Manuvaadis have not made the varna and caste system


khoj123,hindu

Manuvaadis have not made the varna and caste system

मनुवादियों ने वर्ण और जाति व्यवस्था नहीं बनाई है


(manuvaadiyon ne varn aur jaati vyavastha nahin banaee hai)

इस कृषि प्रधान देश में ज्ञान रक्षा और वित्त प्रणाली मनुवादीयों के प्रवेश से पहले से ही मौजुद रहा है | न कि मनुवादियों द्वारा ज्ञान रक्षा और वित्त क्षेत्र के रुप में ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य वर्ण व्यवस्था बनाकर विकसित किया गया है | उसी तरह मनुवादीयों द्वारा जिसे हजारो निच जाति घोषित किया गया है , वह भी दरसल हजारो सालो से विकसित किया हुआ हजारो हुनर है , जिसे भी इस देश के मुलनिवासियों ने विकसित किया है | जो कि मनुवादियों के आने से पहले ही विकसित की गई वह हजारो हुनर है , जिसके जरिये इस कृषि प्रधान देश की विकाश में खास योगदान रहा है | न की मनुवादियो ने खेती करने , शिक्षक बनने , रक्षक बनने , अमिर बनने , और धोबी बनने , बढ़ई बनने ,  नाई बनने जैसे हजारो हुनर को इस देश में आकर सिखलाया है | क्योंकि इस देश के मुलनिवासी द्वारा विकसित किये गए वर्ण व्यवस्था  में ब्रह्मण , क्षत्रिय वैश्य और हजारो हुनर क्षेत्र दरसल वह विकसित किया गया हुनर और पद उपाधि व्यवस्था है , जिसके आधार पर हजारो साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण किया गया है | जिस विकसित सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति का निर्माण मनुवादीयों के प्रवेश करने से पहले ही किया गया है | जिसमे मौजुद गुण हुनर पद उपाधि को मनुवादियों ने मनुस्मृति लागू करके जन्म से उच्च निच जाति व्यवस्था घोषित किया है | मानो मनुवादीयों ने फर्जी सार्टिपिकेट बनाकर खुदको पहले तो जन्म से विद्वान , रक्षक और धन्ना घोषित किया , उसके बाद इतना बड़ा देश और इतनी विकसित सिंधु घाटी कृषि सभ्यता का निर्माण करने और हजारो हुनरो को जानने वाले इस देश के मुलनिवासियों को निच घोषित किया | जिसके बाद  बढ़ई ,धोबी ,नाई ,चमार जैसे हजारो हुनर व्यवस्था को जन्म से निच जाति घोषित कर दिया गया है | क्योंकि इन हुनरो को मनुवादी नही जानते थे | जिन हजारो हुनर को जानने वाले चाहे जिस देश या जिस धर्म में मौजुद हो वे निच काम नही करते हैं कि उन्हे निच काम करने वाले निच लोग कहा जाय | क्योंकि उन्ही कामो के आधार पर बनाई गई इस कृषि प्रधान देश का समाज परिवार और गणतंत्र शासन व्यवस्था का विकाश हुआ है , जो मनुवादीयों की देन नही है | क्योंकि जैसा कि हमे पता है कि ब्रह्मण पंडित विद्वान को कहा जाता है , क्षत्रिय वीर रक्षक को कहा जाता है , और वैश्य धन्ना अमिर को कहा जाता है | इसलिए मनुवादि खुद ही खुदको जन्म से पंडित घोषित करके यह प्रमाणित नही कर सकता कि वही मात्र विद्वान है , और बाकि सब अशिक्षित है | और न ही वह यह साबित कर सकता कि वही मात्र वीर रक्षक है , वही मात्र धन्ना अमिर है , और बाकि सब गरिब कमजोर है | वह भी मनुस्मृति रचना करके भारी भेदभाव करते हुए एकलव्य का अँगुठा काटकर शोषण अत्याचार करके वीर रक्षक और दुसरो के धन संपदा को लुटकर खुदको जन्म से धन्ना घोषित करना दरसल फर्जी सार्टिपिकेट बनाकर झुठ को जोर जबरजस्ती सत्य कहलवाना है | जैसे की सरकार और सरकारी नौकरी में भी बहुत से लोग आज मनुवादी शासन में फर्जी सार्टिपिकेट बनाकर झुठ को सत्य बताते रहते हैं कि उनके पास फलाना उच्च डिग्री है | मनुवादी के पास भी जन्म से उच्च विद्वान पंडित , वीर रक्षक और धन्ना कहलाने का फर्जी डिग्री है | जिस तरह का फर्जी डिग्री उसने इस देश के मुलनिवासियों को भी दे रखा है कि तुमलोग निच शुद्र हो | जिसे सत्य फिलहाल तो आगे भी तबतक कहा भी जायेगा जबतक की झुठ को जबरजस्ती सत्य कहलवाने वालो की सत्ता कायम रहेगी | जिसके बाद कोई भी मुलनिवासी इस बात पर विश्वास नही करेगा की मनुस्मृति लागु करके शोषण अत्याचार करने