Before entering this agrarian country, the clan of Manuvadis did not know the family, society and republic


Before entering this agrarian country, the clan of Manuvadis did not know the family, society and republic.


इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले, मनुवादियों के कबीले परिवार, समाज और गणराज्य को नहीं जानते थे।

(is krshi pradhaan desh mein pravesh karane se pahale, manuvaadiyon ke kabeele parivaar, samaaj aur ganaraajy ko nahin jaanate the.)

बिल्कुल मुमकिन है कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद ही मनुवादीयों ने पहली बार परिवार समाज और गणतंत्र के बारे में जाना समझा होगा | अथवा इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादी के पास अपना कोई ऐसा परिवार समाज और गणतंत्र ही मौजुद न हो जिसके पास वे वापस लौट सके | जैसा कि शैतान सिकंदर और गोरे लौटे थे | क्योंकि शैतान सिकंदर और गोरो के पास वापस लौटने के लिए तब अपना परिवार समाज और शासन के बारे में अपने परिवार समाज का इतिहास मौजुद था | क्योंकि इतिहास गवाह है कि इस कृषि प्रधान देश में बाहर से तो कबिलई गोरे भी लुटपाट गुलाम करने आए थे और वे भी अपने साथ अपने परिवार को नही लाए थे , पर बाद में वे वापस उन परिवारो के पास ही लौट गए जहाँ पर उनके अपने खुदके परिवार समाज मौजुद है | पर मनुवादी तो कभी वापस ही नही लौटे हैं | क्योंकि हो सकता है कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादीयों के पास अपना कोई परिवार समाज ही मौजुद न हो जिसके पास वह लौट सके | क्योंकि मनुवादी जिस कबिलई क्षेत्र से आए हैं , वहाँ पर मनुवादी द्वारा घुमकड़ जिवन जिते समय परिवार समाज के बारे में यदि ज्ञान मौजुद होता तो मनुवादी के पुर्वज इस कृषि प्रधान देश से गोरो की तरह अपने परिवारो के पास भले वापस नही लौटते पर जो मनुवादी कबिलई पुरुष झुंड इस कृषि प्रधान देश में घुसकर बस गया था , उनमे से एक भी पुरुष क्या ऐसा मौजुद नही था जो कि वापस अपने परिवार समाज के बारे में इतिहास बतलाते हुए उस जानकारी को इस देश के लोगो से बांटते कि उनके परिवार समाज कहाँ पर मौजुद है जहाँ से वे आए हैं | क्योंकि मनुवादी बाहर से आकर उन्होने इस देश के परिवार में मौजुद महिलाओं से अपना वंशवृक्ष बड़ा करके खुदको हिन्दू बनाकर इसी देश में बस तो गया है पर उसे अपने उस परिवार समाज का इतिहास मालुम नही है जिससे वह पैदा होकर कबिलई झुंड बनाकर इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश किया है | क्योंकि यदि मनुवादी को अपने परिवार समाज के बारे में इतिहास मालुम होता तो फिर मनुस्मृति में यह जानकारी जरुर दर्ज होती की मनुवादीयों द्वारा इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले उनके परिवार समाज के बारे में इतिहास कैसा था ? और मनुवादी के कबिलई पुर्वज इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले कैसा शासन करते थे | क्योंकि कबिलई मनुवादी का इतिहास इस देश के मुलनिवासियों के इतिहास और इस देश के गणतंत्र शासन व्यवस्था का इतिहास के बारे में जानकारी इकठा करने पर भले मिलता है , जैसे कि गोरो और अन्य कबिलई का भी मिलता है , पर कबिलई मनुवादी द्वारा इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले का इतिहास नही मिलता है | हाँ मनुवादियों का डीएनए से यहूदियों का डीएनए जरुर मिलता है | @यानि इस देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादीयों का कोई ऐसा इतिहास ही मौजुद नही है जिससे की यह जाना जा सके कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले मनुवादीयों का अपना परिवार समाज और गणतंत्र शासन व्यवस्था का इतिहास मौजुद था | क्योंकि मुमकिन है कि इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले मनुवादी कोई परिवार समाज में ही नही रहता था | सिर्फ कबिलई पुरुष झुंड बनाकर घुमकड़ जिवन जिता होगा | जिसके चलते अपने पिछले इतिहास की जानकारी मनुवादी को इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले नही है | बल्कि वह तो माता पिता और प्रजा सेवा करने वाला शासक क्या होता है , इसके बारे में भी ज्ञान इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद ही सिखा होगा | जिससे पहले वह जंगली शिकारी परजिवी जानवरपन जिवन जी रहा होगा जिसमे जानवर को पता ही नही रहता है कि जंगलराज में उसके कौन कौन से औलाद घुम रहे हैं | जो जानवरपन इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके परिवार बसाने के बाद आज मनुवादी के अंदर भले न हो पर शोषण अत्याचार सोच का जानवरपन पुरी तरह से समाप्त नही हुआ है | जिसके चलते वह इतना बड़ा देश का शासक बनने के बाद भी इस देश के मुलनिवासियों की सेवा करने के बजाय ज्यादेतर तो अबतक भी भारी भेदभाव शोषण अत्याचार करके आज