स्लमडॉग मिलियनेयर (Slumdog Millionaire) फिल्म में आँख अँधा करके भिख मंगवाने वालो की तरह इतने भी मत गिरो की चूलूभर मूत में डुब मरो

स्लमडॉग मिलियनेयर (Slumdog Millionaire) फिल्म में आँख अँधा करके भिख मंगवाने वालो की तरह इतने भी मत गिरो की चूलूभर मूत में डुब मरो !
Khoj123, धर्म परिवर्तन , हिन्दू


गरिबी और भुख से बड़ा दुःख नही जैसे मुल समस्या के रहते हुए भी उस समस्या का समाधान करने के बजाय स्लमडॉग मिलियनेयर (Slumdog Millionaire) फिल्म में आँख अँधा करके भिख मंगवाने वालो की तरह धर्म के नाम से फिर कोई देश मंगवाने और धर्म के नाम से वोट मंगवाने के लिए मुझ जैसे मुलनिवासियों की नजर में इतने भी मत गिरो की चूलूभर मूत में डुब मरो ! या फिर क्या  इस देश के sc,st,obc कोई धर्म को वाकई में नही मानता है ? हम मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले नास्तिक होते हैं क्या जो दुसरे धर्मो के लोग अपने धर्म में लाने के लिए यह भ्रम फैला रहे हैं कि इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासी किसी धर्म को मानता ही नही है | फिर अंबेडकर द्वारा रचना किया गया हिन्दू कोड बिल क्या सिर्फ मनुवादियों पर लागू होती है ? क्या कहना चाहते हैं वे लोग जो होली दिवाली जैसे हिन्दू पर्व त्योहार मनाने वाले sc,st,obc को किसी भी धर्म का नही बता रहे हैं ? दरसल मनुवादि शासन हो या फिर चाहे कोई दुसरा शासन , जिनको जनता की सेवा करना और अन्न रोटी कपड़ा और मकान जैसी मुलभुत जरुरत पुरी करना नही सिर्फ धर्म और जात के नाम से वोट लेना और धर्म परिवर्तन कराकर खुब सारा दान लेकर खुदकी सेवा बेहत्तर तरिके से कैसे हो ऐसी सोच में विकाश करना आता है , तो समझो वह इंसानियत अथवा विकसित इंसान बनना ही नही चाहता है | क्योंकि ऐसी सोच के लोग दरसल परजिवी और शिकारी सोच को ही बेहत्तर मानकर उसी सोच को ही विकसित करते रहना चाहते हैं | गरिबी भुखमरी जैसे मुल समस्या समाप्त होकर इंसानियत कायम हो ऐसी बुद्धी बल का विकाश ही नही करना चाहते हैं | ऐसे लोग उन गोरो से कहीं अधिक अविकसित मांसिकता को अपना आदर्श मानने वाले लोग हैं , जिन गोरो को सिर्फ दो सौ सालो तक इस देश को गुलाम करने के बाद इंसानियत की समझ विकसित हो गई थी | और उन्होने इस देश के मुलनिवासियों को ही नही बल्कि दुनियाँ के कई गुलाम देशो को अजाद करना स्वीकार कर लिया था | जो लोग आज अपने गलती पर माफी मांगते हुए शर्मिंदा होकर अपने किये पर पछताते हैं कि उन्होने कभी इतने सारे देशो को गुलाम किया था | लेकिन दुनियाँ में अब भी ऐसे शैतान बुद्धी वालो की गैंग मौजुद है , जिनकी बुद्धी का इंसानियत विकाश अबतक भी नही हुआ है | जिनमे कुछ गैंग गोरो की भी है जो देश को अजाद करने के बाद भी देश में अपनी प्रतिनिधि चुनकर विदेशो में बैठकर वसुली कर रहे हैं | ऐसे लोग शिकारी और परजिवी बुद्धी को ही विकसित कर रहे हैं | जिससे पुरी दुनियाँ से गरिबी भुखमरी जैसी मुल समस्या समाप्त होना तो दुर इस प्राकृति खनिज