वाला मनुवादी जन्म से विद्वान पंडित , वीर रक्षक , और धन्ना है | बल्कि सच्चाई तो यह है कि मनुवादि जिस समय इस देश में प्रवेश किया होगा उस समय उसे संभवता कपड़ा पहनना और कपड़ा धोना भी नही आता होगा तो क्या वह जन्म से विद्वान पंडित वीर रक्षक और धन्ना के रुप में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करके हजारो हुनर व्यवस्था को जन्म दे पाता जिसके पास इस देश में प्रवेश से पहले न तो खेती की हुनर मौजुद थी , और न ही उनकी घुमकड़ कबिलई जिवन में बिना भेदभाव के आपस में मिल जुलकर खुशियों का मेला लगाने वाली बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार परंपरा रही होगी | जबकि हजारो साल पहले भी इस कृषि प्रधान देश में विकसित गणतंत्र व्यवस्था और हजारो हुनर व्यवस्था मौजुद थी | जो जानकारी सिंधु घाटी सभ्यता संस्कृति की खुदाई से भी पुरी दुनियाँ को पता चल चुका है | जिस गणतंत्र व्यवस्था में शिक्षा , रक्षा और वित्त क्षेत्र के साथ साथ हजारो सालो से मौजुद हजारो हुनर खास माने जाते हैं | जिस गणतंत्र व्यवस्था के बारे में तब जानने की काबिल ही नही होगा मनुवादी | जिसके चलते उन्होने हजारो विकसित हुनरो को हजारो निच जाति घोषित करके यह साबित करने की कोशिष किया कि उत्तम कृषि समेत ये सारे हजारो हुनर को जानने वाले लोग निच कार्य करते हैं | जैसे की मानो पुरी दुनियाँ में मौजुद जितने भी लोग खेती बारी , धोबी बढ़ई नाई वगैरा ऐसे ही हजारो हुनर कार्य करते हैं , वे सब निच कार्य है , और उस कार्य को करने वाले जन्म से निच लोग हैं | और गुलाम दास दासी बनाने बल्कि जन्म से उच्च निच घोषित करने के लिए मनुस्मृति रचना करने वाला कबिलई मनुवादी उच्च विद्वान पंडित वीर रक्षक और धन्ना है | क्योंकि उसने छुवा छुत भेदभाव शोषण अत्याचार करने वाला मनुस्मृति की रचना किया है | और अजाद भारत का संविधान रचना करने वाला अंबेडकर , और अपना अँगुठा काटकर दान करने वाला एकलव्य , बल्कि अपनी राज पाट को भी दान देने के बाद दान लेने वालो के हाथो कैद होने वाला इस देश का मुलनिवासी बलि सम्राट निच है | जिन्हे निच और दानव असुर राक्षस घोषित करने वाली भ्रष्ट मांसिकता के चलते ही तो आज भी इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला प्राकृति धन संपदा से समृद्ध देश में गणतंत्र के चार प्रमुख स्तंभो की विकसित व्यवस्था को कैसे ठीक से चलाया जा सके इसकी हुनर अभी भी मनुवादी के पास विकसित नही हो सका है | जिसके चलते इस कृषी प्रधान देश की गणतंत्र व्यवस्था मनुवादी शासन में किस तरह से संचालित हो रही है , इसके बारे में आज उदाहरन के तौर पर भी अनगिनत प्रमाण मौजुद है कि मनुवादी गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भेदभाव करके अपनी मनुवादी हुनर से अल्पसंख्यक होते हुए भी बहुसंख्यक दबदबा तो उच्च पदो में बना तो लिया है , पर उसके द्वारा उच्च पदो में उच्च दबदबा कायम करने के बावजुद भी इस देश का विकसित गणतंत्र व्यवस्था और देश का क्या बुरा हाल है , यह पुरी दुनियाँ देख रही है | सोने की चिड़ियाँ को गरिब बीपीएल भारत इन बाहर से आए कबिलई ने किया है | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि इस कृषि प्रधान देश की विकसित समृद्ध व्यवस्था मनुवादियो के द्वारा स्थापित व्यवस्था नही है कि उसे मनुवादी बेहत्तर तरिके से चला सके | क्योंकि जो व्यवस्था मनुवादीयों के द्वारा बनाया ही नही गया है , उसे ठीक से चलाना मनुवादीयों के वश में कैसे बेहत्तर साबित हो सकता है | सिवाय इसके कि जिसने इस गणतंत्र व्यवस्था को बनाया है , उसे वही सबसे बेहत्तर तरिके से चला सकता है | जो तभी होगा जब इस कृषि प्रधान देश को मनुवादी से अजादी मिलकर फिर से इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासियों की दबदबा गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम होकर मुलनिवासी सत्ता स्थापित हो जायेगी | क्योंकि मुलनिवासियों के