Divide rule virus policy is more dangerous than corona virus
Divide rule virus policy is more dangerous than corona virus
फूट डालो राज करो वायरस नीति कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक है
लंबे समय तक गुलाम दास दासी बनाकर लुटपाट करनेवाला विदेशी कबीला की फूट डालो और राज करो वायरस नीति कोरोना वायरस से भी अधिक खतरनाक है | इस देश की राजधानी दिल्ली में जो धर्म के नाम से खुन खराबा हुआ , और कई निर्दोश लोगो का खुन बहा है , उसके पिच्छे भी वही फूट डालो राज करो कबिलई वायरस हावी था , जो धर्म के नाम से लड़ाई कराता है | जो कबिलई वायरस कोरोना वायरस से भी ज्यादे खतरनाक रुप धारन करता है | क्योंकि कोरोना का इलाज करने के लिए दवा और डॉक्टर अस्पताल में उपलब्ध हैं , पर कबिलई वायरस द्वारा फैला धर्म के नाम से दंगा फसाद का इलाज अबतक धार्मिक ग्रंथो में भी नही खोजा जा सका है | वैसे कोरोना का इलाज भी धार्मिक ग्रंथो में मौजुद नही है | बल्कि हो सकता है ये कबिलई वायरस अपना बेहरुबिया रुप बदलकर अब कोरोना वायरस के जरिये भी आतंक फैला रहा है | क्योंकि पुरी दुनियाँ की सबसे अधिक अबादी चीन में रहता है यह सबकुछ जानकर भी चीन आत्महत्या क्यों करेगा | चीन में भी लंबे समय से कबिलई लुटपाट गुलामी की वजह से गरिबी भुखमरी भारी तादार में अब भी कायम है | जबकि उसने दुनियाँ का सबसे समृद्ध देशो में एक अमेरिका को भी इतना कर्ज दे रखा है जितना कि दुनियाँ का सबसे अधिक अबादी वाला देश में दुसरा स्थान रखनेवाला देश इस भारत का भी कर्ज नही है | और जैसा की सबको पता है कि जहाँ पर सबसे अधिक अबादी है वहाँ पर बिमारी सबसे जल्दी फैलता है और सबसे अधिक मौते होती है |जिसे जानकर चीन खुद ही कोरोना वायरस पैदा करके आत्महत्या कभी नही कर सकता | बल्कि अपनी बुद्धी बल का गलत इस्तेमाल करके इतिहास में कबिलई सम्राज्य आत्महत्या जरुर करते आ रहे हैं | जैसे कि कबिलई रोम यूनान का विनाश अपनी बुद्धी बल का गलत इस्तेमाल करके कई देशो में लुटपाट शोषण अत्याचार करने की वजह से हुआ था | इस बार भी यदि कोई कबिलई लुटपाट करने के लिए अपनी बुद्धी बल का गलत इस्तेमाल गुप्त तरिके से कर रहा है तो निश्चित तौर पर फिर से वह अपनी विनाश की ओर बड़ रहा है | क्योंकि उसे पता होना चाहिए कि इस समय भले गरिबी भुखमरी सभी ऐसे देशो में मौजुद है , जहाँ पर कबिलईयो ने सैकड़ो हजारो सालो से गुलामी और लुटपाट द्वारा मौत का आतंक फैलाया है , पर इसके बावजुद भी उन आतंक फैलाने वालो का अब भी प्राचिन रोम यूनान की तरह विनाश हो सकता हैं | क्योंकि लंबे समय तक कबिलई गुलामी झेलने वाले देशो में भले मेरे जैसे बहुत से लोग हथियारो की होड़ को इंसानो द्वारा आत्महत्या की ओर बड़ने जैसा मानते हो पर वर्तमान में तो कबिलई का गुलामी झेलने वाले लगभग सभी देशो में हथियारो की होड़ हिंसक कबिलई वायरस से भिड़ने