भी मारते पिटते हुए जानवरो जैसा व्यवहार करता रहता है | जिस तरह का व्यवहार उसने इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर सबसे पहले अपनी छुवाछुत की सुरुवात किया है | वह भी इस कृषि प्रधान देश में पहले से मौजुद गणतंत्र शासन व्यवस्था में कब्जा करके प्रजा सेवक बनकर | जिस शासन में कब्जा करने के लिये जब इस देश के मुलनिवासियों से युद्ध हुआ होगा तो निश्चित तौर पर मनुवादीयों के पास किसी शासक की तरह लड़ने की हुनर मौजुद नही होगी , बल्कि किसी शिकारी की तरह शिकार करने की हुनर मौजुद होगी | जिसके चलते मनुवादी युद्ध भी जिता होगा तो किसी शासक की तरह नही बल्कि किसी कबिलई लुटेरो की तरह छल कपट और घर का भेदियों को चारा बनाकर भरपुर इस्तेमाल करके जीता होगा | जो कबिलई लुटेरो की तरह शिकारी सोच से युद्ध जीतने के बाद इस देश की धन संपदा के साथ साथ इस देश की नारी को भी शिकार या लुटा गया धन की तरह आपस में बांटकर उसकी भी दुसरे कबिलई से लेन देन सुरु किया होगा | जैसे कि जितने भी कबिलई लुटेरो ने इस कृषि प्रधान देश में लुटपाट की मकसद से प्रवेश किया है उन सबने इस देश की धन संपदा और नारीयों की इज्जत को भी लुटा है | क्योंकि कबिलई लुटेरे अपने साथ एक तो परिवार भी नही लाते हैं , जिसके चलते अपनी हवश शांत करने के लिए उनकी नजर दुसरो की बहु बेटियों पर रहती है | जैसा की कबिलई शैतान सिकंदर और गोरो की भी इस देश की महिलाओं पर गंदी नजर थी | जिस तरह के कबिलई लुटेरो का इतिहास भरे पड़े हैं | जिन कबिलई लुटपाट इतिहास में मनुवादीयों का भी नाम दर्ज है | क्योंकि गंदी नजर दौड़ाकर कबिलई मनुवादीयों ने भी इस देश की महिलाओं को अपनी देव दासी बनाकर देव मंदिरो में अपना हवश शांत करने और अपनी सेवा कराने के लिए रखते थे | जिसके बारे में जानकारी वेद पुराण और इतिहास में भी भरे पड़े हैं | जिन देव मंदिरो में निश्चित तौर पर दासी बनाकर जबरजस्ती बलात्कार की जाती होगी | तभी तो देवदासियाँ बिना विवाह की माँ बनती थी | जिनके गर्भ से जन्मे बच्चो को देव मंदिरो के पुजारी अपना औलाद नही बल्कि उन निर्जिव मुर्तियों का औलाद कहते थे जो मंदिरो में स्थापित की जाती है | अथवा देव मंदिरो के पुजारी इस देश की महिलाओं को देव दासी बनाकर उनके साथ बारी बारी से बोटी नोचकर अपने डीएनए के ऐसे नाजायज औलादो को देव दासियों की कोख से जन्म दिलवाते थे , जिन्हे बाप होते हुए भी लावारिस जिवन जीना पड़ता था | बल्कि ऐसे लावारिस आज भी बहुत सारे मौजुद होंगे जिनका डीएनए की जाँच किया जाय तो वे देव दासी बनाने वाले ढोंगी पाखंडी मनुवादीयों के ही डीएनए का औलाद निकलेंगे | क्योंकि आज भी अपना हवश मिटाने के लिए कहीं कहीं देव दासी बनाकर यौन शोषण अत्याचार प्रक्रिया जारी है | जाहिर है मनुवादीयों द्वारा मनुस्मृति लागु करके इस देश में दास दासी प्रथा का संक्रमण देने के बाद सुरुवात में इस देश की नारीयों को देव दासी बनाकर विवाह नही की जाती होगी , बल्कि सिर्फ अपना हवश शांत करने के लिये भोग विलाश करने वाली वस्तुओं की तरह इस्तेमाल की जाती होगी | जिस तरह का शोषण उत्पीड़न वैश्यालयो , देवालयो और बड़े बड़े होटलो में होने की जानकारी आज भी मिलती रहती है | जहाँ पर शोषित पिड़ित मासुमो को देव दासी बनाकर या फिर लालच देकर मानव तस्करी करवाकर या बहला फुसलाकर या फिर जोर जबरजस्ती भी चोरी छिपे हरन करके लाकर डरा धमकाकर बंद कमरो में उनके साथ यौन उत्पीड़न होता है | जिस तरह की उत्पीड़न घटनायें मनुवादी शासन में हजारो की तादार में आज भी हो रही है | जैसे की वेद पुराण काल में भी होता था जब किशोरीयों को भी किसी वस्तु कि तरह उन बुढ़े ढोंगी पाखंडियों को दान कर दिया जाता था जो जंगलो में घुसपैठी कैंप लगाकर वहाँ पर लुटपाट हिंसा का ट्रेनिंग दिया  करते थे | जिन घुसपैठी कैंप में कई कई मासुम किशोरियो के साथ यौन उत्पीड़न करके उन मासुमो को घने जंगलो में माँ बनाया जाता था | जिन्हे माँ बनाने वाले यह ढोंगी पाखंडी यह झुठे प्रचार प्रसार किया करते थे कि उनकी इस तरह की कन्या दान यज्ञ से प्रजा का कल्याण हो रहा है | जिन यज्ञो में किसानो की खेती में मदत करने वाले पशुओं भी दान की जाती थी और उसकी बलि देकर आपस में बांटकर बोटी नोचा जाता था | जैसे की बुढ़े मनुवादीयों को किशोरी कन्या दान करके भी एक एक बुढ़ा मनुवादी कई कई कन्याओं को अपनी दासी बनाकर रखता था | जिस तरह की जानकारी भी वेद पुराणो में उपलब्ध है | जिस तरह का कन्या दान यज्ञ करने वाले भले आज ऐसा कन्या दान यज्ञ नही करते हैं पर आज भी देव दासी प्रथा कहीं कहीं जारी है | पर कन्या दान यज्ञ करके यज्ञ करने वालो को कन्या दान करने की प्रथा समाप्त इसलिए हो गया है , क्योंकि यज्ञ करने वाले यदि  आज भी कई कई किशोरियों को दान में मांगकर उसके साथ यौन उत्पीड़न करने लगे तो निश्चित तौर पर ऐसे यज्ञो में पुरी दुनियाँ की मीडिया