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जनवरी, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

India भारत बंद पर हिन्दूवाद मुर्दाबाद का नारा लगाना गलत था

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India भारत बंद पर हिन्दूवाद मुर्दाबाद का नारा लगाना गलत था DNA के आधार पर NRC हो इसकी मांग पर भारत बंद में धर्म के नाम से आपस में लड़ाने और बांटने वाले लोग भी मौजुद थे | जिनके बारे में पता करनी चाहिए कि कहीं वे भारत बंद का समर्थक नकाब पहनकर इस देश के मुलनिवासियों से हिन्दूवाद मुर्दाबाद का नारा मनुवादियो से सुपारी लेकर तो नही लगवा रहे थे | क्योंकि उनके द्वारा हिन्दू धर्म के प्रति जो गंदी भावना देखा सुना उसके बारे में मंथन करके यही कह सकता हूँ कि ऐसे नारा दिलवाने वाले लोग यहूदि डीएनए के मनुवादियों का ही भेजे गये वे गुप्त एजेंट हो सकते हैं , जिन्हे दिल्ली चुनाव को देखते हुए धर्म के नाम से वोट बटोरवाने के लिये सुपारी दिया गया है | ताकि धर्म के नाम से नफरत फैलवाकर आपस में फुट डालकर ज्यादे से ज्यादे वोट बटोरा जा सके | क्योंकि दिल्ली में भी हिन्दू वोट सबसे अधिक है | क्योंकि ऐसे नारा लगवाने वाले दुसरो के धर्म के प्रति ऐसी हिन भावना और नफरत पैदा इसलिए नही करवाते हैं , क्योंकि उन्हे दुसरे धर्मो से कम वोट मिलेंगे | और अगर वाकई में ऐसा नारा वोट के लिये नही लगवाया जा रहा था तो निश्चित तौर पर

हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा के नाम से ज्ञान की पुजा क्यों किया जाता है ?

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हिन्दू धर्म में सरस्वती पूजा के नाम से ज्ञान की पुजा क्यों किया जाता है ? चूँकि वेद पुराण काल में लिखाई पढ़ाई की खोज नही हुई थी | इसलिए वेद पुराण ज्ञान अथवा आवाज ध्वनि स्वर  से और दिखाकर ज्ञान बांटी जाती थी | जो सुनाई और दिखाई देने की गुण और ताकत भी साक्षात प्राकृति में मौजुद है | इसलिए सरस्वति की पुजा भी हिन्दू पुजा में शामिल है | जिस स्वर की पुजा ज्ञान का प्रतिक के रुप में इसलिए की जाती है , क्योंकि जैसा कि मैने बतलाया कि जब पढ़ाई लिखाई की खोज इंसानो ने नही किया था , उस समय स्वर अथवा सिर्फ वेद या पुराण अथवा दिखाकर ज्ञान बांटी जाती थी | जिस वेद पुराण से आज भी बोलकर दिखाकर ज्ञान बांटी जाती है | पर साथ साथ अब लिखाई पढ़ाई और अन्य भी कई माध्यम से ज्ञान बांटी जाती है | और जबतक वेद अथवा स्वर और पुराण अथवा जो दिखलाई देता है , साक्षात प्राकृति में मौजुद रहेगी तबतक वेद पुराण ज्ञान मौजुद रहेगी | जिसके माध्यम से बोल और दिखलाकर ज्ञान बांटा जाता रहेगा | जो सुनाई और दिखलाई देनेवाला कृपा यदि प्राकृति भगवान की मौजुद न होती तो न किसी धार्मिक पुस्तको की रचना होती , और न ही किसी को मंदिर मस्जिद औ

छुवाछुत मूल हिन्दू करता है कि यहूदी DNA का मनुवादी करता है ?