के लिए इतनी ज्यादे तादार में हुआ है कि इस दौर में तो जो भी कबिला कोरोना वायरस या फिर कोई और मौत का आतंक भारी तादार में फैलाते हुए प्रमाणित पकड़ा जायेगा सभी उसपर टुट पड़ेंगे ऐसा मुझे लगता है | और यदि ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर उस कबिलई का तो प्राचिन रोम यूनान की तरह विनाश हो जायेगा पर साथ साथ या तो बदले की कारवाई द्वारा लाया गया भारी तबाही के बाद इंसानियत और पर्यावरण का भी विनाश हो जायेगा या फिर इंसानियत का विनाश अबतक सबसे अधिक करने वाले उस कबिलई का ही विनाश पुरी तरह से हो जायेगा जिसने सैकड़ो हजारो सालो से बहुत सारे कृषि सभ्यता संस्कृति का विनाश करके मानवता और पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान पहुँचाया है | जिसकी वजह से उन विनाश हुए प्राचिन सभ्यता संस्कृति वाले देशो को कबिलईयो ने बार बार जख्म देकर इतना कठोर भी बना दिया है कि अब वे भी हथियारो की होड़ में शामिल हो गए हैं भले उनके यहाँ गरिबी भुखमरी चारो तरफ मौजुद हो | जाहिर है अगर प्राचिन समय में कबिलई खुद अपना विनाश करते आ रहे हैं तो मुमकिन है अब भी ये कबिलई ही अपने बुद्धी बल का गलत उपयोग करके अपना खुदका विनाश की ओर बड़ रहे हैं | जिसके लिए उन्होने अपडेट के तौर पर कोरोना वायरस के जरिये भारी नुकसान पहुँचाने का रणनिति बनाकर यह सोचकर आतंक फैला रहे हैं कि अपने जख्मो को भर रहे कृषि सभ्यता संस्कृति के पुराने जख्मो में फिर से नया आतंक देकर उसी तरह का नुकसान पहुँचाया जा सके जैसा कि अमेरिका के माया सभ्यता संस्कृति में कबिलई लुटेरो द्वारा अपने साथ वायरस प्रवेश कराकर वहाँ के रेड इंडियन को भारी नुकसान पहुँचाया गया था | जिसके कारन भी माया सभ्यता संस्कृति का विनाश हुआ था | जो बात बहुत से इतिहासकारो का मानना है | जिस तरह का विनाश के मकसद से ये कबिलई वायरस हो सकता है अब पुरी दुनियाँ के उन तमाम कृषि सभ्यता संस्कृति को निशाने पर रखकर कोरोना वायरस पैदा करके पुरी दुनियाँ में फैला रहे हैं जहाँ पर आंदोलन संघर्ष के रुप में उनकी भ्रष्ट लुटपाट को खतरा मंडरा रहा है | जिस खतरा को टालने के लिए कबिलई वायरस के खिलाफ आंदोलन संघर्ष कर रहे लोगो में मौत के आतंक फैलाकर आंदोलन संघर्ष में कमी लाकर अपनी कबिलई दबदबा कायम रखने की कोशिष की जा रही है | या फिर आंदोलन संघर्ष कर रहे लोगो का मुल लक्ष से ध्यान भटकाया जा रहा है | क्योंकि प्राचिन काल में ये अपनी लुटपाट गुलाम का आतंक फैलाकर ही तो कृषि सभ्यता संस्कृति को वह जख्म दिये हैं जिससे की अभी तक यह कृषि प्रधान देश ही नही बल्कि पुरी दुनियाँ के प्राकृति समृद्ध ज्यादेतर क्षेत्र उभर नही सके हैं | जहाँ पर ये कबिलई वायरस समय समय पर गुलाम और लुटपाट करके गरिबी भुखमरी दिए हैं | जिस गरिबी भुखमरी से हर रोज आज भी हजारो लोग पुरी दुनियाँ में मारे जा रहे हैं | जिसमे अब ये