संपदा से समृद्ध देश से भी नही समाप्त होगी , चाहे जितने हजार साल और लगे इस तरह के गैंग का ये दावा करते रहने कि उनके सरन में आओगे तो सुख ही सुख मौजुद मिलेगी ! जिसके बाद सिर्फ अपनी सेवा कैसे बेहत्तर रुप से हो सके उसी का ही विकाश करने में लग जाते हैं | जिस तरह का गैंग इस देश में भी मौजुद है | जो इस देश और इस देश के मुलनिवासियों का बेहत्तर सेवा नही बल्कि खुदकी भेदभाव युक्त सेवा और पुजा कराते रहना चाहते हैं | बल्कि वर्तमान में भी भेदभाव युक्त सेवा और पुजा करा रहे हैं | जिनकी शिकारी और परजिवी सोच को जो भी इंसान अपना आदर्श मानेगा निश्चित तौर पर उनकी तरह शिकारी और परजिवी सोच वाला इंसान बनना चाहेगा | एक इंसान दुसरे इंसान के साथ इस तरह की परजिवी और शिकारी सोच रखे उसको ही मैं सबसे अविकसित इंसान मुल रुप से मानता हूँ | जिससे भुख से बड़ा कोई दुःख नही समस्या का समाप्त करना तो क्या शांती और प्रेम भी कायम होना मुमकिन नही है | जिस परजिवी और शिकारी सोच में इंसानियत का विकाश के बजाय इंसानियत का विनाश होता है | जिस तरह की सोच की शासन दुनियाँ में जहाँ कहीं भी मौजुद है , या रहेगी वहाँ पर गरिबी भुखमरी रहना तो मानो अनिवार्य है , पर भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला बड़ता ही चला जायेगा | बल्कि भेदभाव करके गुलाम और दास दासी बनाने का मुल भावना में भी बड़ौतरी होती रहेगी | जिसे सुख शांती और समृद्धी शासन कोई भी बुद्धीमान इंसान कभी नही मानेगा | क्योंकि सुख शांती और समृद्धी शासन वह है , जहाँ पर प्रजा की सेवा बेहत्तर तरिके से तो होती ही है , पर देश का भी विकाश ऐसा होता है कि विश्व के कोने कोने से लोग वहाँ पर यह ज्ञान लेने आते हैं कि ऐसा सुख शांती और समृद्धी गरिबी भुखमरी मुक्त शासन कैसे मुमकिन हो पाता है | जिस तरह का सुख शांती इस देश में तब रही होगी , जब यह देश सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाता था | जिस शासन को मैं न तो मनुवादियों का शासन मानता हूँ , और न ही सुख शांती प्रदान करने की अश्वासन देकर धर्म परिवर्तन कराने वाले बौद्धो का शासन मानता हूँ | और न ही अमन प्रेम कायम करने का अश्वासन देकर धर्म परिवर्तन कराने वाले मुस्लिम और ईसाई का शासन मानता हूँ | बल्कि वह शासन काल मैं तब के शासन को मानता हूँ , जब इस देश में न तो छुवा छुत करने वाले मनुवादियों का शासन कायम था , और न ही किसी धर्म के नाम से शासन कायम था | बल्कि इस देश में जब सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु शासन था , उस समय किसी धर्म का लफड़ा ही मौजुद नही था | क्योंकि सबसे बड़ा लफड़ा तो विदेशी हमलावरो के आने और बहुत सारे धर्मो के नाम से शासन स्थापित होने के बाद सुरु हुआ है | जैसे कि ईसाई धर्म के गोरो के समय में गुलामी का लफड़ा , मुस्लिम धर्म के शासको के समय में भी भारी अशांती और खुनी हिंसा लफड़ा , और बौद्धो के शासन के समय में भी मनुवादि और बौद्धो के बिच में हिंसक गैंगवार का लफड़ा | ऐसा खुन खराबा लफड़ा कि अपने अपने धर्म की सत्ता स्थापित करने के लिए कभी इतिहास में सर काटकर फुटबॉल खेलने से लेकर सर कटवाकर उसे नारियल की तरह पत्थरो में फोड़ने की घटना भरे पड़े हैं | धर्म के नाम से सत्ता स्थापित करके सिर्फ लफड़ा ही लफड़ा बड़ा है | अभी भी धर्म के नाम से श्रीलंका पाकिस्तान जैसे देश बनने के बाद लफड़ा ही लफड़ा कायम है | धर्म के नाम से कई राष्ट्र बनने के बाद सोने की चिड़ियाँ का जो टुकड़ा बचा है , उस टुकड़े को हिन्दू राष्ट्र मनुवादि बनायेंगे यह लफड़ा भी जारी है | हलांकि जब मनुवादियों का दबदबा गोरो के जाने के बाद कायम हो ही गई है , तो हिन्दू राष्ट्र तो वैसे भी अभी भी कायम है , यदि मनुवादि ही मुल हिन्दू हैं | यकिन न आए तो जबसे धर्म के नाम से किसी राष्ट्र का निर्माण होने की परंपरा सुरु हुआ है , तब से उदाहरन के तौर पर श्रीलंका को बौद्ध राष्ट्र या पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र नही है , ये साबित करके दिखलाये वे लोग जिन्हे लगता है कि जिस धर्म की दबदबा रहती है , उसी का धर्म के नाम से राष्ट्र नही कहलाता है | जैसे कि अरब में दबदबा मुस्लिमो का है तो वह मुस्लिम राष्ट्र है , इंगलैंड में ईसाई का दबदबा है तो वह ईसाई राष्ट्र है , उसी तरह इजराईल में यहूदियों का दबदबा है तो यहूदि राष्ट्र है | वैसे ही इसी देश से अलग हुए राष्ट्र बनने वाला श्रीलंका में बौद्धो का दबदबा है तो वह अब बौद्ध राष्ट्र है , और इसी देश से अलग हुआ पाकिस्तान में मुस्लिमो का दबदबा है तो मुस्लिम राष्ट्र कहलाता है ! उसी तरह हिन्दुस्तान में हिन्दू कहलाने वाले मनुवादियों का दबदबा है तो हिन्दू राष्ट्र है ! इसमे नया क्या हो रहा रहा है जो हिन्दू राष्ट्र बनाने का साजिश हो रहा है यह बड़बड़ाकर भांग खाये बंदर की तरह उछल कुद की जा रही है ! और अगर उछलनी ही है तो यह देश हिन्दू राष्ट्र नही है यह साबित करके पाकिस्तान और श्रीलंका आखिर कैसे किसी धर्म के नाम से अलग होकर बौद्ध राष्ट्र और मुस्लिम राष्ट्र बन गया इस सवाल का जवाब खोजने के बाद उछल कुद किया जाय यह आवाज बुलंद करके कि हिन्दुस्तान में यदि सभी धर्मो की अबादी काफी संख्या में अब भी मौजुद है , और हिन्दुस्तान में सभी धर्मो के लोगो को सुरु से ही रहने की इजाजत रही है , फिर धर्म के नाम से मुस्लिम राष्ट्र और बौद्ध राष्ट्र बनाने का फैशला बौद्ध धर्म और मुस्लिम धर्म क विचारको ने आखिर कैसे स्वीकार किया ? क्या उन्हे धर्म के नाम से राष्ट्र बनाना बेहत्तर सोच अथवा आर्य मार्ग लगता है ? और यदि लगता है तो फिर धर्म के नाम से हिन्दू राष्ट्र भी उन्हे बेहत्तर मार्ग लगता होगा | और अगर बेहत्तर मार्ग नही है तो फिर तो निश्चित तौर पर मुस्लिम और बौद्ध विचारको ने बौद्ध और मुस्लिम राष्ट्र का निर्माण करने वाला मार्ग चुनकर गलत मार्ग अपना लिया है | जिस तरह का गलत मार्ग वर्तमान में मनुवादि बतला रहे हैं इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने को लेकर दरसल