इकठा होकर प्रेस वर्ता करके यह चर्चा करने लगेगी की दान में मिली किशोरी कन्याओं के परिवार जोर जबरजस्ती द्वारा अपनी मासुम बेटियों को दान कर रहे हैं कि हसी खुशी अपनी मासुम बेटियों को दान कर रहे हैं ? बल्कि निश्चित तौर पर अब अगर ऐसा हुआ तो किशोरियों को दान करने वाले परिवार भी जेल जा सकते हैं | और किशोरियों को दान में लेने वाले भी जेल जा सकते हैं | जैसे कि ब्रह्मचर्य और शुद्ध शाकाहारी की आड़ में यौन उत्पीड़न करने और पशु बलि देकर छुपकर बोटी नोचने वाले बहुत से ढोंगी बाबायें जेलो में डाले जाते हैं जब मासुमो के साथ यौन उत्पीड़न करते हुए पकड़े जाते हैं | जिस तरह का ब्रह्मचर्य और शुद्ध शाकाहारी का ढोंग करके कई कई किशोरियों के साथ यौन उत्पीड़न और किसानो की खेती में मदत करने वाले पशुओं की हत्या करके समाज कल्याण का ढोंग करने वाले बाबाओ के बारे में वेद पुराणो में भी जानकारी भरे पड़े हैं | जो ढोंगी पाखंडी लोग पानी पिने में तो छुवाछुत करते थे पर हवश मिटाने में छुवाछुत पहले और आज भी नही करते हैं | जिनके लिए उच्च निच छुवाछुत करके एक घड़ा एक कुँवा से पानी पीना मना रहता है , पर सेक्स करते समय छुवाछुत नही होता है | और न ही शुद्र अच्छुत योनी से पैदा होने में छुवाछुत होता है | जिसे यदि ढोंगी पाखंडी बाद में अपने तन का शुद्धीकरण भी करते होंगे तो क्या उस शुक्राणु अँडाणु से जन्मे बच्चे का खुन का भी शुद्धीकरण होता होगा जिसके शरिर में नर और नारी दोनो का अंश नश नश में दौड़ रहा होता है ? जिस खुन को बदलना या अलग करना भी मुमकिन है क्या शुद्धीकरण से ? हलांकि जैसे जैसे मनुवादीयों को धिरे धिरे परिवार समाज के बारे में ज्ञान हासिल होने के बाद यह यहसाश होना सुरु हुआ होगा की इस देश की महिलाओ के साथ अपना हवश मिटाकर उसके पेट से अपने ही डीएनए का वंशवृक्ष को लावारिस पैदा करके छोड़ देना ठीक नही है | बल्कि इंसानियत कायम करके परिवार समाज बसाकर इंसानी दुनियाँ बसाना सही है | वैसे वैसे मनुवादीयों को यह समझ में आना सुरु हो गया होगा कि वंशवृक्ष देव दासी बनाकर यौन उत्पीड़न करके नही बल्कि विवाह करके वंश बड़ाना सही रहेगा | जिस तरह की समझ इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद ही मनुवादीयों के दिमाक में विकसित होकर पहली बार उस परिवार समाज को महत्व देने लगा हो जहाँ पर अपना वंशवृक्ष नारी को दासी बनाकर जबरजस्ती पैदा नही किया जाता है , बल्कि उससे विवाह करके या फिर प्रेम करके अपने डीएनए का बच्चा पैदा किया जाता है  | जिस तरह की समझ को फोलो करने के बाद ही मनुवादी ने अपने देव दासी के साथ बलात्कारी रिस्ता जोड़ने के बजाय उसके साथ वैवाहिक रिस्ता जोड़कर अपना वंशवृक्ष बड़ा करने की परंपरा की सुरुवात किया होगा | जिससे पहले मनुवादी इस देश के मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद महिलाओं के साथ शोषण अत्याचार करने के लिए ही देव दासी बनाकर रखते होंगे | क्योंकि जो लोग किसी के घर को लुटते हैं उसे बराती कहकर कोई हसी खुशी परिवारिक रिस्ता नही जोड़ता है | और न ही कोई अपनी कन्या हसी खुशी से उन लुटेरो को दान करता है जिन्होने उसके साथ लुटपाट करके दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार किया हो | बल्कि लुटेरे जबरजस्ती बलात्कारी रिस्ता जोड़ते हैं उन लोगो के साथ जिसे वे दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार करते हैं | जैसे की सुरुवात में मनुवादी भी इस देश में प्रवेश करने के बाद सत्ता पर कब्जा करके सत्ता कुर्सी और इस देश की नारी को भी अपनी दासी बनाकर अपनी सेवा में जबरजस्ती रख लिया होगा | क्योंकि इतिहास साक्षी है कि जितने भी कबिलई लुटेरे इस कृषि प्रधान देश में आए सभी ने सिर्फ जोर जबरजस्ती से धन संपदा और खेती में मदत करने वाले पशुओं की लुटपाट नही किया , बल्कि मान सम्मान की भी लुटपाट किया है | क्योंकि लुटेरो की बारात प्रेम से नही जबरजस्ती इज्जत लुटने के लिए बदनाम है | जैसा की मनुवादीयों ने दासी बनाकर जबरजस्ती मान सम्मान लुटकर सुरु में अपने डीएनए का लावारिस बच्चा पैदा करवाना सुरु किया होगा , उसके बाद धिरे धिरे परिवार समाज के बारे में जानकारी हासिल करके उच्च निच छुवा छुत करते हुए भी इस देश के मुलनिवासी परिवार में मौजुद नारियों के साथ वैवाहिक रिस्ता जोड़ना सुरु किया होगा | हलांकि  इस देश की नारी से वैवाहिक रिस्ता जोड़ते समय भी निच अच्छुत शुद्र से रिस्ता जोड़ा जा रहा है इसका ख्याल जरुर उस मन में आया होगा जो की इस देश के मुलनिवासियों को निच घोषित किये हुए हैं | हलांकि उसी निच को देव दासी बनाकर अपना हवश मिटाते समय यह ख्याल नही आया होगा कि पिड़ित के साथ सेक्स करते समय जो वीर्य से मनुवादी डीएनए का बच्चा पैदा होगा वह निच होगा कि उच्च होगा ? क्योंकि सच्चाई तो यही है कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश