किये ठोक दिया जाय ! क्यों चारो गरिब पिड़ित कमजोर आरोपी और पावरफुल नेताओ में उच्च निच का भेदभाव करते हुए सजा देते समय अन्याय किया जा रहा है ? न्याय तो सबके लिये बराबर है ! यदि  प्रधानमंत्री राष्ट्रपति धन्ना कुबेर इंजिनियर डॉक्टर धर्मगुरु वगैरा पर भी बलात्कार का आरोप कभी लगे या लगे हैं तो उन्हे भी इसी तरह सुबह ले जाकर ठोक दिया जाय , फिर न्यायालय की क्या जरुरत है ? इससे तो अच्छा हजारो साल पुरानी ग्राम पंचायत बिना भेदभाव के स

काल्पनिक फिल्म नायक का नायक मनुवादि मीडिया क्या कभी बन पायेगी ?

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काल्पनिक फिल्म नायक का नायक मनुवादि मीडिया क्या कभी बन पायेगी ?  काल्पनिक फिल्म नायक  में डरा धमकाकर बल्कि जान माल का नुकसान करके जिस प्रकार की गुंडागर्दी राजनिती काल्पनिक बिलेनो द्वारा कि जा रही थी , उससे भी खराब बुरे हालात मनुवादि शासन में चारो तरफ असल जिवन में मौजुद है | क्योंकि काल्पनिक फिल्म में तो लातो का भुत बातो से नही मानते का पालन करके गुंडागर्दी करने वाले भ्रष्ट नेताओ की जमकर पिटाई भी हो रही थी , और पिटते समय तालियाँ भी बज रही थी पर असल जिवन में गुंडागर्दी राजनिती करने वाले बहुत से भ्रष्ट नेता उल्टे गुंडागर्दी करके मनुवादि मीडिया से तालियाँ बजवा रहे हैं | बल्कि असल गुंडागर्दी राजनिती करने वालो को तो पिड़ित प्रजा द्वारा उन्हे शारिरिक रुप से एक खरोंच तक भी नही आ रही है | हाँ पिड़ित प्रजा दुःखी होकर गुंडागर्दी राजनिती करने वाले भ्रष्ट लोगो को दिन रात बद्दुआ देने के साथ साथ इतनी तो गालियाँ जरुर दे रही है कि यदि गुंडागर्दी की राजनिती कर रहे भ्रष्ट लोगो के भितर की सेवा भावना जिते जी सचमुच का जग जाय तो वे शर्म से या तो गुंडागर्दी करना छोड़ देंगे या फिर चूलूभर पानी में डूब मर

गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है

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गुंडागर्दी की राजनिती में प्रजा सेवा के लिए चुनाव होना तो मानो दुध भात (चावल ) बन गया है |  गुंडागर्दी राजनिती और दुध भात चुनाव का अंत तभी हो सकता है जब चुनाव घोटाला से लेकर विभिन्न तरह के बड़े बड़े लुट करने वाले बड़े बड़े भ्रष्टाचारियो को सजा मिलेगी और उनकी असली पहचान इतियास में तय की जायेगी कि ऐसे बड़े बड़े भ्रष्टाचार करने वाले सबसे बड़े भ्रष्ट लोग वैसे शैतान हैं , जिनको शैतान सिकंदर की तरह बड़ी बड़ी लुट करके फर्जी महान बनने का भुत सवार है | जिनके भितर से शैतान सिकंदर का भुत उतरेगा नही तबतक वे मानो शैतान सिकंदर की अधुरी इच्छाओ को पुरा करने के लिये बड़ी बड़ी लुटपाट करते रहेंगे | जिन्हे भी शैतान सिकंदर की तरह ही झटका मिलनी चाहिए , तब जाकर सचमुच का देश और पिड़ित प्रजाओ की समस्याओ का सामाधान करने की गंभीर और साफ सुथरा राजनिती होगी | जिसके बाद चुनाव भी सही से होंगे | जिसकी प्रमुख भुमिका अदा करने का काम न्यायालय का है | जिसके पास अजाद भारत का संविधान की रक्षा करने और गुंडागर्दी करने वालो को सजा देने की जिम्मेवारी देकर गुंडागर्दी मुक्त राजनिती की उम्मीद की गयी है | जिस न्यायालय के पा

कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं

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कोई परिवार अपने घर में भेदि नही चाहता क्योंकि घर के भेदी दुश्मनो से मिलकर अपने ही परिवार को विनाश करते हैं  मनुवादि शासन को बरकरार रखने के लिये , मैं तो यह मानता हूँ कि वर्तमान के समय में भी मनुवादियो ने किसी घर के भेदियो को ही सबसे खास सहारा बनाकर अबतक शासन कायम किया हुआ हैं | क्योंकि बिना घर के भेदियो की सहायता लिये मनुवादि डर भय और खौफ पैदा करने के लिये देश का शासक बनना तो दुर सांसद और विधायक भी नही बन सकते | क्योंकि घर के भेदियो द्वारा सहयोग ही नही किये जायेंगे तो डराने धमकाने वाले सांसद और विधायक कैसे चुने जायेंगे ? और बिना घर के भिदियो के सहारे सांसद और विधायक बने बगैर मनुवादि देश का शासक कैसे बन सकते हैं ? जिनको शासक बनाने में घर के भेदियो का खास योगदान है |  जिन घर के भेदियों को मनुवादि अपने बुरे संगत में फंसाकर इतना ब्रेनवाश करते हैं कि घर का भेदि अपनी बुद्धी को भ्रष्ट करके ये भुल जाते हैं कि उनके ही पुर्वजो के कानो में गर्म लोहा पिघलाकर डाला जाता था , और उनके ही पुर्वजो का जीभ व अंगुठा काटा जाता था | गले में थुक हांडी व कमर में झाड़ु टांगा जाता था | बल्कि रा

बलात्कार डर भय भुख

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बलात्कार डर भय भुख   कांग्रेस भाजपा दोनो ही मनुवादी पार्टी है , जिनके नेतृत्व में चुनाव मशीन के साथ भी बलात्कार हो रहा है तो प्रजा के साथ क्या क्या हो रही होगी ! लोकतंत्र के चारो स्तंभो में मनुवादियो की दबदबा में हर साल चालीस हजार से अधिक बलात्कार की घटना घटित हो रही है | मनुवादि शासन में डर भय और आतंक का माहौल कैसे कायम है , इसका अंदाजा इस बातत से भी लगाया जा सकता है कि हर साल चालिस हजार से अधिक बलात्कार की घटना हो रही है | जिस मनुवादि शासन का विरोध करने वालो को बलात्कार तक करने और कराने की धमकी देकर डराया धमकाया जा रहा है | वैसे तो देश में हर साल लगभग चालीस हजार से अधिक बलात्कार  हो ही रहे हैं , जिसमे दुध पिती बच्ची से लेकर बुढ़ी तक बलात्कारियो ने किसी को नही छोड़ा है | जिनका हौशला मनुवादि शासन में बड़ना स्वभाविक भी है | क्योंकि मनुवादि जिन देवो को अपना आदर्श मानते हैं , उनमे ऐसे ऐसे बलात्कारी मौजुद हैं , जिनके लिये तो मानो नारी सिर्फ भोग विलाश की वस्तु लगती है | जिन देवो की मनुवादियो के घरो और मनुवादि शासन के दौरान मनुवादियो के कार्यालयो में आरती और अगरबत्ती उतारकर पुजा कि जा

राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ?

