मकर संक्रांति का पर्व त्योहार क्या यूरेशिया से आए मनुवादियों की देन है ?
मकर संक्रांति का पर्व त्योहार क्या यूरेशिया से आए मनुवादियों की देन है ?
बारह राशि और नौ ग्रहो अथवा प्राकृतिक अधारित हिन्दू कलैंडर और उसके अनुसार मनाई जानेवाली मकर संक्रांति
(खिचड़ी,पौष संक्रांति,
मकर संक्रमण,पोंगल,उत्तरायण,लोहड़ी,बिहु,शिशुर सेंक्रांत इत्यादि) जैसे पर्व त्योहारो को इस देश के मुलनिवासी क्या नही मना रहे हैं ? जिसे यूरेशिया से आए मनुवादियों की खोज आविष्कार बताने वालो को सत्य बुद्धी मिले इसकी कामना करता हूँ ! जिनकी बुद्धी में यदि मनुवादियों का संक्रमण हो गया है तो सूर्य का संक्रमण मकर में होने के साथ ही उनकी बुद्धी में शुभ लाभ हो ! खासकर उन लोगो को जिनके पास उच्च ज्ञान की डिग्री होते हुए भी अबतक भी यह ज्ञान प्राप्त नही हुआ है , या फिर मनुवादियो का संक्रमन उनका दिमाक न सह पाने की वजह से उनकी बुद्धी में परिवर्तन हो गया है ! जिनकी बुद्धी वापस आए और वे फिर से यह जान सके कि मनुवादियों की खोज और आविष्कार हिन्दू कलैंडर मनुवादियों की रचना और खोज आविष्कार नही है , बल्कि इस देश के मुल निवासियों की खुदकी खोज आविष्कार रचना है | न कि यूरेशिया से आए मनुवादियो की रचना है | और वैसे भी हिन्दू कलैंडर , अंग्रेजी कलैंडर से कहीं ज्यादे पुराना है | बल्कि अंग्रेजी कलैंडर दरसल हिन्दू कलैंडर का ही कॉपी करके उसमे कुछ बदलाव करके अपडेट किया गया है | अंग्रेजी कलैंडर रचना करते समय नौ महिना का एक साल पहले किया गया , फिर हिन्दू कलैंडर का कॉपी करके उसे बारह महिना का एक साल किया गया | जाहिर है हिन्दू कलैंडर अनुसार मनाई जानेवाली पर्व त्योहार यूरेशिया से आए मनुवादियों की खोज आविष्कार रचना नही है | हाँ चूँकि मनुवादि जब इस देश में प्रवेश करके हिन्दू कलैंडर और हिन्दू पर्व त्योहार की प्राकृति अधारित ज्ञान समझ नही पाये , जो कि स्वभाविक था क्योंकि एक तो उस समय उनकी बुद्धी प्राकृति भूगोल के बारे में उतनी नही थी जितना की हिन्दू कलैंडर , हिन्दू पर्व त्योहारो की रचना खोज आविष्कार और सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वाले मुलनिवासियों की थी | और दुसरा उसे खुदकी रचना और खोज आविष्कार बतलाने के लिए उसमे बदलाव करना मनुवादियों के लिए खुदको उच्च बतलाने के लिए जरुरी था | जिसके लिए उन्होने अपनी अप्राकृति बुद्धी अनुसार प्राकृति पर अधारित हिन्दू कलैंडर और उसके अनुसार मनाई जानेवाली हिन्दू पर्व त्योहारो में अप्राकृति ढोंग पाखंड की मिलावट और छेड़छाड़ किया | जो मिलावट आज भी जारी है , क्योंकि अभी भी मनुवादियों का दबदबा सत्ता समेत लोकतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो और हिन्दू धर्म में भी कायम है | जिस दबदबा से छुटकारा पाने के लिए अजादी का संघर्ष आंदोलन जारी है | जो अजादी जबतक मिल नही जाती तबतक प्राकृतिक और विज्ञान अधारित हिन्दू धर्म ढोंग पाखंड का धर्म है कहकर मजाक उड़ाना जारी रहेगा | पर जिसदिन मनुवादियों से अजादी मिल जायेगी उसदिन हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाने वालो को भी सत्य पता चल जायेगा कि हिन्दू धर्म क्या है और मुल हिन्दू कौन है | क्योंकि अंतिम में जीत उस सत्य की होती है जिसकी पुजा हिन्दू उस शिव के रुप में भी करता है , जिसके साथ भी कथित मनुवादियों के पुर्वज देवो ने भेदभाव किया था | और यदि मनुवादि खुदको आसमान से जमिन में किसी एलियन की तरह उतरने वाले देव का वंसज मानते हैं तो मैं खुदको जमिन से जुड़े शिव का अंश मानता हूँ !
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