की महिलाओं के गर्भ से जन्म लेनेवाला मनुवादी भी तो उसी माँ की पेट से पैदा होता आ रहा है , जिसे वह शुद्र घोषित करके उसके साथ छुवाछुत करता आ रहा है | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि भले बलात्कार करते समय बलात्कारी को यह ख्याल नही आता है कि जिसका वह बलात्कार करके अपनी हवश मिटाने जा रहा है वह निच शुद्र अच्छुत है , पर यदि उसके साथ वैवाहिक रिस्ता जोड़कर उसके गर्भ से बच्चा जब जन्म लेता है तो झुठी शान को बरकरार रखने के लिए उसके मन में जरुर यह ख्याल आता है कि निच के पेट से जन्मा उसके डीएनए का बच्चा उसके जैसा भले उच्च है , पर उसकी माँ उच्च नही है | जो ख्याल देव दासी बनाकर यौन उत्पीड़न करते समय यह ख्याल नही आता है कि जो दासी है वह अच्छुत है , जिसे छुना तक मना है तो सेक्स करना तो सिधे शरिर से लिपटना है | पर चूँकि हवश शांत करने के लिए हवशी लोगो को योनी निच है कि उच है यह ख्याल नही आता है , इसलिए भले ढोंगी पाखंडी छुवाछुत को कड़ाई से मानकर मंदिरो में भी प्रवेश रोकते हैं , पर अपना हवश शांत करने के लिए अपने उच्च जाति के लिंग को निच जाती के योनी में प्रवेश करने से नही रोकते हैं | बल्कि आजकल तो आयेदिन कई बार यह भी जानकारी मिलती है कि बलात्कारी अपना हवश शांत करने के लिए कई बार तो जानवर के साथ भी बलात्कार कर डालता है | यानी यदि अप्राकृति रुप से इंसान के वीर्य अंडाणु से यदि जानवरो से भी बच्चा पैदा होता तो आज इंसानी अबादी के बिच ऐसा बहुत सी अबादी भी रहती जो किसी इंसान के द्वारा जानवरो के साथ संभोग करके या कराके जन्मी होती | वैसे इंसान चूँकि जानवर से भी प्रेम करता है , इसलिए मुमकिन है इंसान जानवरो से भी परिवार बसाकर जानवर से ही अपना वंश बड़ा रहे होते | यकिन न आए तो कोई घर बैठे भी इंटरनेट के जरिये गुगल सर्च मारकर पता कर सकता है कि इंसान किसी जानवर से कभी रेप करता है कि नही करता है ? या फिर इंसान जानवर से सेक्स करता या करवाता है कि नही करवाता है ? यकिन मानो गुगल सर्च में निश्चित तौर पर बहुत सारी ऐसी खबरे मिल जायेगी जिसमे बतलाया गया है कि किसी इंसान ने जानवर से रेप किया या फिर प्रेम करके उससे विवाह किया | जाहिर है जिसने जिस जानवर से सेक्स किया वह जावर यदि इंसान से सेक्स करके माता या पिता बनने में सक्षम होता या होती तो आज बहुत सी अबादी इंसान और जानवर के संभोग से जन्मे कुछ अलग प्रकार की इंसानी अबादी होती | वैसे मनुवादी भी यदि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियों को गुलाम दास दासी बनाकर शुद्र घोषित करके जानवर समझकर जानवरो की तरह व्यवहार करते हैं तो उनको यह बात जानना बहुत जरुरी है कि उनके परिवार में मौजुद नारी के भितर उन्ही जानवरो का M DNA मौजुद है | अथवा इस देश में प्रवेश करने के बाद जितने भी मनुवादी इस देश की नारी से पैदा हुए हैं वे सभी उसी माँ के औलाद हैं , जिनको उन्होने शुद्र अच्छुत निच घोषित करके ढोल ,गंवार ,शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़न के अधिकारी कहते हुए जानवरो जैसा व्यवहार करना अबतक भी नही छोड़ा है | हलांकि यदि ऐसा है भी तो भी चूँकि मनुवादी हजारो साल पहले ही इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद इस देश की सत्ता को हासिल करके हजारो साल पहले ही गणतंत्र और इंसानियत कायम परिवार समाज के बारे में ज्ञान हासिल करना सुरु कर लिया था , इसलिए हजारो साल बाद उसके भितर अबतक इतनी इंसानियत तो कम से कम आ जानी चाहिए थी की वह जिस परिवार समाज से पारिवारिक रिस्ता जोड़कर हजारो सालो से अपना वंशवृक्ष बड़ा कर रहा है , उस परिवार समाज  का शोषण अत्याचार करना छोड़ दे , अथवा शोषण अत्याचार का संस्कार देनेवाली मनुस्मृति सोच से बाहर निकल आए | ताकि इस देश के मुलनिवासियों के साथ भेदभाव शोषण अत्याचार करके जानवरो जैसा व्यवहार फिर से कभी न कर सके | पर चूँकि हजारो साल तक इस कृषि प्रधान देश में रहने के बाद इस देश की शोषित नारी के पेट से पैदा होने के बावजुद भी कबिलई मनुवादी अबतक भी छुवाछुत करना नही छोड़ा है , इसलिए कहा जा सकता है कि मनुवादी का जानवर सोच से बाहर निकलने की प्रक्रिया अब भी जारी है | जबकि गोरे इस कृषि प्रधान देश में सिर्फ दो सौ सालो तक ही रहकर भेदभाव करने की सोच से बाहर निकलकर जानवरपन करना छोड़ दिये थे | हलांकि गोरो द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले ही उन्हे परिवार समाज का ज्ञान हासिल था , इसलिए सायद उन्होने जानवरपन से खुदको जल्दी बाहर निकाला | हलांकि अजादी उनसे छिनकर लिया गया था | जैसे की मनुवादीयों से भी अजादी छिनकर ली जायेगी यदि इसी तरह मनुवादी अपना भेदभाव शोषण अत्याचार जारी रखा | क्योंकि अब सबको यकिन होता जा रहा है कि मनुवादी भी खुद ही न तो भेदभाव शोषण अत्याचार करना पुरी तरह से कभी छोड़ने वाले हैं , और न ही अपनी मनुवादी