हाथो से सत्ता छिनकर इस देश की शासन व्यवस्था में अपनी दबदबा कायम करके मनुवादी आज भी शासन कर रहा है | जिसके चलते मनुवादी उच निच भेदभाव छुवा छुत दास दासी गुलाम शोषण अत्याचार व्यवस्था को आजतक भी कायम रखते हुए हजारो सालो से अबतक भी छुवाछुत राज चलाते जरुर आ रहा है | क्योंकि उसके पास  हजारो सालो का अनुभव द्वारा हासिल किया गया भेदभाव शोषण अत्याचार की उच्च हुनर जरुर मौजुद है | क्योंकि छुवाछूत भेदभाव को कबिलई मनुवादियों ने ही तो हजारो साल पहले इस कृषि प्रधान देश में संक्रमित किया है | कबिलई मनुवादीयों ने ही इस कृषि प्रधान देश के हजारो हुनरो समेत गणतंत्र के खास गुण उपाधि अथवा पदो को जन्म से उच्च निच जाति घोषित किया है | जिससे पहले इस कृषि प्रधान देश में ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य और धोबी बढ़ई नाई चमार वगैरा हजारो हुनर कहलाती थी | जिस हुनर में जो काबिल अथवा लायक होता था वह उस हुनर में काबिल कहलाता था | जैसे की जिसे चमड़ा का काम करना आता है वही चमार कहलाता था , और जिसे फर्नीचर बनाने का काम आता है वही बढ़ई कहलाता है , और जिसे खेती करना आता है वही किसान कहलाता था | जिसका पालन आज भी पुरी दुनियाँ में होता है | पर पुरी दुनियाँ में यही एक मात्र देश है जहाँ पर इन हुनरो को जन्म से जाति के नाम से जाना जाता है | क्योंकि हजारो साल पहले मनुवादीयों ने इन हजारो हुनरो को जन्म से जाति घोषित किया है | जिससे पहले पुरी दुनियाँ की तरह इस देश में भी धोबी चमार नाई बढई वगैरा हुनर कहलाती थी | जो की आज भी हजारो जाति नही बल्कि हजारो हुनर है | क्योंकि जैसा की हमे पता है कि इस कृषि प्रधान देश में कबिलई गोरो के आने से पहले इस देश के मुलनिवासी गोरो के गुलाम नही कहलाते थे , उसी तरह इस देश में कबिलई मनुवादीयों के आने से पहले भी इस देश के कोई भी मुलनिवासि शुद्र नही कहलाते थे | बल्कि इस देश के मुलनिवासी बाहरी लुटेरो के आने से पहले बिना भेदभाव के सुख शांती और समृद्धी जिवन जी रहे थे | जिस सुख शांती समृद्धी के बारे में ही तो जानकर विदेशो से कबिलई लुटेरो की झुंड इस कृषि प्रधान देश में आना सुरु किया , ताकि इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला समृद्ध देश के समृद्ध मुलनिवासियों की धन संपदा को लुटकर खुल जा शिमशिम कहकर अपनी काली गुफा को लुट की अमिरी से भरकर झुठी शान की वह विकसित जिवन जी सके , जिसमे वह खुल जा शिमशिम कहकर अपनी झुठी अमिरी को दिखाकर यह कह सके कि देखो हमने कितना विकाश किया है | सबसे पहले कबिलई मनुवादियों ने बाहर से आकर इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर शोषण अत्याचार करना सुरु किया , उसके बाद कबिलई गोरो ने बाहर से आकर गुलाम बनाकर शोषण अत्याचार करना सुरु किया | जिन बाहर से आए कबिलई लुटेरो के बुद्धी बल के बारे में यह बिल्कुल भी नही समझना चाहिए कि ये गुलाम और दास दासी बनाने वाले कबिलई बहुत बलशाली और विद्वान थे इसलिए इतने बड़े समृद्धशाली देश और इतनी बड़ी अबादी को दास दासी और गुलाम बनाये | क्योंकि जितने भी कबिलई लुटेरो ने इस देश और इस देश के मुलनिवासियों को लुटा और गुलाम दास दासी बनाया है , वे सभी या तो किसी घर के भेदियों की सहायता से अपने कुकर्मो को अंजाम दिया है , या फिर मानो हाथ में कटोरा लिए सुरु में पेट पालने के नाम से भिख मांगकर प्रवेश किये उसके बाद मौका मिलते ही फुट डालो और राज करो की नीति से लुटपाट सुरु किया है | जिसके बाद लुटेरो ने भिख देने वाले इस देश के मुलनिवासियों को भिखारी बनकर भी लुटकर गरिब बीपीएल बनाया है | गोरे भी तो सुरु में इस्ट इंडिया कंपनी खोलने के लिए पहले तो हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाये उसके बाद जब उन्हे व्यापार करने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी बिठाने की जगह दिया गया तो छल कपट का सहारा लेकर आपस में फुट डालकर घर के भेदियों की सहायता से