I believe that coronavirus has been spread to suppress the voice of freedom from discrimination exploitation atrocities



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khoj123


मेरा तो यही मानना ​​है कि भेदभाव शोषण अत्याचार से आजादी की आवाज को दबाने के लिए कोरोनावायरस फैलाया गया है

(mera to yahee maanana ​​hai ki bhedabhaav shoshan atyaachaar se aajaadee kee aavaaj ko dabaane ke lie koronaavaayaras phailaaya gaya hai)

भेदभाव शोषण अत्याचार और भष्टाचार करने वालो के खिलाफ आंदोलन करके पुर्ण आजादी के लिए आवाज उठाया जा रहा है | जिस आवाज को दबाने के लिए कोरोना वायरस फैलाया जा रहा है | हिन्दी फिल्म कयामत में मौजुद बिलेनो के द्वारा किसी प्रयोगशाला में पैदा करके मौत देने की तरह ही किसी शैतान सवार इंसानो की सक्रिय गैंग जान बुझकर खास मकसद से कोरोना वायरस पैदा किया गया है |  जिसे भविष्य की नई पिड़ी पुर्ण अजाद भारत में पर्दाफाश जरुर करेगी | और शैतान बिलेनो की मौत भी भष्मासुर की तरह होगी | और नही होगी तो प्राकृति तो उन्हे बुढ़ा कर करके मौत का घाट उतारेगी ही उतारेगी | जिस बुढ़ापा से कोई नही बचा है | क्योंकि हमेशा जवान दिखने के लिए हजारो लाखो रुपये का मेकप करने वाले भी बुढ़ापा को नही रोक पाते हैं और वे भी समय आने पर बुढ़े होकर झुरियों से लदकर बुढ़ापा में लड़खड़ाते हुए जिवन जिते हुए अपनी जवानी को आईने में देखते हैं तो ये शैतान लोग तो वैसे भी दिमाकी रुप से लड़खड़ाये हुए रहते हैं | जिसके चलते ऐसे दिमाकी रुप से लड़खड़ाये हुए लोग बड़े बड़े उच्च डिग्री लेकर भी ज्ञान वरदान का गलत उपयोग करके किसी भष्मासुर की तरह ज्ञान वरदान का गलत उपयोग करके कोरोना वायरस जैसे मौत का वायरस को किसी प्रयोगशाला में पैदा किया जाता है | वह भी लुटपाट भ्रष्टाचार से जमा किया कालाधन से पैदा करवाया जाता है | जैसा कि कोरोना वायरस पैदा करवाया गया है | कोरोना वायरस को पैदा करने या करवाने वाले का जन्म उसके पिता के द्वारा निकले कोरोना वायरस से ही हुआ होगा | जिसके चलते वह भी अपने बाप पर जाकर  मैथुन करके कोरोना वायरस निकालकर फैला रहा है | जिसकी नशबंदी करने में फिलहाल तो दुनियाँ के कोई भी देश  सक्षम नही हो पा रहे हैं | क्योंकि किसी के पास इतनी विकसित यंत्र नही है कि उस कोरोना वायरस निकालने वाले शैतान का पता करके उसकी नशबंदी कर सके | हलांकि हत्या की हवश शांत करने के लिए उसके द्वारा निकाले गए कोरोना वायरस से जितने लोग नही मरे हैं , उससे कई गुणा लोग सरकार द्वारा नोटबंदी की तरह लोकडाउन करने से मर चुके होंगे , और हर रोज मर रहे होंगे | क्योंकि इस बहुत बुरे दिनो के दौर का भारत में हर साल लगभग डेड़ लाख लोग आत्महत्या करते हैं | जिसमे दस बारह हजार से अधिक तो सिर्फ छात्र आत्महत्या करते हैं | जिन आंकड़ो के अनुसार 21 दिनो की लोकडाउन में लगभग आठ नौ हजार लोग आत्महत्या कर चुके होंगे | जिनमे छः सात सौ तो सिर्फ छात्र आत्महत्या कर चुके होंगे | जिनकी भी मौत का लाईव आँकड़ा यदि दिखाया जाय तो गुगल सर्च,टी०वी० और अखबारो में भी बुरे दिनो की खबरो की महामारी फैल जायेगी | लेकिन फिलहाल तो कोरोना मौतो की आँकड़ा को एक साथ गिन गिनकर कितनी मौते अबतक हुई पल पल लाईव दिखाया जा रहा है | बाकि बिमारी या गरिबी भुखमरी , सड़क दुर्घटना मोटापा की वजह से होनेवाली मौते , बदहाली से हुई मौते , भ्रुण हत्या वगैरा की सैकड़ो हजारो की संख्या में हर रोज होने वाली मौत आँकड़ा की खबरे सालाना मौत की रिपोर्ट में एक साथ दर्ज होती है | जिससे पहले वही मौत की खबरे वायरल होती है जो वर्तमान की बुरे दिनो का नेतृत्व करने वाली सरकार के लिए ज्यादे जरुरी होती है | जिसके लिए ज्यादे जरुरी खबर यह है कि पुरी दुनियाँ और भारत में कितने लोग कोरोना से मरे और मर रहे हैं | पर सरकार की फेलियर की वजह से कितने लोग हर पल मर रहे हैं यह खबर ज्यादे जरुरी नही है | क्योंकि ऐसी फेलियर को रोकने के लिए सरकार कौन सा लोकडाउन करेगी और थाली ताली बजाकर कौन सा महान कार्य करेगी जिससे कि सरकार की फेलियर की वजह से उन मौतो को रोक पायेगी उसे वायरल लाईव खबर बनाना जरुरी नही है | ये तो सिर्फ झांकी है ऐतिहासिक अच्छे दिनो की नही बल्कि ऐतिहासिक बहुत ज्यादे बुरे दिनो की दर्ज हो रही है | जिसे आने वाली पिड़ी पढ़कर ये जानेगी कि वर्तमान के बुरे शासको के समय प्रजा कितनी तनाव और दुःख पीड़ा से होकर जिवन जी रही थी और असमय गुजर भी रही थी |  कोरोना वायरस और लोकडाउन भी उन्ही बुरे दिनो में बुरे दिन लेकर आया है न कि अच्छे दिन लेकर आया है |

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