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छुवाछुत मूल हिन्दू करता है कि यहूदी DNA का मनुवादी करता है ? मुल हिन्दू छुवा छुत नही करता | जैसे कि हिन्दू अंबेडकर ने छुवा छुत कभी नही किया  | और न ही वेद पुराण की रचना करने वाले हमारे पुर्वजो ने छुवा छुत करने को कहा है | लेकिन भी हिन्दू धर्म के प्रति हिन भावना उत्पन्न करने के लिए हिन्दू धर्म में छुवा छुत होता है भाषण प्रवचन ऐसा दिया जाता है जैसे सभी हिन्दू छुवा छुत करते हैं | जिस तरह की भ्रम फैलाने वालो को इतनी तो बुद्धी जरुर होगी कि अंबेडकर ने हिन्दू रहते देश विदेश में कई उच्च डिग्री हासिल करके अजाद भारत का संविधान और हिन्दू कोड बिल की रचना छुवा छुत करते हुए नही किया है | बल्कि मनुवादियो ने छुवा छुत करते हुए हिन्दू वेद पुराणो में छुवा छुत ढोंग पाखंड की मिलावट किया है | भले अंबेडकर ने यह कहा है कि वे हिन्दू जन्म लिये हैं , पर हिन्दू रहकर मरना नही चाहते हैं | जिस तरह कि बाते भी वे नही करते यदि हिन्दू धर्म में मनुवादियो का संक्रमण न होता | जिन मनुवादियो द्वारा हिन्दू धर्म में संक्रमण की वजह से अंबेडकर ने हिन्दूओ को बिमार तक कहा | तो क्या वे खुदको अथवा हिन्दू परिवार में जन्म लेकर

धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे

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धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे धर्म परिवर्तन यात्रा के समय क्यों यह बात बार बार दोहराया जा रहा हैं कि sc,st,obc लोग हिन्दू नही हैं | क्यों यह कहा जा रहा है कि यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए के मनुवादी ही मुल हिन्दू हैं | जबकि यह भाषण प्रवचन करते हुए उन्हे यह भी पता जरुर होता होगा कि धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे | जिन्होने हिन्दू रहते हुए ही देश विदेश में कई उच्च डिग्री हासिल करके अजाद देश का संविधान और हिन्दू कोड बिल की रचना किया है | जिन्होने हिन्दू वेद पुराणो की ज्ञान भी हासिल किया था | जिस तरह की उपलब्धि जब भी कोई मुलनिवासी अपने हिन्दू धर्म में होते हुए हासिल करते हैं , तो धर्म परिवर्तन कराने वाले उनके पुर्वजो का धर्म के बारे में बताने से कतराते हैं | जिस बारे में बताने से इसलिए कतराते हैं , क्योंकि वे अपने धर्म का प्रचार प्रसार करते समय खुदके धर्म को ताकतवर और विद्वान लोगो का धर्म कहकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए हिन भावना उत्पन्न कर सके | जिसके लिए इस देश के मुल हिन्दूओं को कमजोर और ब

यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ?

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यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ? होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृति पर्व त्योहार यूरेशिया से नही लाये गए हैं , बल्कि इस कृषि प्रधान देश के मुल पर्व त्योहार हैं ? जिन पर्व त्योहारो को इस देश के मुलनिवासी हजारो सालो से मनाते आ रहे हैं | जिसको मनाने वाले मुलनिवासी अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति भगवान की पुजा पाठ करते हैं | जिन मुलनिवासियों के बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले किसी भी धर्म को न मानने वाले लोग होते हैं ! जबकि यदि धर्म का मतलब धारन करना होता है तो क्या होली दिवाली मनाने वाले मुलनिवासी किसी भी पुजा पाठ को धारन किए हुए नही हैं ? क्या होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते समय प्राकृति की पुजा नही की जाती है ? और यदि की जाती है तो धर्म परिवर्तन कराने के लिए भ्रम फैलाने वालो को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति की पुजा ही हिन्दूओ की मुल पुजा  है ! जिसमे मनुवादियों द्वारा ढोंग पाखंड की मिलावट करने से यहूदी DNA का

छुवा छुत गंदी सोच को तो अबतक शौचालय में मल मुत्र की तरह त्यागकर उसमे पानी डालकर बहा देना चाहिए था