शासन में पुरी तरह से इमानदारी से चुनावा कराकर सत्ता को छोड़ने वाले हैं | क्योंकि गोरो की तरह मनुवादीयों को भी उस झुठी शान ने जकड़कर रखा हुआ है जो उनसे जानवरपन करा रहा है | जो झुठी शान मनुवादी को मनुस्मृति रचना करते समय भी जकड़कर उच्च निच छुवाछुत नियम कानून रचवाया है | जिसे वह आजतक भी अपनी भ्रष्ट बुद्धी से नही मिटा पा रहा है | जिसके चलते जिस माँ के पेट से वह जन्म लिया है अथवा इस कृषि प्रधान देश में जिस समाज परिवार की नारी से मनुवादीयों का वंशवृक्ष बड़ा हुआ है , उसी परिवार समाज में मौजुद लोगो के साथ भारी भेदभाव शोषण अत्याचार हजारो सालो से करता आ रहा है | मानो वह जबरजस्ती अपने ससुराल को ही गुलाम बनाकर ससुराल में ही घर जमाई बनकर यहीं पर बस गया है | क्योंकि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले उसके पास अपना ऐसा कोई भी परिवार समाज मौजुद नही था कि उनके पास वापस लौट सके | इसलिए मनुवादी अब चाहकर भी यदि इस देश से वापस बाहर जायेगा तो वह किसी भी देश का मुलनिवासी नही कहलायेगा जबतक की वह इस सवाल का जवाब पुरी तरह से पता नही कर लेता कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले उनके पुर्वज किस देश में अपने किस परिवार समाज के साथ रह रहे थे ? और यदि यूरेशियन डीएनए से चूँकि मनुवादीयों का डीएनए मिलता है इसलिए मनुवादीयों के पुर्वज यदि यूरेशियन महिलाओं के साथ परिवार बसाकर रह रहे थे तो उस परिवार की खोज खबर इतिहास मनुवादीयों के पास मौजुद क्यों नही है ?और अगर चूँकि मनुवादी भी गोरो और शैतान सिकंदर की तरह लुटपाट करने आए थे इसलिए अपने साथ परिवार को नही लाए थे तो भी अपनी लुटपाट भरपुर होने के बाद मनुवादीयों द्वारा इस देश में बसने के बाद अपने परिवार को अपने पास क्यों नही बुलाया ? जिन सवालो के बारे में पता करने के बाद ही मनुवादी को अपने पुर्वजो की उन माँ के बारे में भी पता चल जायेगा जिसका एम डीएनए इस देश की नारी में मौजुद एम डीएनए से नही मिलता है | जो नारी मनुवादीयों के उन पुर्वजो की माँ है जिनको छोड़कर मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद अपनी मातृभूमि में वापस कभी लौटे ही नही | और यहीं पर यहीं की नारी से परिवार बसाकर उससे अपना वंश वृक्ष बड़ा करके बस गये | जिसके बाद यहाँ पर जन्मी नई पिड़ी अपनी मातृ भूमि इसी देश को कहते हुए इस इंडिया को ही अपना मदर इंडिया कहकर गर्व करना सुरु किया जो कि स्वभाविक था | क्योंकि यहाँ के मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद नारी से ही वह नारी भी जन्म ली है , जिसके साथ मनुवादी अपना परिवार बसाकर अपना वंश वृक्ष बड़ा करना अब भी जारी रखे हुए है | साथ साथ उन्होने उसी नारी का एम डीएनए जिस नारी से मिलता है उसके परिवार के सदस्यो को शुद्र घोषित करके आजतक भी छुवाछुत करना भी नही छोड़ा है | अथवा मनुवादी ने चूँकि अपने ससुराल के लोगो को शुद्र घोषित किया हुआ है , इसलिए उन्होने अपने परिवार की महिलाओं को भी शुद्र घोषित किया हुआ है | जो जानकारी वेद पुराणो में भी दर्ज है | जिस वेद पुराण में बाहर से आए मनुवादीयों को देव और इस देश के मुलनिवासियों को राक्षस दानव असुर कहा गया है | अथवा इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर इस देश की गणतंत्र व्यवस्था में मनुवादियों ने खुदको शासक बनाकर उच्च निच छुवाछुत व्यवस्था स्थापित किया है | ऐसा उसने खुदको हमेशा के लिए शासक बनाये रखने के लिए ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य जाति घोषित किया हुआ है | और इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र जाति घोषित किया हुआ है | इतिहास गवाह है कि मनुवादी जब इस देश में प्रवेश किया था , उस समय भक्षक बनकर प्रवेश किया था रक्षक बनकर नही | उसी तरह गुलाम करके मनुस्मृति रचना करके शोषण अत्याचार करनेवाला भ्रष्ट बुद्धी लेकर प्रवेश किया था न की अजाद भारत का संविधान रचना करने वाला बुद्धी लेकर | जाहिर है मनुवादीयो ने अपनी झुठी शान और सत्ता बरकरार रखने के लिए खुदको जन्म से विद्वान पंडित घोषित किया हुआ है | जिसका मतलब यह नही मान लिया जाय कि वह सचमुच में तब जन्म से विद्वान पंडित होता था इसलिए खुदको जन्म से विद्वान पंडित घोषित किया हुआ है | खासकर मनुस्मृति रचना करते समय तो मनुवादी खुदको जन्म से विद्वान पंडित कैसे साबित कर सकता था जब उससे भी ज्यादे विकसित बुद्धी बल वाला इंसान पहले से मजुद थे | मसलन इस देश के मुलनिवासियों ने इस देश में मनुवादियों द्वारा प्रवेश करने से पहले उस सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति और गणतंत्र का निर्माण किया था जो उनके कबिलई झुंड से कहीं अधिक विकसित बुद्धी बल प्रमाणित करता है | जबकि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले कबिलई मनुवादीयों को न तो कृषि कार्य आता था और न ही संयुक्त