Corona virus has been spread to suppress the voices raised against discrimination exploitation atrocities



Corona virus has been spread to suppress the voices raised against discrimination exploitation atrocities

भेदभाव शोषण अत्याचार के खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने के लिए कोरोना वायरस फैलाया गया है


(bhedabhaav shoshan atyaachaar ke khilaaph uthane vaalee aavaajon ko dabaane ke lie korona vaayaras phailaaya gaya hai)


मुमकिन है गुलाम दास दासी बनाने वालो की अपडेट पिड़ियों के भेदभाव शोषण अत्याचार के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने के लिए कोरोना वायरस फैलाया गया है | ताकि ध्यान भटकाकर आवाज को दबाया जा सके , या फिर कोरोना वायरस या लोकडाउन के जरिये शोषित पिड़ितो को कुचला जा सके | क्योंकि लोकडाउन से हजारो लाखो शोषित पिड़ित शहर से गांव की ओर इसलिए पलायन कर रहे हैं , क्योंकि वे इस सोने की चिड़ियाँ का मालिक होते हुए भी विदेशी लोगो के द्वारा उनके हक अधिकारो को लुटकर इतना गरिबी भुखमरी जिवन में आज भी ढकेला जा रहा है कि एक शोषित पिड़ित का भुखे पेट रहकर उसका बयान सुन रहा था कि लोकडाउन में बिना काम धँधा और बिना भोजन के शहर में रहा तो करोना वायरस से तो वह नही मरेगा पर भुखा पेट रहकर जरुर मर जायेगा | जिसकी बात में वह दम है जो लोकडाउन करने वाले और थाली ताली बजाने वालो की बातो में दम नही है | क्योंकि पुरी दुनियाँ में हर रोज गरिबी भुखमरी से 24 हजार लोग मरते हैं | जिसे रोकने के लिए भ्रष्टाचारियो चोर लुटेरो का विदेश भागने में लोकडाउन नही होता है | यानी साल में पोने एक करोड़ लोग गरिबी भुखमरी से मरते हैं | जिन लोगो में एक तिहाई अबादी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश का है | जहाँ पर आज भी इतना अन्नाज पैदा होता है कि आधा बर्बाद कर दिया जाता है | इस सोने की चिड़ियाँ को गुलाम बनाकर आज जो ब्रिटेन देश अमिर देश कहलाता है , उस अमिर देश में जितना सालभर खाया जाता है , उतना आज के समय में इस गरिब देश कहलाने वाले भारत में साल में बर्बाद कर दिया जाता है | क्योंकि विडंबना यह है कि इस देश में करोड़ो लोगो को भुखे पेट सोते हुए जानकर और देखकर भी करोड़ो लोग अति खा खाकर अति मोटे होकर मोटापे से हुई बिमारी की वजह से भी इस देश में हर साल 52 लाख लोगों की मौत असमय होती है | और चूँकि चीन के बाद भारत में सबसे अधिक अबादी मौजुद है , तो चीन के बाद सबसे अधिक अति खा खाकर मोटे  होने वाले लोगो की भी अबादी हो गई है | यानी गरिबी भुखमरी जिवन जिने वाले लोग भुख से मर रहे हैं और अमिर लोग अति  खा खा खाकर मर रहे हैं | आधा अमिर को एक साल के लिए गरिब के घर भेज दो और आधा गरिब को अमिर के घर भेज दो दोनो तरफ होने वाली मौत सायद रुक जायेगी |

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गर्मी के मौसम में उगने वाले ये केंद फल जीवन अमृत है और उसी फल का केंदू पत्ता का इस्तेमाल करके हर साल मौत का बरसात लाई जा रही है

गुलाम बनाने वाले मनुवादी के पूर्वजों की पूजा करने वाला मूलनिवासी फिल्म कोयला का गुंगा हिरो और मनुवादी प्रमुख बिलेन है

यहूदी DNA का मनुवादियों के आने से पहले से ही हिन्दू किसकी पूजा करता आ रहा है ?