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छुवा छुत गंदी सोच को तो अबतक शौचालय में मल मुत्र की तरह त्यागकर उसमे पानी डालकर बहा देना चाहिए था छुवा छुत इस देश का मुलनिवासी नही करता चाहे वह जिस धर्म में मौजुद हो | बल्कि छुवा छुत मनुवादी करता है , जो युरेशिया से आया है | क्योंकि अब तो DNA रिपोर्ट से भी साबित हो चूका है , कि मनुवादी मुल हिन्दू नही बल्कि यहूदि डीएनए के विदेशी मुल के कबिलई लोग हैं | जिन्होने न तो सिंधु घाटी सभ्यता कृषि संस्कृति का निर्माण किया है , और न ही हिन्दू कलैंडर और वेद पुराण की रचना किया है | और न ही मनुवादी लोगो ने हिन्दू कलैंडर के अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली मुलता साक्षात विज्ञान प्रमाणित कृषि व प्राकृतिक से जुड़ी होली दिवाली मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार की रचना किया है | जिसके चलते उन्हे हिन्दूओ की कृषि सभ्यता संस्कृती से न तो जमिन से जुड़ा हुआ लगाव है , और न ही इस देश के मुलनिवासियों के जमिन से जुड़ी हुई कृषि जिवन से लगाव है | लगाव होता तो प्रजा सेवा के लिए छुवा छुत मनुस्मृति रचना नही , बल्कि छुवा छुत मुक्त अजाद देश का संविधान रचना करते | जैसा कि अवसर मिलने पर मुल हिन्दू अंबेडकर ने किया | हलांक

sc,st,obc हिन्दू नही हैं , और यदि धर्म परिवर्तन कर दे तो sc,st,obc मुस्लिम , बौद्ध , जैन , ईसाई हैं ! हद है !!

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sc,st,obc हिन्दू नही हैं , और यदि धर्म परिवर्तन कर दे तो sc,st,obc मुस्लिम , बौद्ध , जैन , ईसाई हैं ! हद है !! एक तो मनुवादि खुदको जन्म से उच्च और इस देश के मुलनिवासियों को निच घोषित करके ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहते हुए हजारो सालो से ताड़ते आ रहे हैं , उपर से मनुवादियों द्वारा शोषण अत्याचार किए जा रहे दलित आदिवासी पिछड़ी को ताड़ते हुए देखकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए जले पर नमक छिड़ककर यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि होली दिवाली मकर संक्रांती जैसे पर्व त्योहार मनाने वाले इस देश के मुलनिवासी लोग हिन्दू नही हैं | जिनके मुताबिक होली दिवाली मकर संक्रांति मनाने वाले sc,st,obc हिन्दू नही हैं , और यदि धर्म परिवर्तन कर दे तो sc,st,obc मुस्लिम , बौद्ध , जैन ईसाई हैं ! हद है !! ये तो जैसे कभी मनुवादि इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू मानने से इंकार करते थे , उसी तरह धर्म परिवर्तन कराने के लिए इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू मानने से इनकार किया जा रहा है | जिनका तर्क है कि इस देश के मुलनिवासी जिन्होने अपना धर्म परिवर्तन नही किया है , वे दलित आदिवासी और पिछड़ी हैं | जब

ब्रह्मण लोग हिन्दूओ को क्या हिन्दू बनायेंगे जो खुद यहूदि DNA के होते हुए भी हिन्दू का नकाब लगाये हुए हैं !

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ब्रह्मण लोग हिन्दूओ को क्या हिन्दू बनायेंगे जो खुद यहूदि DNA के होते हुए भी हिन्दू का नकाब लगाये हुए हैं ! " भारत में जो भी मुसलमान है , वो सारे के सारे भारतीय लोग हैं | लखनऊ में रिसर्च हुआ DNA का तो भारतीय लोगो का DNA से मिल गया | ब्रह्मण का DNA यहूदि से मिल गया | मुसलमानो को यहूदियो के बारे में बताने की जरुरत नही है | ध्यान रखना ! यहूदियो ने मोहम्मद साहब को नही बक्सा तुमको बक्स देंगे ? "                                                            वामन मेश्राम खुद वामन मेश्राम के ही इस जानकारी से साफ हो जाता है कि ब्रह्मण DNA के आधार पर भी यहूदि है | न कि हिन्दू है | फिर क्यों जिस तरह कभी ब्रह्मण लोग इस देश के मुलनिवासियो को हिन्दू मानने से इंकार करते थे , उसी तरह वामन मेश्राम जैसे लोगो द्वारा भी यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासी हिन्दू नही हैं | क्या वामन मेश्राम ये कहना चाहते हैं कि मुस्लिम , ईसाई , बौद्ध , जैन वगैरा दुसरे धर्मो में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासी लोग मुस्लिम , ईसाई , बौद्ध , जैन , नही हैं ? जैसे कि हिन्द

