धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे

धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे
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धर्म परिवर्तन यात्रा के समय क्यों यह बात बार बार दोहराया जा रहा हैं कि sc,st,obc लोग हिन्दू नही हैं | क्यों यह कहा जा रहा है कि यूरेशिया से आए यहूदि डीएनए के मनुवादी ही मुल हिन्दू हैं | जबकि यह भाषण प्रवचन करते हुए उन्हे यह भी पता जरुर होता होगा कि धर्म परिवर्तन करने से पहले मुलनिवासी अंबेडकर भी हिन्दू परिवार में ही जन्मे थे | जिन्होने हिन्दू रहते हुए ही देश विदेश में कई उच्च डिग्री हासिल करके अजाद देश का संविधान और हिन्दू कोड बिल की रचना किया है | जिन्होने हिन्दू वेद पुराणो की ज्ञान भी हासिल किया था | जिस तरह की उपलब्धि जब भी कोई मुलनिवासी अपने हिन्दू धर्म में होते हुए हासिल करते हैं , तो धर्म परिवर्तन कराने वाले उनके पुर्वजो का धर्म के बारे में बताने से कतराते हैं | जिस बारे में बताने से इसलिए कतराते हैं , क्योंकि वे अपने धर्म का प्रचार प्रसार करते समय खुदके धर्म को ताकतवर और विद्वान लोगो का धर्म कहकर धर्म परिवर्तन कराने के लिए हिन भावना उत्पन्न कर सके | जिसके लिए इस देश के मुल हिन्दूओं को कमजोर और बुद्धीहीन कहकर तबतक ताड़ते रहा जा सके जबतक कि वे अपना धर्म परिवर्तन न कर लें | जिनके विचार से मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने के बाद ही यहूदि डीएनए के मनुवादियों से ज्यादा ताकतवर और विद्वान बन पाते हैं | जिनको सायद पता होकर भी यह पता नही कि अंबेडकर और सम्राट अशोक भी हिन्दू रहते मनुवादियो से ज्यादे बुद्धी बल का इतिहास रचा है | तभी तो वे हिन्दू धर्म में मौजूद दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासियों को मनुवादियो से कमजोर और बुद्धीहीन कहकर हिन भावना उत्पन्न करते हैं | जबकि इस तरह की विचार रखने वाले दरसल कौन धर्म अधिक ताकतवर और विद्वान बनायेगा इसके बारे में बिना वजह सोचकर खुद इतने भ्रमित लोग हैं कि उन्हे पता ही नही कि धर्म परिवर्तन करके यदि वाकई में लोग विद्वान और ताकतवर हो जाते फिर तो वे न तो विद्वान बनने के लिए विद्यालय जाते और न ही प्रशिक्षण करके रक्षक बनते ! सिधे धर्म परिवर्तन करके खुदके मन से ताकतवर और विद्वान बन जाते | जैसा कि सायद छुवा छुत करने वाला मनुवादी खुदके मन से जन्म से हि खुदको उच्च विद्वान पंडित और वीर क्षत्रिय घोषित किए हुए रहता हैं | और शोषित पिड़ित कमजोर शब्द का उच्चारण मनुवादीयो के द्वारा शोषण अत्याचार करने की वजह से जो किया जाता है , उन शोषित पिड़ितो को धर्म परिवर्तन कराते ही यह घोषित कर दी जाती कि अब तुम विद्वान और वीर हो गए हो , इसलिए अब मनुवादियो की तरह खुदको सबसे ताकतवर और उच्च विद्वान कह सकते हो | मानो बाकि धर्मो में शोषित पिड़ित मौजुद ही नही हैं | जिस तरह