यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ?

यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ?

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होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृति पर्व त्योहार यूरेशिया से नही लाये गए हैं , बल्कि इस कृषि प्रधान देश के मुल पर्व त्योहार हैं ? जिन पर्व त्योहारो को इस देश के मुलनिवासी हजारो सालो से मनाते आ रहे हैं | जिसको मनाने वाले मुलनिवासी अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति भगवान की पुजा पाठ करते हैं | जिन मुलनिवासियों के बारे में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले किसी भी धर्म को न मानने वाले लोग होते हैं ! जबकि यदि धर्म का मतलब धारन करना होता है तो क्या होली दिवाली मनाने वाले मुलनिवासी किसी भी पुजा पाठ को धारन किए हुए नही हैं ? क्या होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे प्राकृतिक पर्व त्योहार मनाते समय प्राकृति की पुजा नही की जाती है ? और यदि की जाती है तो धर्म परिवर्तन कराने के लिए भ्रम फैलाने वालो को यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि अन्न जल धरती सूर्य प्राकृति की पुजा ही हिन्दूओ की मुल पुजा  है ! जिसमे मनुवादियों द्वारा ढोंग पाखंड की मिलावट करने से यहूदी DNA का ब्रह्मण मुल हिन्दू नही बन जाता | जिस सच्चाई को स्वीकार करने के बजाय धर्म परिवर्तन कराने के लिए भ्रम फैलाने वालो के द्वारा दुसरे धर्म से जोड़ने के लिए होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे पर्व त्योहार मनाने वाले इस देश के दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासीयों को भ्रमित किया जा रहा है कि तुम हिन्दू नही दलित आदिवासी पिछड़ी हो ! जो बाते बाकि धर्मो के भी दलित आदिवासी पिछड़ी को क्यों नही कहा जाता है कि तुम बौद्ध जैन ईसाई मुस्लिम वगैरा धर्म के नही हो , बल्कि तुम दलित आदिवासी पिछड़ी हो | सिर्फ हिन्दू धर्म में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासियों को तुम हिन्दू नही हो भ्रम फैलाकर धर्म परिवर्तन कराने में भी क्यों भेदभाव किया जा रहा है | धर्म परिवर्तन कराने वालो को आखिर हिन्दू धर्म में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी ही क्यों दलित आदिवासी पिछड़ी लगता है ? बाकि धर्मो में मौजुद sc,st,obc मुस्लिम,ईसाई,बौद्ध जैन वगैरा क्यों लगता है ? क्योंकि धर्म परिवर्तन कराने वाले इस देश के दलित आदिवासी मुलनिवासीयों को ही धर्म परिवर्तन कराना अपना मुल लक्ष बनाये हुए हैं ! जिसके चलते इस देश के मुलनिवासियों के पुर्वजो का मुल हिन्दू धर्म से अलग करके कैसे बाद में जन्मे धर्मो में ले जाया जा सके इसका मुख्य लक्ष साधकर धर्म परिवर्तन यात्रा चलाया जा रहा है | ताकि दुसरे धर्मो के नाम से यह देश धार्मिक राष्ट्र बन सके | जबकि दर्जनो मुस्लिम और बौद्ध राष्ट्र बने हैं | जैसे कि धर्म के नाम से इसी देश से अलग होकर पाकिस्तान बंग्लादेश मुस्लिम राष्ट्र और श्रीलंका बौद्ध राष्ट्र बने | पर बहुसंख्यक हिन्दू अबादी होते हुए भी एक भी हिन्दू राष्ट्र आजतक क्यों नही बना है | हिन्दू धर्म के प्रति इतनी हिन भावना क्यों ? विश्व के बाकि  बहुत सारे देशो का तो खैर सायद कोई अपना धर्म नही था , इसलिए वे बाहर से आए धर्मो के नाम से अपने देश को मुस्लिम ईसाई बौद्ध राष्ट्र बनाये ! पर इस कृषि प्रधान देश में तो बाकि धर्मो के आने या जन्म