सोने की चिड़िया और विश्वगुरु

सोने की चिड़िया और विश्वगुरु सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला यह कृषी प्रधान देश,प्राकृति धन संपदा से समृद्ध होते हुए भी अमिरी की गोद में गरिबी भुखमरी पल रही है ? क्योंकि अब भी इस देश में ऐसे परजिवी मौजुद हैं , जो दुसरो के हक अधिकारो को चुसकर मच्छड़ , खटमल और जू जैसी भ्रष्ट जिवन जी रहे हैं | जिनसे छुटकारा पाने के लिए करोड़ो नागरिको द्वारा दिन रात संघर्ष चल रही है | जिसके संघर्ष में शामिल होते हुए पुरे विश्व की मानवता और पर्यावरण में संतुलित परिवर्तन लाने के लिए ही मैने राजनीति , धर्म , चूनाव वगैरा के बारे में अपने विचार रखे हैं | जिसके बारे में जाननी है तो निचे मैने अपने वेबसाईट का लिंक दिया हुआ है जहाँ पर जाकर सारी जानकारी ली जा सकती है | धन्यवाद  https://khoj123.blogspot.com

manuvadi virus full form in hindi मनुवादी वायरस

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मनुवादी दबदबा में नासमझो की नासमझी मनुवादी वायरस ज्ञान बंटते रहेगी ! जिन वायरस ज्ञान का एंटिवायरस ज्ञान भी बंटते रहेगी यहूदि धर्म को मानने वालो ने यीशु को सुली में चड़ाया ,ईसाई धर्म को मानने वाले गोरो ने कई देशो को गुलाम किया ,मुस्लिम धर्म को मानने वालो ने भी कई देशो के साथ साथ इस देश को भी लुटा और जजिया कर लगाकर शासन किया,उसी तरह हिन्दू धर्म को मानने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादियो ने भी इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र अच्छुत दास बनाकर शोषण अत्याचार किया , और मुलनिवासियों के ही द्वारा रचे हिन्दू वेद पुराणो का ज्ञान हासिल करने से उन्हे रोक लगाया | इसका मतलब ये नही कि यहूदि डीएनए के मनुवादियो ने यदि खुदको हिन्दू मानकर छुवा छुत ढोंग पाखंड किया तो हिन्दू धर्म ही खराब है | बल्कि धर्म को अपनाकर जिसने अधर्म किया है वह खराब है | जिसकी बातो को मत मानो और जो ऐसी सत्य बाते है , जिसे मानने से मानवता और पर्यावरण संतुलित होकर सुख शांती और समृद्धी कायम होता है , उसे मानो | उदाहरन के तौर पर मनुवादियो ने जन्म से खुदको उच्च और दुसरो को निच घोषित किया इसलिए यदि कोई ये मानता है कि हिन्दू धर्म में छु

इस देश के मुलनिवासी क्या धर्म परिवर्तन करके भीमा कोरेगांव का इतिहास रचना और भारत का संविधान रचना किये थे ?