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राहुल बजाज ने क्यों कहा देश में डर भय और खौफ का महौल है ?   डर भय और खौफ को लेकर धन्ना कुबेर राहुल बजाज के द्वारा भी सरकार से सवाल करने से यह बात साबित होती है कि मनुवादि शासन में धन्ना कुबेरो को भी अब डर भय और खौफ का माहौल साफ साफ नजर आ रहा है | हलांकि  राहुल बजाज जैसे धन्ना कुबेरो को डर भय और खौफ वाकई में कभी मनुवादि सरकार से होती है कि नही इसपर यकिन के साथ तो मैं नही कह सकता पर यह बात सौ प्रतिशत यकिन के साथ कह सकता हूँ कि इस देश के शोषित पिड़ित जिन्हे खुलेआम सड़को में पीटा और पिटवाया जाता है , उनकी जिवन में मनुवादि हजारो सालो से शोषण अत्याचार डर खौफ का माहौल बनाकर रखे हुए हैं | जिस तरह की पिटाई गौ हत्या के नाम से उच्च जाति के लोगो की कभी नही होती है , चाहे क्यों न वे हजारो करोड़ लेकर विदेश भाग जाय , या फिर इस कृषि प्रधान देश में अपनी कबिलई सोच से पिंक क्रांती लाने का सबसे बड़े बड़े उद्योग चलाये | बल्कि यह जरुर कह सकता हूँ कि उच्च जाति के ही डीएनए के मनुवादियो के घरो में शोषण अत्याचार की ट्रेनिंग जोर जबरजस्ती देने के लिए अपनो के द्वारा ही पिटाई बचपन से लेकर बुढ़ापा तक जरुर ह

ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री और खुब सारा धन हासिल करना नही है

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ध्यान रहे बुद्धी का मतलब कोई उच्च डिग्री  और खुब सारा धन हासिल करना नही है  जिस कड़वा सत्य के बारे में संत कबीर ने भी कहा है कि पोथी पढ़ी पढ़ी जग मुआ पंडित भया न कोय | ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय || अथवा बड़ी बड़ी डिग्री लेकर बड़ी बड़ी किताबे पढ़कर दुनियाँ में न जाने कितने ही लोग मौत के द्वार पर पहुँचकर भी सत्यबुद्धी को प्राप्त नही कर सके | लेकिन यदि ढाई अक्षर प्रेम का सत्यबुद्धी प्राप्त कर लेंगे तो बुद्धी को प्राप्त जरुर कर लेंगे | बल्कि महलो में कई शिक्षको से पढ़कर बुद्ध के पास पास भी कई उच्च डिग्री मौजुद थी | लेकिन भी उसके बारे में यह क्यों कहा जाता है कि बुद्ध को ज्ञान पेड़ के निचे खुले में बिना कोई पढ़ाई के आँख मुंदकर योग ध्यान करने मात्र से हासिल हुआ था | जो ज्ञान उसे कई शिक्षको से पढ़ने और कई डिग्री हासिल करने के बावजुद भी महल के अंदर क्यों नही मिल पाई थी ? क्योंकि बुद्धी के सरण में जाना बड़ी बड़ी डिग्री हासिल करना और खुब सारा धन हासिल करना नही बल्कि सत्य बुद्धी को प्राप्त करना होता है | क्योंकि ज्ञान डिग्री और खुब सारा धन तो बड़े बड़े आतंकवादी और किडनीचोर ड

चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है !

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चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं ! और चुनाव जितते ही बगुला योगी साबित होता है ! जिस तरह पंचतंत्र की कथा में बगुला योगी अब मैं बुढ़ा हो गया हूँ कहकर ढोंग पाखंड करता है , उसी तरह हजारो सालो से शोषण अत्याचार करने वाला हजारो सालो का बुढ़ा मनुवादी भी बगुला योगी की तरह ढोंग पाखंड करता है कि अब वह भेदभाव शोषण अत्याचार करना छोड़ दिया है | चुनाव आते ही मनुवादी दौड़कर इस देश के मूलनिवासी के पास हाथ फैलाने चले जाते हैं !  फिर रामदेव जैसे घर के भेदियो को अपनी मनुवादि वायरस देकर बुद्धी भ्रष्ट करके इस्तेमाल करते हैं | मनुवादियो को बस किसी भी हालत में शोषण अत्याचार करने के लिए सत्ता चाहिए , जैसे कि किसी ड्रक्स का आदि हुए नशेड़ी को किसी भी हालत में ड्रक्स चाहिए होता है | मनुवादियो को इस देश के मुलनिवासियो का सेवा तो करना नही है , जबतक लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में दबदबा कायम रहेगी तबतक जीभरके सिर्फ शोषन अत्याचार करते रहना है | क्योंकि सत्ता मानो ऐसी ताकत वरदान है जो जिन लोगो के लिए सेवा करने का माध्यम है , उनके लिए तो मानो सत्ता अमृत ह