कोरोना वायरस भी अब गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो को ही सबसे अधिक मौत दे रहा है | क्योंकि जिसके पास धन दौलत और खासकर उच्च पदो की सुरक्षा है , उनके लिए तो ये वायरस खतरा भी यदि पैदा करेगा तो उनका जल्दी इलाज संभव है | पर गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो की जिवन में तो वैसे भी छोटी मोटी बिमारी का इलाज के लिए भी न तो आसानी से सरकारी इंतजाम ठीक से रहता है , और न ही पोषण खरिदने के वास्ते उनके पास धन रहता है | क्योंकि ये कबिलई वायरस सैकड़ो हजारो सालो से अपनी लुटपाट के जरिये दुनियाँ की आधी से भी अधिक अबादी को लंबे समय तक गरिबी भुखमरी में एक तो धकेल दिये हैं , और उपर से गरिबी भुखमरी से संघर्ष कर रहे लोगो के बिच कोरोना वायरस का आतंक फैलने से गरिबी भुखमरी जिवन से संघर्ष कर रहे लोगो की रोज कमाओ रोज खाओ रोजमरा जिवन में सबसे अधिक प्रभाव डाल रहा है | क्योंकि जिनके पास अन्न धन का भंडार मौजुद है वे तो कर्फ्यू में भी अपनी समान्य दिनो की तरह भरपेट खा पीकर कोरोना वायरस पर लाईव बहस करते रहेंगे , पर जिनके जिवन में रोज कमाओ रोज खाओ हालात है वे कर्फ्यू जैसे बुरे हालात में क्या कमायेंगे और क्या खायेंगे ? एक तो वैसे भी उनकी जिवन खासकर इस कृषि प्रधान देश में कबिलई मनुवादी शासन के नेतृत्व में फर्जी और असंतुलित आधुनिक भारत , गरिबी हटाओ , शाईनिंग इंडिया , डीजिटल इंडिया की वजह से करोड़ो लोगो की जिवन गुलामी जैसे हालात में आधा पेट खाकर या फिर भुखा पेट सोकर कट रही है , उपर से जख्मो में नमक छिड़कने का कार्य यह कोरोना कर्फ्यू कर रही है | हलांकि कोरोना वायरस वाले यदि गरिबी भुखमरी जिवन जी रहे लोगो की जिवन को छिनने के लिए ये सब पाप कर रहे हैं तो उनको ये बात पता रहना चाहिए कि भगवान सबकी जिवन छिनता है | जो बात कोरोना वायरस फैलाने वाले को अपने दिमाक में हर रोज तब अपडेट करते रहना चाहिए जब वे कोरोना से कितनी मौत का लाभ हुआ कैलकुलेटर पकड़कर हिसाब किताब करते हैं | क्योंकि एकदिन मरना तो उसे भी है | कोरोना गैंग चलाने वाले बुढ़ा होंगे तो जल्दी मरेंगे और जवान होंगे तो थोड़ा ज्यादे समय तक तकलीफ देकर मरेंगे | मरेंगे तो वे और उनके सारे समर्थक व सहयोगी भी | बल्कि वर्तमान में मौजुद दुनियाँ की पुरी अबादी सौ दो सौ सालो में समाप्त हो जायेगी | क्योंकि इंसान का उम्र फिलहाल तो इससे ज्यादा नही है | जाहिर है सौ दो सौ साल बाद आनेवाली नई पिड़ी भी यदि अपना उम्र बड़ाने का कोई उपाय नही कर पाया तो उसकी भी मौत इसी तरह सौ दो सौ साल जिवन जिने के बाद होती रहेगी | जिस समय वर्तमान के लोग या तो कब्र के जरिये मिट्टी जल में मिले रहेंगे या फिर शमशान में जलकर मिट्टी जल में मिलेंगे | न कि सारे लोग मरने के बाद इस दुनियाँ से ही गायब हो जायेंगे | गायब तो धर्म मान्यता अनुसार यह भ्रम है कि शरिर मरता है