परिवार समाज गणतंत्र वगैरा के बारे में कुछ आता था | रही बात जन्म से क्या वह धन्ना है तो जो मनुवादी हजारो सालो से दुसरो के देश में पल रहा है वह जन्म से धन्ना तो क्या यदि वह इस देश के मुलनिवासियों के जो हक अधिकार को हजारो सालो से लुटा है , उसे वापस कर दे तो नंगा आया था नंगा वापस जायेगा ये कहावत मनुवादी में फिट बैठ जायेगी | क्योंकि गोरो के पास तो इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला देश में प्रवेश करके लुट इंडिया कंपनी बिठाकर अपना पेट पालने से पहले भी अपने देश में कंपनी मौजुद थी पर मनुवादियों के पास इस देश में प्रवेश करने से पहले कौन सी कंपनी और कौन सी सत्ता और समाज परिवार बल्कि खेती बारी मौजुद थी इसकी जानकारी आज भी डायनासोर की इतिहास की तरह खोजा जा रहा है | क्योंकि डीएनए प्रमाण से ये बात तो साबित हुआ है कि कबिलई मनुवादि यूरेशिया से आया है , पर यह बात अबतक साबित नही हो पाया है कि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले मनुवादीयों के पास इस देश की सभ्यता संस्कृति और परिवार समाज गणतंत्र मौजुद थी | वेद पुराण में तो मनुवादियों के पुर्वज देवो के बारे में बतलाया गया है कि देव उपर स्वर्ग वासी जिवन जिते हैं | जहाँ से ही वे इस धरती में किसी एलियन की तरह उतर थे | जैसे की देवो का राजा इंद्रदेव के बारे में यह बतलाया जाता है कि इंद्रदेव को इस धरती की विवाहित महिला अहिल्या के प्रति इतना हवश भर आया कि वह स्वर्ग की अप्सराओ को भी छोड़ छाड़कर अपनी हवश पुरा करने के लिए अहिल्या के साथ छल कपट करके धोखे से बलात्कार किया था | जिसकी पोल खुलने के बाद अहिल्या के पति गौतम मुनी ने बलात्कारी हवशी इंद्रदेव को हजार योनी किसी घुंघरु की तरह अपने उपर टांगकर जिवन बसर करने का श्राप दिया था | हलांकि इंद्रदेव को वेद पुराण में इस कृषि प्रधान देश की खेती में मदत करने वाला पशु चोर भी बतलाया गया है | बतलाया गया है कि इंद्रदेव ने असुरो की धरती में प्रवेश करके पशु चोरी और लुटपाट किया और असुरो का सौ पुर अथवा सौ शहरो को भी ध्वस्त किया | जिसने उस बाँध को भी तोड़ा जिससे की कृषि हरियाली और सुख शांती समृद्धी खुशियाली मौजुद थी असुरो के सम्राज्य में | जिन असुरो के परिवार में मौजुद महिलाओं के साथ परिवार भी बसाया और उससे ही अपना वंश वृक्ष भी बड़ा किया है | जैसे की इंद्रदेव की पत्नी उस असुर की बेटी थी जिसकी हत्या देवासुर संग्राम में करके इंद्रदेव ने असुरो की सत्ता में कब्जा जमाया था | यानी स्वर्ग में रहने वाली महिला भी वही पिड़ित महिलायें हैं | जिनका मदर डीएनए और शुद्र अच्छुत निच असुर दानव राक्षस घोषित किये हुए मुलनिवासियों के परिवार में मौजुद महिलाओं का एम डीएनए एक है | जिससे  भी यह प्रमाणित होता है कि मनुवादीयों के द्वारा इंद्रदेव का स्वर्ग वाली बात भी इसी पृथ्वी बल्कि इस कृषि प्रधान देश से जुड़ा हुआ है | न कि वाकई में इंद्रदेव एलियन की तरह उपर से इस धरती में उतरकर इस धरती को कब्जा करने के लिए असुरो से देवाअसुर संग्राम करके उन असुरो के परिवार में मौजुद महिलाओं को देव दासी बनाकर उनसे अपना वंश वृक्ष बड़ाया जो असुर दानव राक्षस भी स्वर्ग में बिना ऑक्सीजन के आना जाना करते हैं | जिसके चलते स्वर्ग का इंद्र सिंघासन बार बार डोलता रहता था और कथित जिस स्वर्ग में सबसे सुखमई जिवन बतलाया जाता है वहाँ पर देवो समेत उनका राजा इंद्रदेव को भयभीत होकर सिंघासन के लिए मार काट करते हुए बतलाया जाता है  | जिस कथित सबसे अधिक सुखी जिवन वाले स्वर्ग का वासी इस धरती का वासी इंसान को भी मरने के बाद यदि नागरिकता मिलती है तो फिर जिते जी असुर दानव राक्षस उस स्वर्ग में कैसे प्रवेश करते हुए वेद पुराणो में बतलाया जाता है ? दरसल इस कृषि प्रधान देश में कबिलई देवो ने प्रवेश करके कृषि में मदत करने वाला पशु की चोरी और लुट करके कृषि को भारी नुकसान पहुँचाया और बाँध को भी तोड़कर कृषि को भारी नुकसान पहुँचाया पर उन्होने खेत को कब्जा करके उसमे खेती कभी नही किया | बल्कि खेती में मदत करने वाला पशुओ की चोरी जरुर किया ऐसी जानकारी जो वेद पुराणो में मौजुद है , उससे यह जानकारी भी मिलती है कि देवो को कृषि कार्य नही आती थी | और न ही बाकि भी वह हजारो हुनर आती थी जिसे कि आज हजारो निच जाति के नाम से जाना जाता है | जिन हजारो हुनरो में से सायद ही चंद हुनरो को मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से पहले जानता होगा | जो सारे हुनर जिसे अभी जन्म से वर्ण व्यवस्था और हजारो जाति व्यवस्था के रुप में जाना जाता है , उन विकसित हुनरो को मनुवादियो ने पैदा किया है यह कहना वैसा ही है जैसे कि इस कृषि प्रधान देश में मनुवादियों के प्रवेश करने से पहले शिक्षा क्षेत्र , रक्षा क्षेत्र वित्त क्षेत्र समेत धोबी बढ़ई वगैरा तमाम विकसित हुनर मौजुद ही नही था | जो सब मनुवादियों