मनुस्मृति लागू करने के लिए जो न तो हिन्दूओं की धर्मग्रंथ है और न ही मनुवादी सत्ता हिन्दूओ की दबदबा कायम सत्ता है ! क्योंकि मुल रुप से मनुवादि हिन्दू ही नही हैं ! मुल हिन्दू तो इस देश के मुलनिवासियों को कहा गया है जो धर्म के नाम से राष्ट्र बनाने की सोच को कभी बड़ावा ही नही दिये हैं | क्योंकि हिन्दू तो भौगोलिक और जिवनशैली के आधार पर इस देश के मुलनिवासियों को कहा गया है | न कि हिन्दू यूरेशिया से आए हुए यहूदि डीएनए वाले मनुवादियो के लिए कहा गया है | दरसल हिन्दू मुखौटा लगाकर हिन्दूओ की बहुसंख्यक अबादी को आगे करके मनुवादी राष्ट्र बनाना चाहते हैं | जो कभी होली दिवाली जैसे हिन्दू पर्व त्योहार मनाने वाले इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू मानने से इंकार कर रहे थे | जैसे की आजकल अपने धर्मो में लाने के लिए कुछ धर्म के प्रचार प्रसार करने वाले मनुवादियों की ही तरह इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू मानने से इंकार कर रहे हैं | जिनको यह बात जरुर पता होना चाहिए कि यदि पुजा पाठ धारन करना ही धर्म है , तो हिन्दूओ ने प्राकृति की पुजा को भगवान पुजा धारन बहुत पहले से किया हुआ है | और साथ साथ हिन्दू कलैंडर अनुसार बारह माह मनाई जानेवाली होली और दिवाली जैसे अनेको पर्व त्योहार भी मनाते हैं | जिस होली दिवाली जैसे प्राकृति पर्व त्योहार मनाते हुए प्राकृति भगवान की पुजा को ही यदि विदेशियो द्वारा हिन्दू नाम दे दिया गया है तो इसमे दुसरे धर्मो को परेशानी क्यों हो रही है ? और यदि मुल हिन्दू कौन इस बात पर विवाद है तो जिन विदेशी लोगो ने हिन्दू शब्द दिया है , उन्ही के नई पिड़ी से हिन्दू मुद्दे पर सवाल पुच्छा जाय कि उनके पुर्वजो ने हिन्दू दरसल सिन्धु के किनारे रहने वाले लोगो को कहा है कि युरेशिया से आनेवाले मनुवादियों को कहा है ? जिस बारे में सवाल करके हिन्दू मनुवादि है इस बात पर ही अड़े रहने वालो के लिए तो फिर से विदेशियों द्वारा हिन्दू पहचान के बारे में जानकारी इकठा करके ज्ञान बांटना मानो मेरे लिए अब गिली भुसा में फुँक मारकर उसे जलाने की कोशिष से भी ज्यादे मुश्किल लग रही है | जिस तरह की मुश्किल फुँक मारने में लंबे समय से लगा हुआ हूँ | जिसमे दिन रात फुँक मारकर भी सायद ही उतनी कामयाब हासिल कर पा रहा हूँ जिससे की गिली भुषा में सिर्फ धुँवा उठने के बजाय सत्य ज्ञान की अग्नि उनकी बुद्धी में प्रज्वलित हो जाय , जिनकी बुद्धी में यह गिली भुषा भरा हुआ है कि यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए के मनुवादि ही मुल हिन्दू हैं | क्योंकि जिन लोगो को देश विदेश की उच्च ज्ञान की डिग्री प्राप्त करके भी अबतक ये बात समझ में नही आ रही है कि प्राचिन फारस अथवा ईरान के लोगो ने सिन्धु को ही हिन्दू कहा है तो उन्हे अब कैसे समझ में आयेगी इस तरह की बहस करने से कि सिन्धु घाटी सभ्यता कृषि संस्कृति में मुल हिन्दू कौन है | या सायद वाकई में समझ में आ जाय कि हिन्दू दरसल सिन्धु