ईस्ट इंडिया कंपनी को लुट इंडिया कंपनी में तब्दील करके देश को गुलाम करके खुल जा शिमशिम कहकर भर भरकर इस देश की खनिज धन संपदा से अपनी काली गुफा को भरना सुरु किया | हलांकि सभी कबिलई अपना लुटेरी गैंग बनाकर इस कृषि प्रधान देश में नही आये हैं , बल्कि जो कबिलई लुटपाट करने नही आते थे वे विश्वगुरु कहलाने वाला इस देश से ज्ञान बटोरने और सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला इस देश से सचमुच में साफ सुथरा व्यापार करने के लिए आते रहे हैं | पर मनुवादी कबीला भेदभाव मुक्त ज्ञान बटोरने और साफ सुथरा व्यापार करने नही बल्कि इस देश के मुलनिवासियों को दास दासी बनाकर छुवाछूत करके दुसरो के हक अधिकारो को बटोरने और गंदी मांसिकता से मनुवादी शासन करने आये हैं | ऐसा शासन जिसमे प्रजा की सेवा उसे शुद्र और खुदको उच्च घोषित करके शोषण अत्याचार किया जाता है | जिस तरह की उच्च निच भेदभाव मांसिकता को मनुवादी हजारो सालो से अपने पुर्वजो की खास किमती हुनर के तौर पर भी किमती विरासत और किमती वसियत के रुप में पिड़ी दर पिड़ी हजारो सालो से अपनी नई पिड़ी में हस्तांतरित करते आ रहा है | जो यदि स्तांतरित नही करता तो कबका छुवाछुत समाप्त हो चुका रहता | जो छुवाछुत आज भी कायम इसलिए है , क्योंकि मनुवादी आज भी छुवाछुत करने की हुनर को अपने पुर्वजो की खास किमती हुनर समझकर उसे खुल जा शिमशिम कहकर अपने बच्चो के दिमाक में घुसाकर छुवाछुत हुनर को पिड़ि दर पिड़ी  हस्तांतरित करता चला आ रहा है | जो छुवाछुत मांसिकता इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासीयों की देन नही है | क्योंकि इस कृषि प्रधान देश के मुलनिवासि आपस में मिल जुलकर हजारो सालो से बारह माह प्राकृति पर्व त्योहार मनाते हुए मिल जुलकर खुशियों का मेला लगाते आ रहे हैं | जिस खुशियों का मेला में मनुवादियों का छुवाछुत मांसिक विकृत झमेला बाहर से प्रवेश किया है | दरसल इस कृषि प्रधान देश में बाहर से आए कबिलई मनुवादी द्वारा मनुस्मृति लागु करके वर्ण व्यवस्था में मौजुद हुनर या उपाधि को जन्म से जाति घोषित इसलिए किया है , ताकि इस सोने की चिड़ियाँ और विश्वगुरु कहलाने वाला देश की उच्च पदो को मनुवादी मानो अपने लिए जन्म से आरक्षित कर सके | जिसके लिए उन्होने इस कृषि प्रधान देश की सत्ता को छल कपट और घर के भेदियो की सहयता से हासिल करने के बाद मनुस्मृति लागू करके खुदको जन्म से विद्वान वीर और धन्ना घोषित किया हुआ है | और इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र घोषित किया हुआ है , ताकि इस देश के मुलनिवासियों के मन में हिन भावना उत्पन्न करके खुद झुठी शान में डुबकर कि वही विद्वान पंडित धन्ना और वीर है , इस देश में लंबे समय तक शासन कर सके | अथवा शुद्रो का प्रवेश मना है लिखकर इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से शुद्र प्रजा और खुदको जन्म से उच्च राजा घोषित करके इस कृषि प्रधान देश की सत्ता में हमेशा के लिए शासक बना रह सके | पर चूँकि जिस तरह रात के बाद सुबह जरुर होता है , उसी तरह प्रत्येक गुलामी के बाद भी अजादी जरुर मिलती है | जैसे कि गेट में कुत्तो और इंडियनो का प्रवेश मना है लिखकर मन में हिन भावना उत्पन्न करने वाले गोरो से अजादी मिली | जिन गोरो के द्वारा दो सौ से भी अधिक सालो की गुलामी के बाद इस देश को अजादी मिली | मनुवादीयों की भी हजारो सालो की गुलामी से अजादी जरुर मिलेगी | पर चूँकि मनुवादीयों द्वारा जन्म से उच निच भेदभाव की गुलामी देकर इस देश के मुलनिवासियों को शुद्र घोषित किया गया है , जिसके चलते आज भी मनुवादीयों द्वारा छुवाछुत करते हुए कहीं कहीं पुजा स्थलो के बाहर यह लिखा मिल जाता है कि अंदर शुद्र का प्रवेश मना है | हलांकि जैसा की सबको पता है कि मनुवादीयों ने इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से ही शुद्र अच्छुत  घोषित किया हुआ है | इसलिए तो अजादी में देरी हो रही है | क्योंकि