ने बाद में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इस देश के मुलनिवासियों को सिखलाया है | जो हास्यस्पद और मुर्खता होगी कि कबिलई मनुवादि इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके इन विकसित क्षेत्रो की जानकारी को वर्ण और जाति व्यवस्था के रुप में स्थापित करके इस देश के मुलनिवियों को दिया है | जबकि सच्चाई यह है कि मनुवादि जब इस देश में प्रवेश भी नही किया था उस समय इस देश में कृषि और धोबी बढ़ई जैसे हजारो हुनर की खोज कबका हो चुका था | जैसे कि कबिलई गोरो द्वारा इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने से हजारो साल पहले भी सिंधु घाटी कृषि सभ्यता संस्कृति गणतंत्र व्यवस्था और नालंदा तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय मौजुद था | जाहिर है वर्ण और जाति व्यवस्था को मनुवादियों ने नही बनाया है | बल्कि इस देश के मुलनिवासियों ने जिन हुनरो के जरिये विकसित व्यवस्था को संचालन हजारो सालो से किया है उसे मनुवादीयों ने जन्म से उच निच जाति घोषित कर दिया है | जैसे कि वर्तमान के भी मोबाईल टावर और केबल ओपरेटर सहित डॉक्टर , इंजिनियर , वकिल वगैरा बहुत से विकसित हुनर और उपाधि को अगर जन्म से जाति घोषित कर दिया जाय तो वह हुनर और उपाधि जाति घोषित करने वालो द्वारा बनाया गया नही कहलायेगा | क्योंकि ये सब कार्य मनुवादीयों के द्वारा बनाया व्यवस्था नही है , बल्कि उस कार्य को जन्म से जाति बनाया गया मनुवादीयों द्वारा कहलाता यदि उसे जाति घोषित किया जाता | क्योंकि मोबाईल ऑपरेटर केबल ऑपरेटर डॉक्टर इंजिनियर वकिल वगैरा कार्य व्यवस्था मनुवादीयों ने नही बनाया है | जिसे यदि जन्म से जाति बनाया जाय तो मोबाईल ऑपरेटर केबल ऑपरेटर इंजिनियर डॉक्टर वकिल वगैरा जितने भी कार्य है , वह सभी जन्म से जाति मानी जाती तो क्या ये सभी कार्यो को करने वाले लोग निच हो जाते | जैसे कि कपड़ा धोने फर्नीचर बनाने और फसल उगाने वगैरा कार्य करने वाले निच हो जायेंगे अपने कार्यो से ? नही होंगे पर उन्हे निच घोषित किया गया है मनुस्मृति लागू करके | जो सारे कार्य दरसल कृषि सभ्यता संस्कृति में विकसित किया हुआ वह हुनर है जिससे की इंसानी सभ्यता संस्कृति का विकाश हो रहा है | जिसे मनुवादीयों ने जन्म से जाति घोषित किया है | अथवा इस देश में जो हजारो निच जाति घोषित किये गए हैं वह सब कोई न कोई विकसित हुनर है , जिसे इंसानो ने अपनी जरुरत पुरी करने के लिए समय समय पर खोज किया है | जिन हुनरो की तरह ज्ञान बांटने वाला शिक्षक रक्षा करने वाला सैनिक और धन रखने वाला वित्त मंत्री या अधिकारी भी हुनर है , जिसे गणतंत्र की खास जिम्मेवारी दिया जाता है | जैसे की वर्तमान में लोकतंत्र का चार प्रमुख स्तंभो को खास जिम्मेवारी दिया गया है | उसी तरह वेद पुराण काल में वेद का ज्ञानी , रक्षक और धन संचय करने वालो को खास जिम्मेवारी दिया जाता था | जिसे वर्तमान के शासक में कहा जा सकता है , शिक्षा मंत्री , रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री | जो तीनो क्षेत्र वेद पुराण काल में खास प्रमुख क्षेत्र थे , जिसपर मनुवादीयों द्वारा जब इस देश की सत्ता हथियाने के बाद कब्जा हुआ तो मनुवादीयों ने इन तीनो क्षेत्रो में खुदको स्थापित करके इस देश के शासक बनते ही खुदको जन्म से  ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य घोषित करके भेदभाव करना सुरु कर दिया ताकि इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से लेकर मरन तक हिन भावना से इतना ग्रसित कर दिया जाय की कोई भी मुलनिवासी फिर से कभी भी शासक बनने के बारे में सोच ही न सके | जिससे कि इस देश के मुलनिवासी अब न तो शासक बन सके और न ही शासक बनकर इन खास क्षेत्रो का प्रमुख बन सके | पर चूँकि गोरो के जाने के बाद अब अजाद भारत का संविधान लागू होकर इस देश के मुलनिवासियों ने खुदको ज्ञान क्षेत्र रक्षा क्षेत्र और वित्त क्षेत्रो में भी खुदको वापस स्थापित करना सुरु कर दिया है , इसलिए मनुवादि अब वैसे भी जन्म से उच्च कहना तो दूर इस जन्म के बाद भी सिर्फ खुदको उच्च नही कह सकता  प्रयोगिक तौर पर | क्योंकि शिक्षक रक्षक और धन्ना इस देश के मुलनिवासी भी हैं | पर चूँकि मनुवादी सत्ता अब भी कायम है इसलिए मनुवादी अब भी उच्च निच जाति को मानता है | और अब भी सत्ता में लगातार कायम रहने की वजह से खुदको उच्च महसुश करता है | जैसे कि जबतक गोरे इस देश की सत्ता में मौजुद थे तबतक इस देश के नागरिको को गुलाम बनाकर खुदको उच्च ताकतवर और अपने गुलामो को कमजोर समझकर शोषण अत्याचार करते रहते थे | लेकिन अजादी मिलते ही वे अब जज बनकर शोषण अत्याचार नही कर सकते | जबकि गुलाम बनाकर वे न्यायालय का जज बनकर भी शोषण अत्याचार न्याय समझकर कर सकते थे | और शोषण अत्याचार के खिलाफ संघर्ष कर रहे क्रांतीकारी वीरो को न्याय फैशले में सजा भी दे