आत्मा अमर है | वह तो मैं भी कह सकता हूँ कि आत्मा मरता है शरिर अमर है ! जो बात यदि गलत है तो किसी के शरिर को इस सृष्टी से हमेशा के लिए गायब करके दिखाओ | और जैसा कि हमे पता है कि इस सृष्टी में मौजुद है चाहे वह चाँद तारे ही क्यों न हो , उनका भी जन्म और मरन होता है | जो भी इंसानो की तरह सिर्फ रंग रुप बदल बदलकर इसी सृष्टी में मानो अमर हैं | क्योंकि इंसान का शरिर यदि कभी भी समाप्त नही होता है तो निश्चित तौर पर वह भी तो सिर्फ रुप रंग बदलकर फिर से नया जन्म लेता रहता है | क्योंकि यदि किसी के भितर आत्मा मात्र जिवित रहता तो फिर शरिर मरने के बाद उसके द्वारा भुत चुड़ैल बनकर अपने करिबियों के पास अफवा या अँधविश्वास द्वारा आने की चर्चा होने के बजाय सिधे सचमुच में मरने के बाद भी किसी काल्पनिक फिल्मो में मौजुद भुत चुड़ैल से बातचीत रिस्ता जुड़ने की तरह क्यों नही किसी के मरने के बाद भी उसकी आत्मा जिवन गुजारते हुए मरे हुए लोगो की भुत चुड़ैल जिवन चलती रहती है | जैसे कि अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और शाहरुख खान ने जो एक फिल्म चमत्कार में मिलकर अभिनय किया है | उसमे जो भूत का अभिनय नसीरुद्दीन ने किया है , उसी तरह सभी इंसान मरने के बाद भी जिवन जीते भले उसका अपना शरीर नही होता | और फिल्म में भूत को जो अपना बदला लेते हुए दिखलाया गया है , उसी तरह सभी शोषित पिड़ित और निर्दोश लोग भी मरने के बाद भूत बनकर पीड़ा देने या बिना कसूर के हत्या करने वाले से अपने मन मुताबिक बदला लेते | बजाय क्यों लोग मरने के बाद रोजमरा जिवन से हमेशा के लिए अपने करिबियो से बिछड़कर चुप हो जाते हैं ? क्योंकि आत्मा यदि शरिर के भितर रहता है तो वही असल में मरता है | और शरिर अपना रंग रुप बदलकर वापस फिर से जन्म लेता है | जिस शरिर को मरने के बाद भी इसी दुनियाँ में साक्षात मौजुद किसी दुसरे रंग रुप में देखा जा सकता है | पर आत्मा जिते जी भी साक्षात नही दिखता है तो मरने के बाद तो निश्चित तौर पर यदि वह सचमुच में होता होगा तो हमेशा के लिए समाप्त हो जाता होगा | सिर्फ शरिर रहता होगा | वैसे इंसान द्वारा बनाया गया मशीन में कौन सा आत्मा रहता है जो उससे काम करवाता रहता है | हो सकता है भविष्य में इंसान का शरिर में मौजुद सारे अंगो को किसी मशीन का पार्ट की तरह आसानी से बदला जा सके और इंसान के दिमाक में मौजुद यादाश्त को भी ट्रांसफर किया जा सके | जिसके बाद इंसान तबतक जिवित रह सके जबतक की उसकी यादाश्त समाप्त न हो जाय | जो कभी समाप्त नही हो सकता यदि उसकी कॉपी और स्टोर किया जा सके | खैर इनमे से जो भी खोज भविष्य में हो पर फिलहाल तो यही पुर्ण सत्य है कि इंसान मरने के बाद अपनी रोजमरा जिवन अपने उसी रंग रुप में फिर से कभी नही जी पाता है | जैसे कि अबतक जितने भी चर्चित किसान , मजदुर , शिक्षक , सैनिक , खिलाड़ी , नेता , अभिनेता , धन्ना , वैज्ञानिक , डॉक्टर ,इंजिनियर , या फिर किसी भी अन्य क्षेत्र के लोग मरे हैं , वे दुबारा अपने उसी रुप में वापस जिवन जीने नही लौटे हैं | यकिन न आए तो इन तमाम क्षेत्रो में मौजुद कोई भी पसंदीता इंसान जो मरा है , उसके बारे में किसी से पुछना या फिर गुगल सर्च करना कि अब वे कहाँ पर रहते हैं ? जवाब मिलेगा वह मर चुके हैं | और मरने का मतलब अब वे उसी रुप में कभी नही मिलने वाले हैं , चाहे क्यों न अवतार या भगवान माने जाने वाले वे लोग भी हो जो की इंसान के रुप में ही कभी जन्म लिये और मर चुके हैं | यही सत्य है ! जो भी दुसरे मरे हुए इंसानो की तरह फिर से वापस उसी रुप में नही आने वाले हैं | सिर्फ उनकी मूर्ति या खिची गई तस्वीर विडियो ही उनकी रोजमरा जिवन की जगह लेगी | जैसे की अभी जो राम मंदिर निर्माण किया जायेगा उसमे राम की निर्जिव मूर्ति या तस्वीर रहेगा न कि जिवित राम द्वारा अपने भक्तो से मिलकर वर्तमान के मनुवादी राज में हाल चाल पुच्छा जायेगा | बल्कि अब भी तो कितने सारे राम मंदिर या और अन्य ऐसे मंदिर हैं , जिसमे लिंग योनी लेकर इंसान के रुप में ही जन्म लेने वालो का मूर्ति बिठाकर भगवान कहकर पुजा किया जाता है | मैं तो अपना भगवान उस प्राकृति को मानता हूँ जो साक्षात मौजुद है | और साक्षात सबको जिवन दे भी रहा है और ले भी रहा है | जो न हो तो ये दुनियाँ ही मौजुद न हो | जिससे दुवा करता रहता हूँ कि भगवान सभी शोषित पिड़ित जो चाहे जिस धर्म देश या दुसरे ग्रह में मौजुद हो , उन सबको शोषण अत्याचार करने वालो से सुरक्षा प्रदान करके उनकी जिवन में सुख शांती समृद्धी जल्दी वापस लाये , और साथ साथ उन शोषण अत्याचार करने वालो को सत्यबुद्धी भी दे जो अपनी भ्रष्टबुद्धी को श्रेष्ट समझकर कुकर्म में कुकर्म किये जा रहे हैं | जिन्हे जिसदिन सत्यबुद्धी मिल जायेगी उसदिन शोषण अत्याचार वैसे भी अपनेआप समाप्त हो जायेगी और चारो ओर सुख शांती समृद्धी वापस लौट आयेगी | पर फिलहाल तो चारो ओर गरिबी भुखमरी और दुःख अशांती मौजुद है | जिसे महसुश करनी हो तो कभी हर साल पुरी दुनियाँ में गरिबी भुखमरी से मरने वालो की आंकड़ो के बारे में पता कर लेना | और साथ साथ ये भी पता कर लेना कि हर साल लाखो लोगो को मरते हुए देख सुन पढ़कर जानकर भी दौलत का अंबार लगाकर मुठीभर लोगो की झुठी शान बनी रहे इसके लिए मानवता और पर्यावरण को कितना नुकसान हर रोज हो रहा है ? क्या लगता है गरिब मेहनत नही करता है इसलिए भुखमरी से मर रहा है ? बल्कि इसलिए मर रहा है क्योंकि सबसे अधिक पसिना बहाने के बाद भी उसके हिस्से की हक अधिकारो को उन लोगो के द्वारा लुटा और चोरी किया जा रहा है जो भी धन दौलत को किसी बच्चे की तरह न तो पैदा किये हैं , और न ही वे मरने के बाद यह सब मेरा है कहकर एक चिलर अथवा एक पैसे को भी अपने साथ ले जानेवाले हैं |
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