की गलतफेमी की वजह से भी धर्म परिवर्तन कराने वाले यह कहते फिर रहे हैं कि बुद्धी बल का इतिहास रचने वाले विर विद्वान लोग हिन्दू नही थे | वे अपने धर्म के बारे में यह प्रचार प्रसार कर रहे हैं कि बुद्धी बल का इतिहास रचने वाले फलाना डिमका धर्म के थे | जबकि उन्हे यह अच्छी तरह से पता है कि धर्म परिवर्तन करने से डीएनए में भी परिवर्तन नही होता | जिसके चलते बाकि धर्मो को अपनाने वाले इस देश के सभी मुलनिवासी अब भी हिन्दू धर्म में मौजुद Sc,sct,obc डीएनए के ही हैं | इसलिए अंबेडकर और अशोक जैसे ऐतिहासिक लोग हिन्दू नही दलित आदिवासी पिछड़ी थे यह यदि कहना ही है तो इस देश में मौजुद सभी धर्म के मुलनिवासियों को दलित आदिवासी पिछड़ी कहकर यह कहो कि इस देश के मुलनिवासी अपना धर्म परिवर्तन करने से पहले किसी भी धर्म के नही होते हैं | सभी सिर्फ और सिर्फ दलित आदिवासी पिछड़ी होते हैं ! क्यों सिर्फ हिन्दू धर्म में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी के बारे में यह कहा जा रहा है कि वे हिन्दू नही हैं | क्यों बाकि धर्मो के लोगो के बारे में यह नही कहा जाता कि तुम मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध जैन नही बल्कि दलित आदिवासी पिछड़ी और ब्रह्मण क्षत्रिय या वैश्य हो | धर्म परिवर्तन कराते समय भी तर्क में भारी भेदभाव भाषण प्रवचन क्यों दिया जाता है ? जबकि सबको पता है कि इन सारे धर्मो में मौजुद बहुसंख्यक लोग भी तो दलित आदिवासी पिछड़ी ही हैं | न कि अरब और रोम यूनान से आए हुए लोग हैं | पर धर्म परिवर्तन कराने वाले इस तरह की भेदभाव मुक्त तर्क इसलिए नही दे सकते , क्योंकि यदि ऐसा कहेंगे तो दुसरे धर्म में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी को भी सिर्फ दलित आदिवासी पिछड़ी ही बतलाना होगा | और ऐसा बतलाकर धर्म परिवर्तन यात्रा में यह भ्रम नही फैलाया जा सकता कि धर्म परिवर्तन करने के बाद मनुवादियो की गुलामी से अजादी मिल जायेगी | जिसके चलते धर्म परिवर्तन कराने वालो द्वारा हिन्दू धर्म में मौजुद दलित आदिवासी पिछड़ी मुलनिवासियों के बिच दरसल यह हिन भावना उत्पन्न किया जा रहा है कि उनका धर्म खराब है , और बाकि धर्म बेहत्तर है | जिसके लिए बार बार यह कहा जा रहा हैं कि तुम हिन्दू नही हो मुल हिन्दू ढोंगी पाखंडी मनुवादि लोग हैं | जिस तरह की बाते यदि बाकि धर्मो को अपनाने वाले मुलनिवासीयों को भी कहा जाता कि तुम मुस्लिम ईसाई बौद्ध नही हो बल्कि मुस्लिम अरब के लोग हैं , ईसाई गोरे हैं , और बौद्ध महलो में रहकर कई ब्रह्मणो से वेद पुराण की ज्ञान बिना भेदभाव बिना छुवा छुत के लेने वाले क्षत्रिय बुद्ध हैं , तो क्या यह तर्क उचित लगता ? बल्कि मेरा तो यह भी मानना है कि क्षत्रिय सिद्धार्थ को महलो में रहकर कई ब्रह्मणो से वेद पुराण की ज्ञान बिना भेदभाव बिना छुवा छुत के लेने के बाद महलो से बाहर मुलनिवासियों के बिच