लेने से हजारो साल पहले से ही इस देश के मुलनिवासी प्राकृति पुजा को धारन किये हुए हैं | जिसकी पुजा करते हुए हिन्दूओ ने सिन्धु घाटी जैसे प्राचिन कृषि सभ्यता संस्कृति का निर्माण करते हुए खास इतिहास रचा है | जिस सिन्धु को फारस और अरब के लोगो ने अपनी भाषा बोली से हिन्दू कहा और यूनान के लोगो ने इंडस ! जिसकी वजह से विदेशियो के द्वारा हिन्दूस्तान और इंडिया नाम दिया गया | जिसकी वजह से सिन्धु से हिन्दू धर्म कहकर इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू कहा गया | न कि यहूदि DNA के मनुवादीयो को हिन्दू कहा गया है | जिन मनुवादीयो से तो बाहर से आए सुरुवाती मुस्लिम शासक जजिया कर भी नही लेते थे | जो की मुस्लिम धर्म के नागरिको को छोड़कर दुसरे धर्मो के नागरिको से लिया जाता था | जिसके बारे में कुछ मनुवादीयो का तर्क है कि उनसे जजिया कर इसलिए नही लिया जाता था , क्योंकि तब वे किसी तरह दान मांगकर गुजारा करते थे | और  चूँकि आर्थिक रुप से सक्षम न होनेवालो से जजिया कर नही लिया जाता था , इसलिए कुछ ब्रह्मणो का कहना है कि गरिब बीपीएल मानकर उनसे भी नही लिया जाता था | लेकिन इतिहास दर्ज है कि उन्ही ब्रह्मणो की हत्या करके मुस्लिम शासको ने सोमनाथ मंदिर को सत्रह बार लुटा था | और हर बार टनो टन सोना मंदिर से निकला था | जिस धन के बारे में जानकर ही क्या मुस्लिम शासक ब्रह्मणो को आर्थिक रुप से सक्षम नही समझते थे ! जिन ब्रह्मणो के पास आज भी कितना धन मौजुद है देश विदेश के खातो में , ये तो विदेशी खातो का लिस्ट आने से भी पता चल जाता है | साथ साथ जमिन जायदात किसके नाम से सबसे अधिक रजिस्ट्री में दर्ज है , यह पता करने से भी पता चल जाता है कि किसके पास आज भी सबसे अधिक धन मौजुद है | वैसे ये सब पता करने की भी जरुरत नही पड़ती है जब इस देश में मौजुद टॉप दस धन्ना कुबेरो के बारे में लिस्ट जारी होता है | हाँ मनुवादियों के पुर्वज यूरेशिया से इस देश में प्रवेश करके हिन्दू धर्म की ठिकेदारी लेने से पहले बिल्कुल कंगाल रहे होंगे इस बात पर मुझे कोई एतराज नही है | पर इस देश में प्रवेश करने के बाद मुस्लिम शासन में गरिब बीपीएल जिवन जी रहे होंगे इसपर एतराज है | क्योंकि गोरो और मुस्लिम शासन स्थापित होने से भी हजारो साल पहले से मनुवादी इस देश की धन दौलत बटोरते आ रहे हैं | बल्कि इस देश के मुलनिवासीयों को मनुवादियो ने निच घोषित करके निच जाति के लोग धन नही रख सकते सिर्फ उच्च जाति ही धन रख सकते हैं , यह नियम कानून बनाकर मनुस्मृति लागू करके लंबे समय से इस देश की धन संपदा को बटोरते आए हैं | और आज भी सबसे अधिक धन कथित खुदको उच्च जाति घोषित करने वाले मनुवादी लोग ही बटोरकर देश विदेश के बैंको में सबसे अधिक धन जमा कर रहे हैं | जिनका जान माल नोटबंदी में भी सुरक्षित रहता है | क्योंकि मनुवादी का ही शासन चल रहा है | जिनके शासन में इस देश के मुलनिवासियों की ही जान माल को सबसे अधिक खतरा मौजुद है | भले वे इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में विदेशी मुल के लोगो का शासन कई बार स्थापित होने के बाद गरिब बीपीएल बन गए हो , लेकिन भी गरिब बीपीएल बनाकर जान माल का खतरा सबसे अधिक मुलनिवासियों को ही है , चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो | जैसे की नोटबंदी में भी सबसे अधिक जान माल का नुकसान इस देश के मुलनिवासियों को ही हुआ , चाहे वे जिस धर्म में मौजुद हो |

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