गोरे जन्म से गुलाम घोषित नही किये थे इसलिए गोरो से अजादी जल्दी मिली | पर मनुवादी चूँकि जन्म से शुद्र घोषित किया हुआ है , इसलिए मनुवादीयों की गुलामी से अजादी मिलने में ज्यादे समय लग रहा है | चूँकि जन्म से उच्च निच हिन भावना उत्पन्न करके मनुवादी आज भी इस देश के मुलनिवासियों पर राज इसलिए कर रहा हैं , क्योंकि जन्म से उच्च निच जाति हिन भावना की वजह से इस देश के बहुत से मुलनिवासियों को यह बात सत्य आज भले नही लगता है कि जन्म से उच्च निच भगवान का देन नही है , पर फिर भी उन्हे यह लगता है कि मनुवादी ही वेद पुराण समेत वर्ण व्यवस्था और हजारो जाति व्यवस्था में मौजुद ज्ञान रक्षा वित्त क्षेत्र और नाई बढ़ई चमार धोबी वगैरा हजारो हुनर क्षेत्र की जानकारी इस देश के मुलनिवासियों को यूरेशिया से लाकर दिया है | जिसके चलते मुलनिवासियों के अंदर यह भ्रम बैठ गया है कि मनुवादि इतना सबकुछ जानता है , जिसने इन सबकी रचना किया है तो निश्चित तौर पर उसके पास उच्च बुद्धी बल मौजुद है | जिसके चलते इस देश का शासक बने रहने और हिन्दू धर्म का ठिकेदार बने रहने के लिए भी मनुवादीयों के लिए भ्रम का वातावरण पैदा होना अबतक जारी है | जिस भ्रम की वजह से उनको लगता है मानो इस देश के मुलनिवासियों को मनुवादीयों के आने से पहले वेद पुराण रचने और शासन करने जैसी कोई जानकारी ही मौजुद नही थी | जिस तरह की भ्रम से अबतक बाहर नही निकल पाने की वजह से मन में हिन भावना बने रहने की वजह से ही कबिलई मनुवादी जो संभवता इस कृषि प्रधान देश में आने से पहले कपड़ा पहनना और खेती करना क्या होता है यह भी नही जानता होगा वह इस कृषि प्रधान देश में हजारो साल पहले से ही मौजुद हजारो हुनर जिसे की उसने हजारो निच जाति घोषित  किया हुआ है , उसके बारे में जानकारी इस देश के मुलनिवासियों को दिया है , इस तरह का विश्वास बहुत से मुलनिवासियों के भितर रच बस गया है | जबकि असल में इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश से पहले मनुवादी हजारो हुनर के बारे में जानना तो दुर उसे तो परिवार समाज क्या होता है यह भी जानकारी इस देश में प्रवेश करने से पहले मौजुद नही होगा | जिसे आज हिन भावना कि वजह से इस देश के बहुत से मुलनिवासी यह उच्च ज्ञान की उपाधि देते रहते हैं कि मनुवादी ही वेद पुराण और हजारो हुनर की रचना जाति के रुप में किया है | और मनुवादी ही असल हिन्दू है , बाकि तो सब मनुवादी के कहने पर होली दिवाली और मकर संक्रांति जैसे हिन्दू पर्व त्योंहार मनाते हैं | जो सारे पर्व त्योहार और हिन्दू धर्म , हिन्दू वेद पुराण , हिन्दू कलेंडर और सायद हिन्दू कोड बिल भी कबिलई मनुवादियों के द्वारा यूरेशिया से लाये गए हैं  | जबकि असल में मनुवादि ने इस कृषि प्रधान देश में पहले से मौजुद हजारो हुनर और तब के गणतंत्र शासन व्यवस्था के प्रमुख स्तंभ ज्ञान रक्षा और वित्त क्षेत्र के उच्च पदो में कब्जा करके हमेशा के लिए उन उच्च पदो में जमे रहने के लिए जन्म से उच्च निच घोषित किया है | जिससे पहले कोई भी जन्म से उच्च निच नही था | वह भी घोषित नही कर पाता यदि उसे घर के भेदियो की सहायता और छल कपट की वजह से इस देश की शासन व्यवस्था को अपने कब्जे में लेने का अवसर न मिलता | बल्कि आज का भी गणतंत्र के चार प्रमुख स्तंभो में जन्म से कोई उच्च पदो में नही बैठ सकता था , पर घर के भेदियो की सहायता और छल कपट की वजह से आज भी गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में मनुवादियों का दबदबा कायम है | जो दबदबा बिना घर के भेदियों की सहायता से गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में कायम होना तो दुर सारी जिवन बिताकर भी मनुवादी बिना घर के भेदियों की सहायता लिए बगैर एक भी स्तंभ में अपनी दबदबा बरकरार नही रख सकता | क्योंकि कोई भी जन्म से हुनर लेकर पैदा नही होता है बल्कि बाद में वह सिखता है | और कबिलई मनुवादी के पास गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो को बेहत्तर चला सके ऐसा हुनर चूँकि भेदभाव करते हुए वैसे भी नही हो सकता है कि वह ईमानदारी से बहाली होने पर बहाल हो रहा है यह विश्वास किया जा सके | हाँ यह जरुर हो सकता है कि जन्म से अपने माता पिता अथवा पुर्वज का हुनर के आधार पर मनुवादी को जन्म से उसे अनुवांसिक या फिर विरासत के तौर पर कोई खास पहचान जरुर मिल सकता है | जैसे कि कोई नेता का बच्चा नेता , डॉक्टर का बच्चा डॉक्टर , अभिनेता का बच्चा अभिनेता वगैरा जरुर हो सकता है | वह भी बनने के बाद खरा उतरने वाला न कि भ्रष्ट नेता का बच्चा भ्रष्ट नेता , किडनी चोर डॉक्टर का बच्चा किडनी चोर डॉक्टर बने और उसे कह दे कि उसके खुन में वाकई में नेता डॉक्टर शिक्षक बनने का हुनर है | हलांकि वाकई में किडनी चोर डॉक्टर और भ्रष्ट नेता भ्रष्ट उद्योगपति वगैरा किसी के माता पिता बनने का भी खास लाभ अपने पुर्वज के आनुवांसिक या फिर विरासत के तौर पर उनके बच्चो को विशेष अवसर मिलता है | क्योंकि बचपन से उसे स्वभाविक तौर पर उस कार्य क्षेत्र या हुनर के बारे में जानने समझने की विशेष लाभ जरुर मिलता है जिसे की उसके पुरानी पिड़ी खास तौर पर कर रहे होते हैं | जैसे की मनुवादीयों को भेदभाव शोषण अत्याचार करने का हुनर का विशेष लाभ मिल रहा है | क्योंकि विरासत में उन्हे अपने पुर्वजो के पास मौजुद हजारो सालो का भेदभाव शोषण अत्याचार करने का अनुभव पिड़ि दर पिड़ी विशेष लाभ के तौर पर मिल रहा है | रही बात मनुवादी द्वारा फिर कैसे गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम रखे हुए है ? तो इसका बेहत्तर जवाब मिल गया है कि मनुवादी जिस तरह घर के भेदियो की सहायता और छल कपट से इस देश का शासक बनकर अपनी मनुस्मृति सोच से सत्ता पावर का गलत उपयोग करके खुदको जन्म से विद्वान पंडित घोषित किया लेकिन उसे वह प्रयोगिक तौर पर साबित नही कर सका है , उसी तरह वह आज भी घर के भेदियो की सहायता और छल कपट से सत्ता पावर का गलत उपयोग करके वगणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में भी अपनी दबदबा कायम तो रखे हुए है , पर उसे वह प्रयोगिक तौर पर साबित नही कर पा रहा है | जो स्वभाविक भी है , क्योंकि जैसा की बतलाया कि किसी को भी अपने माता पिता का हुनर को सिखने जानने का लाभ चूँकि बचपन से जरुर मिलता है , इसलिए वह अपने माता पिता के ही हुनर को आगे ले जाएगा इसकी संभावना ज्यादे जरुर रहता है | पर वह अपने माता पिता के भ्रष्ट नेता या किडनी चोर डॉक्टर का हुनर को आगे ले जाएगा कि सचमुच का नेता और डॉक्टर बनेगा यह तो उसके द्वारा प्रयोगिक जिवन में साबित होता रहता है | और जैसा कि हमे पता है कि जन्म से कोई हुनर को लेकर पैदा लेता है यह घोषित मनुवादियों ने इस देश में हमेशा के लिए शासक बने रहने के लिए किया है | और जब वह यह घोषित कर रहा था उस समय वह भ्रष्ट नेता और किडनी चोर डॉक्टर था कि सचमुच का नेता और डॉक्टर ये तो उसके प्रयोगिक जिवन के बारे में जानकर पता चलता है | और प्रयोगिक तौर पर मनुवादी जन्म से तो क्या पुरी जिवन सेवक नही बल्कि खुदको जन्म से विद्वान रक्षक और धन्ना घोषित करके शोषण अत्याचार करते हुए खुद ही खुदको भ्रष्टाचारी और अत्याचारी साबित किए हुए है  | क्योंकि कोई जन्म से विद्वान रक्षक और धन्ना नही होता है यह पुरी दुनियाँ जानती है | जो यदि जन्म से होता तो फिर इस देश के मुलनिवासी जो कि वर्ण में शुद्र और जाति में हजारो जातियों में बंटा हुआ है , उसी तरह पुरी दुनियाँ के लोग जन्म से उच्च निच कहलाकर क्यों नही बंटे हुए हैं | क्योंकि वे भी तो अपने अपने हुनर के अनुसार विद्वान रक्षक धन्ना और धोबी नाई चमार बढ़ई वगैरा अनेको कार्य क्षेत्रो में बंटे हुए हैं | पर वे जन्म से उच्च निच नही कहलाते हैं , क्योंकि बाकि देशो में मनुवादी उन हुनरो को उच्च निच घोषित नही किए हैं | और यदि मनुवादी द्वारा ही वर्ण व्यवस्था में पुरी दुनियाँ के इंसानो के लिए ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य बनाया गया है तो फिर मनुवादी पुरी दुनियाँ की जाति व्यवस्था में सिर्फ तीन जाति का क्यों खुदको घोषित किया है ? वह भी सिर्फ या तो एक उच्च जाति खुदको घोषित करता या फिर हजारो निच जाति की तरह हजारो न सही सैकड़ो उच्च जाति घोषित करता | पर नही किया क्योंकि इस कृषि प्रधान देश में न तो वर्ण व्यवस्था मनुवादीयों की देन है और न ही जाति व्यवस्था मनुवादीयों की देन है | बल्कि मनुवादी इस कृषि प्रधान देश में प्रवेश करने के बाद जब इस देश की गणतंत्र व्यवस्था में कब्जा किया तो खास क्षेत्र शिक्षा रक्षा और वित्त क्षेत्र में खुदको स्थापित करके खुदको जन्म से ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य अथवा विद्वान वीर अमिर घोषित किया | जैसे की गोरो ने भी जब इस देश को गुलाम बनाया तो इस देश की शासन व्यवस्था के मजबुत क्षेत्र में खुदको स्थापित करके बाकि सबको गुलाम घोषित किया था | न कि वे इस देश को गुलाम बनाकर किसान , धोबी बढ़ई और चमार नाई वगैरा जो हजारो हुनर मौजुद है उन हुनर क्षत्रो में कब्जा करके बाल दाड़ी बनाते , कपड़ा धोते जुता सिते और फर्नीचर बनाते हुए अपने गुलामो पर राज कर रहे थे | मनुवादी भी जब इस देश की शासन व्यवस्था में कब्जा जमाया तो उन्होने उस समय गणतंत्र के प्रमुख शिक्षा रक्षा और वित्त क्षेत्र में खुदको स्थापित करके खुदको जन्म से ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य घोषित किया | जिन क्षेत्रो में कब्जा करके हमेशा के लिए जमे रहने के लिए मनुवादीयों ने खुदको जन्म से ही ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य घोषित किया है | और इस देश के मुलनिवासियों को जन्म से शुद्र घोषित किया हुआ है | जैसे कि गोरो ने गुलाम घोषित किया था | हाँ गोरो ने जन्म से किसी को गुलाम घोषित नही किया था | और न ही गोरो ने इस देश के गणतंत्र व्यवस्था में मौजुद शिक्षा क्षेत्र , रक्षा क्षेत्र , और वित्त क्षेत्र को जन्म से खुदको ब्रह्मण क्षत्रिय और वैश्य घोषित करके उन क्षेत्रो में बाकियों के लिए रोक लगाया था | जिसके चलते ही तो गोरो के शासन में अंबेडकर ने तीस से अधिक उच्च ज्ञान डिग्री देश विदेश में लिया | बल्कि गोरो की सिपाही बहाली में भी इस देश के गुलाम भाग लेकर गोरो से तनख्वा पाते थे | और साथ साथ गुलाम भी अमिर बल्कि राजा हुआ करते थे | और मुलनिवासियों के पास मौजुद जो हजारो हुनर मौजुद थी उसे भी गोरो ने निच जाति घोषित करने के बजाय जरुरत पड़ने पर उन हुनरो को जानने वालो से हुनर के आधार पर उनसे काम भी करवाते थे | भले गोरे उन हजारो हुनरो द्वारा किये गए कामो को इस देश में नही करते होंगे | क्योंकि उन्होने देश गुलाम करके खुदको इस देश के उच्च पदो में बैठा रखा था | जिसके चलते धोबी चमार नाई बढ़ई जैसे हजारो हुनरो में यदि वे कुछ हुनरो को जानते भी होंगे तो भी वे उसे अपने देश में भले खुद करते थे पर इस देश में नही करते थे | क्योंकि इस देश को गुलाम करने के बाद तो उन्हे अपने गुलामो से ही इन हुनरो के जरिये किया गया काम को करवाने की सुविधा उपलब्ध थी | जिसके चलते निश्चित तौर पर गोरे कपड़ा नही धोते होंगे बाल नही काटते होंगे और जुता नही सिते होंगे भले वे अपने देश में धोबी नाई और चमार वगैरा का काम करते होंगे | जैसे कि मुमकिन है मनुवादी भी आज हजारो हुनर जिसे की मनुवादीयो ने निच जाती घोषित किया हुआ है , उनमे से बहुत से हुनरो को सिखने के बाद आज के समय में भले इस देश में आत्मनिर्भर अथवा पेट पालने  के लिए इस्तेमाल नही करते होंगे पर विदेश जाने के बाद जरुर करते होंगे | जो स्वभाविक है क्योंकि जब भी कोई कबिलई लुटेरा किसी देश को गुलाम करता है तो वह निश्चित तौर पर देश का शासक बनकर उच्च पदो में बैठना पसंद करेगा जैसा कि मनुवादी भी जब इस देश में प्रवेश करके इस देश में कब्जा किया होगा तो इस देश का शासक बनकर खुदको उच्च पदो में बिठाकर ब्रह्मण क्षत्रिय वैश्य