न्यायालय पर कभी जज बनकर गोरे देश गुलाम करके न्याय करते थे

न्यायालय पर कभी जज बनकर गोरे देश गुलाम जैसा न्याय करते थे
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अक्सर जब कभी भी न्याय की बाते होती है तो यही लिखा मिल जायेगा कि सत्यमेव जयते , अथवा सत्य की जीत होती है | शिव को सत्य के रुप में पुजा जाता है | जो कृषि में सहयोग करने वाले बैल में बैठे या फिर खुले आसमान के निचे योग में लिन रहते हैं | जिससे न्याय पाने के लिए ग्रामीण शहरी दोनो ही आसानी से संपर्क कर सकते हैं | जैसे की ग्रामीण पंचायत से संपर्क किया जा सकता है , गोरो का बनाया न्यायालय से नही ! जिस न्यायालय का भविष्य नही है ,बल्कि न्यायालय को तो तुरंत बंद करके करोड़ो केश को पंचायत को अपडेट करके सौंप देनी चाहिए | बल्कि संविधान की रक्षा और उसे ठीक से लागू करने की भी जिम्मेवारी पंचायत को ही सौंप देनी चाहिए | शहरी वार्ड पार्षद के पास भी पंचायत व्यवस्था लागू होनी चाहिए | ताकि गरिब अमिर दोनो के लिए न्याय उसके घर आंगन के पास मिले अथवा उसके लिए न्याय दौड़ धुप बिल्कुल मानो मुफ्त और आसान हो | जो अभी के न्यायालय में उपर स्तर की कोर्ट तो क्या सबसे निचले स्तर की कोर्ट के लिए भी गरिबो के लिए तो मानो किसी निजि अस्पताल का चक्कर काटने से भी ज्यादे दुःखदाई है | जिस दुःख के बारे में उन लोगो को क्या पता जो एसी कमरो में और एसी गाड़ी में बैठकर न्यायालय को पंचायत से बेहत्तर बतलाते हैं | मैं खाप पंचायत की बात नही कर रहा हूँ , बल्कि उस हजारो साल का अनुभव युक्त ग्रामीण पंचायत की बात कर रहा हूँ जिसकी मान्यता को संविधान भी मानता है | रही बात वर्तमान में मौजुद न्यायालय की तो वह तो सिर्फ सैकड़ो साल का अनुभव गोरो के द्वारा बनाई गई न्यायालय है | जहाँ पर कभी जज बनकर गोरे देश गुलाम जैसा न्याय करते थे | उसी तरह आज मनुवादि भी ज्यादेतर किस तरह न्यायालय पर बैठकर हक अधिकारो को लुटकर भेदभाव शोषण अत्याचार कर रहे हैं , जिसकी झांकी कम से कम शोषित दुःखी पिड़ितो द्वारा एकबार जरुर देख पढ़ लिया जाय | और इस जानकारी को हो सके तो कम से कम दस लोगो तक जरुर पहुँचाया जाय | अथवा ज्ञान बांटा जाय | क्योंकि ज्ञान बांटने से बड़ता है और छिपाने से घटता है |
 पुर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा की रिपोर्ट 2000 ई० को :-
(1) दिल्ली में कुल जज 27 जिसमे
ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय-27 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(2) पटना में कुल जज 32
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 32 जज , ओबीसी -0 जज , SC- 0 जज , ST- 0 जज )
(3) इलाहाबाद में कुल जज 49 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 47 जज ,ओबीसी - 1 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(4) आंध्रप्रदेश में कुल जज 31 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 25 जज , ओबीसी - 4 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(5) गुवाहाटी  में कुल जज 15 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 1 जज, SC- 0 जज ,ST- 2 जज )
(6) गुजरात में कुल जज 33 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज , ओबीसी - 2 जज, SC- 1 जज , ST- 0 जज )
(7) केरल में कुल जज 24
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 13 जज ,ओबीसी - 9 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(8) चेन्नई में कुल जज 36 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 17 जज , ओबीसी -16 जज, SC- 3 जज ,ST- 0 जज )
(9) जम्मू कश्मीर में कुल जज 12 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय- 11 जज , ओबीसी - जज, SC-0 जज , ST- 1 जज )
(10) कर्णाटक में कुल जज 34
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय जज 32 , ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(11) उड़िसा में कुल -13 जज जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 12 जज , ओबीसी - 0 जज, SC- 1 जज ,ST- 0 जज )
(12) पंजाब-हरियाणा में कुल 26 जज
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय - 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 2 जज ,ST- 0 जज )
(13) कलकत्ता में कुल जज 37 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 37 जज , ओबीसी -0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(14) हिमांचल प्रदेश में कुल जज 6
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 6 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(15) राजस्थान में कुल जज 24
जिसमे से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 24 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(16)मध्यप्रदेश में कुल जज 30 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 30 जज ,ओबीसी - 0 जज, SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(17) सिक्किम में कुल जज 2
जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 2 जज ,
ओबीसी - 0 जज ,
SC- 0 जज ,ST- 0 जज )
(18) मुंबई  में कुल जज 50 जिसमे ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 45 जज , अोबीसी - 3 जज, SC- 2 जज , ST- 0 जज )
कुल मिलाकर 481 जज में से ब्राह्मण वैश्य क्षत्रिय 426 जज , जबकि OBC के 35 जज ,SC के 15 जज ,ST के 5 जज शामिल हैं!

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