जाकर पीपल पेड़ के निचे यदी जिवन मरन की प्राकृति बुद्धी प्राप्त हुई हैं , तो वह बुद्धी हिन्दू धर्म के लोगो के पास पहले से ही मौजुद है | जिन हिन्दूओ से बुद्ध ने खुद बहुत सी सत्यबुद्धी लिया है , जो उसे महलो में इसलिए नही मिली , क्योंकि छुवा छुत करने वाले ब्रह्मणो ने उन्हे हिन्दू धर्म के वेद पुराणो में मौजुद प्राकृति ज्ञान के बारे में ज्ञान बांटने के बजाय मिलावट की गई सूर्यदेव , वायुदेव , अन्नदेव कामदेव वगैरा बताकर ढोंग पाखंड छुवा छुत मिलावट ज्ञान प्रदान किया | जिसके चलते बुद्ध ने महलो से बाहर आकर जिवन मरन का प्राकृति ज्ञान हासिल किया | न कि बुद्ध ने हिन्दूओ को जिवन मरन का प्राकृति बुद्धी दिया तब हिन्दू को प्राकृति जिवन मरन के बारे में बुद्धी प्राप्त हुआ है | जबकि जो बुद्धी बुद्ध को खुद प्राप्त हुआ है वह हिन्दू धर्म का मानो सागर से प्राप्त चंद बुंद है | क्योंकि हिन्दू जिस प्राकृति की पुजा बुद्ध और बौद्ध धर्म के जन्म से पहले से ही करता आ रहा है , उस प्राकृति के पास ज्ञान का सागर से भी बड़कर अनंत ज्ञान मौजुद है | जिस ज्ञान को ही तो विज्ञान भी दिन रात खोज खोजकर बटोरने में लगा हुआ है | जो ज्ञान कभी खत्म नही होगा चाहे क्यों न पृथ्वी का उम्र खत्म हो जाय और एकदिन मानवजाती लुप्त हो जाय | लेकिन तब भी यदि इंसानो की तरह जिवन बाकि भी कई ग्रहो में मौजुद होगी तो निश्चित तौर पर वे भी प्राकृति से ही ज्ञान बटोर रहे होंगे | जिनके धर्म के बारे में किसी भी धर्म पुस्तक में जानकारी उपलब्ध इसलिए नही है , क्योंकि उन पुस्तको को उन इंसानो ने लिखा है जिसे आजतक भी यह नही मालुम कि पृथ्वी छोड़ बाकि किस ग्रह में एलियन जिवन मौजुद है | जिसे खुदके द्वारा बनाया धर्म में कौन सभी इंसानो का धर्म है , इसकी जानकारी भी नही है तो वह क्या बतला पायेगा कि पृथ्वी से बाहर दुसरे ग्रहो में रहने वाले एलियन कौन सा धर्म को मानते हैं ? हाँ यह दावा सभी धर्मो द्वारा जरुर किया जाता है कि उसके धर्म पुस्तको में इंसान और एलियन समेत जिव निर्जिव सबकी रचना करने वाले के बारे में जानकारी उपलब्ध है | जो जानकारी हिन्दू धर्म के वेद पुराण भी प्राकृति को इंसान और एलियन सबकी रचनाकार और पालनहार बतलाकर उपलब्ध है | जिन वेद पुराणो में यहूदि डीएनए के मनुवादीयों ने ढोंग पाखंड की अप्राकृति मिलावट करके भ्रम ज्ञान बांटा है | जिसकी वजह से हिन्दू धर्म के बारे में यह भ्रम फैला हुआ है कि हिन्दू धर्म में छुवा छुत ढोंग पाखंड मौजुद है | वह तो मनुवादि जिस धर्म में भी अपनी मनुस्मृति गंदी सोच को लेकर उस धर्म की ठिकेदारी करेंगे उस धर्म में छुवा छुत ढोंग पाखंड की मौजुदगी रहेगी ही रहेगी | जो यहूदि डीएनए के मनुवादि हिन्दू ही नही हैं तो उनकी गंदी सोच को हिन्दूओं की सोच कैसे मान लिया जाय ? क्योंकि मुल हिन्दू छुवा छुत नही करता |

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