के किनारे रहने वाले मुलनिवासियों को ही कहा गया है , न कि यूरेशिया से आनेवाले मनुवादियों को कहा गया है | जो ज्ञान न रहने की वजह से बिना वजह हिन्दू राष्ट्र का विवाद खड़ा किया जा रहा है ! जबकि सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति पहचान के रुप में भौगोलिक और जिवनशैली दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र पहले से ही मौजुद है | जहाँ पर सारे धर्मो को रहने का इजाजत है | जिस हिन्दुस्तान में दुनियाँ के सबसे अधिक धर्मो के लोग रहते हैं | हलांकि इजाजत तो जो फलाना डिमका धर्म के नाम से कई राष्ट्र है , वहाँ भी सभी धर्मो के लोगो को रहने की इजाजत है | लेकिन राष्ट्र वह उसी धर्म का क्यों कहलाता है ? क्योंकि जिस धर्म की दबदबा वहाँ कायम रहती है उसी धर्म का राष्ट्र कहलाता है | इसलिए तो इस देश में भारी तादार में sc,st,obc हिन्दूओ को धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है , ताकि जिस धर्म में ज्यादे मुलनिवासी हिन्दू प्रवेश करेंगे उसी धर्म के नाम से यह राष्ट्र बन सकेगा | मसलन यदि ज्यादे से ज्यादे हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बनेंगे तो यह देश मुस्लिम राष्ट्र बन जायेगा , और यदि ज्यादे से ज्यादे हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन करके बौद्ध बनेंगे तो यह देश बौद्ध राष्ट्र बन जायेगा | उसी तरह ज्यादे हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन करके ईसाई बनेंगे तो ये ईसाई राष्ट्र बन जायेगा | क्योंकि जिन धर्मो की ज्यादे अबादी होगी उसी धर्म का राष्ट्र बनता चला जायेगा | इसिलिए तो ज्यादे से ज्यादे हिन्दूओ को धर्म परिवर्तन कराने का मानो प्रतियोगिता चल रहा है कि कौन धर्म ज्यादे से ज्यादे हिन्दूओ को अपने धर्म में खिच पाने में कामयाब होगा , और उसके धर्म के नाम से राष्ट्र बनेगा ! यानि यह तय है कि भविष्य में धर्म के नाम से यह देश फिर से खंड खंड होकर किस धर्म के नाम से नया राष्ट्र बनेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि ज्यादे से ज्यादे हिन्दू अपना धर्म परिवर्तन करके किस धर्म का एक और नया राष्ट्र बनायेंगे ? क्योंकि हिन्दू छोड़ बाकि धर्मो के लोगो को तो विदेशो से धर्म परिवर्तन कराकर इस देश में लाया नही जा सकता हैं | इसलिए स्वभाविक है सभी धर्मो की नजर हिन्दू धर्म में मौजुद उन sc,st,obc मुलनिवासियों पर ही है | क्योंकि मनुवादियों की सत्ता की वजह से वे इतने अधिक दुःखी पिड़ित हैं कि आसानी से बुरे हालात का फायदा उठाकर धर्म परिवर्तन कराया जा सकता है | जिन्हे तुम हिन्दू नही हो कहकर धर्म परिवर्तन कराकर दुसरे धर्मो में ले जाया जा  सकता है | जबकि इस देश का दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासी भी पुजा करता है , और होली दिवाली भी मनाता है , न कि वह नास्तिक है | मैं खुद मुलनिवासी हिन्दू हूँ , और होली दिवाली ही नही बल्कि उन तमाम पर्व त्योहारो को अपने पुर्वजो के द्वारा हजारो