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इस देश के मुलनिवासी क्या धर्म परिवर्तन करके भीमा कोरेगांव का इतिहास रचना और भारत का संविधान रचना किये थे ? मनुवादियों की तरह ही अपनी बुद्धी भ्रष्ट करके दिन रात बुद्धीहीन बलहीन और नालायक जैसे ताड़ना बंद करें वे लोग जो दरसल गाली देकर और अपमान करके इस देश के मुलनिवासियों से धर्म परिवर्तन कराना चाहते हैं | जो लोग आखिर बुद्धी नही है , हुनर नही है , कमजोर हैं यह सब कहकर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं कि अपना धर्म परिवर्तन किये बगैर इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी कमजोर बुद्धीहीन और नालायक रहते हैं ? और धर्म परिवर्तन करने के बाद विद्वान ताकतवर और लायक बन जाते हैं ! तभी तो जो दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासी हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह हिन्दू पर्व त्योहार मनाते हुए अपना धर्म परिवर्तन नही किये हैं , उन्हे हिन्दू पर्व त्योहार मनाना छुड़वाने के लिए कुछ लोग दलाल बनकर उन्हे दिन रात ताड़ते रहते हैं , यह कहकर कि मनुवादि तुम्हे अपने पिछवाड़े की टटी पोछाकर फैकने वाली पत्थर की तरह इस्तेमाल करके फैंक देता है | जिस तरह कि निच तर्क करने वाले ध्यान रखें अंबेडकर भी तबतक हिन्दु ही थे जबतक कि वे धर्म परिवर

मुफ्त में इतना सारा दान दक्षिणा मिलता रहता है कि उन्हे क्या पता कि भुख से बड़ा दुःख क्या होता है ?

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मुफ्त में इतना सारा दान दक्षिणा मिलता रहता है कि उन्हे क्या पता कि भुख से बड़ा दुःख क्या होता है ?  कहीं पर एक गुरुघंटाल द्वारा भक्तो को प्रवचन देते हुए ऑडियो विडियो देख सुन रहा था कि जो सिर्फ पेट के लिए जिये वह जानवर है ! जिसके विचारो पर मैं यही कहुँगा कि सिर्फ पेट के लिए जिने वालो को जानवर कहने वाले गुरुघंटाल ढोंगी पाखंडी वैसे मांसिक बिमार लोग हैं , जिनकी वजह से मानवता तो सबसे अधिक खतरे में है ही , पर पृथ्वी भी सबसे अधिक खतरे में है ! क्योंकि पेट के अलावे भी कुछ और की चाहत को पुरा करने के लिए ऐसे गुरुघंटाल ढोंगी पाखंडी लोग खुदको धरती का सबसे उच्च प्राणी कहकर झुठी शान में डुबकर धरती को ही सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने के लिए दिन रात ब्रेनवाश करने में लगे हुए हैं | जिनसे ब्रेनवाश हुए लोग धरती से ही उच्च ज्ञान वरदान पाकर धरती को ही सबसे अधिक नुकसान पहुँचाने के साथ साथ खुदको भी भष्म करने में लगे हुए हैं | जो लोग ही दरसल अपडेट भष्मासुर हैं | जो दुसरो को भष्म करने के लिए भष्मासुर की तरह पिच्छे तो पड़े हैं ही , पर खुदको भी भष्म करते जा रहे हैं | जिस तरह के ढोंगी पाखंडी और भष्मास

हिन्दू पुजा में नारियल फोड़ना बौद्धो का सर फोड़ना नही है

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हिन्दू पुजा में नारियल फोड़ना बौद्धो का सर फोड़ना नही है ! बहुत से बौद्धो का यह मानना है कि हिन्दू लोग जिसकी पुजा भगवान शिव के रुप में करते हैं , वह दरसल बुद्ध की मूर्ति है | जिस बुद्ध मुर्ति को बौद्ध विहारो में स्थापित करके बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग उसकी पुजा भगवान बुद्ध के रुप में करते हैं | जिन बौद्धो का ही मानना है कि हिन्दुओ की तो पहले कोई मंदिर ही नही हुआ करती थी | जिनका मानना  है कि पुष्यमित्र शुंग का शासन में हिन्दू मंदिर बनना सुरु हुआ | जिसे बहुत से बौद्ध और अन्य भी लोग कथित रामराज मानते हैं | जिस रामराज आने से पहले कोई हिन्दू मंदिर था ही नही | जो बिल्कुल मुमकिन है , क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृती की खुदाई में एक भी मंदिर नही मिले हैं | क्योंकि सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति के शासनकाल के समय मनुवादि इस देश में घुसपैठ ही नही किये थे तो वे क्या बनवाते अपने पुर्वजो की पुजा कराने वाली भव्य मंदिर | क्योंकि उस समय तो वे यूरेशिया में ही रह रहे थे | जिसके बारे में DNA रिपोर्ट आ चुकि है कि मनुवादियो का डीएन