और यहाँ के मुलनिवासियों को शुद्र घोषित किया होगा | भले क्यों न तब वह ज्ञानी रक्षक और धन्ना न हो | जो कि वह था भी नही , क्योंकि मनुस्मृति रचना करने वाला खुदको जन्म से ज्ञानी बताकर यदि आज किसी विद्यालय में छात्रो को कान में गर्म पिघला लोहा डालने , जीभ काटने , अँगुठा काटने का ज्ञान देने लगे तो उसे ज्ञान डिग्री नही बल्कि सायद थर्ड डिग्री देने की मांग उठने लगेगी | उसी तरह छुवाछूत भेदभाव करके जानवरो की तरह पिटाई करके शोषण अत्याचार करने वालो को रक्षक तो क्या कोई चौकीदार भी स्वीकार नही करेगा | रहा मनुवादी द्वारा जन्म से धन्ना बनने कि काबिल होना तो दुसरो की हक अधिकारो को लुटकर सोने की चिड़ियाँ के मुलनिवासियों को गरिब बीपीएल बनाकर खुदको जन्म से धन्ना तो क्या हजारो साल पहले का इनका इतिहास पता किया जाय तो निश्चित तौर पर ये जानकारी जरुर सामने आयेगी कि बिना हक अधिकारो को लुटे ऐसे लोगो को सायद हजारो साल पहले इस देश में आने से पहले पेट भी पालने में भारी संघर्ष करना पड़ता होगा | जिसके चलते ही तो वे इस सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाले देश में इस देश और इस देश के मुलनिवासियों की समृद्धी के बारे में सुनकर या फिर अमिरी को सुँघते हुए यहाँ पर आए और इस देश के मुलनिवासियों के हक अधिकारो को लुटकर गरिब बीपीएल बनाकर खुदको जन्म से धन्ना घोषित किये | पर उनके द्वारा इस देश में प्रवेश करने से पहले इस देश के मुलनिवासियों की समृद्धी की तुलना में उनकी समृद्धी कितनी थी इसकी सच्चाई इतिहास खोलने पर पता चलता है | जैसे कि इस देश में गोरो के आने से पहले गोरो का देश ज्यादे समृद्ध कहलाता था कि यह देश इसकी सच्चाई इतिहास पलटने पर पता चल जाता है | क्योंकि इतिहास गवाह है कि यह सोने की चिड़ियाँ कहलाने वाला कृषि प्रधान देश गरिब देश नही बल्कि इतना समृद्ध देश रहा है कि इस देश की समृद्धी से आर्कषित होकर न जाने कितने कबिलई लुटेरे सैकड़ो हजारो सालो से इस देश में प्रवेश करके इसे लुट लुटकर खुल जा शिमशिम कहकर अपनी काली गुफा को सैकड़ो हजारो से भरते आ रहे हैं | लेकिन भी आजतक वे इस देश की अमिरी को इतना खत्म नही कर पाये हैं कि पुरी दुनियाँ अब यह कह दे की इस देश में अब धन संपदा नही मौजुद है | बल्कि जिस प्रकार स्थिर विशाल सागर में मौजुद पानी का अंबार है उसी तरह इस स्थिर कृषि प्रधान देश में भी इतना प्राकृति धन संपदा अब भी मौजुद है कि जिसदिन भी मनुवादी सत्ता का अंत होगा उसदिन के बाद इस देश की धन संपदा से इस देश के वे मुलनिवासी जिनके हक अधिकारो को लुटकर उन्हे गरिब बीपीएल व मुल जरुरतो से भी अभाव ग्रस्त बनाया गया है , वह सब दुर होगा और इस देश के सभी मुलनिवासी गरिबी भुखमरी और अभावग्रस्त मुक्त होकर फिर से यह देश गरिब नही बल्कि समृद्धशाली कहलायेगा | जो फिलहाल तो मनुवादी शासन में करोड़ो गरिब बीपीएल लिस्ट के जरिये पुरी दुनियाँ को बतला रहा है कि इस देश में गणतंत्र के चारो प्रमुख स्तंभो में अपनी दबदबा कायम करके मनुवादी क्या गुल खिला रहे हैं ? जो स्वभाविक भी है , क्योंकि यूरेशिया से आया कबिलई मनुवादी चूँकि इस कृषि प्रधान देश का मुलनिवासी नही है , इसलिए इस देश और इस देश के मुलनिवासियों की बेहत्तर सेवा कभी कर ही नही सकता ! और न ही मनुवादी को बेहत्तर शासक समझकर जो मुलनिवासी मनुवादीयों का साथ दे रहे हैं , वे भी कभी बेहत्तर शासक बन सकते हैं | क्योंकि घर का भेदि भी खोटे शिक्के ही साबित होंगे | इसलिए वैसे मुलनिवासी ही भविष्य में इस देश को मनुवादीयों के शोषण अत्याचार से मुक्त करेंगे जिनको मनुवादी कभी भी घर का भेदि बना नही पायेंगे | क्योंकि वे ऐसे खोटे सिक्के नही हैं कि मनुवादी उन्हे तुम भी खोटे हम भी खोटे दोनो मिलकर चलो खोटे शासन करें कहकर अपने साथ मिलाकर मानो मनुवादी खुद मदाड़ी बनकर उसे अपनी मनुवादी शासन कायम रखने के लिए नचवा सके | 

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