सालो से मनाये जाने वाला पर्व त्योहार मानता हूँ , जिसके साथ प्राकृति किसी न किसी रुप में जुड़ी हुई है | जिन्हे मैं यूरेशिया से आए मनुवादियों का देव पुजा पर्व त्योहार नही मानता , और न हि खुदको देव के वंशज बताने वाले मनुवादियों को मैं मुल हिन्दू मानता हूँ | मुल हिन्दू देव को अपना पुर्वज नही मानता | जो अनजाने में यदि मानेगा भी तो अब डीएनए रिपोर्ट से साबित हो चुका है कि देव के वंसजो और इस देश के मुलनिवासियों का डीएनए अलग है | और वैसे भी छुवा छुत करने वाले मनुवादि इस देश के मुलनिवासी को देव का वंसज मानते हैं कि नही भेदभाव से ही पता चल जाता है | वे तो हिन्दू धर्म का ठिकेदार बनकर इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू इसलिए मान रहे हैं , क्योंकि उन्हे आगे करके मनुवादी सत्ता कायम रखने के लिए हिन्दूओ का वोट भी लेना है , और फिर मौका मिलने पर हिन्दू राष्ट्र की आड़ में मनुवादी राष्ट्र भी बनाना है | जैसे कि धर्म परिवर्तन करने वालो को भी यदि मौका मिले तो वे अपने धर्म के नाम से एक और नया राष्ट्र बना लेंगे | जबकि भौगोलिक और जिवनशैली के आधार पर यह देश हजारो सालो से हिन्दू राष्ट्र पहले से ही मौजुद है | इसलिए स्वभाविक है कि अगर मुझसे कोई पुच्छे कि धर्म के नाम से यदि यह राष्ट्र वाकई में कभी बनेगा तो किस धर्म के नाम से बनाना सही होगा तो मैं कहूँगा चूँकि इस देश की भौगोलिक और जिवनशैली पहचान मुल रुप से सिन्धु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृती से जुड़ा हुआ है , इसलिए निश्चित रुप से खुदको हिन्दू मानकर हिन्दू राष्ट्र ! जो राष्ट्र मनुवादि सत्ता मुक्त राष्ट्र होगा | बाकि सभी धर्म तो हिन्दूओ को ही धर्म परिवर्तन कराकर अपने धर्म की अबादी बड़ाकर अपने धर्मो के नाम से राष्ट्र बना रहे हैं | जिन्हे मौका मिलने पर आगे भी बनायेंगे ! जैसे कि इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला कृषि प्रधान देश को यदि अरब की तरह मुस्लिम राष्ट्र भी भविष्य में बनाया जायेगा तो निश्चित तौर पर हिन्दूओ को ही धर्म परिवर्तन कराके बनेगा ! और यदि चीन श्रीलंका वगैरा की तरह बौद्ध राष्ट्र भी बनेगा तो भी हिन्दूओं को ही धर्म परिवर्तन कराके बनेगा | उसी तरह ईसाई राष्ट्र भी बनेगा तो भी हिन्दूओ को ही धर्म परिवर्तन कराके बनेगा | जाहिर है अपने अपने धर्म का प्रचार प्रसार करके हिन्दूओ को ही धर्म परिवर्तन कराने का सिलसिला इसलिए जारी है ताकि फिर से कोई अलग से धर्म के नाम से राष्ट्र बनाया जा सके | या तो फिर क्या पता पुरे देश को हि मुस्लिम ईसाई या बौद्ध राष्ट्र बनाने की धर्म परिवर्तन प्रक्रिया चल रही है | जिसके बाद क्या अमन प्रेम सुख शांती आ जायेगी ? या फिर गंदी सोच में परिवर्तन करने से अमन प्रेम सुख शांती और समृद्धी आयेगी ! जिसके बाद ही ये देश फिर से गरिबी भुखमरी मुक्त सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु बन सकेगा !

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