सकते थे | जो कि अनगिनत क्रांतिकारियो के खिलाफ न्याय सुनाते समय सजा दिये भी | जिन वीरो को अजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीर क्रांतीकारी के रुप में इतिहास दर्ज किया गया है | जिसे गोरे अपने लुटमार गुलाम करने वाला इतिहास में अपराधी और खुदको गुलाम करनेवाला उच्च विकसित बुद्धी बल वाला इंसान घोषित करते थे | जो भ्रष्ट इतिहास तबतक दर्ज होता चला गया जबतक कि उन्हे यह बुद्धी नही आई कि गुलाम करना और जज बनकर गुलामी के खिलाफ संघर्ष करने वालो को अपराधी घोषित करके उन्हे सजा देना उच्च विकसित बुद्धी बल नही है | बल्कि उच्च बुद्धी बल का विकास इंसानियत का वह विकास है , जिसमे इंसान के भितर से परजिवी जनवरपन समाप्त होकर तेज गति से इंसानियत का विकाश होता चला जाता है | जिसके चलते इंसान के भितर किसी को दुःख तकलीफ देने के बजाय उसकी भलाई करने की भावना का विकाश तेजी से होता है | जैसे कि गोरो में हुआ और उनकी नई पिड़ी अपने गुलाम करने वाले पुरानी पिड़ी के उन कुकर्मो के लिए माफी मांगकर न सिर्फ विकसित मांसिकता को दर्शाते हैं , बल्कि अपने पुरानी पिड़ी के द्वारा किये गए कुकर्मो को कभी भी वापस न दोहराने की ज्ञान उन लोगो को भी बांटते रहते हैं जिनको अब भी लगता है कि किसी का शोषण अत्याचार करना बुद्धी बल का उच्च विकाश है | जिस तरह का विकाश की बहुत जरुरत है मनुवादीयों को जिनको अब भी लगता है कि अपने भ्रष्ट बुद्धी में गंदगी का अंबार लगाकर इस देश के मुलनिवासियों के साथ  भेदभाव शोषण अत्याचार करके मनुवादी शासन में सिर्फ सफाई अभियान चलाकर देश में साफ सुथरा आधुनिक शाईनिंग डीजिटल विकाश हो जायेगा | जबकि असली साफ सुथरा विकाश तब अपडेट होने लगेगा जब मनुवादीयों की भ्रष्ट मांसिकता की भेदभाव सत्ता इस देश से चली जायेगी | जिसके बाद छुवा छुत शोषण अत्याचार से इस देश के मुलनिवासियों को छुटकारा मिलकर पुरी अजादी मिल जायेगी | और यदि नही भी मिलेगी कुछ शोषित पिड़ितो को तो जो लोग तब भी छुवाछुत करेंगे वे लोग जेल में डाल दिये जायेंगे मांसिक सुधार के लिए | अथवा मनुवादी शासन में जो मनुवादी बाहर रहकर खुलेआम छुवा छुत का बोर्ड लगाकर भी कर रहे हैं वे सभी सुधार घर अथवा जेल में सजा काटेंगे | जो तबतक सजा काटेंगे जबतक की उनकी भ्रष्ट बुद्धी में मौजुद छुवाछुत गंदगी की सफाई होकर वे छुवाछुत करना न भुल जायेंगे | जैसे कि यदि गोरो से अजादी मिलने के बाद यदि कुछ गोरे तुम गुलाम इसी के काबिल हो कहकर इस देश के नागरिको को आज भी यदि डंडे बरसाते कोड़े बरसाते तो वे अभी या तो जेल में सजा काट रहे होते या फिर उनपर शोषण अत्याचार करने मारने पिटने का केश चल रहा होता | पर जबतक इस देश में गोरो का शासन मौजुद था तबतक गोरे यह सब कुकर्म जज बनकर न्याय घोषित करके गुलामी के खिलाफ अवाज उठाने वालो पर डंडे और कोड़े बरसाकर किया जाता था | जिन्हे लगता था कि अजादी के लिए गुलामी के खिलाफ आंदोलन करने वाला नागरिक अपराधी है | और उनपर कोड़े और डंडे बल्कि कई बार तो गोली बरसवाने और बरसानेवाला गोरे वाकई में कई देशो को गुलाम करके लुटपाट शोषण अत्याचार करते हुए गुलाम देश में न्यायालय बनाकर उसमे सत्य न्याय करनेवाला जज बना हुआ था | जैसे की अभी छुवाछुत भेदभाव करते समय डंडा बरसाने वाले मनुवादी जेलो में मौजुद नही हैं | जो जेल में डाले जायेंगे जब मनुवादी सत्ता समाप्त होकर मनुवादीयों से पुर्ण अजादी मिल जायेगी | जो जबतक नही मिलेगी तबतक मनुवादी शासन में वह भ्रष्ट शोषन चलती रहेगी जिसमे विकाश उल्टी गंगा बहाकर किया जाता है | जिस उल्टी विकाश में प्रजा को सेवक और शासक को सेवा कराने वाला बुरे हालात पैदा करके प्रजा की सेवा करने का शासन नही बल्कि शोषण करने का विकाश होता है | जिस तरह का भ्रष्ट विकाश हमेशा के लिए कायम बना रहे इसके लिए ही तो मनुवादीयों ने हजारो साल पहले जन्म से खुदको ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य घोषित किया हुआ है | इसका मतलब ये नही कि मनुवादीयों ने ही विद्वान रक्षक और धन्ना किसे कहा जाता है इसका ज्ञान बांटा है | बल्कि मनुवादीयों ने इस कृषि प्रधान देश की गणतंत्र व्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रो में हजारो साल पहले कब्जा करके उच्च क्षेत्रो में हमेशा के लिए बने रहने के लिए खुदको जन्म से विद्वान पंडित वीर रक्षक और धन्ना घोषित किया हुआ है | ताकि इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से निच घोषित करके बचपन से ही ये हिन भावना उत्पन्न कर सके कि इस देश के मुलनिवासी शिक्षक रक्षक और धन्ना कभी नही बन सकता | और जिसके पास बुद्धी बल और धन बल नही वह शासक कैसे बन सकता है इस तरह की हिन भावना बचपन से बिठाकर मनुवादी इस देश का शासन को आरक्षित करके रखने की मकसद से जन्म से उच्च निच घोषित किया गया है |

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