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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

manuvadi virus full form in hindi मनुवादी वायरस

मनुवादी दबदबा में नासमझो की नासमझी मनुवादी वायरस ज्ञान बंटते रहेगी ! जिन वायरस ज्ञान का एंटिवायरस ज्ञान भी बंटते रहेगी
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यहूदि धर्म को मानने वालो ने यीशु को सुली में चड़ाया ,ईसाई धर्म को मानने वाले गोरो ने कई देशो को गुलाम किया ,मुस्लिम धर्म को मानने वालो ने भी कई देशो के साथ साथ इस देश को भी लुटा और जजिया कर लगाकर शासन किया,उसी तरह हिन्दू धर्म को मानने वाले यहूदि डीएनए के मनुवादियो ने भी इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र अच्छुत दास बनाकर शोषण अत्याचार किया , और मुलनिवासियों के ही द्वारा रचे हिन्दू वेद पुराणो का ज्ञान हासिल करने से उन्हे रोक लगाया | इसका मतलब ये नही कि यहूदि डीएनए के मनुवादियो ने यदि खुदको हिन्दू मानकर छुवा छुत ढोंग पाखंड किया तो हिन्दू धर्म ही खराब है | बल्कि धर्म को अपनाकर जिसने अधर्म किया है वह खराब है | जिसकी बातो को मत मानो और जो ऐसी सत्य बाते है , जिसे मानने से मानवता और पर्यावरण संतुलित होकर सुख शांती और समृद्धी कायम होता है , उसे मानो | उदाहरन के तौर पर मनुवादियो ने जन्म से खुदको उच्च और दुसरो को निच घोषित किया इसलिए यदि कोई ये मानता है कि हिन्दू धर्म में छुवा छुत मौजुद है , तो क्या वे यह कहना चाहते हैं कि कोई यदि किसी धर्म को मानकर देश गुलाम बनाता है तो उसके गुलाम करने से यह मान लेना चाहिए कि उस धर्म में गुलाम बनाया जाता है ! बिल्कुल नही क्योंकि अजादी को मानने वालो के लिए गुलाम बनाना धर्म नही है | और न ही छुवा छुत को न मानने वालो के लिए छुवा छुत करना धर्म है ! लेकिन चूँकि समझ का अभाव में कुछ लोग हिन्दू धर्म के बारे में भी वायरस ज्ञान लोगो को बांट रहे हैं कि हिन्दू धर्म में छुवा छुत होता है , ईसाई धर्म में गुलाम बनाया जाता है , मुस्लिम धर्म में लुटपाट हिंसा आतंकवादी बनाया जाता है | जिन नासमझो की बातो को गंभिरता पुर्वक लेने का मतलब साफ है कि उनकी नासमझी अनुसार तो आजतक कोई धर्म पैदा ही नही हुआ जिसे मानने वालो में अपराधी मौजुद नही हैं | क्योंकि सारे धर्मो में अपराधी मौजुद हैं , जो उस धर्म को मानते हैं ! बौद्ध जैन धर्म में भी अपराधी और भेदभाव करने वाले मौजुद हैं | जो यदि नही होते तो इन धर्मो को मानने वाले किसी भी देश में जेल न होता | जिन जेलो में सजा काट रहे अपराधियो में सिर्फ दुसरे धर्मो के अपराधी नही हैं | जिसका मतलब ये नही कि उस धर्म में अपराध होता है | इसलिए नासमझो की बातो को गंभीरता पुर्वक लेने के बजाय नासमझी बाते करने वाले गंभीर बिमार लोगो का इलाज उन्हे ये समझाकर करना चाहिए कि अंबेडकर भी हिन्दू थे पर उन्होने कभी छुवा छुत नही किया | क्योंकि छुवा छुत यहूदि डीएनए का मनुवादि करता है , हिन्दू नही ! और छुवा छुत करने वाले मनुवादियो ने हिन्दू बनाने का अभियान नही चलाया बल्कि मनुवादियो ने इस देश के मुलनिवासियों को हिन्दू मानने का अभियान चलाया | क्योंकि मनुवादियो ने हिन्दू धर्म की ठिकेदारी अपनाकर मुल हिन्दूओ को हिन्दू मानने से इंकार कर दिया था | जिसके चलते उन्होने हिन्दू वेद पुराणो का ज्ञान मंदिरो में वेद पुराणो के रचनाकार मुल हिन्दूओ को ही प्रवेश करने से रोका गया था | जैसे कि गोरो ने इस देश को गुलाम करके इस देश के ही लोगो को शासन करने से रोक लगाकर देश गुलाम करके खुद शासक बनकर गेट में लिखते थे कि कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है | इसका मतलब ये नही कि गोरे ईसाई थे इसलिए ऐसा कर रहे थे | मनुवादि भी इस देश के मुलनिवासी नही हैं फिर भी इस देश के मुलनिवासियो का शासन नही बल्कि मनुवादि शासन है क्यों कहा जाता है | उसी तरह यहूदि डीएनए का मनुवादि खुदको कट्टर हिन्दू है और सिन्धु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण करने वाला मुलनिवासी हिन्दू नही है क्यों कहा जाता है ? क्योंकि मनुवादियो की दबदबा कायम है |जो समाप्त होते ही जिनको समझ में नही आ रहा है कि मुल हिन्दू इस देश का मुलनिवासी है , उसे भी समझ में आ जायेगा | जो मुलनिवासी ही हिन्दू वेद पुराणो में मनुवादियो द्वारा किया गया छेड़छाड़ और ढोंग पाखंड अप्राकृति मिलावट को सुधार करेगा जब मनुवादियो का शासन समाप्त होने के साथ साथ हिन्दू धर्म में मौजुद मनुवादियो की ठिकेदारी भी समाप्त होगी | तबतक नासमझो की नासमझी मनुवादी वायरस ज्ञान बंटते रहेगी ! जिन वायरस ज्ञान को समाप्त करने के लिए इस तरह की सत्य ज्ञान भी एंटिवायरस के रुप में बंटते रहेगी | जिस एंटिवायरस ज्ञान का लिंक कम से कम दस लोगो को जरुर बांटनी चाहिए ! जिसे ज्यादे से ज्यादे लोगो तक बांटने में जितनी देर होगी उतनी जल्दी जल्दी नासमझो की मनुवादी वायरस ज्ञान फैलती रहेगी |

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